साइबर स्कैटिंग (Cyber Squatting) क्या होता है?

जाने साइबर स्क्वैटिंग चर्चा में क्यों हैं?

साइबर स्क्वैटिंग (Cyber Squatting) का मतलब किसी ब्रांड के नाम का वेब डोमेन खरीदकर उससे स्वयं का फायदा पहुँचाना होता है.

वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में ऐसा आम हो गया है. कई लोग इसे आधुनिक ज़माने में जबरन वसूली का तकनीक भी कहा है. इसलिए इसे कानून व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में देखा जाता है.

कई देशों में साइबर स्क्वैटिंग अवैध है. लेकिन कई बार साइबर स्क्वैटिंग करने वाले ब्रांड रजिस्टर होने से पहले ही सुचना के आधार पर उस ब्रांड का डोमेन खरीद लेते है.

इसलिए किसी भी ब्रांड को लांच करने से पहले ही उससे सम्बन्धित सभी प्रकार के डोमेन खरीद लेना चाहिए.

हाल ही में Jio और Hotstar का मर्जर हुआ है. लेकिन, 'JioHotstar.com' डोमेन को किसी व्यक्ति ने 2023 में ही खरीद लिया था.

संभवतः मर्जर के बाद ये कंपनी JioHotstar.com डोमेन पर ही अपना एंटरटेनमेंट आधारित वीडियो प्रसारित करते.

लेकिन, अनजान व्यक्ति द्वारा अपने पढ़ाई के खर्चे के बदले इस डोमेन को मर्जर के बाद बने कंपनी को बेचने की मांग ने इसे चर्चा में ला दिया है. इसे साइबरस्क्वैटिंग भी कहा जा सकता है.

ये भी जान लें कि भारत में साइबर-स्क्वैटिंग या डोमेन नाम विवादों से निपटने के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं है.

लेकिन, डोमेन नामों को ट्रेडमार्क के सुरक्षा से जोड़कर ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 का उपयोग किया जाता है.

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