भारतीय संसद से संबंधित अनुच्छेदों (77 से 117) का संक्षिप्त विवरण
Civics

भारतीय संसद से संबंधित अनुच्छेदों (77 से 122) का संक्षिप्त विवरण

भारत के संविधान के भाग V में संघ सरकार के कामकाज के लिए प्रावधान हैं. एक तरह से यह भारतीय संसद का महत्वपूर्ण स्तम्भ है. यह भाग संघ स्तर पर सरकार की संसदीय प्रणाली, स्वतंत्र न्यायपालिका और शक्तियों का प्रभावी पृथक्करण स्थापित करता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 77 से 122 तक, केंद्र सरकार के […]

भारतीय संसद से संबंधित अनुच्छेदों (77 से 122) का संक्षिप्त विवरण Read Post »

प्रधानमंत्री से जुड़े सामान्य ज्ञान, कार्यकाल, शपथ, पदत्याग, भारत का प्रधानमंत्री, नियुक्ति, कार्य और शक्तियाँ
Civics

भारत का प्रधानमंत्री, नियुक्ति, कार्य और शक्तियाँ

भारत का प्रधानमंत्री, भारतीय लोकतंत्र और शासन व्यवस्था का एक केंद्रीय स्तंभ है. भारत के संविधान के तहत, प्रधानमंत्री (PM) कार्यपालिका का प्रमुख होता है. वह सरकार के वास्तविक कार्यकारी नेतृत्व का प्रतीक है. वह राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच समन्वयक की भूमिका निभाता है. PM ही केंद्र सरकार की नीतियों और निर्णयों का नेतृत्व

भारत का प्रधानमंत्री, नियुक्ति, कार्य और शक्तियाँ Read Post »

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1951 का महत्व और प्रासंगिकता
Civics

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 का महत्व और प्रासंगिकता 

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RPA, 1951) भारतीय चुनावी लोकतंत्र की आधारशिला है. यह संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के संचालन के लिए एक विस्तृत कानूनी ढाँचा प्रदान करता है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 327 के तहत इसे बनाया गया है.  यह अधिनियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 के प्रावधानों का पूरक

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 का महत्व और प्रासंगिकता  Read Post »

भारत में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ: सूची, फायदे और उनका महत्व 
Geography

भारत में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ: सूची, फायदे और उनका महत्व 

भारत में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ये परियोजनाएँ नदियों के जल को नियंत्रित और प्रबंधित करके कई उद्देश्यों को पूरा करती हैं, जिनमें बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, विद्युत उत्पादन, पेयजल आपूर्ति, मत्स्य पालन और पर्यटन शामिल हैं. भारत के पहले प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इन्हें ‘आधुनिक भारत

भारत में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ: सूची, फायदे और उनका महत्व  Read Post »

भारत की मृदा: इसका निर्माण, बनावट, वर्गीकरण, अवकर्षण, अपरदन और संरक्षण
Geography

भारत की मृदा: इसका निर्माण, बनावट, वर्गीकरण, अवकर्षण, अपरदन और संरक्षण

भारत की मृदा विश्व के सबसे उपजाऊ मृदाओं में से एक है. मृदा भू-पर्पटी की सबसे महत्वपूर्ण परत है और एक मूल्यवान संसाधन है. यह शैल, मलबा और जैव सामग्री का मिश्रण होती ,है जो पृथ्वी की सतह पर विकसित होती है. यह वृक्षों, घास, फसलों और जीवन के कई रूपों का पोषण करती है.

भारत की मृदा: इसका निर्माण, बनावट, वर्गीकरण, अवकर्षण, अपरदन और संरक्षण Read Post »

सिख साम्राज्य का इतिहास: उदय, विस्तार और क्षेत्र
History

सिख साम्राज्य का इतिहास: उदय, विस्तार और क्षेत्र

जब मुग़ल कमजोर हुए तो देश के कई हिस्सों में स्थानीय शासकों का सत्ता स्थापित होने लगा. सिख साम्राज्य एक ऐसा ही राज्य था. इसके स्थापना का श्रेय बन्दा बहादुर को दिया जाता है. लेकिन इसके औपचारिक गठन का श्रेय महाराजा रंजीत सिंह को दिया जाता है. बंदा बहादुर: सिख साम्राज्य का प्रारंभिक नायक बंदा

सिख साम्राज्य का इतिहास: उदय, विस्तार और क्षेत्र Read Post »

दिल्ली सल्तनत और इसके 5 वंशों के महत्वपूर्ण शासक | Delhi Sultanate Dynasties Rulers Period and Downfall
History

दिल्ली सल्तनत और इसके 5 वंशों के महत्वपूर्ण शासक

दिल्ली सल्तनत का उदय 1175 और 1206 के बीच अफ़गानिस्तान के मुहम्मद गौरी द्वारा उत्तरी भारत पर आक्रमण के बाद हुआ. उनके एक सैन्य गुलाम, कुतुब अल-दीन ऐबक को दिल्ली का प्राथमिक सुल्तान बनाया गया. इस तरह कुतुबुद्दीन मामलुक परंपरा का संस्थापक बना. इसके बाद अन्य तुर्क वंश आए – खिलजी और अफ़गान लोदी वंश.

दिल्ली सल्तनत और इसके 5 वंशों के महत्वपूर्ण शासक Read Post »

भारत के प्रमुख खनिज संसाधन और खनन उद्योग
Geography

भारत के प्रमुख खनिज संसाधन और खनन उद्योग

भारत में खनिजों का एक समृद्ध और विविध भंडार है, जो इसके औद्योगिक विकास और आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. भारत खनिज संसाधनों से संपन्न है, जिससे इसका खनन क्षेत्र औद्योगिक विकास और ऊर्जा सुरक्षा का एक आधार बन गया है. देश लगभग 95 विभिन्न प्रकार के खनिजों का उत्पादन करता है, जिसमें

भारत के प्रमुख खनिज संसाधन और खनन उद्योग Read Post »

गुप्त साम्राज्य: उद्भव, राजनीतिक विकास, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और प्रशासन
History

गुप्त साम्राज्य: उद्भव, राजनीतिक विकास, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और प्रशासन

भारत के इतिहास में गुप्त साम्राज्य अपनी सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और राजनीतिक उपलब्धियों के लिए विख्यात है. चौथी शताब्दी की शुरुआत में उत्तरी भारत में व्याप्त राजनीतिक विखंडन के दौर में था. कुषाण साम्राज्य के विघटन के उपरांत छोटे राज्य और स्वायत्त इकाइयाँ अस्तित्व में थीं. इस कमजोरी का फायदा गुप्तों ने उठाया और एक समृद्ध

गुप्त साम्राज्य: उद्भव, राजनीतिक विकास, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और प्रशासन Read Post »

Scroll to Top