कंप्यूटर मेमोरी एक स्टोरेज डिवाइस होता है, जहाँ कम्प्यूटर की सभी जानकारी- जैसे प्रोग्राम, सॉफ्टवेयर, टेक्स्ट, इमेज, ऑडियो, वीडियो या ग्राफ़िक्स इत्यादि, सुरक्षित होता है. इस भंडारण स्थान में डाटा को संसाधित (process) किया जाता है. डाटा को संसाधित करने के लिए जरुरी निर्देश भी इन्हीं मेमोरी में सुरक्षित रहते है.
कंप्यूटर मेमोरी जानकारी को अस्थायी रूप से, जैसे RAM (रैंडम एक्सेस मेमोरी), या स्थायी रूप से, ROM (रीड-ओनली) के रूप में संरक्षित करता है. कंप्यूटर मेमोरी डिवाइस एकीकृत सर्किट का उपयोग किया जाता है. कंप्यूटर के संचालन के लिए इसका उपयोग ऑपरेटिंग सिस्टम, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर द्वारा उपयोग किए जाते हैं.
कंप्यूटर मेमोरी का पदानुक्रम (Hierarchy of Computer Memory)
कंप्यूटर मेमोरी की विशेषता दो प्रमुख कारकों, क्षमता और पहुंच समय (Access Time) के आधार पर की जाती है. एक्सेस टाइम जितना कम होगा, मेमोरी की स्पीड उतनी ही तेज होगी.
कंप्यूटर मेमोरी के एक पदानुक्रम का उपयोग करता है. जब हम ऊपर से नीचे आते है तो मेमोरी की क्षमता और एक्सेस टाइम बढ़ता है. लेकिन, नीचे से ऊपर जाने पर प्रति क्लीक लागत (Cost Per Click) बढ़ता है. इसका मतलब है कि कम्प्यूटर की आंतरिक मेमोरी महँगी होती है जबकि बाह्य मेमोरी अपेक्षाकृत सस्ती होती है.
कंप्यूटर मेमोरी के प्रकार (Types of Computer Memory in Hindi)
इसे मुख्यतः दो हिस्सों में विभाजित किया गया है:
A. प्राथमिक मेमोरी
B. द्वितीयक मेमोरी
A. प्राथमिक मेमोरी (RAM)
वह मेमोरी यूनिट जो सीधे प्रोसेसर से संचार करती है, उसे प्राथमिक मेमोरी कहा जाता है। प्राथमिक मेमोरी कंप्यूटर को तत्काल हेरफेर के लिए डेटा स्टोर करने और वर्तमान में क्या संसाधित किया जा रहा है, इस पर नज़र रखने की अनुमति देती है। यह प्रकृति में अस्थिर है, इसका मतलब है कि जब बिजली बंद हो जाती है, तो प्राथमिक मेमोरी में भंडारित सामग्री लुप्त हो जाती है.
प्राथमिक मेमोरी को आगे दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है
1. रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM)
इसका संक्षिप्त नाम RAM है. इसमें संग्रहीत डेटा को किसी भी यादृच्छिक क्रम में एक्सेस किया जा सकता है। या, दूसरे शब्दों में, डेटा के किसी भी यादृच्छिक बिट को किसी भी अन्य बिट की तरह ही जल्दी से एक्सेस किया जा सकता है।
RAM के बारे में समझने वाली सबसे महत्वपूर्ण बातें ये हैं कि RAM मेमोरी बहुत तेज़ होती है. इसमें लिखा जा सकता है और पढ़ा भी जा सकता है. यह अस्थिर होती है. इसलिए RAM मेमोरी में संग्रहीत सभी डेटा बिजली खोने पर खो जाता है. लेकिन, यह प्रति गीगाबाइट लागत के मामले में सभी प्रकार की सेकेंडरी मेमोरी की तुलना में बहुत महंगी होती है. सेकेंडरी मेमोरी प्रकारों की तुलना में RAM की अपेक्षाकृत उच्च लागत के कारण ही अधिकांश कंप्यूटर सिस्टम प्राथमिक और सेकेंडरी मेमोरी दोनों का उपयोग करते हैं.
तुरंत प्रोसेसिंग के लिए आवश्यक डेटा को RAM में ले जाया जाता है. यहाँ इसे बहुत तेज़ी से एक्सेस और संशोधित किया जा सकता है, ताकि CPU को प्रतीक्षा न करनी पड़े. जब डेटा की आवश्यकता नहीं रह जाती है तो इसे धीमी लेकिन सस्ती सेकेंडरी मेमोरी में भेज दिया जाता है. खाली की गई RAM के मेमोरी को नए उपयोग किए जाने वाले डेटा के अगले हिस्से से भर दिया जाता है.
RAM का उपयोग डेटा और मध्यवर्ती परिणामों के अस्थायी भंडारण के लिए किया जाता है. RAM एक माइक्रोचिप है जिसे सेमीकंडक्टर का उपयोग करके कार्यान्वित किया जाता है. यह कंप्यूटर का प्राथमिक मेमोरी भी है.
RAM की दो श्रेणियाँ हैं
(i) डायनेमिक RAM (DARM)
डायनेमिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (DRAM) एक प्रकार की सेमीकंडक्टर मेमोरी है. सामान्यतः इसका उपयोग कंप्यूटर प्रोसेसर द्वारा कार्य करने के लिए आवश्यक डेटा या प्रोग्राम कोड के लिए किया जाता है. यह RAM का एक सामान्य प्रकार है, जिसका उपयोग पर्सनल कंप्यूटर (PC), वर्कस्टेशन और सर्वर में किया जाता है.
यह अस्थायी प्रकृति का होता है. इसलिए इसे रिफ्रेश करने की आवश्यकता होती है. यह प्रति सेकंड हजारों बार रिफ्रेश होती है. इसका गति अन्य RAM के तुलना में धीमा होता हैं. साथ में यह सस्ता भी होता है.
(ii) स्टेटिक रैम
इसमें फ्लिप-फ्लॉप का एक रूप मेमोरी के प्रत्येक बिट को रखता है. मेमोरी सेल के लिए फ्लिप-फ्लॉप में कुछ वायरिंग के साथ 4 या 6 ट्रांजिस्टर लगते हैं. लेकिन इसे कभी भी रिफ्रेश नहीं करना पड़ता है. रिफ्रेश न करने की खासियत स्टैटिक रैम को डायनेमिक रैम की तुलना में काफी तेज बनाता है. लेकिन, स्टैटिक मेमोरी सेल एक चिप पर डायनेमिक मेमोरी सेल की तुलना में बहुत अधिक जगह लेता है. इसलिए आपको प्रति चिप कम मेमोरी मिलती है, और इससे स्टैटिक रैम बहुत अधिक महंगी हो जाती है.
इसलिए स्टैटिक रैम का उपयोग सीपीयू की गति-संवेदनशील कैश बनाने के लिए किया जाता है, जबकि डायनेमिक रैम बड़ी सिस्टम रैम स्पेस बनाती है. स्टैटिक मेमोरी भी एक अस्थिर मेमोरी है जिसका अर्थ है कि जब तक यह चालू है तब तक यह सामग्री नहीं खोती है.
2. रीड ओनली मेमोरी (ROM)
यह कंप्यूटर का नॉन वोलेटाइल मेमोरी या परमानेंट स्टोरेज होता है. बिजली बंद होने पर भी यह अपनी सामग्री नहीं खोता है. ROM में केवल पढ़ने की क्षमता है, लिखने की क्षमता नहीं है. ROM में डेटा और निर्देश केवल एक बार ही लिखे जा सकते हैं. इसलिए ROM चिप को निर्माण के समय ही इसे प्रोग्राम कर दिया जाता है. इसे फिर से प्रोग्राम या लिखा नहीं जा सकता.
ROM की तीन श्रेणियाँ हैं
(i) प्रोग्रामेबल ROM (PROM)
PROM या प्रोग्रामेबल ROM (प्रोग्रामेबल रीड-ओनली मेमोरी) एक कंप्यूटर मेमोरी चिप है. इसे बनाने के बाद एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है. एक बार PROM को प्रोग्राम कर देने पर इसपर लिखी गई जानकारी स्थायी होती है और उसे मिटाया या हटाया नहीं जा सकता. PROM को सबसे पहले 1956 में वेन त्सिंग चाउ ने विकसित किया था. शुरुआती कंप्यूटरों में PROM का उदाहरण कंप्यूटर BIOS है. आधुनिक समय में कंप्यूटर में PROM की जगह EEPROM का इस्तेमाल होता है.
(ii) इरेज़ेबल प्रोग्रामेबल ROM (EPROM)
EPROM (इरेज़ेबल प्रोग्रामेबल रीड-ओनली मेमोरी) प्रोग्रामेबल रीड-ओनली मेमोरी (प्रोग्रामेबल ROM) है जिसे मिटाया और फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है. मेमोरी चिप में डिज़ाइन की गई विंडो के माध्यम से तीव्र पराबैंगनी प्रकाश चमकने से डाटा इरेज़ होता है.
(iii) इलैक्टिकली इरेज़ेबल प्रोग्रामेबल ROM (EEPROM)
EEPROM (या E2PROM) का पूर्ण रूप है इलैक्ट्रिकली इरेज़ेबल प्रोग्रामेबल रीड-ओनली मेमोरी. यह एक प्रकार की नॉन-वोलेटाइल मेमोरी है, जो कम्प्यूटर में इस्तेमाल होता है. इसका इस्तेमाल स्मार्ट कार्ड और रिमोट चाभिरहित (Keyless) सिस्टम के लिए माइक्रोकंट्रोलर में एकीकृत किया जाता है.
अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जो अपेक्षाकृत कम मात्रा में डेटा स्टोर करते हैं, लेकिन अलग-अलग बाइट्स को मिटाने और फिर से प्रोग्राम करने की अनुमति देते हैं; में भी इसका इस्तेमाल होता है. इसे पराबैंगनी प्रकाश के संपर्क में लाकर मिटाया जा सकता है और फिर लिखा जा सकता है. इसलिए इसे अल्ट्रा वायलेट इरेज़ेबल प्रोग्रामेबल ROM (UVEPROM) के नाम से भी जाना जाता है.
B. सेकेंडरी मेमोरी (सहायक मेमोरी डिवाइस)
सेकेंडरी मेमोरी लंबे समय तक बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर करती है. इसमें डेटा को सीधे CPU द्वारा प्रोसेस नहीं किया जा सकता है. इसे प्रोसेसिंग के लिए पहले प्राइमरी मेमोरी (RAM) में ट्रांसफर किया जाता है.
सेकेंडरी स्टोरेज का इस्तेमाल डेटा और प्रोग्राम को स्टोर करने के लिए किया जाता है, जब उन्हें प्रोसेस नहीं किया जा रहा हो. इस प्रकार के कंप्यूटर मेमोरी नॉन-वोलेटाइल (Non – Volatile) होते है.
सेकेंडरी मेमोरी डिवाइस में शामिल हैं:
मैग्नेटिक डिस्क
- हार्ड डिस्क ड्राइव
- फ्लॉपी डिस्क
- मेमोरी स्टिक
ऑप्टिकल डिस्क
- सीडी
- डीवीडी
- ब्लू रे डिस्क
सॉलिड स्टेट डिस्क
- पेन/फ्लैश ड्राइव
मैग्नेटिक डिस्क
हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD)
यह हार्ड डिस्क, हार्ड ड्राइव या फिक्स्ड डिस्क एक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल डेटा स्टोरेज डिवाइस है. यह चुंबकीय स्टोरेज का उपयोग सुचना के भंडारण या उसके पुनर्प्राप्ति में करता है. इस कार्य के लिए यह चुम्बकीय सामग्री के साथ लेपित एक या अधिक तेजी से घूमने वाले प्लैटर का उपयोग करता है.
प्लेटर्स को चुंबकीय सिर के साथ जोड़ा जाता है, आमतौर पर एक चलती एक्ट्यूएटर आर्म पर व्यवस्थित किया जाता है, जो प्लेटर सतहों पर डेटा पढ़ता और लिखता है. डेटा को रैंडम-एक्सेस तरीके से एक्सेस किया जाता है. मतलब डेटा के अलग-अलग ब्लॉक को किसी भी क्रम में संग्रहीत और पुनर्प्राप्त किया जा सकता है. HDD एक प्रकार का गैर-वाष्पशील भंडारण है, जो बिजली चले जाने पर भी संग्रहीत डेटा को बनाए रखता है.
फ्लॉपी डिस्क
इस प्रकार का स्टोरेज डिवाइस है जो 20वीं सदी के अंत और 21वीं सदी की शुरुआत में बहुत लोकप्रिय था. यह आमतौर पर एक पतले प्लास्टिक की डिस्क के रूप में होता है, जो एक स्क्वायर केसिंग में बंद होती है. इसकी स्टोरेज क्षमता छोटी होती है, आमतौर पर 1.44 MB तक. यह स्टोरेज का पोर्टेबल प्रकार है, जिसके इस्तेमाल कंप्यूटर डेटा को स्टोर और ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है.
यह एक नरम चुंबकीय डिस्क है. इसे फ्लॉपी इसलिए कहा जाता है क्योंकि अगर आप इसे हिलाते हैं तो यह फ्लॉप हो जाती है (कम से कम, 5¼-इंच की किस्म ऐसा करती है). फ्लॉपी डिस्क के लिए डिस्क ड्राइव को फ्लॉपी ड्राइव कहा जाता है. हार्ड डिस्क की तुलना में फ्लॉपी डिस्क तक पहुँचना धीमा होता है और उनकी स्टोरेज क्षमता कम होती है. लेकिन ये बहुत कम खर्चीली होती हैं.
फ्लॉपी तीन बुनियादी आकारों में आती हैं:
- 8-इंच: यह पहली फ्लॉपी डिस्क डिज़ाइन है, जिसका आविष्कार IBM ने 1960 के दशक के अंत में किया था. 1970 के दशक की शुरुआत में पहले रीड-ओनली फ़ॉर्मेट के रूप में और फिर रीड-राइट फ़ॉर्मेट के रूप में इस्तेमाल किया गया. आम डेस्कटॉप/ लैपटॉप कंप्यूटर 8-इंच की फ्लॉपी डिस्क का उपयोग नहीं करता है.
- 5¼-इंच: इस प्रकार की फ्लॉपी आम तौर पर 100K और 1.2MB (मेगाबाइट) के बीच डेटा स्टोर करने में सक्षम होती है. सबसे आम आकार 360K और 1.2MB हैं.
- 3½-इंच: अपने छोटे आकार के बावजूद, इस माइक्रोफ्लॉपी में बड़ी भंडारण क्षमता होती है, 400K से 1.4MB डेटा तक. पीसी के लिए सबसे आम आकार 720K (डबल-डेंसिटी) और 1.44MB (हाई-डेंसिटी) हैं. मैकिन्टोश 400K, 800K और 1.2MB की डिस्क को सपोर्ट करता है.
मेमोरी स्टिक
मेमोरी स्टिक, जिसे USB फ्लैश ड्राइव या थम्ब ड्राइव भी कहते हैं, एक पोर्टेबल स्टोरेज डिवाइस है. इसे कंप्यूटर के USB पोर्ट में प्लग करके डेटा स्टोर और ट्रांसफर किया जा सकता है. मेमोरी स्टिक्स की स्टोरेज क्षमता बहुत भिन्न हो सकती है, जो आमतौर पर 1GB से लेकर कई टेराबाइट्स तक होती है.
मेमोरी स्टिक में कई फायदे हैं:
- पोर्टेबिलिटी: यह छोटे आकार के होते हैं, जिससे इन्हें आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है.
- यूज में आसान: इन्हें सीधे कंप्यूटर में प्लग इन किया जा सकता है और उपयोग करना बहुत सरल है.
- विभिन्न आकार और डिजाइन: ये विभिन्न डिजाइन और आकार में उपलब्ध होते हैं, जो आकर्षक और उपयोगी हो सकते हैं.
ऑप्टिकल डिस्क
कॉम्पैक्ट डिस्क
यह ऑप्टिकल डिस्क का सबसे लोकप्रिय और सबसे कम खर्चीला प्रकार है. एक सीडी डिजिटल ऑडियो के भंडारण के साथ-साथ डेटा स्टोरेज डिवाइस के रूप में उपयोग किया जाता है.
सीडी को तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
- CD-ROM (कॉम्पैक्ट – डिस्क – रीड ओनली मेमोरी): CD-ROM एक CD है जिसे ऑप्टिकल ड्राइव वाले कंप्यूटर द्वारा पढ़ा जा सकता है. शब्द के “ROM” भाग का अर्थ है कि डिस्क पर डेटा “केवल पढ़ने के लिए” है, या इसे बदला या मिटाया नहीं जा सकता है. इस विशेषता और बड़ी क्षमता के कारण, CD-ROM खुदरा सॉफ़्टवेयर के लिए एक बेहतरीन मीडिया फ़ॉर्मेट हैं.
- CD-R (कॉम्पैक्ट डिस्क रिकॉर्डेबल): इन डिस्क पर डेटा केवल एक बार लिखा जा सकता है. इन डिस्क में एक बार संग्रहीत डेटा को मिटाया नहीं जा सकता है.
- CD-RW (कॉम्पैक्ट डिस्क – रीवाइरटेबल): यह एक मिटाने योग्य डिस्क है. CD-RW का उपयोग फ़ॉर्मेट सुविधा के उपयोग से डिस्क पर कई बार लिखने के लिए किया जाता है.
डिजिटल वीडियो डिस्क (DVD)
इसका मतलब “डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क” है. इसका उपयोग डिजिटल डेटा संग्रहीत करने के लिए किया जाता है. यह आकार में CD के समान होता है, लेकिन संग्रहण क्षमता अधिक होती है. कुछ डीवीडी को खास तौर पर वीडियो प्लेबैक के लिए फ़ॉर्मेट किया जाता है. अन्य में अलग-अलग तरह के डेटा हो सकते हैं, जैसे कि सॉफ़्टवेयर प्रोग्राम और कंप्यूटर फ़ाइलें.
ब्लू-रे डिस्क
यह भी सीडी और डीवीडी के समान एक ऑप्टिकल डिस्क फ़ॉर्मेट है. इसे हाई-डेफ़िनेशन (एचडी) वीडियो रिकॉर्ड और प्लेबैक करने तथा बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर करने के लिए विकसित किया गया था. एक सीडी 700 एमबी और एक बेसिक डीवीडी 4.7 जीबी डेटा रख सकती है. लेकिन एक सिंगल ब्लू-रे डिस्क 25 जीबी तक डेटा रख सकती है. यहां तक कि एक डबल साइडेड, डुअल लेयर डीवीडी (जो आम नहीं हैं) केवल 17 जीबी डेटा रख सकती है. डुअल-लेयर ब्लू-रे डिस्क 50 जीबी डेटा स्टोर करने में सक्षम होगी.
चुंबकीय टेप
यह प्लास्टिक फिल्म-प्रकार की सामग्री से बना होता है. डेटा को स्थायी रूप से संग्रहीत करने के लिए इसपर चुंबकीय सामग्री लेपित होते हैं. इसमें डेटा को रिकॉर्ड करने के साथ-साथ पढ़ा भी जा सकता है. यह आमतौर पर 12.5 मिमी से 25 मिमी चौड़ा और 500 मीटर से 1200 मीटर लंबा होता है. ये डेटा को क्रमिक तरीके से संग्रहीत कर सकते हैं.
इसमें संग्रहीत डेटा सतह पर चुंबकीय और विचुंबकीय भाग के छोटे खंडों के रूप में होता है. चुंबकीय टेप टिकाऊ होते हैं. उन्हें लिखा, मिटाया और फिर से लिखा जा सकता है. चुंबकीय टेप अधिकतम डेटा रखते हैं, जिसे क्रमिक रूप से एक्सेस किया जा सकता है.
चुंबकीय टेप के प्रकार
मुख्य रूप से 1. टेप रील और 2 टेप कैसेट के रूप में चुंबकीय टेप के दो प्रकार हैं. प्रत्येक प्रकार की अपनी आवश्यकताएं होती हैं. नेटवर्क के लिए डिज़ाइन किए गए पुराने सिस्टम रील-टू-रील टेप का उपयोग करते हैं. नए सिस्टम बड़े रील की तुलना में अधिक डेटा रखने वाले कैसेट का उपयोग करते हैं.
कैश मेमोरी (Cashe Memory)
कैश मेमोरी एक छोटी, अस्थिर और तेज़ कंप्यूटर मेमोरी है. इसका उपयोग प्रोग्राम, एप्लिकेशन और डेटा को स्टोर करके CPU को हाई-स्पीड डेटा एक्सेस प्रदान करने में होता है. यह मुख्य मेमोरी से डेटा एक्सेस करने में लगने वाले समय को कम करता है. कैश मेमोरी मदरबोर्ड पर स्थापित होती है और प्रोसेसर के साथ सीधे जुड़ी होती है, जिससे डेटा रिट्रीवल और प्रोसेसिंग अधिक कुशल बनाती है.
प्राथमिक, कैश और द्वितीयक मेमोरी के बीच अंतर
पैरामीटर | प्राथमिक मेमोरी | कैश मेमोरी | माध्यमिक मेमोरी |
---|---|---|---|
परिभाषा | प्राथमिक मेमोरी वह कंप्यूटर मेमोरी है जिसे प्रोसेसर या कंप्यूटर पहले या सीधे एक्सेस करता है. | कैश मेमोरी अक्सर उपयोग किये जाने वाले निर्देशों और डेटा को अस्थायी रूप से संग्रहीत करती है. | द्वितीयक मेमोरी अस्थिर एवं स्थायी प्रकृति की होती है तथा कंप्यूटर/प्रोसेसर द्वारा सीधे उस तक पहुंच नहीं होती. |
सीपीयू के साथ निकटता | दूर | करीब | दूर |
रफ़्तार | धीमा | तेज | धीमा |
लागत | उतना महंगा नहीं | महँगा | प्राथमिक से कम महंगा |
क्षमता | अधिक | कम | पर्याप्त |
मेमोरी प्रबंधन
कम्प्यूटर मेमोरी के स्टोरेज डिवाइस के क्षमता को मैंने के लिए कई मानक इकाई है. इससे हम ये जानते है कि कोई डिवाइस कितना डाटा संगृहीत कर सकता है. इसकी सबसे छोटी इकाई बिट (Bit) होता है. एक बाइनरी नंबर, 0 या 1 को स्टोर करने स्टोरेज डिवाइस में खपत हुआ स्थान ही बिट है.
4 बिट मिलकर एक निबल (Nibble) बनाते है. दो निबल या 8 बिट मिलकर एक बाइट (Byte) बनाते है. इसी क्रम में कम्प्यूटर मेमोरी के सभी इकाई नीचे दिए गए है:
कंप्यूटर मेमोरी माप की इकाइयाँ
- 1 बिट = बाइनरी डिजिट
- 8 बिट = 1 बाइट = 2 निबल
- 1024 बाइट्स = 1 KB (किलो बाइट)
- 1024 KB = 1 MB (मेगा बाइट)
- 1024 MB = 1 GB(गीगा बाइट)
- 1024 GB = 1 TB(टेरा बाइट)
- 1024 TB = 1 PB(पेटा बाइट)
- 1024 PB 1 EB(एक्सा बाइट)
- 1024 EB = 1 ZB(ज़ेटा बाइट)
- 1024 ZB = 1 YB (योटा बाइट)
- 1024 YB = 1 (ब्रोंटो बाइट)
- 1024 ब्रोंटोबाइट = 1 (जियोप बाइट)
इस प्रकार, बिट सबसे छोटी और जियोप बाइट सबसे बड़ी मेमोरी माप इकाई है.