छोड़कर सामग्री पर जाएँ

चिट फंड और इसके नियम

    आम लोग अपने बचत में बढ़ोतरी के लिए कई प्रकार के निवेश करते है. लोग बचत खाते, शेयर बाजार व चिट फंड में निवेश करते है. अक्सर लोग चिट फंड को अंग्रेजी के चीट (Cheat – धोखा) शब्द से जोड़ देते है. लेकिन, चिट (Chit) का मतलब कच्चा चिटठा होता है. परीक्षाओं में नक़ल के दौरान पकड़े गए रद्दी कागजातों को भी चिट कहा जाता है.

    Contents show

    क्या है चिट फंड? (What is Chit Fund in Hindi)

    चिट फंड भारत में प्रचलित एक प्रकार की बचत योजना ह. चिट फंड के कई प्रकार होते है, जिनमें ख़ास उद्देश्य से बचत का निवेश किया जाता है. कई बार, इन फंडों का इसके प्रमोटरों द्वारा दुरुपयोग भी किया जाता है. भारत में चिट फंड संस्थापकों के धोखाधड़ी से जुड़े कई मामले है. इन्होंने पोंजी स्कीम चलाकर लोगों का धन हड़पा और फिर फरार हो गए.

    भारतीय कानून में चिट फंड अधिनियम 1982 की धारा 2, (बी) में इसका वर्णन है. चिट का अर्थ एक प्रकार का लेन-देन है जिसे चिट, चिट्टी, चिट फंड, या किसी अन्य या अलग-अलग नामों का निवेश होता है. इसमें सहमत लोगों का समूह किसी ख़ास योजना के लिए निवेश करते है. इसमें निश्चित रकम एक बार या हरेक साल, महीने या दिन में जमा करने होते है. निवेश के नीलामी से प्राप्त लाभ से सदस्यों में निवेश के अनुपात में वितरित किया जाता है.

    चिट फंड का इतिहास (History of Chit Fund in Hindi)

    मूलरूप से चिट फंड भारतीयों के दिमाग की उपज है. चिट फंड की अवधारणा 1000 से अधिक साल पहले विकसित हो गई थी. शुरू-शुरू में यह समुदायों के भीतर व्यापारियों और परिवारों की एक अनौपचारिक संघ के रूप में था. इसमें, सदस्यों को कार्यकाल के अंत में एक संचित राशि मिलता था. बदले में कुछ पैसे का योगदान, इससे पहले ही कई किस्तों में करना पडता था.

    इसका शुरुआत केरल के मालाबार तट से माना जाता है. शुरुआत में किसान, चिटफंड में पैसे की जगह अनाज जमा करते थे और जरूरतमंद परिवार को मदद मिल जाती थी. लेकिन, आज के वक्त में अनाज के जगह मुद्रा आ गया है.

    चिटफंड के लिए भारत की दुनिया में तारीफ भी हुई है. एडिथ जेमिमा सिम्कोस् ने अपने किताब में लिखा है, “मालाबार कुरी ‘ प्रणाली प्राचीन द्रविड़ काल से अस्तित्व में है. यह कुछ हद तक चीनी प्रणालियों के समान है.” दरअसल, चीन की लॉटरी आज भी उसी नाम से लोक प्रिय है.

    राजा राम वर्मा के काल में ही चिटफंड अस्तित्व में आया था. धीरे-धीरे यह देश के अन्य हिस्सों में फैल गया. फिर यह श्रीलंका और म्यांमार जैसे हमारे पड़ोसी मुल्कों में भी फ़ैल गया. लेकिन, इसकी प्रणाली व्यवस्थित रूप से 1830 से 1835 के बीच शुरू हुआ था. इस वक्त कलडीन सीरियाई चर्च अपने नाम के तहत कुरीज (Kuries) शुरू कर दिया और नामांकन के सबूत के रूप में ग्राहकों को पासबुक जारी किए गए.

    विभिन्न इलाकों में नामकरण

    तमिल में शब्द ‘चिट ‘ और ‘चिट्टि’; मलयालम के ‘कुरी ‘ का पर्याय बन गया है. इसका अर्थ “कागज का टुकड़ा” है. आंध्र प्रदेश में यह चीटी के नाम से जाना जाता है. तमिलनाडु में चिटफंड के प्रजनक मोय मुरै के रूप में जाने जाते हैं. मोय पद का मतलब ‘कॉल मनी जमा’ और मुरै का मतलब है ‘रिवाज’ होता है.

    चिट फंड से जुड़े कानून (Laws for Chit Fund in Hindi)

    भारत में, चिट फंड आम तौर पर विभिन्न राज्य या केंद्रीय कानूनों द्वारा शासित होते हैं. इनमें निम्न कानून शामिल है-

    1. केंद्र सरकार- चिट फंड अधिनियम 1982
    2. केरल-केरल चिट्टी अधिनियम 1975
    3. तमिलनाडु- तमिलनाडु चिट फंड अधिनियम, 1961
    4. कर्नाटक- चिट फंड (कर्नाटक) नियम, 1983
    5. आंध्र प्रदेश- आंध्र प्रदेश चिट फंड अधिनियम, 1971
    6. नई दिल्ली- चिट फंड अधिनियम, 1982 और दिल्ली चिट फंड अधिनियम, 2007 के नियम
    7. महाराष्ट्र- महाराष्ट्र चिटफंड अधिनियम 1975
    8. केन्द्रीय अधिनियम की धारा १२ (२) के अनुसार चिट – फंड कंपनी को अन्य किसी भी प्रकार का कारोबार करने पर प्रतिबन्ध है.

    चिटफंड अमेंडमेंट एक्ट, 2019 (Chit Fund Amendment Act, 2019)

    चिटफंड अमेंडमेंट बिल, 2019 को बड़ी संख्या में उजागर हो रहे चिट फंड घोटालों को रोकने के उद्देश्य से लाया गया था. इसी वक्त शारदा चिटफंड व इसके जैसे कई अन्य घोटाले सामने आए थे. इस संसोधन के माध्यम से जहाँ पंजीकृत कंपनियों के लिए चिटफंड कारोबार सुगम किया गया है; वहीं सब्सक्राइबर के हितों की रक्षा के लिए भी कई प्रावधान किए गए है.

    यह संसोधन चिट फंड एक्ट-1982 में किया गया है. संसोधन में पुराने कानून के कई प्रावधान हटा दिए गए है; और नए प्रावधान जोड़े गए है. इसमें निवेश का बीमा का प्रावधान भी किया गया है.

    इन कानूनों के अनुसार कई रिश्तेदार या दोस्त मिलकर कोई चिटफंड ग्रुप चला सकते हैं. लेकिन, इसे बड़े कॉर्पोरेट के रूप में चलाया जाने लगा. इससे कारोबार की लागत काफी बढ़ गए. इसके बाद कई कंपनियों का दिवाला निकल गया व घपले भी सामने आए.

    ऐसे कंपनियों ने खासकर बिहार, झारखंड व उत्तर प्रदेश जैसे गरीब व अशिक्षित राज्यों को निशाना बनाया था. कई कम्पनियाँ आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और त्रिपुरा में स्थापित की गई थी. यह चिट फंड के मौलिक अवधारणा के खिलाफ था.

    चिट फंड के तथ्य और आंकड़े (Chit Fund Facts and Data)

    • भारत में 15,000 से अधिक चिट फंड समूह कार्यरत है. इनमें केवल एक प्रतिशत को पेशेवर; व्यापार इकाई के रूप में इसे चलाते हैं.
    • केरल राज्य की चिट फंड कंपनी का नाम “केरल राज्य वित्तीय उद्यम कंपनी” है. यह पुरे राज्य में काम करती है.
    • भारत में चिट फंड का प्रयोग मुख्य रूप से शादी, संपत्ति और खरीदी, वाहन खरीदी, परिसंपत्तियों की खरीदी, उपभोक्ता अल्पजीवी वस्तुओं आदि के लिए किया जाता है.
    • कोई भी कम्पनी 10 लाख रुपए से अधिक का चिट उपलब्ध नहीं करवाती है.

    चिट फंड के प्रकार (Types of Chit Fund in Hindi)

    भारत में मुख्य रूप से तीन प्रकार के चिटफंड पाए जाते है-

    भारतीय राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे चिट फंड (State run Chit Fund in Hindi)

    राज्य सरकारें भी कुछ चिट फंड योजनाएं चलाती है. उदाहरण के लिए, (केएसएफई) केरल राज्य वित्तीय उद्यम और (एमएसआईएल) मैसूर सेल्स इंटरनेशनल लिमिटेड पीएसयू हैं जो उस चिट फंड व्यवसाय को पारदर्शीता और सादगी से चलाते हैं.

    निजी पंजीकृत चिट फंड

    कई पंजीकृत निजी चिटफंड भी भारत में कार्यरत हैं. हैदराबाद स्थित मार्गदारसी चिट फंड, रामोजी राव समूह का हिस्सा, या श्रीराम समूह के श्रीराम चिट व्यापारिक घरानों द्वारा चलाए जाते हैं. कुछ सहकारी समितियां भी चिट फंड चलाती हैं.

    अपंजीकृत चिट फंड

    कई अपंजीकृत चिटफंड भी पाए जाते हैं. गैरकानूनी होने के कारण इनका पंजीकरण नहीं हो पाता है. ऐसे चिट फंड में निवेश से बचना चाहिए. धोखाधड़ी के स्थिति में ऐसे कंपनियों से रकम वापस पाना मुश्किल होता है. इनके संचालक अक्सर पैसे लेकर चम्पत हो जाते है. ऐसे चिट फंड में आमतौर पर सहकर्मी, करीबी दोस्त, रिश्तेदार या पड़ोसी शामिल होते हैं.

    संचालन के अनुसार चिट फंड

    कई बार संचालन के विधि के अनुसार भी चिट फंड को वर्गीकृत किया जाता है. इनके तीन प्रकार है-

    सरल चिट

    यह चिट फंड का सबसे पुराण रूप है. इसमें सभी सदस्यों द्वारा योगदान दिया जाता है. किसी क़िस्त में प्राप्त राशि भी ऋण के रूप में लाटरी के द्वारा सदस्यों को दे दिया जाता है. इसमें आयोजनकर्ता को कमीशन भी मिलता है.

    व्यापार चिट

    यह आम तौर पर औद्योगिक घरानों या सरकारों द्वारा चलाए जाने वाली चिटफंड योजना होती है. इसमें पूर्व-निर्धारित मूल्य और अवधि होती है.

    पुरस्कार चिट

    यह लॉटरी चिट के रूप में भी जाना जाता है. इसमें किस्तों में सदस्यों को भुगतान करना होता है. नियमित अंतराल पर, एक लक्की ड्रा आयोजित किया जाता है. विजेता को उसका पुरस्कार तत्काल वस्तु के रूप में भुगतान कर दिया जाता है.

    पुरस्कार का विजेता इसका सदस्य नहीं रहता है. वह आगे की किस्तों का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं होता है. गैर- विजेता सदस्य अंतिम किस्त का भुगतान के वक्त, अपनी सदस्यता के साथ साथ एक नाममात्र ब्याज वापस प्राप्त करने के हकदार होते है. इस तरह, पहले ड्रा में भाग्यशाली व्यक्ति को अधिक से अधिक लाभ हो जाता है.

    चिट फण्ड कम्पनियाँ पैसा कहाँ निवेश करतीं हैं?

    हाल के समय में चिट फंड के निवेश का तरीका बदला है. अब इससे जुडी कंपनियां होटल कारोबार, रियाल एस्टेट, शेयर मार्केट, पर्यटन, मीडिया व फिल्म, अखबार व बांड जैसे माध्यमों में निवेश करती है.

    यह कम्पनियाँ नए और प्रचलित प्राद्यौगिकी में निवेश करना भी पसंद करती है.

    चिट फंड के सफलता का राज (Success secret of Chit Fund in Hindi)

    अक्सर, चिट फंड कम्पनियाँ अपने कारोबार का विस्तार विशाल एजेंटों के नेटवर्क से करती है. ऐसे एजेंटों को अच्छे आमदनी व भविष्य का वादा भी किया जाता है. साथ ही, एजेंटों का नेटवर्क तैयार करने के लिए भी एजेंटों को कमीशन प्रदान की जाती है.

    सुविधाजनक (Easy)

    • यह बचत के लिए लचीला है.
    • अन्य वित्तीय योजनाओं की तुलना में चिट फंड सस्ता होता है.
    • चिट-फंड कंपनियों में शामिल होने के लिए किसी नीति की आवश्यकता नहीं है.
    • विवाद की स्तिथि में मध्यस्थता की लागत सबसे कम होती है.

    चिट में निवेश के फायदे (Benefits of Investing in Chit Fund in HIndi)

    • यह भविष्य की जरूरत पूरा करने और निवेश; दोनों मकसद को पूरा करने में मददगार होता है.
    • आपात स्थिति में पैसा निकाला जा सकता है. इसे निवेश के रूप में भी जारी रखा जा सकता है.
    • ग्राहक ब्याज दर निर्धारित करते है. यह आपसी निर्णयों पर आधारित है. यह एक नीलामी से दूसरी नीलामी में अलग-अलग होता है.

    चिट फंड के लाभ (Benefits of Chit Fund in Hindi)

    • बैंकों व साहूकारों के तुलना में चिट फंड से लिया गया कर्ज सस्ता होता है. इनका ब्याजदर अपेक्षाकृत कम होता है. केवल पहली किस्त का भुगतान करके चिट मूल्य का 70% तक उधार लिया जा सकता है.
    • असंगठित आर्थिक समूहों या जरूरतमंद लोग अपने नकदी प्रवाह और अप्रत्याशित व्यय के बारे में अनिश्चित होते है. यह ऐसे लोगों के लिए मददगार होता है.
    • चिट फंड को अपने सदस्यों से आसानी से वित्त मिल जाता है.
    • इससे जुड़ना आसान होता है.
    • यह एजेंटों द्वारा डोर टू डोर संग्रह को बढ़ावा देता है.
    • यह छोटी जमा योजनाएं प्रदान करता है. इसलिए, इससे गरीब व निम्न आय वर्ग के लोग अधिक संख्या में जुड़ते है.
    • किसी भी अप्रत्याशित वित्तीय आवश्यकता के लिए; ग्राहक एकमुश्त राशि के लिए नीलामी में बोली लगा सकते हैं. यह जमाकर्ताओं के लिए काफी फायदेमंद होता है.

    चिट फंड के नुकसान (Disadvantages of Chit Fund in Hindi)

    • आपकी बचत से आयोजक को बहुत अधिक लाभ होता है.
    • बचत को बहुत कम सुरक्षा मिलती है.
    • किसी भी निश्चित रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती है.

    चिट फण्ड में पैसा क्यों फंस जाता है?

    ऐसी कम्पनियाँ एजेंटों का नेटवर्क तैयार करने के लिए पिरामिड की तरह काम करती है. इस तरह एजेंटों का विशाल नेटवर्क तैयार हो जाता है. इससे, एक बड़ी रकम कमीशन के रूप में बंट जाती है; और निवेश के लिए काफी कम रकम बचती है.

    Chit fund scam media coverage hindi
    चिटफंड धोखाधड़ी की मीडिया कवरेज

    असफल कंपनी में, शुरूआती निवेशकों को स्कीम के परिपक्वता पर नए निवेशकों से प्राप्त धनराशि वितरित की जाती है. लेकिन, बड़े रकम के वितरण की स्तिथि में चिट फंड कंपनी के पास धन का अभाव हो जाता है. ऐसे में चिट फंड कंपनी का दिवाला निकल जाता है. साथ ही, निवेशकों का रकम भी डूब जाता है.

    चिट फंड क्यों सफल हो जाता है? (Success of Chit Fund Companies in Hindi)

    इस तरह के कंपनियों के एजेंट अपने परिचितों, पड़ोसियों व रिश्तेदारियों से बचत का निवेश करवाते है. कई बार रिश्ते की आड़ में भी धोखाधड़ी की शिकायत नहीं होती है. साथ ही, एक एजेंट अपने परिचितों व दोस्तों को एजेंट बनाते जाता है; और कंपनी का विस्तार हो जाता है. इसमें कम्पनी द्वारा एजेंटों और निवेशकों से की गई लोकलुभावन रकम भी मददगार होती हैं.

    चिट फंड में सुरक्षा (Safety in Chit Fund)

    • इन-वॉयस बेस्ड फंड और पंजीकृत फंडों को चुनने में बचत सुरक्षित रहता है.
    • इनवॉइस फंड कंपनी में की भुगतान की कानूनी बाध्यता होती है. यह इनवॉइस फंड अधिनियम द्वारा विनियमित होती है.
    • चिट विजिलेंस सेल- चिट फंड कंपनियों द्वारा अनाधिकृत चिटों में कारोबार और अनियमितताओं का पता लगाने के लिए चिट विजिलेंस सेल का गठन किया गया है. इसके अध्यक्ष अतिरिक्त चिट रजिस्ट्रार होते है.
    • इसलिए इसे सुरक्षित माना जा सकता है.

    चिट फंड कैसे काम करता है (How do Chit Fund work in Hindi)

    • एक चिट योजना में आम तौर पर एक पूर्व निर्धारित मूल्य और अवधि होती है.
    • प्रत्येक योजना एक विशेष संख्या में सदस्यों को स्वीकार करती है. ये सदस्य अपने हिस्से का रकम हर महीने योगदान करते है.
    • हर महीने प्राप्त रकम की नीलामी की जाती है. बोली निश्चित समय के लिए लगाई जाती है. उसके बाद बोली का कुल मूल्य वापस चुकाना होता है.
    • मान ले, 10 सदस्यों ने 50-50 रूपये जनवरी में जमा किए. योजना इसी साल के दिसंबर माह तक के लिए है. सदस्यों द्वारा कुल जमा राशि 500 रूपये है. अब इसकी बोली लगाईं जाती है. मान ले किसी ने इस बोली को 1200 रूपये में जीता. तो 500 रूपये की राशि बोली विजेता को दे दी जाती है. फिर इसी साल के दिसंबर में उसे बोली का रकम, यानि 1200 रूपये चिटफंड को वापस करना होगा.
    • चिटफंड के अवधि के अंत में, बोली या छूट की राशि अन्य सदस्यों के बीच वितरित की जाती है.
    • भुगतान में देरी या सदस्यों की ओर से चूक की स्थिति में चिटफंड आयोजक पैसा वापस की गारंटी देता है.

    चिटफंड में निवेश से पहले की चेकलिस्ट (Checklist before investing in Chit Fund)

    1. ज्‍यादा रिटर्न का वादा : कई चिट फंड कंपनियां बड़े रिटर्न का वादा करती है. लेकिन, कई बार चक्र पूरा होने के बाद ही इसका गणना संभव हो पाता है. इसलिए, बड़े वैसे और सपने दिखाने वाले चिट फंड में निवेश से बचें.
    2. डिपॉजिट की इजाजत नहीं : चिटफंडों को डिपॉजिट की अनुमति नहीं है. लिहाजा, ऐसी स्‍कीम जिसमें ठीकठाक रिटर्न मिल भी रहा है, उससे बचना चाहिए.
    3. राज्‍य में पंजीकृत होना जरुरी : किसी भी चिट फंड योजना को उसी राज्य में चलाया जा सकता है जहाँ यह निबंधित है. एक कंपनी कई राज्यों में भी पंजीकरण करवा सकती है.
    4. मेंबर जोड़ने के लिए कमीशन : चिट फंड के मौलिक अवधारणा में नए एजेंट व सदस्य बनाने के बदले में कमीशन का प्रावधान नहीं है. यदि कोई कम्पनी ऐसा कर रही है तो उसमें निवेश से बचे.
    5. नियम को अपने अनुसार बदलना : कुछ चिट फंड अपने काबिल सदस्यों को भविष्‍य की किस्‍तों को देने से छूट देते हैं. यह गैर-कानूनी है.
    6. ऑनलाइन चिट : कुछ चिट फंड ऑनलाइन निवेश और खरीद-फरोख्‍त की सुविधा देते हैं. हालांकि, ऐसी कंपनियों के ब्‍योरे को सत्‍यापित करना मुश्किल होता है. इनसे ऑनलाइन फ्रॉड का भी खतरा होता है.

    सब्‍सक्राइबर के तौर पर आपके अधिकार (Your Rights as a Subscriber)

    -किस्‍त के भुगतान की कॉपी पाने का आपको हक है.
    -नीलामी और बोली के दौरान उसमें उपस्थित रहने का अधिकार.
    -विवाद के मामले में मध्‍यस्‍थता का अधिकार.
    -चिट के रिकॉर्ड को देखने का अधिकार.

    चिट फंड की वास्तविकता (Reality of Chit Fund)

    वित्त के अन्य स्रोतों की तुलना में चिट फंड बहुत महत्वपूर्ण और बेहतर हैं. चिट, समुदाय के लोगों को पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने में मदद कर सकता है. लेकिन, निर्दोष जनता को चिट कंपनियों द्वारा ठगे जाने से बचाने के लिए, विभाग द्वारा समय-समय पर जाँच की जानी चाहिए. अनाधिकृत चिटों के संचालन पर निबंधन विभाग के अधिकारी कड़ी नजर रखे हुए हैं. विभाग को धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. तभी चिट फंड में लोगों का भरोसा जग पाएगा.

    आज के समय में जनता में जागरूकता का अभाव होता है. संचार व यातायात के कारण देश और दुनिया का सम्पर्क काफी बढ़ गई है. इसलिए, अधिक लोग बिहिसाब अमीरी से वाकिफ हुए है. अब लोगों में खुद को अमीर बनाने का लालच व लालसा बढ़ रहा है. इसलिए, वे चिट फंड के नाम पर चलाए जा रहे ठगी गिरोह का आसानी से शिकार हो जाते है.

    जनता में वित्तीय व निवेश से संबंधित जानकारी व शिक्षाओं का विस्तार करके भी चिट फंड के वास्तविकताओं से उन्हें वाकिफ करवाया जा सकता है. इससे जहाँ वे धोखाधड़ी से बचेंगे; वहीं निवेश से प्राप्त लाभ से वे अमीर भी बनेंगे.

    प्रातिक्रिया दे

    आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *