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सरकारी बजट: अर्थ, घटक, उद्देश्य और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव | Government Budget: Meaning, Components, Objectives and Impact on the Economy
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सरकारी बजट: अर्थ, घटक, उद्देश्य और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

सरकारी बजट किसी भी अर्थव्यवस्था के संचालन और दिशा निर्धारण में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है. यह केवल एक वित्तीय दस्तावेज नहीं है, बल्कि सरकार का एक महत्वपूर्ण नीतिगत घोषणापत्र है जो देश की आर्थिक प्राथमिकताओं और सामाजिक उद्देश्यों को दर्शाता है. यह एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च तक) के लिए सरकार […]

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भारत में भूमि सुधार: औपनिवेशिक व्यवस्था, आजादी के बाद और अब
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भारत में भूमि सुधार: औपनिवेशिक व्यवस्था, आजादी के बाद और अब

भारत में भूमि सुधार का प्राथमिक लक्ष्य भूमि वितरण को अधिक न्यायसंगत बनाना है. स्वतंत्रता के बाद, सरकार ने भूमि सुधारों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल किया. इसका मुख्य कारण ज़मींदारी प्रथा और असमान भूमि वितरण के कारण किसानों में व्यापक शोषण और गरीबी दूर करना था.  इसका व्यापक उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी

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जनसंख्या वृद्धि का कारण, प्रभाव और सिद्धांत
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जनसंख्या वृद्धि का कारण, प्रभाव और सिद्धांत

जनसंख्या वृद्धि किसी भी देश या वैश्विक स्तर पर लोगों की संख्या में समय के साथ होने वाली बढ़ोतरी है. यह जन्म दर, मृत्यु दर और प्रवास जैसे कई कारकों से प्रभावित होती है. आज यह एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है. इसके दूरगामी सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय परिणाम सामने आ रहे हैं.

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भारत का सहकारिता आंदोलन, उद्भव, विकास, स्तर और गुण-दोष
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भारत का सहकारिता आंदोलन, उद्भव, विकास, स्तर और गुण-दोष

भारत में सहकारिता आंदोलन की शुरुआत औपनिवेशिक काल में हुई, जब 1904 में सहकारी ऋण समिति अधिनियम पारित हुआ. इसका उद्देश्य किसानों को साहूकारों के शोषण से बचाना था. यह आंदोलन यूरोपीय मॉडल, विशेष रूप से जर्मनी के रायफाइज़न मॉडल से प्रेरित था. वैश्विक सहकारी आंदोलन की नींव 1844 में रोशडेल पायनियर्स ने लंकाशायर, इंग्लैंड

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मानव विकास सूचकांक (HDI) की अवधारणा, इतिहास और भारत
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मानव विकास सूचकांक (HDI) की अवधारणा, इतिहास और भारत

मानव विकास सूचकांक (HDI) एक संयुक्त सूचकांक है, जो किसी देश के मानव विकास की औसत उपलब्धियों को तीन आधारभूत आयामों के आधार पर मापता है. ये आयाम हैं: (i) दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन,  (ii) ज्ञान प्राप्त करना, और  (iii) शिष्ट व शालीन जीवन जीना.  इनका मापन निम्नलिखित तरीकों से होता है:  मानव विकास सूचकांक:

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आपूर्ति का अवधारणा, प्रभावित करने वाले कारक और अपवाद | Concept and Rule of Supply
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आपूर्ति का अवधारणा, प्रभावित करने वाले कारक और अपवाद

पूर्ति या आपूर्ति (Supply) से तात्पर्य उस वस्तु की मात्रा से है, जिसे विक्रेता एक निश्चित समय और निश्चित कीमत पर बाजार में बेचने को तैयार हो. उदाहरण: “बाजार में 1,000 क्विंटल गेहूँ की पूर्ति” कहना अपूर्ण है, क्योंकि इसमें समय और कीमत का उल्लेख नहीं है. लेकिन “आज 250 रु./क्विंटल पर 1,000 क्विंटल गेहूँ

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भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ और खामियां | Features, merits and demerits of indian economy in hindi for UPSC and State PCS mains
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भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ और खामियां

भारतीय अर्थव्यवस्था की में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है. वर्तमान में भारत  3.94 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकिन, सर्वाधिक जीडीपी वाले शीर्ष के 10 देशों में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय भारत की है. भारत और चीन, दोनों देशों को आधिक्य आबादी वाला देश माना जाता

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भारत में कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और सफेदपोश अपराध | Corporate Fraud and White-Collar Crime in India
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भारत में कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और सफेदपोश अपराध

वित्तीय क्षेत्र में कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और सफेदपोश अपराधों (White Collar Crimes) का खबर आम होता जा रहा है. इस प्रकार के अपराध में हिंसा और शारीरिक नुकसान की कमी होती है. लेकिन ये अर्थव्यवस्थाओं, व्यवसायों और व्यक्तियों को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाते हैं.  इसी तथ्य को ध्यान में रखकर, इस लेख में डिजिटल युग में कॉर्पोरेट

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समष्टि अर्थशास्त्र: परिभाषा, अवधारणा, महत्व, समस्या और सीमाएं | Macroeconomics: Definition, Concepts, Significance, Problems and Limitations in Hindi Concept Clear for UPSC State PCS JRF and other Competitive Examinations
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समष्टि अर्थशास्त्र: परिभाषा, अवधारणा, महत्व, समस्या और सीमाएं

समष्टि अर्थशास्त्र (Macroeconomics) संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है जैसे कि राष्ट्रीय आय, राष्ट्रिय बचत, जीडीपी इत्यादि. दूसरी तरफ, व्यष्टि अर्थशास्त्र (Microeconomics) व्यक्तिगत स्तर पर आर्थिक समस्याओं को समझने पर ध्यान केंद्रित करता है, जैसे किसी एक परिवार, फर्म, उद्योग या बाजार की आर्थिक स्थिति. समष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ (Meaning

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उद्यमिता का अर्थ, सिद्धांत, प्रकार, उद्देश्य और महत्व | Meaning of Entrepreneurship, Types, Importance, Objectives, Nature in Hindi Concept Clear for UPSC and State PCS Explained
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उद्यमिता का अर्थ, सिद्धांत, प्रकार, उद्देश्य और महत्व

उद्यमिता का तात्पर्य उस आर्थिक क्रिया से है जो बाजार में व्याप्त सम्भावनाओं को पहचान करता है. एक उद्यमी में अपने व्यवसाय एवं उद्योग में निहित विभिन्न अनिश्चितताओं एवं जोखिम का सामना करने की योग्यता एवं प्रवृत्ति होती है. उद्यमिता लोगों में नए प्रयोग, अनुसंधान और उपयोगिता सृजन की योग्यताएं विकसित कर समाज में रोजगार

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