कम्प्यूटर के इनपुट डिवाइस का उपयोग कम्प्यूटर के उपयोगकर्ता (user) और कम्प्यूटर के मध्य संपर्क स्थापित करने में किया जाता हैं.
इनपुट डिवाइस के काम
हम कंप्यूटर को निर्देश मानवीय भाषा में देते है. लेकिन यह सिर्फ बाइनरी भाषा (0 या 1) को समझता है. इनपुट डिवाइस हमारे मानवीय निर्देशों को कंप्यूटर के मशीनी भाषा में बदलकर उसके प्रोसेसर तक पहुंचा देता है. इस तरह इनपुट डिवाइस सुचना प्रवाह को सुगम बनाता है. आगे हम प्रमुख इनपुट डिवाइस के बारे में जानेंगे.
इनपुट डिवाइस (Input Devices in Hindi)
यह एक विद्युत् यांत्रिक यंत्र हैं, जो लिखित पाठ (Text), आवाज, चित्र, वीडियो, या सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को हमसे ग्रहण कर कंप्यूटर को प्रदान करता है. चूँकि ये संदेश मानवीय रूप में होते है, इसलिए यह इन्हें बाइनरी भाषा में बदलकर कंप्यूटर के सीपीयू (प्रोसेसर) तक पहुँचाता है.
इनपुट डिवाइस के प्रकार
इसके मुख्य प्रकार निम्नलिखित है:
- कीबोर्ड
- माउस
- टचस्क्रीन
- ट्रैकपैड
- स्कैनर
- माइक्रोफोन
- वेबकेम
- स्टाइलस
- जॉयस्टिक
- बार कोड रीडर
- पंच कार्ड रीडर
- ऑप्टिकल मार्क रीडर
- ऑप्टिकल करैक्टर रीडर या रिकग्निशन
- ग्राफ़िक्स टेबलेट
- फिंगरप्रिंट स्कैनर
- रिमोट कण्ट्रोल
- लाइट पेन
- मीकर (MICR)
- स्पीच रिकग्निशन सिस्टम
- इलेक्ट्रॉनिक कार्ड रीडर
1. कीबोर्ड (Keyboard)
कीबोर्ड कंप्यूटर का प्राथमिक इनपुट डिवाइस है. इससे टेक्स्ट, नंबर और अन्य कमांड के माध्यम कम्प्यूटर को इनपुट दिया जाता है. इसका उपयोग माउस की तरह एक पॉइंटर के रूप में भी किया जा सकता है. इस युक्ति में कुंजियों का सेट होता है. इसमें सामान्यतः 100 से 108 कुंजी या बटन होते है.
यह पीएस-2 या प्लगइन स्टेशन-2 पोर्ट के माध्यम से कंप्यूटर से जुड़ा रहता है. लेकिन अब यह यूएसबी (Universal Serial Bus) पोर्ट द्वारा भी जुड़ता है. साथ ही, वायरलेस कीबोर्ड भी आ गए है, जो ब्लूटूथ तकनीक से कम्प्यूटर के साथ सम्पर्क स्थापित करता है.
एक कीबोर्ड के कुंजियों में सामान्यतः निम्नलिखित हिस्से शामिल होते हैं:
(1) अल्फ़ान्यूमेरिक कुंजियाँ: ये कुंजियाँ कीबोर्ड के बाए भाग के मध्य में टाइपराइटर के बटन के सामान व्यवस्थित होते है. इनमें अक्षर, संख्याएँ और विराम चिह्न शामिल होते है. इनमें अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर (A से Z) और संख्याएं (0 से 9) होते है. व्याकरण के कुछ विराम – ‘.,”;:.>,<[{]} =+-_ और विशेष-!@#$%^&*()₹ चिन्ह भी इसी हिस्से में शामिल होते है. इसका इस्तेमाल अल्फान्यूमेरिक डाटा डालने तथा वर्ड-प्रोसेसिंग में होता है.
(2) फ़ंक्शन कुंजियाँ: कम्प्यूटर के शीर्ष स्थितF1 से F12 तक की कुंचियाँ फंक्शन कीज़ कहलाते है. वे सॉफ़्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम के आधार पर विशिष्ट कार्य करते हैं. हरेक फंक्शन की एक पुरे आदेश के समान होता है और इसे दबाते ही यह अपना कार्य कर देता है. कुछ कीबोर्ड विशिष्ट कार्यों या शॉर्टकट के लिए इन कुंजियों को अनुकूलित करने की भी अनुमति देते हैं. इससे समय की काफी बचत होती है. इनके सामान्य उपयोग नीचे दिए गए है:
- F1: सहायता: यह कई प्रोग्राम में सहायता स्क्रीन को खोलता है. Windows ओएस में यह Microsoft Windows सहायता सहायता केंद्र खोलता है.
- F2: Windows में चयनित फ़ाइल या फ़ोल्डर का नाम बदलता है. Excel में सक्रिय (active) सेल को संपादित करता है.
- F3: यह Windows Explorer सहित कई एप्लिकेशन में खोज सुविधा खोलता है. कमांड प्रॉम्प्ट के रूप में अंतिम कमांड को दोहराता है.
- F4: यह Windows Explorer और Internet Explorer में एड्रेस बार को हाइलाइट करता है. Alt + F4: सक्रिय विंडो को बंद करता है.
- F5: यह वर्तमान पृष्ठ या विंडो को रिफ्रेश करता है और PowerPoint में स्लाइड शो शुरू करता है.
- F6: अधिकांश इंटरनेट ब्राउज़र में कर्सर को एड्रेस बार पर ले जाता है. माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में अगले पैन या फ्रेम पर जाता है.
- F7: यह कई एप्लीकेशन में स्पेल चेकिंग फ़ंक्शन खोलता है. Shift + F7 कुछ वेब ब्राउज़र में कैरेट ब्राउज़िंग सक्षम करता है.
- F8: बूट मेनू- कंप्यूटर शुरू करते समय विंडोज स्टार्टअप मेनू खोलता है. एक्सेल में सेल चुनने के लिए एक्सटेंड मोड सक्षम करता है.
- F9: वर्ड में फ़ील्ड रिफ्रेश करता है. आउटलुक में ईमेल भेजता और प्राप्त करता है.
- F10: कई प्रोग्राम में मेनू बार सक्रिय करता है. Shift + F10: राइट-क्लिक का मेनू खोलता है.
- F11: वेब ब्राउज़र में फुलस्क्रीन मोड में ला देता है. वहीं एक्सेल में चयनित डेटा से चार्ट बनाता है.
- F12: कई एप्लीकेशन में सेव एज़ डायलॉग खोलता है और वेब ब्राउज़र में डेवलपर टूल खोलता है.
(3) नियंत्रण कुंजियाँ: इसमें Ctrl, Alt, Shift और Windows जैसी कुंजियाँ शामिल हैं. इनका उपयोग शॉर्टकट के लिए अन्य कुंजियों के साथ किया जाता है. उपयोग में आसानी के लिए कई बार ये दो की सांख्य में कीबोर्ड के दोनों तरफ स्थित होते है. ये विभिन्न प्रकार के कुंजियों के साथ मिलकर विभिन्न प्रकार के काम करते है, इसलिए इन्हें मॉडीफायर बटन भी कहा जाता है.
(4) न्यूमेरिक कीपैड: यह आसानी से संख्या प्रविष्टि के लिए कीबोर्ड के दाईं ओर स्थित होता है. इसमें 0 से 9 तक अंक, और जोड़(+), घटाव (-), गुणा(*), भाग (/) दशमलव (.), नम लॉक, क्लियर (CE) तथा एंटर बटन होते है. वास्तव में यह कैलकुलेटर का प्रतिरूप होता है. 0 से 9 तक के अंक मुख्य कीबोर्ड पर भी रहते है. इनका इस्तेमाल कर्सर कण्ट्रोल बटन के रूप में गेम खेलने के दौरान किया जाता है. नम लॉक ऑफ़ हो तो इस कीपैड का इस्तेमाल एरो कुंजी, एन्ड, होम, पेज अप, पेज डाउन, इन्सर्ट और डिलीट बटन के बदले किया जा सकता है.
(5) नेविगेशन कुंजियाँ: कर्सर को हिलाने या दस्तावेज़ों को नेविगेट करने के लिए तीर, होम, एंड, पेज अप और पेज डाउन बटन का इस्तेमाल होता है. कर्सर को दाएं या बाएं ले जाने के लिए भी दो अलग-अलग बटन होते है.
(6) स्पेशल कीज़: कीबोर्ड के कुछ बटन का काम विशेष कार्यों को संपन्न करना होता है. जैसे- कैप्स लॉक, टैब, इन्सर्ट, प्रिंट स्क्रीन, पॉज, स्क्रॉल लॉक, एस्केप, रिटर्न या एंटर इत्यादि. हालाँकि, स्पेस बार, डिलीट और बैकस्पेस का इस्तेमाल मुख्य कुंजी के तौर पर होता है, लेकिन इन्हें भी स्पेशल के माना जाता है. साथ में नियंत्रण कुंजियाँ जैसे Ctrl, Alt, Shift और Windows को भी स्पेशल कीज़ का भाग माना गया है.
कीबोर्ड के प्रकार
विभिन्न उद्देश्यों के लिए विभिन्न प्रकार के कीबोर्ड उपयोग किए जाते हैं, इनमें शामिल हैं:
- साधारण कीबोर्ड: यह कीबोर्ड का सबसे सामान्य प्रकार है, जो हम अपने पर्सनल कंप्यूटर में इस्तेमाल करते है. यह QWERTY लेआउट का होता है. इसका लेआउट का आविष्कार क्रिस्टोफर लैथम शोल्स (Christopher Latham Sholes) ने किया था. इस लेआउट को उन्होंने 1868 में व्यावहारिक आधुनिक टाइपराइटर के साथ पेटेंट करवाया था.
- वायरलेस कीबोर्ड: इस तरह के कीबोर्ड में ब्लूटूथ तकनीक के जरिए कम्प्यूटर से जुड़े होते है. इसलिए कनेक्शन के लिए किसी तार की जरुरत नहीं होती है. ये कुछ ही दुरी से काम करते है. हालांकि महंगे होने के कारण इनका प्रचलन सिमित हैं.
- एर्गोनॉमिक कीबोर्ड: ये ख़ास उद्देश्य से डिज़ाइन किए गए कीबोर्ड होते है. इन्हें विशेष तौर के कार्यों के अनुरूप डिज़ाइन किया जाता है. अधिक टाइपिंग करने या सॉफ्टवेयर डिज़ाइन करने वालों के लिए यह सुविधाजनक होता है.
2. माउस (Mouse)
यह एक महत्वपूर्ण इनपुट डिवाइस है जिसका आविष्कार डॉ. डगलस एंजेलबार्ट (Dr. Douglas Engelbart) ने साल 1964 में किया था. ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस के कारण माउस का महत्व काफी बढ़ गया है.
मॉनिटर या कंप्यूटर स्क्रीन पर दिख रहे कर्सर को एक जगह से दूसरे जगह हटाने, कमांड, डायलाग बॉक्स या किसी आइकॉन को चुनने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है. किसी फ़ाइल या लिंक को खोलने के लिए इससे क्लिक या डबल क्लिक किया जाता है. PS-2 या यूएसबी पोर्ट द्वारा यह कम्प्यूटर से जुड़ता है. आजकल वायरलेस माउस भी बाजार में उपलब्ध है, जो ब्लूटूथ तकनीक से बिना किसी तार के कंप्यूटर से जुड़ा रहता है.
सामान्यतः इसमें तीन बटन होते है, जो दाएं, बाएं और बीच में स्थित होते हैं. बाएं की का इस्तेमाल क्लिक, डबल क्लिक, पॉइंट और ड्रैग करने के लिए किया जाता है. यदि डबल क्लिक में दो क्लीक का समयांतराल निर्धारित समय से अधिक हो तो कंप्यूटर इसे एक क्लीक मानेगा. इस समयांतराल को अपने सुविधानुसार बदला जा सकता है. दाएं की का उपयोग ‘डायलाग या मेनू’ बॉक्स खोलने और प्रॉपर्टीज इत्यादि देखने के लिए किया जाता है. वहीं, मध्य की में एक पहियाँ लगा होता है, जिसे घुमाकर वेबपेज, वर्डपेज या किसी अन्य पेज को ऊपर-नीचे (Scroll) किया जाता है.
कंप्यूटर माउस के प्रकार (Types of Computer Mouse in Hindi)
(1) मैकेनिकल माउस: यह एक प्रारंभिक प्रकार का कंप्यूटर माउस है जिसके निचले हिस्से में एक रबर या धातु की बॉल होती है. ये दो लंबवत रोलर्स से जुड़े होते थे, जो कम्प्यूटर के सेंसर से जुड़ते थे. ये बॉल, माउस को सतह पर घुमाने पर घूमती है. रोलर्स तय की गई दुरी के अनुसार सेंसर तक इनपुट सन्देश पहुंचा देता था. यह सन्देश कंप्यूटर कर्सर के लिए इनपुट की तरह काम करता है.
(2) ऑप्टिकल माउस: इसमें बॉल की जगह प्रकाश की किरणें सतह के नीचे निकलती है. इन तीन बटन मैकेनिकल माउस की तरह ऊपर की तरफ स्थित होते है.
(3) वायरलेस या कार्डलेस माउस: इसे कंप्यूटर से जोड़ने के लिए किसी भी प्रकार का तार या फाइबर केबल का इस्तेमाल नहीं होता है यानि यह तार-रहित होता है. यह ब्लूटूथ तकनीक के आधार पर कम्प्यूटर से जुड़ता है. ऐसे माउस सामान्यतः ऑप्टिकल (प्रकाशीय) प्रकार के होते है.
3. टचस्क्रीन (Touch Screen)
टचस्क्रीन एक इनपुट डिवाइस है जो उपयोगकर्ताओं को उंगली या स्टाइलस से छूकर स्क्रीन पर उपलब्ध विकल्पों से सीधे दर्ज करने की अनुमति देती है. यह हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर का एक संयोजन है. ये दोनों भी स्पर्श का पता लगाने और उसे कमांड में बदलने के लिए एक साथ काम करते है. इसमें LED इंफ्रारेड प्रकाश का मुख्य तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. जब स्क्रीन को छुआ जाता है, तो प्रकाश किरणें बाधित होती हैं. इससे स्थिति की गणना की जाती है और उसी के अनुरूप डिवाइस काम करता है.
इस तकनीक में पिंच-टू-ज़ूम, स्वैप, टू-फिंगर स्क्रॉलिंग जैसे सुविधा मिलते है. साथ ही, कीबोर्ड और माउस जैसे इनपुट डिवाइस का इस्तेमाल भी नहीं करना पड़ता है. आजकल टेबलेट कंप्यूटर और मोबाईल में इस तकनीक का काफी इस्तेमाल हो रहा है. यह तकनीक काफी महंगा होता है, इसलिए इस तकनीक पर आधारित उपकरण भी काफी महंगे होते है.
4. ट्रैकपैड
ट्रैकपैड एक इनपुट डिवाइस है जो माउस के सुविधाजनक विकल्प के तौर पर काम करता है. यह आमतौर पर लैपटॉप और कुछ कीबोर्ड में पाया जाता है. आधुनिक समय में यह टचस्क्रीन की भांति काम करता है. लैपटॉप के इस हिस्से में संवेदनशील सतह होती है, जो हमारे उँगलियों के संपर्क को पहचानकर इनपुट संदेश को कंप्यूटर या लैपटॉप तक पहुँचाता है. आज के समय यह मल्टी-टच जेस्चर से लैस होता है, जैसे दो उँगलियों से स्क्रॉल और ज़ूम इन/आउट करना आदि.
5. स्कैनर
यह भी एक इनपुट डिवाइस है, जो किसी कागज़ पर उकेरे गए पाठ या चित्र का हूबहू नक़ल डिजिटल रूप में प्रदान करता है. आमतौर पर इसका इस्तेमाल दस्तावेज को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखने के लिए किया जाता हैं. यह कागज़ पर प्रकाशपुंज डालता है. परावर्तित प्रकाश के तीव्रता के आधार पर यह चित्र उकेर लेता है. इसमें प्रकाश का तरंगदैर्घ्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
6. माइक्रोफोन (Microphone)
माइक्रोफोन या माइक भी एक इनपुट डिवाइस है, जो आवाज रिकॉर्ड करना, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में संचार स्थापित करना, और वॉयस कमांड्स का काम करता है. यह ध्वनि तरंगों को एनालॉग विद्युत् तरंगों में बदलता है. इन विद्युत् तरंगों को साउंड कार्ड डिजिटल रूप देता है. यह रूप ही कम्प्यूटर के समझ में आते है.
7. वेबकेम (Webcam)
यह डिजिटल कैमरा का ही एक रूप है, जो कम्प्यूटर या मोबाईल से जुड़कर इनपुट डिवाइस की तरह काम करता है. इससे वीडियो और चित्र रिकॉर्ड किया जा सकता है. इसका फोटो डायोड, प्रकाशीय तरंगों को विद्युत् तरंगों में बदलकर कंप्यूटर को देता है. आजकल कंप्यूटर में यह इनबिल्ट होता है, इसे बाहर से भी लगाया जा सकता है.
8. स्टाइलस (Stylus)
यह एक इनपुट डिवाइस है, जिसका उपयोग टच स्क्रीन या ग्राफिक्स टैबलेट पर इनपुट के लिए किया जाता है. लाइट पेन के जैसा ही दिखने वाला यह डिवाइस चित्र बनाने, लिखने या आइटम चुनने में अधिक सटीक होता है. यह स्टाइलस आमतौर पर धारिता (Capacitance) में परिवर्तन के मैकेनिज्म पर काम करता है. कुछ स्टाइलस ब्लूटूथ के माध्यम से भी जुड़ते है.
9. जॉयस्टिक (Joystick)
यह ट्रैकबॉल का ही उन्नत रूप है, जिसका उपयोग वीडियो गेम खेलने, सिम्युलेटर प्रशिक्षण और रोबोट नियंत्रण आदि में किया जाता है. इस युक्ति में बॉल के ऊपर एक छड़ी लगा दिया जाता है. जॉयस्टिक में बॉल, बेस के भांति और छड़ी एक लीवर के भांति काम करता है. इस युक्ति में लिवर को चारों तरफ घुमाकर इनपुट दर्ज किया जाता है. इसके ऊपर क्लिक करने के लिए एक बटन भी होता है, जिसका उपयोग आइकॉन या टेक्स्ट के चयन में किया जाता है.
10. बार कोड रीडर (Bar Code Reader)
आपने डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में ऊर्ध्वाधर या खड़ी (Vertical) करीब 10 से 12 रेखाओं की कतार को जरूर देखा होगा. इसी लंबवत रेखाक्रम को बार कोड कहा जाता हैं. इस बार कोड में कंपनियों द्वारा कानून के हिसाब से कई जानकारियां दर्ज की जाती है. इसे पढ़ने के लिए हमें एक विशेष यंत्र की जरुरत होती है, जिसे बार कोड रीडर कहा जाता है.
बार कोड में सूचनाएं उनकी चौड़ाई और पत्तियों के बीच दुरी के अनुसार दर्ज होती है. इसका आविष्कार साल 1940 में जोसेफ वुडलैंड और बर्नाड सिल्वर ने किया था. इसे प्रचारती करने का श्रेय हैबरमैन को दिया जाता है.
इस रीडर से लेजर बीम निकलती है. जब ये किरणे परावर्तित होकर इंटक पहुँचते है, तो सुचना कंप्यूटर में दर्ज हो जाता है. इस तकनीक का आज के समय व्यापक इस्तेमाल हो रहा है. कूरियर सेवा, शॉपिंग मॉल, ऑनलाइन डिलीवरी वेबसाइट (जैसे फ्लिपकार्ट और अमेज़न), बैंक, पोस्ट ऑफिस और डिलीवरी सेवा में इसका व्यापक इस्तेमाल किया जाता है.
11. पंच कार्ड रीडर (Punch Card Reader)
पंच कार्ड रीडर काफी पुराना और परित्यक्त कंप्यूटर इनपुट डिवाइस है. इसे होलेरिथ कार्ड या आईबीएम कार्ड भी कहा जाता हैं. इसका उपयोग पंच किए गए कार्ड से डेटा पढ़ने के लिए किया जाता था. पांच कार में विशेष पैटर्न के छेद होते थे, जिसमें जानकारी दर्ज होती थी. रीडर इन पैटर्नों को समझकर डिजिटल रुप में कंप्यूटर के मेमोरी या स्टोरेज में भेज देता था. इस डिजिटल डाटा को कम्प्यूटर प्रोसेस करता था.
कंप्यूटर में डेटा और प्रोग्राम इनपुट करने के लिए कंप्यूटिंग के शुरुआती दिनों में पंच कार्ड रीडर का व्यापक इस्तेमाल किया गया. चुंबकीय भंडारण और डिजिटल मीडिया के आगमन से पहले पंच कार्ड ही डेटा को संग्रहीत करने और स्थानांतरित करने का एक विश्वसनीय तरीका था. इसने अमेरिकी जनगणना पुरा करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मैग्नेटिक और डिजिटल स्टोरेज के दौर में यह विलुप्त हो चुका है. यदि कंप्यूटर इसे नहीं पढ़ पाता था तो इसके पैटर्न से संदेशों को समझ लिया जाता था.
12. ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader in Hindi)
यह एक उन्नत इनपुट डिवाइस है, जो प्रकाश के परावर्तन के सिद्धांत पर काम करता है. इससे जब कागज़ के सतह पर उच्च तीव्रता का प्रकाश डाला जाता है तो जहां पर चिन्ह (या मार्क) उकेरे गए होते हैं, वहां से प्रकाश का परावर्तन थोड़ी देरी से होता है. इस समयांतराल को ओएमआर मशीन पढ़ लेता हैं और कंप्यूटर तक जानकारी पहुंचा देता है. परीक्षा के ओएमआर शीट में पेन या पेन्सिल से उकेरे गए जवाबों को इसी तकनीक से पढ़ा जाता है.
13. ऑप्टिकल करैक्टर रीडर या रिकग्निशन (OCR)
कंप्यूटर स्कैनर द्वारा स्कैन किए गए दस्तावेज़ बिटमैप इमेज के रूप में होते हैं. इन्हीं टेक्स्ट के रूप में बदलने के लिए OCR का इस्तेमाल किया जाता है. OCR सॉफ्टवेयर या तकनीक किसी बिटमैप दस्तावेज के पाठों को पढ़कर उन्हें टेक्स्ट में बदल देता है, जिन्हें MS-वर्ड या नोटपैड जैसे सॉफ्टवेयर के मदद से संसाधित किया जा सकता है. OCR टाइपराइटर के शब्द, कैश रजिस्टर के शब्द और क्रेडिट कार्ड के करैक्टर को आसानी से पढ़ लेता है.
14. ग्राफ़िक्स टैबलेट (Graphics Tablet)
ग्राफ़िक्स टैबलेट कंप्यूटर के लिए एक इनपुट डिवाइस है. इसमें उपयोगकर्ताओं, स्टाइलस या पेन जैसे उपकरण का उपयोग चित्र बनाने, लिखने और नेविगेट करने के लिए करते है. यह माउस या ट्रैकपैड की तुलना में आसान और सटीक होता है. टैबलेट स्टाइलस द्वारा लगाए गए दबाव के विभिन्न स्तरों का पता लगाता है, जिससे डिजिटल कला और डिज़ाइन में अलग-अलग मोटाई, रेखा और प्रभाव मिलती है.
15. फिंगरप्रिंट स्कैनर (Fingerprint Scanner)
फिंगरप्रिंट स्कैनर एक बायोमेट्रिक सुरक्षा उपकरण है. यह व्यक्ति की पहचान और प्रमाणीकरण के लिए उसके फिंगरप्रिंट का उपयोग करता है. इनपुट डिवाइस के रूप में इसका उपयोग बैंकों, स्मार्टफोन्स, सरकारी कार्यालयों और अन्य सुरक्षा-संवेदनशील स्थानों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाती है. पर्सनल कंप्यूटर में भी सुरक्षा की दृष्टि से अलग से फिंगरप्रिंट स्कैनर लगाया जा सकता है.
चूँकि हरेक व्यक्ति के ऊँगली के सतह का पैटर्न या फिंगर प्रिंट अलग-अलग होता है, इसलिए व्यक्ति की पहचान इस तकनीक से सम्भव हो पाता है. जब उपयोगकर्ता अपनी उंगली स्कैनर पर रखता है, तो स्कैनर फिंगरप्रिंट की एक इमेज तैयार करता है. स्कैनर का प्रोसेसर इमेज को स्पष्ट और विश्लेषण योग्य बनाता है. यह डार्क और लाइट एरिया की जांच करता है, जिससे उंगली की लकीरें स्पष्ट दिखाई देती हैं. कैप्चर की गई फिंगरप्रिंट इमेज को स्टोर किए गए फिंगरप्रिंट डेटा से मिलाया जाता है. यदि मिलान हो जाता है, तो उपयोगकर्ता की पहचान प्रमाणित हो जाती है.
फिंगरप्रिंट स्कैनर के प्रकार
- ऑप्टिकल स्कैनर: यह स्कैनर CCD या CMOS सेंसर का उपयोग करके उंगली की इमेज तैयार करता है. यह इमेज टू-टोन्ड होती है, जिसमें डार्क एरिया उंगली की लकीरों को और लाइट एरिया लकीरों के बीच की जगह को दर्शाता है.
- कैपेसिटिव स्कैनर: यह स्कैनर इलेक्ट्रिकल करंट का उपयोग करता है और फिंगरप्रिंट की इमेज को इनपुट और आउटपुट वोल्टेज की अलग-अलग प्रक्रिया द्वारा बनाता है. इसका उपयोग अक्सर स्मार्टफोन्स में किया जाता है.
- अल्ट्रासोनिक स्कैनर: यह स्कैनर अल्ट्रासोनिक तरंगों का उपयोग करके फिंगरप्रिंट की 3D इमेज तैयार करता है. यह स्कैनर अधिक सटीक और सुरक्षित होते हैं.
16. ट्रैकबॉल (Track Ball)
ट्रैकबॉल एक पॉइंटिंग डिवाइस है, जो माउस के बदले में इस्तेमाल किया जाता है. इसे माउस का उन्नत संस्करण या एर्गोनिक माउस कहा जा सकता है. इसके ऊपर एक बॉल और कुछ बटन होता है. इस बॉल को घुमाकर स्क्रीन पर पॉइंटर को गति दिया जाता है. इसे सामान्य माउस की तरह एक जगह से दूसरे जगह खिसकना नहीं पड़ता है, जिससे इसके उपयोग के लिए कम जगह की जरूरत होती है कंप्यूटर-एडेड डिज़ाइन (CAD), ग्राफ़िक डिज़ाइन, गेमिंग और सामान्य कंप्यूटर उपयोग तक में इसका इस्तेमाल होता हैं.
17. लाइट पेन (Light Pen)
यह पेन के समान दिखने वाला पॉइंटिंग इनपुट डिवाइस है. इसका उपयोग ग्राफ़िक्स बनाने, लिखने या बारकोड को पढ़ने में किया जाता है. इसमें एक फोटोसेंसर होता है, जो स्क्रीन पर पेन के संपर्क में आने पर स्क्रीन से उत्सर्जित प्रकाश का पता लगाता है. यह प्रकाश स्क्रीन पर प्रदर्शित पिक्सल से आता है.यह स्क्रीन के पिक्सल की स्थिति का पता लगाकर उस स्थान की जानकारी कंप्यूटर को भेजता है. कंप्यूटर इस जानकारी को प्रोसेस करता है और उसे स्क्रीन पर प्रदर्शित वस्तुओं के साथ इंटरैक्शन के रूप में बदल देता है.
18. मीकर (MICR)
यह मैग्नेटिक इंक (चुम्बकीय स्याही) का स्पेशल करैक्टर (विशेष शब्दों का संयोजन) होता है, जो बैंक चेक के नीचे छपा होता हैं. सामान्यतः इसमें 0 से 9 तक संख्या और 4 स्पेशल करैक्टर होते है. इसपर अन्य इंक द्वारा स्टाम्प या हस्ताक्षर उकेरने पर भी इसे मशीन द्वारा आसानी से पढ़ लिया जाता है. ऐसा इसका मेग्नेटिक इंक से बने होने के कारण होता है.
19. स्पीच रिकग्निशन सिस्टम (Speech Recognition System)
यह भी एक इनपुट डिवाइस है, जिसका आजकल व्यापक इस्तेमाल किया जाता है. इसमें बोलकर कंप्यूटर को निर्देश दिया जाता है. गूगल सर्च, बिंग सर्च समेत कई सर्च इंजन में इसका इस्तेमाल किया गया है. अलेक्सा और टाइपिंग सॉफ्टवेयर में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. यह हमारे को टेक्स्ट में बदल देता है, जिसे कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर द्वारा बाइनरी में बदलकर इनपुट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
20. इलेक्ट्रॉनिक कार्ड रीडर (Electronic Card Reader)
कंप्यूटर में किसी भी माइक्रो चिप को पढ़ने के लिए कार्ड रीडर की आवश्यकता होती है. यह एक इनपुट डिवाइस है जो विभिन्न आकार के कार्ड के अनुरूप बना होता है. पुराने पंच कार्ड रीडर कंप्यूटर सिस्टम के लिए पेपर या कीबोर्ड पंच कार्ड को पढ़ते थे. आधुनिक कार्ड रीडर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं जो बारकोड, चुंबकीय स्ट्रिप, कंप्यूटर चिप या किसी अन्य स्टोरेज माध्यम के साथ एंबेडेड प्लास्टिक कार्ड को पढ़ सकते हैं.
यह प्लास्टिक का बना होता है, जिसमें चुम्बकीय पट्टी या एक चिप लगी (एम्बेडेड) होती है. एटीएम या कैश ट्रांसक्शन डिवाइस में डेबिट या क्रेडिट कार्ड को पढ़ने के लिए कार्ड रीडर लगा होता हैं.
21. रिमोट कण्ट्रोल (Remote Control)
रिमोट कण्ट्रोल दूर से ही इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नियंत्रित करने की सुविधा प्रदान करता है. इसे मुख्यतः टेलीविज़न, साउंड सिस्टम, एयर कंडीशनर और अन्य घरेलू उपकरणों को संचालित में प्रयोग किया जाता है. इसमें वांछित निर्देश का बटन दबाने पर रेडियो तरंगें या इंफ्रारेड सिग्नल निकलते हैं. घरेलु उपकरण इन्हें समझकर कार्य को अंजाम देते हैं. इस प्रकार यह सुविधा अपने स्थान से बिना हिले-डुले उपकरणों को नियंत्रित करने में मदद करती है.
Very informative in Hindi Medium