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कुपोषण के 10 कारण, लक्षण एवं निवारण

    कुपोषण (Malnutrition) एक ऐसी स्थिति है जो भोजन की कमी या भोजन में पौष्टिक तत्वों की कमी के परिणामस्वरूप होती है. कुछ पोषक तत्व (Nutrients) मानव शरीर को चलाने के लिए अत्यंत आवश्यक होते है, लेकिन हमारे शरीर में इसकी कमी हो जाती है.

    लक्षणों में थकान, चक्कर आना, और वज़न घटना शामिल हैं. कुपोषण का उपचार न किए जाने पर यह शारीरिक या मानसिक विकलांगता का कारण बन सकता है.

    कुछ मामलों में, कोई व्यक्ति को पर्याप्त भोजन मिलते रहती है. लेकिन इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन, खनिज, और अन्य पोषक तत्व शामिल नहीं होते हैं, जो उनकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं.

    चिकित्सकीय रूप से, कोई व्यक्ति जो तीन से छह महीनों के दौरान अपने शरीर के वजन के 5 से 10 प्रतिशत (या अधिक) खो देता है और डाइटिंग नहीं कर रहा है, का कुपोषण से पीड़ित होने की संभावना है.

    कुपोषण चार व्यापक रूपों में प्रकट होता है- वेस्टिंग, स्टंटिंग, कम वज़न और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ‘गंभीर तीव्र कुपोषण’ (SAM) से पीड़ित के मौत की नौ गुना संभावना होती है.

    डॉक्टर इसकी पुष्टि से पहले अन्य चीजों की भी जांच करते है.

    कुपोषण की गंभीरता

    गंभीर तीव्र कुपोषण (Severe Acute Malnutrition – SAM) और मध्यम तीव्र कुपोषण (Moderate Acute Malnutrition – MAM) दोनों ही पोषण की गंभीर स्थिति हैं, जिससे अधिकतर बच्चे जूझते है. उन्हें पूर्ण और संतुलित पोषण नहीं मिलने से ऐसा होता है. ऐसे बच्चे जिनमें SAM या MAM हो, उन्हें इससे संबंधित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित करता है.

    गंभीर तीव्र कुपोषण (SAM) के बच्चों को अत्यंत कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण विभिन्न रोगों से ग्रसित होने का खतरा अत्यधिक होता है. इससे उनकी मौत की संभावना नौ गुना अधिक हो जाती है.

    मध्यम तीव्र कुपोषण (MAM) में रहने वाले बच्चे भी पोषण की कमी (Nutrition Deficiency) का शिकार होते है. हालाँकि, ये बच्चे खतरे के रेड ज़ोन में नहीं होते हैं. स्तिथि और भी गंभीर होने पर ये बच्चे भी गंभीर कुपोषण का शिकार हो सकते है. इसलिए, उन्हें इस स्थिति से निकलने के लिए उचित पोषणयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना जरूरी होता है ताकि उनके स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति सुधरती रहे.

    कुपोषण के लक्षण है (Symptoms of Malnutrition in Hindi)-

    थकावट (Exhaustion)

    सामान्य कमजोरी और बार-बार थकान की की बढ़ती शिकायत, कुपोषण के लक्षण हैं. दैनिक गतिविधियाँ बहुत थका देने वाला होना या काम शुरू करते ही थकावट महसूस करना, कुपोषण के लक्षण हो सकते है. मांसपेशियां के आकार में कमी भी इसका एक लक्षण है. फ्लू जैसी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को भी कुपोषण हो सकता है.

    एनीमिया (Anemia)

    मनुष्य को जिन्दा रहने के लिए शरीर को नई रक्त कोशिकाओं की निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता होती है. एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने की क्षमता बिगड़ जाती है. यह भी पोषण की कमी के कारण होता है. लाल रक्त कोशिकाएं शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन करती है. इसकी कमी, एनीमिया व थकावट और कमजोरी का कारण बनता है.

    संक्रमण (Infection)

    कुपोषण हमारे शरीर के हरेक गतिविधियों को प्रभावित करता है. इससे हम पहले की तुलना में अधिक संक्रमित हो सकते है. सर्दी या फ्लू जैसे संक्रमण आम बात हो जाती है. इसके साथ ही हम मांस खाने वाले बक्टेरिया से भी संक्रमित हो सकते है.

    चिड़चिड़ापन (Irritability)

    कुपोषित व्यक्ति चिड़चिड़े स्वभाव का हो जाता है. चूँकि मस्तिष्क को पूरी ऊर्जा नहीं मिल पाती, इसलिए व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खोने लगता हैं.

    घाव देर से भरना (Delayed wound healing)

    कुपोषण के कारण हमारे घाव धीरे-धीरे भरते है. साथ ही बीमारी ठीक होने में भी सामान्य से अधिक वक्त लगता है. इससे हम और कमजोर होते जाते है.

    चमड़े और बालों का सुख जाना (Dryness of Skin and Hair)

    कुपोषण के कारन हमारे त्वचा की चमक खोने लगती है. इसके साथ ही बाल में रूखापन आ जाता है. इसका कारण यह है कि इन अंगों में पोषण न होने से कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता. हमारा शरीर अन्य हिस्सों को पोषण की आपूर्ति करने लगता है. इन अंगों में पोषक तत्व न पहुँचने से ये रूखे हो जाते है.

    कब्ज या दस्त की शिकायत (complaints of constipation or diarrhea)

    कुपोषण का असर हमारे पाचन प्रक्रिया पर भी पड़ता है. लेकिन अलग-अलग व्यक्ति के पर इसका अलग-अलग प्रभाव होता है. कुछ को कब्ज तो कुछ को दस्त की शिकायत बार-बार रहती है.

    छोटा कद, धीमी वृद्धि, या स्वास्थ्य गिरना, चक्कर आना, थकान, या पानी-इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, मांसपेशियों में कमज़ोरी या मांसपेशी का नुकसान और वज़न घटना कुपोषण के कारण बताएं जाते है.

    हम कैसे होते है कुपोषण का शिकार (Causes of Malnutrition)

    भोजन में विटामिन ए,बी,सी,और डी की कमी के साथ-साथ, फोलेट, कैल्शियम, आयोडीन, जिंक और सेलेनियम की कमी से आप कुपोषित हो सकते है. इसलिए ये जरूर देखे की आपका डायट उम्र के हिसाब से सही है या नहीं. बच्चो को कुछ तत्वों की अधिक तो बड़ों में इसके उलट जरुरत होती है.

    कुपोषण से बचने के लिए क्या खाएं (Eatables to avoid malnutrition)

    आपके कुपोषण से बचाव के लिए खाद्य पदार्थों जैसे फल और सब्जियां, दूध, पनीर, दही जैसे डेयरी उत्पाद, चावल, आलू, अनाज और स्टार्च के साथ ही प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ, मांस, मछली, अंडे, बींस और वसा तेल, नट बीज पर्याप्त मात्रा में आवश्यक हैं.

    भारत में कुपोषण की स्तिथि (Status of Malnutrition in India)

    Government programmes to combat malnutrition

    वैश्विक भुखमरी सूचकांक (Global Hunger Index) में भारत के स्तिथि में लगातार गिरावट बनी हुई है. 2022 के रिपोर्ट के अनुसार, भारत 121 देशों में 107वीं रैंक पर है. वहीँ, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) वर्ष 2019-21 के अनुसार, भारत में पाँच वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में से 35.5 प्रतिशत बच्चे नाटेपन (स्टंटिंग), जबकि 19.3 प्रतिशत निर्बलता (वेस्टिंग) और 32.1 प्रतिशत बच्चे कम वज़न की समस्या से ग्रसित पाए गए. इनमें उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य की स्तिथि सबसे खराब पाई गई थी.

    भारत का स्थान वैश्विक भुखमरी सूचकांक में बहुत नीचे होने के कारण खासकर बच्चों के पोषण में गिरावट और कम वजन का समस्या, चिंता का विषय बना हुआ है. राष्ट्रीय पोषण मिशन और अन्य सरकारी योजनाएं इस समस्या का समाधान करने के लिए कदम उठा रही हैं.

    बच्चों में नाटापन (स्टंटिंग), निर्बलता (वेस्टिंग) और कम वजन जैसी समस्याएं बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण के लिए बड़ा खतरा हैं. सरकारी योजनाओं जैसे पोषण अभियान, मध्याह्न भोजन (MDM) योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY), एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना, एनीमिया मुक्त भारत अभियान इत्यादि ने पोषण को सुधारने के लिए कदम उठाए हैं.

    इन योजनाओं के माध्यम से बच्चों को सही पोषण, आवश्यक पोषण तत्वों का सामान्य या अधिक मात्रा में उपभोग करने के लिए उत्साहित किया जाता है और उन्हें स्वस्थ रहने में मदद मिलती है. इससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास अच्छे ढंग से होता है.

    पोषण में सुधार के लिए सरकार, संगठन, और समुदाय के साथ मिलकर काम कर रही है. बच्चों के स्वास्थ्य और विकास के लिए समर्पित योजनाओं और कार्यक्रमों का समय पर संचालन और निगरानी करना जरूरी है ताकि बच्चे स्वस्थ और पूर्णतः पोषित रह सकें.

    Note : पोषणयुक्त आहार तक बच्चों के पहुँच को सुनिश्चित कर स्टंटिंग और बाल मृत्यु दर में कमी लाया जा सकता है. ये दोनों तत्व वैश्विक भुखमरी सूचकांक के गणना में भी शामिल किए गए है.

    पोषण और प्रभाव

    बच्चे के जीवित रहने, उसके स्वास्थ्य और विकास के लिए पर्याप्त और ठीक संतुलित आहार महत्वपूर्ण है.
    सुपोषित बच्चों की स्वस्थ, उत्पादक और सीखने के लिए तैयार रहने की संभावना अधिक होती है.

    अल्‍पपोषण का विपरीत प्रभाव होता है, इससे बुद्धि अवरुद्ध होती है, उत्पादकता कम होती है और गरीबी बनी रहती है. इससे बच्चे के मरने की संभावना बढ़ती है और निमोनिया, डायरिया और मलेरिया जैसे बचपन के संक्रमणों के प्रति उनकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है.

    Note : पोषणयुक्त आहार तक बच्चों के पहुँच को सुनिश्चित कर स्टंटिंग और बाल मृत्यु दर में कमी लाया जा सकता है. ये दोनों तत्व वैश्विक भुखमरी सूचकांक के गणना में भी शामिल किए गए है.

    https://youtu.be/8KrUNwP4ghY

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