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कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इसकी प्रौद्योगिकी

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान के प्रोग्रामिंग या कूटभाषी जाल में छुपा एक रहस्यमयी पहलू है. मशीनों में मानव बुद्धि के अनुकरण या नक़ल ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) है. इसे मनुष्यों के तरह सोचने और मानवीय संज्ञानात्मक क्षमताओं को नकल करने के लिए प्रोग्राम किया जाता है.

    इसका मतलब है कि यह मानवों के मस्तिष्क से जुड़े लक्षणों को प्रकट करता है, जैसे समझना, सीखना और समस्या सुलझाना. इसमें मानव अस्तित्व के लगभग सभी पहलू शामिल है. आसान शब्दों में, यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिसमें मशीन को अपने आचरण के विपरीत प्राकृतिक रूप से व्यवहार करने के लिए बनाया जाता है, जैसे मनुष्य की बुद्धि.

    वर्ष 2022 ने जनरेटिव प्रीट्रेंड ट्रांसफार्मर (Generative PreTrained Transformer – GPT) के अनुप्रयोगों के व्यापकता ने कृत्रिक बुद्धिमत्ता को मुख्यधारा में ला दिया. इस तकनीक पर आधारित सबसे लोकप्रिय एप्लिकेशन ओपनएआई (OpenAI) का चैटजीपीटी (ChatGPT) है. इसके बाद से ही, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) विभिन्न उद्योगों और दैनिक जीवन पर गहरा प्रभाव डालने वाला एक परिवर्तनकारी क्षेत्र बनकर उभरा है.

    चैटजीपीटी के प्रति व्यापक आकर्षण ने इसे अधिकांश उपभोक्ताओं के मन में एआई का पर्याय बना दिया है. हालाँकि, यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता का केवल एक छोटे से हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका इसके लिए उपयोग किया जा रहा है.

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्या है? (What is Artificial Intelligence in Hindi)

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा है, जो बुद्धिमान मशीनें बनाने पर केंद्रित है. आमतौर पर यह मानव बुद्धि की आवश्यकता वाले कार्य कर सकती हैं. इन मशीनों को सीखने, समस्या-समाधान, तर्क और निर्णय लेने जैसी मानव संज्ञानात्मक क्षमताओं की नकल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. एआई का उद्देश्य ऐसे एल्गोरिदम और मॉडल विकसित करना है जो बड़ी मात्रा में डेटा को संसाधित करने, पैटर्न को पहचानने और विशिष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने या समय के साथ प्रदर्शन में सुधार करने के लिए नई जानकारी को अपनाने में सक्षम हों.

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता की आदर्श विशेषता ऐसे तर्कसंगत कार्य करने से है जिनमें किसी विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने की सबसे अच्छी संभावना हो. मशीन लर्निंग (एमएल) भी एक प्रकार का कृत्रिम बुद्धिमत्ता है, जो इस अवधारणा पर संचालित होता है कि कंप्यूटर प्रोग्राम भी मनुष्यों की सहायता के बिना स्वचालित रूप से सीख सकते हैं और नए डेटा को अनुकूलित कर सकते हैं. पाठ(text), चित्र या वीडियो जैसे बड़ी मात्रा में असंरचित डेटा के माध्यम से यह खुद सिखने में सक्षम है, जिसे डीप लर्निंग (Deep Learning) कहा जाता है.

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता का शुरुआत, इतिहास व भविष्य (Starting, History and Future of AI)

    इंसान एक सामाजिक व बुद्धिमान प्राणी है, जो इसे सदैव नए खोज के लिए जाना जाता है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता की परिकल्पना भी इन सतत खोजो का परिणाम है, जो मध्य बीसवीं सदी के दौरान विकसित हुआ. जनक ब्रिटिश वैज्ञानिक ‘एलन मैथिसन ट्यूरिंग’ है.

    ब्रिटिश वैज्ञानिक एलन मैथिसन ट्यूरिंग ने 1935 में एक अनंत स्मृति (Memory) वाले ऐसे कंप्यूटर मशीन की कल्पना की थी, जो आगे-पीछे खिसककर पाठ (Text) को पढ़कर नक़ल छपने में सक्षम हो. फिर, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने ट्यूरिंग मशीन का आविष्कार किया, जो जर्मन कूट भाषा को तोड़ने में सफल हुआ. तत्पश्चात 1950 में उन्होंने मशीन के इंसानों के तरह काम करने के संबंध एक लेख लिखा था. उन्होंने ट्यूरिंग टेस्ट के द्वारा ये आलोचना की थी कि क्या कंप्यूटर इंसानों की तरह सोच सकता है.

    एलन ट्यूरिंग को कृत्रिम बुद्धिमत्ता का पिता कहा जाता है. Alan Turing
    एलन ट्यूरिंग, ब्रिटिश वैज्ञानिक

    ट्यूरिंग टेस्ट ही वह तरीका है, जिसके माध्यम से यह जांचा जाता है कि कंप्यूटर इंसानों की तरह सोचने में सक्षम है या नहीं. यह तीन सिद्धांतों पर आधारित है- क्रिया (Acts), प्रतिक्रिया (Reacts) और अन्तःक्रिया (Interaction). चैटजीपीटी के सफलता के बाद ये मान लिया गया है कि टूरिंग टेस्ट के लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया गया है.

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर ये सोच काफी शुरुआती थे. लेकिन यही आगे चलकर इसका आधार बना. इसलिए एलन ट्यूरिंग को कृत्रिम बुद्धिमत्ता का जनक कहा जाता है.

    सबसे पहला सफल एआई प्रोग्राम 1951 में ब्रिटिश क्रिस्टोफर स्ट्रेची द्वारा लिखा गया. स्ट्रेची का चेकर्स (ड्राफ्ट) प्रोग्राम फेरांति मार्क I (Ferranti Mark I) कंप्यूटर पर चलता था. मध्य 1952 तक यह सामान्य तरीके से चेकर्स खेलने में सक्षम हो गया.

    हालाँकि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में नया मोड़ अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन मैक्कार्थी द्वारा 1956 में डॉर्टमाउथ सम्मलेन के बाद ही आया. इसी कांफ्रेंस में कृत्रिम बुद्धिमत्ता शब्द गढ़ा गया और इसके अवधारणा पर व्यापक चर्चा हुई. इसके बाद इस अवधारणा पर चर्चा का विस्तार होते गया. इसने कंप्यूटर के क्षेत्र में शोध और नए खोज को काफी बढ़ावा दिया. इसलिए कुछ लोग कृत्रिम बुद्ध्मत्ता (AI) शब्द गढ़ने वाले जॉन मैक्कार्थी को भी एआई का जनक मानते है.

    इसके बाद वैज्ञानिकों ने विभिन्न आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम्स और एल्गोरिदम्स के विकास में काम किया. शुरुआती दशकों में, लॉजिक और संबंधित गणितीय विधियों के उपयोग से कुछ कंप्यूटर प्रोग्राम बनाए गए थे, जो निर्देशित समस्याओं को हल करने में सक्षम थे. ये सिस्टम्स केवल निश्चित नियमों पर आधारित थे.

    1970 तक गेम खेलने वाले प्रोग्राम, संख्यात्मक गणना के लिए उपयोगी एल्गोरिदम्स, और संदेशों के लिए रोबोटिक प्रयोग इत्यादि क्षेत्र में ही काम हुए. आगे 1990 तक कंप्यूटर के ज्ञानवर्धन से संबंधित कई प्रयोग किए गए. इनमें 1981 में जापान द्वारा AI तकनीक का इस्तेमाल करते हुए पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर बनाने की घोषणा काफी महत्वपूर्ण है. इसके लिए 10 वर्षीय कार्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत की गई.

    जापान के घोषणा ने दुनिया के अन्य देशों का ध्यान आकर्षित किया. आगे ब्रिटेन ने जापान से मुकाबले के लिए ‘एलवी’ प्रोग्रमम का घोषणा किया. यूरोपी यूनियन ने भी ‘एस्प्रिट’ नाम के योजना का घोषणा कर डाला. फिर, कुछ निजी कंपनियों के समूह में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में काम करने आगे आईं. 1983 में इस समूह ने बहुत बड़े पैमाने पर एकीकृत सर्किट (Very Large Scale Integrated Circuit-VLSIC) के विकास के लिए ‘माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी’ नामक संयुक्त उपक्रम की स्थापना की.

    1990-2000 के बीच का दशक कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए युगांतकारी रहा. इस दौरान मशीन लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क्स विकास हुआ. इससे कंप्यूटर को स्वयं अनुभव ग्रहण कर अनुशाषित होकर सिखने की क्षमता मिली. इसके अगले दशक में कंप्यूटर के पास डाटा का भंडार था. इस दौरान आए नए डीप लर्निंग तकनीक के उपयोग से कंप्यूटर को अधिक सीखने और समझने की क्षमता मिली.

    2010 में आई वर्तमान नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग के उपयोग से कंप्यूटर को भाषा समझने और संवाद करने की क्षमता मिली. चैटजीपीटी तकनीक इसी पर आधारित है.

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    ओपनएआई ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता को लोकप्रिय बना दिया है.

    इसके अतिरिक्त कंप्यूटर, इंटरनेट, सिलिकॉन चिप व मेमोरी के स्वरुप ने भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास में योगदान दिया है. इनके कारण ही इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में सम्भव हो सका है, जैसे व्यापार, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, संचार, विज्ञान, संगणना, और नैतिकता का पालन. AI और मशीन लर्निंग के ताज़ा उदाहरणों में चालक रहित गाड़ियों से लेकर ऑडियो-विज़ुअल्स का निर्माण तक शामिल है.

    AI की शुरुआती सीमाएं अब विकासशील हो गई हैं और भविष्य में इसका उपयोग और भी विस्तार से होने की संभावना है. भविष्य में AI के विकास से हमारे जीवन के कई क्षेत्रों में सुधार होने की उम्मीद है. यह हमारे जीवन को और भी सुविधाजनक बनाने में सक्षम है. इससे समाज और मानवता को बहुत से लाभ प्राप्त हो सकते हैं.

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रकार (Types of Artificial Intelligence in Hindi)

    वर्तमान में उपयोग किया जा रहा कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रचलित नाम Narrow AI (कमजोर एआई) है. इस प्रकार के एआई को विशिष्ट कार्यों या एकल डोमेन के लिए डिज़ाइन और प्रशिक्षित किया जाता है. अन्य क्षेत्रों में न तो यह काम कर सकता है और न इसके लिए अनुकूलित हो सकता है. गुण और कार्यप्रणाली के आधार पर इसे निम्न प्रकार में विभाजित किया जा सकता है.

    1. पूर्ण प्रतिक्रियात्मक (Purely Reactive): यह प्राप्त सुचना के अनुसार प्रतिक्रिया व्यक्त करता है. यह किसी एक काम के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जो अपने अनुभव व उपलब्ध आंकड़ों से सिखने में सक्षम नहीं होता है. IBM का डीप ब्ल्यु द्वारा कास्पोरोव को शतरंज में हराना इसका एक उदाहरण है.
    2. सीमित स्मृति (Limited Memory): इस प्रकार के कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीन थोड़े उन्नत होते है. ये तुरंत बीते अतीत के कुछ जानकारी सहेजकर रखते है. इस जानकारी को ये अपने प्रोग्रामिंग में शामिल कर अपने कार्य को संचालित करते है. इसमें भी लगातार सिखने और अनुकूलित होने की क्षमता का अभाव है और सुधार की गुंजाइश है. चालकरहित कार, चैटबाट (चैट्जीपीटी, गूगल बार्ड), पर्सनल डिजिटल असीस्टेंट(एप्पल सीरी, माइक्रोसाफ़्ट कोर्टना) इसके उदाहरण है.

    भविष्य में कई अन्य प्रकार के कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास की संभावना भी व्यक्त की जा रही है. ऐसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता में शामिल है:

    1. General AI (मजबूत एआई): यह मानव जैसी बुद्धि और क्षमता होगी. यह कोई भी ऐसा बौद्धिक काम समझने, सीखने और निष्पादित करने में सक्षम होगा, जो मनुष्य कर सकता है.
    2. Mind AI (माइंड एआई): इसमें मानवीय भावनाओं, विश्वासों और इरादों की समझ होगी. इस तरह मानव और मशीन के बीच वार्तालाप बेहतर हो सकेंगे. यह सबसे तेज मानव मष्तिष्क के समान होगा और किसी व्यक्ति विशेष के व्यवहार का भविष्यवाणी करने में भी सक्षम होगा.
    3. Self-aware AI (स्वविवेकी एआई): यह चेतना और आत्म-जागरूकता से लैस होगा. यह अपने अस्तित्व को समझ सकेगा और मानव की तरह व्यक्तिपरक अनुभव से लैस होगा.
    4. Artificial Superintelligence (कृत्रिम अधीक्षण): यह मानव मष्तिष्क से भी काफी तेज कृत्रिम बुद्धिमत्ता है, जो सबसे बुद्धिमान इंसान के दिमाग को भी मात देने में सक्षम होगा. यह समाज और सभ्यता पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है. इसी एआई को खतरनाक स्तर का भी बताया जा रहा है.

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता कैसे काम करता है? (How does Artificial Intelligence work in Hindi)

    यह कंप्यूटर विज्ञान की सबसे जटिल और आधुनिक शिक्षा है, जो कंप्यूटर के सामान्य प्रणालियों के तरह ही है. किन्तु इसका प्रोग्रामिंग जटिल होता है और किसी ख़ास कार्य के लिए इसे तैयार किया जाता है. इसकी प्रोग्रामिंग इस तरह की जाती है कि यह निर्देशों पर मानव के तरह काम कर सकें और निर्णय ले सकें. यह प्रोग्राम द्वारा सुझाएँ गए स्थलों से नए आंकड़े भी ग्रहण करता रहता है और खुद को बुद्धिमान बनाते रहता है. अतः इंसानों की तरह ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता में लगातार सिखने का गुण समाहित है.

    उदाहरण के लिए, पांच साल का एक अबोध बालक 25 साल के उम्र का हो जाने पर अपने जीवन से जुड़ा सभी निर्णय लेने लगता है. लेकिन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रोग्राम को एक बार निर्देश दे दिए जाने के बाद तुरंत ही अपना काम करने लग जाता है और इसी दौरान मिले नए अनुभव से ज्ञान भी अर्जित करता है. दूसरी ओर, एक इंसान को परिपक्व होने और महत्वपूर्ण मुद्दों पर परिपक्व निर्णय लेने की क्षमता विकास करने में कई वर्ष लग जाते है.

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग और संभावनाएं (Uses of AI and Possibilities)

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग की असीमित संभावनाएं है. हाल ही में बंगलुरु की एक टेक कम्पनी ने अपने उपभोक्ता सेवा केंद्र से कई कर्मियों को हटा दिया. इसके जगह कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित चैटबॉट ने ले ली.

    आजकल वीडियो, ऑडियो, चित्र व लेख तैयार करने में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल हो रहा है. चैटजीपीटी इसका तरह के उपयोग का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है.

    इसके अलावा भी कई अन्य क्षेत्रों में इसके इस्तेमाल की जा रही है या संभावित है, जो इस प्रकार है-

    स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में (AI in Health Sector in Hindi)

    एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कई बदलाव लाए है. इसके मदद से चिकित्स्कों को इलाज में अधिक सटीकता मिली है मरीज को जल्द स्वास्थ्य लाभ हुआ है. स्वास्थ्य क्षेत्र में इसके इस्तेमाल के कुछ उदाहरण इस प्रकार है-

    1. मेडिकल इमेजिंग: एआई एल्गोरिदम का उपयोग एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी मेडिकल छवियों का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है. वे असामान्यताओं को पहचान कर शीघ्र निदान में सहायता कर सकते हैं. चूँकि यह चूक रहित होता है, इस तरह मानवीय भूल की गुंजाइश करीब समाप्त हो जाती है.
    2. डायग्नोस्टिक्स: कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित उपचार यंत्र बड़ी मात्रा में रोग आंकड़े, जैसे – लक्षण, चिकित्सीय इतिहास और परीक्षण परिणाम का विश्लेषण कर सकते है. इससे जटिल बिमारियों को आसानी से पहचाना जा सकेगा और डॉक्टरों के समय की बचत होगी.
    3. दवा की खोज: एआई का उपयोग नए दवा की खोज व विकास के लिए हो रहा है. मशीन लर्निंग बड़े डेटाबेस में रासायनिक यौगिकों का जैव रसायन से अभिक्रिया को समझने में सक्षम होते है. इस तरह ये नए दवा का ईजादकर हमें बड़े बिमारी से बचाने में सक्षम है.
    4. वैयक्तिकृत चिकित्सा: कृत्रिम बुद्धिमत्ता किसी बीमार के डीएनए, जीवन शैली व स्वास्थ्य इतिहास का अध्ययन कर जरुरत के अनुसार उपचार प्रक्रिया बता सकता है. इससे प्रभावी इलाज में मदद मिलेगी और विपरीत परिणाम से बचा जा सकेगा.
    5. आभासी स्वास्थ्य सहायक: एआई आधारित विशेष नियंत्रण वाले चैटबॉट सामान्य बिमारियों के सम्बन्ध में परामर्श दे सकता है. सुदूर इलाजरत मरीज को इससे मदद मिल सकती है. एम्बुलेंस में मरीज के स्वास्थ्य निगरानी में भी यह मदद कर सकता है.
    6. रोग की भविष्यवाणी और रोकथाम: कृत्रिम बुद्धिमत्ता किसी ख़ास इलाके के मरीजों के बीमारी और पैटर्न का आंकलन कर भविष्य में किसी बड़ी बीमारी के संभावना को व्यक्त कर सकता है. इससे समय से पहले योजना बनाने में मदद मिल सकेगी.
    7. प्रशासनिक कार्य: कृत्रिम बुद्धिमत्ता परामर्श का समय, बिलिंग, मेडिकल कोडिंग और परिचालन दक्षता में सुधार लाकर त्रुटियों को कम करने में सक्षम है. इस तरह एआई स्वास्थ्य देखभाल में प्रशासनिक सुधार ला सकता है.
    8. निगरानी और दूरस्थ देखभाल: कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस पहनने योग्य गेजेट्स के माध्यम से सुदूर बसे मरीज की निगरानी की जा सकती है. यह एआई गैजेट मरीज के स्वास्थ्य संकेतों को पहचानकर इलाज की आवश्यकता का जानकारी दे सकता है. क्रॉनिक डिजीज की निगरानी करना इससे और भी आसान हो जाता है.
    9. सर्जरी में रोबोटिक्स: कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाले रोबोट के मदद से जटिल ऑपरेशन बिना त्रुटि के किया जाना संभव है. इससे त्रुटि में कमी आएगी और मरीज मृत्यु दर में सुधार होगा.
    10. दवा पर नियंत्रण– एआई किसी मरीज को दी जा रही दवा की मात्रा की कमी या अधिकता को आंकड़ों के आधार पर बता सकता है. साथ ही, मरीज ने समय पर दवा लिया था या नहीं, ये जानकारी भी जुटाई जा सकेगी.
    11. एआई का स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं है. लेकिन इसका सुरक्षित व जिम्मेदारी से इस्तेमाल भी उतना ही आवश्यक है. इसलिए इसके उपयोग के लिए नैतिक विचार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. साथ ही, डेटा गोपनीयता और नियामक ढांचे भी मौजूद होने चाहिए.

    शिक्षा क्षेत्र में (AI in Education Sector)

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता शिक्षा के क्षेत्र में युगांतकारी बदलाव लाने में सक्षम है. ये विभिन्न प्रकार के नवाचार के माध्यम से शिक्षा में सुधार ला रहा है. शिक्षा में AI के कुछ प्रमुख अनुप्रयोग यहां दिए गए हैं:

    1. वैयक्तिकृत शिक्षण: एआई एल्गोरिदम छात्रों की सीखने की शैलियों, प्राथमिकताओं, शक्तियों और कमजोरियों का विश्लेषण कर सकता है. इससे किसी छात्र के मजबूत और कमजोर क्षेत्र का पता चल जाता है. यह इसी के अनुरूप शैक्षिक सामग्री प्रदान कर छात्रों के प्रदर्शन में सुधार लाने में सक्षम है.
    2. इंटेलिजेंट ट्यूटर : एआई-संचालित ट्यूटर सिस्टम छात्रों को गृह-कार्य और परियोजनाओं में सहायता करने में सक्षम है. वास्तविक समय में मिले प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन से छात्रों को किसी परिचित के मार्गदर्शन का इन्तजार नहीं करना होता है. इससे वे त्वरित गति से सिख सकते है. साथ ही, ट्यूशन आने-जाने के समय की भी बचत हो जाती है.
    3. स्वचालित ग्रेडिंग: एआई बहुविकल्पीय उत्तर वाले वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का मूल्यांकन कर ग्रेडिंग कर सकता है. इससे शिक्षकों को एक-एक छात्रों को फीडबैक देने की जरुरत नहीं होगी. शिक्षक इस समय का सदुपयोग कमजोर छात्रों के प्रदार्शन में सुधार करने में कर सकते है.
    4. शैक्षिक सामग्री निर्माण: एआई पाठ्यक्रम और छात्रों के जरुरत के आधार पर शैक्षिक सामग्री तैयार करने में सक्षम है. ये क्विज, पाठ योजना और नया अध्ययन सामग्री के रूप में हो सकता है. इससे शिक्षकों को अतिरिक्त विविध सामग्री प्राप्त होगी, जो छात्रों के लिए फायदेमंद होगा. जटिल अवधारणाओं को सुलझाने और आसान भाषा में समझाने में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता सक्षम है.
    5. भाषा और अनुवाद: एआई छात्रों को उच्चारण और बातचीत कौशल का अभ्यास में मदद कर सकता है. साथ ही, वैश्विक शिक्षण सामग्री को मूल भाषा में प्रस्तुत कर पठन को सुगम्य बनाने में भी यह सक्षम है.
    6. आभासी कक्षा: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से दूर बैठे छात्रों के लिए कक्षा के तरह का वातावरण बनाकर ऑनलाइन पढ़ाया जा सकता है. इससे दूर के छात्र घर बैठे ही स्कूल का अनुभव ले सकेंगे और शैक्षणिक माहौल का निर्माण होगा.
    7. आंकड़ों का सूक्षम विश्लेषण: छात्रों के पुराने प्रदर्शन वाले डाटा के पैटर्न और रुझानों से छात्र में हुए प्रगति या अवरोध को पहचाना जा सकता है. इसके माध्यम से एक कक्षा, एक स्कूल, जिला, राज्य या पुरे देश में शिक्षा की स्तिथि को जाना जा सकता है. इससे शिक्षकों, संस्थानों और निति-निर्माताओं को विस्तृत जानकारी मिल सकेगी. इसके आधार पर बेहतर पाठ्यक्रम और रणनीति तैयार किया जा सकेगा.
    8. त्वरित हस्तक्षेप: एआई सीखने की कठिनाइयों या शैक्षणिक चुनौतियों के संकेतों को पहले ही पहचान सकता है. इससे शिक्षक व अभिभावक छात्र का तुरंत मार्गदर्शन कर सकते है.
    9. शैक्षणिक चैटबॉट और सहायक: कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित चैटबॉट छात्रों के सवालों का जवाब दे सकते हैं. ये कक्षा के बाहर निर्देश देकर सिखने की गति को बढ़ाने में सक्षम है.
    10. लक्षित मूल्यांकन: एआई-आधारित मूल्यांकन प्रश्नों के कठिनाई के आधार पर दिए गए जवाब का छात्र-दर-छात्र मूल्यांकन कर सकता है. इससे कौशल का सटीक मूल्यांकन संभव होगा.

    कृषि सेक्टर में एआई (Artificial Intelligence in Agriculture Sector in Hindi)

    खेती में कृत्रिम बुद्धिमता के उपयोग ने फसल और पशुधन के उत्पादकता बढ़ाने में मदद की है. एआई तकनीक पैदावार बढ़ाने, संभावित खतरों और निदान को पहचानने तथा आकस्मिक चुनौतियों से निपटने में मददगार साबित हुई है.

    सटीक कृषि, जलवायु पूर्वानुमान और पशुधन प्रबंधन जैसे कृषि से संबंधित मामलों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपयोगी है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक का उपयोग उत्पादकता बढ़ाने, संसाधन का समुचित उपयोग और बढ़ती वैश्विक आबादी को खाद्य सुरक्षा मुहैया करवाने में किया जा सकता है.

    सतत कृषि के लिए एआई (AI for Sustainable Agriculture)

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर्यावरण अनुकूल तकनीकों के उपयोग से फसल उत्पादकता बढ़ाने में सक्षम है. एआई डाटा के विश्लेषण के आधार पर इससे जुड़ा जानकारी दे सकता है. इस तरह हम पर्यावरण के दृष्टि से टिकाऊ कृषि अपबनै सकते है.

    फसल निगरानी एवं प्रबंधन (Crop Monitoring and Management)

    कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्राथमिक अनुप्रयोगों में से एक फसल निगरानी और प्रबंधन है. एआई एल्गोरिदम, ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी की मदद से किसानों के चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम है. इस तकनीक से फसल के स्वास्थ्य का आकलन, कीटों और बीमारियों का पता लगाना और मिट्टी की नमी और पोषक तत्वों के स्तर जैसे कारकों का आसानी से निगरानी किया जा सकता है. ये जानकारियां किसानों को लक्षित फैसले लेने में सहायक है. इस तरह एआई के उपयोग से कीटनाशकों का उपयोग कम होता है और फसल की पैदावार बढ़ती है.

    सटीक खेती (Precise Farming)

    खेती में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग का यह स्वरुप सबसे अनोखा है, जो खेती के सटीकता को बढ़ता है. इसमें एआई-संचालित सेंसर, जीपीएस तकनीक और स्वचालित मशीनरी का उपयोग शामिल है. खेतों का सटीक मानचित्रण करके खेत के अलग-अलग हिस्सों में मिट्टी, फसल स्वास्थ्य, नमी और उर्वरक के स्तिथि का जानकारी मिल सकता है. जानकारी प्राप्त होने पर किसान खेत के विभिन्न इलाकों में जरुरत के अनुसार उपाय लागू कर सकता है. इस तरह कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित सटीक खेती से अनुकूल संसाधन आवंटन, कम लागत और न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव जैसे लाभ प्राप्त होते है.

    सरकार भी इस तकनीक का उपयोग कर विभिन्न इलाकों के किसानों को बता सकती है कि किस इलाके में किस प्रकार के फसल अनुकूल है, कहाँ की जमीन उर्वर है और कहाँ पोषक तत्त्वों की आवश्यकता है, किन इलाकों में सिंचाई की जरुतत है और किन इलाकों में नमी की अधिकता है, इत्यादि.

    एआई-संचालित जलवायु पूर्वानुमान (AI-Driven Climate Forecasting)

    हमारे पास बड़ी मात्रा में ऐतिहासिक मौसम डेटा और वर्तमान जलवायु का पैटर्न उपलब्ध है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता इनका विश्लेषण करके सटीक जलवायु पूर्वानुमान करने में सक्षम है. एआई-जनित पूर्वानुमानों के उपयोग से किसान विपरीत मौसमी घटनाओं के समय पूर्व योजना बना सकते हैं. किसान फसल का चुनाव और लचीली कृषि प्रथाओं को भी लागू कर सकते हैं. इस तरह एआई, किसानों को जलवायु परिवर्तन का सामना करने में सक्षम बनाता है.

    पशुधन प्रबंधन (Livestock Management Enhanced by AI Technology)

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित सोलूशन्स (समाधान) फसल प्रबंधन तक ही सीमित नहीं हैं. ये पशुधन पालन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने योग्य है. पहनने योग्य सेंसर और एआई-संचालित एनालिटिक्स जानवरों के स्वास्थ्य, व्यवहार, भोजन व मलत्याग पैटर्न की निगरानी में मदद करते हैं. ये जानकारियां बीमारियों का शीघ्र पता लगाने, उचित भोजन योजना और बेहतर प्रजनन प्रथाओं को सक्षम बनाती हैं. इससे पशुधन के स्वास्थ्य में सुधार होता है और उत्पादकता बढ़ती है.

    खाद्य सुरक्षा में ए.आई (AI in Food Security)

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    खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपूर्ति श्रृंखला का कुशल प्रबंधन जरुरी है. एआई एल्गोरिदम स्टॉक की उपलब्धि, मांग की स्थिति में बदलाव इत्यादि डेटा का विस्तृत विश्लेषण करने में सक्षम है. इस तरह यह भविष्य में मांग पैटर्न का भविष्यवाणी कर रसद और वितरण प्रक्रियाओं को जरुरत के मुताबिक अनुकूल बनाती है. इस तरह कृत्रिम बुद्धिमत्ता खाद्य आपूर्ति में सुधार लाकर खाद्यों के कमी या अधिकता से होने वाले नुकसान को कम करता है. भारत में कई खाद्य श्रृंखला व रिटेल कंपनियां इसका इस्तेमाल कर रही है.

    कृषि रोबोटिक्स (Agricultural Robotics)

    एआई कंपनियां ऐसे रोबोट विकसित कर रहे जो खेती के कई काम आसानी से कर सकते हैं. इस प्रकार के रोबोट को खरपतवारों को नियंत्रित करने और तेज गति से फसल काटने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. ये रोबोट फसलों के गुणवत्ता को जांचने और खरपतवार को अलग करते हुए एक प्रकार के फसलों को पैक करने में भी सक्षम है. ये रोबोट कृषि में श्रम की कमी के समस्या से निपटने में भी सक्षम है.

    वित्त (AI in Finance)

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने वित्त क्षेत्र में महत्वपूर्ण पैठ बनाई है. इससे वित्तीय संस्थानों के संचालन, डेटा का विश्लेषण और अपने ग्राहकों को सेवा देने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आया है. वित्त में एआई प्रौद्योगिकियों के एकीकरण से प्रक्रियां अधिक कुशल हुए है, निर्णय लेने में सुधार हुआ है और ग्राहकों के अनुभव में संतुष्टि का इजाफा हुआ है. वित्त क्षेत्र में AI के कुछ प्रमुख अनुप्रयोग यहां दिए गए हैं:

    1. धोखाधड़ी और रोकथाम: कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित एल्गोरिदम वास्तविक समय में संदिग्ध गतिविधियों और असामान्य पैटर्न का पता लगाकर वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी पकड़ सकता है. क्रेडिट और डेबिट कार्ड से जुड़े धोखाधड़ी इनमें एक है. इससे ग्राहकों के धन सुरक्षित रहेंगे और धोखेबाजी के प्रवृत्ति को रोकने में मदद मिलेगी. साथ ही, वित्तीय संस्थाओं के प्रति ग्राहकों के भरोसे में भी इजाफा होगा.
    2. ग्राहक सेवा और चैटबॉट: एआई-संचालित चैटबॉट और वर्चुअल असिस्टेंट का उपयोग व्यक्तिगत ग्राहक सहायता प्रदान करने, पूछताछ का उत्तर देने और सामान्य बैंकिंग प्रश्नों का समाधान करने के लिए किया जाता है. ये 24/7 उपलब्धता प्रदान करते है, जो ग्राहकों के संतुष्टि और कारोबार विस्तार के लिए उपयुक्त है.
    3. क्रेडिट जोखिम मूल्यांकन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित सॉफ्टवेयर किसी लेनदार के साख का सटीक आकलन करने में सफल है. इसके लिए एआई कई बिंदुओं पर गौर करता है. ये विश्लेषण ऋणदाताओं को डिफ़ॉल्ट के जोखिम को कम करने में सहायता देता है.
    4. एल्गोरिथम ट्रेडिंग: कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग ने एल्गोरिथम ट्रेडिंग रणनीति को साकार कर ट्रेडिंग में क्रांति ला दी है. यह एकसाथ बड़े बाजार डेटा का विश्लेषण कर उच्च गति से ट्रेडों को निष्पादित कर सकता है. इससे दक्षता में सुधार होती है और बेहतर रिटर्न की संभावना बनती है.
    5. व्यक्तिगत वित्तीय योजना: कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित प्लेटफार्म किसी व्यक्ति के वित्तीय डेटा, लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता का विश्लेषण करने में सक्षम होती है. ऐसा विभिन्न बिंदुओं पर पुराने और नए आंकड़ों के आधार पर संभव है. एआई इसी के अनुरूप निवेश सलाह और वित्तीय योजना बना सकता है. यह निवेश प्रबंधन और पोर्टफोलियों में सुधार जैसे काम भी कर सकता है.
    6. वित्तीय विश्लेषण में प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी): इसमें मीडिया, सोशल मीडिया व अन्य प्लेटफार्म की जा रही बातचीत का विश्लेषण किया जाता है. बड़े पैमाने पर उपलब्ध इस डाटा के भावनात्मक पहलुओं को बारीकी से परखा जाता है. इससे बाजार के रुझानों का भविष्यवाणी करने में मदद मिलती है. इसके आधार पर बाजार के संभावित गतिविधियों को आँका जाता है और उसी के अनुरूप फैसला लिया जाता है.
    7. कानूनी निगरानी: कृत्रिम बुद्धिमत्ता शंकापूर्ण लेनदेन को आकलित कर मनी लॉन्डरिंग जैसे मामलों के पहचान में मददगार है. ऐसे मामलों में सरकारी एजेंसी एआई के सहायता से बड़े स्तर के काम को कुछ ही समय में कर सकते है.
    8. आर्थिक स्तिथि– किसी क्षेत्र में तेजी और मंदी को पहचानने में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता सक्षम होते है. यह लोगों के खरीद क्षमता और बचत दर का भी आंकलन कर सकता है. इस तरह कृत्रिम बुद्धिमत्ता विभिन्न क्षेत्रों के गतिविधियों का आंकलन कर किसी देश के आर्थिक स्तिथि को व्यक्त करने में सक्षम है.

    विज्ञापन और मार्केटिंग में एआई (AI in Advertising and Marketing)

    उद्योगों, विपणन एजेंसियों व कंपनियों को ग्राहकों के जरुरत को समझने की जरुरत होती है. साथ ही, उत्पाद की गुणवत्ता को बदलते समय और उपभोक्ता के जरुरत के अनुसार बदलने की जरुरत होती है. इन सब में कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहायक है.

    1. ग्राहकों का विभाजन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता एल्गोरिदम उपभोक्ता के प्राथमिकताओं, व्यवहार और जनसांख्यिकी के आधार पर डाटा विश्लेषण कर उनके जरूरतों को पहचान सकता है. एक समान जरुरत वाले ग्राहकों को पहचानने के बाद उनके अनुरूप उत्पाद व विज्ञापन बनाए जा सकते है. इस तरह एआई व्यापार के विकास में मददगार है.
    2. अनुशंसा: कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित इंजन ग्राहकों के पिछले रिकॉर्ड के अनुसार उत्पादों या सेवाओं का सुझाव देते हैं. ये ग्राहकों के सर्च और खरीद आंकड़ों के आधार पर भी ख़ास उत्पाद के विज्ञापन दिखाते है. इससे उत्पादों के बिक्री में तेजी आती है और कंपनियों के मुनाफे में तेज बढ़ोतरी होती है.
    3. डायनामिक मूल्य: कृत्रिम बुद्धिमत्ता किसी वस्तु के उपलब्धता, आपूर्ति और मांग के आंकड़ों पर नजर रखता है. इसके आधार पर यह उत्पादों और सेवाओं के मूल्यों को घटाने-बढ़ाने में सक्षम है. ओला और उबेर द्वारा अपनाई गई पद्धति इसी तरह की है. ऐसा अन्य क्षेत्रों में भी किया जा सकता है.
    4. डिजिटल आकलन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता सोशल मीडिया डेटा से ब्रांड या उत्पाद के प्रति भावनाओं को पकड़ने में सक्षम है. यह उपभोक्ताओं को उनके आवश्यकता के अनुसार डिजिटल विज्ञापन परोसता है, जो क्लिक-थ्रू-दर (CTR) को बढ़ा डेटा है. इससे ब्रांड की बिक्री और प्रचार में सुधार होता है.

    यातायात (AI in Transport)

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) परिवहन उद्योग में युगांतकारी बदलाव लाए है. इससे दक्षता, सुरक्षा और स्थिरता में वृद्धि हुई है. परिवहन में AI के कुछ प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:

    1. स्वायत्त वाहन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग सबसे अधिक स्वचालित वाहनों में होने की संभावना है. फिलहाल कुछ कम्पोनियाँ ही इस तरह के वाहन बना रही है. लेकिन, भविष्य में इस तरह के वाहनों के बाढ़ आने की संभावना है. यह मार्ग बताने, भीड़ से निकालने और तेज या धीमा चलाने जैसे निर्णय लेने में सक्षम है. यह सेंसर और कैमरा की मदद से सड़क के गतिविधि का जानकारी जुटाता है. इस तरह ऑफिस जाते वक्त वाहन चलाने के बदले मिलने वाले समय का इस्तेमाल पुस्तकें पढ़ने, संगीत सुनने या मूवी देखने में किया जा सकता है.
    2. यातायात प्रबंधन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल स्मार्ट ट्रैफ़िक प्रबंधन में होता है. यह भीड़ के अनुसार मार्गों को खोलने या बंद करने का संकेत दे सकता है. साथ ही, एक दिन में अलग-अलग समय के दौरान ट्रैफिक में होने वाले बदलावों के पैटर्न को पहचान कर योजना बनाने में मदद कर सकता है.
    3. मार्ग अनुकूलन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल से मार्ग के भीड़, मौसम और तीव्रता जैसे जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाते है. इसके कारण अन्य सहायक मार्ग द्वारा यात्रा संपन्न किया जा सकता है, जो समय और श्रम को बचाने वाला है. उदाहरण के लिए गूगल का नौवहन जीपीएस तकनीक.
    4. कार्गो और लॉजिस्टिक्स: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के द्वारा शिपमेंट मार्गों, गोदाम प्रबंधन और आपूर्ति श्रृंखला से सम्बंधित आंकड़ों का विश्लेषण किया जा सकता है. इससे त्वरित आपूर्ति वाले मार्ग और तरीके ईजाद किए जा सकते है, जो आपूर्ति श्रृंखला को सस्ता और तेज़ बनाता है.
    5. स्मार्ट पार्किंग समाधान: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल से स्मार्ट पार्किंग तकनीक बनाया जा सकता है. इस तरह ड्राइवरों को पार्किंग के लिए स्थान ढूंढने में वक्त बर्बाद नहीं करना पड़ता है. ये तकनीक ईंधन और श्रम की भी बचत करता है.
    6. आपात स्तिथि: आपात्कालीन परिस्थितियाँ, प्राकृतिक आपदाएँ, या अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के दौरान कृत्रिम बुद्धिमता का यातायात संचालन में सराहनीय योगदान हो सकता है. यह आपदाग्रस्त इलाकों से भीड़ को दूर रखने और आपात सेवाओं को राहत स्थल पर जल्द पहुँचने में मददगार है.

    सायबर सुरक्षा (AI in Cyber Security)

    साइबर सुरक्षा से संबंधित उपायों को मजबूत करने और बढ़ते साइबर खतरों से बचाव में कृत्रिम बुद्धिमत्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. साइबर सुरक्षा में AI के कुछ महत्वपूर्ण उपयोग यहां दिए गए हैं:

    1. पहचान और रोकथाम: कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित साइबर सुरक्षा प्रणाली हमले के पैटर्न, नेटवर्क ट्रेफिक, उपयोगकर्ता के व्यहवार और सिस्टम लॉग के पैटर्न और विसंगतियों को पहचानने में सक्षम है. यह किसी भी त्रुटि को संदिग्ध और खतरे के रूप में चिन्हित कर सकता है, जिसमें मानव श्रम की काफी कम आवश्यकता होती है. एआई द्वारा त्वरित प्रतिक्रिया से मैलवेयर, रैंसमवेयर और फ़िशिंग जैसे खतरों को तुरंत रोकने में मदद मिलती है.
    2. प्रमाणीकरण: एआई-संचालित प्रमाणीकरण प्रणाली उपयोगकर्ता के व्यवहार, डिवाइस की जानकारी और संदर्भ का विश्लेषण कर वैधता को जांच सकती है. इस तरह यह सिर्फ वैध लोगों को ही महत्वपूर्ण जानकारी तक पहुँच सुनिश्चित करता है और अनाधिकृत एक्सेस को रोकता है.
    3. भेद्यता प्रबंधन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता विभिन्न डाटा का उपयोग कर सॉफ्टवेयर और सिस्टम में कमजोरियों की पहचान करने में सक्षम है. यह फ़ायरवॉल प्रणाली से जुड़े खामियों का भी विश्लेषण कर सकता है. यह वास्तविक समय में इनसे जुड़े जानकारी देकर संभावित खतरे से बचाने में सक्षम है.
    4. रिपोर्टिंग: कृत्रिम बुद्धिमत्ता किसी नेटवर्क पर हुए सायबर हमले के पैटर्न और डाटा का आंकलन कर विस्तृत डाटा दे सकता है. यह किसी ख़ास भूभाग या डिवाइस से हो रहे खतरे को पहचान कर हमें मदद कर सकता है. हमले के तरीके और गंभीरता से जुड़े जानकारी भी यह उपलब्ध करवाता है. इस तरह साइबर सुरक्षा अधिकारी को रणनीति बनाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी आसानी से मिल जाती है.

    प्रतिरक्षा (AI in Defence)

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) रक्षा प्रणालियों का एक महत्वपूर्ण घटक बन गया है. रक्षा से जुड़े कई प्रकार के एआई ऍप्लिकेशन्स है, जो सैन्य क्षमताओं और रणनीतिक निर्णय में कई गुना सुधार लाती है. रक्षा क्षेत्र में AI के कुछ प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:

    1. AI हथियार: मानव रहित हवाई यान (यूएवी), ड्रोन और स्वचालित जमीनी वाहन का निर्माण कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से संभव है. ये सिस्टम मानवीय उपयोग को कम कर देते है और सेना को टोही, निगरानी और संभावित खतरों को पहचानने और उससे निपटने में मदद मिलती है.
    2. साइबर सुरक्षा: एआई सैन्य नेटवर्क और संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा कर सकती हैं.
    3. पूर्वानुमानित रखरखाव: कृत्रिम बुद्धिमत्ता सेंसर के उपयोग से किसी उपकरण की वास्तविक स्तिथि और विफल होने के संभावना का पता लगा सकती है. इससे रक्षा उपकरणों को समय रहते मरम्मत किया जा सकेगा और युद्धक्षेत्र में नुकसान से बचने में सेना को मदद मिलेगी.
    4. रणनीतिक योजना: एआई रक्षा विश्लेषकों और रणनीतिकारों को विभिन्न परिदृश्यों का अनुकरण करने और संभावित परिणामों की भविष्यवाणी करने में सहायता करता है. मशीन लर्निंग मॉडल उपलब्ध ऐतिहासिक डाटा से सैन्य अभियानों के लिए रणनीतिक योजना बनाने और निर्णय लेने में सहायता कर सकता है.
    5. छवि और सिग्नल प्रोसेसिंग: कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित इस तकनीक के उपयोग से युद्धक्षेत्र के विभिन्न चित्रों और सेंसर का विश्लेषण किया जाता है. इससे दुश्मन की उपस्तिथि, हथियार का क्षमता व भौगोलिक चुनौतियों से सम्बन्धित जानकारी और संभावित परिणाम की जानकारी मिल जाती है. इससे कमांडरों को रणनीति बनाने के लिए बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्राप्त होती है.
    6. रसद आपूर्ति: कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपभोग, परिवहन व उपलब्ध संसाधन के आंकड़ों का विश्लेषण कर आपूर्ति से जुड़े संभावित चुनौतियों से आगाह करता है. इससे रक्षा उपकरणों के लोजिस्टिक्स में भी सहायता मिलती है.
    7. लक्ष्य भेदन: विरोधी के महत्वपूर्ण जमावड़े, संचार तंत्र व हथियार खाने को पता लगाकर नष्ट करने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता महत्ती भूमिका निभाता है. इससे संचालित वाहन या विमान को दूर बैठकर रिमोट से भी निर्देश दिया जा सकता है, जो प्राप्त वीडियो के आधार पर होते है. इसे सेना के जानमाल की हानि होने की संभावना समाप्त हो जाती है.
    8. अन्य उपयोग: विरोधी के रेडियो फ्रीक्वेंसी को पहचान कर उसे बाधित करने, महत्वपूर्ण कार्यों के लिए बायोमेट्रिक पहचान सुनिश्चित करने जैसे कामों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल किया जा सकता है.

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता के फायदे (Advantages of Artificial Intelligence in Hindi)

    1. स्वचालन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने ऑटोमेशन ला दिया है, जिससे कार्यों का त्वरित निष्पादन संभव हुआ है.
    2. सटीकता: यह त्रुटि रहित है, जो बड़े आंकड़ों के संसाधन को सरल बना देता है. यह ऐसे प्रारूप, प्रवृत्तियों और संभावित जोखिमों को पहचानने में सक्षम है, जो साधारण इंसान नहीं कर सकता. इससे निर्णय की गुणवत्ता में सुधार होता है.
    3. दक्षता: मानव अधिक कार्य करने से थक जाता है और मानव के दक्षता में कमी आ जाती है. लेकिन, एआई न तो थकता है और न समय बीतने के साथ इसके दक्षता में कमी आती है. इस तरह एआई सामान रूप से दक्षतापूर्ण कार्य करने में सक्षम है.
    4. व्यक्तिगत सहायता: एआई व्यक्तिगत प्राथमिकताओं को समझ सकता है और इसके अनुरूप फैसले लेने में मदद कर सकता है. कई बार एक से अधिक विकल्प होने पर श्रेष्ठ विकल्प को हमारे लिए प्रस्तुत कर सकता है.
    5. सुरक्षा: एआई का उपयोग खतरनाक स्थितियों में किया जा सकता है. आपदा, परमाणु विस्फोट, दुष्कर इलाकों में खोज, अंतरिक्ष अनुसंधान व खतरनाक सामग्रियों को संभालना या संरक्षित रखने में यह मददगार हैं.
    6. स्वास्थ्य देखभाल: एआई बीमारियों का निदान करने और उपचार खोजने, चिकित्सा देखभाल में सुधार करने और जीवन बचाने में मदद करता है.
    7. शिक्षा: एआई-संचालित उपकरण सीखने में सहायता कर सकते हैं, जिससे छात्रों के लिए शिक्षा अधिक इंटरैक्टिव और मनोरंजक हो सकती है.
    8. विकलांगता: एआई संचालित मशीन विकलांग लोगों के जीवन को सरल व सुगम बनाने में सक्षम है.
    9. नवाचार: एआई नए आविष्कारों और खोजों को प्रोत्साहित कर प्रौद्योगिकी और समाज को आगे बढ़ाने में सक्षम है.यह उपलब्ध जानकारी के आधार पर नए खोज कर सकता है, जो मानवता के भलाई के लिए जरूरी भी है.
    10. क्षमता सुधार: AI प्रणाली के उपकरण इंसानो के सहायता करने में सक्षम है, जो उद्योगों और कार्यालयों के उत्पादकता बढ़ाने वाला है.

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के नुकसान (Disadvantages of AI in Hindi)

    1. बेरोजगारी और विस्थापन: ऑटोमेशन आने से कुछ कार्यों से मानवीय श्रमबल को हटाया जा सकता है. हालाँकि, AI तकनीक को सँभालने के लिए कुछ नए रोजगार व अवसर भी पैदा होंगे, जो अत्यधिक कौशल आवश्यकता वाला रोजगार होगा.
    2. निजता: AI ज्ञान और जानकारियों को संग्रहीत करता है. असुरक्षित हाथों में कोई व्यक्तिगत जानकारी जाने पर इसके दुरूपयोग के संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. इसलिए यह व्यक्तियों की निजता को खतरे में डाल सकता है.
    3. संदिग्ध उपयोग: कुछ स्थानों पर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का नकारात्मक उपयोग हो सकता है, जैसे हैकिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी आदि.
    4. तकनीकी समस्याएं: इसमें उत्पन्न तकनीकी समस्याएं लम्बा खींचना काफी नुकसानदेह भी हो सकता है. चूँकि, ऑटोमेशन वाले उद्योगों के पास प्रशिक्षित श्रमबल नहीं होंगे, जो AI के समान उत्पादन सुचारु रख सके. इस तरह यह समस्या अतिगंभीर हो सकता है.
    5. भाषा और संवाद की समस्याएं: AI और मनुष्य के बीच संवाद का क्षणिक विफलता हो सकता है, जो जारी कार्य में विघ्न डालने के लिए काफी है.
    6. त्रुटियां: कई बार AI में त्रुटियां हो सकती हैं, जो गलत फैसले का कारण बन सकती हैं.
    7. अन्य: कृत्रिम बुद्धिमत्ता में मानवीय संवेदनाएं नहीं होंगी. इसके अभाव में यह मानवीय नैतिक मूल्यों पर सही व गलत निर्णय नहीं ले सकता. यह सिर्फ सर्वश्रेष्ठ को चुनता है. इसलिए कई तरह के मामलों में इसका इस्तेमाल करना घातक साबित हो सकता है, जैसे स्वचालित ड्रोन से हत्या.
    8. इस पर बहुत ज्यादा निर्भरता मानव को आलसी व कम सोचने वाला बना सकता है.

    भारत सरकार का कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर नीति (Government of India Policy on AI in Hindi)

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक के दोहन के लिए भारत सरकार ने व्यापक निति और दृष्टिकोण अपनाया है. इसका लक्ष्य अनुसंधान और विकास, क्षमता निर्माण और नैतिक शासन पर जोर देकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्षेत्र में वैश्विक नेता बनना है. स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शिक्षा और शासन जैसे क्षेत्रों में एआई का एकीकरण भारत की आर्थिक वृद्धि में क्रांति लाने में सक्षम है. रोबोटिक्स, वर्चुअल रियल्टी, क्लाउड टेक्नोलॉजी, बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा मशीन लर्निंग और अन्य प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर भारत में चौथा औद्योगिक क्रांति आने की संभावना है. इसके लिए सरकार ने निम्न कदम उठाए है-

    • नीति आयोग 7,500 करोड़ रूपये खर्चकर पाँच उत्कृष्ट अनुसंधान संस्थानों, 20 अंतर्राष्ट्रीय केंद्रों एवं ‘ऐरावत’ नामक क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है.
    • नीति आयोग के उपाध्यक्ष के अध्यक्षता में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर एक आयोग का गठन भी किया गया हैं. इसमें उद्योग और सरकार के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त शिक्षाविदों को भी शामिल किया गया है.
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3डी प्रिंटिंग, क्लाउड कम्प्यूटिंग और ब्लॉक चेन के क्षेत्र के लिए सरकार बजट का प्रावधान भी कर रही है.
    • सरकार की योजना कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इससे जुड़े क्षेत्रों, जैसे- डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, बिग डाटा इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, रियल टाइम डाटा और क्वांटम कम्युनिकेशन के क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण, मानव संसाधन और कौशल विकास को बढ़ावा देने की है. इसके लिए “द नेशनल एआई पोर्टल ऑफ़ इंडिया (https://indiaai.gov.in/)” लांच किया गया है.
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) के तत्वाधान में एआई पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPAI) चलाया जा रहा है.
    • मेइटी (MeitY) अपने कार्यक्रम के द्वारा प्रशासन में एआई (AI in Governance), एआई बौद्धिक सम्पदा और नवाचार (AI IP & Innovation), एआई कंप्यूटर और सिस्टम, एआई के लिए आंकड़े (Data for AI), एआई में कौशल विकास (Skilling in AI) तथा एआई नैतिकता और शासन (AI Ethics & Governance) के क्षेत्र में काम कर रहा है.
    • राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यक्रम पर नीति आयोग भी काम कर रही है.
    • नीति आयोग के अजेंडे में मिशन के निगरानी हेतु एक टास्क फोर्स के गठन का प्रावधान भी है, जिसमें सभी मंत्रालय, नीति आयोग के सदस्य और राज्य सरकारों के विशेषज्ञ शामिल होंगे.
    • वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में केंद्र सरकार ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दिशा में कई घोषणाएं किए है. इस घोषणा के तहत, ‘AI In India’ और ‘Make AI work for India’ के विजन को साकार करने में मदद करने के लिए, देश भर के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए तीन उत्कृष्टता केंद्र (Center of Excellence) स्थापित करने की योजना है.
    • भारत में अनुमानतः एक लाख कर्मी एआई पर काम कर रहे है. हाल के दिनों में भारत के कई दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनियों ने इस दिशा में बड़े बजट का ऐलान किया है. कई कंपनियां पहले से ही सिर्फ कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर काम कर रही है. सॉफ्टवेयर हब बेंगलुरु को एआई तकनीक ने एक नई संजीवनी दी है.

    केंद्र सरकार ने अपने नीति को स्पष्टता देने हेतु 7-सूत्री कार्यक्रम का रुपरेखा भी तैयार किया है. इसी के अनुरूप कृत्रिम बुद्धिमत्ता मिशन को चलाया जा रहा है. इनमें मुख्य है-

    • मानव-मशीन की बातचीत के लिये विकासशील तरीके बनाना.
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और R&D के साथ एक सक्षम कार्यबल का निर्माण करना.
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम की सुरक्षा सुनिश्चित करना.
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नैतिक, कानूनी और सामाजिक पहुलओं को समझना और उन पर काम करना.
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी को मानक मानकर और बेंचमार्क के माध्यम से मापन का मूल्यांकन करना.

    एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता टास्क फोर्स का गठन केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा भी किया गया है. इसका उद्देश्य आर्थिक, राजनीतिक और कानूनी प्रक्रियाओं में एआई अपनाकर भारत को एआई आधारित अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाना है. इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निम्न लक्ष्य निर्धारित के गए है-

    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीकों को अपनाने में तेजी लाने के लिए नीति और क़ानूनी ढांचें का निर्माण.
    • इस तकनीक पर आधारित उत्पाद से आर्थिक लाभ पाना.
    • एआई आधारित विशिष्ट उद्योग, अनुसंधान कार्यक्रम और सरकार हेतु पाँच वर्षीय अनुशंसाएँ.

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता से सम्बंधित संस्थान व कोर्स (Institutes and Courses related to Artificial Intelligence in Hindi)

    एआई के क्षेत्र में मुख्यतः अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री धारक को भर्ती के लिए वरीयता दिया जा रहा है. इस विधा में पीएचडी की अपार संभावनाएं है. एआई में पीएचडी होल्डर को भी तुरंत नौकरी मिल रही है. कुछ निजी संसथान व नीति आयोग सर्टिफिकेट कोर्स भी दे रहे है.

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर कोर्स उपलब्ध करवाने वाले मुख्य संस्थान है-

    • IIT Hyderabad (आईआईटी हैदराबाद)
    • IIT Delhi (आईआईटी दिल्ली)
    • IIT Kanpur (आईआईटी कानपूर)
    • NIT Karnataka (एनआईटी कर्नाटक)
    • NIT Trichy (एनआईटी त्रिची)
    • NIT Warangal (एनआईटी वारंगल)
    • IIT Patna (आईआईटी पटना)
    • IIT Guwahati (आईआईटी गुवाहाटी)

    इसके अलावा भी देश के कई अन्य निजी व सरकारी संस्थान कृत्रिम बुद्धिमत्ता व अन्य सम्बंधित क्षेत्रों पर कोर्स उपलब्ध करवाती है.

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(FAQs on AI)

    प्रश्न: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अर्थ क्या है?
    उत्तर: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अर्थ है मानव-निर्मित मशीनों या कंप्यूटर के द्वारा मानवों के सोचने के तरीके का अनुकरण.

    प्रश्न: कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता क्या है?
    उत्तर: कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता विभिन्न क्षेत्रों समस्याओं का समाधान कर सुविधा प्रदान करना है.

    प्रश्न: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किन-किन क्षेत्रों में होता है?
    उत्तर: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग विज्ञान, चिकित्सा, वित्त, यातायात, और तकनीकी उन्नति जैसे कई क्षेत्रों में होता है.

    प्रश्न: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अवसर क्या हैं?
    उत्तर: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अवसर असीमित हैं और इसका उपयोग समृद्ध भविष्य के निर्माण के लिए किया जा सकता है.

    प्रश्न: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग क्यों महत्वपूर्ण है?
    उत्तर: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग नए समस्याओं के समाधान सरलता से प्राप्त करने में सक्षम है. इस तरह यह नए विचारों से सृजनशीलता को प्रोत्साहित करता है.

    प्रश्न: मशीन लर्निंग क्या है?
    उत्तर: यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता का ही एक रूप है.

    प्रश्न: किन क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का व्यापक उपयोग हो रहा है?
    उत्तर: इसका उपयोग रिटेल कम्पनी, हवाई यात्रा, सिग्नल प्रणाली, चिकित्सा, चालकरहित वाहन जैसे प्रत्यक्ष क्षेत्रों में व्यापक रूप से हो रहा है. कुछ अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र इस प्रकार है-

    • कंप्यूटर गेम (Computer Game)
    • प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (Natural Language Processing)
    • प्रवीण प्रणाली (Expert System)
    • दृष्टि प्रणाली (Vision System)
    • वाक् पहचान (Speech Recognition)
    • बुद्धिमान रोबोट (Intelligent Robot)

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