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भारत के 6 जैव विविधता हॉटस्पॉट

जैव विविधता हॉटस्पॉट वे स्थल है जिसके जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण का वैश्विक प्रयास किया जा रहा है. आज के दौर तक धरती पर निवास करने वाले 99.9% प्रजातियां विलुप्त हो चुके है. आज के दौर में औद्योगिक प्रदुषण के कारण विलुप्ति का दर काफी बढ़ गया है. इस मानवीय हस्तक्षेप के कारण अन्य जीवों और पौधों के प्राकृतिक आवास तेजी से हो रहा है. इसी संकट से निपटने के लिए जैव विविधता के संरक्षण के वैश्विक प्रयास यूनेस्को द्वारा किया जा रहा है. इसके लिए ही जैव विविधता हॉटस्पॉट का प्रावधान किया गया है. इस स्थल में स्थलों को शामिल करने के दो अर्हताएं है-

  1. इसमें कम से कम 1,500 संवहनी पौधे होना चाहिए जो उस क्षेत्र के इलावा कही नहीं पाए जाते हो. दूसरे शब्दों में, हॉटस्पॉट (आकर्षण के केन्द्र) अपरिवर्तनीय है.
  2. ऐसा क्षेत्र जिनका 70% से अधिक मूल पर्यावास नष्ट हो चुका हो और 30% मूल प्राकृतिक वनस्पति विलुप्ति के कगार पर हो.

जैव विविधता हॉटस्पॉट का अवधारणा 1988 में नॉर्मन मायर्स द्वारा प्रतिपादित किया गया है. उन्होंने उष्णकटिबंधीय जंगल पर शोध करते हुए ये पाया की पौधों की प्रजातियों के साथ-साथ उनके आवास भी विलुप्त होने को है. इसके बाद यूनेस्को द्वारा ऐसे हॉटस्पॉट को पहचाने और उसे संरक्षित करने का प्रयास किया गया. इसके तहत दुनियाभर में 36 जैव विविधता तप्तस्थल (Biodiversity Hotspot) का पहचान किया गया है.

भारत के 6 जैव विविधता हॉटस्पॉट (6 Biodiversity Hotspots of India in Hindi)

भारत में भी 6 जैव विविधता तप्तस्थल (hotspot) का इलाका शामिल है. यह इस प्रकार है-

1. हिमालय (The Himalayas in Hindi)

  • यह उत्तरी पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और भारत के उत्तर-पश्चिम और उत्तरपूर्वी राज्यों में 3,000 किलोमीटर से अधिक लम्बा पर्वत श्रृंखला है, जो 7,50,000 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है.
  • हिमालय में माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) सहित दुनिया की सभी 8,000 मीटर से ऊंची पर्वत चोटियाँ स्थित है. इससे दुनिया में सबसे अधिक नदियां भी निकलती है.
  • जंगली एशियाई जल भैंस, गिद्धों, बाघों, हाथियों और एक सींग वाले गैंडे जैसी 163 लुप्तप्राय प्राजातियां प्रभावशाली संख्या में हिमालय में रहती है.
  • यहाँ पौधों की लगभग 10,000 प्रजातियां भी मिलती है, जिनमें से 3,160 इस क्षेत्र के लिए अद्वितीय हैं. यहां तक ​​कि 6,000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर भी संवहनी पौधे पाई गई है.

2. इंडो-बर्मा (Indo-Burma)

  • मुख्यतः पूर्वोत्तर भारत में स्थित इंडो-बर्मा हॉटस्पॉट 23,73,000 वर्ग किमी के विशाल क्षेत्र में फैला है. यह दुनिया के 36 मान्यताप्राप्त जैव विविधता हॉटस्पॉट में सबसे बड़ा है.
  • हॉटस्पॉट में भौगोलिक विविधता अविश्वश्नीय है. इसमें दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे ऊंची चोटी से लेकर बंगाल की खाड़ी, अंडमान सागर, थाईलैंड की खाड़ी और दक्षिण चीन सागर के तट तक शामिल हैं.
  • इस क्षेत्र में पिछले 12 वर्षों के दौरान छह बड़ी स्तनपायी पाए गए है – बड़े सींग वाले मंटजैक, एनामाइट मंटजैक, ग्रे-शैंक्ड डौक, एनामाइट स्ट्राइप्ड रैबिट, लीफ डियर और साओला.
  • यह क्षेत्र लगभग 1,300 पक्षी प्रजातियों का घर है, जिनमें लुप्तप्राय व्हाइट-ईयर नाइट-हेरॉन, ग्रे-क्राउन्ड क्रोशियास और ऑरेंज-नेक्ड पार्ट्रिज शामिल हैं.
  • यहां मीठे पानी की कछुओं की अद्वितीय प्रजाति पाई जाती है, जो अत्यधिक कटाई और व्यापक आवास क्षरण के कारण विलुप्ति के खतरे में है.

3. पश्चिमी घाट (The Western Ghats in Hindi)

पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय भारत की पश्चिमी सीमा पर स्थित है. यहाँ पर्णपाती जंगल और वर्षावन स्थित है. इस इलाके का वन आवरण मूल रूप से 190,000 वर्गकिमी से घटकर 43,000 वर्गकिमी रह गया है.

पश्चिमी घाट 229 संकटग्रस्त पौधों, 31 स्तनधारियों, 15 पक्षियों, 43 उभयचरों, 5 सरीसृपों और 1 मछली प्रजाति का घर है.

यूनेस्को ने यहां के 325 सनकतापन्न प्रजातियों में से 129 को कमजोर, 145 को लुप्तप्राय और 51 को गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया है.

4. सुंदरलैंड (The Sundaland in Hindi)

  • सुंदरलैंड हॉटस्पॉट इंडो-मलायन द्वीपसमूह के पश्चिमी खंड में स्थित है. यह लगभग 17,000 भूमध्यरेखीय द्वीपों का एक समूह है, जो हिन्द महासागर के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों तक स्थित है.
  • यह वैश्विक स्तर पर दो सबसे विशाल भूभागों पर फैला है: बोर्नियो (7,25,000 वर्गकिमी) और सुमात्रा (4,27,300 वर्गकिमी).
  • इस क्षेत्र में दक्षिणी थाईलैंड का एक छोटा सा हिस्सा – पट्टानी, याला और नाराथिवाट प्रांत शामिल है. भारत निकोबार द्वीप समूह भी इसी हॉटस्पॉट का हिस्सा है.
  • फिलीपींस हॉटस्पॉट के 7,100 द्वीप सीधे वालेसिया के उत्तर-पूर्व में हैं, जो प्रसिद्ध वालेस लाइन द्वारा सुंदरलैंड हॉटस्पॉट से विभाजित है.
  • इसमें संपूर्ण मलेशिया, जो प्रायद्वीपीय मलेशिया और बोर्नियो के उत्तरी इलाकों में सारावाक और सबा के पूर्वी मलेशियाई क्षेत्रों तक फैला हुआ है, शामिल है.
  • हॉटस्पॉट में ब्रुनेई दारुस्सलाम के साथ मलय प्रायद्वीप के सिरे पर स्थित सिंगापुर भी शामिल है. इंडोनेशिया का पश्चिमी खंड, जिसमें कालीमंतन (बोर्नियो का इंडोनेशियाई क्षेत्र), सुमात्रा, जावा और बाली शामिल हैं, इसी क्षेत्र में आते हैं.
  • औद्योगिक वानिकी से यहां के विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. यहाँ के बाघ, बंदर और विभिन्न कछुओं की प्रजातियों की वैश्विक मांग, अन्य देशों में जीविका और पारंपरिक चिकित्सा के लिए उपयोग खतरनाक है.
  • यह ऑरंगुटान का विशेष निवास क्षेत्र है. जावा और सुमात्रा, इंडोनेशिया के महत्वपूर्ण द्वीप, दो अलग-अलग दक्षिण पूर्व एशियाई गैंडों की प्रजातियों का अभयारण्य हैं.

5. सुंदरबन (The Sunderbans)

  • सुंदरबन मैंग्रोव वन बंगाल की खाड़ी पर गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के डेल्टा पर स्थित 104 द्वीपों का एक समूह है, जो 1,40,000 हेक्टेयर इलाके में फैला है.
  • यह रॉयल बंगाल टाइगर, गंगा की डॉल्फ़िन और मुहाने पर रहने वाले मगरमच्छ के लिए प्रसिद्ध है. यह पक्षियों, स्तनधारियों और मछलियों की असंख्य प्रजातियों का आवास भी है.
  • यह इलाका भारत और बांग्लादेश में स्थित है. इसका करीब 60 फीसदी हिस्सा बंगलादेश में तो शेष भारत में है. मीठे और खारे पानी के संगम पर स्थित यह इलाका काफी दुर्गम है.

6. तराई द्वार सवाना (The Terrai-duar Savannah)

  • यह स्थल हिमालय के तलहटी में स्थिति है. इसका विकास गंगा के मैदान और हिमालय के चोटियों के संगम स्थल पर हुआ है, जो आदर्श घास-स्थल है.
  • तराई द्वार सवाना उत्तराखंड के तराई बेल्ट के मध्य में नेपाल के दक्षिणी हिस्से से होते हुए पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से तक फैला हुआ है.
  • इस इलाके में ही शानदार फूलों की घाटी, रूपकुंड झील और नंदादेवी राष्ट्रिय उद्यान स्थित है. यहाँ दुनिया के सबसे दुर्लभ घास के मैदान स्थित है.
  • इलाके को हर साल आने वाले मॉनसूनी बाढ़ के गाद से उर्वरता मिलता है. यहाँ पाए जाने वाले एकसिंगी गैंडे घास के मैदान में चट्टान की भाँती दिखते है.
  • इलाके में एशियाई हाथी, स्लोथ भालू और कई अन्य जीवों व वनस्पतियों की प्रजातियां पाए जाते है.
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