प्रिय पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे बिहार के प्रमुख त्यौहार, परंपरा, पर्व, और उनके सांस्कृतिक, सामजिक और ऐतिहासिक मूल्य.
हिन्दी शब्द “त्यौहार” का अर्थ है “उत्सव” या “पर्व”. त्यौहार आमतौर पर किसी विशेष धार्मिक, सांस्कृतिक, या सामाजिक अवसर का प्रतीक होता है. इसे लोग एक साथ मिलकर खुशी, उल्लास और विशेष रीति-रिवाजों के साथ मनाते हैं. इन उत्सवों का उद्देश्य न केवल आनंद और एकता का अनुभव करना है, बल्कि परंपराओं, आस्थाओं और मान्यताओं को भी बनाए रखना है.
भारत जैसे विविधता से भरे देश में कई प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं, जैसे दिवाली, होली, ईद, क्रिसमस, और पोंगल. प्रत्येक त्यौहार का अपना विशेष महत्व और रीति-रिवाज होते हैं, और ये समाज में प्रेम, भाईचारा और सद्भावना को बढ़ावा देते हैं.
हमारे देश के विविधता से बिहार भी अछूता नहीं है. यहां भी कई प्रकार के त्यौहार, पर्व, महोत्स्व और महापर्वों का आयोजन होता है. इनमें सबसे ख़ास छठ पूजा है, जिसे बिहार का महापर्व भी कहा जाता है. आगे बिहार के कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण त्यौहारो का विवेचना इस प्रकार किया जा रहा है-
बिहार के प्रमुख त्यौहार (Major Festivals of Bihar in Hindi)
बिहार के अलावा अन्य प्रदेश की त्यौहार वेशभूषा तथा भाषा में बहुत बड़ा अंतर दिखाई देता है. इतनी बड़ी विभिनता होते हुए भी एक दूसरे से जोड़ें रखने में हमारे त्योहारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. पर्व व त्योहार से हमारे जीवन उल्लास, उत्साह एवं उमंग से भरा होता है. बिहार की त्योहारों की एक अपनी ही भूमिका है. बिहार के त्यौहार संस्कृति, एकता एवं आपसी भाईचारे के सांस्कृतिक विरासत का अंग है.
बिहार के प्रमुख त्यौहार (Bihar ke Pramukh tyohar) इस प्रकार है-
- होली (Holi)
- छठ पूजा (Chhath Puja)
- कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami)
- रामनवमी (Ramnavami)
- बुद्घा जयंत (Buddh jayanti)
- महावीर जयंती (Mahaveer jayanti)
- तीज (Teej)
- जितिया (Jitiya)
होली (Holi)
होली बसंत ऋतु में बिहार में मनाया जाने वाला हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण रंगों का त्यौहार है. जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन के पश्चात अगले दिन यानी चैत्र माह की प्रथम तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग आपसी भेदभाव को भूलकर एक दूसरे को गले मिलते हैं.
इस त्यौहार पर बहुत सारी कहानियां कही जाती है हिरण कश्यप नाम के राजा ने शिव की कठोर आराधना से वरदान प्राप्त किया कि वह न धरती पर मरे और न आकाश में, न दिन में मरे और न रात में, नाल घर के अंदर और न घर के बाहर, ना मनुष्य से ना जानवर से, इसी तरह होली की बहुत सारी कहानियां है.
छठ पूजा (Chhath Puja)
बिहार की छठ पूजा हिंदुओं का सबसे पवित्र एवं प्रमुख त्यौहार है जो हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को मनाया जाता है. यह त्यौहार 4 दिन तक चलता है. यह त्यौहार मुख्य रूप से बिहार झारखंड एवं उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है.
छठ पर्व को पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना के लिए मनाया जाता है. इस पर्व में व्रत रखने के साथ ही डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दी जाती हैं और अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है.
बिहार के नालंदा जिला में स्थित बड़गांव तथा औरंगाबाद जिले में स्थित देव नामक ग्रामों में छठ पर्व के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन होता है एवं दरभंगा जिले के मैया ग्राम में छठ पर्व के अवसर पर मिथिला ग्राम महोत्सव का आयोजन जिला प्रशासन दरभंगा के माध्यम से कराया जाता है.
रामनवमी (Ramnavami)
बिहार में रामनवमी हिंदुओं के प्रमुख त्यौहार में से एक है जो हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. इसी दिन भगवान राम का जन्म हुआ था इसीलिए इस दिन को राम जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है.
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जिन्होंने अपने जीवन काल में विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आदर्शों को नहीं त्यागा और मर्यादा रहते हुए अपना जीवन व्यतीत किए.
बुद्ध जयंती (Buddha jayanti)
बिहार में बुध जयंती बौद्ध धर्म का सर्व प्रमुख त्यौहार है जिसे बुद्धपूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार या त्योहार वैशाख पूर्णिमा के रूप से भी जाना जाता है एक रोचक बात यह है कि भगवान बुध का जन्म ज्ञान की प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ये तीनों इसी दिन अर्थात वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे.
महावीर जयंती (Mahaveer jayanti)
बिहार में महावीर जयंती जैन धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है. जो भगवान महावीर के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान महावीर की शोभायात्रा निकाली जाती है. महावीर जयंती केवल एक पर्व ही नहीं बल्कि सत्य सादगी अहिंसा और पवित्रता का प्रतीक भी है.
इस पर्व से यह प्रेरणा ली जाती है कि जीवन में झूठ लोग लालच और दिखावे से दूर रहना चाहिए तथा सच्चा और परोपकारी जीवन यापन करना चाहिए.
कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami)
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है जो हिंदू पंचांग के भाद्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे उनके मामा कंस के कारागार में हुआ था.
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत रखते हैं और अधी रात 12 बजे के बाद कृष्ण आरती करते हैं और अपना व्रत तोड़ते हैं. यह त्यौहार भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों में आस्था एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है.
तीज (Teej)
बिहार में तीज हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है जिसमें महिलाएं वैवाहिक संबंधों को सुदृढ़ बनाने के लिए तथा परिवार के समग्र कल्याण के लिए निर्जला व्रत करती है.
यह व्रत सर्वप्रथम माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर के लिए रखा था. महिलाएं अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने के लिए तथा जो अविवाहित युवतियां हैं वह अपनी इच्छा अनुसार वर पाने के लिए हड़ताल का तीज का व्रत रखती है.
जीतिया (Jitiya)
इस त्यौहार को हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. जितिया त्यौहार का संबंध संतान से है. इस त्यौहार में विवाहित स्त्रियां अपनी संतान की दीर्घायु आरोग्य तथा कल्याण की कामना से निर्जला व्रत रखती है तथा पूरे विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना करती है.
बिहुला (Bihula)
बिहार के भागलपुर इलाके में मनाया जानेवाला बिहुला या बिशारी पूजा,देवी मनसा के सम्मान में मनाई जाती है. देवी मनसा को परिवार का रक्षक माना जाता है. यह त्यौहार मंजूषा कला के रूप का जश्न मनाता है. बिहुला स्थानीय लोककथा से प्रेरित है. इसके अनुसार मनसा ने देवी से अपने पति लक्षिंदर को वापस जीवित करने की प्रार्थना की थी.
बिहार के मुख्य मेले और महोत्सव
सोनपुर पशु मेला (Sonepur Catte Fair)
सोनपुर पशु मेला अपनी अनुपमता और ऐतिहासिकता के लिए प्रसिद्ध है. यह एशिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा मेला है, जो बिहार के सोनपुर में हर साल लगता है. इस मेले का वर्णन भारत के प्राचीन साहित्य, यथा पौराणिक कथाओं में भी है. ऐसा माना जाता है कि मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने यहाँ हाथियों और घोड़ों के व्यापार की शुरुआत की थी. इससे एक परंपरा शुरू हो गई और हर कार्तिक पूर्णिमा (दिवाली के बाद की पूर्णिमा) को यहां विशाल पशु मेले का आयोजन होने लगा.
यह जीवंत मेला देश भर से व्यापारियों को आकर्षित करता है. यहां गाय, बैल, हाथी, भेड़, बकरी और पक्षियों सहित विभिन्न प्रकार के जानवर बिक्री के लिए लाया जाता है. आज के समय में अन्य आधुनिक उत्पाद, कृषि उत्पाद और भोजन स्टाल भी लगाए जाते है. संगीत समारोह, कई प्रकार के झूले और तमाशा भी इस मेले में आकर्षण का केंद्र होता है. इस मेले में पारंपरिक शिल्प, हथकरघा, जादू के शो, लोक संगीत और नृत्य भी शामिल होते हैं, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.
गंगा और गंडक नदियों के संगम पर स्थित सोनपुर का आध्यात्मिक महत्व भी है. यहां भक्त हरिहरनाथ मंदिर में स्नान और पूजा करने के लिए भी इकट्ठा होते हैं.
मकर संक्रांति (Makar Sankrati – 14/15 January)
बिहार का फसल उत्सव मकर संक्रांति, दक्षिण भारत में पोंगल, उत्तर भारत में लोहड़ी और असम में मनाए जाने वाले बिहू के समानांतर ही मनाया जाता है. मकर संक्राति का त्यौहार प्रार्थना, पुष्पांजलि और गंगा में पवित्र स्नान के साथ बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है.
इस अवसर पर जनवरी महीने में, बांका जिले के मंदार हिल्स और राजगीर में जीवंत मेले लगते हैं. बच्चे आसमान को रंग-बिरंगी पतंगों से भर देते हैं. यह त्यौहार बिहार के सबसे प्रिय उत्सवों में से एक है.
पितृपक्ष मेला, गया (Pitripaksh Mela, Gaya)
बिहार के गया जिले में प्रतिवर्ष सितंबर माह में आयोजित होने वाला पितृपक्ष मेला में शामिल होने पुरे भारत से लोग आते है. गया अपने प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है. इस 16 दिवसीय कार्यक्रम में श्रद्धालु श्राद्ध अनुष्ठान करते है. यह दिवंगत आत्माओं को सम्मान देने और शांति प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है.
राजगीर महोत्सव
मगध साम्राज्य की प्राचीन राजधानी राजगीर में बिहार पर्यटन विभाग अक्टूबर में राजगीर महोत्सव का आयोजन करता है. यह तीन दिवसीय उत्सव है, जिसमें लोक नृत्य, भक्ति संगीत, मार्शल आर्ट प्रतियोगिताएं, तांगा दौड़, मेहंदी कला और महिला उत्सव शामिल हैं. भगवान् बुद्ध और वर्धमान महावीर से जुड़े होने के कारण जैन और बौद्ध मतावलम्बी राजगीर में विशेष श्रद्धा रखते है. राजगीर के ऐतिहासिकता के कारण यह आयोजन दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है.