फॉस्फोरस चक्र एक जैव-रासायनिक प्रक्रिया हैं. यह पृथ्वी पर सभी जीवन रूपों के लिए महत्वपूर्ण हैं. इस चक्र की खासियत इसे अन्य प्रमुख पोषक तत्व के चक्रों से अलग करती हैं. इस लेख में हम इसके विभिन्न प्रक्रिया व प्रकृति से इसके अभिक्रिया को समझेंगे.
फॉस्फोरस चक्र क्या हैं? (What is Phosphorus Cycle in Hindi)
फॉस्फोरस चक्र पृथ्वी की प्रमुख प्रणालियों में फॉस्फोरस की गति को संदर्भित करता है. ये प्रणाली हैं: जीवमंडल, जलमंडल, वायुमंडल और भूमंडल. इस चक्र में फॉस्फोरस का विभिन्न रासायनिक यौगिकों के माध्यम से परिवर्तन शामिल है. इसे बहुत ही क्रमिक प्रक्रिया माना जाता है. उत्थान और अपक्षय जैसी भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के कारण इसे हजारों-लाखों वर्ष से जारी चक्र माना जाता है.
यज काफी धीमी गति से सम्पन्न होता हैं. इसलिए कोई भी मानवीय हस्तक्षेप का तत्काल और असमान प्रभाव होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्राकृतिक प्रणाली तेजी से होने वाले परिवर्तनों को तुरंत संतुलित या अवशोषित नहीं कर सकती है. यह विशेषता यूट्रोफिकेशन को इस मौलिक विशेषता के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में समझने का आधार तैयार करती है.
फॉस्फोरस के प्रमुख भंडार
पृथ्वी पर फॉस्फोरस के प्रमुख भंडार इस प्रकार हैं:
भूवैज्ञानिक भंडार (चट्टानें, तलछट)
फॉस्फोरस के सबसे बड़े भंडार पृथ्वी की पपड़ी में पाए जाते हैं. यह मुख्य रूप से तलछटी चट्टानों में फॉस्फेट (PO43-) खनिज के रूप में मिलता हैं. इनमें एपेटाइट जैसे खनिज भी शामिल हैं. स्थलमंडल में यह यह अविलेय फेरिक और कैल्शियम फॉस्फेट के रूप में मौजूद होता है. गहरे समुद्र की तलछट में मृत जीवों के उत्सर्जन से फॉस्फोरस-समृद्ध कार्बनिक यौगिक बनते हैं.
जलीय भंडार (महासागर, ताजे पानी)
जब चट्टानें अपक्षयित होती हैं तो घुलित फॉस्फेट सतही जल और मिट्टी में प्रवेश करते हैं. नदियाँ घुलित फॉस्फेट को भूमि से महासागर तक ले जाती हैं. महासागर में, फॉस्फोरस घुलित फॉस्फेट के रूप में मौजूद होता है, जो समुद्री खाद्य जालों में चक्रित होता है.
जैविक भंडार (जीवित जीव, कार्बनिक पदार्थ)
कार्बनिक फॉस्फोरस यौगिक जीवों के शरीर और अपशिष्ट में पाए जाते हैं. जीवों के मृत्यु से फॉस्फोरस मिट्टी या पानी में वापस आ जाता है.
फॉस्फोरस चक्र के चरण
फॉस्फोरस प्रकृति के एक हिस्से से दुरे में निरंतर प्रवाहित होते रहता हैं. इस चक्र के मुख्य चरण इस प्रकार हैं:
अपक्षय और क्षरण
फॉस्फोरस चक्र मुख्यतः फॉस्फेट खनिजों वाली तलछटी चट्टानों के अपक्षय और क्षरण से शुरू होता है. यह प्रक्रिया फॉस्फेट आयनों (PO43-) को मिट्टी और सतही जल में छोड़ती है. इसकी तीव्रता वर्षा और चट्टानों के प्रकार द्वारा प्रभवित होता हैं. इस प्रकार, अपक्षय द्वारा फॉस्फोरस दुर्गम भंडार से मुक्त होती है. ज्वालामुखी गतिविधि भी फॉस्फोरस छोड़ती है.
जीवों द्वारा अवशोषण
प्रकाश संश्लेषक जीव मिट्टी या पानी से घुलित फॉस्फेट को अवशोषित करते हैं. यह आवश्यक कार्बनिक यौगिकों, जैसे डीएनए, आरएनए, एटीपी और कोशिका झिल्ली में शामिल हो जाता है. पौधों के लिए फॉस्फोरस की उपलब्धता मिट्टी के पीएच और सूक्ष्मजीवों की गतिविधि से प्रभावित होती है.
खाद्य जालों के माध्यम से आवाजाही
फॉस्फोरस खाद्य श्रृंखला में ऊपर की ओर बढ़ता है. इस प्रकार यह पौधों से शाकाहारी जीवों और फिर मांसाहारी जीवों में पहुंचता हैं. समुद्री पक्षी महासागर की मछलियों से फॉस्फोरस लेकर और अपने गुआनो के माध्यम से इसे भूमि पर लौटाकर एक अनूठी भूमिका निभाते हैं.
अपघटन, खनिजीकरण और घुलनशीलता
जीवों द्वारा प्राप्त फॉस्फोरस पशु उत्सर्जन (अपशिष्ट) और मृत जीवों के अपघटन के माध्यम से मिट्टी या पानी में वापस आ जाता है.
- खनिजीकरण: अपघटक (बैक्टीरिया और कवक) मृत कार्बनिक पदार्थ और पशु अपशिष्ट को तोड़ते हैं. ये कार्बनिक फॉस्फोरस को वापस अकार्बनिक फॉस्फेट (खनिजीकरण) में परिवर्तित करते हैं. इस प्रकार यह पौधों द्वारा अवशोषण के लिए उपलब्ध हो जाता है.
- घुलनशीलता: अम्ल-उत्पादक सूक्ष्मजीव मिट्टी में अघुलनशील फॉस्फेट यौगिकों को घुलनशील बनाने में मदद करते हैं. यह पौधों के ग्रहण योग्य रूप हैं.
अवसादन और उत्थान
मिट्टी में घुलित फॉस्फेट का कुछ हिस्सा नदियों में रिस जाता है और अंततः महासागर तक पहुंच जाता है. महासागर में, मृत जीवों के क्षय होने पर फॉस्फोरस तल पर डूब जाता है. इससे तलछट में फॉस्फोरस की परतें बन जाती हैं. ये तलछट लिथीफिकेशन से गुजरते हैं, जिससे नई फॉस्फेट-समृद्ध तलछटी चट्टानें बनती हैं. इस प्रकार फॉस्फोरस दीर्घकालिक भू-भंडार में वापस चला जाता है. हवा के झोंकों से समुद्र में निर्मित उद्वेलन द्वारा ऊपर आकार समुद्री जीवों के लिए उपलब्ध हो जाता है.
फॉस्फोरस चक्र पर मानवीय प्रभाव
मानवीय गतिविधियों ने प्राकृतिक फॉस्फोरस चक्र को बदल दिया है. इसका पर्यावरण पर गंभीर परिणाम हुए हैं.
कृषि पद्धतियां (उर्वरक का उपयोग, अपवाह)
उर्वरकों के रूप में फॉस्फेट का व्यापाक उपयोग होता हैं. यह फॉस्फोरस चक्र को बहुत अधिक प्रभावित करता हैं. कृषि भूमि से अपवाह के माध्यम अतिरिक्त फॉस्फोरस ताजे जल स्त्रोत और तटीय जल में पहुँच जाता हैं. इससे इन माध्यमों में फॉस्फोरस का मात्रा बढ़ जाता हैं और जल प्रदूषण की स्थिति बनती हैं.
खनन और औद्योगिक गतिविधियां
फॉस्फोरस का खनन उर्वरक और डिटर्जेंट का उत्पादन करने के लिए किया जाता है. इस प्रकार का वाणिज्यिक उत्पादन प्राकृतिक फॉस्फोरस चक्र को काफी तेज करता है. अन्यथा यह बेहद धीमा है.
प्रदूषण (डिटर्जेंट, सीवेज)
फॉस्फोरस डिटर्जेंट और सीवेज अपशिष्ट के माध्यम से भी पारिस्थितिक तंत्रों में प्रवेश करता है. ये स्रोत जल निकायों में पोषक तत्वों के स्तर में वृद्धि में योगदान करते हैं.
परिणाम: यूट्रोफिकेशन और पर्यावरणीय गिरावट
जलीय वातावरण में फॉस्फोरस की अधिकता से बड़े शैवाल प्रस्फुटन होते हैं. इन मृत शैवालों का बैक्टीरिया उपभोग करते हैं, जिससे पानी में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है. (आक्सिजन की कमी हाइपोक्सिया या एनोक्सिया कहलाती है.) इससे मछली और अन्य जलीय प्रजातियों की मृत्यु हो जाती है. इस प्रक्रिया को यूट्रोफिकेशन के रूप में जाना जाता है. यूट्रोफिकेशन जलीय पारिस्थितिक तंत्रों में “मृत क्षेत्र” (Dead Zone) बना सकता है.
फॉस्फोरस चक्र का पोस्टर (Poster of Phosphorus Cycle)

फॉस्फोरस बनाम कार्बन और नाइट्रोजन चक्र
फॉस्फोरस चक्र व कार्बन और नाइट्रोजन चक्र की प्रक्रिया बिल्कुल अलग हैं. आइए हम वायुमंडलीय घटकों और चक्र की गति में इनका संबंध जानते हैं.
वायुमंडलीय घटक में प्रमुख अंतर
- फॉस्फोरस चक्र: इसमें कोई महत्वपूर्ण वायुमंडलीय गैसीय चरण नहीं होता है. फॉस्फोरस यौगिक मुख्य रूप से ठोस या घुलित रूपों में होते हैं.
- कार्बन चक्र: इसमें कार्बन का संचलन शामिल है. यह मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के रूप में, वायुमंडल, महासागरों और जीवित जीवों के बीच चक्रित होता हैं. कार्बन चक्र भी “गैसीय चक्र” है.
- नाइट्रोजन चक्र: यह वायुमंडलीय नाइट्रोजन गैस (N2) का बैक्टीरिया द्वारा प्रयोग करने योग्य रूपों में रूपांतरण है. इसे भी “गैस चक्र” माना जाता है.
चक्र की गति
- फॉस्फोरस चक्र: अत्यंत धीमा, मुख्य रूप से हजारों से लाखों वर्षों में भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा संचालित होता है. धीमी प्राकृतिक पुनःपूर्ति के कारण यह अक्सर पारिस्थितिक तंत्रों में सीमित पोषक तत्व होता है.
- कार्बन चक्र: यह अपेक्षाकृत तेज हैं. कार्बन का प्रकाश संश्लेषण, श्वसन और अपघटन के माध्यम से वायुमंडल, महासागरों और जीवमंडल के बीच तेजी से आदान-प्रदान होता है.
- नाइट्रोजन चक्र: यह भी अपेक्षाकृत तेज गति से सम्पन्न होता हैं.
अंतर्संबंध और निर्भरता
कार्बन, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस का चक्रण निकटता से जुड़े है और एक दूसरे पर निर्भर है. उदाहरण के लिए, पौधों की वृद्धि (कार्बन अवशोषण) अक्सर नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की उपलब्धता द्वारा सीमित होती है. वायुमंडलीय नाइट्रोजन को प्रयोग करने योग्य रूपों में बदलने के लिए नाइट्रोजन-स्थिरीकरण करने वाले बैक्टीरिया की क्षमता मिट्टी में फॉस्फोरस की उपलब्धता पर निर्भर करती है. घुलित फॉस्फोरस और नाइट्रोजन, समुद्री जीवों के लिए महत्वपूर्ण हैं .
तुलना का तालिका
चक्र का नाम | प्राथमिक भंडार | वायुमंडलीय घटक | गति | मानवीय प्रभाव |
फॉस्फोरस | चट्टानें/तलछट | कोई नहीं | बहुत धीमा/भूवैज्ञानिक | खनन, उर्वरक, यूट्रोफिकेशन |
नाइट्रोजन | वायुमंडल | N2 गैस | मध्यम/जैविक | उर्वरक, प्रदूषण, डीनाइट्रीफिकेशन |
कार्बन | वायुमंडल/महासागर | CO2 गैस | मध्यम/जैविक | जीवाश्म ईंधन, वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन |
जीवन में फॉस्फोरस का महत्व
फॉस्फोरस एक आवश्यक पोषक तत्व है जो जीवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. यह कई महत्वपूर्ण जैविक कार्यों में केंद्रीय भूमिका निभाता है:
- ऊर्जा हस्तांतरण: यह एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट (एटीपी) का एक प्रमुख घटक है, जो कोशिकाओं की प्राथमिक ऊर्जा स्त्रोत है.
- आनुवंशिक सामग्री: इससे डीएनए और आरएनए की रीढ़ बनता है. मतलब, यह सभी जीवों की आनुवंशिक सामग्री है.
- कोशिका संरचनाएं: यह फॉस्फोलिपिड्स का एक प्रमुख घटक है, जो कोशिका झिल्ली बनाते हैं.
- संरचनात्मक घटक: यह जानवरों में कैल्शियम फॉस्फेट के रूप में हड्डियों और दांतों का निर्माण करता है.
निष्कर्ष और भविष्य की संभावनाएं
फॉस्फोरस चक्र पृथ्वी की प्रणालियों की अंतर्संबंधिता और पारिस्थितिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. फॉस्फोरस संसाधनों सीमित उपलब्धता के कारण इसके चक्र को पर्यावरणीय प्रभावों, जैसे अपवाह और पारिस्थितिक असंतुलन से बचाना आवश्यक है. महत्वपूर्ण उर्वरक होने के कारण यह मानवीय खाद्य जाल को भी प्रभावित करता हैं. इसलिए इसपर निरंतर, शोध, अनुसंधान और निगरानी की आवश्यकता हैं.