ऑक्सीजन चक्र: प्रक्रिया, स्थान, सजीवों की भूमिका और मानवीय प्रभाव

इस लेख में ऑक्सीजन चक्र की समग्र प्रक्रिया, इसके प्रमुख जलाशयों, सजीवों की महत्वपूर्ण भूमिका और मानवीय गतिविधियों के बढ़ते प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण है. यह वैज्ञानिक तथ्यों और महत्वपूर्ण पारिस्थितिकीय प्रक्रिया की जटिलताओं वर्णित करता हैं.

ऑक्सीजन चक्र क्या है? (What is Oxygen Cycle in Hindi)

ऑक्सीजन चक्र एक जटिल जैव-रासायनिक चक्र है. यह  पृथ्वी के विभिन्न मंडलों – स्थलमंडल, वायुमंडल, जलमंडल और जीवमंडल – में ऑक्सीजन परमाणुओं के संचलन को नियंत्रित करता है. इसमें आयनों, ऑक्साइड और विभिन्न अणुओं के रूप में ऑक्सीजन की कई ऑक्सीकरण अवस्थाओं का जटिल जैव-रासायनिक संक्रमण भी शामिल है.

ऑक्सीजन एक बहुमुखी तत्व है जो विभिन्न रासायनिक रूपों में मौजूद है. यह पारिस्थितिक तंत्र में कई भूमिकाएं निभाता है, जिससे यह एक सरल गैसीय चक्र से कहीं अधिक जटिल हो जाता है. ऑक्सीजन (O2) पृथ्वी पर जीवन के लिए भी एक अनिवार्य तत्व है. यह वायुमंडल के गैसीय घटकों का लगभग 21% है. ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में, कंक्रीट जैसी संरचनाएं तुरंत ढह जाएंगी, वायु दाब में भारी गिरावट आएगी, और ओजोन परत (जो ऑक्सीजन से बनती है) के बिना सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर जीवन को खतरे में डाल देंगी. इसलिए ऑक्सीजन चक्र जीवन के अस्तित्व से जुड़ा हैं.

ऑक्सीजन चक्र की प्रक्रिया व चरण

ऑक्सीजन चक्र कई परस्पर जुड़ी प्रक्रियाओं के माध्यम से संचालित होता है. इन प्रक्रियाओं में प्रकाश-संश्लेषण, श्वसन, अपघटन और दहन प्रमुख हैं. इससे पृथ्वी पर ऑक्सीजन का संतुलन कायम रहता हैं.

प्रकाश-संश्लेषण

प्रकाश-संश्लेषण वह मौलिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा हरे पौधे, शैवाल और कुछ बैक्टीरिया सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और भूमि से जल (H2O) का उपयोग करके जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थ (जैसे कार्बोहाइड्रेट) का निर्माण करते हैं. इस प्रक्रिया के दौरान, ऑक्सीजन गैस (O2) वायुमंडल में मुक्त होती है. मुक्त ऑक्सीजन का प्राथमिक स्रोत जल के अणु होते हैं, न कि कार्बन डाइऑक्साइड के अणु. लेकिन, जल की उपलब्धता भी ऑक्सीजन उत्पादन के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कार्बन डाइऑक्साइड की.

ऑक्सीजन के प्राकृतिक उत्पादन में समुद्री पौधों (मुख्यतः फाइटोप्लांकटन) का योगदान 70-80% हैं. यह स्थलीय पौधों की तुलना में काफी अधिक है. अमेज़ॅन वर्षावन भी वैश्विक ऑक्सीजन का 20% उत्पादन करता है. इसलिए इसे “पृथ्वी का फेफड़े” कहा जाता हैं. 

समुद्री फाइटोप्लांकटन की प्रमुख भूमिका से स्पष्ट होता हैं कि महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र का स्वास्थ्य सीधे वैश्विक ऑक्सीजन आपूर्ति को प्रभावित करता है. इसलिए, समुद्री प्रदूषण नियंत्रण और महासागरीय अम्लीकरण को रोकने के प्रयास वैश्विक ऑक्सीजन संतुलन के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं.

श्वसन

श्वसन में सजीव (पौधे और जंतु) ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ऑक्सीजन का उपयोग करके कार्बनिक पदार्थों (जैसे ग्लूकोज) का जैव-रासायनिक ऑक्सीकरण करते हैं. ऑक्सीय श्वसन में ऑक्सीजन की उपस्थिति अनिवार्य है. इस क्रिया के अंत में पानी, कार्बन डाइऑक्साइड और ऊष्मीय ऊर्जा (एटीपी के रूप में) का निर्माण होता है. सजीव हर समय ऑक्सीजन गैस ग्रहण करते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस का वातावरण में त्याग करते हैं. 

अपघटन और दहन

  • अपघटन: सूक्ष्मजीव (जैसे जीवाणु और कवक) मृत कार्बनिक पदार्थों को विघटित करते हैं. इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन का उपभोग होता है और कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य गैसें मुक्त होती हैं. यह पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण के लिए महत्वपूर्ण है.
  • दहन: कार्बनिक पदार्थों के जलने में वायुमंडलीय ऑक्सीजन का उपयोग होता है. इससे कार्बन डाइऑक्साइड और जल निर्मुक्त होते है. यह प्रक्रिया ऊर्जा भी मुक्त करती है.

सम्बद्ध जैव-रासायनिक अभिक्रियाएँ 

ऑक्सीजन चक्र में क्रेब्स चक्र और ग्लाइकोलिसिस जैसी जटिल जैव-रासायनिक अभिक्रियाएँ शामिल हैं. यह ऊर्जा विमोचन और कार्बन डाइऑक्साइड के उत्पादन में महत्वपूर्ण हैं. 

क्रेब्स चक्र को साइट्रिक एसिड चक्र या टीसीए (TCA) चक्र भी कहा जाता है. यह कोशिकीय श्वसन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और कोशिकाओं में ऊर्जा उत्पादन में मदद करता है. यह कोशिका के माइटोकॉन्ड्रिया में होती है. इसमें कई मध्यवर्ती अणुओं का उपयोग अन्य जैव रासायनिक मार्गों में भी किया जाता है. 

ग्लाइकोलाइसिस, जिसे ग्लाइको अपघटन भी कहा जाता है, कोशिका श्वसन की एक प्रारंभिक अवस्था है जो कोशिका द्रव्य में होती है. इसमें, ग्लूकोज के एक अणु को पाइरूविक अम्ल के दो अणुओं में तोड़ा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है. यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है, और प्रत्येक चरण में एक विशिष्ट एंजाइम उत्प्रेरक का कार्य करता है.

प्रकाश संश्लेषण और श्वसन का अंतरसंबंध

प्रकाश संश्लेषण और श्वसन की क्रियाएं एक-दूसरे की पूरक होती हैं. इस प्रकार, ये दोनों क्रियाएं अपने कच्चे माल के लिए एक-दूसरे के द्वारा उत्पादित अंतिम पदार्थों पर निर्भर रहती हैं. श्वसन, अपघटन और दहन के माध्यम से ऑक्सीजन की खपत और CO2 का उत्पादन करती हैं. लेकिन, प्रकाश संश्लेषण द्वारा CO2 का उपभोग और O2 का उत्पादन होता हैं. 

यह प्रक्रिया प्रकृति में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के बीच एक अभूतपूर्व संतुलन बनाए रखता है. यह संतुलन पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक है. ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर सीधे ग्रह के जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है.

तालिका: ऑक्सीजन चक्र में प्रमुख प्रक्रियाएँ और उनकी भूमिका

प्रक्रिया का नाममुख्य इनपुटमुख्य आउटपुटऑक्सीजन पर प्रभावसंक्षिप्त विवरण
प्रकाश-संश्लेषणCO2, H2O, सूर्य का प्रकाशO2, ग्लूकोजउत्पादनहरे पौधों और शैवाल द्वारा ऑक्सीजन का प्राथमिक उत्पादन.
श्वसनO2, ग्लूकोजCO2, H2O, ऊर्जा (ATP)खपतसजीवों द्वारा ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ऑक्सीजन का उपयोग.
अपघटनमृत कार्बनिक पदार्थ, O2CO2, अन्य गैसें, पोषक तत्वखपतसूक्ष्मजीवों द्वारा मृत पदार्थों का विघटन.
दहनकार्बनिक पदार्थ (ईंधन), O2CO2, H2O, ऊर्जाखपतकार्बनिक पदार्थों का जलना, ऊर्जा मुक्त करना.

ऑक्सीजन चक्र का पोस्टर

ऑक्सीजन चक्र का पोस्टर

ऑक्सीजन के मुख्य स्त्रोत और संचलन

ऑक्सीजन पृथ्वी के विभिन्न मंडलों में अलग-अलग रूपों में संग्रहीत होती है, जिन्हें जलाशय (reservoir) कहा जाता है. इन भंडारों के बीच ऑक्सीजन का निरंतर आदान-प्रदान होता रहता है.

स्थलमंडल (Lithosphere): सबसे बड़ा भंडार

पृथ्वी में ऑक्सीजन का अब तक का सबसे बड़ा भंडार क्रस्ट और मेंटल के सिलिकेट और ऑक्साइड खनिजों के भीतर है. यह कुल ऑक्सीजन का 99.5% है. पृथ्वी के पटल में यह धातुओं तथा सिलिकन के ऑक्साइड के रूप में पाई जाती है. यह कार्बोनेट, सल्फेट, नाइट्रेट तथा अन्य खनिजों के रूप में भी पाई जाती है. अधिकांशतः भूवैज्ञानिक रूप से बंधे होने के कारण यह तत्काल जैविक उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं है. इसलिए वायुमंडल और जलमंडल में मौजूद ऑक्सीजन, पारिस्थितिक तंत्र के कार्य और जीवन के अस्तित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.

वायुमंडल (Atmosphere): गैसीय ऑक्सीजन का भंडार

वायुमंडल में ऑक्सीजन गैसीय रूप में लगभग 21% है. वायुमंडल में ऑक्सीजन का निर्माण मुख्य रूप से समुद्री पौधों के प्रकाश संश्लेषण से होता है. 

जलमंडल (Hydrosphere): घुली हुई ऑक्सीजन

जल भंडारों में ऑक्सीजन पानी में घुली हुई स्थिति में होती है. यह जलीय जीवों को जीवित रखती है. इसका आदान-प्रदान जलीय श्वसन और प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से होता है.

जीवमंडल (Biosphere): कार्बनिक पदार्थों में ऑक्सीजन

ऑक्सीजन जैविक अणुओं जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल और वसा का भी एक आवश्यक घटक है. यह जीवित शरीर में कार्बनिक रूप में मौजूद होता है. जीवमंडल पृथ्वी के कुल द्रव्यमान का 0.05% से भी कम है. लेकिन इसमें ऑक्सीजन का सक्रिय रूप से आदान-प्रदान होता है.

एक से दुसरे स्त्रोत में ऑक्सीजन का आदान-प्रदान

ऑक्सीजन चक्र विभिन्न स्त्रोतों के भीतर और उनके बीच रेडॉक्स प्रतिक्रियाओं के माध्यम से ऑक्सीजन परमाणुओं के जैव-रासायनिक संक्रमण को दर्शाता है. ऑक्सीजन चक्र को केवल गैसीय ऑक्सीजन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाओं में ऑक्सीजन परमाणुओं के एक जटिल जैव-रासायनिक संक्रमण के रूप में देखा जाना चाहिए. यह अन्य भू-रासायनिक चक्रों (जैसे कार्बन, सल्फर, नाइट्रोजन) के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है.

ऑक्सीजन चक्र पर मानवीय गतिविधियों का प्रभाव

मानवीय गतिविधियाँ ऑक्सीजन चक्र को बाधित कर रही हैं. इससे पर्यावरणीय संतुलन, जैव विविधता और मानव जीवन पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं. ऑक्सीजन चक्र अन्य चक्रों से भी जुड़ा हैं. इसलिए इसमें व्यवधान परिसतिथिकी संतुलन को बिगाड़ डेटा हैं. प्रमुख मानवीय गतिविधि जिनका ऑक्सीजन चक्र पर गहरा असर हुआ हैं, इस प्रकार हैं:

  • वनों की कटाई: वन प्रकाश संश्लेषण द्वारा ऑक्सीजन उत्पादन करते हैं. लेकिन वनों की कटाई से ऑक्सीजन उत्पादन कम हो रहा है और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन बढ़ रहा है. यह कार्बन चक्र को भी बिगाड़ता है और जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है.
  • जीवाश्म ईंधन दहन: कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के जलने से ऑक्सीजन की खपत होती है और CO2 उत्सर्जन बढ़ता है. इससे ऑक्सीजन की कुल उपलब्धता में कमी होती है.
  • प्रदूषण और यूट्रोफिकेशन: कृषि उर्वरकों और अपशिष्टों से जल निकायों में शैवाल वृद्धि (यूट्रोफिकेशन) होती है. इससे जलीय निकायों में  ऑक्सीजन की कमी होती है. कई बार इसके कारण “डेड ज़ोन” बनते हैं, जो समुद्री जीवन को नष्ट करते हैं.
  • वैश्विक तापवृद्धि: ग्रीनहाउस गैसों के उतसर्जन से समुद्री तापमान बढ़ती है. इससे समुद्री जल में ऑक्सीजन की घुलनशीलता घटती है और समुद्री जल में ऑक्सीजन की कमी होती है. इस प्रकार समुद्री जीवों के लिए ऑक्सीजन सुलभ नहीं होता है और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है.
  • दीर्घकालिक परिणाम: ऑक्सीजन की कमी से फाइटोप्लांकटन और खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है. यह मत्स्य पालन और खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा है. ऑक्सीजन की कमी से ओजोन परत का क्षरण हो सकता हैं. वायुमंडलीय ऑक्सीजन में कमी से जीवन पर भी गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं.

ऑक्सीजन चक्र में सुधार के उपाय

  • वनीकरण और पुनर्वनीकरण: वैश्विक स्तर पर वनीकरण और पुनर्वनीकरण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ वनों की कटाई हुई है.
  • स्वच्छ ऊर्जा अपनाना: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों (जैसे सौर, पवन ऊर्जा) में निवेश करना. इससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आए.
  • प्रदूषण नियंत्रण और अपशिष्ट जल उपचार: जल प्रदूषण को नियंत्रित करने और यूट्रोफिकेशन को रोकने के लिए प्रभावी नीतियों और बुनियादी ढांचे का विकास करना जरूरी हैं. इसमें उन्नत अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र और कृषि अपशिष्ट प्रबंधन शामिल हैं.
  • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण: समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण को प्राथमिकता देना, विशेष रूप से फाइटोप्लांकटन के आवासों की रक्षा करना. ये वैश्विक ऑक्सीजन उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, इसलिए ऐसा करना जरूरी है.
  • पर्यावरणीय शिक्षा और जागरूकता: पर्यावरणीय शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना ताकि व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर संधारणीय व्यवहार को बढ़ावा मिल सके और लोग ऑक्सीजन चक्र के महत्व और उस पर मानवीय प्रभावों को समझ सकें.

इस प्रकार, ऑक्सीजन चक्र का संतुलन बनाए रखने के लिए मानवीय गतिविधियों पर नियंत्रण और संधारणीय प्रथाओं को अपनाना आवश्यक है. एक समग्र और निवारक दृष्टिकोण ही पर्यावरणीय संतुलन, जैव विविधता और ग्रह के स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकता है.

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