इस लेख में करारोपण के अर्थव्यवस्था पर प्रभावों का संक्षिप्त विश्लेषण किया गया है. इस नोट में कराधान का उत्पादन, विकास, वितरण, और संसाधन आवंटन पर प्रभाव का वर्णन है. साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के विशिष्ट संदर्भ को भी शामिल किया गया है.
करारोपण के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
करारोपण, अर्थात् taxation, सरकार के लिए राजस्व जुटाने का एक प्रमुख साधन है. लेकिन यह अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है. डाल्टन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ‘आर्थिक दृष्टि से उत्तम कर प्रणाली वही है जिसका कम से कम बुरा प्रभाव ही अर्थव्यवस्था पर पड़े.” इस प्रकार करारोपण से उत्पन्न होने वाला आर्थिक प्रभाव ही वह कसौटी है जिससे किसी कर प्रणाली की उत्तमत्ता तथा उपादेयता निर्धारित की जा सकती है.
करारोपण के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव इस प्रकार है:
उत्पादन पर प्रभाव
करारोपण उत्पादन को कई तरीकों से प्रभावित करता है:
1. कार्य क्षमता:
कर का प्रकार, जैसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, कार्य क्षमता पर प्रभाव डालता है. कर के कारण व्यक्ति की आय में कमी आती है. उसका रहन-सहन का स्तर गिरता है. इस तरह आय घटने से उसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है. अप्रत्यक्ष कर, जैसे बिक्री कर, गरीबों की कार्य क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं. ये उनकी आय पर अधिक बोझ डालते हैं. दूसरी ओर, विलासिता वस्तुओं पर कर उनके लिए कम हानिकारक होते हैं. ये उच्च आय वर्ग को प्रभावित करते हैं.
2. बचत और कार्य की इच्छाशक्ति:
करारोपण बचत को भी प्रभावित करता है, जो उत्पादन के लिए आवश्यक है. इसके दो प्रभाव होते है-आय प्रभाव (Income Effect) तथा प्रतिस्थापन प्रभाव (Substitution Effect). कर से व्यक्ति की आय कम हो जाती है. यह उसे अधिक कार्य करने के लिए बाध्य करती है. यह करारोपण का आय प्रभाव है. जब कर लगने से करदाता यह अनुभव करता है कि उसके परिश्रम का उचित प्रतिफल नहीं मिलेगा, क्योंकि आय में जो वृद्धि का अधिकांश कर चुकाने में चला जाएगा. ऐसे में उसे आराम अधिक आकर्षक प्रतीत होगा और वह अधिक कार्य नहीं करेगा. इस प्रकार, यदि करारोपण का आय प्रभाव, प्रतिस्थापन प्रभाव की अपेक्षा अधिक प्रबल रहा तब तो कार्य करने की इच्छा तथा बचत बढ़ेगी अन्यथा नहीं.
3. उत्पादन संसाधनों पर प्रभाव:
उच्च कर उत्पादन संसाधनों, जैसे कच्चे माल या मशीनरी, की लागत बढ़ा सकते हैं. इससे संसाधन कर-मुक्त क्षेत्रों की ओर मुड़ जाता है. इस तरह यह क्षेत्रीय विकास के असमता को कम कर सकता है. यदि सरकार अविकसित क्षेत्रों में उत्पादन के लिए रियायत दें. लेकिन यह उत्पादन डिज़ाइन और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है. शराब, तम्बाकू जैसे पाप वस्तुओं पर उच्च करारोपण से इस क्षेत्र के निवेश को अन्य लाभकारी क्षेत्रों में हस्तांतरित किया जा सकता है.
विकास पर प्रभाव
विकास पर करारोपण का प्रभाव सीधा और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से होता है:
विकास दर और संरचना:
उच्च कर कीमतें बढ़ा सकते हैं, जिससे खरीदने की क्षमता कम हो सकती है और मांग में कमी आ सकती है. दूसरी ओर, मंदी के दौरान कम कर मांग को बढ़ावा दे सकते हैं और विकास को प्रोत्साहन दे सकते हैं.
क्षेत्रीय विकास:
कर प्रोत्साहन विशिष्ट क्षेत्रों, जैसे प्राथमिक, विनिर्माण या सेवा क्षेत्र, के विकास को प्रभावित कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, कुछ क्षेत्रों में कर राहत विकास को बढ़ावा दे सकती है, जबकि उच्च या जटिल कर उस क्षेत्र के विकास को बाधित कर सकते हैं. लेख के अनुसार, सरकार विकास बनाए रखने के लिए कर नीतियों का उपयोग करती है, लेकिन राजनीतिक प्रभाव एकरूपता को जटिल बनाते हैं.
आय वितरण पर प्रभाव
करारोपण आय वितरण को प्रभावित करता है, और इसका प्रभाव अर्थव्यवस्था की प्रकृति पर निर्भर करता है:
- आय असमानता: प्रगतिशील कर, उच्च आय वालों पर अधिक कर लगाते हैं. यह आय असमानता को कम करने में मदद करते हैं. दूसरी ओर, पिछड़े कर वितरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं. पिछड़े कर निम्न आय वर्ग पर अधिक बोझ डालते हैं.
- संपत्ति और आय कर: संपत्ति और आय कर वितरण पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं. संपत्ति कर की आय गरीबों के लिए सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को वित्तपोषित करने के लिए उपयोग की जा सकती है. प्रत्यक्ष कर अप्रत्यक्ष करों की तुलना में वितरण में अधिक प्रभावी होते हैं.
- भारतीय संदर्भ: भारत में वितरण की चुनौतियां हैं. यहाँ कर नीतियों का उपयोग गरीबी को कम करने के लिए किया जाता है. अमीरों की बचत निवेश को प्रभावित करती है. राजनीतिक तथा संरचनात्मक मुद्दे नीतियों की प्रभावशीलता को सीमित करते हैं.
संसाधन आवंटन पर प्रभाव
करारोपण संसाधनों के कुशल उपयोग को प्रभावित करता है:
1. कुशल उपयोग:
उच्च कर हानिकारक वस्तुओं, जैसे तंबाकू या शराब, की खपत को कम कर सकते हैं, जिससे संसाधन अधिक लाभकारी उत्पादन की ओर मोड़ दिए जाते हैं. उदाहरण के लिए, आवश्यक वस्तुओं पर उच्च कर गरीबों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और संसाधनों को कम लाभकारी क्षेत्रों की ओर मोड़ सकते हैं.
2. पूंजी पलायन:
यदि कर बहुत अधिक हैं, तो पूंजी कम कर वाले क्षेत्रों की ओर पलायन कर सकती है. सरकार विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए कर नीतियों का उपयोग करती है. लेकिन उच्च कर संसाधन बहिर्वाह का कारण बन सकते हैं.
करारोपण के अन्य प्रभाव
करारोपण के कुछ अन्य प्रभाव भी होते है, जो इस प्रकार है:
- कर का प्रभाव और बोझ (incidence) अलग-अलग हो सकता है. जैसे बिक्री कर विक्रेता पर पड़ता है, लेकिन अंततः उपभोक्ता इसे वहन करता है.
- कर विवाद और कर चोरी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं. कर छूट के कारण राजस्व हानि होती है, जैसे कि मुक्त व्यापार समझौता (FTAs).
- GST के प्रारंभिक चरण में सरकार के राजस्व में कमी आई. लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ हुए है. इससे अनुपालन में सुधार और कर चोरी में कमी हुई है. इस वजह से जीएसटी संग्रह में भी काफी सुधार हुआ है.
तालिका: करारोपण के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
निम्न तालिका में करारोपण के विभिन्न पहलुओं और उनके विभिन्न प्रभावों का संक्षेप में वर्णन किया गया है:
पहलू | विवरण | विशिष्ट प्रभाव |
उत्पादन प्रभाव | कार्य क्षमता, बचत और उत्पादन संसाधनों पर प्रभाव. | अप्रत्यक्ष कर गरीबों को प्रभावित करते हैं; उच्च कर उत्पादन लागत बढ़ाते हैं. |
विकास प्रभाव | विकास दर और संरचना पर प्रभाव, क्षेत्रीय विकास में कर प्रोत्साहन. | उच्च कर कीमतें बढ़ा सकते हैं; कम कर मांग को बढ़ावा दे सकते हैं. |
वितरण प्रभाव | आय असमानता और संपत्ति वितरण पर प्रभाव. | प्रगतिशील कर असमानता कम करते हैं; पिछड़े कर निम्न आय वर्ग पर बोझ डालते हैं. |
संसाधन आवंटन प्रभाव | संसाधनों के कुशल उपयोग और पूंजी पलायन पर प्रभाव. | उच्च कर हानिकारक वस्तुओं की खपत कम करते हैं; अत्यधिक कर पूंजी पलायन का कारण बन सकते हैं. |
भारतीय अर्थव्यवस्था के विशिष्ट पहलू
भारतीय अर्थव्यवस्था में करारोपण के प्रभाव और जटिल हो जाते हैं:
- बहु-स्तरीय कर प्रणाली: भारत में केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर कर प्रणाली है. यह समन्वय की कमी और जटिलताएं पैदा करती है. केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी नीतियों की प्रभावशीलता को प्रभावित करती है.
- राजनीतिक प्रभाव: कर नीतियां राजनीतिक प्रभावों से प्रभावित होती हैं, जो आर्थिक दक्षता पर राजनीतिक नियंत्रण को प्राथमिकता दे सकती हैं. कर नीतियां अक्सर राजनीतिक लक्ष्यों के अनुरूप बनाई जाती हैं, जो एकरूपता को जटिल बनाती हैं.
- कर चोरी और भ्रष्टाचार: कर चोरी और भ्रष्टाचार कर नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा डालते हैं. यह अर्थव्यवस्था के संसाधन आवंटन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है.
- विकास और कल्याण का संतुलन: भारत में तेजी से विकास और असमानता के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है. कर नीतियों का उपयोग गरीबी और असमानता को कम करने के लिए किया जाता है. लेकिन संरचनात्मक और राजनीतिक सीमाओं के कारण परिणाम मिश्रित होते हैं.
अर्थशास्त्रियों के दृष्टिकोण
कुछ अर्थशास्त्रियों के दृष्टिकोण जो करारोपण के प्रभाव को समझने में मदद करते हैं, इस प्रकार है:
- प्रोफ. लर्नर: उनका मानना है कि कर नीति का उद्देश्य केवल राजस्व प्राप्ति नहीं, बल्कि आर्थिक स्थिरता बनाए रखना भी होना चाहिए. वे कहते हैं, “कर सम्बन्धी नीति बनाते समय उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ या आय प्राप्त करना नहीं होना चाहिए वरन अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाये रखने तथा तेजी व मन्दी को रोकना चाहिए.”
- बेस्टेबिल: उनका कहना है कि करारोपण धन की असमानताओं को ठीक करने का एक साधन है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कठिनाइयां होती हैं. वे कहते हैं, “करारोपण को धन की असमानताओं को ठीक करने का एक साधन मानने की एक बड़ी दृढ़ धारणा है ….. यह तो वित्तीय कला की शक्ति के अन्दर ही सम्भव है कि करों की दरों और रूपों को इस प्रकार चुना जाय कि बिना किसी वर्ग पर अनुचित दबाव के आवश्यक धन प्राप्त हो जाय.”
- प्रोफ. पिगौ: उनका मानना है कि यदि राष्ट्रीय लाभांश में कमी न आए, तो धन के वितरण में सुधार, विशेषकर गरीबों के लिए, सामूहिक कल्याण को बढ़ाता है. वे कहते हैं, “यदि राष्ट्रीय लाभांश की मात्रा में कमी न आये तो धन के वितरण में प्रत्येक ऐसा सुधार जिससे लाभांश में से निर्धनों के पास जाने वाली मात्रा में वृद्धि हो जाती हो, सामूहिक कल्याण की अभिवृद्धि करेगा.”
अंत में (Conclusion)
करारोपण का अर्थव्यवस्था पर गहरा और बहुआयामी प्रभाव पड़ता है, जो उत्पादन, विकास, वितरण और संसाधन आवंटन पर निर्भर करता है. भारतीय संदर्भ में, कर प्रणाली की जटिलताएं, राजनीतिक प्रभाव और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे इन प्रभावों को और अधिक जटिल बनाते हैं. विभिन्न विशेष के अनुसार, कर नीतियों का सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किया जाना चाहिए ताकि आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण के बीच संतुलन बनाया जा सके.