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ब्रिक्स का स्वरुप और इतिहास

ब्रिक्स (BRICS) विश्व के सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देशों का एक अनौपचारिक समूह है. वर्तमान में यह अंतरसरकारी समूह का रूप ले चुका है. ब्राजील , रूस , भारत , चीन , दक्षिण अफ्रीका , मिस्र , इथियोपिया , ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात इसके सदस्य हैं.

इसके स्थापना से वैश्विक कूटनीति में उभरते राष्ट्रों को अपना पहचान स्थापित करने में मदद मिली है. साथ ही, इस समूह ने विकसित राष्ट्रों के एकतरफा निर्णय को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की है.

ब्रिक्स : परिचय और इतिहास (BRICS: Introduction and History in Hindi)

ब्रिक (BRIC) शब्द चार राष्ट्रों के नाम के आरम्भिक अक्षरों के संयोजन से बना है. जिसमें, B को ब्राज़ील से, R को रूस से, I को इंडिया से और C को चीन से लिया गया है. इस शब्द का प्रतिपादन निवेश कंपनी “गोल्डमैन सेक्स एएमसी” के जिम ओ’नील ( Jim O’Neill) द्वारा किया गया था.

जिम ने साल 2001 में बिल्डिंग बेटर ग्लोबल इकोनॉमिक ब्रिक्स नाम से एक शोध पत्र प्रकाशित किया, जिसमें ब्रिक राष्ट्रों में निवेश से बेहतर आय की संभावना व्यक्त की गई थी.

ब्रिक के चारों आरंभिक सदस्यों की पहली अनौपचारिक बैठक सितम्बर 2006 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के आम बैठक के दौरान हुई. फिर 16 जून 2009 को इन सभी राष्ट्रों ने रूस के येकातेरिनबर्ग (Yekaterinburg) में औपचारिक बैठक की.

24 दिसंबर 2010 को दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के इसमें शामिल होने पर इसका नाम ब्रिक्स (BRICS) कर दिया गया. दक्षिण अफ्रीका पहली बार चीन के सान्या में अप्रैल 2011 को हुए सम्मलेन में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुआ.

अगस्त 2023 को 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में दक्षिण अफ़्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने घोषणा की कि 6 नए देश – अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात इस समूह के नए सदस्य होंगे. हालाँकि, अर्जेंटीना ने ब्रिक्स में शामिल न होने की घोषणा कर दी. फलतः, 1 जनवरी 2024 से इसके सदस्यों की संख्या 10 हो गई. नए सदस्यों के सम्मिलित होने पर इसका नाम बदलकर ब्रिक्स+ किए जाने की संभावना है.

ब्रिक्स की उपलब्धियां (Achievements of Brics in Hindi)

साल 2012 में ब्राज़ील के फोर्टालेजा में 6ट्ठा ब्रिक्स सम्मलेन संपन्न हुआ था. इस दौरान एक नया अंतर्राष्ट्रीय बैंक बनाने का प्रस्ताव रखा गया. इसे नया विकास बैंक (New Development Bank) नाम देने की घोषणा हुई. साल 2013 में इसके लिए सदस्यों ने आपस में समझौता किया और 2014 में यह अपने स्वरुप में आ गया.

इसका मुख्यालय चीन के शंघाई में है. इस बैंक की स्थापना का उद्देश्श्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रभाव को कम करना है. सदस्य राष्ट्रों में सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भण्डार वाला चीन इसका सबसे बड़ा योगदानकर्ता है.

ब्रिक्स सदस्य पारस्परिक सहयोग और योगदान से विकसित राष्ट्रों के वैश्विक प्रभाव को कम करने में जुटे हैं. साथ ही, ये राष्ट्र आपसी व्यापार, सहयोग और सामंजस्य को बढ़ावा दे रहे हैं. इससे ये पश्चिमी व विकसित राष्ट्रों के प्रभाव को कम करने में सफल हुए हैं.

हाल ही में ब्रिक्स के सदस्य डॉलर के प्रभाव को कम करने के लिए किसी अन्य मुद्रा को व्यापार के लिए अपनाने पर विचार कर रहे हैं. बढ़ते सदस्य संख्या के साथ ऐसे कदम ब्रिक्स के लिए काफी फायदेमंद हो सकते है. साथ ही, विकासशील व अविकसित राष्ट्रों के लिए भी यह फायदेमंद होगा.

ब्रिक्स सम्मेलनों की सूची (List of BRICS Summits in Hindi)

क्र. सं.तिथिमेजबान देशस्थान
116 जून 2009रूसयेकातेरिनबर्ग
215 अप्रैल 2010ब्राज़िलब्रासीलिया
314 अप्रैल 2011चीनसान्या
429 मार्च 2012भारतनई दिल्ली
526–27 मार्च 2013दक्षिण अफ्रीकाडरबन
614–17 जुलाई 2014ब्राज़िलफ़ोर्टालेज़ा
78–9 जुलाई 2015रूसऊफ़ा
815–16 अक्टूबर 2016भारतबेनौलीम
93–5 सितंबर 2017चीनज़ियामेन
1025–27 जुलाई 2018दक्षिण अफ्रीकाजोहान्सबर्ग
1113–14 नवंबर 2019ब्राज़िलब्रासीलिया
1221–23 जुलाई 2020
17 नवंबर 2020
रूससेंट पीटर्सबर्ग
139 सितंबर 2021भारतनई दिल्ली
1423 जून 2022चीनबीजिंग
1522–24 अगस्त 2023दक्षिण अफ्रीकाजोहान्सबर्ग
1622–24 अक्टूबर 2024रूसकज़ान
172025ब्राज़िलप्रस्तावित
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