आधुनिक युग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का है. आज हम अपने आसपास कई प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को देखते है. लेकिन इन सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सबसे पहले कंप्यूटर का आविष्कार हुआ था. बाद में इसके तकनीक पर आधारित कई नए उपकरण बने. आज के समय में कंप्यूटर के अवधारणा पर लगभग सभी उपकरणों में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल उपकरण लगाए जाते है. इसलिए कंप्यूटर अत्यंत जरुरी विज्ञान माना जा रहा है. तो आइए हम कंप्यूटर से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्यों को जानते है:
कम्प्यूटर क्या है? (What is Computer in Hindi)
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो अपने पास उपलब्ध डाटा को संसाधित करने में सक्षम होता है. इसे अपने प्रोग्राम के रूप में ज्ञात निर्देशों के अनुक्रम को निष्पादित करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है.
यह जानकारी एकत्र करता है, इसे संग्रहीत करता है, इसे उपयोगकर्ता के निर्देशों के अनुसार संसाधित करता है, और फिर परिणाम देता है. आधुनिक समय में, यह बुनियादी गणनाओं से लेकर जटिल समस्या-समाधान तक कई प्रकार के कार्य करने में सक्षम है.
कंप्यूटर (Computer) का हिंदी अर्थ ‘संगणक’ होता है. इसकी उत्पत्ति अंग्रेजी के कंप्यूट (Compute) शब्द से हुए है, जिसका अर्थ ‘गणना करना’ होता है.
कम्प्यूटर शब्द का विकास
‘कंप्यूटर’ शब्द की उत्पत्ति बहुत ही रोचक है. इसका पहली बार इस्तेमाल 16वीं सदी में ऐसे व्यक्ति के लिए किया गया, जो गणना करता था. 20वीं सदी तक इस शब्द का इस्तेमाल संज्ञा के समान ही किया गया. महिलाओं को सभी तरह की गणनाएँ और संगणनाएँ करने के लिए मानव कंप्यूटर के रूप में काम पर रखा जाता था. इसरो जैसे संस्थाओं में भी आरम्भ में महिलाओं को इस काम के लिए नियुक्त किया जाता था.
19वीं सदी के आखिरी हिस्से तक, इस शब्द का इस्तेमाल गणना करने वाली मशीनों के लिए भी किया जाने लगा. आधुनिक समय में प्रोग्राम करने योग्य डिजिटल उपकरण के लिए भी कम्प्यूटर शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है.
कंप्यूटर मशीन का उद्भव (Evolution of Computer)
यहाँ ऐतिहासिक कंप्यूटिंग उपकरणों का सारांश दिया गया है:
- अबैकस: इसे लगभग 4000 साल पहले चीनियों द्वारा आविष्कार किया गया था. यह एक लकड़ी का रैक है जिसमें धातु की छड़ें और मोती होते हैं. इसका उपयोग अंकगणितीय गणनाओं के लिए किया जाता है. इसे दुनिया का पहला गणना यंत्र या कैलकुलेटर माना जाता रहा है.
- नेपियर’स बोन: इसे जॉन नेपियर द्वारा तैयार किया गया था. यह गुणा और भाग सहित मैन्युअल गणनाओं के लिए 9 हाथीदांत पट्टियों का उपयोग करता है. यह दशमलव बिंदु प्रणाली का उपयोग करने वाला पहला था.
- पास्कलाइन: इसका आविष्कार 1642 में ब्लेज़ पास्कल द्वारा किया गया. इसे गियर और पहियों से युक्त पहला यांत्रिक और स्वचालित कैलकुलेटर माना जाता है.
- स्टेप्ड रेकनर (लीबनिज व्हील): इसे 1673 में गॉटफ्रीड विल्हेम लीबनिज द्वारा बनाया गया. इस डिजिटल मैकेनिकल कैलकुलेटर में गियर के बजाय फ्लूटेड ड्रम का उपयोग किया गया था.
- डिफरेंशियल इंजन: इसे 1820 के दशक की शुरुआत में चार्ल्स बैबेज द्वारा डिज़ाइन किया गया था. यह संख्यात्मक तालिकाओं को हल करने के लिए भाप से चलने वाला मैकेनिकल कंप्यूटर था.
- एनालिटिकल इंजन: गणना के क्षेत्र में 1830 में चार्ल्स बैबेज द्वारा किया गया एक और आविष्कार है. यह यांत्रिक कंप्यूटर पंच कार्ड से इनपुट लेता था और किसी भी गणितीय समस्या को हल कर सकता था. इसमें डेटा को अनिश्चित काल तक संग्रहीत करने की क्षमता भी है.
- टेबुलेटिंग मशीन: 1890 में हरमन होलेरिथ द्वारा आविष्कार किया गया. यह पंच कार्ड-आधारित यांत्रिक टेबुलेटर सांख्यिकी की गणना करने और डेटा को सॉर्ट करने में सक्षम था. इसी आविष्कार के कारण IBM का गठन हुआ.
- डिफरेंशियल एनालाइज़र: इसे 1930 में वन्नेवर बुश द्वारा पेश किया गया था. यह गणना के लिए वैक्यूम ट्यूब का उपयोग करने वाला पहला इलेक्ट्रिकल कंप्यूटर था, जो प्रति मिनट 25 गणना करने में सक्षम था.
- मार्क I: यह 1944 में आईबीएम और हार्वर्ड के सहयोग से हॉवर्ड ऐकेन द्वारा निर्मित कंप्यूटर है. इसे बड़े पैमाने पर गणना के लिए डिज़ाइन किया गया था.
ये आविष्कार कंप्यूटिंग तकनीक के विकास में महत्वपूर्ण मील के पत्थर साबित हुए.
कंप्यूटर का प्रारंभिक इतिहास
मानव सभ्यता के आरम्भ के बाद सैकड़ो वर्षों तक गणना के लिए कई प्रकार के उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता रहा. सबसे शुरुआती और सबसे प्रसिद्ध उपकरणों में से एक अबेकस था.
गणना के समस्या का समाधान करने के उद्देश्य से 1822 में चार्ल्स बैबेज ने पहला मैकेनिकल कंप्यूटर विकसित करना शुरू किया. इसी क्रम में उनहोंने साल 1833 में एक एनालिटिकल इंजन डिज़ाइन कर दिया. यह एक सामान्य प्रयोजन वाला कंप्यूटर था. इसमें एक ALU, कुछ बुनियादी फ़्लो चार्ट सिद्धांत और एकीकृत मेमोरी की अवधारणा शामिल थी. इसी आविष्कार के कारण चार्ल्स बैबेज को ‘कंप्यूटर का पिता’ कहा जाता है.
इसके करीब एक दशक बाद सामान्य प्रयोजन के लिए इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर बन पाया. यह ENIAC था, जिसका मतलब है इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर और कंप्यूटर. इस कंप्यूटर के आविष्कारक जॉन डब्ल्यू मौचली और जे. प्रेस्पर एकर्ट थे.
समय के साथ कंप्यूटर तकनीक विकसित हुई और कंप्यूटर छोटे होते गए और प्रोसेसिंग तेज़ होती गई. फिर हमें अपना पहला लैपटॉप 1981 में मिला और इसे एडम ओसबोर्न और EPSON ने पेश किया था.
कंप्यूटर की पीढ़ियाँ (Generations of Computer)
आधुनिक कंप्यूटर के उन्नति को कंप्यूटर की पीढ़ी के रूप में संदर्भित किया जाता है. कम्प्यूटर की मुख्यतः पांच पीढ़ियां है. तो आइए इन पाँच पीढ़ियों के कंप्यूटरों को जानते है:
पहली पीढ़ी (First Generaion)
इस पीढ़ी के कंप्यूटर 1940 से 1955 के अवधि में प्रचलित थे. इस दौरान कंप्यूटर के उपयोग के लिए मशीन भाषा विकसित की गई थी. सर्किटरी के लिए वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया. मेमोरी के लिए चुंबकीय ड्रम का इस्तेमाल हुए. ये मशीनें जटिल, बड़ी और महंगी थीं. ज्यादातर बैच ऑपरेटिंग सिस्टम और पंच कार्ड पर निर्भर थे. आउटपुट और इनपुट डिवाइस के रूप में, चुंबकीय टेप और पेपर टेप को विकसित किया गया था. इसके उदाहरण है- ENIAC, UNIVAC-1, EDVAC, इत्यादि.
दूसरी पीढ़ी (2nd Generation)
1957-1963 के वर्षों को “कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी” के रूप में संदर्भित किया जाता है. इस दौर में COBOL और FORTRAN को असेंबली और प्रोग्रामिंग भाषाओं के रूप में नियोजित किया गया. इस दौरान कंप्यूटर का विकास वैक्यूम ट्यूब से ट्रांजिस्टर की तरफ हुआ. इससे कंप्यूटर छोटे, तेज़ और ज़्यादा ऊर्जा-कुशल बन गए. इस पीढ़ी में वैज्ञानिक बाइनरी से असेंबली भाषाओं की तरफ बढ़ गए. उदाहरण के लिए, IBM 1620, IBM 7094, CDC 1604, और CDC 3600 इत्यादि.
तीसरी पीढ़ी (3rd Generation)
इस अवधि (1964-1971) का पहचान एकीकृत सर्किट का विकास था. एक एकल एकीकृत सर्किट (IC) कई ट्रांजिस्टर से बना होता है. इसके कंप्यूटर की क्षमता बढ़ गई और लागत कम हो गई. ये कंप्यूटर अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में तेज़, छोटे, अधिक विश्वसनीय और कम महंगे थे. FORTRON-II से IV, COBOL और PASCAL PL/1 जैसी उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग किया गया. उदाहरण के लिए, IBM-360 श्रृंखला, हनीवेल-6000 श्रृंखला और IBM-370/168.
चौथी पीढ़ी (4th Generation)
माइक्रोप्रोसेसरों के आविष्कार के साथ ही कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में चौथी पीढ़ी का आगाज हुआ. यह वर्ष 1971-1980 का समय था. इस पीढ़ी के कंप्यूटर में C, C++ और Java प्रोग्रामिंग भाषाएँ इस्तेमाल की गईं. इसी समय घरेलू इस्तेमाल के लिए कंप्यूटर उत्पादन आरम्भ हुआ. STAR 1000, PDP 11, CRAY-1, CRAY-X-MP और Apple II इस पीढ़ी के कुछ घरेलु कम्प्यूटर है.
5वीं पीढ़ी (5th Generation)
इन कंप्यूटरों का इस्तेमाल 1980 से किया जा रहा है. अब भी इनका इस्तेमाल जारी है. यह कंप्यूटर की दुनिया का वर्तमान और भविष्य है. इस पीढ़ी का महत्वपूर्ण पहलू कृत्रिम बुद्धिमत्ता है. पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर ULSI (अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) तकनीक का उपयोग करते हैं. ये सबसे हालिया और परिष्कृत कंप्यूटर हैं. C, C++, Java,.Net जैसे कई प्रकार के प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग किया जा रहा है. उदाहरण, IBM, Pentium, Desktop, Laptop, Notebook, Ultrabook, इत्यादि.
कंप्यूटर के प्रकार
एनालॉग कंप्यूटर (Analogue Computer)
एनालॉग कंप्यूटर गियर और लीवर जैसे विभिन्न घटकों के साथ बनाए जाते हैं, जिनमें कोई विद्युत घटक नहीं होता है. एनालॉग कंप्यूटेशन का एक लाभ यह है कि किसी विशिष्ट समस्या से निपटने के लिए एनालॉग कंप्यूटर को डिज़ाइन करना और बनाना काफी सरल हो सकता है.
डिजिटल कंप्यूटर (Digital Computer)
डिजिटल कंप्यूटर में सूचना को असतत रूप में दर्शाया जाता है. यह आमतौर पर 0 और 1 (बाइनरी अंक, या बिट्स) के अनुक्रम के रूप में होता है. एक डिजिटल कंप्यूटर एक सिस्टम या गैजेट है जो कुछ ही सेकंड में किसी भी प्रकार की सूचना को प्रोसेस कर सकता है. डिजिटल कंप्यूटर को कई अलग-अलग प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है. वे इस प्रकार हैं:
- मेनफ़्रेम कंप्यूटर – आम तौर पर इस प्रकार के कम्प्यूटर्स का उपयोग बड़े उद्यमों द्वारा बड़े पैमाने पर डेटा प्रोसेसिंग जैसी मिशन-महत्वपूर्ण गतिविधियों के लिए किया जाता है. मेनफ़्रेम कंप्यूटर विशाल भंडारण क्षमता, त्वरित घटक और शक्तिशाली गणना क्षमताओं के कारण प्रसिद्द थे. ये जटिल सिस्टम थे, इसलिए उन्हें सिस्टम प्रोग्रामर की एक टीम द्वारा प्रबंधित किया जाता था. इन मशीनों को अब मेनफ़्रेम के बजाय सर्वर के रूप में संदर्भित किया जाता है.
- सुपरकंप्यूटर – आज तक के सबसे शक्तिशाली कंप्यूटरों को आमतौर पर सुपरकंप्यूटर कहा जाता है. सुपरकंप्यूटर विशाल सिस्टम हैं जो जटिल वैज्ञानिक और औद्योगिक समस्याओं को हल करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं. क्वांटम यांत्रिकी, मौसम पूर्वानुमान, तेल और गैस अन्वेषण, आणविक मॉडलिंग, भौतिक सिमुलेशन, वायुगतिकी, परमाणु संलयन अनुसंधान और क्रिप्टोएनालिसिस सभी सुपरकंप्यूटर पर किए जाते हैं.
- मिनीकंप्यूटर – इसमें में बड़े कंप्यूटर के समान कई विशेषताएं और क्षमताएं होती हैं. लेकिन आकार में छोटा होता है. ये अपेक्षाकृत छोटे और किफ़ायती होते थे. लेकिन, किसी संगठन के एक ही विभाग में काम आते थे. ये अक्सर किसी विशिष्ट कार्य के लिए समर्पित होते थे या एक छोटे समूह द्वारा साझा किए जाते थे.
- माइक्रोकंप्यूटर – माइक्रोकंप्यूटर एक छोटा कंप्यूटर होता है जो माइक्रोप्रोसेसर एकीकृत सर्किट पर आधारित होता है. इस प्रोसेसर को चिप के रूप में जाना जाता है. माइक्रोकंप्यूटर में कम एक माइक्रोप्रोसेसर, प्रोग्राम मेमोरी, डेटा मेमोरी और इनपुट-आउटपुट सिस्टम (I/O) शामिल होता है. माइक्रो कंप्यूटर को अब आम तौर पर पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) के रूप में जाना जाता है.
- एम्बेडेड प्रोसेसर – ये छोटे कंप्यूटर हैं जो बुनियादी माइक्रोप्रोसेसरों के साथ इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं. एम्बेडेड प्रोसेसर अक्सर डिज़ाइन में सरल होते हैं. इनकी सीमित प्रोसेसिंग और I/O क्षमता होती हैं. इन्हें बहुत कम बिजली की आवश्यकता होती है. साधारण माइक्रोप्रोसेसर और माइक्रोकंट्रोलर एम्बेडेड प्रोसेसर के दो प्राथमिक प्रकार हैं. एम्बेडेड प्रोसेसर उन प्रणालियों में नियोजित होते हैं जिन्हें डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप कंप्यूटर या वर्कस्टेशन जैसे पारंपरिक उपकरणों की कंप्यूटिंग क्षमता की आवश्यकता नहीं होती है.
अगली पीढ़ी के कम्प्यूटर (Next Generation Computers)
वर्तमान समय प्रौद्योगिकी में बदलाव का समय है. प्राद्यौगिकी के दुनिया में निरंतर नए खोज और सुधार हो रहे है. इसी कड़ी में नैनो कम्प्यूटर और क्वांटम कम्प्यूटर प्राद्यौगिकी के दो नए अवधारणा है और इन्हें अगली पीढ़ी का कम्प्यूटर कहा जा रहा है:
- नैनो कंप्यूटर (Nano Computer): नैनोकंप्यूटर, माइक्रो कंप्यूटर से छोटे और मिनी कंप्यूटर से भी छोटे कम्प्यूटर होते हैं. क्रेडिट कार्ड के बराबर आकार के सामान्य कंप्यूटिंग उपकरणों को नैनोकंप्यूटर कहा जाता है. रास्पबेरी पाई और गमस्टिक्स जैसे आधुनिक सिंगल-बोर्ड कंप्यूटर, स्मार्टफ़ोन और टैबलेट को भी नैनोकंप्यूटर माना जा जा रहा है. लेकिन अभी भी नैनो कंप्यूटर का विकास जारी है. इसमें नैनो (10-9 मीटर)आकार के ट्यूब्स का इस्तेमाल होता है और गणना में वर्तमान कम्प्यूटर्स से काफी आगे होते है. वास्तव में ये नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित कम्प्यूटर है.
क्वांटम कम्प्यूटर: प्रकाश के क्वांटम सिद्धांत पर आधारित कंप्यूटर के विकास में दुनिया के कई देश जुटे है. जहाँ सामान्य कम्प्यूटर 0 और 1 के रूप में सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है, वहीं सुपर कंप्यूटर दोनों को एक साथ भी सुचना सम्प्रेषण के लिए संसाधित कर सकेगा. क्वांटम कम्प्यूटर के इस खासियत को ‘सुपरपोज़िशनिंग‘ कहा जाता है, जो भौतिकी के नियमों से भी आगे है.
कम्प्यूटर के घटक (Components of Computer)
कोई भी कम्प्यूटर कई कलपुर्जों से मिलकर बना होता है. इनमें कुछ हिस्सों का स्वतंत्र काम होता है और इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है. इन्हें ही कम्प्यूटर का घटक कहा जाता है. यह मुख्यतः चार प्रकार का होता है:
- इनपुट (Input)
- प्रोसेस (Process)
- आउटपुट (Output)
- मेमोरी (Memory)
1. इनपुट डिवाइसेस (Input Devices):
वे युक्तियाँ जिनका उपयोग मानवीय निर्देशों को कंप्यूटर के समझने योग्य संकेतों में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है, इनपुट डिवाइसेस कहलाती हैं. इनके माध्यम से हम अपने समस्या को कम्प्यूटर तक पहुँचाते है. उदाहरण के लिए, की-बोर्ड (Keyboard) और माउस (Mouse).
2. सी.पी.यू (C.P.U.)
इसका मुख्य कार्य दिये गए डाटा को प्रोसेस करके आउटपुट के रूप में सूचनाएँ/ परिणाम प्रदर्शित करना होता है. CPU मुख्यत: तीन भागों में विभाजित होता है:
- कन्ट्रोल यूनिट (Control Unit): संचालन और समन्वय का कार्य करता है. कम्प्यूटर के विभिन्न हिस्सों में उचित संवाद को क़याम रखना और किसी भी प्रकार के गड़बड़ी को रोकना इसका मुख्य काम है.
- अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logical Unit): यह सभी प्रकार के गणितीय और तार्किक कार्यों को संपन्न करता है. हमसे प्राप्त सुचना को प्रोसेस कर आउटपुट परिणाम तैयार करना इसी का काम है. इसलिए यह कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. यह बाइनरी स्तर पर संचालन करता है जैसे बिट-शिफ्टिंग (Bit Shifting) और रोटेशन (Rotation).
- मैमोरी (Memory): डेटा और निर्देशों को संग्रहीत करता है.
सीपीयू की गति को प्रभावित करने वाले कारक:
- शब्द परास (Word Length)
- कंप्यूटर घडी (System Clock)
- समानान्तर गणना (Parallel Processing)
- कैश मेमोरी (Cache Memory) – इसके द्वारा मेमोरी यूनिट तथा कम्प्यूटर की गति से बीच समन्वय स्थापित किया जाता है. इससे कम्प्यूटर की गति में वृद्धि होती है.
3. मैमोरी (Memory)
मैमोरी मुख्यतः दो प्रकार की होती है.
- मुख्य मैमोरी (Main Memory) : इस मैमोरी को Main Memory भी कहा जाता है. यह दो प्रकार की होती है.
(i) RAM (Random Access Memory)
(ii) ROM (Read Only Memory)
- सहायक मैमोरी (Auxiliary Memory): सहायक मैमोरी उसमें बाहर चुम्बकीय माध्यमों जैसे- हार्ड डिस्क (Hard Disk), फ्लॉपी डिस्क (Flopy Disk), चुम्बकीय टेप (Magnatic Tap) आदि के रूप में होती है.
4. आउटपुट डिवाइस (Output Device)
इसका काम कंप्यूटर द्वारा प्रोसेस किए गए डेटा को समझने योग्य रूप में प्रदर्शित करना होता है. ये डिवाइसेस कंप्यूटर के परिणामों को हमें दिखाती हैं, सुनाती हैं या प्रिंट करती हैं.
उदाहरण:
- मॉनिटर (Monitor): यह कंप्यूटर स्क्रीन है जो ग्राफिक्स और टेक्स्ट को प्रदर्शित करता है, जिससे उपयोगकर्ता को प्रोसेस किए गए डेटा को देखने में मदद मिलती है.
- प्रिंटर (Printer): यह डिजिटल डेटा को कागज पर प्रिंट करता है.
- स्पीकर (Speakers): ये साउंड डेटा को ध्वनि के रूप में आउटपुट करते हैं, जिससे उपयोगकर्ता को संगीत, अलर्ट्स, और अन्य ध्वनि सूचना प्राप्त होती है.
- प्रोजेक्टर (Projector): यह डिवाइस कंप्यूटर के डिस्प्ले को बड़ी स्क्रीन पर प्रोजेक्ट करता है, जो प्रेजेंटेशन और मीटिंग्स के लिए उपयोगी होता है.
आजकल कंप्यूटर मॉनिटर में टचस्क्रीन की खासियत होती है. इसलिए जब हम इसे छूकर निर्देशित करते है, तो यह इनपुट डिवाइस कहलाता है.