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भूकंप, इसके प्रकार व ज़ोन

जब भी ये सवाल आता है कि भूकम्प क्या है (What is Earthquake in Hindi)?, तो हम सोचते है कि पृथ्वी में हुई कम्पन ही भूकम्प या भूचाल है. लेकिन पृथ्वी में कम्पन तेज वाहन या बुलेट की गति से निकले ट्रेन के वजह से भी हो सकता है. तो क्या हम इसे भी भूकंप मान ले? नहीं न! तो आइये हम जानते है भूकम्प के नए परिभाषा से लेकर अन्य सभी जानकारियां:-

इस लेख में हम जानेंगे

भूकम्प की परिभाषा (Definition of Earthquake in Hindi)

सामान्य शब्दों में, भूकम्प या भूचाल पृथ्वी की सतह में कम्पन को कहते हैं. पृथ्वी में हलचल के कारण इसके आंतरिक भागों से स्थलमण्डल के तरफ अचानक विमोचित ऊर्जा से भूकम्पीय (siesmic) तरंगों का निर्माण होता है, ऐसे तरंगे भूकंप उत्पन्न करते है. दूसरे शब्दों में, वे सभी प्रक्रियाएं जो पृथ्वी के स्थलीय भाग में कम्पन लाती है, भूकम्प का कारण होती है. जैसे ज्वालामुखी, एटॉमिक विस्फोट इत्यादि. इसका अलावा भी भूकंप आने के कई प्राकृतिक व मानवीय कारण भी हैं.

भू-गर्भ में भूकम्प के प्रारम्भिक बिन्दु जहाँ पर यह उत्पन्न होता है उस बिन्दु को केन्द्र अथवा फोकस (Focus) कहते हैं. इसे अवकेंद्र (Hypocentre) भी कहा जाता है. इसके ठीक ऊपर के बिन्दु को अधिकेन्द्र (Epicentre) कहा जाता है. हमें सबसे पहले भूकम्प की अनुभूति भी इसी स्थान पर होती हैं. यह हमेशा 90 डिग्री का समकोण बनाती है व ठीक केंद्र के ऊपर अवस्थित होती हैं.

भूकंप केंद्र के चारों ओर समान भूकम्प की तीव्रता की खींची जाने वाली रेखा को ‘समभूकंपी रेखा’ (Isoseismal Line) कहते हैं. पानी में पत्थर फेंकने से निश्चित अवधि में एक साथ बनने वाली कई वृत्ताकार रेखाएं भी इसी तरह की होती हैं.

भूकम्प का वर्गीकरण (Classification of Earthquake in Hindi)

भूकंप का वर्गीकरण की दो विधि है, जिसमें गहराई व माध्यम को आधार बनाया गया है. ये इस प्रकार हैं-

Eathquake Classification in hindi
भूकंप का वर्गीकरण

A. उत्त्पत्ति के आधार पर भूकंप के प्रकार (Types of earthquake based on causes in Hindi)

भूकंप दो प्रकार के कारणों से आते है, एक प्राकृतिक (Natural) व दूसरा मानवीय (Man Made). ये प्रकार निन्म है:-

1. प्राकृतिक कारण (Natural causes)

पृथ्वी के सामान्य अवस्था में आए विकारों के कारण जो भूकंप उत्पन्न होता है, उसे प्राकृतिक कारणों में गिना जाता हैं. ये मुख्यतः चार प्रकार की होती है, जो है- (1) संतुलन-मूलक भूकंप (Isostatic Earthquakes), (2) ज्वालामुखी भूकंप (Volcanic Earthquakes), (3) वितलीय भूकंप (Plutonic Earthquakes) व (4) विवर्तनिक भूकंप (Tectonic Earthquakes). हालाँकि उत्पत्ति के कारणों के आधार पर इसके अन्य प्रकार भी है. ये सभी हैं-

(1) संतुलन -मूलक भूकंप

मूलक भूकंप: जब कभी भी भूपृष्ठ के संतुलन में अव्यवस्था होती है तो भूगर्भिक शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं और बलन पर्वतों के निर्माण के साथ-साथ भूकंप भी आते हैं. हिन्दु कोह में 1949 में आया भूकंप इसी प्रकार का था.

(2) वितलीय भूकंप

पृथ्वी के अत्यधिक गहराई अत्यधिक ताप व दवाब होता है. इससे खनिजों के पुनर्गठन की यौगिक क्रिया होने लगता हैं, जिससे इस प्रकार का भूकंप आता हैं.

(3) ज्वालामुखीय (Volcanic) भूकंप

ज्वालामुखी विस्फोट के तेजी से बड़ी मात्रा में पृथ्वी से गैस व तरल का रिसाव होता है. इस तरह ज्वालामुखी से अत्यधिक ऊर्जा निकलती है. इससे धरातल पर धक्का लगता है, जो भूकंप लाती है.

ऐसे भूकंपों की तीव्रता कमजोर होती है. ये भूकंप दो प्रकार के होते हैं. पहला है ज्वालामुखी-विवर्तनिक भूकंप (Volcano-tectonic earthquake). यह ज्वालामुखी से मैग्मा रिसने से होता है. यह अल्पकालीन या अतिकमजोर होता हैं. इसके विपरीत, ज्वालामुखी भूकंप का दूसरा प्रकार दीर्घकालीन व अधिक तीव्रता का होता है. यह ज्वालामुखी के वजह से पृथ्वी की परतों के बीच दबाव परिवर्तन के कारण होता है. इस तरह, टेक्टोनिक दोष (Fault) तथा ज्वालामुखी में लावा की गतियां इस तरह के ज्वालामुखीय भूकंप के दो कारण है.

(4) प्लेट विवर्तनिक (Plate Tectonic Earthquakes in Hindi)

पृथ्वी की पपड़ी (क्रस्ट) असमान आकार की चट्टानों के स्लैब से बने होते हैं. ये स्लैब विवर्तनिकी प्लेट (Tectonic Plates) कहलाते है. धरती का धरातल 7 विवर्तनिकी प्लेटों में बंटा हुआ है.

धरती के आंतरिक ताप व दवाब के कारण, यहाँ असीमित ऊर्जा संग्रहीत है. यह ऊर्जा टेक्टोनिक प्लेट्स को एक दूसरे से दूर या एक दूसरे की ओर धकेलती है. कभी-कभी ये प्लेट एक-दूसरे के तरफ गति भी करती हैं. इससे इनमें घर्षण उत्पन्न होता है. और जैसे-जैसे समय बीतता है, ऊर्जा और गति, दो प्लेटों के बीच दबाव बनाती हैं.

इसलिए, इस भारी दबाव के कारण फॉल्ट लाइन बन जाती है. फाल्ट लाइन में ये प्लेटें बार- बार टकाराती है तो कोने मुड़ने लगते है. अधिक दवाब के स्थिति में ये प्लेट्स टूटने भी लगती हैं. नतीजतन, ऊर्जा की तरंगें सतह तक आ जाती हैं. इससे धरती की सतह हिलने लगती है. इस प्रकार के भूकंप सामान्य या विवर्तनिक भूकम्प भी कहलाते हैं. प्रशांत महासागर में आनेवाले अधिकांश भूकंप इसी प्रकार की होती हैं.

(5) अन्य प्राकृतिक कारण

गैसों का फैलाव

धरती से मीथेन व अन्य ज्वलनशील व विस्फोटक गैसों के रिसाव से इन गैसों का आंतरिक धन शुरू हो जाता है, जो भूकम्पीय तरंगे उत्पन्न करती है व भूकंप उत्पन्न होता है.

ज्वार-भाटा (Tidal Earthquake in Hindi)

ये भी पृथ्वी में थोड़े-बहुत कम्पन करने में सक्षम होते हैं. हालाँकि इसका तीव्रता काफी धीमा होता है, जो नुकसान नहीं पहुंचता.

2. मानव जनित कारण (Anthropogenic causes)

(1) खनन क्रिया (Mining)

खनन क्रिया से धरती के अंदर रिक्त स्थान उत्पन्न होता है. गुरुत्वाकर्षण के कारण जब धरती इस रिक्त स्थान को भरने के लिए खिसकती हैं तो प्लेट विवर्तनिक जैसा ही भूकंप पैदा होता है. जीवाश्म ईंधन समेत अन्य खनन इसके लिए जिम्मेदार हैं. भूमिगत जल का निष्कर्षण भी धरती में रिक्त स्थान पैदा करते है, जो भूकंप का कारण बनते है. इस प्रकार के भूकंप को संक्षिप्त भूकंप या नियत भूकम (Collapse Earthquake) भी कहा जाता हैं.

(2) बांधों का निर्माण (Embankment)

भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित बड़े झीलों और बांधों द्वारा झीलों के बनने से भूकंप आने के संभावनाएं बढ़ जाती हैं. दरअसल, बड़ी जल राशि पृथ्वी के चट्टानों पर दवाब डालती हैं. इससे धरातल के स्थिति में परिवर्तन होती हैं जो भूकंप का निर्माण करती हैं. इसे बाँध जनित भूकंप कहते है.

(3) परमाणु विस्फोट (Atomic Blast)

इस तरह के घातक विस्फोट से बड़े पैमा पर ऊर्जा विमुक्त होती हैं, जो भूकंप का कारण बनते हैं.

3. अन्य कारक (Other factors)

(1) उल्कापात

किसी उल्का-पिंड के धरती से टकराने से अपार ऊर्जा विमोचित होती है, जो भूकम्प लाती हैं.

(2) आकाशीय पिंड (Celestial Objects)

पृथ्वी के घूर्णन या परिभ्रमण के अंतर्गत अन्य आकाशीय पिंड के कारण पृथ्वी पर प्रभाव से होने वाली हलचल के कारण भी भूकंप आती हैं. जब भी कोई आकाशीय पिंड पृथ्वी के पास से गुजरता है या धरती के पास आ जाता हैं तो धरती व आकाशीय पिंड में गुरुत्व बल के कारण हुए आकर्षण से धरती पर भूकंप पैदा होता हैं.

B. केंद्र की गहराई के अनुसार भूकम्प के प्रकार

यह भुगार्गीय हलचलों से उत्पन्न भूकम्प के प्रकार को परिभाषित करने का वैज्ञानिक आधार भी हैं. इस प्रकार के कम्पन उद्गम स्थल के गहराई के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया गया है. ये हैं-

1. छिछले उद्गम केंद्र के भूकंप (Shallow Earthquakes)

ऐसे भूकंप का उद्गम केंद्र धरती की सतह से लेकर 70 किलोमीटर की गहराई पर होता हैं. यह अपेक्षाकृत अधिक विनाशकारी होते है. इसकी तीव्रता 5 के करीब होती है. लेकिन धरती के सतह के पास केंद्र होने के कारण, यह अधिक नुकसान करती हैं.

2. मध्यम उद्गम केंद्र के भूकंप (Intermediate Earthquakes)

इसका केंद्र (Focus) धरती के सतह से 70 से 300 किलोमीटर की गहराई पर स्थित होती है.

3. गहरे उद्गम केंद्र के भूकंप (Deep Earthquakes)

इसका उद्गम केंद्र सतह से 300 से 720 किलोमीटर तक गहरा होता हैं. इसका केंद्र अत्यधिक गहराई में स्थित होता है, इसलिए इस पातालीय (Plutonic) भूकम्प भी कहते हैं. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6 से 8 होती हैं, लेकिन केंद्र गहराई में होने के कारण कम नुकसान करती है.

भूकम्पीय तरंगे व उसके प्रकार (Earthquake Waves and its types)

भूकम्पीय तरेंगे ही भूकंप का मुख्य कारण होते हैं. मतलब, धरती के आंतरिक हलचलों से ऊर्जा भू-सतह पर भूकम्पीय तरंगे उत्पन्न करती है, जो भूकंप का कारण बनते हैं. भूकम्पी तरंगे दो प्रकार की होती हैं. पहला, भूगर्भीय तरंगे जिसमें ‘P’ तरंगे तथा ‘S’ तरंगे शामिल हैं. दूसरा है-धरातलीय तरंगे, जिसमें ‘L’ तरंगे शामिल होती हैं. L तरेंगे ही धरती पर नुकसान के लिए मुख्य तौर पर जिम्मेदार होती हैं. तीनों उप-तरंगों की परिभाषा निनंवत हैं-

  1. प्राथमिक तरंगे (Primary या P Wave)– प्राथमिक तरंग को अनुदैर्ध्य तरंग भी कहते हैं. ध्वनि भी एक प्रकार का अनुदैर्ध्य तरंग होता हैं. इसलिए भूकंप के इन तरंगों को ध्वनि तरंग भी कहा जाता हैं, जो ध्वनि तरंगों की भाँति व्यवहार करती हैं. ये तरंगे सबसे तेज गति से चलती हैं और ठोस तथा द्रव, दोनों माध्यमों से चल सकती हैं.
  2. द्वितीयक तरंगे (Secondary या S Wave)– द्वितीयक तरंग को अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं. प्रकाश भी इसी प्रकार का एक तरंग माना जाता हैं. चूँकि, द्वितीयक तरंगे क्योंकि ये प्रकाश तरंगों की भाँति व्यवहार करती हैं, इसलिए इसे प्रकाशीय तरंग भी कहते हैं. ये द्रव माध्यम में लुप्त हो जाती हैं. सिस्मोग्राफ के अध्ययन से ये पता चलता है कि ये तरंगे धरती के केंद्र (क्रोड) से ये गुजर नहीं पाती. इससे ये पता चलता हैं कि धरती का केंद्र द्रवित (Liquid) अवस्था में हैं. इस तरह भूकम्पीय तरंगे धरती के आंतरिक अध्ययन में सहयोगी होती हैं.
  3. सतही तरंगे (L या Long या Surface Wave)– यह तरंगे केवल धरातल पर चलती हैं. इसी से सर्वाधिक नुकसान पहुँचता है.

भूकंप की तीव्रता का मापन व अध्ययन (Measurement and study of earthquake’s intensity)

भूकम्प के अध्ययन को सीस्मोलॉजी या भूकम्प विज्ञान या कभी-कभी भूगर्भ-शास्त्र भी (Seismology) कहते है. सिसमिक (Siesmic) शब्द ग्रीक शब्द seismos से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है झटका या भूकंप. भूकम्प मापने के यंत्र को सिस्मोग्राफ कहते हैं. इसका पैमाना रिक्टर या मरकेली स्केल होता हैं. आइये इन शब्दों की व्याख्या समझते हैं-

सिस्मोग्राफ (Seismograph in Hindi)

भूकम्पीय तरंगों का मापन ‘सिस्मोग्राफ’ नामक यंत्र के द्वारा किया जाता है, सिस्मोग्राफ के आविष्कार की कहानी भी अति प्राचीन हैं. सबसे पहले “सीस्मोस्कोप” का आविष्कार चीनी दार्शनिक चांग हेंग ने 132 ईस्वी में किया था. हालांकि, इसमें भूकंप का तीव्रता रिकॉर्ड नहीं हो पाता था, लेकिन ये संकेत मिल जाता था कि इस समय भूकम्प आ रहा था. इसी तकनीक से प्रेरणा लेकर पहला सिस्मोग्राफ विकसित किया गया था.

एक अंग्रज वैज्ञानिक, जॉन मिल्ने, ने जापान में काम करते हुए 1893 में सिस्मोग्राफ विकसित किया व यह पहला व्यापक रूप से वितरित सिस्मोग्राफ बन गया. सीस्मोग्राफ से भूकंप मापने के लिए विभिन्न स्थानों (स्टेशनों) में इसे लगाया जाता हैं. यह अपेक्षाकृत उच्च आवृत्ति के डेटा का उपयोग करके रिपोर्ट देता हैं.

रिक्टर स्केल (Richter Scale in Hindi)

सिस्मोग्राफ में भूकम्प की तीव्रता को मापने के लिए ‘रिक्टर स्केल’ होता है. रिक्टर स्केल (या रिक्टर मैगनीच्यूड स्केल) में 01 से 10 तक की संख्या अंकित होती हैं. प्रति स्केल में बढ़त से भूकम्प की तीव्रता में 10 गुना और ऊर्जा में 32 गुना की वृद्धि होती हैं.

रिक्टर स्केल को साल 1935 में कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चार्ल्स एफ. रिक्टर द्वारा भूकम्प के तीव्रता की तुलना करने के लिए एक गणितीय उपकरण में विकसित किया गया था. इसका उद्देश्य दक्षिणी कैलिफोर्निया में भूकंप का अध्ययन करना था. इसमें भूकम्प की तीव्रता का निर्धारण सीस्मोग्राफ द्वारा दर्ज तरंगों के आयाम के लघुगणक से किया जाता है.

इसलिए, रिक्टर स्केल को ‘रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल’ भी कहा जाता है. यह एक गणितीय मापक है, जो Log के आधार पर चलता है. ये तथ्य जानना रोचक हैं कि 60 लाख टन विस्फोटक(TNT) जितना विनाश कर सकता है, उतना ही 8 रिक्टर स्केल तीव्रता का भूकम्प कर सकता है.

मरकेली स्केल (Mercalli Scale in Hindi)

रिक्टर स्केल के अलावा मरकेली स्केल पर भी भूकम्प को मापा जाता है. रिक्टर के तरह यह भी भूकम्प के 2 मूल मात्रकों में से एक हैं. इसमें भूकम्प को उसकी तीव्रता की बजाए उसकी ताकत के आधार पर मापते हैं. पर इसको रिक्टर के मुकाबले कम वैज्ञानिक माना जाता है, क्योंकि भूकम्प की ताकत को लेकर लोगों का अनुभव अलग-अलग हो सकता है. साथ ही भूकंप के कारण होने वाले नुकसान के लिए कई कारण जिम्मेवार हो सकते हैं, जैसे घरों की खराब बनावट, खराब संरचना, भूमि का प्रकार, जनसंख्या की बसावट आदि.

एमएसके या एमएसके-64 स्केल (MSK 64 Scale)

इसे Medvedev–Sponheuer–Karnik scale भी कहा जाता हैं. इससे भूकम्प के बाद बड़े क्षेत्र में जमीन के झटकों की गंभीरता का आंकलन किया जाता हैं. स्केल का आविष्कार1964 में सर्गेई मेदवेदेव (USSR), विल्हेम स्पोनह्यूअर (पूर्वी जर्मनी) और विट कार्निक (चेकोस्लोवाकिया) द्वारा किया गया था. यह 1960 के दशक की शुरुआत में संशोधित (modified) मर्कल्ली तीव्रता पैमाने पर आधारित था। यह 1953 के मेदवेदेव पैमाने या जियोफ़ियन पैमाने का ही एक संस्करण हैं.

1970 और 1980 के दशक के मध्य में मामूली संशोधनों (modifications) के साथ, यूरोप और यूएसएसआर में एमएसके पैमाने का व्यापक रूप से उपयोग किया जाने लगा. 1990 के दशक की शुरुआत में, यूरोपीय भूकंपीय आयोग (ईएससी) ने यूरोपीय मैक्रोज़िस्मिक स्केल का विकास एमएसके के सिद्धांतों का इस्तेमाल कर किया. अब यह यूरोपीय देशों में भूकंपीय तीव्रता के मूल्यांकन का मानक है. MSK-64 अभी भी भारत, इज़राइल, रूस और राष्ट्रमंडल देशों में उपयोग किया जा रहा है.

रिक्टर स्केल पैमाने के अनुसार भूकम्प के प्रकार (Types of Earthquakes as per Richter Scale)

0 से 2 के बीच – यह सिर्फ सिस्मोग्राफ के द्वारा ही पता चल सकता है. ऐसे भूकंपीय झटकों की संख्या रोजाना लगभग आठ हजार होती है.

2 से 2.9 के बीच (Minor)– हल्का कंपन होने लगता है. इस तरह के एक हजार भूकम्पीय कम्पन रोजाना दर्ज किए जाते हैं.

3 से 3.9 के बीच– इसमें आपको ऐसा महसूस होगा जैसे आप चलती ट्रेन के पास खड़ें हो. ऐसे भूकम्प रोजाना करीब 49 से 50 हजार बार दर्ज किए जाते है. कभी-कभार इस तीव्रता के भूकम्प भी नुकसान कर देते हैं.

4 से 4.9 के बीच– दिवारों पर टंगी घड़ी, फ्रेम हिलने लगती है. आप स्पष्ट कम्पन महसूस कर पाते हैं. ऐसे भूकंप साल में 6200 बार दर्ज किए जाते हैं. कई बार इनसे नुकसान भी हो जाता है.

5 से 5.9 – इस तरह का भूकंप कमजोर संरचनाओं को नुकसान पहुंचती हैं. कई बार पुराने व जर्जर मकान व पुल संरचनाएं इस तरह के भूकम्प में ढह जाते हैं. सालाना करीब 800 ऐसे भूकम्प दर्ज होते हैं.

6 से 6.9 के बीच – सालाना 120 बार दर्ज किया जानेवाला यह भूकंप 160 किलोमीटर तक के दायरे में काफी नुकसान पहुंचा सकता है. इस तरह के भूकंप में इमारतों में दरार पैदा होना, उपरी मंजिलों में नुकसान की संभावना होती हैं.

7 से 7.9 के बीच– इस तीव्रता का भूकम्प एक बड़े क्षेत्र में भारी तबाही मचाता है. यह एक साल में तकरीबन 18 बार दर्ज किया जाता है. इसमें जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं व इमारतें गिरने लग जाती है.

8 से 8.9 के बीच – साल में एकाध बार आनेवाला यह भूकंप सैकड़ो किलोमीटर तक नुकसान पहुंचता हैं. अधिकेंद्र के पास के क्षेत्र में भारी तबाही होती हैं. सुनामी का खतरा बढ़ जाता है, बड़े-बड़े इमारतों सहित बड़े पुल, बाँध के टूटकर गिरने की संभावना बढ़ जाती हैं.

9 से लेकर 9.9 के बीच (Great)– 20 वर्षों में एक बार आने वाले इस पैमाने का भूकम्प हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही मचा सकता है. इसमें धरती भी हल्के जल तरंगों के भाँती लहराते नजर आते हैं.

10 या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप: ऐसा भूकम्प आज तक महसूस नहीं किया गया हैं. लेकिन ऐसे भूकंप के तबाही का सबसे बड़े केंद्र बिंदु होंगे. यह सबसे बड़ा तबाही का बिंदु होता है. इसमें इंसान को धरती लहराते हुए नजर आने लगेगी.

भूकम्प का वितरण (Global Distribution of Earthquakes in Hindi)

विश्व में 3 प्रमुख भूकम्पीय क्षेत्र हैं. ये हैं- 1. परिधि प्रशांत मेखला, 2. एल्पाइड भूकम्प बेल्ट व 3. जलमग्न मध्य-अटलांटिक रिज.

1. परिधि प्रशांत मेखला (Circum-Pacific Belt in Hindi)

विश्व सबसे अधिक भूकम्प प्रशांत महासागर के किनारे आती है. इस भूकंप क्षेत्र को ‘परिधि प्रशांत मेखला’ भी कहा जाता हैं. यह पेटी विवर्तनिक प्लेटों की सीमाओं में मौजूद है, जहाँ अधिकतर समुद्री क्रस्ट की प्लेटें दूसरी प्लेट के नीचे डूब रही हैं. इन ‘सबडक्शन ज़ोन’ में भूकम्प, प्लेटों के बीच फिसलन और प्लेटों के भीतर से टूटने के कारण आता है. इसके वजह से इलाके में ज्वालामुखी भी आते रहती हैं. इस इलाके को “रिंग ऑफ फायर” उपनाम से भी जाना जाता हैं. धरती के कुल भूकंप का 81 फीसदी यहीं आता हैं. 9.5 तीव्रता का चिली भूकम्प या वाल्डिविया भूकम्प (1960) व 9.2 तीव्रता का अलास्का भूकंप (1964) इसमें शामिल हैं.

2. एल्पाइड भूकंप बेल्ट (मध्य महाद्वीपीय बेल्ट) (Alpide Earthquake Belt in Hindi)

यह बेल्ट जावा से सुमात्रा तक व हिमालय, भूमध्यसागर और अटलांटिक में फैली हुई है. यहाँ दुनिया के सबसे बड़े भूकंपों का लगभग 17% आता है, जिसमें कुछ सबसे विनाशकारी भी शामिल हैं. इसके उदाहरण हैं- जैसे कि पाकिस्तान में 2005 एम7.6 का झटका जिसमें 80,000 से अधिक लोग और 2004 एम9.1 का इंडोनेशिया भूकम्प, जिसके सुनामी में 230,000 से अधिक लोग मारे गए.

3. मध्य-अटलांटिक रिज (Middle Atlantic Ridge in Hindi)

तीसरा प्रमुख बेल्ट जलमग्न मध्य-अटलांटिक रिज में है. रिज वह क्षेत्र होता है, जहाँ दो टेक्टोनिक प्लेट अलग-अलग विस्तृत होती हैं. मध्य अटलांटिक रिज का अधिकांश भाग गहरे पानी के भीतर है, जहाँ जलीय व समुद्री जीव रहते हैं.

भारत के भूकंप जोन (Earthquake Zone of India in Hindi)

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आनेवाले ‘नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी’ भारत में भूकम्प से जुड़े कार्यों का नोडल एजेंसी हैं. इस एजेंसी ने भारत को चार भूकम्पीय ज़ोन में बांटा है. जोन V में सबसे अधिक भूकम्प आते हैं, जबकि जोन II में सबसे कम. भारत का 59 फीसदी इलाका भूकंप-ग्रस्त हैं. इनमें लगभग 11% क्षेत्र जोन V में, 18% जोन IV में, 30% जोन III में और शेष जोन II में आता है. बिहार एकमात्र ऐसा राज्य हैं जिसका इलाका सभी भूकंप जोनों में शामिल हैं.

Earthquake Zones
भारत के भूकम्पीय क्षेत्र (Not for scale)

1. जोन V (Zone V in Hindi)

यहाँ एमएसके 9 से अधिक तीव्रता के भूकम्प आने का खतरा रहता है. इसलिए इसे अति उच्च क्षति जोखिम क्षेत्र भी कहा जाता हैं. इस जोन में शामिल शहर हैं- असम का गुवाहाटी, तेजपुर, जरहर व सादिया; बिहार का दरभंगा; गुजरात का भुज; मणिपुर का इम्फाल; नागालैंड का कोहिमा; हिमाचल प्रदेश का मंडी; अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह का पोर्टब्लेयर और जम्मू-कश्मीर का श्रीनगर.

2. ज़ोन IV (Zone IV in Hindi)

यह इलाका एमएसके VII की तीव्रता के भूकम्प से प्रभावित है. इन्हे उच्च क्षति जोखिम क्षेत्र कहा जाता है. इस जोन में आनेवाले नगर हैं- उत्तराखंड का अल्मोड़ा, नैनीताल, देहरादून व रुड़की; हरियाणा का अम्बाला; पंजाब का लुधियाना व अमृतसर; उत्तर प्रदेश का बहराइच, बुलंदशहर, देवरिया, गाजियाबाद, गोरखपुर, मोरादाबाद व पीलीभीत; बिहार का बरौनी, मुंगेर व पटना; केंद्रशासित शहर चंडीगढ़ व दिल्ली; पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग, दिनाजपुर, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, कोलकाता व परगना; सिक्किम की राजधानी गंगटोक और हिमाचल प्रदेश का शिमला शामिल हैं.

3. ज़ोन III (Zone III in Hindi)

यह क्षेत्र अधिकतम एमएसके VII की तीव्रता के भूकम्प से प्रभावित है. इसे मध्यम क्षति जोखिम क्षेत्र माना जाता हैं. चेन्नई, मुंबई, भुवनेश्वर व कोलकाता का एक हिस्सा इस इलाके में आते हैं.

4. ज़ोन II (Zone II in Hindi)

एमएसके VI की तीव्रता से प्रभावित स्थानों को इस ज़ोन में रखा गया हैं. तमिलनाडु का त्रिची या थिरूचिराप्पल्ली इस श्रेणी के इलाके में शामिल किया गया हैं.

पहले देश के कई हिस्सों को ज़ोन I में रखा गया था. माना गया कि ये इलाके हिमालय से काफी दूर हैं, इसलिए यहाँ भूकम्प का कोई खतरा नहीं हैं. लेकिन, साल 1967 में आए कोयना भूकम्प के बाद मानचित्र से गैर-भूकंपीय जोन को हटाना पड़ा.

क्या भूकम्प का पूर्वानुमान लगाया जा सकता हैं? (Is Forcasting of Earthquake Possible in Hindi)

भूकम्प आने का पूर्वानुमान लगाने में अभी तक वैज्ञानिक अभी तक सफल नहीं हो पाए है. इसलिए भूकम्प को प्रकृति का सबसे खतरनाक व नुकसानदायक आपदाओं में एक माना जाता है. हालाँकि, कई बार भूकम्प के झटके काफी कम तीव्रता के होते है, इस वजह से हमें इसका आभास भी नहीं होता.

लेकिन कई बार इसकी तीव्रता तेज होती है, जो काफी बड़े पैमाने पर नुकसान करते हैं. जानवर जैसे चूहे, कई भूकंप आने से पहले अलग प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं. हालाँकि, अभी इस प्रतिक्रिया में एकरूपता नहीं होती है, इस वजह से भूकम्प का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता. ऐसा प्रयोग जापान के वैज्ञानिकों ने किया हैं.

हालाँकि, भूकम्प आने से ठीक कुछ समय पहले प्रकृति में कुछ बदलाव आते हैं. यदि ऐसे जानकारियों से भूकंप के बारे में कुछ समय पहले जानकारी सम्प्रेसित कर दिया जाएं तो नुकसान काफी कम हो सकता हैं. ये तथ्य है-

बहुत से छोटे-छोटे भूकंप “पी” तरंगों के वेग में परिवर्तन कर देते हैं. यह किसी बड़े भूकम्प के ठीक पहले सामान्य हो जाते हैं. इसे सिस्मोग्राफ से मापकर भविष्यवाणी की जा सकती हैं.

बड़े भूकम्प आने से पहले धरती से बड़े पैमाने पर रैडन गैस निकलती हैं.

बड़े भूकंप से पहले भूमि ऊपर उठकर गुंबदाकार आकृति बनाती है. इस क्रिया को दाबखादिता (Dilatancy) कहा जाता है.

भूकम्प से पहले पशुओं के आचरण में बदलाव आ जाता हैं व वे परेशान रहते हैं.

भूकंप का मानवजीवन व प्रकृति पर प्रभाव (Impact of Earthquake on Manking and Nature in Hindi)

भूकम्प अपार जनधन की हानि करता हैं. इससे उत्त्पन्न सुनामी, ज्वालामुखी, भूस्खलन व दरारों से भी व्यापक हानि होती हैं. इसलिए इससे मिलने वाले लाभ गौण हो जाते हैं. तो नुकसानदायक प्रभाव से शुरू करते हुए इसके प्रभाव के बारे में जानते हैं:-

भूकंप के हानिकारक प्रभाव (Harmful Effects of Earthquake in Hindi)

जन-जीवन और मानवीय संरचना का नुकसान

अति-तीव्रता के भूकम्प मानवीय संरचना, जैसे मकान, पुल, सड़क, झोपडी, रेल-पटरी, मेट्रो को थस-नहस कर देते हैं. नवंबर 1952 को कमचटका, रशिया में व 1967 में आया कोयना भूकंप में इसका उदाहरण हैं.

बाढ़

कई बार नदियों के जल प्रवाह मार्ग में भूकम्प से बने मलवे से अवरोध उत्त्पन्न हो जाता है. इससे आए बाढ़ से मौते तो होते ही है, साथ ही यह फसल समेत अन्य मानवीय सम्पदा का नुकसान कर देती हैं.

धनहानि, मौते व प्रदुषण

इससे अनगिनत लोगों व जानवरों की मौतें होती है. जानवरों के अवशेष पर्यावरण में प्रदुषण का कारण बनते है. साथ ही भूकम्प से आए ज्वालामुखी व धूलों का गुबार प्रदुषण का कारण बनती हैं. मानवीय संरचना के पुनर्निर्माण में भी धन का अत्यधिक व्यय होता है व इस पुनर्निर्माण से भी प्रदुषण फैलता हैं.

सुनामी (Tsunami)

यह एक जापानी शब्द है, जिसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ होता है- ऊँची समुद्री तरंग या लहरें. बार-बार भूकम्प आने के वजह से जापान में सुनामी सामान्य हैं. इसलिए जापान को सुनामी या भूकम्प का राजधानी भी कहते हैं. सुनामी में जल-तरंगों का अंतराल 5 मिनट से लेकर एक घंटे तक का होता है.

समुद्र या इसके किनारे आये भूकम्प के कारण सुनामी की लहरे उठती है. इससे तटीय किनारे डूब जाते है, बड़े-बड़े जहाज जल में समा जाते हैं. 26 दिसंबर 2004 को सुमात्रा में उठे सुनामी ने करोड़ों की संपत्ति का सर्वनाश कर दिया था एवं भारत तथा श्रीलंका के 3 लाख से अधिक लोगों ने इस सुनामी में अपनी जान गंवाई थी. कई अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देश भी इससे प्रभावित हुए थे.

पृथ्वी की सतह में दरारें

भूकम्प के कारण खेतों, सड़कों, पार्कों और यहांँ तक कि पर्वतों की सतह में दरारें आ जाती हैं. कैलिफोर्निया में सैन एंड्रियास फॉल्ट इसी प्रकार की दरार का उदाहरण है. ये दरारे खेतों व अन्य संरचनाओं की उपयोगिता को समाप्त कर देती हैं.

भू-स्खलन

इससे पहाड़ी व पठारी क्षेत्रों में भू-स्खलन भी होता हैं. भू-स्खलन अपने रास्ते के हरेक जीव व संरचना को नष्ट कर देता हैं.

भूकम्प के कुछ फायदेमंद प्रभाव (Some Beneficial Effects of Earthquake in Hindi)

दरारें

भूकम्प कई बार दरार भी बना देती हैं. इससे कई बार भूकंप के कारण जमीन के अंदर से गर्म पानी एवं कीचड़ बने हुए दरार से धरातल पर आकर जमा हो जाता है. इस तरह कीचड़ का झरना बन जाता है. ये जहाँ भी बनती हैं वह स्थान अन्य कार्यों के लिए अनुपयुक्त हो जाता हैं.

हालाँकि इससे एक नया पारिस्थितिक तंत्र विकसित होता है, जो प्रकृति के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता हैं. 1934 में बिहार में आए भूकंप में इसी प्रकार कीचड़ के एक झरने में खेतों में काम कर रहे किसान घुटने तक धंस गये थे और उनकी फसल बर्बाद हो गई थी.

  • जानकारी- भूकम्प से हमें पृथ्वी की आंतरिक बनावट के बारे में काफी जानकारी मिलती हैं.
  • खनिज- भूकम्प के साथ ही धरती के नीचे दबे खनिज संसाधन ऊपर की तरफ आ जाते हैं. इससे इनका खनन सुगम हो जाता हैं व मानव सभ्यता के विकास में सहायता मिलती हैं.
  • बंदरगाहों का निर्माण- कई बार भूकंप समुद्रों तटों में विशाल गड्ढों का निर्माण कर देती हैं. इस तरह प्राकृतिक बंदरगाह का निर्माण हो जाता हैं. ऐसे स्थानों पर व्यापारिक बंदरगाह का निर्माण करने से राष्ट्र के व्यापर में वृद्धि होता हैं.
  • इससे कई बार धरातल पर बलन या भ्रंश पड़ जाते हैं, जिससे पर्वत, पठार, तालाब, घाटियां आदि कई नई स्थलाकृतियों का जन्म होता है.
  • भूकंप से नए मिट्टी के निर्माण में भी सहायता मिलती है और कृषि को प्रोत्साहन मिलता है.

हम भूकम्प से अपना बचाव कैसे कर सकते हैं? (Safety from Earthquake – Dos and Don’t in Hindi)

भूकंप आने से पहले क्या करें (What to do before earthquake in Hindi)

  • मकान में पड़ी दरारों की मरम्मत कराएं. मकान का डिज़ाइन हमेशा विशेषज्ञों के सहायता से बनवाए व भूकंपरोधी बीआईएस मानक अपनाए. जर्जर पुराने व खराब संरचना वाले मकान के लिए हो तो विशेषज्ञ की सलाह लें.
  • घर के सजावटी सामान व सीसे के सामानों को सही जगह व मजबूती से लगवाएं.
  • जमीन पर बने शेलफो में भारी व सीसे के सामान व दिवार पर बने शेल्फों में हलके सामान रखें.
  • भारी चीजों चीजों व सीसे के सामानों को बैठने-सोने के जगह से दूर रखें.
  • फैन फिक्चर्स तथा ओवरहेड लाइट को नट-बोल्ट की मदद से अच्छी तरह फिट कराएं.
  • खराब या दोषपूर्ण बिजली की तारों तथा लीक करने वाले गैस कनेक्शनों की मरम्मत कराएं. इनसे आग लगने के जोखिम की संभावना होती है.
  • एलपीजी व अन्य जीवाश्म ईंधन के स्टोर को सुरक्षित स्थान पर रखें.
  • खरपतवार-नाशी (वीड किलर्स), कीटनाषक तथा ज्वलनषील पदार्थों को सांकल वाले कैबिनेटों में तथा नीचे के शेल्फों (कैबिनेट) में सावधानी से रखें.
  • भूकंप आने पर बचने के लिए घर के अंदर तथा बाहर सुरक्षित स्थानों को तलाश करके रखें. जैसे, मजबूत खाने की मेज, बिस्तर के नीचे, किसी भीतरी दीवार के साथ.
  • आपातकालीन टेलीफोन नंबरों को याद रखें (जैसे डाक्टरों, अस्पतालों, तथा पुलिस आदि के टेलीफोन नंबर).
  • स्वयं तथा परिवार के सदस्यों को भूकम्प के बारे में जानकारी दें.
  • आपदा आपातकालीन किट को तैयार रखें.

भूकम्प के दौरान क्या करें (Dos During Earthquake)

  • मकान के अंदर हो तो उस जगह से दूर जाएं जहां खिड़की, सीसे, तस्वीरों से कांच गिरकर टूट सकता हो अथवा जहां किताबों के भारी शेल्फ अथवा भारी फर्नीचर, लाइटिंग, फिक्सचर्स से दूर रहें जो नीचे गिर सकता हो. मजबूत मेज अथवा फर्नीचर के नीचे छिप जाएं.
  • यदि छिपने के लिए मजबूत मेज व बेड न हो तो तकिये या अपने बाजुओं से चेहरे तथा सिर को ढक लें और बिल्डिंग के किसी कोने में झुक कर बैठ जाएं, जहाँ पिलर मजबूत हों.
  • बिजली सप्प्लाई बाधित हो सकती हैं. गैस लीकेज होने कि स्थिति में, भींगे सूती कपड़े से मुंह को ढकें व भूकंप समाप्त होने पर बाहर निकलें.
  • खुले क्षेत्र में बिल्डिंग, पेड़ों, टेलीफोन, बिजली की लाइनों, फ्लाईओवरों तथा पुलों से दूर रहें.
  • यदि आप किसी खुली जगह पर हैतो वहां तब तक रुके रहें जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं.
  • सबसे बड़ा खतरा बिल्डिंग के ठीक बाहर, निकास द्वारों तथा इसकी बाहरी दीवारों के पास होता है. भूकम्प से संबंधित अधिकांश दुर्घटनाएं दीवारों के गिरने, टूटकर गिरने वाले कांच तथा गिरने वाली वस्तुओं के कारण होती हैं.
  • यदि किसी चलते वाहन में हों तो जितनी जल्दी संभव हो सुरक्षा के साथ गाड़ी रोकें व गाड़ी में रुके रहें. गाडी में होते हुए बिल्डिंग, पेड़ों, ओवरपास, बिजली/टेलीफोन आदि की तारों के पास अथवा नीचे रुकने से बचें.
  • भूकंप रुकने के बाद ही आगे बढ़ें, लेकिन संभव हो तो इससे पहले रास्ते में जाम, पल टूटने से सम्बंधित जानकारी जुटाने कि कोशिश करें.

भूकम्प के मलबे के नीचे फंसे हो तो क्या करें (Dos in Earthquake Debris)

  • आग न जलाएं.
  • शांति से बैठे रहे व अपनी ऊर्जा बचाएं. आपको प्यास लग सकती हैं. इसलिए पेशाब न करें व पसीने को निकलने से भी बचाएं.
  • अपने मुंह को किसी रुमाल अथवा कपड़े से ढकें रखें.
  • किसी पाइप अथवा दीवार को अंतराल पर थपथपाएं ताकि बचाने वाले आपको ढूंढ सकें. सिटी बजाना होगा. अगर और कोई उपाय न हो तो थोए-थोड़े अंतराल के बाद चिल्लाएं. चिल्लाने से आपके मुंह में सांस के द्वारा खतरनाक धूल अंदर जा सकती है।

भूकम्प के बाद क्या करें (Ater Earthquake in Hindi)

  • रेडियो, टीवी व इंटरनेट पर समाचार पढ़ें.
  • अफवाह न फैलाएं. किसी अफवाह की सुचना सरकारी अधिकारीयों को दें.
  • अपने सम्बन्धियों व मित्रों को अपने सुरक्षित होने का जानकारी दें.
  • सामुदायिक सहयोग विकसित करें.
  • जरूरतमंदों का मदद करें.

आपातकालीन किट (Emergency Kit in Hindi)

आपदा के दौरान इस्तेमाल में आनेवाले आपातकालीन किट में निम्न वस्तुएं शामिल हैं:-

  • अतिरिक्त बैटरियों सहित बैटरी चालित टॉर्च
  • बैटरी चालित रेडियो
  • प्राथमिक सहायता थैला (किट) तथा मैनुअल
  • आपातकालीन खाद्य सामग्री (ड्राई आइटम्स) तथा पीने का पानी (पैक्ड तथा सीलबंद)
  • एक वाटरप्रूफ कंटेनर में मोमबत्तियों तथा माचिसें
  • चाकू
  • क्लोरीन की गोलियां तथा पाउडर-युक्त वाटर प्यूरिफायर
  • केन ओपनर
  • अनिवार्य दवाइयां
  • नकदी, डेबिट व क्रेडिट कार्ड
  • मोटी रस्सी तथा डोरियां
  • मजबूत जूते
  • एक आपातकालीन संपे्रशण योजना तैयार करना bold ITALIC MENTION

विश्व में आए कुछ बड़े ऐतिहासिक भूकंप (World’s Historical Earthquakes in Hindi)

1668

भारत में आए सबसे पुराने भूकंप का साल 1668 की है. इस समय सिस्मोग्राफ का आविष्कार नहीं हुआ था, जिससे इसकी तीव्रता का पता नहीं चलता. हालाँकि कच्छ शहर की आबादी उस वक्त काफी कम होने के बावजूद भी, करीब 2000 लोग इसमें मारे गए थे. इसकी अनुमानित तीव्रता 8 हैं.

1755

1 नवंबर 1755, ऑल सेंट्स डे की सुबह स्थानीय समय के अनुसार 9:40 बजे ग्रेट लिस्बन भूकंप आया था. इसका केंद्र लिस्बन के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 290 किमी (180 मील) था, जो अज़ोरेस-जिब्राल्टर ट्रांसफॉर्म फॉल्ट के कारण आया था. इससे पुर्तगाल , औबेरियन प्रायद्वीप , और उत्तर पश्चिमी अफ्रीका प्रभावित हुए थे. अकेले लिस्बन शहर में 30 से 50 हजार लोग मारे गए थे.

बंगाल भूकंप, 1837

1837 में बंगाल में आए भूकंप को भारत का सबसे बड़ा भूकंप माना जाता हैं. इसमें तीन लाख से अधिक लोगों की जाने चली गई थी. इसके अलावा वर्ष 1819 में गुजरात के कच्छ, असम के कदार में 1885 में जम्मू कश्मीर के सोपर में 1897 में आए भूकंप अधिक तीव्रता के माने जाते है.

करोलिना, 1886

31 अगस्त, 1886 को चार्ल्सटन, दक्षिण करोलिना में 6.6 से 7.3 तीव्रता का यह भूकंप एक शक्तिशाली अन्तःप्लेट भूकंप का उदाहरण हैं. इसमें एक मिनट में 2000 मकान को जमींदोज कर दिया, जो शहर का एक-चौथाई मकान था. क़रीब 100 लोग मारे भी गए थे.

कांगड़ा, 1905

4 अप्रैल 1905 में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में में मरकेली स्केल पर 8.0 की तीव्रता के भूकंप का पता चलता है. इसमें 20 हजार लोग मारे गये थे. 38 हजार पशु भी इस भूकंप की भेंट चढ़ गए थे.

कोलोम्बिया, 1906

31 जनवरी 1906 को इक्वाडोर, कोलोम्बिया में आए 8.8 तीव्रता के इस भूकंप को दुनिया का पांचवा सबसे शक्तिशाली भूकंप कहा जाता है. इसमें 1500 के करीब लोग मारे गए थे.

बिहार भूकंप, 1934

15 जनवरी 1934 के दिन नेपाल व हिमालय के तराई में स्थित बिहार में 8.5 तीव्रता का जोरदार भूकंप आया था. दोपहर करीब 2.13 बजे आए इस भूकंप का केंद्र माउंट एवरेस्ट के दक्षिण में लगभग 9.5 किमी पूर्वी नेपाल में स्थित था. इससे मध्य व उत्तरी बिहार से लेकर नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत बड़े हिस्से में तबाही मची थी. आज भी बिहार के मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी व दरभंगा जैसे शहरों में पुरानी इमारतें तिरछी हैं. इसका कारण यही भूकंप है. कई गड्ढों का अचानक निर्माण इसी भूकंप के समय ही हुआ था.

जापान

1 सितम्बर 1923 को जापान के टोक्यो व योकोहामा शहरों में 8.3 तीव्रता का भूकंप आया था. इस भूकंप में कई इलाकों में आग लग गई थी. लेकिन इसमें जलापूर्ति का पाइपलाइन भी क्षतिगस्त हो गया था. इससे आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया था. आग के लपटे इतने खतरनाक थे कि सिर्फ होंजो और फुकुगावा में क़रीब 30000 लोग आग में झुलसकर मर गए. इसमें 1 लाख लोग मारे गए व 40 हजार लापता हो गए. इस भूकंप को ग्रेट कांटो अर्थक्वेक (Great Kanto Earthquake) के नाम से जाना जाता हैं.

असम, 1950

15 अगस्त 1950 – को तीसरे स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उत्तर-पूर्वी राज्य असम के उत्तरी इलाके में आए भूकंप से करीब 12 हजार लोगों की मौत हो गई थी. इसका कम्पन इतना तेज था कि सिस्मोग्राफ की सुईयां भी टूट गईं. लेकिन सरकारी तौर पर रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 9.0 बताया गया है.

कमचटका, 1952

4 नवंबर 1952 को कमचटका, रशिया में दुनिया का चौथा सबसे शक्तिशाली भूकंप आया था. रिक्टर पैमाने के 9.0 तीव्रता है. इससे 50 फ़ीट ऊँची लहरों वाला सुनामी भी आया. इस सुनामी से कमचटका व कुरील द्वीपसमूह में काफ़ी जान-माल का नुकसान हुआ था. इस भूकंप का केन्द्र कमचटका इलाके में ज़मीन से 30 किमी नीचे था. इसमें 10 से 15 हजार लोग मारे गए थे.

वाल्डिविया, चिली, 1960

22 मई 1960 को वाल्डिविया, चिली में भूकंप की तीव्रता 9.5 नापी गई थी. 10.7 मीटर ऊँची सुनामी के लहरों ने चिली समेत हवाई, जापान, फिलीपींस, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया तक में तबाही मचाई. सबसे ज्यादा असर चिली के वाल्डिविया शहर में हुआ. कुल मिलकर इसमें 25 से 30 हजार लोग मारे गए थे. इसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली भूकंप भी माना जाता है.

अलास्का, 1964

27 मार्च 1964 को प्रिंस विलिआम (अलास्का), अमेरिका में भूकंप की तीव्रता 9.3 मापी गई. अलास्का में उस दिन 4 मिनट 38 सेकंड तक धरती हिलती रही. भूकंप ने अलास्का का नक्शा ही बदल दिया. दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है.

इसमें जमीन में दरारे आ गई, पाइप फट गए, मकानें ध्वस्त हो गई थी, पानी के पाइप फट गए थे व बिजली के खम्बे उखड गए थे. निर्जन इलाके के इस भूकंप में क़रीब 150 से 200 लोगों की मौत हुई थी. सुनामी व भू-स्खलन से भी 60 के करीब लोग मारे गए. इसे दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता हैं.

चीन, 1976

28 जुलाई 1976 को चीन के हेबेई प्रान्त के तांगशान शहर के पास आए इस भूकंप को बीसवी सदी में सबसे अधिक जानलेवा माना जाता हैं. रिक्टर स्केल पर 7.8 से 8.2 तीव्रता के इस भूकंप में शहर की आबादी 10 लाख में करीब ढाई लाख लोग इसमें मारे गए व डेढ़ लाख से अधिक लोग ज़ख़्मी हो गए थे.

अफ़ग़ानिस्तान, 1998

30 मई 1998 को अफ़ग़ानिस्तान के तख़ार प्रांत में 6.5 तीव्रता का भूकंप आया था. इसमें चार हज़ार से अधिक लोगों की जान चली गई थी, जबकि 10 हज़ार से अधिक लोग घायल हो गए थे. भूकंप के झटके ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत, ईरान और पाकिस्तान में भी महसूस किए गए थे. हालांकि, सबसे ज़्यादा तबाही अफ़ग़ानिस्तान में ही हुई थी.

भुज व कच्छ, 2001

26 जनवरी 2001 को गुजरात के में भुज व कच्छ इलाके में आए भूकंप में पचीस से तीस हजार लोग मारे गए. सीमावर्ती देश पाकिस्तान में भी इस भूकंप से जानमाल की हानि हुई. इस भूकंप का केंद्र गुजरात के कच्छ जिले के भचौ तालुका में चबारी गांव के लगभग 9 किमी दक्षिण-दक्षिणपश्चिम में था.

इससे 63 लाख लोग प्रभावित हुये व चार लाख से अधिक मकान ढह गए. इंट्राप्लेट भूकंप पैमाने पर इसकी तीव्रता 7.7 पर दर्ज किया गया और Mercalli तीव्रता पैमाने पर अधिकतम महसूस की गई तीव्रता X (चरम) की थी.

हिंद महासागर, 2004

26 दिसंबर 2004 को दक्षिण भारत में सुबह 8:50 बजे आए इस भूकंप की तीव्रता 9.1 से 9.3 मापी गई. इस भूकंप से 23,000 परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा निकली थी, जिससे ऊँची सुनामी की लहरे उठीं. यह एक अस्थिर मेगाथ्रस भूकंप था, जो बर्मा प्लेट और भारतीय प्लेट के बीच फाल्ट बनने से पैदा हुआ था.

हिंद महासागर के आसपास के तटों पर स्थित 14 देशों में करीब ढाई लाख लोगों की जान ले ली. इससे यह रिकॉर्डेड इतिहास में सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक बन गया. इससे भारत, श्रीलंका, इंडोनेसिया व थाईलैंड सबसे अधिक प्रभावित हुए. इसमें करीब 17 लाख लोग विस्थापित भी हुए.

क्वेटा, 2005

8 अक्टूबर 2005 को पाकिस्तान के क्वेटा में 7.6 तीव्रता की भूकंप आई. इससे उत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त, भारत के जम्मू और कश्मीर इलाके प्रभावित हुए. एक ही झटके में 75 से 90 हजार लोग मौत के मुंह में समा गए. करीब 80 हजार लोग घायल हुए और 2 लाख 80 हजार लोग बेघर हो गए. इससे भारत में भी नुकसान हुआ था.

शिचुआन प्रांत, 2008

12 मई 2008 को चीन के शिचुआन प्रांत में 8.0 तीव्रता का भूकंप आया था. इसका केंद्र वेंचुआन में था, जिसमें 70,000 लोग मारे गए थे व 18 हजार लोग लापता हो गए थे. इस भूकंप के झटके सैकड़ों किलोमीटर दूर युन्नान, शानक्सी और गुइझोउ प्रांतों में भी महसूस किए गए थे. दो मिनट तक के इस भूकंप में जानमाल की बड़े पैमाने पर नुक्सान हुआ था. इसलिए इसकी विनाशकारी लीला को देखते हुए ग्रेट शिचुआन भूकंप का नाम दिया गया.

हैती, 2010

12 जनवरी 2010 को हैती में भूकंप की तीव्रता 7 मापी गई. सबसे ज्यादा तबाही राजधानी पोर्ट ओ प्रिंस में मची. भूकंप के बाद 52 ऑफ्टर शॉक्स महसूस किए गए. इस भूकंप ने एक लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली.

चिली, 2010

27 फरवरी 2010 को बायो-बायो, चिली में भूकंप की तीव्रता 8.8 मापी गई. इस भूकंप ने चिली की 80 फीसदी आबादी को प्रभावित किया था. इस भूकंप का दायरा इतना बड़ा था कि चिली के आसपास के सभी देशों में झटकों को महसूस किया गया.

जापान, 2011

11 मार्च 2011 को जापान में भूकंप की तीव्रता 9 मापी गई. इसका केंद्र जापान की राजधानी टोक्यो के उत्तरपूर्व में समुद्र तल के 24 किमी नीचे था. इस भूकंप से होन्शु और सेंदाई द्वीप पर बसा शहर उजड़ गया. इसके बाद आई सुनामी की लहरों में तीन लाख से ज्यादा इमारतें बह गई. चार हजार से ज्यादा सड़कों का नामो-निशान मिट गया.

इस त्रासदी में करीब 16 हजार लोगों की मौत हुई थी. इस आपदा में होन्शु द्वीप पर स्थित फुकुशिमा परमाणु नाभिकीय पावर प्लांट भी हाइड्रोजन विस्फोट के कारण तबाह हो गया था. विकिरण रिसाव के चलते आस-पास के इलाके को खाली करवाना पड़ा था. चेर्नोबिल हादसे के बाद हुए इस बड़े नाभिकीय दुर्घटना से परमाणु ऊर्जा की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे. इलाके में विकिरण का प्रभाव आज भी उपस्थित हैं.

सुमात्रा, इंडोनेशिया, 2012

11 अप्रैल 2012 को सुमात्रा, इंडोनेशिया में भूकंप की तीव्रता 8.6 मापी गई. भूकंप का केंद्र जमीन से काफी नीचे होने की वजह से तबाही वैसी नहीं हुई जिसकी आशंका जताई जा रही थी.

नेपाल, 2015

25 अप्रैल 2015 को नेपाल में भूकंप की तीव्रता 8.1 मापी गई. 8000 से अधिक मौतें हुईं और 2000 से अधिक लोग घायल हुए. भूकंप के झटके भारत, चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान तक महसूस किए गए.

अफगानिस्तान, 2022

22 जून 2022 की सुबह अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से 262 किलोमीटर दूर बसे प्रान्त पकतिका में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया. इस वक्त अधिकांश लोग गहरी नींद में थे, जिस वजह से करीब 1000 लोगों की जाने चली गईं. आधुनिक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, अफगानिस्तान में सबसे पुराना भूकंप 818 ईसवी में आया था.

अफगानिस्तान, 2023

8 अक्टूबर 2023 को अफ़ग़ानिस्तान में 6.3 तीव्रता के भूकंप ने व्यापक नुकसान पहुँचाया है. इसमें 2000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई. साथ ही, कई मानवीय संरचना और आवास मलबे के ढ़ेर में तब्दील हो गए.

भारत व विश्व के कुछ बड़े विनाशकारी भूकंपों का काल-क्रम (Timeline of Big Indian and Global Earthquakes in Hindi)

  • 5 सितम्बर 2022: को सिचुआन प्रांत, चीन में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया. काबुल, अफगानिस्तान में भी 5.2 तीव्रता का भूकंप से नुकसान. इससे पहले 1 जून 2022 को भी यहाँ 4.5 रिक्टर पैमाने का भूकंप आया था.
  • 20 अगस्त 2022 : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 5.2 तीव्रता का भूकंप.
  • 28 जुलाई 2022: उत्तरी फिलीपींस में 7 तीव्रता का भूकंप, करीब 800 झटके (aftershoks)-NDTV Hindi.
  • 02 जुलाई 2022: तड़के दक्षिणी ईरान में 6.0 तीव्रता का भूकंप.
  • 21 जून 2022 : अफगानिस्तान में आए 6.1 तीव्रता के इस अर्थक्वेक का केंद्र अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में खोस्त शहर से करीब 50 किमी दक्षिणपश्चिम में पाकिस्तान बॉर्डर के पास था. इसमें 1500 के करीब लोगों की मौतें हुई.
  • 5 फ़रवरी 2022: केंद्र अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा क्षेत्र में 181 किमी गहराई में, तीव्रता 5.7.
  • 16 मार्च 2022: ईरान में 7.1 तीव्रता का भूकंप, जापानी बुलेट ट्रेन पटरी से उतरी.
  • 16 व 17 मार्च 2022 : जापान में 7.1 से 7.3 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप, सुनामी जैसे 30 सेंटीमीटर से अधिक का समुद्री जल स्तर
  • 25 मार्च 2022: गुजरात के द्वारका में रिक्टर पैमाने पर 5.3 तीव्रता वाले भूकंप के झटके.
  • 14 मार्च 2022: नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, कुआलालम्पुर, मलेशिया के निकट रिक्टर पैमाने पर 6.8 तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए. देश में 25 फरवरी को भी 6.0 तीव्रता का भूकंप आया था.
  • 3 जनवरी 2022: तायपेई, ताइवान के निकट रिक्टर पैमाने पर 6.1 तीव्रता वाले भूकंप.
  • 01 जनवरी 2022:उत्तरी पाकिस्तान में 5.3 की तीव्रता के भूकंप के झटके, इसका केंद्र हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला में 226 किलोमीटर की गहराई में स्थित था.
  • 19 दिसम्बर 2021:सुवा, फिजी के निकट रिक्टर पैमाने पर 6.0 तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए.
  • 28 नवम्बर 2021: पेरू, लोरेटो के पास 7.5 तीव्रता का जोरदार भूकंप, 12 से अधिक मौतें.
  • 26 नवम्बर 2021: नार्थ-ईस्ट के मिजोरम में 6.1 तीव्रता का भूकंप, कोलकाता तक गए झटके
  • 25 नवम्बर 2021: होनियारा, सोलोमन द्वीप समूह के निकट रिक्टर पैमाने पर 6.1 तीव्रता वाले भूकंप. इससे पहले 6.2 तीव्रता के भूकंप 18 नवम्बर को आए थे.
  • 14 नवम्बर 2021: Abu Dhabi, United Arab Emirates के निकट रिक्टर पैमाने पर 6.0 तीव्रता वाले
  • 12 नवम्बर 2021:मलेशिया में कुआलालंपुर के निकट 5.1 तीव्रता वाले भूकम्प.
  • 11 नवम्बर 2021: तायपेई, ताइवान के निकट 6.4 तीव्रता वाले भूकंप.
  • 09 नवम्बर 2021: मनागुआ, निकारागुआ के निकट 6.1 तीव्रता वाले भूकंप के झटके.
  • 04 नवम्बर 2021: गुजरात में द्वारका के निकट रिक्टर पैमाने पर 5.0 तीव्रता वाले भूकंप.
  • 30 अक्टूबर 2021: स्पेन के लापाल्मा द्वीप के पास 5 तीव्रता का भूकंप. इसके बाद दो माह तक धधकता रहा ज्वालामुखी, 2000 मकान ध्वस्त.
  • 06 अक्टूबर 2021: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में 5.9 तीव्रता का भूकंप, 27 लोगों की मौत.
  • 07 सितम्बर 2021: मेक्सिको के गुर्रेरो में 7.0 तीव्रता का भूकंप, 13 की मौत.
  • 14 अगस्त 2021: हैती में 7.2 तीव्रता का भूकंप, 2500 के करीब लोगों की मौत.
  • 21 मई 2021: चीन के किंघाई में 7.3 तीव्रता का भूकंप, 20 से अधिक मौत.
  • 10 अप्रैल 2021: इंडोनेसिया के पूर्वी जावा में 6.0 तीव्रता का भूकंप, 10 मौत.
  • 15 जनवरी 2020: इंडोनेसिया के ही पूर्वी सुलावेसी में 6.2 तीव्रता का भूकंप, 108 मौतें.
  • 30 अक्टूबर 2020: ग्रीस के उत्तरी एजियन में 7.0 तीव्रता का भूकंप, 119 मौतें.
  • 24 जनवरी 2020: तुर्की में 6.7 तीव्रता का भूकंप, 41 मौतें.
  • 26 नवम्बर 2019: अल्बानिया में 6.4 तीव्रता का भूकंप, 51 लोगों की मौतें.
  • 14 जुलाई 2019: इंडोनेसिया के उत्तरी मकालू में 7.2 तीव्रता का भूकंप, 14 मौतें.
  • 28 सितम्बर 2018: सुलावेसी, इंडोनेशिया में X (अति-उच्च) वेग का भूकंप, 4,340 मौतें.
  • 05 अगस्त 2018: लोम्बोक, इंडोनेशिया में 6.9 तीव्रता का भूकंप, 513 मौतें.
  • 25 फरवरी 2018: वेस्टर्न हाईलैंड्स, पापुआ नई गिनी में 7.5 तीव्रता का भूकंप, 25 मौतें. इससे पहले बगोविले इलाके में 22 जनवरी 2017 को आए 7.9 तीव्रता के भूकंप में 3 मौतें.
  • 12 नवम्बर 2017: कर्मनशाह, ईरान में 7.3 तीव्रता का भूकंप, 630 मौतें.
  • 19 सितम्बर 2017: पूएब्ला, मेक्सिको में 7.1 तीव्रता का भूकंप, 370 मौतें. इसी महीने 7 तारीख को चियापास इलाके में 8.2 तीव्रता के भूकंप में 100 मौतें.
  • 16 अप्रैल 2016: इक्वाडोर में 7.8 तीव्रता का भूकंप, 676 मौतें.
  • 25 अप्रैल 2015: गोरखा क्षेत्र, नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकंप, 8 से 9 हजार लोगों की मौतें.
  • 16 सितम्बर 2015: चिली में 8.3 तीव्रता का भूकंप, 15 मौतें.
  • 03 अगस्त 2014: चीन के युनान प्रान्त में 6.1 तीव्रता का भूकंप, 729 मौतें.
  • 24 सितम्बर 2013: बलूचिस्तान, पाकिस्तान में 7.7 तीव्रता का भूकंप, 825 मौतें.
  • 06 फरवरी 2013: सोलोमन द्वीप समूह में 8 तीव्रता का भूकंप, 13 मौतें.
  • 11 अप्रैल 2012: इंडोनेसिया के पास एकेह ऑफशोर में 8.6 तीव्रता का भूकंप, 10 मौतें, केंद्र अधिक गहराई में होने से अधिक नुकसान नहीं.
  • 11 मार्च 2011, जापान के उत्तरी पूर्वी तट पर 9.0 की तीव्रता के भूकंप से सुनामी, 10,000 से अधिक लोगों की मौत.
  • 9 मई 2010, इंडोनेशिया में 7.2 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों मौत.
  • 13 अप्रैल 2010, किंघई प्रांत, चीन में 6.9 की तीव्रता का भूकंप, 2500 लोगों की मौत.
  • 12 जनवरी 2010, हैती में 7.0 की तीव्रता का भूकंप, 2 लाख मौत.
  • 30 सितंबर 2009, सुमात्रा द्वीप, इंडोनेशिया में 7.6 की तीव्रता का भूकंप, 1100 की मौत।
  • 29 सितंबर 2009, सैमोन द्वीप में 8.3 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों मौतें.
  • 10 अगस्त 2009, अंडमान निकोबार में 7.6 की तीव्रता का भूकंप, कोई हताहत नहीं।
  • 6 अप्रैल 2009, इटली के लैकिला शहर में 6.3 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों की मौत।
  • 3 फ़रवरी 2008, कॉंगो और रवांडा में ज़बरदस्त भूकंप आया, इसमें 45 लोग मारे गए।
  • 6 मार्च 2007, इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में 6.3 तीव्रता का भूकंप, 70 लोगों की मौत।
  • 27 मई 2006, इंडोनेशिया के जकार्ता में भूकंप, छह हज़ार लोग मारे गए और 15 लाख बेघर हो गए।
  • 8 अक्टूबर 2005, पाकिस्तान में 7.6 तीव्रता वाला भूकंप, क़रीब 75 हज़ार लोग मारे गए।
  • 28 मार्च 2005, इंडोनेशिया में 8.7 तीव्रता वाला भूकंप, लगभग 1300 लोग मारे गए।
  • 22 फ़रवरी 2005, ईरान के केरमान प्रांत में लगभग 6.4 तीव्रता के आए भूकंप में लगभग 100 लोग मारे गए थे।
  • 26 दिसंबर 2004, 8.9 की तीव्रता वाले भूकंप के कारण उत्पन्न सुनामी ने एशिया में हज़ारों लोगों की जान गई।
  • 24 फ़रवरी 2004, मोरक्को के तटीय इलाक़े में आए भूकंप ने 500 लोगों की जान ले ली थी।
  • 26 दिसंबर 2003, दक्षिणी ईरान में आए भूकंप में 26 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
  • 21 मई 2003, अल्जीरिया में भूकंप आया, दो हज़ार लोगों की मौत और आठ हज़ार से अधिक लोग घायल हुए थे।
  • 1 मई 2003, तुर्की के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में आए भूकंप में 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई जिसमें 83 स्कूली बच्चे शामिल थे।
  • 24 फरवरी 2003, पश्चिमी चीन में भूकंप, 260 लोग मारे गए और 10 हज़ार से अधिक लोग बेघर।
  • 21 नवंबर 2002, पाकिस्तान के उत्तरी दियामीर ज़िले में भूकंप में 20 लोगों की मौत।
  • 31 अक्टूबर 2002, इटली में आए भूकंप से एक स्कूल की इमारत गिर गई जिससे एक क्लास के सभी बच्चे मारे गए।
  • 12 अप्रैल 2002, उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में दो महीनों में ये तीसरा भूकंप का झटका था, इसमें अनेक लोग मारे गए।
  • 25 मार्च 2002, अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी इलाक़े में 6 की तीव्रता का भूकंप, 800 से ज़्यादा लोग मरे।
  • 3 मार्च 2002, अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप आया, 150 लोग मारे गए।
  • 3 फ़रवरी 2002, पश्चिमी तुर्की में भूकंप में 43 मरे, हज़ारों लोग बेघर।
  • 24 जून 2001, दक्षिणी पेरू में भूकंप में 47 लोग मरे, भूकंप के 7.9 तीव्रता वाले झटके एक मिनट तक महसूस किए जाते रहे।
  • 13 फ़रवरी 2001, अल साल्वाडोर में दूसरे बड़े भूकंप की वजह से कम से कम 300 लोग मारे गए, इस भूकंप को रियेक्टर स्केल पर 6.6 मापा गया।
  • 26 जनवरी 2001, भारत के गुजरात में 7.9 तीव्रता का भूकंप, तीस हज़ार लोग मारे गए और क़रीब 10 लाख लोग बेघर हो गए, भुज और अहमदाबाद पर भूकंप का सबसे अधिक असर पड़ा।
  • 13 जनवरी 2001, अल साल्वाडोर में 7.6 तीव्रता का भूकंप, 700 से भी अधिक लोग मारे गए।
  • 6 अक्टूबर 2000, जापान में 7.1 तीव्रता का एक भूकंप, 30 लोग घायल हुए और कई लापता और क़रीब 200 मकानों को नुकसान पहुंचा।
  • 21 सितंबर 1999, ताईवान में 7.6 तीव्रता का भूकंप, ढाई हज़ार लोग मारे गए और इस द्वीप के हर मकान को नुकसान पहुंचा।
  • 17 अगस्त 1999, तुर्की के इमिट और इंस्ताबूल शहरों में 7.4 तीव्रता का भूकंप, 17000 से ज़्यादा लोग मारे गए और हज़ारों अन्य घायल हुए।
  • 29 मार्च 1999, उत्तर प्रदेश राज्य के उत्तरकाशी और चमोली में दो भूकंप। 100 से अधिक लोग मारे गए।
  • 25 जनवरी 1999, कोलंबिया के आर्मेनिया शहर में 6.0 तीव्रता का भूकंप. क़रीब एक हज़ार लोग मारे गए।
  • 17 जुलाई 1998, न्यू पापुआ गिनी के उत्तरी-पश्चिमी तट पर समुद्र के अंदर आया भूकंप, एक हज़ार से अधिक मरे।
  • 26 जून 1998, तुर्की के दक्षिण-पश्चिम में अदना में 6.3 तीव्रता का भूकंप, 144 लोग मारे गए, एक हफ़्ते बाद इसी इलाक़े में दो शक्तिशाली भूकंप आए जिनमें एक हज़ार से अधिक लोग घायल हो गए।
  • 30 मई 1998, उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में एक बड़ा भूकंप, चार हज़ार लोग मारे गए।
  • फ़रवरी 1997, उत्तर-पश्चिमी ईरान में 5.5 तीव्रता का एक भूकंप, एक हज़ार लोग मारे गए, तीन महीने बाद 7.1 तीव्रता का भूकंप आया जिसकी वजह से पश्चिमी ईरान में डेढ़ हज़ार से अधिक लोग मारे गए।
  • 27 मई 1995, रूस के पूर्वी द्वीप सख़ालीन में 7.5 तीव्रता का भूकंप, दो हज़ार लोग मरे।
  • 17 जनवरी 1995, जापान के कोबे शहर में भूकंप, छह हज़ार चार सौ तीस लोग मारे गए।
  • 6 जून 1994, कोलंबिया में आया भूकंप, क़रीब एक हज़ार लोग मारे गए।
  • 30 सितंबर 1993, भारत के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में आए भूकंप से क़रीब दस हज़ार लोगों की मौत।
  • 21 जून 1990, ईरान के उत्तरी राज्य गिलान में भूकंप, चालीस हज़ार से भी अधिक लोगों की मौत।
  • 17 अक्टूबर 1989, कैलिफ़ोर्निया में भूकंप, 68 लोग मारे गए।
  • 7 दिसंबर 1988, उत्तर-पश्चिमी आर्मेनिया में 6.9 तीव्रता का भूकंप, पच्चीस हज़ार लोगों की मौत।
  • 19 सितंबर 1985, मैक्सिको में भूकंप, इसमें बड़ी इमारतें तबाह हो गईं और दस हज़ार से अधिक लोग मारे गए।
  • 23 नवंबर 1980, इटली के दक्षिणी हिस्से में आए भूकंप की वजह से सैंकड़ों लोग मारे गए।
  • 28 जुलाई 1976, चीन का तांगशान शहर में भूकंप, पांच लाख से अधिक लोग मारे गए।
  • 27 मार्च 1964, रियेक्टर स्केल पर 9.2 तीव्रता के एक भूकंप ने अलास्का में 25 लोगों की जान ले ली और बाद के झटकों की वजह से 110 और लोग मारे गए।
  • 22 मार्च 1960, दुनिया का सबसे शक्तिशाली भूकंप चिली में आया, इसकी तीव्रता 9.5 दर्ज की गई, कई गांव के गांव तबाह हो गए और सैंकड़ों मील दूर हवाई में 61000 लोग मारे गए।
  • 1950, भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम में भयानक भूकंप आया। ये इतना तेज़ था कि सेस्मोग्राफ़ की सुईयां टूट गईं। लेकिन सरकारी तौर पर रियेक्टर स्केल पर इसे 9.0 तीव्रता का बताया गया।
  • 28 जून 1948, पश्चिमी जापान में पूर्वी चीनी समुद्र को केंद्र बनाकर भूकंप आया, तीन हज़ार से ज़्यादा लोग मरे।
  • 31 मई, 1935, क्वेटा और उसके आसपास के इलाक़ों में भूकंप, लगभग 35 हज़ार लोगों की जानें गईं।
  • 1935, ताईवान में रियेक्टर स्केल पर 7.4 तीव्रता का एक भूकंप आया जिसकी वजह से तीन हज़ार दो सौ लोग मारे गए।
  • 1931, ब्रिटेन के इतिहास का सबसे भयानक भूकंप, रियेक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.5 थी और इससे अधिक नुकसान नहीं हुआ।
  • 1 सितंबर 1923, जापान की राजधानी टोक्यो में आया ग्रेट कांटो भूकंप, 142,800 लोगों की मौत।
  • 18 अप्रैल 1906, सैन फ्रांसिस्को में कई मिनट तक भूकंप के झटके आते रहे, इमारतें गिरने और उनमें आग लगने की वजह से सात सौ से तीन हज़ार के बीच लोग मारे गए।
  • 1 नवंबर 1755 पुर्तग़ाल में 8.7 की तीव्रता का भूकंप, 70,000 की मौत।
  • 17 अगस्त 1668 टर्की में 8.0 की तीव्रता का भूकंप, 8000 की मौत।
  • 23 जनवरी 1556 में चीन में 8.0 की तीव्रता का भूकंप, 830, 000 की मौत।

दुनिया में आए सबसे पुराने व प्राचीन भूकंप का इतिहास (Ancient Earthquakes of World in Hindi)

  1. दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के पश्चिमी समुद्र तट के किनारे स्थित देश ‘चिली’ भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाओं के लिए खुख्यात हैं. जिस तरह एशिया महाद्वीप के जापान में भूकंप आना सामान्य है, ठीक उसी तरह दक्षिणी अमेरिका के ‘चिली’ में.
  2. हाल ही में यहाँ के वैज्ञानिकों ने अपने देश में में स्थित सबसे सूखे रेगिस्तान, आटाकामा मरूस्थल, के तट पर आए 38 हजार साल पुराने भूकंप का पता लगाया हैं. यह भूकंप अब तक के ज्ञात सभी भूकम्पों में सबसे पुराना हैं.
  3. शोध के अनुसार, नजाका और दक्षिण अमेरिकी टेक्टॉनिक प्लेटों के बीच घर्षण से 9.5 तीव्रता की एक विनाशकारी भूकंप आया था. इससे सुनामी भी आ गई, जिसकी लहरों की ऊंचाई 15-20 मीटर (66 फुट) थी.
  4. चीन में 1177 ई.पू. में आया भूकंप, सबसे पहला भूकम्प है, जिसके बारे में लिखित जानकारी उपलब्ध है. चीनी भूकंप सूची में अगले कुछ हज़ार वर्षों के दौरान आए दर्जनों बड़े भूकंपों का वर्णन किया गया है.
  5. यूरोप में भूकंपों का उल्लेख 580 ईसा पूर्व के रूप में किया गया है. लेकिन यहाँ आए सबसे पहले भूकंप, जिसकी लिखित जानकारी उपलब्ध है, 16 वीं शताब्दी के मध्य में हुई थी.
  6. अमेरिका में सबसे पहले ज्ञात भूकंप मेक्सिकों में 14वीं सदी के अंत में व 1471 में पेरू में आए भूकंप का हैं. हालाँकि ये विवरण पूर्ण तरीके से दर्ज नहीं किए हुए हैं.
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