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फॉस्फोरस चक्र के 5 चरण, महत्व और प्रभाव
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फॉस्फोरस चक्र के 5 चरण, महत्व और प्रभाव

फॉस्फोरस चक्र एक जैव-रासायनिक प्रक्रिया हैं. यह पृथ्वी पर सभी जीवन रूपों के लिए महत्वपूर्ण हैं. इस चक्र की खासियत इसे अन्य प्रमुख पोषक तत्व के चक्रों से अलग करती हैं. इस लेख में हम इसके विभिन्न प्रक्रिया व प्रकृति से इसके अभिक्रिया को समझेंगे. फॉस्फोरस चक्र क्या हैं? (What is Phosphorus Cycle in Hindi) […]

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नाइट्रोजन चक्र: चरण, घटक, महत्व और सूक्ष्मजीवों की भूमिका | Nitrogen cycle: phases, components, importance and role of microorganisms in Hindi
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नाइट्रोजन चक्र: चरण, घटक, महत्व और सूक्ष्मजीवों की भूमिका

नाइट्रोजन चक्र पृथ्वी पर नाइट्रोजन का एक अनिवार्य जैव-भूरासायनिक चक्र है. इस प्रक्रिया में वायुमंडल की स्वतंत्र नाइट्रोजन को विभिन्न जैविक और अजैविक विधियों द्वारा नाइट्रोजनीय यौगिकों में स्थिर किया जाता है. फिर इन यौगिकों को पुनः स्वतंत्र नाइट्रोजन में परिवर्तित करके वायुमंडल में वापस लौटाया जाता है. यह एक जटिल चक्र है.  वायुमंडल में

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कार्बन चक्र: प्रक्रिया, महत्व और हालिया अनुसंधान
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कार्बन चक्र: प्रक्रिया, महत्व और हालिया अनुसंधान

कार्बन चक्र (Carbon Cycle) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें पृथ्वी के जीवमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल के बीच कार्बन का प्रवाह और परिवर्तन शामिल है. इसलिए, इसे एक जैव भू-रसायन चक्र हैं. अन्य भू-जैव रसायन चक्रों की तरह यह भी पृथ्वी पर जलवायु, जीवन और पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है. कार्बन चक्र की प्रक्रियाएँ

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जल चक्र (हाइड्रोलॉजिकल चक्र) के चरण, स्थल, महत्व (सचित्र) | The Water Cycle or the Hydrological Cycle in Hindi Image
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जल चक्र (हाइड्रोलॉजिकल चक्र) के चरण, स्थल, महत्व (सचित्र)

पृथ्वी के वायुमंडल में पानी का निरंतर संचलन जल चक्र या हाइड्रोलॉजिकल चक्र कहलाता है. इस चक्र में पानी की अवस्था ठोस, द्रव या गैस में बदलती रहती है. जल चक्र मुख्य रूप से सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा द्वारा संचालित होता है. इसे जैव भू-रासायनिक चक्र में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. जल चक्र

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जैव भू-रसायन चक्र: महत्व, प्रकार, प्रभाव व परिणाम
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जैव भू-रसायन चक्र: महत्व, प्रकार, प्रभाव व परिणाम

विभिन्न तत्वों का जीवमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल, और वायुमंडल के बीच निरंतर प्रवाह और परिवर्तन होता रहता है, जिसे जैव भू-रसायन चक्र (Biogeochemical Cycles) कहा जाता है. ये चक्र पृथ्वी की जलवायु को विनियमित करने और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पृथ्वी पर जीवन की निरंतरता और पारिस्थितिकी तंत्रों की कार्यशीलता

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महासागरीय जलधाराओं की सूची, दिशा, क्षेत्र और विशेषताएं | Ocean Currents in Hindi UPSC BPSC CSE GK GS JPSC MPSC UPPSC in Hindi
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महासागरीय जलधाराओं की सूची, दिशा, क्षेत्र और विशेषताएं

महासागरीय जलधाराएँ समुद्र में पानी की निश्चित दिशा में होने वाली गति हैं. ये समुद्र में नदियों की तरह बहती हैं. ये गतियाँ सूरज, हवा, गुरुत्वाकर्षण और पृथ्वी के घूर्णन से होती हैं. ये जलधाराएं दो प्रकार से गति करती हैं:  क्षैतिज और लंबवत. क्षैतिज गति को ‘धारा’ कहा जाता है, जबकि ऊर्ध्वाधर गति को

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ज्वारभाटा क्या हैं और इसके कितने प्रकार होते हैं?
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ज्वारभाटा क्या हैं और इसके कितने प्रकार होते हैं?

समुद्र का पानी चंद्रमा और सूर्य की खिंचाव की शक्ति के कारण दिन में एक या दो बार ऊपर-नीचे होता है, इसे ज्वारभाटा कहते हैं. मौसम के बदलाव, जैसे हवा या हवा के दबाव में परिवर्तन, के कारण समुद्र के पानी की गति को महोर्मि कहते हैं. महोर्मि ज्वारभाटा की तरह नियमित नहीं होती. ज्वारभाटा

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पश्चिमी विक्षोभ क्या है? इसका निर्माण और प्रभाव
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पश्चिमी विक्षोभ क्या है? इसका निर्माण और प्रभाव

पश्चिमी विक्षोभ कैस्पियन, भूमध्य सागर या काला सागर क्षेत्र में उत्पन्न होने वाला एक बहीरुषण उष्णकटिबंधीय तूफान है. यह भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भागों में अचानक सर्दियों की बारिश लाता है. इसका विस्तार पूर्व में बांग्लादेश के उत्तरी भागों और दक्षिण-पूर्व नेपाल तक होता है. भारत में गैर-मानसुनी वर्ष का अधिकांश हिस्सा इसी के द्वारा

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भारत में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ: सूची, फायदे और उनका महत्व 
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भारत में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ: सूची, फायदे और उनका महत्व 

भारत में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ये परियोजनाएँ नदियों के जल को नियंत्रित और प्रबंधित करके कई उद्देश्यों को पूरा करती हैं, जिनमें बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, विद्युत उत्पादन, पेयजल आपूर्ति, मत्स्य पालन और पर्यटन शामिल हैं. भारत के पहले प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इन्हें ‘आधुनिक भारत

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भारत की मृदा: इसका निर्माण, बनावट, वर्गीकरण, अवकर्षण, अपरदन और संरक्षण
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भारत की मृदा: इसका निर्माण, बनावट, वर्गीकरण, अवकर्षण, अपरदन और संरक्षण

भारत की मृदा विश्व के सबसे उपजाऊ मृदाओं में से एक है. मृदा भू-पर्पटी की सबसे महत्वपूर्ण परत है और एक मूल्यवान संसाधन है. यह शैल, मलबा और जैव सामग्री का मिश्रण होती ,है जो पृथ्वी की सतह पर विकसित होती है. यह वृक्षों, घास, फसलों और जीवन के कई रूपों का पोषण करती है.

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