संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organisation) एक अंतरसरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसके वर्तमान में 193 सदस्य है. इसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को किया गया था. यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ा संगठन है, जो दुनिया के देशों और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों में समन्वय स्थापित करने का काम करती है. इसका अंतिम उद्देश्य नियमों के माध्यम से विश्व में शांति व सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
यह संगठन मानवाधिकार की रक्षा, मानवीय सहायता, सतत विकास और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को लागु करने के लिए भी काम करती है. इसके कई अनुषंगी व सहायक संगठन है, जिसके माध्यम से यह अपना कार्य संचालित करती है. इसका मिशन एवं कार्य इसके चार्टर में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होता है.
इस लेख में हम जानेंगे
Toggleसंयुक्त राष्ट्र संघ का इतिहास (History of United Nations Organisation in Hindi)
अंग्रेजी में इसे यूनाइटेड नेशंस (United Nations) कहा जाता है. संक्षेप में इसे यूएन या संरा (UN) भी कहा जाता है. संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना का जरूरत 19वीं सदी में ही महसूस किया जाने लगा था, जब दुनिया तेजी से आपस में जुड़ रही थी और वैश्विक कारोबार हरेक साल नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा था.
अन्तर्राष्ट्रीय संगठन बनाने का प्रथम सफल प्रयास साल 1865 में किया गया. इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय टेलीग्राफ संघ (ITU) स्थापित किया गया. फिर, 1874 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UNU) स्थापित किया गया. इनका मकसद वैश्विक संचार को सुगम बनाना था. यहीं से ग्लोबल विलेज का तेज विकास भी शुरू हो गया.
राष्ट्र संघ का स्थापना (Establishment of Union of Nations in Hindi)
वर्ष 1899 में नीदरलैंड्स के हेग (Hague) में अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन आयोजित किया गया था. इसका उद्देश्य विवादों और संकट की स्थितियों को शांति से निपटाने, युद्धों को रोकने एवं युद्ध के नियमों को संहिताबद्ध करना था. सम्मलेन के समापन से पूर्व, अंतर्राष्ट्रीय विवादों के शांतिप्रद निपटान के लिये कन्वेंशन को अपनाया गया. फिर, वर्ष 1902 में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय की स्थापना की गई, जिसे अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय भी कहा जाता है. फिलहाल यह संसथान संयुक्त राष्ट्र संघ के तहत काम करती है.
प्रथम विश्व युद्ध के बाद सन 1919 में वर्साय की संधि की गई. इसी संधि के तहत संयुक्त राष्ट्र संघ की पूर्ववर्ती संगठन राष्ट्र संघ (League of Nations) की स्थापना की गई. इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना और शांति व सुरक्षा सुनिश्चित करना था. इसी संधि के तहत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना भी की गई, जिसे लीग ऑफ़ नेशंस के तहत रखा गया.
लेकिन, यह संगठन अपने वास्तविक लक्ष्यों को पूरा करने में नाकाम रही. इसका एक बड़ा कारण सामूहिक विकास के जगह सदस्य राष्ट्रों द्वारा निजी हित व स्वार्थ को बढ़ावा देना था. यह संगठन निशस्त्रीकरण के उद्देश्यों को पूरा करने में विफल रही. इसके कारण, विश्व में शांति स्थापित करने में यह सफल नहीं हो सका.
ब्रिटेन-फ़्रांस विवाद, जापान का मंचूरिया पर आक्रमण (1931), जर्मनी का वर्साय की संधि का उलंघन, 1935-1936 में इटली द्वारा अबसीनिया को जितना, जर्मनी द्वारा चेकोस्लोवाकिया का अंगभंग कर हड़पना, ऐसे मामले थे, जिनका समाधान करने में राष्ट्र संघ विफल रहा था.
1934 में सोवियत रूस के इसमें शामिल होने से, शांति की आशा बढ़ी. लेकिन, तबतक दुनिया के सभी देश खुद के सुरक्षा के लिए सशस्त्रीकरण के उपायों में सफल हो चुके थे. अंततः, द्वितीय विश्वयुद्ध ने इस संगठन को मृत कर दिया.
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना (Establishment of United Nations Organisation in Hindi)
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दुनिया के सभी देश शांति स्थापित करने के ईमानदार प्रयास में जुट गए. इसके परिणाम स्वरुप संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया. यह संगठन भी कई मामलों में विफल साबित हुआ है. लेकिन, दुनिया के सभी शक्तिशाली व लगभग सभी अन्य देश इसके सदस्य है. इस वजह से यह संगठन अपेक्षाकृत अधिक सफल है. मूलतः यह संगठन एक अंतर्राष्ट्रीय कल्याणकारी सरकार का रूप लेता जा रहा है.
अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को अधिक समतापूर्ण व न्यायोचित बनाने का जरूरत द्वितीय विश्व युद्ध के कुछ समय बाद महसूस किया जाने लगा. इसलिए, 5 राष्ट्रमंडल सदस्यों तथा 8 यूरोपीय निर्वासित सरकारों द्वारा 12 जून, 1941 को लंदन में अंतर-मैत्री घोषणा पर हस्ताक्षर किया.
फिर, 14 अगस्त, 1941 को अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर किये गए. यह आगे चलकर संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर का आधार बना. इसपर ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल तथा अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट ने अटलांटिक महासागर में मौजूद एक युद्धपोत पर हस्ताक्षर किए थे.
1 जनवरी, 1942 को वाशिंगटन में संयुक्त राष्ट्र संघ के समर्थक 26 राष्ट्रों ने अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर किए. इनका उद्देश्य एक्सिस पॉवर्स (रोम-बर्लिन-टोक्यो धुरी) के खिलाफ संघर्ष जारी रखते हुए, उन्हें शांति के लिए विवश करना था. यही संगठन आगे चलकर संयुक्त राष्ट्र संघ का आधार बना.
संयुक्त राष्ट्र संघ की रूपरेखा का निर्माण करने के लिए बड़े राष्ट्रों के प्रतिनिधि वाशिंगटन में एकत्रित हुआ. उनका सम्मेलन 21 अगस्त, 1944 से 7 अक्टूबर, 1944 तक वाशिंगटन के डंबर्टन ऑक्स भवन में चला. फिर, इनपर याल्टा सम्मेलन (फरवरी 1945) में विचार-विमर्श किया गया. इस सम्मेलन में सोवियत संघ, अमेरिका एवं ब्रिटेन के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक हुई थी. अंत में, 24 अप्रैल 1945 में सेन फ्रांसिस्को (USA) में 50 देशों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर पर हस्ताक्षर किये. यह संधि, 24 अक्टूबर, 1945 से प्रभावी हुआ.
कुछ समय बाद ही, पोलैंड ने भी इसपर हस्ताक्षर कर दिया; जिनके प्रतिनिधि किसी कारणवश सम्मेलन में शामिल नहीं हो पाए थे. इस तरह 51 देशों के संस्थापक सदस्यों से संयुक्त राष्ट्र संघ का जन्म हुआ. भारत भी इसका एक संस्थापक सदस्य देश है. ये भी जान ले कि “संयुक्त राष्ट्र” नाम अमेरिका के तात्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट द्वारा सुझाया गया था.
राष्ट्रपति रूजवेल्ट की चार स्वतंत्रताओं की घोषणा (Four Freedom Declaration in Hindi)
1941 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रेंक्लिन डी रूजवेल्ट ने द्वितीय विश्व युद्ध समाप्ति पर विश्व में चार प्रकार की स्वतंत्रता स्थापित करने की घोषणा की. ये है-
- भाषण व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- धर्म व उपासना की स्वतंत्रता
- आर्थिक अभाव व निर्धनता से स्वतंत्रता
- भय से स्वतंत्रता
संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय (Headquarters of United Nations Organisation in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र संगठन का मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के न्युयॉर्क शहर में मैनहैटन द्वीप (टापू) पर स्थित है. यह 17 एकड़ भूमि में फैला 39 मंजिला भवन है. यहां अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को छोड़कर अन्य सभी अंगों के कार्यालय स्थित है. इसका निर्माण 1949 से 50 के बीच किया गया था. इसे 9 जनवरी 1951 को आधिकारिक रूप से को खोला गया था. यह जमीन जॉन दी रॉकफेलर (जूनियर) नामक दानदाता ने यूएन को दान दी थी.
जॉन डी रॉकफेलर कौन थे? (Who was John D Rockefeller in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र संगठन के लिए जमीन दान देने वाले जॉन डी रॉकफेलर अपने 17 एकड़ के जमीन को दान देने के वजह से दुनिया में आज भी प्रसिद्ध है. लेकिन, आप ये जान ले कि जॉन डी रॉकफेलर अपने पिता के इकलौता पुत्र थे. पिता और पुत्र का नाम समान है. इसलिए दोनों को पहचानने के लिए पुत्र के नाम में जूनियर जोड़ा जाता है. इस तरह इनका पूरा नाम जॉन डेविसन रॉकफेलर जूनियर पड़ा.
रॉकफेलर सीनियर दुनिया के पहले अरबपति थे. उन्होंने स्टैण्डर्ड आयल कम्पनी स्थापित कर पेट्रोलियम कारोबार किया. इससे उन्हें काफी फायदा हुआ और अमीरी के मामले में उन्होंने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया. रॉकफेलर जहां परोपकारी और दानवीर थे, वहीं जूनियर भी इसी काम के लिए जाने जाते है.
सीनियर रॉकफेलर का जीवनकाल 8 जुलाई 1839 से 23 मई 1937 बीच था, जबकि जूनियर का जीवन 29 जनवरी, 1874 से 11 मई, 1960 के बीच है. आज भी दुनिया के कई निवेशक व कारोबारी रॉकफेलर सीनियर के सिद्धांतों का पालन करते है.
जानिए संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्देश्य (Objectives of UN in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र घोषणा के धारा एक में इसके उद्देश्यों का वर्णन है. इसके अनुसार संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्य है-
- विश्व में शांति और सुरक्षा बनाए रखना.
- मानव अधिकार की रक्षा.
- दुनिया का सामाजिक और आर्थिक विकास.
- देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना.
- आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और मानव हितवादी, अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाने और मानवीय अधिकारों तथा सबके मौलिक स्वाधीनता के प्रति सम्मान भावना बढ़ाने मे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग करना.
- इन सामूहिक लक्ष्यों की प्राप्ति में राष्ट्रों में सहमति बनाने वाले केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाना.
इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, निरस्त्रीकरण, आतंकवाद, मानवीय और स्वास्थ्य संबंधी आपातकाल, लैंगिक समानता, शासन, खाद्य उत्पादन जैसे नए उद्देश्यों के विभिन्न उद्देश्यों के लिए भी काम करती है.
संयुक्त राष्ट्र का सिद्धांत (Theory of United Nations in Hindi)
यूएन चार्टर के धारा दो में इसके सिद्धांतों का उल्लेख है. संयुक्त राष्ट्र 7 सिद्धांतों पर काम करती है-
- सभी सदस्यों के बीच समानता.
- चार्टर के उद्देश्यों का स्वेच्छा से पालन.
- विवादों का शांतिपूर्ण समाधान.
- एक सदस्य राष्ट्र द्वारा ऐसे कार्यों पर निषेध, जिससे दूसरे के अखंडता पर प्रभाव पड़े.
- सदस्यों पर संयुक्त राष्ट्र को सहायता का दायित्व. कार्रवाही झेल रहे सदस्य को सहायता का निषेध.
- गैर-सदस्य राष्ट्र को भी संयुक्त राष्ट्र के अनुसार कार्य करने के लिए प्रेरित करना.
- सदस्यों के घरेलु मामलों में अहस्तक्षेप की नीति का अनुसरण.
संयुक्त राष्ट्र संघ का कार्यकारी सिद्धांत (Executive Theory of UN in Hindi)
यूनाइटेड नेशंस व इसके सभी अनुषंगी संगठनों को नोबल मायर सिंद्धांत (Nobel Maire Theory) का पालन करना होता है. इस सिद्धांत के अनुसार समान पद के लिए समान वेतन व सुविधा का प्रावधान है. इस तरह संयुक्त राष्ट्र के संगठनों को दुनिया के किसी भी हिस्से में अपने कर्मी के समान रूप से पेश होना पड़ता है. साथ ही, संगठन में स्थानीय लोगों को कर्मी के रूप में नियुक्त किया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक कोष (IMF) व विश्व बैंक (World Bank) इस निति का अनुसरण नहीं करते है. इसलिए ये संगठन यूएन के विशिष्ठ संगठन के रूप में काम करते है.
संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषाएं (Official Languages of UN in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यकारी भाषाएं अंग्रेजी एवं फ्रेंच हैं. इन दोनों के साथ ही चीनी (मंदारिन), अरबी, रूसी तथा स्पेनिश (कुल 6 भाषाएं) यूएन की अधिकृत भाषा है. यूएन के दस्तावेजों का सभी 6 अधिकृत भाषाओं में अनुवाद किया जाता है.
यूनाइटेड नेशंस आर्गेनाईजेशन के अंग (Bodies of United Nations Organisation in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र संघ के छह अंग है. इसके अलावा भी इसके कई अनुषंगी संगठन व समितियां है. इनके माध्यम से ही यह अपना कार्य सुचारु रूप से संचालित करता है. 26 जून 1945 को अपनाए गए चार्टर ने संयुक्त राष्ट्र के छह प्रधान अंगों की स्थापना की गई. ये अंग है-
1. महासभा (General Assembly in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को ‘विश्व का संसद’ भी कहा जाता है. यह संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे अधिक समायोजित व प्रतिनिधिपूर्ण अंग है. महासभा में कोई भी देश पांच व्यक्ति को प्रतिनिधित्व के लिए भेज सकता है. लेकिन एक देश को सिर्फ एक मत का अधिकार होता है. इसमें सामान्य बहुमत पर फैसले लिए जाते है. लेकिन, शांति व सुरक्षा, नए सदस्यों की सदस्य्ता और बजट के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है.
महासभा ही संयुक्त राष्ट्र का बजट और सदस्य देशों के योगदान को निर्धारित करती है. यह अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के सदस्यों का चयन, नए देशों को सदस्यता, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की नियुक्ति व बजट पारित करना जैसे फैसले लेती है. यह शांति और सुरक्षा के अलावा किसी भी अन्य विषय पर खुद ही फैसला ले सकती है.
इसका स्तर हरेक साल सितम्बर के तीसरे मंगलवार से मध्य दिसंबर तक चलता है. इसी दौरान इसके नियमित फैसले लिए जाते है. सुरक्षा परिषद् के आग्रह पर, यह किसी ख़ास मुद्दे पर विशेष स्तर का आयोजन भी करती है. इसकी 24 घंटो के भीतर आपातकालीन बैठक आयोजित की जा सकती है.
प्रत्येक नियमित सत्र के आरम्भ में, महासभा का अध्यक्ष, 21 उपाध्यक्ष और इसके 7 समितियों के अध्यक्षों का चुनाव किया जाता है. सुरक्षा परिषद के 10 अस्थायी सदस्यों का चयन भी महासभा द्वारा किया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 10 में इसके शक्तियों और भुमकाओं का वर्णन है. प्रति वर्ष देशों के पाँच समूह के बीच अध्यक्षता का चक्रण होता है. ये देश हैं- अफ्रीका, एशिया, पूर्वी यूरोप, दक्षिणी अमेरीका तथा पश्चिमी यूरोप एवं अन्य राज्य.
Note: महासभा में हुए चर्चा और संवाद सहित अन्य समसामयिक दस्तावेज संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 आधिकारिक भाषाओं में दर्ज व प्रकाशित किए जाते है.
महासभा के 7 समितियां
- पहली समिति – निशस्त्राीकरण और संबंधित अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले
- विशेष राजनीतिक समिति
- दूसरी समिति- आर्थिक एवं वित्तीय मामले
- तीसरी समिति – सामाजिक, मानवतावादी और सांस्कृतिक मामले
- चौथी समिति – वि-उपनिवेशीकरण के मामले
- पाँचवी समिति ;प्रशासनिक और बजट संबंधी मामले
- छठी समिति- कानूनी मामले
2. सुरक्षा परिषद (Security Council in Hindi)
यह संयुक्त राष्ट्र का मुख्य अंग है. सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी व 10 अस्थायी सदस्य होते है. अमेरिका, इंग्लॅण्ड, फ़्रांस, चीन और रूस इसके स्थायी सदस्य (Permanent Members) है. इसके 10 अस्थायी सदस्यों का चयन महासभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से दो वर्षों के लिए किया जाता है.
इसके पांच अस्थायी सदस्य प्रतिवर्ष सेवानिवृत होते रहते है. नए सदस्य का चुनाव पुराने सदस्य के सेवानिवृति से पहले ही कर लिया जाता है. कोई सदस्य लगातार भी इसका अस्थायी सदस्य बन सकता है.
आरम्भ में, 5 स्थायी व 6 अस्थायी सदस्यों का प्रावधान था. लेकिन, 1965 में अस्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दिया गया.
अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना इसक मुख्य उद्देश्य है. इसलिए इसे ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रहरी’ या ‘दुनिया का पुलिसमैन’ भी कहा जाता है.
सुरक्षा परिषद् सालभर कार्यरत रहती है. ऐसा किसी भी संकट के स्थिति में त्वरित कार्रवाई के उद्देश्य से किया गया है. अध्यक्षता हरेक माह अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम से 15 सदस्यों के बीच बदलते रहती है.
किसी भी मुद्दे पर फैसला मतदान द्वारा लिया जाता है. प्रक्रिया संबंधी मामलों में निर्णय के लिए 15 में से 9 सदस्यों का सहमति जरूरी होता है. साथ ही, पांचों स्थायी सदस्य देशों की सहमति भी आवश्यक है.
स्थायी सदस्यों को मतदान में मिला यह विशेषाधिकार, वीटो का अधिकार भी कहलाता है. हालाँकि, उस स्थायी सदस्य को मतदान का अधिकार नहीं होता है, जिसके खिलाफ प्रस्ताव लाया गया हो.
वीटो का ये प्रभाव होता है कि, 15 में से 14 देशों का सहमति भी एक स्थायी देश के असहमति से रुक जाता है. इसके दुरूपयोग के भी आरोप लगते रहे है.
अभी तक रूस ने सबसे अधिक बार वीटो का इस्तेमाल किया है. अमेरिका ने मार्च, 1971 में रोडेशिया के मसले पर पहली बार इस अधिकार का इस्तेमाल किया था. चीन ने पहली बार मार्च, 1972 में बांग्लादेश के संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रवेश के मामले पर वीटो किया था.
3. आर्थिक व सामाजिक परिषद (Economic and Social Council – ECOSOC in Hindi)
यह संयुक्त राष्ट्र संघ का सतत सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय विकास से जुड़ा संस्था है. इसके 54 सदस्य होते है. इनमें एक-तिहाई हरेक साल सेवानिवृत हो जाते है. कोई सदस्य, सेवानिवृति के बाद पुनः इसका सदस्य बन सकता है. इसके सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष होता है.
आरम्भ में इसके 18 सदस्य थे. 1966 में इसके सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 27 फिर 24 सितम्बर 1973 को 54 कर दी गई.
इसका साल में दो बार बैठक आयोजित किया जाता है. यह बैठक अप्रैल में न्यूयॉर्क व जुलाई में जेनेवा में आयोजित की जाती है. कोई भी देश एक प्रतिनिधि ही इसके सभा में भेज सकता है. फैसले सामान्य बहुमत से लिए जाते है.
इकोसोक संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट का 80 फीसदी खर्च करती है. यह संस्था अति-व्यापक है. इसे विश्व का लघु कल्याणकारी सरकार भी कहा जा सकता है. स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और सामाजिक कल्याण से जुड़े कई क्षेत्रों में यह संस्था काम करती है. इसके लिए, यह अपने अधीन कार्यरत 30 से अधिक विशेष एजेंसियों व आयोगों का समन्वय या नियमन करती है.
आईएलओ, डब्ल्यूएचओ, एफएओ, यूनेस्को, यूनिसेफ, यूएनआरडब्ल्यूए इत्यादि संगठन आर्थिक व सामजिक परिषद द्वारा संचालित है. इकोसोक की ये अनुषंगी संस्थाएं वैश्विक स्तर पर अलग-अलग क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देती है. यह इसके लिए संवाद का प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध करवाती है. मादक पदार्थों के अवैध कारोबार के नियंत्रण में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है.
ECOSOC से जुड़े अनुषंगी संस्थाएं व संगठन
1. विशेष संगठन
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
- संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO)
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को)
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
- विश्व बैंक समूह
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
- अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO)
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO)
- अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU)
- सार्वभौमिक डाक संघ (UPU)
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)
- विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)
- अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD)
- संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO)
- विश्व पर्यटन संगठन (WTO)
2. ECOSOC के कार्यात्मक आयोग
- सांख्यिकीय आयोग
- जनसंख्या एवं विकास आयोग
- सामाजिक विकास आयोग
- मानवाधिकार आयोग
- महिलाओं की स्थिति पर आयोग
- नारकोटिक ड्रग्स आयोग
- अपराध रोकथाम एवं आपराधिक न्याय आयोग
- विकास के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आयोग
- सतत् विकास आयोग
- वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम
3. ECOSOC के क्षेत्रीय आयोग
- अफ्रीका आर्थिक आयोग (ECA)
- एशिया एवं प्रशांत आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP)
- यूरोप आर्थिक आयोग (ECE)
- लैटिन अमेरिका एवं कैरेबिया आर्थिक आयोग (ECLAC)
- पश्चिमी एशिया आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (ESCWA)
4. ECOSOC की स्थायी समितियाँ
- कार्यक्रम एवं समन्वय समिति
- मानव अधिवास आयोग
- गैर-सरकारी संगठनों पर समिति
- अंतर-सरकारी एजेंसियों के साथ वार्ता हेतु समिति
- ऊर्जा एवं प्राकृतिक संसाधन समिति
5. सरकारी विशेषज्ञों से मिलकर बने विशेषज्ञ निकाय
- खतरनाक वस्तुओं के परिवहन एवं रसायनों के वर्गीकरण व लेबलिंग की वैश्विक स्तर पर सामंजस्यपूर्ण प्रणाली पर विशेषज्ञों की समिति
- भौगोलिक नामों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का समूह
6. व्यक्तिगत रूप से सेवारत सदस्यों से बने विशेषज्ञ निकाय
- विकास नीति के लिये समिति
- लोक प्रशासन एवं वित्त में संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम पर विशेषज्ञों की बैठक
- टैक्स मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर विशेषज्ञों के तदर्थ समूह
- आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों पर समिति
- विकास के लिये ऊर्जा एवं प्राकृतिक संसाधनों पर समिति
- स्थानीय मुद्दों पर स्थायी मंच
7. तदर्थ निकाय
- सूचना विज्ञान पर तदर्थ ओपन-एंडेड वर्किंग ग्रुप
8. अन्य संबंधित निकाय
- अंतर्राष्ट्रीय नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड
- महिलाओं की उन्नति के लिये अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के संरक्षकों का बोर्ड
- संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार समिति
- एचआईवी /एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम का कार्य समन्वय बोर्ड
- कोष एवं कार्यक्रम जो ECOSOC को रिपोर्ट भेजते हैं
- संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ)
- व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD)
- महिलाओं के लिये संयुक्त राष्ट्र विकास कोष
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)
- शरणार्थियों के लिये संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त का कार्यालय (UNHCR)
- संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA)
- फिलिस्तीनी शरणार्थियों हेतु कार्य करने वाली संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA)
- ड्रग कंट्रोल एवं अपराध निवारण कार्यालय (ODCCP)
- विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP)
- यूएन-हैबिटेट
4. न्यास या प्रन्यास परिषद (Trusteeship Council in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र संघ का यह अंग निष्क्रिय है. इसका काम द्वितीय विश्व के बाद उन क्षेत्रों का पर्यवेक्षण व देखभाल करना था, जहाँ स्वायत सत्ता स्थापित नहीं हो सकी है. इस परिषद का उद्देश्य, ऐसे क्षेत्रों को स्वतंत्रता या स्वायत्ता प्राप्त करने में मदद करना था. 1 नवंबर, 1994 को पलाउ द्वीप समूह का संयुक्त राज्य अमेरिका से स्वतंत्र होते ही यह परिषद निष्क्रिय घोषित कर दिया गया. लेकिन, अभी भी इस परिषद को विघटित नहीं किया गया है. ऐसा भविष्य की संभावित जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है.
न्यास परिषद में कुल 12 सदस्य होते है. इसके चार प्रशासक या प्रबंधनकर्ता सदस्य – ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और ब्रिटेन – है. ये प्रशासक ही अपने अधीन क्षेत्रों का न्यास के रूप में देखभाल करते है. सुरक्षा परिषद के सभी स्थायी सदस्यों को इसका सदस्य बनाने का प्रावधान है. इसलिए, रूस, चीन और फ़्रांस भी इसके सदस्य है. पांच अन्य सदस्यों का चयन महासभा द्वारा तीन वर्षों के लिए किया जाता है. किसी भी मामले में फैसला, सामान्य बहुमत से किया जाता है.
यह परिषद अपने अधीन इलाकों के लिए राजनैतिक, शैक्षणिक, सामाजिक व आर्थिक मामलों से संबंधित प्रश्नावली तैयार करती है. इसके आधार पर प्रशासक समूह अपना वार्षिक रिपोर्ट यूएन को सौंपता है. प्रशासक के सलाह से ही न्यास क्षेत्र के याचिकाओं को जांचा जाता है. न्यास परिषद अपने संबद्ध इलाकों का दौरा कर निरिक्षण भी करती है. न्यास परिषद, प्रशासक को सलाह भी जारी कर सकती है.
5. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice – ICJ in Hindi)
1899 में नीदरलैंड्स के हेग में अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन आयोजित किया गया था. इसी सम्मेलन के दौरान स्थापित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, यूएन के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का पूर्ववर्ती संस्था है. इस न्यायालय को 1920 में राष्ट्र संघ में शामिल किया गया था. फिर, 1946 में इसे संयुक्त राष्ट्र संघ में शामिल किया गया. ऐसा इसके चार्टर के नियमों के अनुसार किया गया. इसकी स्थापना 3 अप्रैल, 1946 को की गई. यूएन का यह एकमात्र अंग है, जिसका मुख्यालय अमेरिका से बाहर हेग में है.
इस न्यायालय में 15 न्यायधीशों का चयन सदस्य देशों से किया जाता है. किसी भी देश का दो न्यायाधीश एकसाथ नहीं हो सकते है. संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश इसके सदस्य होते है.
इसके पांच सदस्य प्रति वर्ष सेवानिवृत होते रहते है. पुराने न्यायाधीश फिर से चुने जा सकते है. नए सदस्यों का चयन सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर 9 वर्षों के लिए किया जाता है. इनमें से ही एक अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चयन किया जाता है. इस न्यायालय के कार्रवाही का कोरम (गणपूर्ति) 9 है.
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्य कार्य दो या दो से अधिक देशों के बीच विवाद का निपटारा करना है. युद्ध अपराधों और नरसंहारों के मामले में भी यहां सुनवाई होती है. यह संयुक्त राष्ट्र संघ के अंगो व अन्य संगठनों को भी क़ानूनी राय देता है. इसकी आधिकारिक भाषा फ्रेंच और अंग्रेजी है.
विश्व का कोई भी देश अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए मामला प्रस्तुत कर सकता है. लेकिन, जो देश इसके सदस्य नहीं होते है, उन्हें सुरक्षा परिषद द्वारा तय शर्तों का पालन करना होता है.
न्यायालय के फैसले बाध्यकारी नहीं होते है. लेकिन, सुरक्षा परिषद को फैसलों को लागू करवाने का अधिकार है. अभी तक सुरक्षा परिषद ने एक बार भी अपने इस अधिकार का उपयोग नहीं किया है. कुछ विशेष मामलों में राज्य, संधियों या समझौते पर हस्ताक्षर द्वारा अथवा विशेष उद्घोषणा द्वारा न्यायालय के क्षेत्राधिकार को मानने के लिए बाध्य है.
6. सचिवालय (Secretariat in Hindi)
यह संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रशासनिक इकाई है. इसके प्रधान व मुख्य कार्यकारी अधिकारी महासचिव होते है. इनकी नियुक्ति महासभा द्वारा सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर किया जाता है.
सचिवालय संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न संगठनों का दैनिक काम नियमानुसार करता है. इसके कर्मचारियों की नियुक्ति 100 से अधिक देशों से की जाती है. नियुक्ति के वक्त इन्हें किसी सरकार का आदेश न लेने का शपथ लेना होता है.
संयुक्त राष्ट्र के फैसलों और नियमों को लागु करने और धरातल पर उसका अनुपालन को सुनिश्चित करने का काम, यह संस्था करती है. इसकी तुलना भारत के कार्यपालिका से की जा सकती है.
इसके कर्मचारियों का प्रशिक्षण, संयुक्त राष्ट्र स्टाफ कॉलेज में होता है. यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के प्रशिक्षण केंद्र के केम्पस के साथ तुरीन इटली में है.
संयुक्त राष्ट्र की निधि, कार्यक्रम, विशिष्ट एजेंसियाँ एवं अन्य (United Nations Fund, Programme and other Specialised Agencies in Hindi)
आपको पहले ही बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र संघ अपने अंगों के अलावा कई अन्य एजेंसियों के माध्यम से काम करती है. इन्हें निम्न प्रकार से विभाजित किया जा सकता है:-
कोष एवं कार्यक्रम (Funds and programmes of UN in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र संगठन ने इस तरह के अनेक संस्थाएं मानवीय विकास को ध्यान में रखकर बनाए है. ऐसे संस्थाओं की संख्या आठ है-
यूनिसेफ (UNICEF in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष को संक्षेप में यूनिसेफ कहा जाता है. इसका हिंदी रूपांतरण संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष था, जिसे 1953 में बदलकर संरा. बाल कोष कर दिया गया. यूएन महासभा द्वारा 11 दिसंबर 1946 में स्थापित किया गया.
इसका मूल उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध से तबाह हुए देशों में बच्चों एवं माताओं को आपातकालीन भोजन तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना था. फिर, वर्ष 1950 में इसके (यूनिसेफ) सदस्य देशों में से विकासशील व अन्य अल्पविकसित देशों में बच्चों एवं महिलाओं की दीर्घकालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये विस्तारित किया गया.
वर्तमान में यूनीसेफ़ का कार्य मुख्यत: पाँच प्राथमिकताओं पर केन्द्रित है-
- बच्चों का विकास व उनका बुनियादी शिक्षा,
- लिंग के आधार पर समानता (लड़कियों की शिक्षा भी शामिल),
- बच्चों का हिंसा और शोषण से बचाव, बाल-श्रम का विरोध,
- एचआईवी एड्स से बच्चे व माताओं की सुरक्षा,
- बच्चों और महिलाओं के अधिकारों के लिए वैधानिक संघर्ष.
साल 1953 में यह संयुक्त राष्ट्र संघ प्रणाली का एक स्थायी हिस्सा बना, तब इसके नाम से अंतर्राष्ट्रीय व आपातकाल शब्द हटा दिया गया. लेकिन, इसका संक्षिप्त नाम यूनिसेफ रहने दिया गया.
इस संगठन के कार्यकारी बोर्ड में 36 सदस्य शामिल है. इनका काम नीतियों व योजनाओं का निर्माण, वित्तीय योजना व बजट तथा प्रशासनिक कार्य से जुड़े फैसले लेना है. इन सदस्यों का चयन ECOSOC द्वारा तीन साल के लिए किया जाता है.
इसका आपूर्ति विभाग डेनमार्क के कोपेनहेगेन में स्थित है. यहाँ इसके कई गोदाम है. यह संगठन सरकारी व निजी दानदाताओं पर धन के लिए निर्भर है.
यूनिसेफ को 1965 में इसके बेहतर कार्य के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था. साल 1989 में संगठन को इंदिरा गाँधी शांति पुरस्कार भी दिया गया है.
इसके 7 क्षेत्रीय कार्यालय दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कार्यरत है. ये कार्यालय विभिन्न देशों में यूनिसेफ के इकाइयों को तकनीकी मदद मुहैया करवाते है. ये है-
- अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्रीय कार्यालय, पनामा सिटी, पनामा
- यूरोप और मध्य एशिया क्षेत्रीय कार्यालय, जिनेवा, स्विट्जरलैंड
- पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्रीय कार्यालय, बैंकॉक, थाईलैंड
- पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका क्षेत्रीय कार्यालय, नैरोबी, केन्या
- मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्रीय कार्यालय, अम्मान, जॉर्डन
- दक्षिण एशिया, काठमांडू, नेपाल
- पश्चिम और मध्य अफ्रीका क्षेत्रीय कार्यालय, सेनेगल
हाल ही में यूनिसेफ ने चिल्ड्रेन क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स और सहायक प्रौद्योगिकी पर पहली वैश्विक रिपोर्ट (जीआरईएटी) का पहल किया है. कोरोना महामारी के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के अलावा यूनिसेफ के कार्यों को भी सराहा गया है.
यूनिसेफ और भारत (Unicef and India in Hindi)
1954 में यूनिसेफ में भारत और यूनिसेफ ने आनंद दुग्ध प्रसंस्करण केंद्र विकसित करने का फैसला किया था. इसका मकसद इलाके के बच्चों को मुफ्त या सस्ते दरों पर दूध उपलब्ध करवाना था. अगले एक दशक में ऐसे कुल 13 संयंत्र स्थापित किए गए. शुरुआत में यूनिसेफ के वित्तपोषण से चालै गई योजना के कारण ही, भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया है.
भारत के पोलियो अभियान-2012 में सरकार और यूनिसेफ के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, रोटरी इंटरनेशनल एवं रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्रों ने योगदान दिया था. इससे पाँच वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों को पोलियो का टीका लगाने के संबंध में सार्वभौमिक जागरूकता फैली. परिणामतः साल 2014 में भारत को पोलियो मुक्त हो गया.
यूनिसेफ मातृ एवं शिशु पोषण व नवजात मृत्यु दर में कमी लाने के लिए प्रयासरत है. भारत में इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक नवजात मृत्यु दर को इकाई अंक तक कम करना है.
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA in Hindi)
यह संयुक्त राष्ट्र की यौन व जनसंख्या स्वास्थ्य एजेंसी है. यह 1967 में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या गतिविधियों के लिये कोष के रूप में चलाया गया. फिर 1969 में इसे औपचारिक रूप में स्थापित किया गया. यह संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) के अधीन है. 1987 में इसका नाम बदलकर संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष कर दिया गया. हालाँकि, संक्षिप्त नाम – UNFPA, बरकरार रखा गया.
संयुक्त राष्ट्र के समावेश विकास उद्देश्य (Sustainable Development Goals) के उद्देश्य संख्या 3 – स्वास्थ्य (एसडीजी 3), 4 – शिक्षा (एसडीजी 4) और 5 – लिंग समानता (एसडीजी 5) के प्राप्ति में सहयोग इसका लक्ष्य है. कुल एसडीजी की संख्या 17 है.
यह संगठन गर्भावस्था की जरूरत, सुरक्षित प्रसव व युवा क्षमता का सदुपयोग पर भी काम करती है. जनसंख्या पर जागरूकता बढ़ाना और इससे जुड़े गतिविधियों को बढ़ावा देना भी इसका एक काम है.
यह विश्व जनसख्या पर सालाना रिपोर्ट भी जारी करती है. साल 2018 ने इस संस्था ने अपने पुरुष, महिला और बच्चों के लिए तीन मुख्य लक्ष्य निर्धारित किए है. ये है-
- परिवार नियोजन की आवश्कताओं को पूरा करना.
- निवारक मातृ मृत्यु को समाप्त करना.
- लिंग आधारित हिंसा एवं हानिकारक प्रथाओं को समाप्त करना.
हाल के दिनों में यह संगठन महिला सशक्तिकरण पर अधिक जोर दे रही है.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP in Hindi)
महासभा द्वारा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की स्थापना 22 नवंबर 1965 को तकनीकी सहायता के विस्तारित कार्यक्रम (EPTA) और 1958 में विशेष कोष के विलय से हुई थी. यह यूएन का वैश्विक विकास के लिए नेटवर्क है. यही संस्था मानव विकास सूचकांक का प्रकाशन भी करती है. यह अल्पविकसित देशों के लिए ख़ास तौर पर काम करती है. इसके लिए यह निम्न उपाय अपनाती है-
- नीति सलाह देना,
- तकनीकी सहायता मुहैया करवाना,
- देशों के भीतर संस्थागत और व्यक्तिगत क्षमता में सुधार करना,
- जनता को शिक्षित करना और लोकतांत्रिक सुधारों की वकालत करना,
- बातचीत और संवाद को बढ़ावा देना.
यूएनडीपी अन्य देशों और स्थानों से सफल अनुभवों को साझा करके राष्ट्रीय लोकतांत्रिक बदलावों का समर्थन करता है. यूएनडीपी मौजूदा लोकतांत्रिक संस्थानों को संवाद बढ़ाने, राष्ट्रीय बहस को बढ़ाने और राष्ट्रीय शासन कार्यक्रमों पर आम सहमति की सुविधा प्रदान करने का भी समर्थन करता है.
यूएनडीपी छह ग्लोबल नीति केंद्र चलाती है. ये है-
- सियोल पॉलिसी सेंटर (यूएसपीसी) पार्टनरशिप,
- नैरोबी ग्लोबल पॉलिसी सेंटर ऑन रेजिलिएंट इकोसिस्टम एंड डेजर्टिफिकेशन (जीपीसी-नैरोबी),
- सिंगापुर स्थित ग्लोबल सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी, इनोवेशन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट (जीसी) (TISD),
- इस्तांबुल इंटरनेशनल सेंटर फॉर प्राइवेट सेक्टर इन डेवलपमेंट (IICPSD),
- ओस्लो गवर्नेंस सेंटर, और
- सिंगापुर स्थित ग्लोबल सेंटर फॉर पब्लिक सर्विस एक्सीलेंस (GCPSE) जो सार्वजनिक प्रशासन अनुसंधान में विकास पर “रैफल्स रिव्यू” ईमेल न्यूज़लेटर जारी करता है.
यूएनडीपी के कार्यकारी बोर्ड में 36 देशों के सदस्य शामिल होते है. इनका चयन तीन साल के लिए महासभा द्वारा किया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समूह (UNSDG) 165 देशों में फैला है. इसका काम 2030 तक सतत् विकास का लक्ष्य पूरा करने के लिए काम कर रहे संयुक्त राष्ट्र के 40 कोषों, कार्यक्रमों, विशेष एजेंसियों एवं अन्य निकायों को एकजुट रखना है.
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP in Hindi)
यह संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण संबंधी गतिविधियों का नियंत्रण करता है. इसकी स्थापना जून 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावरण सम्मेलन के दौरान की गई थी. इस स्थापना का श्रेय इसके पहले निदेशक मौरिस स्ट्रांग को दिया जाता है. यह संयुक्त राष्ट्र विकास समूह में शामिल संस्था है. इसलिए यह यूएन के 17 सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भी काम करती है.
इसका मुख्यालय केन्या के नैरोबी में स्थित है. साथ ही, छः क्षेत्रीय कार्यालय भी विभिन्न देशों में स्थित है. यह संस्था 175 से अधिक देशों को एकीकृत रूप से पर्यावरणीय सूचना सेवा प्रदान कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा, यूएनईपी का प्रशासनिक निकाय है. संयुक्त राष्ट्र के 193 (सभी) सदस्य इसके सदस्य होते है. यह पर्यावरण के संबंध में दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है, जो आने वाले चुनौतियों से निपटने के लिए काम कर रही है. हरेक दो साल में एक बार इसकी बैठक आयोजित की जाती है. यह अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून बनाती और लागु करती है.
बीट पॉल्यूशन (Beat Pollution), यूएन 75, विश्व पर्यावरण दिवस तथा वाइल्ड फॉर लाइफ (Wild for Life) जैसे जागरूकता कार्यक्रम व दिवस इसी संस्था द्वारा चलाए गए है. ‘मेकिंग पीस विद नेचर’ रिपोर्ट, उत्सर्जन गैप रिपोर्ट, अनुकूलन गैप रिपोर्ट, वैश्विक पर्यावरण आउटलुक, फ्रंटियर्स और स्वस्थ ग्रह में निवेश इस संस्था के प्रकाशन है.
उद्देश्य (Objectives in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, समुद्री और स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र के प्रबंधन और हरित आर्थिक विकास सहित कई मुद्दों पर नेतृत्व प्रदान करना है. यह पर्यावरण विज्ञान और समाधान विकसित करने के लिए भी काम करती है.
यूएनईपी का एक लक्ष्य भविष्य की पीढ़ियों के साथ समझौता किए बिना, मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए राष्ट्रों और लोगों को प्रेरित, सूचित और सक्षम करके पर्यावरण की देखभाल करने में नेतृत्व प्रदान करना और इसके लिए साझेदारी और समझौतों को प्रोत्साहित करना है.
यह संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरणीय गतिविधियों के लिए समन्वयकारी निकाय है. यह वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर पर्यावरण की स्थिति और रुझानों का आकलन करता है. राष्ट्रीय पर्यावरण उपकरणों को विकसित करना तथा पर्यावरण का कुशल प्रबंधन के लिए संस्थानों को मजबूत करना भी इसका एक काम है.
UNEP के बहुपक्षीय पर्यावरणीय समझौतें
- जैव विविधता (Bio-Diversity)पर कन्वेंशन (CBD).
- वन्य जीवों एवं वनस्पतियों के लुप्तप्राय प्रजातियों पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES).
- वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर कन्वेंशन (CMS).
- वियना कन्वेंशन-ओजोन परत का संरक्षण के लिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल लागु.
- मिनामाता कन्वेंशन – पारे के विकिरणीय प्रभाव और व्यापार.
- बेसल कन्वेंशन-खतरनाक अपशिष्ट एवं उनके निपटान के सीमा पारीय आवगमन के नियंत्रण से संबंधित.
- स्टॉकहोम कन्वेंशन- स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों से संबंधित.
- रॉटरडैम कन्वेंशन (नीदरलैंड) – अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कुछ खतरनाक रसायनों एवं कीटनाशकों के लिये पूर्व सूचित सहमति प्रक्रिया से संबंधित.
अन्य कार्य (Other Works in Hindi)
इस संस्था ने वर्ष 1988 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन के साथ मिलकर, जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) की स्थापना की. इस पैनल का काम जलवायु परिवर्तन का आकलन है.
संयुक्त राष्ट्र मानव अधिवास कार्यक्रम (UN-Habitat in Hindi)
यह संस्था संयुक्त राष्ट्र के अंग, आर्थिक व सामाजिक परिषद के तहत आती है. इसकी स्थापना का संकल्प 1976 में कनाडा के बैंकूवर में आयोजित ‘मानव अधिवास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’ (हैबीटेट- प्रथम) के दौरान लिया गया था. फिर, 1978 में इसकी स्थापना की गई. यूएन-हैबिबेट का मुख्यालय केन्या की राजधानी ‘नैरोबी’ में है.
प्रथम हैबिबेट सम्मेलन के निर्णय के बाद 1977 में आवास-निर्माण-नियोजन समिति को मानव अधिवास आयोग (सीएचएस) में बदल दिया गया. फिर, 1978 में इसे यूएन-हैबिबेट के रूप में स्थापित किया गया.
दूसरा हैबिबेट सम्मलेन 1996 में तुर्की के सबसे बड़े शहर ‘इंस्तांबुल’ में आयोजित किया गया. द्वितीय सम्मेलन में शहरी जीवन के पर्यावरण सुधार एवं प्रबंधन, सभी के लिए आश्रय की उपलब्धि तथा आवास अधिकारों पर अत्यधिक बल दिया गया.
तीसरा, 2016 में इक्वाडोर की राजधानी क्विटो में आयोजित किया गया. तीसरे सम्मेलन में यूएन सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी-11) का विस्तार किया गया. इसे “शहरों एवं मानव अधिवास को समावेशी, सुरक्षित, क्षमतावान एवं धारणीय बनाना” के रूप में पुनर्भाषित किया गया.
इसका लक्ष्य शहर को बेहतर बनाकर बेहतर मानव आवास सुनिश्चित करना है. हैबिबेट अजेंडा के तहत दो लक्ष्य निर्धारित किए गए है- एक सभी के लिये पर्याप्त आश्रय और दूसरा शहरीकृत विश्व में धारणीय मानव अधिवास का विकास.
वर्ष 1987 को बेघरों को आश्रय प्रदान करने के अंतर्राष्ट्रीय साल के रूप में मनाया गया था.
यूएन हैबिबेट और भारत (UN-Habitat in Hindi)
भारत ने अटल शहरी परिवर्तन एवं जीर्णोद्धार मिशन (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation- Amrut), स्मार्ट सिटीज, हृदय (National Heritage City Development and Augmentation Yojna – Hriday) और स्वच्छ भारत मिशन यूएन हेबिटेट के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए कार्यान्वित किए गए है.
हाल ही में यूएन-हैबिटेट ने जयपुर शहर के विकास के लिए योजना तैयार की है. इसके लिए शहर से जुड़े मुद्दों जैसे- बहु जोखिम भेद्यता, कमज़ोर गतिशीलता और ग्रीन-ब्लू अर्थव्यवस्था की पहचान की है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP in Hindi)
यह संयुक्त राष्ट्र की खाद्य सहायता प्रदान करने वाला संगठन है, जो संकट के समय में खाद्य सहायता उपलब्ध करवाती है. इसकी स्थापना 1961 में ‘खाद्य एवं कृषि संगठन’ तथा ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी. इसका मुख्यालय इटली की राजधानी रोम में स्थित है.
यह संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समूह से जुड़ा हुआ है. इसका लक्ष्य 2030 तक विश्व से भुखमरी समाप्त करना है, जो एसडीजी-2 का लक्ष्य है. पोषण में सुधार और लोगों तक पौष्टिक भोजन की पहुँच सुनिश्चित करना भी इसका एक लक्ष्य है. यह 120 से अधिक संकटग्रस्त देशों को सहायता मुहैया करवा रही है.संस्था को सरकारों, संस्थाओं, निगमों और व्यक्तियों द्वारा वित्तीय मदद मिलती है. इसके माध्यम से यह अपना काम सुचारु रख पाती है.
‘शेयर द मील’ इस संस्था का प्रसिद्ध योजना है. यह संस्था भारत समेत दुनिया के लगभग सभी देशों में सक्रिय है. भारत में यह सब्सिडी आधारित खाद्य वितरण प्रणाली में सुधार के लिए कार्य कर रहा है. डब्ल्यूएफपी को साल 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
डब्ल्यूएफपी और भारत (WFP and India in Hindi)
भारत में 80 करोड़ गरीबों गेहूँ, चावल, चीनी एवं केरोसिन की आपूर्ति की जाती है. डब्ल्यूएफपी इस प्रणाली के दक्षता में सुधार के लिए भारत का मदद कर रहा है.
सुचना नेटवर्क (GNAFC in Hindi)
खाद्य संकट के खिलाफ वैश्विक नेटवर्क (GNAFC) की स्थापना साल 2016 में यूरोपीय यूनियन, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) व खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा की गई थी. इनके अलावा इससे अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) भी इससे जुड़ा है. ये सभी मिलकर इस सुचना नेटवर्क का वित्तपोषण करते है. इसका कार्य खाद्य सुरक्षा और संकट से जुड़े सटीक जानकारी मुहैया करवाना है. यह विश्वशनीय डाटा संग्रह का काम भी करता है. खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट GNAFC का ही प्रकाशन है.
संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेंसियाँ (Specialized Agencies of United Nations in Hindi)
ऐसे एजेंसियां सहयोग समझौता द्वारा संयुक्त राष्ट्र से जुड़े है. इनमें कई की स्थापना संयुक्त राष्ट्र के स्थापना से पूर्व, कई का साथ में तथा कई का बाद में हुआ. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 5 और 63 में विशिष्ट एजेंसियों का उल्लेख है. दुनिया की उभरती आवश्यकताओं में संयुक्त राष्ट्र के दखल को ध्यान में रखकर इनके साथ समझौता किया गया था. ये संस्थाएं स्वायत होती है.
खाद्य और कृषि संगठन (FAO in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र का पहला स्तर कनाडा के क्यूबेक में 1945 में आयोजित हुआ था. इसी दौरान 16 अक्टूबर 1945 को खाद्य और कृषि संगठन की स्थापना की गई थी. इसका मुख्याकत इटली के रोम है, जो भुखमरी से निपटने के लिए काम करती है.
सभी के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षित करना, इसका एक अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्य है. इसलिए लिए यह सरकारों को कृषि, वानिकी एवं मत्स्य पालन, भूमि और जलसंसाधनों के आधुनिक और परिवर्तन कारी सुधर के लिए काम करता है. इसके लिए यह सरकारों और इनके योजनाओं को तकनीकी, शैक्षणिक व सूचनात्मक मदद उपलब्ध करवाता है.
एफएओ से 180 से अधिक देश जुड़े हुए है. इसका द्विवार्षिक सम्मेलन आयोजित किया जाता है. इस सम्मेलन में 49 सदस्यीय परिषद का चुनाव सदस्य देशों से किया जाता है. यह इसका कार्यकारी अंग है.
इसके आधे से अधिक कर्मचारी विभिन्न देशों में धरातल पर काम कर रहे है. यह विकेन्द्रीकरण 20वीं शताब्दी का अंत में हुआ है.
1960 के दशक में अधिक उपज देनेवाली अनाज के विकास में FAO ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसी दौरान प्रोटीन पोषण की कमी दूर करने पर संस्था ने काम करना शुरू कर दिया. साथ ही, अनाज का निर्यात और ग्रामीण रोजगार पर भी काम शुरू किया गया.
1969 में संगठन ने कृषि विकास के लिए एक संकेतक विश्व योजना प्रकाशित की. इसमें विश्व कृषि में मुख्य समस्याओं का विश्लेषण किया और उन्हें हल करने के लिए रणनीतियाँ सुझाईं गई थी.
1974 में दक्षिणी सहारा में भुखमरी चरम पर थी. इसी साल रोम में विश्व खाद्य सम्मेलन आयोजित किया गया. सहारा के भुखमरी का स्पष्ट प्रभाव इस सम्मेलन पर हुआ. संगठन ने इस सम्मेलन में विश्व खाद्य सुरक्षा से संबंधित कार्यक्रमों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया. इसमें छोटे किसानों को उत्पादकता बढ़ाने के लिए कम लागत वाली परियोजनाओं को लागू करने में मदद करना शामिल था.
1980 और 90 के दशक में, टिकाऊ कृषि और ग्रामीण विकास के लिए एफएओ ने काम करना शुरू किया. संगठन के कार्यक्रमों ने उन रणनीतियों पर जोर दिया जो आर्थिक रूप से व्यवहार्य, पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल और मेजबान देश के कौशल स्तर के लिए तकनीकी रूप से उपयुक्त थीं.
वर्ष 1948 में FAO काभारत में परिचालन का उद्देश्य तकनीकी आदानों एवं नीतिगत विकास द्वारा खाद्य व कृषि क्षेत्रों का विकास था. अब इसका ध्यान सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप धारणीय कृषि के विकास पर है.
अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO in Hindi)
नागर विमानन से जुड़ी इस संस्था के स्थापना का फैसला 1944 में आयोजित शिकागो सम्मेलन के दौरान लिया गया था. इस वक्त 52 देशों ने इसपर हस्ताक्षर किए थे. इस तरह 7 दिसंबर 1944 को यह अस्तित्व में आ गया. इसका मुख्यालय कनाडा के मॉन्ट्रियल में है. औपचारिक रूप से संस्था ने 1947 में काम करना शुरू किया था.
आईसीएओ का उद्देश्य ‘शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए सुरक्षित और कुशल अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन और अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस संचालित करने के लिए हर राज्य के लिए एक उचित अवसर सुनिश्चित करना’ है. नगर विमानन के क्रमबद्ध विकास के लिए भी यह कार्यरत है. यह अंतर्राष्ट्रीय हवाई यातायात के लिए नेविगेशन और तकनीक भी मुहैया करवाता है.
इसके गतिविधियों में विमान संचालन और डिजाइन, क्रैश जांच, कर्मियों का लाइसेंस, दूरसंचार, मौसम विज्ञान, हवाई नेविगेशन उपकरण, हवाई परिवहन के लिए जमीनी सुविधाएं और खोज और बचाव मिशन के लिए अंतरराष्ट्रीय तकनीकी मानकों की स्थापना और समीक्षा शामिल है.
संगठन विमानन बाजारों को उदार बनाने के उद्देश्य से क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को भी बढ़ावा देता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कानूनी मानकों को स्थापित करने में मदद करता है कि विमानन का विकास सुरक्षा से समझौता नहीं करता है. साथी ही, अंतरराष्ट्रीय विमानन कानून के अन्य पहलुओं के विकास को प्रोत्साहित करता है.
ICAO के निकाय
आईसीएओ का सदस्य लगभग दुनिया के सभी देश है. इसके कई घटक निकाय हैं-
- सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों की एक विधानसभा- इसका त्रिवार्षिक सम्मेलन आयोजित किया जाता है.
- विधानसभा 33 सदस्य राज्यों के प्रतिनिधियों की एक परिषद चुनती है. यह विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है और आईसीएओ मुख्यालय के निरंतर सत्र का संचालन करते है.
- परिषद द्वारा तकनीकी मामलों के लिए ‘वायु नेविगेशन आयोग’ नियुक्त किया जात्ता है. और
- परिषद के महासचिव विभिन्न स्थायी समितों का गठन करते है. इनमें वायु नेविगेशन सेवाओं के संयुक्त समर्थन पर एक समिति और एक वित्त समिति का चयन शामिल है. महासचिव सचिवालय संचालन के लिए परिषद द्वारा तीन साल के लिए चुने जाते है. सचिवालय के पांच मुख्य खंड – एयर नेविगेशन ब्यूरो, एयर ट्रांसपोर्ट ब्यूरो, तकनीकी सहयोग ब्यूरो, कानूनी ब्यूरो और प्रशासन और सेवा ब्यूरो- विभिन्न राष्ट्रीय प्रतिनिधियों को तकनीकी और प्रशासनिक सहायता प्रदान करते हैं.
कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष (IFAD in Hindi)
यह एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है, जिसकी स्थापना 15 दिसंबर 1977 में 1974 के विश्व खाद्य सम्मेलन के फैसले के अनुसार किया गया है. 1970 के दौरान उत्पन्न खाद्य संकट से निपटने के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया गया था. यह संकट मुख्य तौर पर सहेलियन क्षेत्र के देशों (बुर्किना फासो, कैमरून, चाड, द गाम्बिया, गिनी मॉरिटानिया, माली, नाइजर, नाइजीरिया और सेनेगल) में आया था. सम्मेलन में यह बात उभरकर आई कि संकट का कारण रीबी से संबंधित संरचनात्मक समस्याएँ है.
कृषि विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष का उद्देश्य विकासशील देशों में कृषि विकास और आजीविका में सुधार करना है. इसका लक्ष्य किसानों को बढ़ती आबादी के लिए कृषि उत्पादन में सक्षम बनाना है. इसकी परियोजनाएं और कार्यक्रम दूर-दराज के और पर्यावरण की दृष्टि से कमजोर स्थानों पर चलाए जाते हैं. इनमें अल्प-विकसित और छोटे द्वीप वाले विकासशील राज्य शामिल हैं.
आईएफएडी ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के लिए काम करता है. यह इन इलाकों को ऋण, निवेश और अनुदान के माध्यम से मदद करता है. आईएफएडी खासतौर से छोटे किसानों, पशुपालकों, चरवाहों, मछुआरों और ग्रामीण क्षेत्रों के लघु उद्यमियों जैसे कमजोर समूहों के लिए काम करता है. यह अन्य बातों के साथ-साथ मौसम की जानकारी, आपदा की तैयारी, सामाजिक शिक्षा और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रदान करके मदद करता है.
इसका निर्णय लेने वाला मुख्य अंग ‘गवर्निंग कॉउन्सिल’ है. इसमें 160 से अधिक सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होते है. 18 सदस्यीय कार्यकारी बोर्ड दैनिक कार्यों का संचालन करता है. 20वीं शताब्दी के अंतिम दशकों में, आईएफएडी ने 100 से अधिक देशों में 500 से अधिक परियोजनाओं को वित्तपोषित किया है. दुनिया में अपने तरह का काम करने वाली यह एकमात्र संस्था है.
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO in Hindi)
प्रथम विश्व युद्ध के बाद वर्साय की संधि के द्वारा राष्ट्र संघ के सम्बद्ध एजेंसी के रूप में ILO की स्थापना 11 अप्रैल 1919 को की गई. 1946 में संयुक्त राष्ट्र से समझौता कर यह इसका पहला विशिष्ट एजेंसी बन गया. इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में है. यह संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र त्रिपक्षीय संगठन है.
आईएलओ कार्यस्थल पर काम की स्थिति में सुधार और अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को स्थापित करने का काम करती है. इससे 187 सदस्य राष्ट्र और दुनिया के कई श्रम संगठन जुड़े हुए है. इसके साथ ही इसका संयुक्त राष्ट्र से समझौता और नियोक्ताओं से जुड़ाव इसे त्रिपक्षीय संगठन बनाता है.
56 सदस्यीय प्रशासनिक इकाई में इसकी कार्यकारी शक्तियां निहित है. दैनिक और नियमित कार्यों का संचालन जेनेवा में स्थित सचिवालय से संचालित किया जाता है. इसके विशेषज्ञ और अधिकारी पुरे दुनिया में अपनी सेवाएं सरकारों व अन्य संगठनों को मुहैया करवा रहे है. ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम समीक्षा और श्रम सांख्यिकी की वार्षिक पुस्तक’ इसके दो मुख्य प्रकाशन है.
ILO के चार रणनीतिक उद्देश्य
- काम पर मानकों और मौलिक सिद्धांतों और अधिकारों को बढ़ावा देना और प्रभाव को आंकना,
- महिलाओं और पुरुषों के लिए अच्छे रोजगार और आय के अधिक से अधिक अवसर सृजित करना,
- सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा के कवरेज और प्रभावशीलता को बढ़ाना, और
- त्रिपक्षीयता और सामाजिक संवाद को मजबूत करना.
संरचना (Structure in Hindi)
यह अपने तीन निकायों के माध्यम से अपना कार्य संचालित करता है. इनमें सरकारें, नियोक्ता और श्रम संगठन शामिल है. इसकी वार्षिक बैठक जेनेवा में आयोजित की जाती है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय श्रम संसद के नाम से भी जाना जाता है. इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय श्रम से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते है.
इसका 56 सदस्यीय कार्यकारी परिषद, प्रशासनिक निकाय के रूप में काम करती है. इसका चयन वार्षिक सम्मेलन में किया जाता है.
कार्यकारी परिषद की साल में तीन बैठकें जेनेवा में आयोजित की जाती है. इस दौरान बजट निर्माण और अन्य नीतियां सम्मेलन में पारित करवाने के लिए तैयार की जाती है. प्रशासनिक निकाय की देखरेख में महानिदेशक के निर्देशन में सचिवालय काम करता है. इसका सचिवालय अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय में स्थित है.
आईएलओ के कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धि (Achievements of ILO in Hindi)
1969 में इस संगठन के पचासवीं वर्षगांठ पर इसे शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इस संगठन ने अपने स्थापना के तीन साल के भीतर ही उद्योगों में कार्य के घंटे, बेरोज़गारी, मातृत्व सुरक्षा, महिलाओं के लिये रात्रिकालीन कार्य, न्यूनतम आयु और उद्योगों में युवा व्यक्तियों के लिये रात्रिकालीन कार्य से संबंधित 9 अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलनों एवं 10 सिफारिशों को अपना लिया था.
1930 में महामंदी के दौरान संस्था ने बेरोजगारी दूर करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए थे. आज के समय में यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार के उदारीकरण, बाल श्रम, काम करने की स्थिति और पर्यावरण से उपजी सामाजिक समस्याओं के निराकरण के लिए काम कर रही है.
2019 में इस संस्था ने अपने स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाया था. इस उपलक्ष में भविष्य के कार्य पर वैश्विक आयोग की स्थापना की गई. साथ ही, भविष्य में सामाजिक न्याय को विश्लेषणात्मक आधार प्रदान करने का निर्णय लिया गया. ILO काम के दौरान सम्मान, समान काम के लिए समान व उचित वेतन और समान अवसर का वकालत करती है.
यह क्षेत्रीय स्तर पर बैठकें आयोजित कर स्थानीय श्रम से जुड़े स्थानीय मुद्दों को सुलझाने का काम भी करती है.
भारत में पहला ILO कार्यालय वर्ष 1928 में स्थापित हुआ. भारत ने इसके 43 कन्वेंशन एवं 1 प्रोटोकॉल सहमति दी है.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF in Hindi)
साल 1944 में संयुक्त राज्य अमेरिका के ब्रेटन वुड्स, न्यू हैम्पशायर में संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन आयोजित किया गया. इसे ब्रेटनवुड्स सम्मेलन भी कहते है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय व्यवस्था को विनियमित करना था. इसी सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के स्थापना का निर्णय लिया गया. तदनुरूप, 27 दिसंबर 1945 को इसकी स्थापना वाशिंगटन डीसी में की गई. 29 देश इसके संस्थापक सदस्य बने थे.
इसके मुख्य कार्य है-
- वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना,
- वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करना, .
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना,
- उच्च रोजगार और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और
- दुनिया भर में गरीबी को कम करना
आईएमएफ को मुख्य तौर से विश्व बैंक द्वारा फंडिंग मिलती है. यह भुगतान संतुलन से निपटने के लिए किसी देश का आखिरी आसरा होता है. कोटा प्रणाली के माध्यम से ऋण प्रदान किया जाता है.
विशेष आहरण अधिकार (SDR in Hindi)
यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का कूट मुद्रा है. 1969 में इसे अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति के रूप में बनाया गया था।
एसडीआर न तो एक वास्तविक मुद्रा है और न ही आईएमएफ पर इसका दावा किया जा सकता है. एसडीआर का मूल्यांकन अअमेरिकी डॉलर (Dollar), यूरोप का यूरो (Euro), चीन की मुद्रा रॅन्मिन्बी (Renminbi), जापानी येन (Yen), ब्रिटेन का पाउंड (Pound) द्वारा की जाती है.
आईएमएफ एसडीआर का उपयोग आंतरिक लेखांकन प्रयोजनों के लिए करता है. एसडीआर का आवंटन आईएमएफ द्वारा इसके सदस्य देशों को किया जाता है और उन्हें सदस्य देशों की सरकारों का पूरा भरोसा और क्रेडिट प्राप्त होता है. एसडीआर के रूप का प्रत्येक पांच वर्षों पर पुनर्मूल्यांकन किया जाता है.
विश्व बैंक (World Bank Group in Hindi)
अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक को ही विश्व बैंक कहा जाता है. इसकी स्थापना ब्रेटनवुड्स सम्मेलन में भाग ले रहे 44 सदस्यों की सिफारिश पर की गई थी. यह विकासशील व निर्धन देशों को वित्त महैया करवाने वाली प्रमुख संस्था है. वश्व बैंक समूह में शामिल पांच एजेंसी है-
- पुनर्निर्माण और विकास के लिये अन्तरराष्ट्रीय बैंक(1944)
- अन्तरराष्ट्रीय वित्त निगम (1956)
- अन्तरराष्ट्रीय विकास संघ (1960)
- निवेश विवादों के निपटारे के लिये अन्तरराष्ट्रीय केंद्र (1966)
- बहुपक्षीय निवेश गारण्टी एजेंसी (MIGA in Hindi) (12 अप्रैल, 1988)
विश्व बैंक जहाँ नीति सुधार कार्यक्रमों और परियोजनाओं को मदद देता है, जबकि ईएमएफ सिर्फ निति सुधार कार्यक्रम के लिए. विश्व बैंक गरीबी उन्मूलन के लिए सहस्त्राब्दी कार्यक्रम में भी शामिल है. साथ ही, विश्व बैंक एक बड़ा लक्ष्य गरीबी उन्मूलन भी है.
आईएमएफ जहाँ सभी प्रकार के देशों को ऋण देती है, वहीं विश्व बैंक सिर्फ विकासशील और निर्धन देशों को ही ऋण देती है.
विश्व बैंक समूह की सदस्यता
- आईएमएफ का सदस्य हो
- IBRD के सदस्यों को ही IDA, IFC और MIGA की सदस्यता
- ICSID में सदस्यता IBRD के सदस्यों के लिये उपलब्ध होती है. किंतु जो IBRD के सदस्य नहीं हैं. लेकिन पार्टी ऑफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) के सदस्य हैं. उन्हें ICSID प्रशासनिक परिषद के आमंत्रण पर अपने सदस्यों के दो-तिहाई वोट का समर्थन मिलने पर ही सदस्यता दी जाती है.
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO in Hindi)
इसे 1982 तक अंतर-सरकारी समुद्री सलाहकारी संगठन (Maritime Consultative Organization – IMCO) कहते थे. इसकी स्थापना 17 मार्च 1958 में जिनेवा में हुई थी. यह संयुक्त राष्ट्र का एक विशिष्ट एजेंसी है, जिसका मुख्यालय ब्रिटेन के लंदन शहर में है.
यह समुद्री यातायात के सुरक्षा और नियमन से जुड़ा संस्था है. यह समुद्र में जहाज़ों द्वारा फैलाए गए प्रदूषण को कम करने के लिए भी काम करता है.
अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संगठन (ITU in Hindi)
यह संयुक्त राष्ट्र का सबसे पुराना विशेष एजेंसी है. अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन का शुरुआत इसी संस्था द्वारा हुआ माना जाता है. इसके संधि में दुनिया के कई देशों ने तब हस्ताक्षर किए थे. इसकी स्थापना पैरिस में 17 मई 1865 में हुई थी. इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जेनेवा में है. इससे सदस्य राष्ट्रों के अलावा कई निजी क्षेत्र भी जुड़े हुए है.
स्थापना का उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय रेडियो और दूरसंचार को नियमित और मानकीकृत था. आज के समय में यह कृत्रिम उपग्रह के लिए कक्षा आवंटन का काम भी करता है. यह दुनिया के वंचित समुदाय तक कंप्यूटर और सुचना प्राद्यौगिकी पहुँचाने के लिए भी काम कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO in Hindi)
इसे संक्षेप में यूनेस्को कहा जाता है. यह संयुक्त राष्ट्र का विशेष विशेषज्ञ एजेंसी है, जिसकी स्थापना 16 नवम्बर 1945 को की गई थी. इसका मुख्यालय पेरिस के वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर में है. वैश्विक धरोहर स्थलों के पहचान और रखरखाव इसी के द्वारा किया जाता है. इसके स्थापना का उद्देश्य “मानव जाति की बौद्धिक व नैतिक एकजुटता” है.
यूनेस्को के 27 क्लस्टर कार्यालय और 21 राष्ट्रीय कार्यालय है. कलस्टर कार्यालय वास्तव में क्षेत्रीय कार्यालय है, जो तीन से चार देशों के लिए स्थापित किए गए है. यह शिक्षा, प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक एवं मानव विज्ञान, संस्कृति और सूचना व संचार के क्षेत्र में काम करता है.
दुनिया भर के 332 अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन यूनेस्को से जुड़े है. भारत 1946 से इसका सदस्य है.
इसका उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कृति के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से शांति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है. ताकि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में वर्णित न्याय, कानून का राज, मानवाधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रता हेतु वैश्विक सहमति बने. यह घृणा एवं असहिष्णुता से मुक्त वैश्विक नागरिक के रूप में जीने में सहायता करने के लिये शैक्षिक युक्तियाँ विकसित करता है.
संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत की गरिमा बढ़ाकर यह दो राष्ट्रों के बीच सम्बन्ध को मजबूत बनाता है.
भारत और यूनेस्को (India and Unesco in Hindi)
यूनेस्को ने कई प्रमुख भारतीय शैक्षणिक संस्थानों को तकनीकी सहायता प्रदान की है. यूनेस्को ने भारत के 40 विरासत स्थलों को मान्यता दी है. 2002 में सामुदायिक रेडियो निति बनाने में भी यूनेस्को ने भारत की मदद की थी. यूनेस्को के अनुभव से भारत में सामुदायिक रेडियो का सुगमता से विकास हो पाया.
संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO in Hindi)
इसे संक्षेप में यूनिडो भी कहा जाता है. इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के एक स्वायत अंग के रूप में औद्योगिक विकास केन्द्र नाम से 1961 में स्थापित किया गया था. 1966 में अस्तित्व में आए यूनिडो ने इसका स्थान ले लिया. यूनिडो ने जनवरी 1967 से अपना काम शुरू किया.
यूनिडो का काम सतत औद्योगिक और आर्थिक विकास है. यह संयुक्त राष्ट्र के विकास लक्ष्यों के लिए भी काम करता है. अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया ने क्रमशः 1996 एवं 1997 में अपनी सदस्य्ता इससे त्याग दी. तब से इसका महत्व कम होने लगा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO in Hindi)
दुनिया में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में डब्ल्यूएचओ काम करती है. इसकी स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गई थी. इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्जरलैंड में है. यह दुनिया के 6 भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित 194 सदस्य देशों के लिए काम करता है. सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रालय इस संस्था से जुड़े होते है.
2012 में WHO ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में अपनी भूमिका को इस प्रकार परिभाषित किया है:
- स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण मामलों पर नेतृत्व प्रदान करना और जहाँ संयुक्त कार्रवाई की आवश्यकता है वहां साझेदारी में शामिल होना.
- अनुसंधान एजेंडा को आकार देना और बहुमूल्य ज्ञान के सृजन, अनुवाद और प्रसार को प्रोत्साहित करना.
- मानदंड और मानक निर्धारित करना और उनके कार्यान्वयन को बढ़ावा देना और निगरानी करना.
- नैतिक और साक्ष्य-आधारित नीति विकल्पों को स्पष्ट करना.
- तकनीकी सहायता प्रदान करना, परिवर्तन को उत्प्रेरित करना और स्थायी संस्थागत क्षमता का निर्माण करना.
- स्वास्थ्य निगरानी और स्वास्थ्य से जुड़े लक्षणों का आकलन करना.
- नागरिक पंजीकरण और जन्म, मृत्यु, विवाह, तलाक से जुड़े आंकड़े जुटाना.
WHO और भारत (WHO and India in Hindi)
भारत 12 जनवरी 1948 को WHO से जुड़ा है. भारत के लिए WHO ने दिल्ली में मुख्यालय स्थापित किया है. WHO का दक्षिण-पूर्व एशिया का क्षेत्रीय कार्यालय भी नई दिल्ली में स्थित है.
वर्ष 1967 में WHO ने गहन चेचक (Smallpox) उन्मूलन कार्यक्रम आरम्भ किया. इस साल दुनिया के 65 फीसदी चेचक मरीज भारत में थे. इस साल 26,225 लोगों की मृत्यु चेचक से हो गई थी. फिर, डब्ल्यूएचओ ने अपना कार्यक्रम जारी किया. इस कार्यक्रम से भारत को काफी लाभ हुआ.
कैंसर, पोलियो और कोविड-19 समेत कई बिमारियों पर WHO ने भारत की काफी मदद की है.
संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD in Hindi)
अंकटाड की स्थापना संयुक्त राष्ट्र के एक विशेष एजेंसी के रूप में महासभा द्वारा 1964 में की गई थी. इसका मुख्यालय जेनेवा में है. यह आर्थिक एवं सामाजिक परिषद को रिपोर्ट करता है. संस्था व्यापार, निवेश, प्राद्यौगिकी के मुद्दों पर सतत व समाविशि विकास के के लिए काम करती है. विश्व व्यापार संगठन के अस्तित्व में आने से इसका महत्व कम हुआ है.
इसका सम्मेलन हरेक चार साल में आयोजित किया जाता है. पहला सम्मेलन साल 1964 में जेनेवा में आयोजित किया गया था. इसका स्थापना का उद्देश्य विकसित व विकासशील देशों में असमानता को कम करना था. इसने जीएसपी योजना को लागु करवाया. इसके तहत विकसित देश, विकासशील देशों से होने वाले कृषि उत्पाद पर न के बराबर या नाममात्र का आयत शुल्क वसूलते थे.
संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC)
इटली के वियना में स्थित इस संगठन का स्थापना संयुक्त राष्ट्र के एक विशेष एजेंसी के रूप में साल 1997 में किया गया था. संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ नियंत्रण कार्यक्रम एवं अंतर्राष्ट्रीय अपराध निवारण केंद्र के विलय से यह स्थापित किया गया. यह अंतर्राष्ट्रीय मादक व नशीली वस्तुओं के व्यापार को नियत्रित करता है और इनके तस्करी को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाता है. अधिकतर मादक पदार्थ आतंकवाद और अपराध को जन्म देते है. इसलिए यह संस्था इनसे जुड़े गतिविधियों पर भी नजर रखता है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय (UNHCR in Hindi)
इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा के 3 दिसम्बर, 1949 को पारित एक प्रस्ताव के तहत 14 दिसम्बर 1950 को की गई थी. इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्जरलैंड में है.
यूएनएचसीआर के स्थापना का उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध में तबाह हो चुके लोगों को फिर से बसाना था. इस युद्ध में कई लोगों को अपना आवास खोना पड़ा था. इससे वे शरणार्थी बनकर रह रहे थे. द्वितीय विश्व युद्ध का सबसे अधिक विनाशकारी प्रभाव भी यूरोप पर ही हुआ था. इसका वजह इस महाद्वीप का युद्ध का मुख्य मैदान होना था.
यह संस्था 1967 के प्रोटोकॉल के तहत शरणार्थी शब्द व इनसे जुड़े न्यूनतम मानक को परिभाषित करता है. संस्था ने इक्कीसवी सदी के शुरुआत में अफ्रीका और मध्य एशिया के आंतरिक युद्ध से घिरे इलाके में शरणार्थियों के लिए बेहतरीन कार्य किए है. अपने इन्ही कार्यों के कारण इसे काफी सुर्खियां भी मिली.
संयुक्त राष्ट्र के अन्य अभिकरण, राष्ट्रीय सरकारें, क्षेत्रीय समूह तथा निजी राहत संगठन भी यूएनएचसीआर के साथ सहयोग करते हैं. इसे सरकारों, संयुक्त राष्ट्र व निजी लोगों व संस्थानों से सहायता प्राप्त होती है.
उच्चायुक्त (High Commissioner in Hindi)
इस एजेंसी के उच्चायुक्त का चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पांच साल के लिए किया जाता है. नीदरलैंड के गेरिट यान वैन ह्यूवेन गॉटहर्ट पहले उच्चायुक्त थे. इन्ही के तहत एजेंसी का कार्यकारी अंग काम करता है.
कौन होते है शरणार्थी?
वह इंसान जो उत्पीड़न, संघर्ष, युद्ध या हिंसा के कारण परदेस (विदेश) पलायन कर जाता है. ऐसे लोग भयवश अपना देश लौटना नहीं चाहते. कई बार ऐसा पलायन राजनीतिक, धार्मिक और साम्प्रदायिक उत्पीड़न के कारण भी होता है. बढ़ती ग़रीबी, आंतरिक अस्थिरता और बाहरी राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण भी कई बार लोग पलायन करते है. इससे भी शरणार्थी जैसे स्तिथि बन जाती है.
शरणार्थी संकट से मानवाधिकारों का हनन, मानव तस्करी, पहचान का संकट, राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा, राजनीतिक अस्थिरता, जनसँख्या-वृद्धि, अराजकता और अलगावाद जैसे समस्याएं पनपते है.
उपलब्धि (Achievements)
यूएनएचसीआर के बेहतरीन कार्यों के कारण 1954 में इसे शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया. दूसरी बार इस संस्था को 1981 में इस पुरस्कार से एक बार फिर से पुरस्कृत किया गया. यह पुरस्कार शरणार्थियों के मौलिक अधिकार के लिए काम करने को लेकर दिया गया था.
2015 तक इस एजेंसी ने 50 मिलियन से अधिक शरणार्थियों की सहायता की थी. जून 2020 में एजेंसी से 20 मिलियन से अधिक शरणार्थी जुड़े थे.
मानवाधिकार और भारत (Human Rights and India in Hindi)
सच कहे तो भारत शरणार्थियों की शरणस्थली है. यहाँ आर्य, शक व मुग़ल समेत कई विदेशी मूल के लोग आकर बसते रहे. भारत और भारतीयता ने सदैव बहरी आगंतुकों का स्वागत किया है. इस तरह भारत में शरण देने की परम्परा सदियों पुरानी है.
भारत ने 1951 के शरणार्थी सम्मेलन या 1967 के शरणार्थी प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. फिर भी भारत वर्ष 1969-1975 से भारत UNHCR का समर्थन कर रहा है. UNHCR को 1981 से भारत में काम करने की अनुमति दी गई है. इसके बाद दिल्ली में इसका कार्यालय स्थापित किया गया. चेन्नई में भी इसका एक छोटा सा कार्यालय है, जो श्रीलंका से आए तमिल शरणार्थियों को वापस लौटने में मदद करता है.
आधुनिक युग में भारत ने बड़े पैमाने पर शरणार्थियों को अपने यहां जगह दी है. वर्ष 1969-1975 के दौरान भारत ने तिब्बती शरणार्थियों के साथ-साथ तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के शरणार्थियों को शरण दी थी. तिब्बती मूल के काफी लोग आज भी भारत में ही बसे हुए है.
भारत में शरणार्थियों के लिये एक राष्ट्रीय कानूनी ढाँचे की अनुपस्थिति है. ऐसे में भारत UNHCR कार्यालय में आने वाले इच्छुक शरणार्थियों के लिये अधिदेश के तहत स्थिति का निर्धारण करता है. हाल के दिनों में अफगानिस्तान, म्यांमार, सोमालिया व ईराक से बड़े पैमाने पर शरणार्थी भारत आए है.
संयुक्त राष्ट्र एशिया-प्रशांत आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (एस्केप) (ESCAP in Hindi)
इस एजेंसी के स्थापना का उद्देश्य एशिया प्रशांत क्षेत्र में स्थानीय विकास को बढ़ावा देना है. इसके लिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने इसकी स्थापना एशिया और सुदूर पूर्व के लिए आर्थिक आयोग (एसकेफ-ESCAFE) नाम से 1947 में शंघाई में की थी. फिर इसका नाम बदलकर एस्केप कर दिया गया. इसके साथ ही, 1976 में इसका मुख्यालय थाईलैंड के बैंकॉक में स्थापित किया गया.
एस्केप निम्न प्रकार के हथकंडे अपने काम में इस्तेमाल करती है-
- ऐसे मुद्दे जिसका सामना इस क्षेत्र में सभी देश या देशों का एक समूह करता है, जिसके लिए आपस में एक दूसरे से सीखना अनिवार्य है;
- ऐसे मुद्दे जिनमें क्षेत्रीय या बहु-देशीय संलग्नता से लाभ मिलता है;
- ऐसे मुद्दे जो स्वभाव में सीमा से परे हैं, या जिनमें सहयोगात्मक अंतर देशीय मार्गों से लाभ होगा; तथा
- ऐसे मुद्दे जो संवेदनशील या उभरते प्रकार के हैं और जिनमें पुन: समर्थन और बातचीत की आवश्यकता है.
ESCAP और भारत (ESCAP and India in Hindi)
वर्ष 1977 में नई दिल्ली में स्थापित APCTT एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर काम करने वाला एक क्षेत्रीय संस्थान है. यह UNESCAP के तहत काम करता है. यह सूचना प्रौद्योगिकी, तकनीकी हस्तांतरण एवं नवाचार प्रबंधन के लिए कार्यरत है.
दिसंबर 2011 में नई दिल्ली में ESCAP के एक नए दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम एशिया कार्यालय की शुरुआत की गई है. यह 10 देशों को अपनी सुविधाएं देता है.
अन्य सम्बद्ध संस्थाएं (Other Related Agencies in Hindi)
व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBTO)
यह संयुक्त राष्ट्र महासभा को रिपोर्ट करता है. इस संधि के तहत संगठन की स्थापना 19 नवंबर 1996 को न्यूयॉर्क में की गई थी. इसका मुख्यालय ऑस्ट्रिया के वियना में है.
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव द्वारा अंतरष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी का संबंध यूएन से स्थापित किया गया था.
यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है. लेकिन, इकोसोक के बदले महासभा और सुरक्षा परिषद् को रिपोर्ट करती है. इसके अधिकारी भी संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के समन्वय बोर्ड (सीईबी) का हिस्सा हैं.
इसकी स्थापना 29 जुलाई 1957 को की गई है. मुख्यालय ऑस्ट्रिया के वियना में है. इसका कार्य परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने से जुड़ा है.
रासायनिक हथियारों के निषेध संगठन (OPCW in Hindi)
ओपीसीडब्ल्यू संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी नहीं है. लेकिन नैतिक और व्यावहारिक, दोनों तरह से सहयोग करती है. 7 सितंबर 2000 को ओपीसीडब्ल्यू और यूएन ने एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसमें समन्वय के तरीके तय किए गए. इसलिए यह अब संयुक्त राष्ट्र महासभा को रिपोर्ट करता है.
इस एजेंसी को रासायनिक हथियार के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए साल 2013 में शांति का नोबेल पुरस्कार भी दिया गया है.
विश्व व्यापार संगठन (WTO in Hindi)
डब्ल्यूटीओ का संयुक्त राष्ट्र के साथ कोई औपचारिक समझौता नहीं है. फिर भी दोनों के बीच पत्राचार होते है. साथ ही यह एजेंसी, महासभा और ECOSOC के काम में तदर्थ योगदान प्रदान करता है. इसकी CEB में भी एक सीट है.
इसकी स्थापना 1 जनवरी 1995 को की गई थी. तब इसने गैट (General Agreement on Trade and Treaty) का स्थान लिया था. इसका मुख्यालय जेनेवा में है.
विश्व के लिये संयुक्त राष्ट्र का योगदान, उपलब्धियां, और असफलताएं (United Nations Contribution, Achievements, and Achievements to the World in Hindi)
अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में संयुक्त राष्ट्र शीतकाल में थोड़ा कम प्रभावी था. लेकिन, सोवियत संघ के विघटन से विश्व एक-ध्रुवीय होता चला गया. इससे यूएन को अपने फैसले लेने में काफी सहूलियत होने लगी. वजह था अमेरिका का चिंताओं से मुक्त होना. आज के समय में यह संगठन काफी विस्तृत ढंग से दुनिया में शांति और सुरक्षा कायम रख पा रहा है.
सफलताएं (Achievements of United Nations in Hindi)
- संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे को परिभाषित, संहिताबद्ध और विस्तारित किया है.
- यूएन के कारण एक देश का दूसरे के साथ व्यवहार क़ानूनी जिम्मेदारियों के कारण सुधरा है. देश के जनता के साथ व्यवहार में भी बदलाव आए हैं.
- संयुक्त राष्ट्र ने कई हिंसक संघर्षों व युद्धों को सुलझाया है. कई लड़ाई रोकी भी गई. इस तरह संयुक्त राष्ट्र ने लाखों लोगों की जान बचाई है.
- मानवाधिकारों, शरणार्थियों, निरस्त्रीकरण, व्यापार, महासागरों, बाहरी अंतरिक्ष जैसे मामलों पर 560 से अधिक बहुपक्षीय संधिया संयुक्त राष्ट्र द्वारा कीजै है. संयुक्त राष्ट्र ने बातचीत द्वारा इन संधियों में लगभग सभी अंतर्राष्ट्रीय मामलों के सभी पहलुओं को शामिल किया है.
- ईसीओएसओसी (ECOSOC) लगातार वैश्विक विकास की प्रगति की निगरानी करता है. विशेष रूप से एमडीजी (Millenium Development Goal – MDG) के आलोक में यह निगरानी महत्वपूर्ण है.
- इसने वैश्विक भू-स्थानिक सूचना प्रबंधन पर विशेषज्ञों की एक नई संयुक्त राष्ट्र समिति बनाई है. यह सभी सदस्य राज्यों के सरकारी विशेषज्ञों को एक साथ लाती है. इससे भू-स्थानिक जानकारी पर सर्वोत्तम कार्यों और अनुभवों का संकलन और प्रसार किया जाना संभव हो सका है, जो सतत विकास और मानवीय सहायता में सहायक है.
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अस्तित्व से अंतर्राष्ट्रीय कानून के विकास, राष्ट्र की संप्रभुता और आत्मरक्षा, अनाक्रमण और मानवाधिकार पर सकारात्मक प्रभाव हुआ है.
- यह न्यायालय राज्यों को तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के माध्यम से अपने विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए अतिरिक्त विकल्प प्रदान करता है,. इससे खुले युद्ध का खतरा कम हो गया है.
असफलताएं (Failures of United Nations in Hindi)
- 1970 में, 190 देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस वक्त सभी पांच महाशक्तियों के पास परमाणु हथियार थे. एनपीटी और आंशिक परीक्षण प्रतिबंध संधि के बावजूद कई देशों,जैसे उत्तर कोरिया, इज़राइल, पाकिस्तान और भारत, ने परमाणु हथियार विकसित किए हैं. इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र अपने सदस्य राष्ट्रों पर नियमों को लागू करने में विफल रहा है.
- अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय ने काफी मसले हल किए है. लेकिन, सुरक्षा परिषद् के पांच स्थायी सदस्यों को मिले वीटो पावर ने संकट के समय इसके प्रभाव को कम किया है.
- गाजा-पट्टी जैसे लड़ाई क्षेत्रों में मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन हो रहा है. लेकिन यूएनएससी विफल रही है, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका, इजरायल के खिलाफ किसी भी कार्रवाई पर वीटो लगा देता है.
- मध्य पूर्व में अरब स्प्रिंग (Arab Spring) के कारण हजारों मौतें हुईं. आईएसआईएस का उदय और शासन बदला. इस दौर के भीषण हत्याओं को रोका जा सकता था, यदि संयुक्त राष्ट्र ने समयबद्ध तरीके और दृढ़ता से कार्रवाही की होती.
- संयुक्त राष्ट्र विश्व सरकार नहीं है. इसलिए इसके पास तैनाती के लिए स्थायी शांति-सेना नहीं है. शांति-सेना के लिए इसे अपने सदस्य राष्ट्रों पर निर्भर रहना पड़ता है. कई बार सदस्य राष्ट्र अपना योगदान नहीं देते और युद्धग्रस्त इलाके में स्तिथि और भी जटिल हो जाती है.
- दुनिया भर के एनजीओ कार्यकर्ताओं का आरोप है कि एनजीओ समिति और उसके मूल निकाय, इकोसोक की निष्क्रियता से कमजोर लोगों का संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधित्व से वंचन हो गया है.
- ICJ अंतर-राज्य विवादों को सफलतापूर्वक हल करने में विफल था है. आज भी जमीन से जुड़े 30 से अधिक अनसुलझे मामले हैं. इन मामलों को आईसीजे के सामने कभी भी प्रस्तुत नहीं किया गया, क्योंकि दावे का आधार कानूनी नहीं है.
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के सामने अधिक शक्तिशाली राज्यों के बीच शांति और सुरक्षा के प्रमुख मुद्दों को शायद ही कभी प्रस्तुत किया जाता है. अधिकांश शक्तिशाली सरकारें, अदालत के अधिकार क्षेत्र को उनकी संप्रभुता का उल्लंघन मानती हैं.
- इस न्यायालय के फैसलों को लागु करवाना सदस्य राष्ट्रों के लिए आसान नहीं होता है. सुरक्षा परिषद को यह अधिकार है, लेकिन ये युद्ध व रिश्ते बिगड़ने के डर से कभी कार्रवाही नहीं करते है.
- संयुक्त राष्ट्र का पूर्वाग्रह आसानी से पहचान में आ जाता है. इसका शक्तिशाली राष्ट्रों के खिलाफ शायद ही कोई फैसला आता है.
भारत और संयुक्त राष्ट्र संघ (India and United Nations Organisations in Hindi)
हमारा देश भारत, संयुक्त राष्ट्र के उन प्रारंभिक सदस्यों में शामिल है, जिन्होंने 1 जनवरी, 1942 को वाशिंग्टन में संयुक्त राष्ट्र घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे. आगे, भारत ने 25 अप्रैल से 26 जून, 1945 तक सेन फ्रांसिस्को में ऐतिहासिक संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन सम्मेलन में भी भाग लिया था. 26 जून 1945 को इसके अन्य संस्थापक सदस्यों के साथ ही भारत ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर हस्ताक्षर किए थे. इसकी पुष्टि इसी साल 30 अक्टूबर को हो गई. इस तरफ भारत भी संयुक्त राष्ट्र संघ का संस्थापक सदस्य बन गया.
संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत ने अपनी भूमिका जिम्मेदारी से निभाई है. भारत ने चार्टर के उद्देश्यों को लागू करने तथा संयुक्त राष्ट्र के विशिष्ट कार्यक्रमों और एजेंसियों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक जैसे संस्थाओं में सुधार के लिए आह्वान किया है. साथ ही, सभी प्रकार के आतंकवाद के प्रति शून्य सहायता के दृष्टिकोण की वकालत की है. 1996 में भारत ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक प्रारूप व्यापक अभिसमय (सीसीआईटी) प्रस्तुत किया. इसका उद्देश्य आतंकवाद से लड़ने के लिए एक आद्योपान्त कानूनी रूपरेखा प्रदान करना है. भारत संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि जैसी संयुक्त राष्ट्र निधियों में योगदान करने वाले प्रमुख देशों में से एक है, जिसकी स्थापना 2005 में की गई थी.
2011-12 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का अस्थायी सदस्य के रूप में भारत ने समुद्री जल दस्युता पर एक खुली चर्चा को आगे बढ़ाया. भारत अब तक आठ बार सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य रह चुका है. इसका आखिरी कार्यकाल साल 2022 के दिसंबर में समाप्त हुआ है. 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92, 2011-12 और 2019-20 में भारत को यह मौका मिला है.
फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत (India on Philistine issue in Hindi)
भारत फिलिस्तीन के स्वतन्त्रता का समर्थक रहा है. फिलहाल संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन को पर्यवेक्षक का दर्जा मिला हुआ है. भारत दुनिया के उन देशों के समूह में शामिल है, जो फिलिस्तीन-इजरायल विवाद में फिलिस्तीन का समर्थन करता है. दरअसल, इजरायल ने कई लड़ाइयों के बाद फिलिस्तीन का एक बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में कर रखा है.
31 अक्टूबर, 2011 को फिलीस्तीन संयुक्त राष्ट्र सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अभिकरण (यूनेस्को) का पूर्ण सदस्य्ता मिल गया. 29 नवम्बर, 2012 को यूएनजीए ने फिलीस्तीन को एक राज्य के तौर मान्यता देने के पक्ष में मतदान किया. प्रस्ताव द्वारा फिलीस्तीन की स्थिति की नॉन मैम्बर ऑब्जर्वर एन्टीटी से उन्नत कर नॉन मेम्बर ऑब्जर्वर स्टेट कर दिया गया. यह महासभा में मतदान नहीं कर सकता है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय जैसे अंतर्राष्ट्रीय निकाय में शामिल हो सकता है.
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में भारत का योगदान (Contribution of India in United Nations Peace Keeping Forces in Hindi)
- 1948 में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना स्थापित किया गया था. इसका पहला मिशन इसी साल हुए अरब-इजरायल युद्ध को रोकना था. इसमें इसे व्यापक सफलता भी मिली और एक सप्ताह के भीतर युद्ध रुक गया.
- इस शांति सेना में 119 देशों के सैनिक व अन्य अधिकारी काम कर रहे हैं. इसे 1988 के नोबेल शांति पुरस्कार भी प्रदान किया गया है.
- वर्तमान में शांति संचालन विभाग के नेतृत्व में 4 महाद्वीपों में 12 शांति अभियान चलाए जा रहे हैं.
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र के 71 शांति अभियानों में से 49 अभियानों में 2,53,000 से अधिक सैनिकों का योगदान किया है.
- संयुक्त राष्ट्र के नीले झंडे के नीचे लड़ते हुए भारतीय सशस्त्र एवं पुलिस बल के 160 से अधिक कार्मिकों ने अपने जीवन की आहुति दी है.
- कोसोवो, सूडान, साइप्रस, तिमूर, कांगो, सियरा, लियोन, लाइबेरिया, हैती में भारतीय बलों को संयुक्त राष्ट्र के साथ ही स्थानीय निवासियों ने सराहा है.
- 82 देशों के लगभग 800 शांति स्थापना अधिकारियों को प्रशिक्षित करने का काम भारत द्वारा सम्पन्न हुआ है.
- लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन समाप्त कर दिया गया है. भारत इस मिशन के महिला पुलिस यूनिट में योगदान करने वाला एकमात्र देश है. 2007 से इंडियन फॉर्म्ड पुलिस यूनिट की 125 महिला पुलिसकर्मियों को इस मिशन में भेजा गया था. इससे लाइबेरिया की महिलाओं को भी पुलिस में भर्ती होने की प्रेरणा मिली.
- संयुक्त राष्ट्र के 13 सक्रिय शांति मिशनों में से 8 में भारत के कर्मी तैनात है. कुल 5,323 कर्मियों के साथ भारत पांचवां सबसे बड़ा सैन्य योगदानकर्ता (TCC) है. इनमें 166 सैन्य व पुलिस कर्मी हैं.
अंतर्राष्ट्रीय समानता दिवस (International Equality Day in Hindi)
डॉ भीमराव आंबेडकर ने जाति व इससे उपजे असमानता के उन्मूलन के लिए अथक प्रयास किए है. उनके इस कार्य का स्पष्ट प्रभाव भारतीय संविधान पर भी हुआ है. इसलिए वर्ष 2016 में सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये असमानताओं को समाप्त करने पर पर जोर दिया गया. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र में पहली बार बी.आर.अम्बेडकर जयंती मनाई गई. भारत ने संयुक्त राष्ट्र से 14 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय समानता दिवस घोषित करने की वकालत की.
भारत का संयुक्त राष्ट्र में अन्य योगदान (Other Contributions of India to the United Nations in Hindi)
- महात्मा गाँधी गांधी के अहिंसात्मक आदर्शों का समर्थन संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी किया है. उनके इस आदर्श को संजोने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 2007 में उनके जन्मदिन 2 अक्टूबर को “अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस” घोषित कर दिया.
- 1950 और 1960 के दशकों में भारत ने एशिया और अफ्रीका के गुलाम देशों के आजादी के लिए संयुक्त राष्ट्र का समर्थन किया था.
- भारत ने 1960 की महत्त्वपूर्ण घोषणा को सह- प्रायोजित किया था. इसमें सभी रूपों में उपनिवेशवाद को समाप्त करने की घोषणा की गई थी.
- 1946 में रंगभेद के मसले को संयुक्त राष्ट्र में उठाने वाला भारत पहला देश है. आगे भारत ने महासभा द्वारा रंगभेद के विरुद्ध उपसमिति के गठन में अग्रणी भूमिका निभाई. भारत 1965 के नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन अभिसमय पर सबसे पहले हस्ताक्षर करने वाले देशों में से एक था.
- गुट निरपेक्ष आंदोलन (NAM) तथा विकासशील देशों का समूह 77 स्थापित कर भारत ने संयुक्त राष्ट्र के कार्यों को आसान बना दिया.
- 1996 में भारत ने आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक प्रारूप व्यापक अभिसमय (CCIT) प्रस्तुत किया था. इसका उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को एक क़ानूनी रूप देना था. भारत आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस निति का समर्थक है.
- 1952 में भारत ने परिवार नियोजन लागु किया था. ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है. भारत संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि का प्रमुख योगदानकर्ता है.
संयुक्त राष्ट्र में सुधार (Reforms in United Nations in Hindi)
संरचनात्मक सुधार (Structural Reforms of UN in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र का कार्य सदस्यों व अन्य निजी संस्थानों के दान पर निर्भर होता है. कुछ बड़े और विकसित राष्ट्रों का योगदान अधिक है. इसलिए इनका प्रभाव भी यूएन पर व्यापक होता है.
वीटो पावर के दुरूपयोग के आरोप आम है. चाहे पूरा दुनिया एकमत हो, लेकिन सुरक्षा परिषद् के एक स्थायी सदस्य के कारण फैसला नहीं लिया जा सकता है. इस खामी में सुधार करने की जरूरत है. इसे केवल कुछ मामलों तक ही सिमित किया जा सकता है या इसके उपयोग से पहले उससे संबद्ध किए गए कुछ राष्ट्रों की सहमति आवश्यक हो.
सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य सम्पूर्ण विश्व का प्रतिनिधित्व नहीं करते है. लेकिन इनके फैसले सभी देशों पर थोप दिए जाते है.
वैश्विक परिदृश्य तेजी से बदल रहे है. इसलिए संयुक्त राष्ट्र को अपने अधिकारीयों को इनसे उपजे चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार होना होगा. इसके लिए प्रबंधकों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर दक्ष व सशक्त बनाना होगा, प्रक्रिया को जवाबदेह, सरल और पारदर्शी बनाना और इसके अधिदेश के वितरण में सुधार करना होगा.
वित्तीय सुधार (Financial Reforms in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र के बजट में चीन, जापान और अमेरिका की हिस्सेदारी क्रमशः 8, 10 और 22 प्रतिशत पर है. वहीं भारत का योगदान मात्र 0.7 फीसदी है. इससे भारत का सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्य्ता का दावा कमजोर पड़ता है.
सदस्यों का योगदान उसके क्षमता के अनुरूप होना चाहिए. साथ ही, सभी सदस्यों के से वार्षिक सदस्य शुल्क लिया जाना चाहिए, इसे माफ़ करने का भी प्रावधान हो.
फिलहाल सदस्य अपने अनुसार किसी भी समय योगदान देते है. इसे भी समयबद्ध करने के लिए जरुरी कदम उठाया जाना चाहिए. इससे संयुक्त राष्ट्र का काम सुचारु होगा.
सुरक्षा परिषद् में सुधार (Reforms in Security Council in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र की सबसे अधिक आलोचना सुरक्षा परिषद् के कारण होती है. इस समूह को विशेषाधिकार मिले हुए है. ऐसे में महासभा को भी पांच देशों के समूह वाले सुरक्षा परिषद के सहमति से निर्णय लेना होता है. इसलिए दुनिया के कई देश इसमें सुधार का मांग उठा रहे है.
कुछ का कहना है कि महासभा के फैसले ही मान्य हो और सुरक्षा परिषद समाप्त कर दिया जाएं. वहीं कुछ का कहना है कि सुरक्षा परिषद् में कुछ अन्य सदस्यों को शामिल कर इसे समावेशी व विस्तृत बनाया जाएं. अभी संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित किये जाने वाले प्रस्ताव बाध्यकारी प्रकृति के नहीं होते हैं.ये सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों की सहमति पर ही निर्भर होते हैं.
भारत भी सुरक्षा परिषद् के विस्तार का हिमायती है. इसलिए भारत ने तीन अन्य देशों के साथ मिलकर G4 समूह बनाया है. इसमें भारत, ब्राजील, जापान और जर्मनी शामिल है. इन देशों ने खुद को सुरक्षा परिषद् में शामिल करने के लिए दवाब बनाया हुआ है. अभी तक अमेरिका, रूस, यूनिटेड किंगडम व फ़्रांस ने इनका समर्थन किया है. सिर्फ चीन के अड़ने के वजह से यह सुधार रुका हुआ है.
चीन का कहना है कि वह यूएनएससी सुधारों का समर्थन इस तरह से करता है जिससे निकाय के अधिकार और प्रभावकारिता में वृद्धि हो और विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व और आवाज बढ़े ताकि छोटे और मध्यम आकार के देशों को अधिक अवसर मिले.
भारत स्थायी के साथ-साथ अस्थायी सदस्यों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी चाहता है. भारत का मानना है कि बदले हुए विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की मज़बूती और सख़्ती की ज़रूरत है. संयुक्त राष्ट्र आम सभा में काफी नए सदस्य जुड़े है. लेकिन,सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों की संरचना में कोई बदलाव नहीं हुआ है. सिर्फ एक बार 1965 में अस्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 11 किया गया है.
दूसरी तरफ, स्थापना के वक्त संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की संख्या 51 थी जो अब बढ़कर चार गुना के करीब यानि 193 हो गई है. लेकिन, सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की संख्या तब से लेकर अबतक 5 ही बनी हुई है.
भारत का तर्क है कि परिषद का विस्तार होने से सुरक्षा परिषद् ज़्यादा प्रतिनिधिमूलक होगी. इससे विश्व बिरादरी का ज़्यादा समर्थन मिलेगा. सुरक्षा परिषद् के काम काज की समीक्षा विश्व बिरादरी के कामों पर निर्भर करती है. इसलिए सुरक्षा परिषद के पुनर्गठन की ज़रूरत है. साथ ही और भी विकासशील देशों को शमिल किया जाना चाहिए.
हमारे देश भारत का ये भी दावा है कि यह विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. यह दुनिया में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भी है, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है. भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां हैं. कई पंथ, विचारधाराएं और जीवन-शैली है. ऐसे में भारतीय प्रतिनिधित्व के बिना सुरक्षा परिषद में संपूर्ण वैश्विक प्रतिनिधित्व अधूरा है.
ब्रिटेन और प्रफांस अब विश्व राजनीति के महत्त्वपूर्ण खिलाड़ी नहीं रह गए है. सोवियत संघ का रूस सहित पंद्रह स्वतंत्रा राज्यों में विभाजन हो गया. विउपनिवेशीकरण ने बड़ी संख्या में एशिया और अप्रफीका के देशों को संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रतिष्ठित स्थान पाने की होड़ में शामिल कर दिया. इन कारणों से भी सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य्ता से कुछ सदस्यों को बाहर करने व नए महत्वपूर्ण राष्ट्रों को स्थान दिया जाना जरूरी है.
संयक्त राष्ट्र के समक्ष चुनौतियाँ (Challenges before the United Nations in Hindi)
निःशस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार (Disarmament and non-proliferation of Atomic Weapons)
आज के आधुनिक युग में नित नए व उन्नत हथियार विकसित किए जा रहे है. ये दुनिया के शांति के लिए खतरा है. साथ ही, ये दुनिया का बड़े पैमाने पर विनाश कर सकते है. विशाल विनाशक हथियार (Weapon of Mass Destruction – WMD) यदि गलत हाथों में पड़ जाएं तो खतरा और भी बढ़ जाएगा.
आतंकवाद के समर्थक देशों के हाथ में भी आधुनिक व WMD हथियार विश्व के लिए एक बड़ा खतरा है. पाकिस्तान जैसे अस्थिर देशों के पास इनका होना पड़ोसी व अन्य मुल्कों को सांसत में डाले रहता है.
वर्ष 1970 में परमाणु अप्रसार संधि पर 190 देशों ने हस्ताक्षर किए थे. लेकिन इस संधि के बावजूद कई देश आज भी परमाणु हथियार का विस्तार कर रहे है. कई हस्ताक्षरकर्ता देशों ने परिक्षण भी किए है.
समावेशी विकास (Inclusive Growth in Hindi)
विश्व की आबादी तेजी से बढ़ रही है. इसके साथ ही बेरोजगारी व गरीबी का बढ़ना भी जारी है. तकनीक के बदौलत दुनिया के कुछ देश काफी अमीर हो गए है. दूसरी ओर, कई देश आज भी भुखमरी से निपटने में असक्षम है. ये गरीब थोड़े से धन के लिए भी सामूहिक अपराध या युद्ध के लिए तैयार हो जाते है. ISIS का विकास इसी तरह हुआ. इसलिए, सम्पूर्ण विश्व का समावेशी विकास काफी अहम् है. लेकिन इस लक्ष्य को पाना इससे भी अधिक कठिन है.
शांति व सुरक्षा (Peace and Security in Hindi)
दुनिया के कई देशों में मानवाधिकारों का खुलेआम उलंघन हो रहा है. इससे उपजे आंतरिक असंतोष एक सुषुप्त ज्वालामुखी के तरह है. ऐसे पीड़ित समूह किसी भी वक्त संगठित होकर सामूहिक अपराध को अंजाम दे सकते है. इसलिए विश्व में मानवाधिकारों के हनन को रोका जाना चाहिए.
संगठित अपराध कई बार वैश्विक होते है. जैसे मादक पदार्थों को तस्करी. गरीब आसानी से ऐसे आपराधिक कृत्यों से फंस जाते है. इसलिए विश्व में विकास का विस्तार जरूरी है. ऐसे तत्वों से आतंकवाद के पनपने का भी खतरा रहता है.
बढ़ती आबादी और वृद्धो की संख्या (Population Explosion and Old-Aged Problem in Hindi)
1945 में स्थापना के बाद से संयुक्त राष्ट्र शांति, सुरक्षा, विकास व मानवाधिकार के लिए काम कर रहा है. लेकिन, बदलते परिदृश्य में कई नए समस्याएं आकार ले रही है.
साइबर सुरक्षा एक नया चुनौती है. विश्व के महत्वपूर्ण जानकारियों के सुरक्षित आदान-प्रदान के लिए यह जरुरी है.
बढ़ती आबादी और इनमें वृद्ध जनों की बढ़ती आबादी एक नया समस्या है. जापान जैसे देशों ने अधिक उम्र के लोगों को फिर से काम पर रखना शुरू कर दिया है. दुनिया के कई देशों में वृद्धों की आबादी तेजी से बढ़ रही है. उनके खिलाफ अत्याचार और हिंसा से निपटना, उन्हें समुचित पोषण व स्वास्थ्य सेवा मुहैया करवाना भी एक चुनौती ही है.
आबादी में विस्फोट से खाद्य संकट भी पैदा हो सकता है. साथ ही, जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि और स्वास्थ्य पर सबसे अधिक असर हुआ है. यह खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए एक नया खतरा पैदा कर रहा है. इसलिए संयुक्त राष्ट्र को विश्व को प्रदुषण मुक्त करने पर तेजी से काम करना होगा.
बढ़ती आबादी से वस्तु एवं सेवाओं की मांग-आपूर्ति में विसंगति हो सकती है. साथ ही, दो पीढ़ी के बीच समझ के अंतर से कई तरह के समस्याएं हो सकती है. इन खतरों में आवास, परिवहन व सामाजिक संरक्षण, साथ ही साथ पारिवारिक संरचना तथा अंतर-पीढ़ी संबंध पर प्रभाव शामिल हैं.
पलायन और शरणार्थी समस्या (Migration and Refugee Crisis in Hindi)
विश्व में विकास के विसंगति का साफ़ असर महसूस किया जा सकता है. शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे है. साथ ही आंतरिक अशांति व उत्पीड़न के कारण भी दुनिया में बड़ी संख्या में पलायन हो रहे है. इससे शरणार्थी की समस्या उतपन्न हो गई है.
आर्थिक विकास (Economic Growth in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा करीब 5 हजार परियोजनाएं या योजनाएं चलाई जा रही है. इनका उद्देश्य गरीबी कम करना, सुशासन को बढ़ावा देना, संकटों के समाधान एवं पर्यावरण संरक्षण करना है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र एमडीजी व एसडीजी चला रहा है. इन योजनाओं के लक्ष्यों को पाकर ही विश्व में आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व सामाजिक समानता लाइ जा सकती है.
अफ्रीका पर संयुक्त राष्ट्र अपने बजट का 36 फीसदी खर्च करता है. फिर भी इस इलाके की स्तिथि खस्ताहाल है. संयुक्त राष्ट्र को इस समस्या से जल्द निपटना होगा.
सामजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण (Social Justice and Woman Empowerment)
महिलाओं के साथ लैंगिक आधार पर भेदभाव होता है. साथ ही विश्व में कई समुदायों के साथ नस्ल, रंग और जाति के आधार पर भेदभाव होता है. इनसे निपटना यूएन के समक्ष एक बड़ी चुनौती है.
भुखमरी, बाल-कल्याण व शिक्षा (Hunger, Child Welfare and Education in Hindi)
खाद्य व कृषि संगठन जहाँ कुपोषण व भुखमरी से लड़ रहा है, वहीं यूनिसेफ बाल-कल्याण व शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत है. लेकिन दुनिया का एक बड़ा आबादी, कुपोषित, अशिक्षित व भुखमरी से त्रस्त है. इन समस्याओं का समाधान से ही पृथ्वी पर सुखी व समृद्ध जीवन संभव है.
संस्कृति व पर्यटन (Culture and Tourism in Hindi)
यूनेस्को विश्व के 1100 से अधिक विरासत स्थलों का संरक्षण कर रहा है. लेकिन दुनिया के कई प्रजाति, बोली, परम्पराए, लोककथाएं व पुरातन विचार विलुप्ति के कगार पर है. बदलती दुनिया व बदलते पर्यावरण के माहौल में इन्हें संरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती है.
पर्यटन के माध्यम से ही विश्व के लोग एक-दूसरे के संपर्क में आते है. इससे विचारों और संस्कृति का आदान-प्रदान होता और दो देश वास्तव में करीब आते है. वैश्विक समरसता और शांति के लिए व्यापक पर्यटन जरुरी है.
मानविधार और लोकतंत्र (Human Rights and Democracy in Hindi)
लोकतंत्र और मानवाधिकार एक-दूसरे के पूरक है. किसी भी व्यक्ति का नैसर्गिक अधिकार का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए. दुनिया के कई इलाकों में भीषण नरसंहार और भेदभाव द्वारा मानवाधिकार का खुला उलंघन होता है. मानवाधिकार की स्तिथि उन देशों में अधिक चिंतनीय हैं जहाँ लोकतंत्र नहीं है. इसलिए विश्व से दुःख का उन्मूलन के लिए मानवाधिकार और लोकतंत्र जरुरी है.
निष्कर्ष (Conclusion)
संयुक्त राष्ट्र संघ में कई खामियां और कमियां है. लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध व शीत-काल के बाद धीरे-धीरे इसके प्रभाव में वृद्धि हुई है. बुल्गारिया में लोकतंत्र, पोलियो, चेचक उन्मूलन, शिक्षा व भुखमरी से निपटने के लिए इस संगठन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इन प्रयासों से हमारे समाज को सभ्य, शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित बनाने में मदद मिली है.
यह विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक संगठन है. जैसे किसी सरकार में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मंत्री के पास अधिक ताकत होते है, ठीक इसी तरह सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों को ये अधिकार मिले हुए है.
संयुक्त राष्ट्र का लोकतांत्रिक समाज के निर्माण, गरीबों के आर्थिक व सामाजिक विकास और जलवायु परिवर्तन व पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के संदर्भ में मानवता के प्रति इसका उत्तरदायित्व एवं महत्त्व दोनों ही बहुत अधिक व्यापक है. इसलिए इसमें निरंतर सुधार करते हुए इस व्यवस्था को बनाए रखा जाना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य (193 Members of United Nations in HIndi)
देश | साल |
अफ़ग़ानिस्तान | 1946 |
अल्बानिया | 1955 |
एलजीरिया | 1962 |
एंडोरा | 1993 |
अंगोला | 1976 |
अंतिगुया और बार्बूडा | 1981 |
अर्जेंटीना | 1945 |
आर्मीनिया | 1992 |
ऑस्ट्रेलिया | 1945 |
ऑस्ट्रिया | 1955 |
आज़रबाइजान | 1992 |
बहामा | 1973 |
बहरीन | 1971 |
बांग्लादेश | 1974 |
बारबाडोस | 1966 |
बेलोरूस | 1945 |
बेल्जियम | 1945 |
बेलीज़ | 1981 |
बेनिन | 1960 |
भूटान | 1971 |
बोलीविया | 1945 |
बोस्निया और हर्जेगोविना | 1992 |
बोत्सवाना | 1966 |
ब्राज़िल | 1945 |
ब्रुनेई | 1984 |
बुल्गारिया | 1955 |
बुर्किना फासो | 1960 |
बुस्र्न्दी | 1962 |
कंबोडिया | 1955 |
कैमरून | 1960 |
कनाडा | 1945 |
केप वर्ड | 1975 |
मध्य अफ्रीका | 1960 |
काग़ज़ का टुकड़ा | 1960 |
चिली | 1945 |
चीन | 1971 |
कोलंबिया | 1945 |
कोमोरोस | 1975 |
कांगो | 1960 |
कांगो (डेमो रिपब्लिक) | 1960 |
कोस्टा रिका | 1945 |
क्रोएशिया | 1992 |
क्यूबा | 1945 |
साइप्रस | 1960 |
चेकिया | 1993 |
डेनमार्क | 1945 |
जिबूती | 1977 |
डोमिनिका | 1978 |
डोमिनिकन गणराज्य | 1945 |
इक्वेडोर | 1945 |
मिस्र | 1945 |
एल साल्वाडोर | 1945 |
भूमध्यवर्ती गिनी | 1968 |
इरिट्रिया | 1993 |
एस्तोनिया | 1991 |
इस्वातिनी | 1968 |
इथियोपिया | 1945 |
फ़िजी | 1970 |
फिनलैंड | 1955 |
फ्रांस | 1945 |
गैबॉन | 1960 |
गाम्बिया | 1965 |
जॉर्जिया | 1992 |
जर्मनी | 1973 |
घाना | 1957 |
यूनान | 1945 |
ग्रेनेडा | 1974 |
ग्वाटेमाला | 1945 |
गिन्नी | 1958 |
गिनी-बिसाऊ | 1974 |
गुयाना | 1966 |
हैती | 1945 |
होंडुरस | 1945 |
हंगरी | 1955 |
आइसलैंड | 1946 |
भारत | 1945 |
इंडोनेशिया | 1950 |
ईरान | 1945 |
इराक | 1945 |
आयरलैंड | 1955 |
इजराइल | 1949 |
इटली | 1955 |
हाथीदांत का किनारा | 1960 |
जमैका | 1962 |
जापान | 1956 |
जॉर्डन | 1955 |
कजाखस्तान | 1992 |
केन्या | 1963 |
किरिबाती | 1999 |
कुवैट | 1963 |
किर्गिज़स्तान | 1992 |
लाओस | 1955 |
लातविया | 1991 |
लेबनान | 1945 |
लिसोटो | 1966 |
लाइबेरिया | 1945 |
लीबिया | 1955 |
लिकटेंस्टाइन | 1990 |
लिथुआनिया | 1991 |
लक्समबर्ग | 1945 |
मेडागास्कर | 1960 |
मलावी | 1964 |
मलेशिया | 1957 |
मालदीव | 1965 |
माली | 1960 |
माल्टा | 1964 |
मार्शल द्वीप समूह | 1991 |
मॉरिटानिया | 1961 |
मॉरीशस | 1968 |
मेक्सिको | 1945 |
माइक्रोनेशिया | 1991 |
मोलदोवा | 1992 |
मोनाको | 1993 |
मंगोलिया | 1961 |
मोंटेनेग्रो | 2006 |
मोरक्को | 1956 |
मोजाम्बिक | 1975 |
म्यांमार | 1948 |
नामिबिया | 1990 |
नाउरू | 1999 |
नेपाल | 1955 |
नीदरलैंड | 1945 |
न्यूजीलैंड | 1945 |
निकारागुआ | 1945 |
नाइजर | 1960 |
नाइजीरिया | 1960 |
उत्तर कोरिया | 1991 |
उत्तर मैसेडोनिया | 1993 |
नॉर्वे | 1945 |
ओमान | 1971 |
पाकिस्तान | 1947 |
पलाउ | 1994 |
पनामा | 1945 |
पापुआ न्यू गिनी | 1975 |
परागुआ | 1945 |
पेरू | 1945 |
फिलीपींस | 1945 |
पोलैंड | 1945 |
पुर्तगाल | 1955 |
कतर | 1971 |
रोमानिया | 1955 |
रूस | 1991 |
रवांडा | 1962 |
संत किट्ट्स और नेविस | 1983 |
सेंट लूसिया | 1979 |
संत विंसेंट अँड थे ग्रेनडीनेस | 1980 |
समोआ | 1976 |
सैन मैरीनो | 1992 |
साओ टोमे और प्रिंसिपे | 1975 |
सऊदी अरब | 1945 |
सेनेगल | 1960 |
सर्बिया | 2000 |
सेशल्स | 1976 |
सेरा लिओन | 1961 |
सिंगापुर | 1965 |
स्लोवाकिया | 1993 |
स्लोवेनिया | 1992 |
सोलोमन इस्लैंडस | 1978 |
सोमालिया | 1960 |
दक्षिण अफ्रीका | 1945 |
दक्षिण कोरिया | 1991 |
दक्षिण सूडान | 2011 |
स्पेन | 1955 |
श्रीलंका | 1955 |
सूडान | 1956 |
सूरीनाम | 1975 |
स्वीडन | 1946 |
स्विट्ज़रलैंड | 2002 |
सीरिया | 1945 |
तजाकिस्तान | 1992 |
तंजानिया | 1964 |
थाईलैंड | 1946 |
तिमोर-लेस्ते | 2002 |
जाना | 1960 |
टोंगा | 1999 |
त्रिनिदाद और टोबैगो | 1962 |
ट्यूनीशिया | 1956 |
टर्की | 1945 |
तुर्कमेनिस्तान | 1992 |
तुवालू | 2000 |
युगांडा | 1962 |
यूक्रेन | 1945 |
संयुक्त अरब अमीरात | 1971 |
यूनाइटेड किंगडम | 1945 |
संयुक्त राज्य अमेरिका | 1945 |
उरुग्वे | 1945 |
उज़्बेकिस्तान | 1992 |
वानुअतु | 1981 |
वेनेजुएला | 1945 |
वियतनाम | 1977 |
यमन | 1947 |
जाम्बिया | 1964 |
जिम्बाब्वे | 1980 |
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव (Secretary General of the United Nations in Hindi)
महासचिव संयुक्त राष्ट्र का सबसे प्रमुख अधिकारी होता है. महासभा द्वारा महासचिव की नियुक्ति सुरक्षा परिषद की संस्तुति पर 5 वर्ष के लिए की जाती है. उन्हें दुबारा भी चुना जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार, महासचिव अपनी सहायता के लिए दक्ष, योग्य और सत्यनिष्ठ कर्मचारियों का अंतर्राष्ट्रीय समूह खुद चुनता है.
1 जनवरी 2017 से पुर्तगाल के एंटोनियो गुटेरेश संयुक्त राष्ट्र के महासचिव है. 1945 से वर्तमान तक कुल 10 व्यक्ति इस पद को सुशोभित कर चुके है. सबसे पहले निर्वाचित महासचिव त्रिग्वेली थे. ये इस प्रकार है-
क्र. सं. | नाम | कार्यकाल की अवधि | अन्य विवरण |
---|---|---|---|
1. | ग्लेडविन जेब (यूनाइटेड किंगडम) | 24 अक्टूबर 1945–01 फरबरी 1946 | कार्यवाहक महासचिव |
2. | त्रिग्वेली (नॉर्वे) | 02 फरवरी 1946–10 नवम्बर 1952 | नवम्बर, 1952 में इस्तीफा |
3. | डैग हैमरस्क्जोंल्ड (स्वीडन) | 10 अप्रैल 1953–18 सितंबर 1961 | सितम्बर, 1961 में अफ्रीका में हवाई दुर्घटना से निधन |
4. | यू. थांट (म्यांमार) | 30 नवम्बर 1961 –31 दिसम्बर 1971 | कार्यवाहक के रूप में नियुक्ति, 1962 से नियमित |
5. | कुर्त वॉल्डहाइम (ऑस्ट्रिया) | 01 जनवरी 1972 –31 दिसम्बर 1981 | लगातार दो कार्यकाल |
6. | ज़ेवियर पेरिज डी कुईयार (पेरू) | 01 जनवरी 1982–31 दिसम्बर 1991 | लगातार दो कार्यकाल |
7. | बुतरस घाली (मिस्त्र) | 01 जनवरी 1992–31 दिसम्बर 1996 | 01 कार्यकाल |
8. | कोफ़ी अन्नान (घाना) | 01 जनवरी 1997–31 दिसम्बर 2006 | लगातार दो कार्यकाल |
9. | बान की मून (दक्षिण कोरिया) | 01 जनवरी 2007–31 दिसम्बर 2016 | लगातार दो कार्यकाल |
10. | एंटोनियो गुटेरेस (पुर्तगाल) | 01 जनवरी 2017–वर्तमान | ऐसे प्रथम महासचिव हैं जो किसी सरकार के पूर्व मुखिया (पुर्तगाल के प्रधानमंत्री – 1995 से 2002 तक) रहे हैं. इनका जन्म संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद हुआ है. |
संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्य (17 Sustainable Development Goals of UN in Hindi)
यह आर्थिक व सामाजिक परिषद के तहत काम करती है. इसके 17 लक्ष्य इस प्रकार है-
- शून्य गरीबी (No Poverty) – सभी प्रकार के गरीबी के गरीबी का उन्मूलन.
- शून्य भुखमरी (Zero Hunger)– भुखमरी की समाप्ति, सतत कृषि, खाद्य सुरक्षा और पोषण में सुधार.
- अच्छा स्वास्थ्य और स्वस्थ्य जीवन (Good Health and well-being)– सभी उम्र के लोगों के स्वास्थ्य में सुधार के माध्यम से स्वस्थ्य जीवन को बढ़ावा.
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Quality Education): समावेशी और सबके लिए एक समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, जीवनभर सिखने की क्षमता का विस्तार.
- लैंगिक समानता (Gender Equality) : महिलाओं और बालिकाओं को सशक्त बनाकर लैंगिक समानता प्राप्त करना.
- साफ पानी और स्वच्छता (clean water and sanitisation): सभी को साफ़ पेयजल और स्वस्च्छता उपलब्ध करवाना.
- सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा (Affordable and Clean Energy): सभी के लिए वहनीय, विश्वसनीय, सतत और आधुनिक ऊर्जा.
- बेहतर रोजगार और आर्थिक विकास (Decent work and Economic Growth): सभी के लिए बेहतर और उत्पादक काम, समावेशी और सतत आर्थिक विकास इत्यादि को बढ़ावा.
- उद्योग, नवोन्मेष और आधारभूत संरचना (Industry, Innovation and Infrastructure): लचीले बुनियादी ढांचे का निर्माण, समावेशी और टिकाऊ औद्योगीकरण और नवाचार को बढ़ावा.
- असमानता उन्मूलन (Reduced Inequalities): देशों के भीतर और देशों के बीच असमानता को कम करना.
- समावेशी शहर (Sustainable Cities): शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला और टिकाऊ बनाना.
- जिम्मेदार खपत और उत्पादन (Responsible Consumption and Production): टिकाऊ खपत और उत्पादन पैटर्न सुनिश्चित करना.
- पर्यावरण सुरक्षा (Climate Action): जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना.
- जलीय जीवन (Life below Water): सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और सतत उपयोग.
- स्थलीय पारिस्थितिकी (Life on Land): स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र के सतत उपयोग को सुरक्षित, पुनर्स्थापित और बढ़ावा देना, वनों का स्थायी प्रबंधन, मरुस्थलीकरण का मुकाबला करना और भूमि क्षरण को रोकना और जैव विविधता के नुकसान को रोकना.
- शांति, न्याय और मजबूत संस्थाएं (Peace, Justice and Strong Institutions): सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समाज को बढ़ावा देना, सभी के लिए न्याय तक पहुंच प्रदान करना और सभी स्तरों पर प्रभावी, जवाबदेह और समावेशी संस्थानों का निर्माण करना.
- लक्ष्य प्राप्ति के लिए सहभागिता (Partnerships for Goals): कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत करना और सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करना.
संयुक्त राष्ट्र से जुड़े संक्षिप्त शब्दावली (UN Acronyms Vocabulary in Hindi)
- APCTT- Asian and Pacific Centre for Transfer of Technology
- UNDRR – United Nations Office for Disaster Risk Reduction
- UNSDG – United Nations Sustainable Development Group
- OHCHR – Office of the United Nations High Commissioner for Human Rights
- UNODC – United Nations Office on Drugs and Crime
- UN-OIOS – United Nations Office of Internal Oversight Services
- UNDP – United Nations Development Programme
- CITES – Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora
- ICJ – International Court of Justice
- UNICEF – United Nations Children’s Fund
- GNAFC – Global Network Against Food Crises
- UNMOGIP – United Nations Military Observer Group in India and Pakistan
- UNCDF – United Nations Capital Development Fund
- WFP – World Food Programme
- CTBT – Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty
- ESCAP – Economic and Social Commission for Asia and the Pacific
- UNEP – United Nations Environment Programme
- UNFPA – United Nations Population Fund
- ECAFE – Economic Commission for Asia and the Far East
- UN-HABITAT – United Nations Human Settlements Programme
- UNV – United Nations Volunteers
- UNIDIR – United Nations Institute for Disarmament Research
- UNITAR – United Nations Institute for Training and Research
- UNICRI – United Nations Interregional Crime and Justice Research Institute
- UNRISD – United Nations Research Institute for Social Development
- UNSSC – United Nations System Staff College
- UNU – United Nations University
- FSIN- Food Security Information Network
- CRPD – Convention on the Rights of Persons with Disabilities
- UNCCD – United Nations Convention to Combat Desertification
- UNFCCC – United Nations Framework Convention on Climate Change
- UNCLOS – United Nations Convention on the Law of the Sea established bodies
- ISA – International Seabed Authority
- ITLOS – International Tribunal for the Law of the Sea
- UNAIDS – Joint United Nations Programme on HIV/AIDS
- ITC – International Trade Centre
- UNOPS – United Nations Office for Project Services
- UNCTAD- United Nations Conference on Trade and Development
- UNHCR – United Nations High Commissioner for Refugees
- UNIFEM – United Nations Development Fund for Women
- UN WOMEN – United Nations Entity for Gender Equality and the Empowerment of Women
- UNRWA – United Nations Relief and Works Agency for Palestine Refugees in the Near East
- FAO – Food and Agriculture Organization
- ICAO – International Civil Aviation Organization
- IFAD – International Fund for Agricultural Development
- ILO – International Labour Organization
- IMO – International Maritime Organization
- IMF – International Monetary Fund
- SDR – Special Drawing Right
- ITU – International Telecommunication Union
- UNESCO – United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization
- UNIDO – United Nations Industrial Development Organization
- UPU – Universal Postal Union
- WBG – World Bank Group (इसमें पांच बैंक शामिल है – IBRD, ICSID, IDA, IFC, MIGA)
- IBRD – International Bank for Reconstruction and Development
- ICSID – International Centre for Settlement of Investment Disputes
- IDA – International Development Association
- IFC – International Finance Corporation
- MIGA – Multilateral Investment Guarantee Agency
- WHO – World Health Organization
- IPCC – Intergovernmental Panel on Climate Change
- WIPO – World Intellectual Property Organization
- WMO – World Meteorological Organization
- UNWTO – United Nations World Tourism Organization
- IOM – International Organization for Migration
- CBDTO PrepCom – Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty Organization Preparatory Commission
- IAEA – International Atomic Energy Agency
- OPCW – Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons (2013 में शांति का नोबेल पुरस्कार)
- WTO – World Trade Organization
- OSCE – Organization for Security and Co-operation in Europe
- OAS – Organization of American States
- ECOSOC – Economic and Social Council
- UNTC – UN Trusteeship Council
- MEA – Multilateral Environmental Agreement
संयुक्त राष्ट्र दिवस (United Nations Day in Hindi)
संयुक्त राष्ट्र दिवस हर साल 24 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिवस 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की स्मृति में मनाया जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र के सामान्य एजेंडे को बढ़ाने और इसके उद्देश्यों और सिद्धांतों की पुष्टि करने का अवसर प्रदान करता है, जिन्होंने पिछले 77 वर्षों से हमारा मार्गदर्शन किया है और अभी भी इसे जारी रखे हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने कई सतत विकास अभियान चलाए हैं. इन अभियानों में स्वास्थ्य, शिक्षा, शून्य भुखमरी, सभी प्रकार के गरीबी का उन्मूलन व पर्यावरण सुरक्षा आदि शामिल है। हम हमेशा एक बेहतर कल की उम्मीद करते हैं. लेकिन कल को केवल वर्तमान में बदलाव करके ही बेहतर बनाया जा सकता है. इसी मूल सिद्धांत पर संयुक्त राष्ट्र दिवस का आयोजन होता है.
विश्व के नागरिक होने के नाते हमें इस तरह के अभियानों में जागरूकता बढ़ाकर और उनके सिद्धांतों को अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में लागू करके योगदान देना चाहिए. हमें वह बदलाव बनना होगा जिसकी हम भविष्य में उम्मीद करते हैं.
संयुक्त राष्ट्र दिवस से जुड़े ख़ास तथ्य
- संयुक्त राष्ट्र दिवस को संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों और उपलब्धियों को दर्शाते हुए बैठकों, चर्चाओं और प्रदर्शनियों के साथ दुनिया भर में मनाया जाता है.
- 1971 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सदस्य राज्यों को इस दिन को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाने की सिफारिश की थी.
- दुनिया भर में कई अंतरराष्ट्रीय स्कूल संयुक्त राष्ट्र दिवस पर अपने छात्र निकाय की विविधता का जश्न मनाते हैं.
- समारोह में अक्सर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, प्रदर्शनी और दुनिया के विविध व्यंजनों के साथ फूड स्टॉल लगाना शामिल होता है.
- संयुक्त राष्ट्र के महासचिव 1948 से हर साल संयुक्त राष्ट्र दिवस के लिए एक उद्घोषणा जारी करते है.
संयुक्त राष्ट्र संघ से जुड़े रोचक तथ्य (Interesting Facts about United Nations in Hindi)
- संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में प्रस्तावना के अलावा 19 अध्याय में 111 अनुच्छेदों में विभक्त है.
- 73 देशों के 9 करोड़ लोगों को संयुक्त राष्ट्र, भोजन (खाद्य पदार्थ) मुहैया कराता है.
- संयुक्त राष्ट्र 100 से अधिक देशों में जलवायु परिवर्तन व ऊर्जा बचत के लिए कार्यक्रम चला रहा है.
- दुनिया के 58 प्रतिशत हिस्से में संयुक्त राष्ट्र द्वारा टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहाहै. इससे प्रतिवर्ष 2.5 मिलियन बच्चों की जान बचती है.
- 1,20,000 शांतिदूतों और 16 ऑपरेशन के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र 4 महाद्वीपों में शांति कायम रखने के लिए कार्यक्रम चला रहा है.
- ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस – 16 सितंबर (महासभा द्वारा नामित दिवस)
- प्रतिवर्ष 30 मिलियन गर्भवती महिलाओं की जान बचाने का काम करता है.
- संयुक्त राष्ट्र ने 80 से ज्यादा देशों को आजादी पाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है.
- आईएमएफ और विश्व बैंक को ब्रेटनवुड्स सम्मेलन का जुड़वाँ संस्था कहा जाता है.
- 11 जुलाई 2011 को दक्षिणी सूडान को सदस्य्ता मिलते ही यूएन के कुल 193 सदस्य हो गए.
- यूएन 36 मिलियन शरणार्थियों को सहायता उपलब्ध करा रहा है.
- भारतीय संविधान के प्रस्तावना का ‘हम भारत के लोग’, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावना से प्रेरित है.
- पिछले 30 सालों में 370 मिलियन ग्रामीण ग़रीबों की स्थिति संयुक्त राष्ट्र द्वारा सुधारा गया है.
- भारत ने जम्मू-कश्मीर पर हमले का शिकायत 6 जनवरी 1948 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में किया था. यह नियम 35 के तहत था. इसलिए 6 बिंदुओं वाला एक प्रस्ताव लाया गया. इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान ने कभी अमल ही नहीं किया.
- 1949 में करांची समझौते के बाद भारत में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना स्थापित की गई. लेकिन, नए लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल (LoC) के अस्तित्व में आ जाने से यह मिशन किसी काम का नहीं रहा.
- विजया लक्ष्मी पंडित को वर्ष 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रथम महिला अध्यक्ष चुना गया था. एशिया और भारत से वे महासभा की अध्यक्षता करने वाली पहली शख्सियत है.
- संयुक्त राष्ट्र के बजट में चीन, जापान और अमेरिका की हिस्सेदारी क्रमशः 8, 10 और 22 प्रतिशत पर है. वहीं भारत का योगदान मात्र 0.7 फीसदी है. इससे भारत का सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्य्ता का दावा कमजोर पड़ता है.
- UNFCCC-1992 एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संधि है. इसे वर्ष 1992 में रियो डी जेनेरो (ब्राज़ील) में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन में हस्ताक्षर कर अपनाया गया.
- सुरक्षा परिषद् की स्थाई सदस्यता में विस्तार की माँग के प्रति बढ़ती सहमति को देखते हुए जी-4 देशों (G-4 Nations) ने सुरक्षा परिषद् द्वारा 1995 में पारित प्रस्ताव को जारी रखते हुए सितंबर 2006 में महासभा में एक प्रस्ताव पेश करने का प्रयास किया था.
- 14 जुलाई 2011 को दक्षिणी सूडान (South Sudan) को संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्यता प्रदान किया गया. इसी साल जनवरी में अंतर्राष्ट्रीय निगरानी में हुए जनमत संग्रह में सूडान का विभाजन किया गया था. इस तरह नए राष्ट्र, दक्षिणी सूडान का उदय 11 जुलाई को हुआ. यह देश यूएन का 193वां सदस्य है.
- यूएन का सिम्बर जैतून के दो शाखाओं के बीच विश्व के मानचित्र द्वारा प्रतिबिंबित है. इसके पीछे सफ़ेद रंग में बर्फ की चादरें बिछी दिखती है. जैतून शांति का प्रतिक है.
- इंडोनेशिया एकमात्र ऐसा देश है जो 20 जनवरी 1965 को यूएन की सदस्यता त्याग दी और 19 सितंबर 1966 को फिर से सदस्य बनने का इच्छा जाहिर किया. फिर 28 सितंबर 1966 को इंडोनेशिया को दोबारा यूएन में शामिल कर लिया गया.
- नोबेल फाउंडेशन ने यूएन के महासचिव डैग हैमरस्कजॉल्ड (Dag Hammarskjold) को मरणोपरांत 1961 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया. उन्हें संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार संयुक्त राष्ट्र को विकसित करने के लिए यह सम्मान दिया गया था.
- 1961 में एक विमान दुर्घटना में डैग हैमरस्कजॉल्ड की मृत्यु हो गई. इसके बाद यूथांट (U Thant) यूएन के महासचिव बने. यूथांट निर्गुट सम्मलेन के प्रमुख नेताओं में से एक थे. साथ ही, स्केवेंडिया देशों से बाहर से पहली बार किसी को यूएन का महासचिव बनाया गया था.