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नोबेल प्राइज: दुनिया का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार

    6 विभिन्न क्षेत्रों में दिया जाने वाला नोबेल प्राइज दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है. यह पुरस्कार हरेक वर्ष शांति, साहित्य, चिकित्सा, रसायन, भौतिकी व अर्थशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बौद्धिक उपलब्धि के लिए; 10 दिसंबर को दिया जाता है.

    विजेता को 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (900,000 अमेरिकी डॉलर) की राशि प्रदान की जाती है. दो या दो से अधिक विजेता होने की स्थिति में, नोबेल प्राइज समिति विजेताओं को मिलने वाले पुरस्कार राशि का फैसला करती है.

    धनराशि के अलावा एक मेडल और डिप्लोमा भी विजेता को दिया जाता है. डिप्लोमा में ही विजित राशि का उल्लेख होता है. मेडल 18 कैरट के ग्रीन गोल्ड और 24 कैरट के शुद्ध सोने से बना होता है.

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    नोबेल प्राइज क्या है (What is Nobel Prize in Hindi)?

    यह पुरस्कार भौतिक विज्ञानी अल्फ्रेड नोबेल द्वारा स्थापित है. यह 6 विधाओं के उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने पिछले वर्ष मानव जाति को सबसे बड़ा लाभ प्रदान किया है.

    नोबेल प्राइज फंड की स्थापना भी, अल्फ्रेड नोबेल ने अपने संपत्ति के एक हिस्से से की थी. उन्होंने अपने वसीयत में इस पुरस्कार का जिक्र किया था.

    10 दिसंबर 1896 को दिल का दौड़ा पड़ने से अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हो गई. इसके बाद उनका वसीयत दुनिया के सामने आया. फिर, इस पर मुकदमा चला. इसमें पुरस्कार के लिए वसीयत लिखने की बात सच साबित हुई. इसके बाद ही, साल 1901 से प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को नोबेल फाउंडेशन द्वारा यह प्राइज दिया जा रहा है.

    अल्फ्रेड नोबेल कौन थे (Who was Alfred Nobel in Hindi)?

    स्वीडेन के बाल्टिक सागर तट पर स्थित शहर स्टॉकहोम में अल्फ्रेड नोबेल का जन्म 21 अक्टूबर 1833 में हुआ था. इनका पूरा नाम अल्फ्रेड बर्नार्ड नोबेल है. अल्फ्रेड नोबेल एक रसायनविद, अभियंता, आविष्कारक, व्यापारी व लोकोपकारी व्यक्ति के तौर पर जाने जाते है. उन्होंने नाइट्रोग्लिसरीन विस्फोटक का सुरक्षित उपयोग करने की विधि खोजी थी. इस आविष्कार को उन्होंने डायनामाइट नाम दिया, जिसे 1867 में पेटेंट करवाया गया.

    डायनामाइट का खोज निर्माणकारी उद्देश्यों; जैसे पहाड़ो को तोडना, सुरंग बनाना इत्यादि; के लिए किया गया था. लेकिन, जल्द ही इसका उपयोग युद्ध में होने लगा. इससे हजारों लोग मारे गए. फिर लोग अल्फ्रेड नोबेल को ‘मौत का सौदागर’ कहने लगे.

    नोबेल अपने ऊपर लगे कलंक से मुक्ति चाहते थे. इसलिए उन्होंने 1895 में अपनी आखिरी वसीयत में अपने धन का 94 फीसदी दान कर दिया. इस दान का उपयोग, वसीयत के अनुसार नोबेल प्राइज की स्थापना के लिए किया गया. नोबेल फॉउण्डेशन ट्रस्ट को यह जिम्मा अल्फ्रेड बर्नार्ड ने सौंपा था.

    अल्फ्रेड नोबेल ने अपने जीवन में 355 पेटेंट करवाए थे, जिसमें अधिकतर विस्फोटक थे. इनमें डायनामाइट सबसे प्रमुख है.

    कैसे आया विचार (Emergence of Nobel Prize’s Idea in Hindi)

    साल 1888 में अल्फ्रेड नोबेल के एक भाई लुडविग की मृत्यु हो गई. गलती से एक समाचार प्रकाशक ने इसे अल्फ्रेड नोबेल की मौत मान लिया. फिर, “मौत के सौदागर का मौत” शीर्षक से खबर छाप दी. इस सुर्खी से नोबेल काफी आहत हुए. फिर उन्होंने नोबेल प्राइज की स्थापना कर इस बदनामी से मुक्ति पाने की सोची.

    10 दिसंबर 1896 को 63 साल के उम्र में, अल्फ्रेड नोबेल का निधन इटली के सैनरेमो में हो गया. इसके बाद ही दुनिया को उनके वसीयत और नोबेल प्राइज की जानकारी मिली. फिर उनकी समाधि, स्टॉकहोम स्वीडन में बनाई गई.

    नोबेल प्राइज के लिए उस वक्त उन्होंने 31 मिलियन स्वीडिश क्रोनर दान दी थी. इसी राशि से प्राप्त ब्याज को पुरस्कार वितरण के काम में लाया जाता है.

    अल्फ्रेड नोबेल ने डाइनामाइट के 90 फैक्ट्री यूरोप में खोले थे. इन्हें ‘यूरोप का आवारा आमिर’ भी कहा जाता था. इन विस्फोटकों ने व्यापक क्षति भी पहुंचाई थी, जिसमें कई लोगों की मौत भी शामिल है.

    विरासत में मिली विस्फोटक (Family Tree of Explosive in Hindi)

    इनके पिता इमानुएल नोबल 1842 में दिवालिया हो गए थे. फिर, 9 साल के नोबेल अपनी मां आंद्रिएता एहल्सेल के साथ नाना के घर सेंट पीटर्सबर्ग चले गए. यहां उन्होंने रसायन विज्ञान और स्वीडिश, रूसी, अंग्रेजी, फ्रेंच और जर्मन भाषाएं सीखीं. ख़ास बात यह है कि अल्फ्रेड नोबेल के पिता भी विस्फोटक कारोबारी थे. इस तरफ अल्फ्रेड नोबेल को विस्फोटकों का ज्ञान और कारोबार विरासत में मिला था.

    नोबेल प्राइज के विजेताओं का चयन कैसे होता है? (Selection Procedure of Nobel Prize Winners in Hindi)

    इस पुरस्कार के विजेताओं का चयन अति गोपनीय तरीके से होता है. नोबेल प्राइज के लिए नॉमिनेटेड व्यक्तियों को laureates कहा जाता है. नोबेल प्राइज कमिटी, पुरस्कार प्रदान करने से एक साल पहले सितंबर महीने में 3,000 से अधिक लोगों को नॉमिनेशन फॉर्म भेजती है.

    ये लोग आमतौर पर अपने-अपने संबंधित क्षेत्रों में प्रसिद्ध शिक्षाविद या विशेषज्ञ होते हैं. वे 31 जनवरी से पहले नॉमिनेशन फॉर्म भरकर वापस भेजते हैं, जो फॉर्म जमा करने की समय सीमा है.

    शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेशन फॉर्म पूर्व पुरस्कार विजेताओं और तमाम देश की सरकारों को भेजा जाता है, जो अपनी सिफारिश भेजते हैं. साथ ही शांति पुरस्कार के लिए ये फॉर्म नॉर्वेजियन नोबेल समिति के पूर्व सदस्यों को भी भेजे जाते हैं. यही संस्थान शांति पुरस्कार विजेता का फैसला करती है.

    सिफारिशों में 300 लोगों का चयन पुरस्कार के लिए होता है. फिर, इसकी गहन स्क्रूटिनी होती है. इसके बाद विजेताओं के नाम घोषणा करने वाले संस्थाओं को भेजा जाता है. इन संस्थाओं के स्वीकृति के बाद तय तारीख को विजेताओं का नाम घोषित किया जाता है. ये घोषणा अक्टूबर माह में की जाती है. फिर अल्फ्रेड नोबेल के पुण्यतिथि, 10 दिसंबर को विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए जाते है.

    सभी सिफारिशों को अगले 50 सालों तक सीलबंद लिफ़ाफ़े में गुप्त रखा जाता है. ऐसा किसी विवाद से बचने के लिए किया जाता है.

    नोबेल प्राइज वितरण से जुड़े संगठन (Institutions related to Nobel Prize in Hindi)

    अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार, रग्नार सोहलमैन और रुडोल्फ लिलजेक्विस्ट ने नोबेल फाउंडेशन की स्थापना की. यह ट्रस्ट अल्फ्रेड नोबेल के सम्पत्ति और पुरस्कार वितरण का निगरानी करती है. यह एक पांच सदस्य बोर्ड है. इसमें स्वीडिश या नार्वेजियन नागरिकों का चयन किया जाता है.

    बोर्ड के अध्यक्ष को स्वीडिश राजा द्वारा नियुक्त किया जाता है. अन्य चार सदस्यों को पुरस्कार प्रदान करने वाले संगठन के ट्रस्टियों द्वारा नियुक्त किया जाता है. साल 1995 से चयन के नियम में बदलाव किया गया. अब नोबेल फाउंडेशन के सभी सदस्यों का चयन संस्थानों के ट्रस्टियों द्वारा ही किया जाने लगा है.

    भौतिकी व रसायन का नोबेल प्राइज, स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा दिया जाता है. स्टॉकहोम स्थित करोलिंस्का इंस्टिट्यूट चिकित्सा या शरीर विज्ञान के लिए विजेताओं को चुनती है. स्टॉकहोम एकेडमी द्वारा साहित्य का नोबेल प्राइज और नॉर्वेजियन स्टॉर्टिंग द्वारा चुने गए पांच व्यक्ति की एक समिति द्वारा शांति के लिए नोबेल प्राइज दिया जाता है.

    अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज को द सेवरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार भी कहा जाता है. इसे स्वीडन के बैंक “द सेवरिग्स रिक्स बैंक” द्वारा स्थापित किया गया है. इसी बैंक में अल्फ्रेड नोबेल का धन जमा किया गया है, जहाँ से प्राप्त ब्याज पर नोबेल प्राइज संचालित होता है.

    अर्थशास्त्र में नोबेल प्राइज की स्थापना (Establishment of Nobel Prize of Economics in Hindi)

    पहले सिर्फ पांच क्षेत्रों में यह पुरस्कार दिया जाता था. साल 1969 से यह अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भी दिया जाने लगा. 1968 में, स्वेरिगेस रिक्सबैंक (Sveriges Riksbank- स्वीडन के केंद्रीय बैंक) ने नोबेल पुरस्कार के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में अर्थशास्त्र में नोबेल प्राइज की स्थापना की. 1968 में इस बैंक की 300वीं वर्षगांठ के अवसर पर दी गई दान पर यह पुरस्कार संचालित है.

    आर्थिक विज्ञान में नोबेल प्राइज, रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज, स्टॉकहोम, स्वीडन द्वारा नोबेल पुरस्कारों के सिद्धांतों के अनुसार प्रदान किया जाता है. ऐसा प्रथम पुरस्कार 1969 में राग्नार फ्रिस्क और जान टिनबर्गेन को प्रदान किया गया था.

    अल्फ्रेड नोबेल का दान कहाँ है निवेशित (Where is Alfred Nobels Donations is Invested in Hindi)

    2019 को नॉर्वेजियन अखबार डैगेन्स न्येटर ने नोबेल फाउंडेशन के हवाले से जानकारी दी. इस जानकारी के अनुसार, अल्फ्रेड नोबेल के दान का 50 फीसदी शेयर बाजार, 20 फीसदी बांड बाजार और शेष अन्य जगहों पर निवेशित है.

    चिकित्सा का नोबेल प्राइज से जुड़े तथ्य (Nobel Prize of Medicine in Hindi)

    साल 1901 से चिकित्सा का नोबेल प्राइज दिया जा रहा है. अबतक 113 बार 225 लोगों को यह प्रदान किया गया है. 40 बार एकल, 34 बार दो-दो और 39 बार इसे तीन-तीन लोगों को दिया गया है. जर्मनी के एमिल अडोल्फ वॉन बेहरिंग को पहली बार यह पुरस्कार 1901 में दिया गया था.

    1947 में पहली बार इस पुरस्कार को किसी महिला ने जीता था. यह पुरस्कार अमेरिकी नागरिक गेर्टी कोरी (Gerty Cori) को दिया गया था. यह पुरस्कार उन्हें उनके पति कार्ल कोरी व एक अन्य के साथ संयुक्त रूप से दिया गया था. तब से अबतक 12 महिलाऐं यह पुरस्कार जीत चुकी है.

    अमेरिका के आर्थर कॉर्न बर्ग को 1959 में चिकित्सा का नोबेल प्राइज व उनके पुत्र रोजर कोबर्ग को 2006 में रसायन का नोबेल प्राइज मिला. इसी प्रकार, 1973 में चिकित्सा का नोबेल प्राइज पाने वाले नीदरलैंड्स के निकोलस टिम्बर जेन के भाई जान टिम्बर जेन को 1969 में अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज प्राप्त हुआ. मे-ब्रिट मोजर और एडवर्ड आई. मोजर ने 2014 में एक दम्पत्ति के रूप में चिकित्सा का नोबेल प्राइज जीतकर इतिहास दोहराया है.

    चिकित्सा में सबसे कम उम्र में नोबेल प्राइज प्राप्त करने वाले व्यक्ति कनाडा के फ्रेडरिक ग्रांट बैटिंग है. उन्होंने इसे 32 साल के उम्र में 1923 में प्राप्त किया था. दूसरी ओर, सबसे उम्रदराज व्यक्ति अमेरिका के पिटोन रॉउस है. पिटोन को 87 वर्ष की आयु में दो अन्य वैज्ञानिकों के साथ पुरस्कृत किया गया था.

    अब तक कुल 9 बार यह पुरस्कार किसी को भी नहीं दिया गया है. ऐसा साल 1915, 1916, 1917, 1918, 1921, 1925, 1940, 1941 व 1942 में किया गया था.

    भौतिक विज्ञान में नोबेल प्राइज से जुड़े तथ्य (Nobel Prize of Physics in Hindi)

    1901 से अबतक कुल 116 बार 222 वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है. जर्मनी के विल्हेम रोन्टजेन को पहली बार यह पुरस्कार 1901 में दिया गया था.

    अमेरिका के जॉन बार्डिन एकलौते इंसान है, जिन्हें यह पुरस्कार दो बार दिया गया है. उन्हें साल 1956 और 1972 में यह प्राइज दिया गया था.

    यह पुरस्कार 47 बार एकल, 32 बार दो-दो व 37 बार तीन-तीन व्यक्ति को दिया गया है. 6 बार, साल 1916, 1931, 1934, 1940, 1941 व 1942 इसे किसी को भी नहीं दिया गया.

    ब्रिटेन के विलियम लॉरेंस ब्रेग इस विधा में पुरस्कार जीतने वाले सबसे कम उम्र के वैज्ञानिक है. उन्हें साल 1915 में 25 साल के आयु में उनके पिता विलियम हेनरी ब्रेग के साथ संयुक्त रूप से दिया गया था. वहीं, 2018 में 96 वर्ष की उम्र में आर्थर आश्किन यह पुरस्कार पाने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति है. आर्थर एक अमेरिकी भौतिकविद है.

    ब्रेग पिता-पुत्र जोड़ी के अलावा, तीन अन्य पिता पुत्र के जोड़े ने भी यह पुरस्कार प्राप्त किया है. हालाँकि, अन्य जोड़ी को एकसाथ यह पुरस्कार नहीं दिया गया है. नील्स बोर को 1922 व उनके पुत्र एन. बोर को 1975 में, मानने सिग बैन को 1924 व इनके पुत्र काई एम. सुगबैन को 1981 में और जे. जे. थॉमसन को 1906 व इनके पुत्र जॉर्ज थॉमसन को 1937 में यह पुरस्कार दिया गया.

    1903 में यह पुरस्कार पाने वाली फ़्रांस की मैरी क्यूरी पहली महिला थी. मैरी क्यूरी को साल 1911 में रसायन विज्ञान का भी नोबेल प्राइज दिया गया था. अब तक चार महिलाओं को भौतिकी में नोबेल प्राइज मिल चुका है.

    रसायन विज्ञान में नोबेल प्राइज से जुड़े तथ्य (Facts about Chemistry Nobel Prize in Hindi)

    साल 1901 से इस विधा में पुरस्कार दिया जा रहा है. अबतक 114 बार 191 लोगों को यह मिल चुका है. यह 63 बार एकल रूप में, 25 बार दो-दो और 26 बार तीन-तीन लोगों को दिया गया है. यह पुरस्कार सबसे पहले नीदरलैंड्स के जैकोबस एच. वी. हॉफ को दिया गया था. साथ ही, 8 बार यह पुरस्कार किसी को भी नहीं दिया गया. ऐसा साल 1916, 1917, 1919, 1924, 1933, 1940, 1941 व 1942 में हुआ.

    फ़्रांस के फ्रेडरिक जूलियट क्यूरी (Fredric Joliot Curie) सबसे कम उम्र में इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तित्व है. उन्हें साल 1935 में उनकी पत्नी आयरन जूलियट क्यूरी के साथ यह पुरस्कार दिया गया था. वहीं, साल 2019 में जॉन बी गुडएनफ (John B. Goodenouph) सबसे अधिक 97 साल में यह पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति है. किसी भी विधा में पुरस्कार पाने वालों में, गुडएनफ सबसे उम्रदराज व्यक्ति है.

    1911 में मैरी क्यूरी को यह पुरस्कार दिया गया था. वह पहली महिला थी जिन्हें रसायन का नोबेल प्राइज दिया गया. उनके साथ ही, कुल 7 महिलाओं को यह पुरस्कार प्राप्त हो चुका है.

    1935 में मैरी क्यूरी के बेटी और दामाद को भी यह पुरस्कार दिया गया. उनकी बेटी का नाम आयरन जूलियट क्यूरी और दामाद का नाम फ्रेडरिक जूलियट क्यूरी है. मैरी क्यूरी की छोटी बेटी ईव के पति हेनरी रिचर्डसन लेवोइस को 1965 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला. इस तरह, मैरी क्यूरी का परिवार सबसे अधिक बार नोबेल प्राइज का विजेता बना. इस परिवार के कुल 4 लोगों को यह पुरस्कार विभिन्न कार्यों के लिए मिल चुका है.

    ये भी जान ले कि अमेरिका के लाइनस पोलिंग एकमात्र व्यक्ति है, जिन्हें साल 1954 का रसायन व साल 1962 का शांति का नोबेल प्राइज प्राप्त हुआ है.

    ब्रिटिश फ्रेडरिक सेंगर दो बार, 1958 व 1980, में इस पुरस्कार के विजेता बने. वहीं, 2001 व 2022 में दो बार इस पुरस्कार को जीतकर अमरीकी वैज्ञानिक के. बैरी शार्पलैस ने यह कारनामा दोहरा दिया है.

    साहित्य का नोबेल प्राइज से जुड़े तथ्य (Facts about the Nobel Prize of Literature in Hindi)

    1901 से दिया जाने वाला यह पुरस्कार 2022 तक 115 बार 119 साहित्यकारों को दिया जा चुका है. 111 बार एकल और 1904, 1917, 1974 और 1996 में चार बार संयुक्त रूप से इसे दो-दो लोगों को दिया गया. सात बात यह पुरस्कार किसी को भी नहीं दिया गया. ऐसा मौका साल 1914, 1918, 1935, 1940, 1941, 1942 व 1943 में हुआ. साल 2018 में भी यह पुरस्कार किसी को नहीं दिया गया था. हालाँकि, 2018 का पुरस्कार 2019 में प्रदान कर दिया गया.

    साहित्य का नोबेल प्राइज पाने वाले प्रथम व्यक्ति सुली प्रुधोम है. वे एक फ़्रांसिसी कवि और निबंधकार थे. वहीं, ब्रिटिश पत्रकार रुडयार्ड किपलिंग मात्र 41 वर्ष की उम्र में इसे प्राप्त कर सबसे युवा विजेता बने. मुंबई में जन्में रुडयार्ड को 1907 में ‘जंगल बुक’ के लिए यह पुरस्कार दिया गया था. ब्रिटेन के ही डोरिस लेसिंग नोबेल प्राइज पाने वाले सबसे उम्रदराज साहित्यकार है. उन्हें साल 2007 में 88 वर्ष के उम्र में यह सम्मान दिया गया.

    अबतक कुल 17 महिलाओं को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है. 1909 में सम्मानित स्वीडिश लेखिका सेल्मा लेगरफोफ इस पुरस्कार से सम्मानित पहली महिला है.

    शांति का नोबेल प्राइज से जुड़े तथ्य (Nobel Peace Prize Facts in Hindi)

    यह सबसे प्रतिष्ठित नोबेल प्राइज है, जो विज्ञान से इतर मानवता के लिए किए गए काम के बदले दी जाती है. यह एकमात्र पुरस्कार है जिसे व्यक्ति के अलावा किसी संस्था को भी दिया जा सकता है. 1901 में यह पुरस्कार पहली बार स्विट्जरलैंड के मानवाधिकार कार्यकर्ता हेनरी ड्यूनांट को दिया गया था. 1863 में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ रेड क्रॉस का स्थापना का श्रेय हेनरी ड्यूनांट को जाता है. रेडक्रॉस भी तीन बार यह पुरस्कार जीत चुका है. यह इस विधा में सबसे अधिक बार है.

    1901 से अबतक 103 बार 110 व्यक्तियों और 30 संस्थाओं को यह पुरस्कार दिया गया है. सबसे अधिक 19 बार किसी के योग्य न पाए जाने पर यह पुरस्कार किसी को नहीं दिया गया.

    यह पुरस्कार एकल रूप से 69 बार, दो-दो को 2 बार और 2022 में तीन लोगों को एक बार दिया गया है. 2014 की विजेता मलाला यूसुफजई अबतक की सबसे युवा विजेता है. उन्होंने मात्र 17 वर्ष की उम्र में यह पुरस्कार जीता था. मलाला अपने गृह देश पाकिस्तान में अफगानी आतंकियों का शिकार बनी थी. वहीं, 1995 के विजेता पोलैंड के जोसफ रॉटब्लैट 87 साल की उम्र में इसे प्राप्त कर सबसे उम्रदराज व्यक्ति बने थे.

    साथ ही, 18 मिलाएं इस पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी है. 1905 में ऑस्ट्रेलिया की बर्था वान शटलर इस विधा का पुरस्कार पाने वाली पहली महिला है.

    अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज से जुड़े तथ्य (Important Facts about Riksbank Nobel Prize of Economics in Hindi)

    यह एकमात्र पुरस्कार है जो अल्फ्रेड नोबेल के वसीयत के अनुसार नहीं दिया जाता है. हालाँकि, इसे देने के लिए भी मानक अन्य पुरस्कारों के समान है. इसका मूलनाम “The Sveriges Riksbank Prize in Economic Science in Memory of Alfred Nobel” है. इसके विजेता का चयन ‘रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ़ साइंसेज’ द्वारा किया जाता है. 10 दिसंबर को स्वीडन के ओस्लो में यह पुरस्कार प्रदान किए जाते है.

    1968 में स्थापित यह पुरस्कार 1969 से हरेक साल दिया जाता है. इसकी स्थापना सवेरिगेस रिक्सबैंक के 300वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में की गई थी. अब तक 54 बार 92 अर्थशास्त्रियों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है. एकल रूप से 25 बार, दो-दो को 20 बार व तीन-तीन को 9 बार यह पुरस्कार दिया गया है.

    नोबेल तुल्य यह पुरस्कार अबतक दो बार ही महिलाओं को दिया गया है. इस पुरस्कार को जीतने वाली पहली महिला अमेरिका की इलिनार ओस्ट्रॉम है, जिन्हें 2009 में यह सम्मान दिया गया.

    भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी की पत्नी ईस्थर डुफ्लो यह पुरस्कार जीतने वाली दूसरी महिला और सबसे कम उम्र की विजेता है. उन्होंने यह पुरस्कार साल 2019 में 46 वर्ष के उम्र में अभिजीत बनर्जी के साथ संयुक्त रूप से जीता. वहीं, 2007 में 90 साल के उम्र में यह पुरस्कार जीतने वाले लियोनल हरविज इसके सबसे उम्रदराज विजेता है.

    नोबेल प्राइज 2022 के विजेताओं की सूची (Nobel Prize Winners List 2022 in Hindi)

    श्रेणीविजेतायोगदान
    फिजियोलॉजी और मेडिसिनप्रोफेसर स्वंते पाबो (स्वीडिश)स्वीडिश जेनेटिकिस्ट ने मानव जाति के दो शुरुआती पूर्वजों की आनुवंशिक पहचान की खोज की, इस प्रक्रिया में मानव विकास पर एक नया रास्ता खोला.
    भौतिक विज्ञानएलेन आसपेक्ट (फ्रांस), जॉन क्लॉसर (यूएसए), एंटन जिलिंगर (ऑस्ट्रिया)इन्होंने क्वांटम यांत्रिकी में प्रयोग किए, कंप्यूटिंग और क्रिप्टोग्राफी में तेजी से विकसित नए एप्लिकेशन के लिए आधार तैयार किया.
    रसायन विज्ञानकैरोलिन बर्टोज़ी (यूएसए), मोर्टन मेल्डल (डेनमार्क) और बैरी शार्पलेस (यूएसए)क्लिक केमिस्ट्री और बायो-ऑर्थोगोनल केमिस्ट्री के विकास में अहम योगदान दिया.
    साहित्यएनी एर्नो (फ्रांस)साहस और नैदानिक तीव्रत के लिए जिसके साथ वह व्यक्तिगत स्मृति की जड़ों, व्यवस्थाओं और सामूहिक प्रतिबंधों को उजागर करती हैं.
    अर्थशास्त्रबेन बर्नानके, डगलस डायमंड और फिलिप डाइबविग (तीनों यूएसए)बैंकों और वित्तीय संकट पर शोध के लिए

    नोबेल प्राइज जीतने वाले भारतीय (Indian Winners of Nobel Prize in HIndi)

    • बंगाल के रवीन्द्रनाथ टैगोर प्रथम भारतीय और गैर-यूरोपीय व्यक्ति थे, जिन्हें यह पुरस्कार दिया गया. यह पुरस्कार उन्हें 1913 में साहित्य के क्षेत्र में दिया गया. वे एक कवि और लेखक थे.
    • प्रकाश का प्रकीर्णन और उसका प्रभाव ‘रमन’ प्रभाव कहलाता है. इस खोज के लिए भौतिकी क्षेत्र में किसी भारतीय को प्रथम नोबेल प्राइज 1930 में वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन को दिया गया.
    • 1968 में चिकित्सा क्षेत्र में नोबेल प्राइज प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय का गौरव हरगोबिंद खुराना को प्राप्त हुआ. उन्हें रॉबर्ट डब्ल्यू हॉली (Robert W Holley) और मार्शल डब्ल्यू निरेनबर्ग (Marshall W Nirenberg) के साथ सयुंक्त रूप से “प्रोटीन संश्लेषण में आनुवंशिक कोड और इसके कार्य की व्याख्या के लिये सम्मानित किया गया.
    • कोलकाता में मिशन ऑफ़ चैरिटीज स्थापित करने वाली मदर टेरेसा को साल 1979 में शांति का नोबेल प्राइज दिया गया. वे अल्बानिया में पैदा हुई रोमन कैथोलिक नं थी. उन्होंने अपना सारा जीवन निराश्रितों और गरीबो के सेवा में बिता दिया. उन्हें “पीड़ित मनुष्यों की मदद करने के लिए” सम्मानित किया गया. बाद में वह भारतीय नागरिक भी बनी.
    • सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर विख्यात भारतीय-अमेरिकी खगोलशास्त्री थे. चंद्रशेखर सीमा की खोज के लिए उन्हें विलियम ए. फाउलर के साथ संयुक्त रूप से सन् 1983 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला. यह सिद्धांत श्वेत वामन तारे और ब्लैक होल से जुड़ा है. चंद्रशेखर, सर चंद्रशेखर वेंकट रमन के भतीजे थे.
    • 1998 में अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज जितने वाले अमर्त्य सेन प्रथम भारतीय व एशियाई है. उन्हें “कल्याणकारी अर्थशास्त्र” में शोध के लिए सम्मान मिला.
    • 2009 में रसायन विज्ञान के क्षेत्र में भारत के वेंकटरामन रामकृष्णन (Venkatraman Ramakrishnan) को पहला नोबेल प्राइज मिला. यह पुरस्कार राइबोसोम की संरचना और इस कार्य का अध्ययन के लिये दिया गया. उन्हें थॉमस ए स्टिट्ज़ (Thomas A Steitz) और एडा ई योनथ (Ada E Yonath) के साथ सयुंक्त रूप से पुरस्कृत किया गया.
    • भारत के बाल अधिकार कार्यकर्त्ता कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) को 2014 में पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्त्ता मलाला यूसुफज़ई (Malala Yousafzai) के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया. उन्हें “बच्चों और युवाओं के दमन के खिलाफ उनके संघर्ष के लिये तथा सभी बच्चों की शिक्षा के अधिकार” के लिये पुरस्कृत किया गया.
    • भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) को 2019 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया. उन्हें एस्थर डुफ्लो (Esther Duflo) और माइकल क्रेमर (Michael Kremer) के साथ सयुंक्त रूप से सम्मानित किया गया. तीनों को “ वैश्विक गरीबी को कम करने के लिये प्रायोगिक दृष्टिकोण (Experimental Approach to Alleviating Global Poverty)” विषय पर विस्तृत शोध के लिये सम्मानित किया गया.
    • साथ ही, 1902 में चिकित्सा का नोबेल प्राइज पाने वाले ब्रिटिश रोनाल्ड रॉस भारत में जन्मे थे. ब्रिटिश रुडयार्ड किपलिंग, जिन्हें 1907 में साहित्य का नोबेल प्राइज मिला, भारत में जन्मे थे.
    • तिब्बत में जन्मे 14वें दलाई लामा को 1989 का शांति का नोबेल प्राइज दिया गया. वे भारत में प्रवास कर रहे है.

    नोबेल प्राइज से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts about Nobel Prize in Hindi)

    1. वितरण समाहरोह हरेक साल स्वीडन के स्टॉकहोम में आयोजित किया जाता है.
    2. शांति का नोबेल प्राइज, नार्वे के ओस्लो में आयोजित समारोह में दिया जाता है.
    3. दोनों पुरस्कार समारोह, अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि, 10 दिसंबर को आयोजित होती है.
    4. यह पुरस्कार मरणोपरांत नहीं दिया जा सकता.
    5. अधिकतम तीन व्यक्ति या संस्था को ही एक विधा में पुरस्कृत किया जा सकता है.
    6. रायल स्वीडिश अकेडमी आफ साइंसेज फीजिक्स, केमिस्ट्री और इकनामिक साइंस में विजेताओं का चयन करती है.
    7. स्वीडिश रायल कैरोलिन मेडिको-सर्जिकल इंस्टिट्यूट, चिकित्सा व शरीर विज्ञान के विजेता का चयन करती है.
    8. स्वीडिश अकेडमी, साहित्य तथा नार्वे पार्लियामेंट्स, शांति के पुरस्कार का घोषणा करती है.
    9. अल्फ्रेड नोबेल के समय स्वीडन व नार्वे एक संघ था. 1905 में भंग हो गया. इसलिए पुरस्कारों का विभाजन भी हो गया. नार्वे के हिस्से में शांति का पुरस्कार, व अन्य पुरस्कार स्वीडन के हिस्से आये.
    10. नोबेल फाउंडेशन स्वीडन में है, जो पुरस्कार के वित्त और नोबेल के वसीयत का पालन सुनिश्चित करती है.
    11. हान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटीन, लेखक जेबी शा, विंस्टन चर्चिल, अर्नेस्ट हेमिंग्वे, दलाई लामा और नेल्सन मंडेला जैसे व्यक्तित्व नोबेल प्राइज पा चुके है.
    12. भारत के महान व्यक्तित्व डॉ. भीमराव आंबेडकर और महात्मा गाँधी को यह पुरस्कार नहीं दिया गया. इसलिए, नोबेल फाउंडेशन की आलोचना भी की जाती है.

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