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मानसिक स्वास्थ्य : सुखी जीवन का आधार

    मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) में भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक मेलजोल में हमारा व्यवहार सामान्य होना शामिल है. यह हमारे सोचने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके को प्रभावित करता है. इससे हमारा तनाव झेलने की क्षमता, दूसरों से व्यवहार व हमारा फैसला प्रभावित होता हैं. मानसिक स्वास्त्य का सही होना, बचपन से लेकर बुढ़ापा, जीवन के हरेक चरण में जरुरी है.

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    क्या है मानसिक स्वास्थ्य? (What is Mental Health in Hindi)

    उदासी, डर, हताशा और अन्य भावनाएं बड़े होने बड़े होने के साथ पनपने वाला सामान्य लक्षण है. लेकिन, लंबे समय तक तीव्र नकारात्मक भावनाओं का अनुभव, मानसिक स्वास्थ्य के विकृत होने का लक्षण है. यह व्यक्ति का सामाजिक, पारिवारिक, पेशेवर व शैक्षणिक जीवन प्रभावित करता है. यदि सच में ऐसा है, तो प्रभावित व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य चिकित्स्क से मिलने की जरुरत हो सकती है.

    मानसिक स्वास्थ्य हमारे सोचने, महसूस करने, सीखने, काम करने, दोस्ती बनाने और सफल पेशेवर बनने के लिए एक मौलिक जरुरत है. मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ केवल मानसिक विकारों की अनुपस्थिति से अधिक है। यह सभी के समग्र स्वास्थ्य और कल्याण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा और आधार है।

    एक व्यक्ति अपने पूरे जीवन में सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य और खुशियों का विभिन्न प्रकार से अनुभव करता है. दुर्भाग्य से 10 में से 1 का मानसिक स्वास्थ्य सही नहीं होता है. लेकिन, इनमें अधिकतर को वह मदद नहीं मिल पाती है, जिसके वे हकदार है.

    ये दुःखद है कि मानसिक रूप से अस्वस्थ्य व्यक्ति अक्सर गतल निर्णय लेते है. इससे उनका नुकसान जाता है जो अवसाद को और भी बढ़ा देता है.

    मानसिक स्वास्थ्य क्यों जरुरी हैं? (Importance of Mental Health in Hindi)

    सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य से अच्छा व्यवहार, संवेदना और विचार पनपते है. इससे हमारे कार्य-क्षमता, छवि व रिश्तों में सुधार होता है.

    हालाँकि, मानसिक स्वास्थ्य का हमारे रोज-मर्रा के जीवन पर काफी अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है. लेकिन, मानसिक स्वास्थ्य में विकार से कई तरह के बिमारी होने का खतरा भी होता है. अवसाद से मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी बिमारी होने का खतरा होता है. इसी तरह, इन बिमारियों के होने से, मानसिक बीमारी के होने का जोखिम बढ़ जाता हैं.

    हमारा मानसिक स्वास्थ्य हमारे खाने-पीने, बातचीत करने और सोने जैसे आदतों को भी प्रभावित करती है. यह हमारे कठिन फैसले लेने के क्षमता को भी प्रभावित करती है.

    इसके बिगड़ने से हमारे मनःस्तिथि भी बिगड़ जाती है और हम चिंता, अशांति व आत्म-विश्वास की कमी का अनुभव करते हैं.

    विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day in Hindi)

    प्रत्येक साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत साल 1992 में वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ के द्वारा की गई है. यह इसके तत्कालीन उप महासचिव रिचर्ड हंटर के प्रयास से सम्भव हो सका. यह दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी मान्यता प्राप्त है. इसका ख़ास उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े जागरूकता व शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना है.

    डब्ल्यूएचओ के विश्व मानसिक स्वास्थ्य रिपोर्ट, 2022 के अनुसार, 2019 में एक अरब लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त थे. इनमें 14 फीसदी किशोर थे. इससे पीड़ित एक फीसदी लोगों की किसी वजह से मौत हो गई. मरने वालों में आधे से अधिक पचास साल से कम उम्र के थे.

    • साल 2020 में महामारी के कारण अवसाद व चिंता में 25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
    • मानसिक स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित लोगों का जीवनकाल औसतन दो दशक कम होता है.
    • दुनिया में 71 फीसदी मनोरोगियों को चिकित्सा प्राप्त नहीं होता है. उच्च आय वाले देशों में 70 फीसदी व गरीब देशों में मात्र 12 फीसदी लोगों को मनोचिकित्सा प्राप्त होती है.
    • मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए, WHO ने 2013-2030 की अवधि तक 194 सदस्य देशों के लिए लागु किया है. हालाँकि, इसे लागु किए जाने की गति काफी धीमी व असंतोषजनक पाई गई है.
    • शारीरिक स्वास्थ्य की भाँती, सुखी जीवन के लिए मानसिक स्वास्थ्य भी जीवन के हरेक उम्र में जरूरी है.
    • 10 से 19 साल के 7 में से एक बच्चा मानसिक समस्या से ग्रस्त है. गरीब देशों में यह और भी चिंतनीय है.

    मानसिक स्वास्थ्य विकार के कारण (Reason of Mental Health illness in Hindi)

    लोगों के मानसिक स्वास्थ्य खराब होने के कई कारण होते है. इनमे कुछ ख़ास जाने-पहचाने कारण है-

    • बचपन में हुआ दुर्व्यवहार, आघात, या उपेक्षा
    • सामाजिक अलगाव या अकेलापन
    • जातिवाद सहित अन्य भेदभाव और कलंक का अनुभव
    • सामाजिक नुकसान, गरीबी या कर्ज
    • शोक (अपने किसी करीबी को खोना)
    • गंभीर या दीर्घकालिक तनाव
    • लंबे समय तक शारीरिक स्वास्थ्य ठीक न होना
    • बेरोजगारी या नौकरी खोना
    • बेघर या गरीब आवास
    • किसी का लम्बे समय तक देखभाल करना
    • नशा, नशीली दवा और शराब का सेवन
    • घरेलू हिंसा, धमकी या या अन्य दुर्व्यवहार

    एक व्यस्क अपने परिवेश के तात्कालिक घटनाओं से मानसिक तौर पर बीमार हो सकता है. जैसे सैन्य लड़ाई में शामिल होना, बम विस्फोट से बच निकलना या इसमें घायल होना, दंगा व लॉन्चिंग झेलना इत्यादि इसमें शामिल है.

    कई बार आंतरिक चोट भी हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है, जैसे सिर में हल्का या गंभीर चोट लग्न. मिर्गी जैसे न्यूरोलॉजिकल स्थिति, नींद की कमी या अधिकता व मोटापा भी इससे जुड़े हो सकते है. मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े समस्या का किसी के पास निजी कारण भी हो सकता है, जैसे तलाक इत्यादि.

    मानसिक बिमारी के चिकित्सीय कारण (Genetic Reasons of Mental Health in Hindi)

    कई बार हम ऐसे मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या का सामना करते है, जो हमसे या हमारे परिवार से जुड़े होते है. ऐसी स्तिथि में हमें समुचित इलाज की जरूरत भी हो सकती है और दवा का सेवन करना पड़ सकता है.

    विरासत: यदि आपके रक्त-सम्बन्ध में कोई मानसिक रोगी है तो आपके भी मानसिक रूप से बीमार होने का खतरा होता है. कुछ जीन मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े होते है. इनमें कोई भी खराबी आपके मानसिक स्वास्थ्य को विकृत कर सकती है.

    जन्म से पहले की स्थिति: बच्चे के गर्भ में रहते हुए यदि माता ने, पर्यावरणीय तनाव, सूजन की स्थिति, विषाक्त पदार्थों, शराब या नशीली दवाओं के संपर्क हो तो, यह बच्चे में मानसिक रोग का कारण हो सकता है.

    मस्तिष्क रसायन: न्यूरोट्रांसमीटर स्वाभाविक रूप से मस्तिष्क के रसायन होते हैं, जो आपके मस्तिष्क और शरीर के अन्य हिस्सों में संकेतों का सञ्चालन करते है. इन रसायनों से जुड़े तंत्रिका नेटवर्क खराब हो जाते हैं, तो तंत्रिका रिसेप्टर्स और तंत्रिका तंत्र का कार्य-प्रणाली बदल जाता है. इससे अवसाद और अन्य भावनात्मक विकार हो जाते हैं.

    ये भी जान ले कि कुछ लोग मानसिक स्वास्थ्य के लिए मष्तिष्क रसायन को जिम्मेदार नहीं मानते है.

    कार्यस्थल और मानसिक स्वास्थ्य (Workplace and Mental Health in Hindi)

    जून 2022 में डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रकाशित विश्व मानसिक स्वास्थ्य रिपोर्ट ने के अनुसार, 2019 में एक अरब लोग पीड़ित थे. इनमें 15% काकाजी उम्र के व्यस्क थे. कार्य, लोगों को व्यापक सामाजिक मुद्दों से जोड़ता है. भेदभाव और असमानता मानसिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं. कार्यस्थल पर बड़े अधिकारीयों द्वारा मिलने वाली धमकी और मनोवैज्ञानिक हिंसा जैसे उत्पीड़न भी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं.

    एक कामकाजी व्यक्ति अपने दिन का अधिकांश अपने कार्यस्थल पर बिताता हैं. इसलिए, कार्यस्थल का माहौल किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर दिखाता है. हालाँकि, संगठन अपने कार्यस्थल के माहौल को ठीक रखने का पूरा प्रयास करती है और कई तरह के नियम भी बनाती है. लेकिन, इसके बावजूद कार्यस्थल से जुड़े मामलों से मानसिक स्वास्थ्य में विकार आना आम बात है.

    कार्यस्थल से उपजने वाले मानसिक स्वास्थ्य विकार का के मुख्य कारण है-

    • कुशलता के अनुरूप काम न मिलता
    • काम का बोझ
    • काम करने की असुरक्षित स्थिति
    • सहकर्मियों का सिमित सहयोग और समर्थन
    • जातीय, धार्मिक, नस्लीय, समृद्धि या रंगभेद से जुड़े उत्पीड़न
    • धमकाना (जैसे काम से निकालना)
    • भेदभाव/ बहिष्करण व नकारात्मक व्यवहार
    • नौकरी में अस्पष्ट भूमिका
    • अस्थायी व असुरक्षित नौकरी
    • कम व जीवन-निर्वाह के लिए अपर्याप्त वेतन
    • व अन्य परिस्तिथिजन्य कारण

    बच्चे और मानसिक स्वास्थ्य (Children and Mental Health in Hindi)

    भारत में प्रति घंटे एक छात्र आत्महत्या कर लेता है. इसका कारण माता-पिता का अच्छा प्रदर्शन के लिए दवाब, सोशल मीडिया, घरेलु व बाहरी भेदभाव, यौन-शोषण हो सकता है. कई बार छात्र खुद की हैसियत की तुलना अन्यों से करके हीनताबोध का शिकार हो जाते है. भारत जैसे देशों में कई बार, जातिवादी उत्पीड़न के कारण भी छात्र आत्महत्या या हत्या देखने को मिलते है.

    इसलिए, अभिभावक को पालन-पोषण के वक्त हरेक पहलु का ध्यान रखना चाहिए. छात्र पर कम से कम या न के बराबर दवाब डाला जाना चाहिए. उन्हें शैक्षणिक रूप से सफल लोगों की कहानी सुनाकर भी पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जा सकता है.

    भारत में लड़के और लड़कियों में अक्सर भेदभाव किया जाता है. इससे दोनों के मनोदशा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और बच्चों के खुशियों पर प्रभाव पड़ता है. इसलिए, बच्चों के सामने ऐसे बात बिलकुल न करें जो नकारात्मक हो.

    अभिभावकों द्वारा दूसरे की सफलता दिखाकर बच्चों को ताने देना भी कई बार नुकसानदायक होता है. इसलिए, ऐसा करने से बचना व अधिक से अधिक अच्छे-बुरे का फर्क शैक्षणिक ढंग से समझाना ठीक होता है.

    शिक्षण संस्थान का मानसिक स्वास्थ्य से संबंध (Educational Institutes and Mental Health in Hindi)

    एक सुरक्षित और समावेशी शैक्षणिक वातावरण बच्चों के समग्र विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसमें उनका मानसिक स्वास्थ्य भी शामिल है. शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षक, प्रशासक और माता-पिता बच्चे की मानसिक और भावनात्मक अच्छाइयों को निखार सकते है. इसके लिए बच्चों को इंटरनेट का सदुपयोग, स्वास्थ्य समस्या से बचने और सामना करने का उपाय और स्वास्थ्य जीवन-शैली जीने की कला सीखना महत्वपूर्ण है.

    बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य की शिक्षा और सांस्कृतिक विविधता समझाकर भी उनका मनोविकास किया जा सकता है.

    माताओं की पीड़ा (Sorrow of Mothers in Hindi)

    कई बार एक माँ विकलांग बच्चे को जन्म दे देती है. यह कई बार हार्मोनल स्थिति में होता है. ऐसे मामले में कई बार पड़ोसियों या किसी अन्य परिचितों से ताने भी सुनना पड़ जाता है. इससे महिला अपना बच्चा छीनकर दूर किए जाने के भय जैसे मनोस्तिथि का सामना करती है.

    इससे महिला के मानसिक स्तिथि में उतार-चढ़ाव आने लगता है. यह कई बार मानसिक स्वास्थ्य की समस्या भी करार दे दिया जाता है. लेकिन, इन परिस्तिथियों में भी रूढ़िवादी परिवारों में महिला को अपने ही परिवार का समर्थन नहीं मिलता है. इसलिए, बच्चे के जन्म के समय माता के भावनाओं का कदर करना चाहिए. बच्चे के स्वास्थ्य में महिला का कम, और परिवार के देखभाल का अधिक असर होता है.

    खराब मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव (Effects of Bad Mental Health in Hindi)

    यदि हम मानसिक रूप से स्वस्थ्य न हो तो इसका हमारे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव दिखने लगता है. इनमें कुछ सामान्य प्रभाव हैं-

    • दुख और जीवन के आनंद में कमी
    • पारिवारिक विवाद
    • रिश्ता निभाने में कठिनाई
    • सामाजिक एकांत व अलगाव
    • तंबाकू, शराब और अन्य नशीले पदार्थों का बढ़ना
    • मानसिक व बौद्धिक कार्य ठीक से न कर पाना, जैसे- शिक्षा, लेखन, कार्यालय के सामान्य लिखा-पढ़ी
    • कानूनी और वित्तीय समस्याएं
    • गरीबी बढ़ना
    • आत्म-नुकसान और दूसरों को नुकसान की सोच पनपना, जिसमें आत्महत्या या हत्या शामिल है.
    • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, इसलिए आपके शरीर को संक्रमणों का विरोध करने में कठिनाई होती है.
    • हृदय रोग और अन्य चिकित्सीय स्तिथियों का पनपना.

    मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े बीमारी की पहचान (Identification of Mental Health illness in Hindi)

    अक्सर मानसिक बीमारी के साथ नीचे दिए गए लक्षण भी पनप जाते है:-

    • उदासी
    • भ्रमित सोच या ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी
    • अत्यधिक भय या चिंता, या अपराधबोध की भावना
    • मनःस्थिति में काफी अधिक उतार-चढ़ाव
    • दोस्ताना रवैया और सामाजिक मेलजोल में कमी
    • थकावट व नींद से जुडी समस्या
    • वास्तविकता से अलगाव (भ्रम), व्यामोह या मतिभ्रम
    • दैनिक समस्याओं या छोटे तनाव से निपटने में असमर्थता
    • समझने में परेशानी
    • नशा बढ़ना
    • खाने की आदतों में बड़े बदलाव
    • सेक्स ड्राइव में बदलाव
    • अत्यधिक क्रोध, शत्रुता या हिंसा
    • आत्मघाती सोच

    Bold Italic Mention आत्महत्या का सोच आते ही तुरंत अपने मनोचिकित्सिक से मिले. अपने ख़ास या जोड़े से मिलकर स्तिथि को साझा करें. आप इमरजेंसी नंबर पर कॉल कर के भी इस नकारात्मक स्थिति से बच सकते है. पैसे से जुडी समस्या हो तो दोस्तों या पर्सनल लोन लेकर थोड़े वक्त तक काम चला सकते है. लेकिन, ये याद रखे, आपको लोन को ब्याज सहित चुकाना भी होगा.

    मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के उपाय (Measures to maintain mental health in Hindi)

    मेन्टल बीमारी रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है. हालांकि, इससे प्रभावित लोगों को, तनाव नियत्रण, जीवन में लचीलापन, आत्मसम्मान को बढ़ावा देने जैसे तरीकों से इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. इन कदमों का अनुसरण भी किया जा सकता है:

    1. चेतावनी वाले लक्षणों पर ध्यान दें

    मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जुड़े लक्षण पता चलने पर अपने मनोचिकित्स्क से जरूर मिले. स्थिति सामान्य होने पर एक योजना बनाएं ताकि ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति आने पर आपको क्या करना है, ये ज्ञात रहे. चेतावनी वाले संकेतों को पहचानने के लिए अपने परिजनों व नजदीकी दोस्तों को स्तिथि से जरूर अवगत करवाएं.

    2. नियमित चिकित्सा इलाज करवाएं

    चेकअप की उपेक्षा न करें या अपने चिकित्स्क के पास जाना न छोड़ें. खासकर उस समय जब आप ठीक महसूस नहीं कर रहे हैं. आपको कोई नई स्वास्थ्य समस्या हो सकती है जिसका इलाज करने की आवश्यकता है, या आप दवा के दुष्प्रभाव का अनुभव कर रहे हैं.

    3. जरूरत पड़ने पर मदद लें

    मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का इलाज करना कठिन हो सकता है, यदि आप लक्षणों के और भी खराब होने तक प्रतीक्षा करते हैं. लम्बा उपचार इसके पुनरावृत्ति को रोकने में मदद कर सकता है.

    4. अपना ध्यान अच्छे से खुद रखें

    पर्याप्त नींद, पौष्टिक भोजन और नियमित शारीरिक गतिविधि मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरुरी होती है. इससे जुडी एक नियमित शेड्यूल/रूटीन बनाए रखने की कोशिश करें. यदि नींद, भोजन या शारीरिक गतिविधि से जुड़ा कोई समस्या हो तो तुरंत अपने केयरटेकर को बताएं.

    भारत और मानसिक स्वास्थ्य (India and Mental Health in Hindi)

    कोविड-19 महामारी के दौर में लोग घरों में कैद थे और आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे. इस दौर में मानसिक स्वास्थ्य भी चर्चा का विषय बनी. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या के बाद इस मामले ने लोगों का व्यापक ध्यान खिंचा.

    भारत में कोविड-19 महामारी के दौर में ही मनोदर्पण प्लेटफॉर्म लांच किया था. यह शैक्षिणिक गतिविधियों से जुड़े लोगों को मनोचिकित्सीय सलाह देने का प्लेटफॉर्म है. आगे, साल 2021 में भारत सरकार ने विभिन्न आयु समूहों में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये मानसिक स्वास्थ्य और सामान्य स्थिति वृद्धि प्रणाली (मानस) मोबाइल एप लॉन्च किया है.

    भारत में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु (Important Facts about Mental Health of India in Hindi)

    • भारत सरकार के द्वारा साल 2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 20 में से एक भारतीय मानसिक स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित है.
    • सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद-21 के तहत स्वास्थ्य को एक मूल अधिकार माना हैं.
    • भारत में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कर्मियों का अनुपात, एक लाख की आबादी पर, मनोचिकित्सक (0.3), नर्स (0.12), मनोवैज्ञानिक (0.07) और सामाजिक कार्यकर्ता (0.07) शामिल हैं.
    • भारत में स्वास्थ्य सेवा में जीडीपी का एक फीसदी से भी कम खर्च किया जाता है. मानसिक स्वास्थ्य के मामले में यह और भी कम हैं.
    • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP), 1982 और मानसिक स्वास्थ्यकर अधिनियम, 2017, इससे जुड़े महत्वपूर्ण योजनाएं है.
    • 2020 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने चिंता, तनाव, अवसाद, आत्महत्या के विचार और अन्य मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित लोगों के लिए किरण हेल्पलाइन की शुरुआत की.
    • भारत में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े जागरूकता का अभाव है. इस वजह से पूरा इलाज भी मरीज को नहीं मिल पाता है.
    • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार 15 करोड़ भारतियों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सहायता की जरुरत है.
    • धारा 309 आत्महत्या से जुड़ा है. फिलहाल इसे काफी कमजोर कर दिया गया है और कई मामलों में सजा नहीं दिया जाता है.
    • भारतीय मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 की धारा 21(4)-A में मानसिक बीमारियों और शारीरिक बीमारी के बीच कोई भेदभाव नही करने का प्रावधान है.
    • मानसिक रोगियों पर लांछन व वृद्ध मानसिक रोगी का परिवार द्वारा त्याग दुःखद पहलु है.

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