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बिहार में चाय की खेती: वर्तमान स्थिति, संभावनाएं, चुनौतियाँ और क्षेत्र
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बिहार में चाय की खेती: वर्तमान स्थिति, संभावनाएं, चुनौतियाँ और क्षेत्र

बिहार में चाय की खेती तेजी से बढ़ रहा है. यह मुख्य रूप से किशनगंज जिले में केंद्रित है. इसके अलावा पूर्णिया, कटिहार और अररिया में भी इसे बढ़ावा दिया जा रहा हैं. हिमालय के तलहटी में बसे इन इलाकों का भूगोल और मौसम इसके विकास का मुख्य कारण हैं. बिहार चाय उत्पादन के मामले […]

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नाइट्रोजन चक्र: चरण, घटक, महत्व और सूक्ष्मजीवों की भूमिका | Nitrogen cycle: phases, components, importance and role of microorganisms in Hindi
Ecology Geography

नाइट्रोजन चक्र: चरण, घटक, महत्व और सूक्ष्मजीवों की भूमिका

नाइट्रोजन चक्र पृथ्वी पर नाइट्रोजन का एक अनिवार्य जैव-भूरासायनिक चक्र है. इस प्रक्रिया में वायुमंडल की स्वतंत्र नाइट्रोजन को विभिन्न जैविक और अजैविक विधियों द्वारा नाइट्रोजनीय यौगिकों में स्थिर किया जाता है. फिर इन यौगिकों को पुनः स्वतंत्र नाइट्रोजन में परिवर्तित करके वायुमंडल में वापस लौटाया जाता है. यह एक जटिल चक्र है.  वायुमंडल में

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कार्बन चक्र: प्रक्रिया, महत्व और हालिया अनुसंधान
Ecology Geography

कार्बन चक्र: प्रक्रिया, महत्व और हालिया अनुसंधान

कार्बन चक्र (Carbon Cycle) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें पृथ्वी के जीवमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल के बीच कार्बन का प्रवाह और परिवर्तन शामिल है. इसलिए, इसे एक जैव भू-रसायन चक्र हैं. अन्य भू-जैव रसायन चक्रों की तरह यह भी पृथ्वी पर जलवायु, जीवन और पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है. कार्बन चक्र की प्रक्रियाएँ

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जल चक्र (हाइड्रोलॉजिकल चक्र) के चरण, स्थल, महत्व (सचित्र) | The Water Cycle or the Hydrological Cycle in Hindi Image
Ecology Geography

जल चक्र (हाइड्रोलॉजिकल चक्र) के चरण, स्थल, महत्व (सचित्र)

पृथ्वी के वायुमंडल में पानी का निरंतर संचलन जल चक्र या हाइड्रोलॉजिकल चक्र कहलाता है. इस चक्र में पानी की अवस्था ठोस, द्रव या गैस में बदलती रहती है. जल चक्र मुख्य रूप से सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा द्वारा संचालित होता है. इसे जैव भू-रासायनिक चक्र में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. जल चक्र

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जैव भू-रसायन चक्र: महत्व, प्रकार, प्रभाव व परिणाम
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जैव भू-रसायन चक्र: महत्व, प्रकार, प्रभाव व परिणाम

विभिन्न तत्वों का जीवमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल, और वायुमंडल के बीच निरंतर प्रवाह और परिवर्तन होता रहता है, जिसे जैव भू-रसायन चक्र (Biogeochemical Cycles) कहा जाता है. ये चक्र पृथ्वी की जलवायु को विनियमित करने और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पृथ्वी पर जीवन की निरंतरता और पारिस्थितिकी तंत्रों की कार्यशीलता

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सिकंदर लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1489–1517)
History

सिकंदर लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1489–1517)

सिकंदर लोदी (निज़ाम खान) लोदी वंश का दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण शासक था. सिकंदर लोदी 17 जुलाई 1489 को ‘सुल्तान सिकंदर शाह’ की उपाधि के साथ दिल्ली के सिंहासन पर बैठा. उसने 1489 से 1517 ई. तक शासन किया. वह बहलोल लोदी का पुत्र था. सिकंदर लोदी को लोदी वंश का सबसे सफल सुल्तान माना

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बहलोल लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1451-1489)
History

बहलोल लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1451-1489)

बहलोल लोदी या बहलोल खान, मुल्तान के गवर्नर के लिए काम करने वाले मुल्तान के एक पश्तून मूल निवासी मलिक बहराम के पोते थे. बहराम के छोटे बेटे मलिक काला उनके पिता थे. बहलोल बहराम के सबसे बड़े बेटे मलिक सुल्तान शाह लोदी के दामाद भी थे. सुल्तान शाह लोदी ने दिल्ली के सैय्यद वंश

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सैयद वंश का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1414-1451)
History

सैयद वंश का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1414-1451)

सैयद वंश के दिल्ली सल्तनत पर अधिकार होने में तैमूर लंग का काफी अहम भूमिका था. कमजोर हो चुके दिल्ली सल्तनत के मुल्तान, तदन्तर सिंध तथा लाहौर पर तैमूर का कृपापात्र खिज्र खान अधिकार कर चुका था. 1414 तक स्थिति यह आ गयी कि खिज्र खान को दिल्ली पर भी अधिकार करने से रोकने के

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