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जैव विविधता और संरक्षण

पृथ्वी पर पाए जाने वाले पौधों, जानवरों, कवकों और सूक्ष्मजीवों सहित जीवन के अन्य सभी रूपों की विस्तृत श्रृंखला में काफी अधिक विविधता पाई जाती है. इसी विविधता को ही जैव विविधता कहा जाता है. जीवन के अलावा इसमें उस पर्यावरण को भी शामिल किया जाता है, जो इन जीवों का आवास है.

यह हमारे ग्रह पृथ्वी के स्वास्थ्य और कार्यक्षमता का एक महत्वपूर्ण पहलू है. यह पारिस्थितिक तंत्र को बरकार रखने में दवा का काम कर इसे स्वस्थ्य बनाए रखता है. साथ ही इससे हमें प्राकृतिक ‘सांस्कृतिक मूल्य‘ भी प्राप्त होता है.

जैव विविधता को आनुवंशिक, प्रजाति विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के विविधता में वर्गीकृत किया गया है. जैव विविधता प्राकृतिक दुनिया और पृथ्वी पर जीवन के स्वास्थ्य में अद्वितीय भूमिका निभाता है. लेकिन, जीवों के प्राकृतिक आवास के विनाश और जलवायु परिवर्तन जैसे नकारात्मक खतरों से कई प्रजातियों के विलुप्ति का संकट पैदा हुआ है. कई तो विलुप्त हो गए है या होने के करीब है. इसलिए जैव विविधता के संरक्षण का सामूहिक प्रयास जरुरी है.

बढ़ते प्रदुषण, बढ़ती जन आबादी, प्रकृति में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप, घटते वन और मानव द्वारा अन्य जीवों के आवास के अतिक्रमण से कई जीव-जंतुओं, पौधों, पक्षी और सूक्ष्मजीवों के अस्तित्व पर गहरा संकट पड़ा है. इससे धरती के जैविक विविधता को नुकसान हुआ है और इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है. पृथ्वी पर जीवन और जीवधारियों पर आए इस संकट को ही जैव विविधता संकट कहा जाता है.

जैविक विविधता पर कन्वेंशन (Convention on Biodiversity – CBD) और साइट्स (CITES – Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) जैसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और संधियों का संबंध जैव विविधता संरक्षण से है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपने दशकीय और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में एकीकरण जैसी पहलों के माध्यम से भी जैव विविधता को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है.

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2 thoughts on “जैव विविधता और संरक्षण”

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