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ब्रेन ड्रेन और प्रतिभा पलायन

    ब्रेन ड्रेन (Brain Drain) शब्द प्रतिभा पलायन से जुड़ा है. कोरोना महामारी के दौर में बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार छीन गया. इसके बाद वे अपने मूल स्थानों को लौटने लगे. बिहार राज्य में भी बड़े पैमाने पर मजदूर वापस आए. साथ ही, बड़ी संख्या में प्रतिभाशाली लोग भी लौट आए.

    इसी के बाद ब्रेन ड्रेन और पलायन का मुद्दा उठने लगा. आज के समय कई सरकारें इस समस्या से निपटने के प्रयास में लगी है.

    ब्रेन ड्रेन क्या है (What is Brain Drain in Hindi)?

    व्यक्तियों के पर्याप्त या उल्लेखनीय प्रवास या उत्प्रवास को ब्रेन ड्रेन कहा जाता है. किसी देश में आंतरिक उथल-पुथल, दूसरे देशों में बेहतर व अनुकूल व्यावसायिक अवसर, उच्च जीवन स्तर एवं आय की तलाश ब्रेन ड्रेन के कुछ मुख्य कारण है.

    ब्रेन ड्रेन सिर्फ भौगोलिक रूप से घटित नहीं होता है, बल्कि संगठनात्मक या औद्योगिक स्तरों पर भी हो सकता है. ऐसा कर्मचारी किसी अन्य कंपनी या उद्योग के भीतर बेहतर वेतन, लाभ, या पदोन्नति का अवसर पाकर करते है.

    भारत में हाल के दिनों में कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र ने प्रतिभाओं को बड़े पैमाने पर आकर्षित किया है. इससे अन्य क्षेत्रों में उच्च कौशल वाले प्रतिभाओं की थोड़ी कमी का सामना करना पड़ा है. यह भी ब्रेन ड्रेन का एक उदाहरण है.

    ब्रेन ड्रेन : आसान भाषा में (Brain Drain: Explained in Simple Language of Hindi)

    जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, ब्रेन ड्रेन एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में लोगों का बसना है. यह स्थायी या अस्थायी प्रकृति का हो सकता है. ब्रेन ड्रेन अक्सर उन देशों और शहरों के पक्ष में होता है, जहां उन्हें बेहतर अवसर मिल सकते हैं. लोग काम या बेहतर जीवन स्तर की तलाश में पलायन कर जाते है. यह बेहतर वेतन या अवसरों के लिए विभिन्न कंपनियों और/या उद्योगों के बीच पेशेवरों की आवाजाही को भी संदर्भित करता है.

    ब्रेन ड्रेन के कारण देश, देश के अंदर का कोई इलाका, उद्योग, और संगठन को मूल्यवान व्यक्तियों के एक मुख्य हिस्से को खोना पड़ता है. इस शब्द का प्रयोग अक्सर कुछ पेशेवरों के प्रस्थान का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जिसमें डॉक्टरों, स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों या वित्तीय पेशेवरों के समूह शामिल हैं. जब ये लोग चले जाते हैं, तो वे जिन स्थानों को छोड़ते हैं, उन्हें दो मुख्य तरीकों से नुकसान होता है:

    • प्रत्येक उत्प्रवासी के साथ विशेषज्ञता खो जाती है, जिससे उस पेशे की आपूर्ति कम हो जाती है.
    • स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है, क्योंकि प्रत्येक पेशेवर अधिशेष खर्च करने वाली इकाइयों का प्रतिनिधित्व करता है.
    • ऐसे पेशेवर अक्सर बड़ी तनख्वाह कमाते हैं, इसलिए उनके जाने से उस क्षेत्र या देश में कुल मिलाकर उपभोक्ता खर्च कम हो जाता है. इससे व्यापार पर भी नकारात्मक असर पड़ता है.

    ब्रेन ड्रेन के प्रकार (Types of Brain Drain in Hindi)

    यह मुख्यतः दो तरह का होता है- भौगोलिक, संगठनात्मक और औद्योगिक ब्रेन ड्रेन. इसके अन्य प्रकार शैक्षणिक व चिकित्सीय वजहों से हुआ पलायन हैं. ये भी इलाके के आर्थिक गतिविधि को सिमित कर नुकसान पहुंचाते है.

    भौगोलिक ब्रेन ड्रेन (Geographical Brain Drain in Hindi)

    ऐसा तब होता है जब प्रतिभाशाली पेशेवर एक देश या क्षेत्र से चले जाते हैं. अंत में उस देश या इलाके में बस जाते है जहां उन्हें लगता है कि बेहतर और अधिक अवसर उपलब्ध है.

    राजनीतिक अस्थिरता, जीवन की खराब गुणवत्ता, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और आर्थिक अवसरों की कमी सहित कई सामान्य कारण भौगोलिक स्तर पर ब्रेन ड्रेन का कारण बनते हैं. ये कारक कुशल और प्रतिभाशाली लोगों को बेहतर अवसर प्रदान करने वाले स्थानों पर बसने के लिए अपना इलाका या देश छोड़ने के लिए प्रेरित करता है.

    संगठनात्मक और औद्योगिक ब्रेन ड्रेन (Organisational and Industrial Brain Drain in Hindi)

    इसमें एक कंपनी से प्रतिभाशाली श्रमिकों का सामूहिक पलायन शामिल होता है. वे कम्पनी में अस्थिरता और अवसर की कमी महसूस करते हैं. उन्हें ऐसा लगने लगता है कि कोई अन्य कम्पनी बेहतर नौकरी का विकल्प प्रदान कर सकती है.

    औद्योगिक ब्रेन ड्रेन तब होता है जब कुशल श्रमिक न केवल एक कंपनी बल्कि पूरे उद्योग से बाहर निकलते हैं. जैसे टेलीग्राम उद्योग से लोगों का टेलीफोन व मोबाइल उद्योग में पलायन.

    ब्रेन ड्रेन के ये दो रूप आमतौर पर तेजी से विकसित हो रहे आर्थिक परिदृश्य का एक उपोत्पाद हैं. इन क्षेत्रों की कंपनियां और उद्योग तकनीकी और सामाजिक परिवर्तनों से तालमेल बनाए रखने में असमर्थ होती है. इसलिए अपने सर्वश्रेष्ठ श्रमिकों को खो देती है.

    किसी विशिष्ट संगठन से प्रतिभा पलायन के संदर्भ में, यह आमतौर पर तब होता है जब कर्मचारी संगठन की दिशा, उसके नेतृत्व, संगठनात्मक संस्कृति, मानव संसाधन नीतियों और अन्य संगठनात्मक तत्वों को नापसंद करते हैं।

    यदि कर्मचारी उद्योग को पिछड़ा, नवीनता की कमी या दमनकारी नियमों पर आधारित पते है, तो उद्योग से प्रतिभा पलायन होने लगता है. यह सार्वजनिक से निजी क्षेत्र में भी हो सकता है. बहुत कम अवसरों पर, निजी क्षेत्र से सार्वजनिक क्षेत्र में पलायन होता है.

    अन्य प्रकार (Other Types of Brain Drain in Hindi)

    ब्रेन ड्रेन तब भी हो सकता है जब कम विकसित देशों के लोग नए अवसरों या गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की तलाश के लिए विदेश जाते हैं. लेकिन फिर अपने मूल देश लौटकर इसे लाभ पहुंचाने के बजाए नए देश में रहने का विकल्प चुनते हैं. इस तरह किसी इलाके के धन से प्राप्त शिक्षा व कौशल उस इलाके के विकास में काम नहीं आता है.

    कई बार लोग स्वास्थ्य व अन्य मुलभुत आवश्यकताओं के कमी वाले इलाके से भी पलायन कर जाते है. गांवों से शहरों के तरफ पलायन इसका एक उदाहरण है. इस तरह गांव ब्रेन ड्रेन का शिकार होते रहते है.

    भारत व दक्षिण एशिया के कुछ देशों की सामाजिक व्यवस्था जाति आधारित है. कई बार पिछड़ा जाति समूह जातिय उत्पीड़न का शिकार हो जाता है. लम्बे जातिवादी उत्पीड़न से भी लोग पलायन कर खुले समाज में बसना चाहते है.

    ऊंचा कर भी ब्रेन ड्रेन का कारण बनता है.

    ब्रेन ड्रेन के कारण (Causes of Brain Drain in Hindi)

    आर्थिक अवसर, जिसमें नई और बेहतर नौकरियां, उच्च जीवन स्तर, आवास और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच शामिल है.

    • राजनीतिक संघर्ष और अस्थिरता.
    • धर्म, लिंग या कामुकता के आधार पर उत्पीड़न.

    कई बार मानव के जगह मशीनों को काम पर लगा दिया जाता है. इससे लोगों को काम छोड़कर जाना पड़ता है. इसमें मानवीय कुशलता को मशीनों द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाता है, जो लोगों के जीविका को छीनकर इलाके की आर्थिक समृद्धि पर आघात करती है.

    हालाँकि, इन मशीनों से जुड़े विशेषज्ञों और रख-रखाव करने वाले कारागर नए रोजगार पाने वाले बन जाते है.

    ब्रेन ड्रेन के प्रभाव (Effects of Brain Drain in Hindi)

    इसके बड़े परिणाम हो सकते हैं. यह प्रभाव न केवल उस क्षेत्र में महसूस किए जाते हैं, जहां ब्रेन ड्रेन होता है. बल्कि वहां भी होता है जहां ब्रेन गेन (जहां व्यक्ति जाता है) होता है. इसमें अक्सर चेन रिएक्शन भी हो सकता है.

    ब्रेन ड्रेन से प्रभावित क्षेत्र मानव सांसाधन की कमी का सामना करते है. इस कमी को भरना आसान नहीं होता है. विकासशील देशों के चिकित्स्क बड़े पैमाने पर विकसित देशों में पलायन कर जाते है. इससे इन देशों में स्वास्थ्य देखभाल के लिए चिकित्स्कों की कमी हो जाती है.

    इससे सरकार को राजस्व की हानि भी होती है. पलायित प्रतिभा अन्य इलाके से खरीदारी करते है. वे आयकर भी वहीँ देते है. इस तरह उनसे किसी भी तरह का लाभ मूल सरकार को प्राप्त नहीं होता है. इस वजह से आधाभूत संरचनाओं और मुलभुत जरूरतों को पूरा करने में सरकार असमर्थ होते चली जाती है. यह इलाके से फिर से ब्रेन ड्रेन को जन्म देता है.

    साथ ही, नए इलाके के संसाधनों पर दवाब बढ़ जाता है. सेवाएं व वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है. लेकिन, उच्च आय के कारण लोग इसे झेल लेते है. इस तरफ अविकसित इलाके को पिछड़ेपन का दुष्चक्र झेलना पड़ता है. विशेष रूप से प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों में जहां अधिक अवसर उपलब्ध हैं, इस तरह के दवाब से प्रभावित होते है.

    फायदे (Benefits of Brain Drain in Hindi)

    जहाँ ब्रेन ड्रेन से स्थानीय इलाके को नुकसान होता है. वहीं इसके कई फायदे भी है, जो इस प्रकार है-

    • एक देश से दूसरे देश में ब्रेन ड्रेन होने पर कई बार विदेशी मुद्रा भी स्थानीय सरकार को प्राप्त होता है (स्थानीय मतलब जहाँ से ब्रेन ड्रेन या पलायन हुआ है).
    • प्रतिभाओं को उनकी प्रतिभा का उचित मेहनताना मिलता है. इससे उनके जीवन-शैली में सुधार होता है.
    • स्थानीय सरकार अपने अर्थव्यवस्था और जन-सुविधाओं में सुधार को विवश हो जाती है.
    • पलायित लोग काफी अधिक जागरूक हो जाते है. वे अपने मूल स्थान पर लौटने पर जागरूकता फैलते है. इस तरह ब्रेन ड्रेन पुनर्जागरण और लोकतंत्र की अवधारणा का भी विकास करता है.

    ब्रेन ड्रेन रोकने के उपाय (Ways to Prevent Brain Drain in Hindi)

    मानव संसाधन अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है. इसलिए, इसे अपने इलाके में रोकना और बाहरी प्रतिभा को आकर्षित करना, इलाके के विकास के लिए जरुरी होता है.

    • आधारभूत संरचना और मुलभुत सुविधाओं में सुधार.
    • अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में निवेश.
    • प्रतिस्पर्धी मजदूरी की पेशकश.
    • कानूनी और सामाजिक सुधार का मार्ग प्रशस्त करना.
    • आवास और स्वास्थ्य देखभाल जैसे संसाधनों की गुणवत्ता में सुधार.
    • किफायती आवास समाधान प्रदान करना.
    • स्वास्थ्य व शिक्षा का वैश्विक स्तर.
    • रिसर्च, स्वास्थ्य व शिक्षण संस्थानों का उचित जाल.
    • औद्योगिकीकरण, प्रदुषण नियंत्रण व पार्क जैसे सार्वजनिक स्थलों का विकास इत्यादि.

    ब्रेन ग्रेन(Brain Gain in Hindi)

    यह अवधारणा ब्रेन ड्रेन के ठीक उलट है. जब ब्रेन होता है तो जिस इलाके से पलायन होता है, वहाँ ब्रेन ड्रेन की स्थिति होती है. लेकिन, जिस इलाके में लोग बस्ते है, उस इलाके को नया प्रतिभा प्राप्त होता है. यह ब्रेन गेन (Brain Gain) कहलाता है, जो अंग्रेजी का एक शब्द है.

    ब्रेन गेन के इलाके को कई बार अत्यधिक जनसंख्या के कारण दवाब झेलना पड़ता है. भारतीय शहर इसके बेहतरीन उदाहरण है, जहाँ देश का समस्त बौद्धिक सम्पदा एकत्रित है.

    बिहार से पलायन (Migration from Bihar in Hindi)

    भारत के बड़े राज्यों में बिहार ब्रेन ड्रेन का एक बेहतरीन उदाहरण है. राज्य में औद्योगिकीकरण सिमित है. आधारभूत संरचना, स्वास्थ्य, शिक्षा व पर्यवरणीन समस्या आम है. करीब 90 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है, जो कुछ वक्त के लिए ही काम देती है. जैसे, बुवाई, सिंचाई व कटाई के वक्त. इसके बाद के समय में किसान व मजदूर पलायन कर अन्य राज्यों व शहरो में काम करने पलायन कर जाते है.

    राज्य के प्रतिभा का अधिकांश हिस्सा बेहतर रोजगार के लिए पलायन कर जाता है. कई बार शिक्षा के लिए अन्य राज्य या विदेशों का सफर भी किया जाता है. इनमें अधिकांश राज्य वापस नहीं आते और विदेश या अन्य राज्य में काम करते है.

    इस तरह औद्योगिक अभाव वाला बिहार ‘ब्रेन ड्रेन’ का सबसे बेहतर उदाहरण है. पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा और मध्य प्रदेश जैसे बड़ी आबादी वाले राज्य भी ब्रेन ड्रेन का शिकार है.

    कोरोना महामारी के बाद इन राज्यों के मजदूरों व पलायित प्रतिभाओं ने पैदल व निजी वाहन से राज्य वापसी किया. इसके बाद ही इस समस्या से दुनिया वाकिफ हो पाया. बिहार ने फिलहाल तीव्र औद्योगिकीरण व सरकारी रिक्तियों को भरने की नीति अपनाई है. इससे ब्रेन ड्रेन की समस्या का समाधान होने की उम्मीद जताई जा रही है.

    ब्रेन ड्रेन के कुछ उदाहरण (Some Examples of Brain Drain in Hindi)

    • 15वीं शताब्दी में स्पेन से जोराष्ट्रियनों को बड़े पैमाने पर निकाला गया. राष्ट्र के बैंकिंग सेक्टर पर इस वर्ग का दबदबा था. इसके बाद स्पेन का बैंकिंग सेक्टर ढह गया और देश आर्थिक मंदी का शिकार हो गया.
    • साल 2010 में सीरिया संकट के वक्त भी बड़े संख्या में लोगों ने पलायन किया. 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिका के वापस जाने के बाद भी कई लोग देश छोड़कर निकल गए. इससे इन देशों के आर्थिक क्रियाकलाप पर नकारात्मक असर पड़ा. पलायित तबका संपन्न और विशेषज्ञ समूह से थे.
    • वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध ने भी इन दोनों देशों में अनिश्चितता का माहौल बना दिया था. इसके बाद लोगों ने देश छोड़कर अन्यत्र बसना शुरू कर दिया. इससे दोनों देशों को बड़ी राशि और प्रतिभा से हाथ धोना पड़ा. यह युद्ध के प्रत्यक्ष नुकसान के अतिरिक्त था.
    • इन सभी देशों को ब्रेन ड्रेन का प्रभाव झेलना पड़ा और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा.

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