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करारोपण के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव | Effects of Taxation on Economy
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करारोपण के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

इस लेख में करारोपण के अर्थव्यवस्था पर प्रभावों का संक्षिप्त विश्लेषण किया गया है. इस नोट में कराधान का उत्पादन, विकास, वितरण, और संसाधन आवंटन पर प्रभाव का वर्णन है. साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के विशिष्ट संदर्भ को भी शामिल किया गया है.  करारोपण के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव करारोपण, अर्थात् taxation, सरकार के लिए राजस्व […]

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करारोपण का अर्थ, परिभाषा, सिद्धांत एवं वर्गीकरण
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करारोपण का अर्थ, परिभाषा, सिद्धांत एवं वर्गीकरण

इस लेख में करारोपण की परिभाषा, सिद्धांत, वर्गीकरण, और आवश्यकता को सरल और व्यवस्थित भाषा में सभी तथ्यों को शामिल करते हुए समझाया गया है. इसके माध्यम से आप करारोपण के विभिन्न दरों के कारण, कुछ लोगों को कर से छूट और कर सब्सिडी के पीछे के कारणों व सरकार की मंशा को समझ पाएंगे?

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सरकारी बजट: अर्थ, घटक, उद्देश्य और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव | Government Budget: Meaning, Components, Objectives and Impact on the Economy
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सरकारी बजट: अर्थ, घटक, उद्देश्य और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

सरकारी बजट किसी भी अर्थव्यवस्था के संचालन और दिशा निर्धारण में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है. यह केवल एक वित्तीय दस्तावेज नहीं है, बल्कि सरकार का एक महत्वपूर्ण नीतिगत घोषणापत्र है जो देश की आर्थिक प्राथमिकताओं और सामाजिक उद्देश्यों को दर्शाता है. यह एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च तक) के लिए सरकार

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भारत में भूमि सुधार: औपनिवेशिक व्यवस्था, आजादी के बाद और अब
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भारत में भूमि सुधार: औपनिवेशिक व्यवस्था, आजादी के बाद और अब

भारत में भूमि सुधार देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसका ग्रामीण जीवन, कृषि और समग्र सामाजिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ता है. भारत में भूमि सुधार का प्राथमिक लक्ष्य भूमि वितरण को अधिक न्यायसंगत बनाना है. स्वतंत्रता के बाद, सरकार ने भूमि सुधारों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल किया. इसका

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जनसंख्या वृद्धि का कारण, प्रभाव और सिद्धांत
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जनसंख्या वृद्धि का कारण, प्रभाव और सिद्धांत

जनसंख्या वृद्धि किसी भी देश या वैश्विक स्तर पर लोगों की संख्या में समय के साथ होने वाली बढ़ोतरी है. यह जन्म दर, मृत्यु दर और प्रवास जैसे कई कारकों से प्रभावित होती है. आज यह एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है. इसके दूरगामी सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय परिणाम सामने आ रहे हैं.

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भारत का सहकारिता आंदोलन, उद्भव, विकास, स्तर और गुण-दोष
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भारत का सहकारिता आंदोलन, उद्भव, विकास, स्तर और गुण-दोष

भारत में सहकारिता आंदोलन की शुरुआत औपनिवेशिक काल में हुई, जब 1904 में सहकारी ऋण समिति अधिनियम पारित हुआ. इसका उद्देश्य किसानों को साहूकारों के शोषण से बचाना था. यह आंदोलन यूरोपीय मॉडल, विशेष रूप से जर्मनी के रायफाइज़न मॉडल से प्रेरित था. वैश्विक सहकारी आंदोलन की नींव 1844 में रोशडेल पायनियर्स ने लंकाशायर, इंग्लैंड

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मानव विकास सूचकांक (HDI) की अवधारणा, इतिहास और भारत
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मानव विकास सूचकांक (HDI) की अवधारणा, इतिहास और भारत

मानव विकास सूचकांक (HDI) एक संयुक्त सूचकांक है, जो किसी देश के मानव विकास की औसत उपलब्धियों को तीन आधारभूत आयामों के आधार पर मापता है. ये आयाम हैं: (i) दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन,  (ii) ज्ञान प्राप्त करना, और  (iii) शिष्ट व शालीन जीवन जीना.  इनका मापन निम्नलिखित तरीकों से होता है:  मानव विकास सूचकांक:

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आपूर्ति का अवधारणा, प्रभावित करने वाले कारक और अपवाद | Concept and Rule of Supply
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आपूर्ति का अवधारणा, प्रभावित करने वाले कारक और अपवाद

पूर्ति या आपूर्ति (Supply) से तात्पर्य उस वस्तु की मात्रा से है, जिसे विक्रेता एक निश्चित समय और निश्चित कीमत पर बाजार में बेचने को तैयार हो. उदाहरण: “बाजार में 1,000 क्विंटल गेहूँ की पूर्ति” कहना अपूर्ण है, क्योंकि इसमें समय और कीमत का उल्लेख नहीं है. लेकिन “आज 250 रु./क्विंटल पर 1,000 क्विंटल गेहूँ

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भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ और खामियां | Features, merits and demerits of indian economy in hindi for UPSC and State PCS mains
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भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ और खामियां

भारतीय अर्थव्यवस्था की में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है. वर्तमान में भारत  3.94 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकिन, सर्वाधिक जीडीपी वाले शीर्ष के 10 देशों में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय भारत की है. भारत और चीन, दोनों देशों को आधिक्य आबादी वाला देश माना जाता

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भारत में कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और सफेदपोश अपराध | Corporate Fraud and White-Collar Crime in India
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भारत में कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और सफेदपोश अपराध

वित्तीय क्षेत्र में कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और सफेदपोश अपराधों (White Collar Crimes) का खबर आम होता जा रहा है. इस प्रकार के अपराध में हिंसा और शारीरिक नुकसान की कमी होती है. लेकिन ये अर्थव्यवस्थाओं, व्यवसायों और व्यक्तियों को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाते हैं.  इसी तथ्य को ध्यान में रखकर, इस लेख में डिजिटल युग में कॉर्पोरेट

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