Skip to content

सामुदायिक विकास का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, विशेषताएं क्या है?

सामुदायिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें समुदाय के सदस्य उन मुद्दों पर सामूहिक कार्रवाई करते हैं जो उनके लिए महत्वपूर्ण हैं. यह सामुदायिक विकास पेशेवर या एजेंसी के समर्थन के साथ या उसके बिना किया जा सकता है. इसका मूल उद्देश्य सभी लोगों तक स्वास्थ्य, कल्याण, धन, न्याय और अवसर का पहुँच सुनिश्चित करना होता है.

सामुदायिक विकास का अर्थ (Meaning of Community of Development in Hindi)

शाब्दिक रूप से सामुदायिक विकास का अर्थ- समुदाय का विकास या प्रगति. इसके बाद भी सामुदायिक विकास की अवधारणा इतनी व्यापक और जटिल है कि इसे केवल परिभाषा द्वारा ही स्पष्ट कर सकना बहुत कठिन है.  

कैम्ब्रिज में हुए एक सम्मेलन में सामुदायिक विकास को स्पष्ट करते हुए कहा गया था कि ‘‘सामुदायिक विकास एक ऐसा आन्दोलन है जिसका उद्देश्य सम्पूर्ण समुदाय के लिए एक उच्चतर जीवन स्तर की व्यवस्था करना है. इस कार्य में प्रेरणा-शक्ति समुदाय की ओर से आनी चाहिए तथा प्रत्येक समय इसमें जनता का सहयोग होना चाहिए.’’ इस परिभाषा से स्पष्ट होता है कि सामुदायिक विकास ऐसा कार्यक्रम है जिसमें लक्ष्य प्राप्ति के लिए समुदाय द्वारा पहल करना तथा जन-सहयोग प्राप्त होना आधारभूत दशाएँ है. 

इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य किसी वर्ग विशेष के हितों तक ही सीमित न रहकर सम्पूर्ण समुदाय के जीवन-स्तर को ऊँचा उठाना है. 

सामुदायिक विकास के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा गया कि ‘‘सामुदायिक विकास एक ऐसी योजना है जिसके द्वारा नवीन साधनों की खोज करके ग्रामीण समाज के सामाजिक एवं आर्थिक जीवन में परिवर्तन लाया जा सकता है.एक समन्वित कार्यक्रम के रूप में इस योजना में जहॉ एक ओर शिक्षा, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य, कुटीर उद्योगों के विकास, कृषि संचार तथा समाज सुधार पर बल दिया जाता है, वहीं यह ग्रामीणों के विचारों, दृष्टिकोण तथा रूचियों में भी इस तरह परिवर्तन लाने का प्रयत्न करती है जिससे ग्रामीण अपना विकास स्वयं करने के योग्य बन सकें. 

इस दृष्टिकोण से सामुदायिक विकास योजना को सामाजिक-आर्थिक पुनर्निमाण तथा आत्म-निर्भरता में वृद्धि करने वाली एक ऐसी पद्धति कहा जा सकता है जिसमें सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक विशेषताओं का समावेश होता है.

सामुदायिक विकास की परिभाषाएं (Definitions of Community Development)

रैना (R.N. Raina) का कथन है कि ‘‘सामुदायिक विकास एक ऐसा समन्वित कार्यक्रम है जो ग्रामीण जीवन से सभी पहलुओं से संबंधित है तथा धर्म, जाति सामाजिक अथवा आर्थिक असमानताओं को बिना को महत्व दिये, यक सम्पूर्ण ग्रामीण समुदाय पर लागू होता है.

श्री एस0 के0 डे0 के अनुसार ‘‘सामुदायिक विकास योजना नियमित रूप से समुदाय के कार्यो का प्रबन्ध करने के लिए अच्छी प्रकार से सोची हुई एक योजना हैं.’’ 

योजना आयोग के अनुसार ‘‘जनता द्धारा स्वंय अपने ही प्रयासों से ग्रामीण जीवन में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन लाने का प्रयास ही सामुदायिक विकास हैं. ‘‘

संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार ‘‘सामुदायिक विकास योजना एक प्रक्रिया है, जो सारे समुदाय के लिए उसके पूर्ण सहयोग से आर्थिक और सामाजिक विकास की परिस्थितियों को पैदा करती है और जो पूर्ण रूप से समुदाय की प्रेरणा पर निर्भर करता है.’’ 

उपर्युक्त परिभषाओं से स्पष्ट है कि सामुदायिक विकास समुदाय को भौतिक और प्रगति की दिशा में उत्साहित करता है. समुदाय के सदस्य अपने प्रयासों को संगठित करते हैं. इस संगठन कार्य में राज्य द्वारा प्राविधिक और वित्तिय सहायता प्रदान की जाती है.

सामुदायिक विकास के उद्देश्य (Objectives of Community Development)

सामुदायिक विकास के उद्देश्यों की रूपरेखा को हम इन भागों में बाट सकते हैं-

  1. ग्रामीण जनता को बेरोजगारी से रोजगार की दिशा में ले जाना. 
  2. सहकारिता का प्रयास करना और ग्रामीण जीवन-स्तर मे सुधार करना. 
  3. सामुदायिक हित के कार्यों को करना. 
  4.  ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के उत्पादन की वृद्धि के लिए आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान को सुलभ करना. 
  5. क्षमता निर्माण: इसके तहत उन गुणों के विकास पर जोर दिया जाता हैं जो समाज को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम बनाते हैं.
  6. सामाजिक पूंजी निर्माण: इसके तहत उन कार्यो पर फोकस किया जाता हैं जिनसे आपसी सहयोग से लाभ की प्राप्ति होती हो.
  7. अर्थिक विकास: इसके तहत समुदाय को स्थानीय संसाधनो का प्रयोग करते हुए आर्थिक विकास के लिए प्रेरित किया जाता हैं.
  8. समुदाय संचालित विकास: इसके तहत योजना का उन्मुखीकरण विकेन्द्रित होता हैं और समुदाय स्तर पर नियोजन पर अधिक भरोसा किया जाता हैं.
  9. परिसंपत्ति आधारित सामुदायिक विकास: इसके तहत समुदाय के प्रयासों का उन्मुखीकरण स्थायी सम्पति के निर्माण पर होता हैं. यह एक प्रकार से टिकाऊ विकास के समान हैं.
  10. सहभागितापूर्ण नियोजन: इसके तहत पूरा समुदाय योजना निर्माण में भाग लेता हैं.

समुदायिक विकास की विशेषताएं (Features of Community Development)

इसमें ग्रामीण क्षेत्रो के विकास पर विशेष बल दिया गया है. इस उद्देश्य के लिए प्रशासन के ढ़ाँचे में भी अनेक परिवर्तन किए गये है. इसके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित विभाग पहले से ही मौजूद थे, सामुदायिक स्तर पर विकास क्षेत्रों के रूप में विभिन्न विभागों के बीच समन्वय किया गया हौ. सम्पूर्ण कार्यक्रम के अन्तर्गत सामुदायिक संगठन तथा स्वावलम्बन को विशेष महत्व दिया गया हो इस प्रकार सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएं इस प्रकार है-

1. विभिन्न विभागों के मघ्य समन्वय – सामुदायिक विकास विभाग पहले से ही मौजूद थे जैसे कृषि, सहकारिता, उघोग, शिक्षा, पंचायत राज, स्वास्थ्य तथा सार्वजनिक निर्माण लेकिन इन विभागों के कार्यक्रम में किसी प्रकार का सहयोग तथा एकरूपता नहीं थी. सामुदायिक के मे इन सभी विभागों में समन्वय स्थापित किया गया है.

2. क्षेत्रीय स्तर पर विकास का केन्द्रीयकरण – सामुदायिक विकास के लिए एक क्षेत्र को इकाई माना गया है. इस स्तर पर कई विभाग एक दूसरे से सहयोग ग्रामीण विकास के अनेक कार्यक्रमों का संचालन करते है. दूसरे शब्दों में क्षेत्र विभिन्न विभागों में समन्वय करने वाली एजेन्सी का कार्य करता है. 

3. जन सहयोग पर आधारित – जन सहयोग का आधार भी भारतीय समुदायिक विकास कार्यक्रम की एक विशेषता है. इस योजना के निर्माण की शुरुआत स्थानीय स्तर से होता है. स्थानीय स्तर की आवश्यकताओं को देखते हुए कार्यक्रम निश्चित होता है. खण्ड स्तर, जिला स्तर, प्रादेशिक स्तर तथा राष्ट्रीय स्तर पर योजना के स्वरूप को अन्तिम रूप दिया गया है. इस प्रकार यह जनता की योजना है. यह सहयोग इसके लिये वांछनीय है. 

4. सामाजिक जीवन के समस्त पक्षों का समावेश -: भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम, सामाजिक जीवन के किसी पहलू तक ही सीमित नही है. अत: तो आर्थिक योजना है और न पूर्णतया सामाजिक . इसके अन्र्तगत सामुदायिक जीवन के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृति तथा नैतिक तत्वों का समावेश है. इसका लक्ष्य सर्वागीण सामुदायिक विकास है.

Spread the love!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

मुख्य बिंदु