कम्प्यूटर के प्रयोग तथा इन्टरनेट माध्यम के कारण साइबर अपराध भी बढ़ गया हे. साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जिसमें कम्प्यूटर और नेटवर्क शामिल है. कम्प्यूटर से अपराध करना साइबर अपराध कहलाता है. कम्प्यूटर अपराध में नेटवर्क शामिल नहीं माना जाता.
जानकारी चोरी करना, जानकारी मिटाना, जानकारी में फेरबदल, करना जानकारी को किसी अन्य व्यक्ति को भेजना (गलत रुप से) स्पैम- ईमेल, हैकिंग फिशिंग, वायरस को ड़ालना आदि साइबर अपराध माने जाते है.
साइबर अपराध का अर्थ (Meaning of Cyber Crime)
साधारण भाषा में हम समझना चाहें तो साइबर अपराध का अर्थ होता है, कम्प्यूटर जनित अपराध. हम यह भी कह सकते हैं कि कम्प्यूटर और इंटरनेट से जुडे़ अपराध (अपराध) को ही साइबर अपराध कहा जाता है. ऐसा कोई भी अपराध जिसमें कम्प्यूटर इंटरनेट नेटवर्क एवं हार्डवेयर तथा उससे संबंधित उपकरणों यथा स्कैनर, प्रिंटर, आदि का उपयोग किया गया हो, साइबर अपराध कहलाता हैं.
साइबर अपराध वह अवैधानिक कार्य है जिसमे कम्प्यूटर या तो औजार की तरह या लक्ष्य की तरह प्रयोग होता है अथवा दोनों ही तरह से प्रयोग होता है.
साइबर अपराध की परिभाषा (Definition of Cyber Crime)
1. यूरोपियन साइबर अपराध ट्रीटी काउंसिल के अनुसार- ‘‘साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जो डेटा एवं कापीराइट के विरूद्ध की गयी आपराधिक गतिविधि है.
2. कम्प्यूटर विज्ञानी जेवियर गीज के अनुसार- साइबर अपराध कम्प्यूटर और इन्टरनेट के माध्यम से होने वाला अपराध है. जिसके अन्तर्गत जालसाजी, अनाधिकृत प्रवेश, चाइल्ड पोनोग्राफी और साइबर स्टाकिंग शामिल है.’’
3. संयुक्त राष्ट्र के कम्प्यूटर अपराध कंट्रोल एण्ड प्रिवेंषन मेनुअल के अनुसार जालसाजी, ठगी और अनाधिकृत प्रवेश को ही साइबर अपराध की परिभाषा में शामिल किया गया है.
साइबर अपराध के प्रकार (Types of Cyber Crime)
1. अनाधिकृत उपयोग एवं हैकिंग अनाधिकृत उपयोग एक ऐसा अपराध है जिसमें कम्प्यूटर के मालिक की अनुमति के बिना कम्प्यूटर का किसी भी प्रकार से अवैध उपयोग किया जाता है. हैकिंग एक ऐसा अपराध है जिसमें कम्प्यूटर प्रणाली में अवैध घुसपैठ करके उसको नुकसान पहुंचाया जाता है.
2. वैब हाईजैकिंग – यह एक ऐसा अपराध है जिसमें किसी व्यक्ति की वेबसाइट पर अवैध रूप से सशक्त नियंत्रण कर लिया जाता है. इस प्रकार वेबसाइट का मालिक उस वेबसाइट पर नियंत्रण एवं ज़रूरी जानकारी खो देता है.
3. साइबर स्टॉकिंग – यह एक ऐसा अपराध है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को बार-बार उत्पीड़न का शिकार बनाया जाता है; पीडि़त का पीछा करके, तंग करके, कॉल द्वारा परेशान करके, संपत्ति के साथ छेड़छाड़ करके, स्टॉकिंग के उपरांत पीडि़त को मानसिक एवं शारीरिक रूप से हानि पहुंचाना मकसद होता है.
स्टाॅकर (अपराधी) पीडि़त की सारी जानकारी अवैध रूप से इकट्ठा करके एवं इंटरनेट पर उनकी गलत छवि दिखाकर हानि पहुंचाने का लक्ष्य रखते हैं, ताकि भविष्य में भयादोहन करके उनका अनुचित लाभ उठा सकें.
4. सर्विस अटैक – यह एक ऐसा अपराध है, ऐसा हमला है जिसमें पीडि़त के नेटवर्क या विद्युत संदेश पात्र को बेकार यातायात एवं संदेशों से भर दिया जाता है. यह सब इसलिए किया जाता है ताकि पीडि़त को जानबूझकर तंग किया जा सके या पीडि़त अपना ईमेल इस्तेमाल ना कर पाए.
5. वायरस अटैक – वायरस ऐसे प्रोग्राम को कहा जाता है जो कंप्यूटर के अन्य प्रोग्राम को संक्रमित करने की क्षमता रखते हैं अथवा अपनी प्रतियां बना कर दूसरे प्रोग्राम में फैल जाते हैं. यह दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर होते हैं जो अपने आप को किसी दूसरे सॉफ्टवेयर से जोड़ लेते हैं अथवा कंप्यूटर को हानि पहुंचाते हैं.
ट्रोजन हॉर्स, टाइम बम, लॉजिक बम, रैबिट आदि, यह सभी दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर है. वायरस कंप्यूटर पर कुछ इस तरीके से प्रभाव डालते हैं कि, या तो कंप्यूटर में मौजूद जानकारी को बदल देते हैं या नष्ट कर देते हैं ताकि वह इस्तेमाल करने लायक ना रह पाए.
6. फिशिंग – यह एक कैसा अपराध है जिसमें पीडि़त को ईमेल भेजा जाता है, जो कि यह दावा करता है, कि वह एक स्थापित उद्यम द्वारा भेजा गया है ताकि पीडि़त से गोपनीय निजी जानकारी निकलवा सके अथवा पीडि़त के खिलाफ, उनको हानि पहुंचाने के लिए इस्तेमाल की जा सके.
7. रैंसमवेयर – यह एक प्रकार का मैलवेयर अटैक है, जो पीड़ितों के महत्वपूर्ण डेटा को एन्क्रिप्ट कर देता है. पुनः एक्सेस प्रदान करने के बदले फिरौती का मांग किया जाता है. इसका उद्देश्य पैसे ठगना, किसी को आर्थिक रूप से अपंग बनाना, डिजिटल डेटा और संपत्ति की हानि, वित्तीय तबाही और उत्पादकता बाधित करना होता है. ऐसे स्थिति में तुरंत साइबर पुलिस से सम्पर्क करना चाहिए.
8. ऑनलाइन उत्पीड़न – इसमें साइबरबुलिंग और साइबरस्टॉकिंग ऑनलाइन उत्पीड़न के उदाहरण है, जो साइबर अपराध के श्रेणी में आते है. किसी व्यक्ति विशेष को डराने, नुकसान पहुंचाने, गुस्सा दिलाने या शर्मिंदा करने के लिए ऐसा किया जाता है. सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग ने इस तरह के अपराधों का दर बढ़ा दिया है. अनुचित और अनचाहे संदेश भेजना, मैसेज में धमकी देना या संवेदनशील तस्वीरें या वीडियो वाइरल करना इसमें शामिल है.
9. साइबर आतंकवाद – डिजिटल तकनीक के उपयोग से किसी राज्य के कार्यों में व्यवधान उत्पन्न करना साइबर अपराध के श्रेणी में आता है. राष्ट्र की गोपनीय जानकारी डिजिटल तरीकों से चोरी करना इसी में शामिल है.
10. डीडीओएस हमले – ऐसे हमलों में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के मदद से किसी नेटवर्क या वेबसाइट पर ट्रैफ़िक बढ़ा दिया जाता है. इससे ‘लक्ष्य’ या तो क्रैश हो जाता है या काफी धीमा हो जाता है.
साइबर अपराध को रोकने के उपाय (Prevention of Cyber Crime)
कम्प्यूटर उपयोगकर्ता साइबर अपराध को रोकने के लिए विभिन्न तकनीकों को अपना सकते हैं:-
- कम्प्यूटर उपयोगकर्ताओं को हैकर्स से अपने कंप्यूटर की सुरक्षा के लिए एक फ़ायरवॉल का उपयोग करना चाहिए.
- कम्प्यूटर उपयोगकर्ताओं को एंटी वायरस सॉफ्टवेयर स्थापित करने चाहिए.
- साइबर विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि यूजर्स को केवल सुरक्षित वेबसाइट्स पर ही खरीदारी करनी चाहिए. वे अपने क्रेडिट कार्ड की जानकारी संदिग्ध या अजनबियों को कभी न दे.
- उपयोगकर्ताओं को अपने खातों पर मजबूत पासवर्ड विकसित करने चाहिए, अर्थात अक्षरों और संख्याओं को पासवर्ड में शामिल करें, एवं लगातार पासवर्ड और लॉगिन विवरण को अद्यतन करना चाहिए.
- बच्चों पर नजर रखें और उनके द्वारा इंटरनेट के इस्तेमाल को सीमित रखें.
- फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब की सुरक्षा सेटिंग्स की जाँच करें और सावधान रहें.
- हैकिंग से बचने के लिए जानकारी सुरक्षित रखें. अधिकांश संवेदनशील फ़ाइलों या वित्तीय रिकॉर्ड के लिए एंक्रिप्शन का उपयोग करें, सभी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए नियमित बैक-अप बनाएं, और इसे किसी अन्य स्थान पर संग्रहीत कर लें.
- उपयोगकर्ताओं को सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट का उपयोग करते समय सचेत रहना चाहिए. इन नेटवर्क पर वित्तीय लेन-देन के संचालन से बचें.
- उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट पर नाम, पता, फोन नंबर या वित्तीय जानकारी जैसे व्यक्तिगत जानकारी देते समय सावधान रहना चाहिए. सुनिश्चित करें कि वेबसाइट्स सुरक्षित हैं.
- एक लिंक या अज्ञात मूल के फ़ाइल पर क्लिक करने से पहले सभी चीजों का बुद्धिमता से आंकलन करना चाहिए. इनबॉक्स में कोई भी ईमेल न खोलें. संदेश के स्रोत की जांच करें. यदि कोई संदेह हो, तो स्रोत सत्यापित करें. कभी उन ईमेल का जवाब न दें, जो उनसे जानकारी सत्यापित करने या उपयोगकर्ता के पासवर्ड की पुष्टि करने के लिए कहें.
- आपको मालूम हो कि यह पहला मामला नहीं है, जब ज्यादा पैसों के लालच में लोग अपने पर्सनल और बैंक डिटेल्स अनजानों को दे देते हैं और फिर ठगी का शिकार हो जाते हैं. इस अपराध में जितनी गलती ठगों और बदमाशों की होती है, उतनी ही ठगे जाने वाले पीडि़तों की भी. आपको इस बात का ध्यान देना जरूरी है कि कोई भी शख्स आपको फोन कर किसी भी कंपनी का कर्मचारी बता दे, तो पहले आप कन्फर्म करें वह सच बोल रहा है या नहीं. लेकिन कभी भी अपने डॉक्यूमेंट्स या बैंक अकाउंट की जानकारी किसी को भी न दें .
- ज्यादा पैसे कमाने वाले स्कैम के लालच में बिल्कुल न फंसें. कोई भी कंपनी आपको खुशकिस्मत बता कर लाखों का सामान या कैश नहीं देगी.
- यदि कोई फोन या ऑनलाइन पैसे की मांग करता है, तो यह सबसे अधिक संभावना है कि यह एक स्कैम है. ऐसे स्थिति में लोगों को न तो पैसे ट्रांसफर करना चाहिए न अपना ओटीपी शेयर करना चाहिए. इस उभरते साइबर खतरे से खुद को बचाने के लिए सतर्क और सूचित रहना महत्वपूर्ण है.
- आप साइबर अपराध का मामला राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा हेल्पलाइन नंबर 1930 या अधिकृत वेब पोर्टल www.cybercrime.gov.in पर दर्ज कर सकते है.