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क्रिप्टो करेंसी और इसका भविष्य

    क्रिप्टो करेंसी उस प्रकार का मुद्रा नहीं है, जिसका उपयोग वास्तविक दुनिया में किया जा सके. इसका उपयोग केवल डिजिटल दुनिया में लेनदेन करने के लिए किया जा सकता है. इसलिए क्रिप्टो करेंसी का उपयोग खरीद-बिक्री में करने के लिए, इसे डिजिटल रूप से वास्तविक दुनिया में उपयोग की जाने वाली मुद्रा में परिवर्तित करना होगा, जैसे डॉलर या भारतीय रुपया इत्यादि. क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन को रिकॉर्ड करने और नई इकाइयाँ जारी करने के लिए कोई केंद्रीय जारीकर्ता प्राधिकरण नहीं होता है. बल्कि, इसके लिए विकेंद्रीकृत प्रणाली का उपयोग किया जाता है.

    क्रिप्टो करेंसी क्या है (What is Cryptocurrency in Hindi)?

    क्रिप्टो करेंसी डिजिटल मनी का एक रूप है. इस डिजिटल बाजार में किए गए लेनदेन और विनिमय के बारे में जानकारी की सुरक्षा के लिए ब्लॉकचेन तकनीक और क्रिप्टोग्राफी का उपयोग किया जाता है. इनमें सबसे लोकप्रिय बिटकॉइन है. लेकिन एथेरियम, रिपल और कई अन्य क्रिप्टो करेंसी भी बाजार में उपलब्ध है. यह अज्ञात है कि इसे किसने बनाया. इसके निर्माता को छद्म नाम सातोशी नाकामोटो से जाना जाता है.

    वास्तव में यह एक डिजिटल भुगतान प्रणाली है. यह लेनदेन को सत्यापित करने के लिए बैंकों पर निर्भर नहीं होती है. इससे भुगतान पूरी तरह से ऑनलाइन डेटाबेस में डिजिटल प्रविष्टियों के रूप में मौजूद होता है. जब क्रिप्टो करेंसी फंड स्थानांतरित किए जाते हैं, तो लेनदेन एक सार्वजनिक बहीखाता (Ledger) में दर्ज किया जाता है.

    • क्रिप्टो करेंसी में, “सिक्के (Coins)” (जो स्वामित्व के सार्वजनिक रूप से सहमत रिकॉर्ड हैं) “खनिकों (Miners)” द्वारा उत्पन्न या उत्पादित किए जाते हैं.
    • ये खनिक वे लोग हैं जो विशेष रूप से काम के सबूत देनेवाली पहेलियों (proof-of-work puzzles) को हल करने के लिए बनाए गए ASIC (Application Specific Integrated Circuit) उपकरणों पर प्रोग्राम चलाते हैं.
    • सिक्कों के खनन का काम करने के बदले इन खनिकों को क्रिप्टो करेंसी में ही भुगतान किया जाता है.
    • सिक्कों की कमी और उनकी मांग में बढ़ोतरी के कारण क्रिप्टो के मूल्य में उतार-चढ़ाव होता है.
    • कई जगह क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल फिएट करेंसी की तरह ही सामान खरीदने के लिए किया जा सकता है.
    • क्रिप्टो करेंसी लेनदेन को सत्यापित और सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी तकनीक का इस्तेमाल करती है, जिसे ब्लॉकचैन एन्क्रिप्शन प्रणाली कहा जाता है.
    • ब्लॉकचेन एन्क्रिप्शन से लेनदेन में छेड़छाड़, जालसाजी और अन्य प्रकार के धोखाधड़ी से अपरिवर्तनीय और सुरक्षित बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
    • ये डिजिटल परिसम्पत्ति (Digital Assets) है, जो भौतिक रूप में मौजूद नहीं है. इसे आमतौर पर किसी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा जारी नहीं किया जाता है और प्राधिकरण के नियंत्रण से मुक्त एक विकेन्द्रीकृत मुद्रा है.
    • दूसरी तरफ, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा पर सरकार या सरकार के केंद्रीय बैंक का नियंत्रण होता है. क्रिप्टो पर करीब-करीब इसके विपरीत नियंत्रण होता है.

    ब्लैकचैन तकनीक और इसकी कार्यप्रणाली (Blockchain technology and its functioning)

    ब्लॉकचेन क्या है (What is Blockchain in Hindi)?

    ब्लॉकचेन एक एन्क्रिप्टेड सार्वजनिक बही खाता है. इसके माध्यम से डिजिटल संपत्तियों को स्थानांतरित, रिकॉर्ड और संग्रहीत किया जा सकता है. यह एक विकेन्द्रीकृत नेटवर्क है, जिसे वितरित-लेजर तकनीक (Distributed Ledger Technology) भी कहा जाता है. मतलब इस नेटवर्क में लेनदेन के लिए कोई प्रहरी या सेवाप्रदाता के रूप में कोई प्राधिकरण मौजूद नहीं है.

    नेटवर्क में भाग लेने वाले कंप्यूटरों को श्रृंखला के भीतर प्रत्येक “ब्लॉक” (यानी, प्रवेश या लेनदेन) को सत्यापित करने और सुविधाजनक बनाने का काम सौंपा जाता है. कुछ मामलों में, सभी कंप्यूटर प्रत्येक ब्लॉक कार्रवाई को सत्यापित करने और सुविधाजनक बनाने के लिए एक साथ काम करते हैं. अन्य मामलों में, कंप्यूटरों के एक समूह को यादृच्छिक रूप से (On Random Basis) चुना जाता है.

    इसी प्रक्रिया के कारण ब्लॉकचेन लेनदेन सुरक्षित होता है और हैकर्स के लिए इसमें बदलाव करना लगभग असंभव हो जाता है. इस प्रक्रिया में एक ही लेनदेन या प्रविष्टि को हजारों कंप्यूटरों द्वारा सत्यापित किया जाता है. दुनिया भर में बहुत सारे कंप्यूटर हरपाल हरेक लेनदेन को सत्यापित करने के लिए काम कर रहे हैं. यदि कंप्यूटरों के बीच असहमति होती है, तो लेनदेन रद्द कर दिया जाएगा. इस जटिल सत्यापन प्रक्रिया के कारण ब्लॉकचेन लेनदेन धीमा हो जाता है और ऊर्जा की बड़ी मात्रा में खपत होती है.
    ब्लॉकचेन एन्क्रिप्टेड क्यों होते है?

    इसका उद्देश्य संवेदनशील डेटा को उन लोगों से बचाना होता है जो इस संचार में वैध रूप से शामिल नहीं होते है. उदाहरण के लिए, जनता देख सकती है कि कोई लेनदेन हुआ है या कोई जानकारी दर्ज की गई है. लेकिन वे लेन-देन में शामिल लोगों की पहचान नहीं कर पाते है. कुछ मामलों में अन्य लोग लेन-देन की सामग्री को देखने में भी सक्षम नहीं होते हैं.
    ब्लॉकचेन को तकनीकी क्रांतिकारी क्यों माना जाता है?

    इसमें अत्यधिक सुरक्षित व स्थायी तरीके से लेनदेन और जानकारी अपने रिकॉर्ड में संग्रहीत करने की क्षमता होती है. इसकी यही खासियत इसे एक आकर्षक तकनीक बनाती है. यहां ब्लॉकचेन के संभावित उपयोग के मामलों की एक सीमित सूची दी गई है:

    ★ घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय भुगतान
    ★ समझौता
    ★ स्वास्थ्य देखभाल रिकॉर्ड
    ★ रियल एस्टेट लेनदेन
    ★ ऊर्जा लेनदेन
    ★ आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन
    ★ डिजिटल कला लेनदेन
    ★ मतदान

    इसके अलावा, ब्लॉकचेन एक ओपन सोर्स नेटवर्क है. यह खासियत वेब डेवलपर्स को इसकी तकनीक को सुधारने या बदलते वक्त के अनुसार नया बनाने का स्वायत्ता देता है. ब्लॉकचेन पारिस्थितिकी तंत्र जितना अधिक कुशल होगा, निगमों, सरकारों और जनसामान्य के लिए इसे अपनाना उतना ही आसान होगा.
    Blockchain Technology functional Process explained in Hindi for UPSC
    ब्लॉकचैन क्या है और कैसे काम करता हैं?

    क्रिप्टो करेंसी का उद्भव और विकास (Evolution and Development of Cryptocurrency)

    साल 2008 में अमेरिका का चौथे सबसे बड़े बैंक लेहमन ब्रदर्स (Lehman Brothers) दिवालिया हो गया. इसके बाद पुरे दुनिया में बैंकिंग और मुद्रा इकोसिस्टम पर सवाल उठने लगे. इसी साल सातोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) नाम से एक व्यक्ति ने 31 अक्टूबर को मेट्ज़ड़ौद.कॉम (metzdowd.com) पर क्रिप्टो करेंसी पर श्वेत पत्र (White Paper) प्रस्तुत किया. इसके अगले साल 3 जनवरी को बिटकॉइन नाम का क्रिप्टो डिजिटल मुद्रा इन्होंने जारी किया.

    इस डिजिटल क्रिप्टेड मुद्रा पर काम साल 2007 में ही शुरू कर दिया गया था. 18 अगस्त 2008 को बिटकॉइन.कॉम (bitcoin.com) नाम वेबसाइट को लांच कर दिया गया. इस तरह सरकार के नियंत्रण से मुक्त क्रिप्टो करेंसी का जन्म हुआ. इसे आधुनिक दुनिया में प्रौद्योगिकी के सबसे बड़े आविष्कारों में से एक माना जाता है. कुछ मतों के अनुसार यह पिछले दस वर्षों में यह सबसे बड़ा प्रौद्योगिकी आविष्कार है.

    आरम्भ में यह उतना प्रसिद्ध नहीं था, लेकिन बाद के समय में बिटकॉइन की कीमत तेजी से बढ़ने लगी. इस एक घटना ने दुनिया का ध्यान इसके तरफ खिंचा और लोग इसमें निवेश करने लगे. इसलिए क्रिप्टो करेंसी बहुत ही कम समय में बहुत लोकप्रिय हो गई.

    इसे बनाने के पीछे पीयर-टू-पीयर इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम का विहार था, जो विकेंद्रीकृत होगा और कोई भी इसका मालिक नहीं होगा. विकेंद्रीकृत नेटवर्क में कोई सर्वर नहीं होता है. इसलिए व्यक्तिगत संस्थाएँ सभी कार्य स्वयं करती हैं.

    नेटवर्क में प्रत्येक सहकर्मी के पास लेनदेन की एक सूची होती है. इसलिए ऐसा लगता है कि हर कोई इसे नियंत्रित करता है. लेकिन कोई भी इसका मालिक नहीं है. बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी में एक बड़ा नेटवर्क होता है जिस पर कई सहकर्मी काम करते हैं और प्रत्येक सहकर्मी के पास पूरे इतिहास का रिकॉर्ड होता है. इसमें अब तक हुए सभी लेनदेन शामिल होते हैं.

    आज के समय में करीब 18 हजार से अधिक क्रिप्टो करेंसी प्रचलित है. हालाँकि, बिटकॉइन को जितनी सफलता मिली, उतना किसी और को नहीं मिल पाया. आज के वक्त इसमें बड़े-बड़े उद्योगपतियों और बैंकों ने इसमें निवेश किया हुआ है. दुनिया के सबसे अमीर इंसान और टेस्ला कार कम्पनी के मालिक, एलोन मास्क ने भी इस करेंसी में निवेश किया हुआ है.

    हालाँकि, क्रिप्टो करेंसी के नाम कर दुनिया भर में कई धोखाधड़ी के मामले भी सामने आए है. वास्तव में बिटकॉइन आने के बाद कई तरह के क्रिप्टो का चलन हुआ है. लेकिन इनमें कौन सा सही है और कौन सा गलत, इसके बारे में जागरूकता का अभाव है. जनता में जानकारी के इसी अभाव का जालसाज फ़ायदा उठा रहे है और वे अपना कीमती धन खो रहे है. हालाँकि, कॉइन मार्किट कैप (https://coinmarketcap.com/) जैसे वेबसाइट भी इस दौरान बनाए गए है, जो वैध क्रिप्टो को सूचीबद्ध करने का प्रयास कर रहा है.

    क्रिप्टो मुद्रा का विस्तार और भविष्य

    क्रिप्टो करेंसी के शुरुआत के बाद से इसके मूल्य में कई उतार-चढ़ाव हुआ. एक समय में कोई इससे तुरंत ही अरबपति हो जाता था तो अगले पल ही अपना सबकुछ खो देता था. इसमें अत्यधिक अनिश्चितता के कारण इसे कुछ लोग क्षणिक आकर्षण का केंद्र मान रहे थे. 2009 में ऑनलाइन दुनिया में सीरियस के नाम से प्रसिद्ध मार्टी माल्मी लगभग 414.65 रुपये में 5,050 बिटकॉइन बेचे. अमरीकी डॉलर में इतने बिटकॉइन का मूल्य उसवक्त $0.0009 आंका गया.

    लेकिन करीब डेढ़ दशक बाद की तस्वीर बिलकुल अलग है. अब एक बिटकॉइन की कीमत भारतीय रूपये में 571,33,88,350 है, जो अमेरिकी डॉलर में करीब $68,498,663 होता है. कोविड महामारी के दौरान भी क्रिप्टो करेंसी के भावों में तेज उछाल देखा गया. लेकिन अब भी यह एक बड़ा सवाल यह है कि क्रिप्टो करेंसी के लिए यह दीवानगी कब तक रहेगी? क्या यह वर्तमान पारंपरिक मुद्रा की जगह लेगी? क्या यह मुद्राओं और अनुबंधों के व्यापार और विनिमय का एक और तरीका बन पाएगा?

    अपने प्रादुर्भाव से मार्च 2023 तक करीब 22 हजार प्रकार के क्रिप्टो परिसम्पतियों का जन्म हुआ. लेकिन इसी साल अक्टूबर के आते-आते आधे से अधिक तबाह हो गए. फिलहाल भी 10 हजार से अधिक क्रिप्टो प्लेटफार्म सक्रीय है. जिस गति से क्रिप्टो परिसंपत्तियां बन रही है और समाप्त हो रही है, उसने सरकारी दखल को समय का मांग बना दिया है. ऐसे में क्रिप्टो करेंसी भी विकेन्द्रीकरण समाप्त हो सकता है और इसपर सरकारी निगरानी हो सकती है.

    फिर भी आज के वक्त कुल क्रिप्टो उद्योग का कारोबार अरबो डॉलर का है. कई विकसित और विकासशील देशों ने इसे भुगतान के क़ानूनी रूपों में स्वीकार कर लिया है. बिटकॉइन में भुगतान को क़ानूनी मान्यता देने वाले दो देश जर्मनी और स्विटज़रलैंड है. लेकिन अविकसित और अल्पविकसित अर्थव्यवस्था वाले देश अभी इसे स्वीकार नहीं कर रहे है.

    इसके बढ़ते प्रभाव के कारण कई देश भी अपना क्रिप्टो मुद्रा जारी करने के प्रयास में है. रूस भी क्रिप्टोरुबल के नाम से अपना मुद्रा जारी करने के कगार पर है. लेकिन इसे सिर्फ रुसी सरकार ही जारी कर सकेगी और लेनदेन पर नजर भी रखेगी. हालाँकि रूस ने क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगाया हुआ है.

    वहीं चीन ने भी इसके उपयोग पर पुरी तरह प्रतिबन्ध लगा दिया है. चीन में इसका उपयोग केवल ऑफशोर व्यवसायों में ही करने की अनुमति है. कई देशों ने इसे आपराधिक गतिविधियों को नियंत्रित रखने के लिए इसके उपयोग पर रोक लगाया हुआ है.

    इसी के साथ दुनियाभर में क्रिप्टो से जुड़े धोखाधड़ी और इससे जुड़े डर और भय भी अपना माहौल बना रहा है. वस्तुतः यह किसी भी केंद्रीय बैंक द्वारा जारी नहीं किया जाता है. ऐसे में इस डिजिटल मुद्रा के ग्राहक कम होने पर नुकसान के लिए सरकार का दरवाजा नहीं खटखटाया जा सकता है. वस्तुतः क्रिप्टो निजी कॉर्पोरेट्स द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा है, जिसका इस्तेमाल वे अपने धन के वृद्धि में कर रहे है. साथ ही, कई आम लोग भी इससे फायदा उठाने में जुटे है.

    बुल्गारिया ने अपनी खुद की क्रिप्टो करेंसी बनाई और उसने इसे वनकॉइन कहा. लेकिन यह एक घोटाला साबित हुआ. लेकिन इन सबके बावजूद एक वैश्विक भुगतान प्रणाली का वकालत किया जा रहा है. इससे मुद्रा युद्ध से बचा जा सकेगा. इसे क्रिप्टो तकनीक पर अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण में लागू किए जाने की चर्चा की जा रही है.

    फिलहाल यह विवादास्पद मुद्दा है, क्योंकि वैश्विक मुद्रा से जुड़ा कानूनी ढांचा अभी भी नहीं बनाया गया है. इसे हर जगह व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता है, लेकिन हर देश की अपनी एक राय होती है और वह अलग-अलग निर्णय लेता है.

    कुछ प्रसिद्ध क्रिप्टो करेंसी के प्रकार (Some famous types of Cryptocurrency in Hindi)

    1. बिटकॉइन (BTC)

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    बिटकॉइन सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टो करेंसी है और इसे 2009 में एक गुमनाम व्यक्ति या समूह द्वारा छद्म नाम सातोशी नाकामोटो का उपयोग करके बनाया गया था. यह क्रिप्टो मुद्रा बाजार का पहला करेंसी था. लेकिन शुरूआती वर्षों में इसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

    इस प्लेटफ़ॉर्म के लिए रूचि साल 2013 में देखा गया. दुनिया भर में भविष्य में आरक्षित मुद्रा के रूप में के साथ ही एक वैकल्पिक मौद्रिक और वित्तीय प्रणाली के रूप में इसपर चर्चा किया जाने लगा. इसी दौर में उद्योग जगत की कई कंपनियों और दक्षिण कोरिया, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के लोगों ने बिटकॉइन को खरीदना शुरू कर दिया.

    उनका मानना था कि अगर यह ऐसे ही बढ़ता रहा तो यह अमेरिकी डॉलर की जगह रिजर्व करेंसी बन सकती है. इससे पहले बिटकॉइन को अपराधियों का डिजिटल परिसंपत्ति माना जाता था, जिसका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा था. लेकिन इसके कीमत में उछाल और इसमें लोगों के निवेश की रूचि ने क्रिप्टो बाजार का छवि पुरी तरह बदल दिया.

    यहाँ गुमनाम होकर निवेश किया जा सकता था. साथ ही लेनदेन को ट्रैक नहीं किया जा सकता था. इसलिए इसमें काफी बड़ी मात्रा में निवेश किया जाने लगा. व्यापार के क्षेत्र में अपनाने वाले देशों में जापान सबसे आगे है. यहाँ बिटकॉइन के इस्तेमाल से कई प्रकार के सेवाओं का भुगतान किया जा सकता है. साथ ही कुछ उत्पाद भी ख़रीदे जा सकते है.

    • यह एक विकेन्द्रीकृत डिजिटल मुद्रा है जो केंद्रीय बैंक या एकल प्रशासक के बिना संचालित होती है.
    • लेन-देन एक सार्वजनिक बहीखाता (Ledger) पर दर्ज किया जाता है, जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता है. बिटकॉइन की नई इकाइयाँ खनन नामक प्रक्रिया के माध्यम से बनाई जाती हैं.
    • बिटकॉइन को दुनिया भर में कई व्यापारियों और व्यवसायों द्वारा भुगतान के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है. इसकी अधिकतम आपूर्ति 21 मिलियन सिक्कों की है.

    मार्केट कैप: करीब $664 बिलियन (29 अक्टूबर 2023 तक)

    2. एथेरियम (ETH)

    बिटकॉइन के बाद एथेरियम दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी है. इसे 2015 में विटालिक ब्यूटिरिन द्वारा बनाया गया था.

    • एथेरियम एक विकेन्द्रीकृत सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म है. यह डेवलपर्स को अच्छे प्रदर्शन वाले विकेन्द्रीकृत ऐप्स बनाने और तैनात करने में सक्षम बनाता है.
    • एथेरियम प्लेटफ़ॉर्म पर उपयोग की जाने वाली मुद्रा को ईथर कहा जाता है. इसका उपयोग नेटवर्क पर लेनदेन शुल्क और कम्प्यूटेशनल सेवाओं का भुगतान करने के लिए किया जाता है.
    • एथेरियम अपनी स्मार्ट अनुबंध (Smart Contract) कार्यक्षमता के लिए जाना जाता है, जो विकेंद्रीकृत अनुप्रयोगों के निर्माण की अनुमति देता है. यह कुछ शर्तों के पूरा होने पर स्वचालित रूप से निष्पादित हो सकता है.
    • कई मायनो में बिटकॉइन और एथेरियम समान है. दोनों ब्लॉकचैन और विकेन्द्रीकृत प्रणाली पर आधारित है. लेकिन,एथेरियम की स्मार्ट अनुबंध प्रणाली इसे बिटकॉइन से बेहतर बनता है. इससे क्रिप्टो का हस्तांतरण सरलता से हो पाता है. इसी तकनीक के कारण एथेरियम बड़े निवेशकों में काफी लोकप्रिय हो गया था.

    मार्केट कैप: करीब $213 बिलियन (29 अक्टूबर 2023 तक)

    3. टीथर यूएसडीटी (Tether USDt)

    टीथर (यूएसडीटी) एक स्थिर मुद्रा क्रिप्टो करेंसी है जिसे 2014 में लॉन्च किया गया था. यह एक विकेन्द्रीकृत डिजिटल संपत्ति है. इसे अमेरिकी डॉलर जैसी पारंपरिक फिएट मुद्राओं के सापेक्ष स्थिर मूल्य बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

    मुद्रा को 1:1 के अनुपात में अमेरिकी डॉलर से जोड़ा गया है. मतलब एक टीथर हमेशा एक अमेरिकी डॉलर के बराबर होता है.
    इसे बिटकॉइन ब्लॉकचेन और ओमनी लेयर प्रोटोकॉल पर बनाया गया है. यहाँ इसका उपयोग क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंजों और अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए तरलता प्रदान करने के लिए किया जाता है.

    मार्केट कैप: करीब $84 बिलियन (29 अक्टूबर 2023 तक)

    4. बाइनेन्स (BNB)

    बायनेन्स दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज प्लेटफार्मों में से एक है. इसके पास बाइनेन्स कॉइन नामक एक देशी टोकन है. 24 मार्च 2023 को इसका बाजार पूंजीकरण $51 बिलियन से अधिक था. लेकिन हाल के समय में यह घटकर करीब $34 बिलयन रह गया है. इस करेंसी का उपयोग बाइनेन्स एक्सचेंज पर लेनदेन शुल्क के भुगतान के लिए किया जाता है. कई निवेशक इसके एक प्रतिष्ठित एक्सचेंज द्वारा समर्थित और वृद्धि की संभावना से निवेश कर रहे है.

    मार्केट कैप: करीब $34 बिलियन (29 अक्टूबर 2023 तक)

    5. रिपल (एक्सआरपी)

    रिपल एक डिजिटल भुगतान प्रोटोकॉल है जिसे 2012 में रिपल लैब्स द्वारा बनाया गया था.

    • रिपल नेटवर्क पर उपयोग की जाने वाली मुद्रा को एक्सआरपी कहा जाता है. इसका उपयोग विभिन्न मुद्राओं के बीच लेनदेन को सुविधाजनक बनाने के लिए किया जाता है.
    • रिपल की दुनिया भर में कई वित्तीय संस्थानों के साथ साझेदारी है. इसकी तकनीक का उपयोग बैंकों और अन्य भुगतान प्रदाताओं द्वारा अपनी सीमा पार भुगतान सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है.
    • एक्सआरपी को विशेष रूप से सुरक्षित, त्वरित और कम लागत वाले अंतर्राष्ट्रीय धन हस्तांतरण को सक्षम करने के लिए डिज़ाइन किया गया था.

    मार्केट कैप: करीब $29 बिलियन (29 अक्टूबर 2023 तक)

    6. यूएसडी कॉइन (USDC)

    यूएसडी कॉइन (यूएसडीसी) यूनाइटेड स्टेट्स डॉलर से जुड़ा एक डिजिटल स्थिर क्रिप्टो मुद्रा है. इसका प्रबंधन सेंटर नामक एक कंसोर्टियम द्वारा किया जाता है. इसकी स्थापना सर्कल नामक संस्था द्वारा की गई थी. सर्कल में क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज “कॉइनबेस” और बिटकॉइन माइनिंग कंपनी “बिटमैन”, के सदस्य शामिल हैं. ये सर्कल में निवेशक भी है. यूएसडीसी एक निजी संस्था द्वारा जारी किया गया है. इसलिए इसे केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) समझकर भ्रमित नहीं होना चाहिए.

    • यह मुख्यतः एथेरियम ईआरसी-20 टोकन के रूप में उपलब्ध है. साथ ही यह हेडेरा हैशग्राफ, अल्गोरंड, एवलांच, सोलाना, स्टेलर, पॉलीगॉन और टीआरओएन ब्लॉकचेन पर उपलब्ध है.
    • 2023 के अगस्त में, सर्कल ने घोषणा की कि यूएसडीसी छह अतिरिक्त ब्लॉकचेन पर उपलब्ध होगा. ये है बेस, नोबल नेटवर्क के माध्यम से कॉसमॉस, एनईएआर, ऑप्टिमिज्म, पोलकाडॉट और पॉलीगॉन पीओएस.
    • वीज़ा ने घोषणा की है कि वह एक पायलट कार्यक्रम का विस्तार कर रहा है जो व्यापारियों को क्रिप्टो करेंसी में भुगतान करने में मदद करने के लिए सोलाना ब्लॉकचेन पर यूएसडीसी भेजता है.
    • यूएसडीसी भी बिटकॉइन ब्लॉकचेन और टीथर (यूएसडीटी) जैसे ओमनी लेयर प्रोटोकॉल पर बनाया गया है और इसका उपयोग क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंजों और अंतरराष्ट्रीय लेनदेन को तरलता प्रदान करने के लिए भी किया जाता है.

    मार्केट कैप: करीब $24 बिलियन (29 अक्टूबर 2023 तक)

    7. सोलाना (SOL)

    सोलाना (एसओएल) को 2017 में एक विकेन्द्रीकृत ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म के रूप में बनाया गया था. यह वेब डेवलपर्स को स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का उपयोग करके उच्च-प्रदर्शन वाले विकेन्द्रीकृत एप्लिकेशन और डिजिटल संपत्ति जैसे दस्तावेज़, ऑडियो, वीडियो और वेबसाइट बनाने की अनुमति देता है.

    • इसका प्रसंस्करण तेज लेनदेन को सक्षम कर भुगतान में लगने वाले समय को बचता है. साथ ही यह कम लेनदेन शुल्क पेश करता है. इसी दो खासियतों के कारण यह अन्य ब्लॉकचेन प्लेटफार्मों द्वारा सामना की जाने वाली स्केलेबिलिटी समस्याओं को भी हल करता है.
    • सोलानो प्रति सेकंड 65,000 लेनदेन संभाल सकता है. अपने हाई-स्पीड नेटवर्क के कारण यह काफी लोकप्रिय हो गया है.

    मार्केट कैप: करीब $13 बिलियन(29 अक्टूबर 2023 तक)

    8. कार्डानो (ADA)

    कार्डानो एक तीसरी पीढ़ी का ब्लॉकचेन प्लेटफ़ॉर्म है. इसे बहुस्तरीय आर्किटेक्चर के साथ डिज़ाइन किया गया है. इस तकनीक के कारण डीएपी अधिक कुशल स्केलेबिलिटी और लचीलेपन से लैस है.

    • कार्डानो प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध क्रिप्टो करेंसी को एडीए (ADA) कहा जाता है.
    • इसका उपयोग लेनदेन शुल्क, स्टेकिंग और मूल्य के भंडार के रूप में किया जाता है. कार्डानो अपनी नवीन तकनीक के लिए जाना जाता है.
    • इस नेटवर्क की सुरक्षा और कम ऊर्जा खपत के लिए प्रूफ-ऑफ-स्टेक तंत्र (proof-of-stake mechanism) का उपयोग किया जाता है.

    मार्केट कैप: करीब $10 बिलियन (29 अक्टूबर 2023 तक)

    9. डॉगकॉइन (DOGE)

    डॉगकॉइन आज बाज़ार में सबसे लोकप्रिय मेमेकॉइन है. इसे 2013 में बिली मार्कस और जैक्सन पामर नाम के दो ब्लॉकचेन इंजीनियरों ने एक मजाक के रूप में बनाया था. हालाँकि, इसमें प्रसिद्ध उद्योगपति व टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क ने भी निवेश किया है. इस निवेश के एक हिस्सा का इस्तेमाल उन्होंने ट्विटर (अब एक्स) को खरीदने के लिए भी किया था.

    • डॉगकोइन एक विकेन्द्रीकृत पीयर-टू-पीयर नेटवर्क पर काम करता है. इसमें एक अद्वितीय (unique) खनन एल्गोरिदम का उपयोग किया गया है. इसी कारण यह व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं के लिए अधिक सुलभ है.
    • अन्य क्रिप्टो करेंसी की तुलना में डॉगकोइन का लेनदेन जल्दी और कम शुल्क के साथ संसाधित होता है. इसी कारण यह छोटे लेनदेन और सोशल मीडिया पर टिपिंग के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बन गया है.
    • डॉगकॉइन अपने सक्रिय और सहायक समुदाय के लिए भी जाना जाता है, जिन्होंने इसके विकास और अपनाने में योगदान दिया है.

    मार्केट कैप: $9 बिलियन (29 अक्टूबर 2023 तक)

    10. ट्रोन (TRX)

    यह एक विकेन्द्रीकृत और ब्लॉकचेन-आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम है. इसके तकनीक में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट वाली कार्यक्षमता, अल्गोरिथम के रूप में प्रूफ-ऑफ-स्टेक और ट्रोनिक्स (TRX) के रूप में सिस्टम का मूल क्रिप्टो करेंसी शामिल है. इसकी स्थापना मार्च 2014 में जस्टिन सन द्वारा की गई थी. 2017 से इसकी देखरेख और पर्यवेक्षण ट्रोन फाउंडेशन द्वारा किया जाता है. इस संस्था का स्थापना गैर-लाभकारी संगठन के रूप में साल 2017 में किया गया था.

    यह मूल रूप से एक एथेरियम-आधारित ERC-20 टोकन था. 2018 में अपने प्रोटोकॉल को वर्तमान ब्लॉकचेन सिस्टम से बदल दिया गया. TRC20 में स्थानांतरण के लिए प्रति 1 USDT सिक्के पर 5 ट्रॉन का शुल्क है. कुछ क्रिप्टो करेंसी वॉलेट पर, उपयोगकर्ता अपने यूएसडीटी फंड को तब तक नहीं निकाल सकते जब तक उनके पास नेटवर्क शुल्क के लिए पर्याप्त धन न हो.

    मार्केट कैप: 8 बिलियन (29 अक्टूबर 2023 तक)

    11. पॉलीगॉन (MATIC)

    पॉलीगॉन (MATIC) को 2017 में एथेरियम ब्लॉकचेन के लिए लेयर-2 स्केलिंग समाधान के बनाया गया था. यह पॉलीगॉन नेटवर्क का एक मूल टोकन है.

    • पॉलीगॉन ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म, एथेरियम उपयोगकर्ताओं को तेज और सस्ते लेनदेन में मदद करता है.
    • यह भी एथेरियम नेटवर्क के समान विकेंद्रीकृत अनुप्रयोगों (DAP) और स्मार्ट अनुबंधों के निर्माण का समर्थन करता है.
    • मार्च 2023 में इसका बाजार पूंजीकरण 10 बिलियन डॉलर था, जो अब घटकर करीब 6 बिलियन डॉलर ही रह गया है.
    • मार्केट कैप: $5 बिलियन (29 अक्टूबर 2023 तक)

    क्रिप्टो करेंसी कैसे स्टोर होता है (How Cryptocurrency is Stored in Hindi)

    क्रिप्टो करेंसी खरीदने के बाद इसे हैकर्स से सुरक्षा प्रदान करना होता है. इसके लिए ऑनलाइन या भौतिक उपकरणों का सहयोग लिया जाता है. इसे वॉलेट (बटुआ) कहा जाता है. सभी एक्सचेंज या ब्रोकर क्रिप्टो वॉलेट सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं. क्रिप्टो करेंसी को सिर्फ इन चार स्थानों पर संग्रहीत किया जा सकता है:

    • कस्टोडियल वॉलेट (Custodial Wallet): इसमें, क्रिप्टो एक्सचेंज जैसी किसी तीसरी पार्टी द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को कोल्ड स्टोरेज या हॉट स्टोरेज या दोनों के संयोजन के माध्यम से संग्रहीत किया जाता है.
    • कोल्ड वॉलेट (Cold Wallet): इसे हार्डवेयर वॉलेट भी कहा जाता है. यह एक ऑफलाइन वॉलेट है. इसमें हार्डवेयर कंप्यूटर से कनेक्ट होता है और क्रिप्टोकरेंसी को स्टोर करता है. क्रिप्टोकरेंसी भेजने और प्राप्त करने के समय डिवाइस इंटरनेट से कनेक्ट होता है. साथ ही, क्रिप्टो को ऑफ़लाइन सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाता है.
    • हॉट वॉलेट (Hot Wallet): ये वे एप्लिकेशन हैं जो क्रिप्टोकरेंसी को ऑनलाइन स्टोर करते हैं. ये डेस्कटॉप या मोबाइल ऐप के रूप में उपलब्ध हैं.
    • पेपर वॉलेट (Paper Wallet): इसे फिजिकल वॉलेट के नाम से भी जाना जाता है. यह सार्वजनिक और निजी कुंजियों का एक प्रिंटआउट होता है जो वर्णों की एक श्रृंखला या स्कैन करने योग्य क्यूआर कोड के रूप में उपलब्ध है. क्रिप्टो भेजने के लिए सार्वजनिक और निजी कुंजी को स्कैन किया जाता है. जबकि सार्वजनिक कुंजी का उपयोग करके क्रिप्टो प्राप्त किया जाता है.
     कस्टोडियल वॉलेटकोल्ड बटुआहॉट वॉलेटपेपर बटुआ
    परिभाषाक्रिप्टो एक्सचेंज जैसे तृतीय-पक्ष क्रिप्टोकरेंसी को संग्रहीत करते हैं.हार्डवेयर कंप्यूटर से जुड़ता है और क्रिप्टोकरेंसी को स्टोर करता है.एप्लिकेशन जो क्रिप्टोकरेंसी को ऑनलाइन संग्रहीत करते हैं.सार्वजनिक और निजी चाबियों का भौतिक भंडारण.
    फ़ायदा★ सरल एवं सुविधाजनक तरीका
    ★ आसान पहुँच
    ★ क्रिप्टो वॉलेट खोने की कोई चिंता नहीं.
    ★ सुरक्षा का उच्चतम स्तर. ★ क्रिप्टो पर नियंत्रण देता है
    ★ लगभग हमेशा मुफ़्त
    ★ प्रयोग करने में आसान
    ★ न्यूनतम संभव लागत पर अधिकतम सुरक्षा
    हानि★ क्रिप्टो को तीसरे पक्ष के कब्जे में छोड़ने का सुरक्षा जोखिम★ क्रिप्टो को ऑनलाइन संग्रहीत करने की तुलना में प्रक्रिया धीमी है
    ★ उपकरण लागत
    ★ हैक होने का खतरा★ कम उपयोगकर्ता के प्रति अनुकूल
    ★ बटुआ खोने का जोखिम

    क्रिप्टो करेंसी का प्रभाव (Effects of Cryptocurrency in Hindi)

    क्रिप्टो करेंसी डिजिटल सोने का प्रतिनिधित्व करती है, यह वह पैसा है जिसे राजनीतिक शासन द्वारा प्रभावित नहीं किया जा सकता है. ओककॉइन, पोलोनिक्स या शेपशिफ्ट इत्यादि कुछ क्रिप्टोन एक्सचेंज है, जहाँ सैकड़ों क्रिप्टो करेंसी का व्यापार किया जा सकता है. इनमें कई का दैनिक कारोबार का मात्रा तो यूरोपीय स्टॉक एक्सचेंज के तुलना में भी बड़ा है. इसी वजह से क्रिप्टो करेंसी का मुद्रा बाजार (Currency Market) और अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव है. इन प्रभावों में कुछ ख़ास इस प्रकार है-

    1. डार्क वेब को ताकत: डार्क वेब एक ऐसी जगह है जहां बहुत सारी अवैध वस्तुएं बिक्री के लिए उपलब्ध होते है. बिटकॉइन से गोपनीय भुगतान कर इस अवैध लेनदेन को छिपाया जाए सकता है. इसलिए क्रिप्टो करेंसी के सशक्त होने पर साइबर अपराध में वृद्धि से इनकार नहीं किया जा सकता है.
    2. अटकलें (Speculations): शेयर बाजार में उतर-चढ़ाव बाजार की स्थिति, कंपनियों के प्रदर्शन और राजनैतिक स्थिरता जैसे माहौल से तय होते है. लेकिन, क्रिप्टो बाजार के लिए ऐसे कोई औजार नहीं है. इसलिए बिना थाह वाला यह बाजार कभी काफी तेजी से बढ़ता है तो कभी काफी नीचे आ जाता है. उदाहरण के लिए, जनवरी 2015 में बिटकॉइन का मूल्य 170 डॉलर था और जुलाई 2017 में यह 2772 डॉलर हो गया. फिर नवम्बर 2021 (कोविड महामारी के वक्त) में यह करीब 65 हजार यूएस डॉलर के पास पहुँच गया. अब इसका मूल्य गिरकर करीब 35000 हजार डॉलर के करीब है. ऐसे में क्रिप्टो बाजार पुरी तरह अटकलों पर आधारित है.
    3. मुद्रा पर राजनीति: हाल ही रूस-यूक्रेन युद्ध हुआ तो अमेरिका ने रूस के डॉलर रिज़र्व पर प्रतिबन्ध लगा दिया. यदि यह धन क्रिप्टो के रूप में होता तो अमेरिका ऐसा नहीं कर सकता था. साथ ही, विमुद्रीकरण, मुद्रा का अवमूल्यन और बैंक नीति के माध्यम से वैध मुद्रा पर सरकार का नियंत्रण रहता है. लेकिन, क्रिप्टो करेंसी इन सभी नियामकीय नियन्त्रों से मुक्त है. साथ ही, इस माध्यम से देश या विदेश में धन भेजने के लिए कागजी कार्रवाई, श्रम व धन की बचत हो जाती है. हालाँकि, सरकारों द्वारा इसे मान्य नहीं किया गया है, ऐसे में यह क्रिप्टो मुद्रा से अधिक डिजिटल संपत्ति बन जाता है. इस परिघटना को “मुद्रा का निजीकरण (Privatisation of Currency)” भी कहा जा सकता है.
    4. केंद्रीय बैंकों में आशंका: क्रिप्टो करेंसी पर केंद्रीय बैंकों का कोई नियंत्रण नहीं होता है. साथ ही इसमें लेनदेन को पकड़ा नहीं जा सकता है. ऐसे में अवैध धन को इस माध्यम से देश से बाहर भेजा जा सकता है. यह सरकारों के लिए एक बड़ी समस्या है और केंद्रीय बैंक धन के संभावित निष्कासन के आशंका से घिरे रहते है.
    5. नए प्राद्यौगिकी बाजार का उदय: वेब 2.0 के करीब एक दशक बीत जाने पर इंटरनेट की दुनिया शिथिल हो रही थी और इसका विकास दर औसत हो गया था. लेकिन, वेब 3.0 पर आधारित क्रिप्टोकरेंसी के उद्भव के साथ कई सारे बाजारों का उदय हुआ. इसमें क्रिप्टो एक्सचेंज, क्रिप्टो के जानकारी वाले वेबसाइट, क्रिप्टो करेंसी न्यूज़, माइनिंग और निवेश शामिल है. इसके कारण पारम्परिक मुद्रा बाजार की खामियां भी बाहर आ गई. जहाँ विदेशों में धन भेजने के लिए कई क़ानूनी कार्रवाहियों और भारी शुल्क का वहन करना पड़ता था. वहीं, क्रिप्टो तकनीक से चंद मिनटों में धन का हस्तांतरण किया जा सकता है. साथ ही, क्रिप्टो के आधारभूत संरचना के विकास से अनगिनत लोगों को रोजगार भी प्राप्त हुआ है.
    6. नए खासियत: यह सम्पत्ति के मामले में गोपनीयता, गुमनामी और सुरक्षा का एहसास दिलाता है. इंटरनेट के उपलब्धता वाले किसी भी स्थान से इसमें लेनदेन किया जा सकता है. साथ ही, मुद्रास्फीति और अवमूल्यन से बचने के लिए नए सिक्के सिमित मात्रा में ही जारी किये जाते है. बैंकिंग शुल्क के तुलना में क्रिप्टो करेंसी का हस्तांतरण काफी सस्ता और निर्बाध है.

    क्रिप्टो करेंसी की खामियां

    क्रिप्टो करेंसी में कुछ संभावित खतरे भी है, जो निम्नलिखित हैं:

    • सुरक्षा: लम्बे वक्त तक इसे सुरक्षित बनाए रखना मुश्किल है. आपके वॉलेट के निजी कुंजी (private key) दूसरों के हाथ पड़ने पर आप अपना धन खो भी सकते है.
    • स्थिरता: वास्तविक मुद्रा के तुलना में इसमें काफी तेज उतार-चढ़ाव होता है. इसके कारण बाजार में खरीद-बिक्री के लिए इसका इस्तेमाल सहज नहीं है. कीमत भुगतान करते समय भी इसके कीमत में बदलाव आ जाता है और विवाद होने का खतरा होता है.
    • गति: क्रिप्टो करेंसी को लोग तेजी से अपना रहे है. लेकिन ब्लॉकचैन की सुस्त रफ़्तार के कारण यह हस्तांतरण धीमा होता है. यह रुपे कार्ड, भीम एप्प, वीसा या मास्टरकार्ड के भाँती तेजी से काम नहीं कर सकता है.
    • विस्तार (Expansion): क्रिप्टो करेंसी काफी चर्चित है. लेकिन लोगों में इससे जुड़ी शिक्षाओं का अभाव है. ऐसे में इसका इस्तेमाल सिमित संख्या में सम्पन्न लोग कर रहे है. इसलिए इसकी समाज में स्वीकार्यता भी कम है.
    • बोझ क्षमता: ब्लॉकचैन तकनीक सिमित संख्या में ही लेनदेन संभाल सकता है. अत्यधिक बिकवाली या खरीदार के समय इस सिस्टम के धीमा पड़ने या क्रेश होने का भी खतरा है.
    • ऊर्जा: क्रिप्टो में लेनदेन को माइनिंग प्रक्रिया द्वारा सत्यापित किया जाता है. इसमें बड़ी संख्या में कंप्यूटर (या नोड्स) की आवश्यकता होती है. इसलिए इसमें ऊर्जा का काफी खपत होता है. जलवायु में हो रहे बदलाव के दृष्टि से यह सही कदम नहीं है.

    क्रिप्टो परिसंपत्ति पर अंतर्राष्ट्रीय गतिविधि (International Activities on Crypto Assests)

    हाल ही में भारत में संपन्न हुए जी20 सम्मलेन में क्रिप्टो करेंसी को नियम के दायरे में लाने का प्रस्ताव पारित किया गया है. यह काम अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को सौंपा गया था. इसके बाद आईएमएफ ने “आईएमएफ-एफएसबी सिंथेसिस पेपर: क्रिप्टो-परिसम्पत्तियों के लिए नीतियां (IMF-FSB Synthesis Paper: Policies for Crypto-Assets)” शीर्षक से 53 पन्नों का रिपोर्ट जारी किया है.

    इस पेपर में क्रिप्टो परिसम्पत्तियों के लिए व्यापक नियामक ढांचों का प्रस्ताव व विचार प्रस्तुत किया गया है. राष्ट्रों को अपने अधिकार क्षेत्र में घरेलू अर्थव्यवस्थाओं में जोखिम की सीमा के आधार पर अनियम लागू करने का सलाह इसमें दिया गया है. जी20 से परे देशों को भी इन नियमों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा.

    पेपर में क्रिप्टो परिसंपत्तियों के खनन, जारी करने और व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध की वकालत नहीं किया गया है. इसके बजाय इसमें क्रिप्टो करेंसी और परिसम्पत्तियों से जुड़े गतिविधियों की निगरानी के लिए प्राधिकरण के स्थापना का दवाब दिया गया है. पूर्ण प्रतिबंध का सुझाव तभी करने को कहा गया है जब पूंजी का बाह्य-प्रवाह अत्यधिक हो या इससे घरेलू वित्तीय प्रणाली के लिए जोखिम बहुत अधिक हो. इसमें भू-राजनीतिक मजबूरियों के मामले में उच्च जोखिम वाले देश जैसे चीन से उत्पन्न होने वाली चुनिंदा क्रिप्टो परिसम्पत्तियों पर प्रतिबन्ध का प्रस्ताव दिया गया है.

    भारत और क्रिप्टो करेंसी (India and Cryptocurrency)

    अनुमानों के अनुसार, भारत कई अमीर देशों को पछाड़कर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा क्रिप्टो बाजार बन गया है. इसके मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका शीर्ष पर है. भारत में 260 अरब डॉलर से अधिक के लेनदेन का अनुमान लगाया गया है.

    भारत में क्रिप्टो करेंसी को लेकर नियमों का अभाव है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत सरकार ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेनशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021’ लागू करने की दिशा में अग्रसर है.

    हालाँकि क्रिप्टो करेंसी पर नियमन का अभाव है. लेकिन केंद्रीय बजट 2022-23 में क्रिप्टो परिसम्पत्तियों से आय को 30 फीसदी कर के दायरे में रखा गया है. इन परिसम्पत्तियों के दायरे में क्रिप्टो करेंसी, नॉन फंजीबल असेस्ट्स (NFTs) इत्यादि आते है. इस नियम के मुताबिक, तय सीमा से अधिक की खरीदारी पर एक फीसदी टीडीएस (Tax Deducted at Source) भी अदा करना है.

    आईएमएफ के पेपर के अनुसार भारत को भी क्रिप्टो करेंसी के लिए नियामक का पहचान करना होगा. फिलहाल आरबीआई और सेबी इसके लिए अनिच्छुक है. चूँकि, क्रिप्टो परिसम्पत्तियों का इस्तेमाल मुद्रा और निवेश माध्यम, दोनों के लिए किया जाता है. इसलिए, मामलों के अनुसार दोनों ही एजेंसी को क्रिप्टो के नियमन में शामिल होना पड़ सकता है. निवेश के मामले में सेबी और मुद्रा के रूप में इसका इस्तेमाल होने पर आरबीआई को देखक देना होगा. इसके इतर एक अन्य निकाय भी बनाया जा सकता है, जिन्हें आरबीआई और सेबी से भी सहयोग मिले.

    चूँकि प्रतिभूति और क्रिप्टो सम्पत्तियाँ अलग है. इसलिए एक अलग निकाय का स्थापना ही सही प्रतीत होता है. इसके विनियमन में व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता जोखिमों को संबोधित करना चाहिए. क्रिप्टो के आपराधिक और आतंकी दुरूपयोग रोकने के लिए मनी लॉन्डरिंग मानदंड भी अपनाया जा सकता है. इसलिए, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (AML) और काउंटर-टेररिस्ट फाइनेंसिंग (CFT) मानकों को लागू कर क्रिप्टो का निगरानी किया जा सकता है.

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