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भारत छोड़ो आंदोलन (1942): भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक मोड़
History

भारत छोड़ो आंदोलन (1942): भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक मोड़

1942 का भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement – QIM in Hindi) भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है. यह महात्मा गांधी के नेतृत्व में कॉंग्रेस द्वारा ब्रिटिश शासन के विरुद्ध छेड़ा गया तीसरा और सबसे निर्णायक जन-आंदोलन था. इस व्यापक संघर्ष ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक अपरिहार्य मोड़ पर ला दिया. […]

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मुगल साम्राज्य (Mughal Empire): स्थापना, मुख्य शासक, प्रशासन, कला, अर्थव्यवस्था व पतन
History

मुगल साम्राज्य: स्थापना, मुख्य शासक, प्रशासन, कला, अर्थव्यवस्था व पतन

भारतीय इतिहास में मुगल साम्राज्य (Mughal Empire in Hindi) एक युग के समान है. सल्तनतकाल की समाप्ति के साथ भारतीय इतिहास में इस नए युग का प्रारम्भ होता है. भारतीय इतिहास का यह नव युग मुगलकाल के नाम से प्रसिद्ध है. इस राजवंश का संस्थापक बाबर था जो चगताई तुर्क था. बाबर अपने पिता की

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जातिवाद (Casteism): उत्पत्ति, कारण, दुष्प्रभाव व रोकने के उपाय
Polity

जातिवाद (Casteism): उत्पत्ति, कारण, दुष्प्रभाव व रोकने के उपाय

सामान्य अर्थ मे अपनी जाति के प्रति निष्ठा का भाव ही जातिवाद (Casteism) है. जातिवाद जाति के सदस्यों की वह संकुचित भावना है, जो राष्ट्र तथा समाज के सामान्य हितों की अवहेलना करते हुए अपनी जाति के सदस्यों के हितों को बढ़ावा देती है तथा उन्हे आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करती है. दुनिया मे

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राजनीतिक दल (Political Party) की विशेषताएं, उत्पत्ति, कार्य, भूमिका, महत्व और भारत
Polity

राजनीतिक दल की विशेषताएं, उत्पत्ति, कार्य, भूमिका, महत्व और भारत

प्रजातंत्र मे राजनीतिक दलों का होना बहुत आवश्यक और अनिवार्य हैं. अब प्रश्न यह उठता है कि राजनीतिक दल का अर्थ क्या हैं. आमतौर से एक ही राजनीतिक विचारधारा के समर्थन मिलकर राजसत्ता पाने के उद्देश्य से जो संगठन बनाते हैं, उसे राजनीतिक दल कहा जाता हैं. राजनीतिक दल जनमत के निर्माण और अभिव्यक्ति का

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राज्य (State) का अर्थ, तत्व, स्वरूप व उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धांत
Polity

राज्य (State) का अर्थ, तत्व, स्वरूप व उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धांत

राजनीति विज्ञान के अध्ययन का केंद्र-बिन्दु राज्य यानि State है. इस विषये मे राज्य के बारे मे सब कुछ जानने का प्रयास किया जाता है. राज्य आधुनिक युग की सर्वोच्च राजनीतिक इकाई है. प्रश्न यह है कि राज्य क्या है? राज्य कहते किसे है? राज्य का अर्थ क्या है? यानि राज्य की परिभाषा क्या है?  राज्य

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माओवाद क्या हैं? जानिए इसका इतिहास, सिद्धांत और प्रभाव
Polity

माओवाद क्या हैं? जानिए इसका इतिहास, सिद्धांत और प्रभाव

माओवाद साम्यवाद का वह रूप है जिसे चीन के नेता माओ त्से तुंग ने विकसित किया. इसकी मूल अवधारणा यह है कि राज्य की सत्ता को केवल सशस्त्र विद्रोह, जनसमर्थन के संगठन और रणनीतिक गठबंधनों के सहारे ही हासिल किया जा सकता है. माओ ने इस प्रक्रिया को “दीर्घकालिक जनयुद्ध” (Protracted People’s War) कहा, जिसमें

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नाटो: उत्तर अटलांटिक संधि संगठन | North Atlantic Treaty Organization (NATO)
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नाटो: उत्तर अटलांटिक संधि संगठन | North Atlantic Treaty Organization (NATO)

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन या नाटो (NATO) विश्व का सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन हैं. यह संगठन राजनीतिक, सैनिक, आर्थिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में सहयोग एवं परामर्श के माध्यम से यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 28 देशों को उनकी सामूहिक सुरक्षा के लिये एकजुट करता है. इसका औपचारिक नाम ऑर्गेनाइजेशन डू ट्रेटे डी आई अटलांटिके नॉर्ड

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संप्रभुता (Sovereignty) का अर्थ, प्रकार, विशेताएं और अवधारणा
Polity

संप्रभुता (Sovereignty) का अर्थ, प्रकार, विशेताएं और अवधारणा

संप्रभुता को राजसत्ता या प्रभुसत्ता भी कहा जाता है. अंग्रेजी में इसे सॉवरेन्टी (Sovereignty) कहते हैं, जो लैटिन शब्द ‘सुप्रेनस’ (Suprenus) से बना है, जिसका अर्थ है ‘सर्वोच्च शक्ति’. राज्य शक्ति राज्य की एक विशेषता है और राज्य के चार तत्वों में से सबसे महत्वपूर्ण तत्व है. संप्रभुता का अर्थ (Sovereignty क्या है?) संप्रभुता राज्य

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भारत में यूरोपियों का आगमन | The Arrival of Europeans in India
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भारत में यूरोपीय व इनके कंपनियों का आगमन | The Arrival of Europeans in India

भारत में यूरोपीय लोगों का आगमन कोई आकस्मिक घटना नहीं हैं. प्राचीन काल से ही भारत सोने की चिड़िया कहलाता था. इस कारण विदेशी हमेशा इस देश के प्रति आकृष्ट होते रहे थे. वे व्यापारी, आक्रमणकारी, छात्र या फिर जिज्ञासु पर्यटक के रूप में भारत आते रहे. अति प्राचीन काल से ही भारत और यूरोप

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सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34), दांडी मार्च व प्रथम 2 गोलमेज सम्मेलन | Civil Disobedience Movement, Dandi March and the first two Round Table Conferences
History

सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34), दांडी मार्च व प्रथम 2 गोलमेज सम्मेलन | Civil Disobedience Movement, Dandi March and the first two Round Table Conferences

भारतीय स्वतंत्रता के राष्ट्रीय आंदोलन में सविनय अवज्ञा आंदोलन स्वरणक्षरों में अंकित हैं. इसकी शुरुआत दांडी मार्च से हुई, जिसे नमक सत्याग्रह भी कहा जाता है. यह आंदोलन मोहनदास करमचंद गांधी के नेतृत्व में अहिंसक प्रतिरोध के रूप में प्रारंभ हुआ था. इसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर लगाए गए एकाधिकार का विरोध करना

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