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आनुवंशिकी (Genetics) के नियम, मेंडल के प्रयोग व अन्य तथ्य
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आनुवंशिकी (Genetics): अर्थ, सिद्धांत, मेंडल के प्रयोग व अन्य तथ्य

आनुवंशिकी, जीव विज्ञान की एक शाखा है जो जीन, आनुवंशिक भिन्नता, और जीवों में वंशानुक्रम का अध्ययन करती है. यह इस बात की पड़ताल करती है कि माता-पिता से उनकी संतानों में लक्षणों का वंशानुक्रम (inheritance) कैसे होता है. आनुवंशिकी व आनुवंशिकता क्या हैं? प्रत्येक जीव में बहुत से ऐसे गुण होते हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी […]

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जैव विकास (Organic Evolution) के सिद्धांत, नियम, आलोचना व शब्दावली
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जैव विकास (Organic Evolution) के सिद्धांत, नियम, आलोचना व शब्दावली

पृथ्वी पर वर्तमान जटिल प्राणियों का विकास प्रारम्भ में पाए जाने वाले सरल प्राणियों में परिस्थिति और वातावरण के अनुसार होने वाले परिवर्तनों के कारण हुआ. सजीव जगत में होने वाले इस परिवर्तन को जैव विकास (Organic evolution) कहते हैं. विकास या इवोल्यूशन (Evolution) शब्द का शाब्दिक अर्थ लिपटी हुई वस्तु को खोलकर उसमें समय-समय

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शैवाल (Algae): परिचय, लक्षण, आवास प्रजनन, लाभ व हानि
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शैवाल (Algae): परिचय, लक्षण, आवास प्रजनन, लाभ व हानि

शैवाल या एल्गी (Algae) पादप जगत के सबसे सरल जलीय प्रकाश संश्लेषी जीव हैं, जो स्वयं भोजन का निर्माण करने में सक्षम होते हैं. यह ) पादप जगत का सबसे सरल जलीय जीव है. इनका वैज्ञानिक अध्ययन फाइकोलॉजी (Phycology) कहलाता है. शैवाल प्रायः हरितलवक युक्त (cholorophyllous), संवहन ऊतक रहित (Non vascular) स्वपोषी (Autotrophic) होते हैं.

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पादप जगत का वर्गीकरण, इनकी विशेषताएं व महत्व
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पादप जगत का वर्गीकरण, इनकी विशेषताएं व महत्व

आधुनिक काल में पादप जगत (Kingdom Plantae) का वर्गीकरण जीवों की संरचना, पोषण, प्रजनन और आनुवंशिक लक्षणों के आधार पर किया गया है. पादपों को मुख्यतः दो बड़े वर्गों में बाँटा गया है : उपरोक्त विभाजन का विस्तार से आगे वर्णन किया जा रहा हैं: थैलोफाइटा (Thallophyta) इसके सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं: थैलोफाइटा का

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जीव जगत का वर्गीकरण व नामकरण
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जीव जगत का वर्गीकरण व नामकरण

मानव सभ्यता के प्रारंभ से ही जीव जगत के विभिन्न जीवों का वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर किया जाता रहा है. प्रारंभिक प्रयास सहज बुद्धि और उपयोगिता पर आधारित थे. वैज्ञानिक दृष्टि से पहला प्रयास अरस्तू ने किया, जिन्होंने पादपों को वृक्ष, झाड़ी व शाक तथा प्राणियों को लाल रक्त की उपस्थिति/अनुपस्थिति के आधार पर वर्गीकृत

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संघ पोरिफेरा: परिभाषा, विशेषताएँ, वर्गीकरण, उदाहरण
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संघ पोरिफेरा: परिभाषा, विशेषताएँ, वर्गीकरण, उदाहरण

संघ पोरिफेरा (Phylum Porifera) के अंतर्गत उन जीवों को रखा गया है, जो बहुकोशिकीय (Multi Cellular), शारीरिक संगठन कोशिकीय स्तर का तथा इनके शरीर पर विभिन्न छोटे-छोटे छिद्र (Pore) पाए जाते हैं. सरल भाषा में कह सकते है, कि वे यूकैरियोटिक जीव जंतु जिनका शरीर का संगठन एक से अधिक कोशिकाओं का बना होता है व उनके

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संघ प्रोटोज़ोआ: परिभाषा, विशेषताएँ, वर्गीकरण, उदाहरण | Union Protozoa: Definition, characteristics, classification, example in hindi by piyadassi
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संघ प्रोटोज़ोआ: परिभाषा, विशेषताएँ, वर्गीकरण, उदाहरण

संघ प्रोटोजोआ एक बड़ा और विविध समूह है. इसलिए, इसके वर्गीकरण में जटिलता है. हाइमन (1940), हिकमैन (1961) और स्टोरर (1965) आदि द्वारा अपनाई गई पारंपरिक योजना, अंगों के गति के आधार पर दो उपसंघ और 5 वर्गों में विभाजित किया गया हैं. संघ प्रोटोज़ोआ क्या है? (What is Phylum protozoa in Hindi) वे प्रारंभिक Primitive अथवा

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ऐनेलिडा संघ (Phylum Annelida) का वर्गीकरण व लक्षण
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ऐनेलिडा संघ (Phylum Annelida) का वर्गीकरण व लक्षण

ऐनेलिडा संघ में उन जंतुओं को शामिल किया गया है, जिनका शरीर बेलनाकार लंबा कोमल तथा कृमि के जैसा होता है. इनका शरीर खंडों में विभक्त होता है अर्थात इनके शरीर पर खंड बने हुए होते हैं. इस संघ के जंतुओं में प्रचलन के लिए सीटी (Ceatea) नामक संरचना भी पाई जाती है. ऐनेलिडा शब्द की उत्पत्ति

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संघ मोलस्का (Phylum Mollusca) का वर्गीकरण, नामकरण व लक्षण
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संघ मोलस्का (Phylum Mollusca) का वर्गीकरण, नामकरण व लक्षण

संघ मोलस्का के जीव अकशेरुकी (Invertebrate) होते हैं. इसमें कोमल शरीर वाले सभी जीव जंतुओं को शामिल किया गया है. मोलस्क का अर्थ होता है “कोमल” अर्थात कोमल शरीर वाले जंतु मोलस्क कहलाते हैं. साधारण शब्दों में कह सकते हैं, कि वे अकशेरुकी जंतु जिनका शरीर कोमल अखंडित होता है. इनका देहभित्ति के वलन से

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जीन चिकित्सा क्या हैं? इसके प्रकार, उपयोग, फायदे व नुकसान
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जीन चिकित्सा क्या हैं? इसके प्रकार, उपयोग, फायदे व नुकसान

जीन चिकित्सा या जीन थेरेपी (Gene Therepy) एक क्रांतिकारी चिकित्सीय पद्धति है. यह जैव प्रौद्योगिकी का चिकित्सा में इस्तेमाल है. इसका उद्देश्य उन बीमारियों का इलाज करना है जो जीन (genes) में किसी तरह की गड़बड़ी के कारण होती हैं. हमारे शरीर में कई बीमारियाँ इसलिए होती हैं क्योंकि या तो कोई ज़रूरी जीन अनुपस्थित

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