History

भारत में यूरोपियों का आगमन | The Arrival of Europeans in India
History

भारत में यूरोपीय व इनके कंपनियों का आगमन | The Arrival of Europeans in India

भारत में यूरोपीय लोगों का आगमन कोई आकस्मिक घटना नहीं हैं. प्राचीन काल से ही भारत सोने की चिड़िया कहलाता था. इस कारण विदेशी हमेशा इस देश के प्रति आकृष्ट होते रहे थे. वे व्यापारी, आक्रमणकारी, छात्र या फिर जिज्ञासु पर्यटक के रूप में भारत आते रहे. अति प्राचीन काल से ही भारत और यूरोप […]

भारत में यूरोपीय व इनके कंपनियों का आगमन | The Arrival of Europeans in India Read More »

सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34), दांडी मार्च व प्रथम 2 गोलमेज सम्मेलन | Civil Disobedience Movement, Dandi March and the first two Round Table Conferences
History

सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34), दांडी मार्च व प्रथम 2 गोलमेज सम्मेलन | Civil Disobedience Movement, Dandi March and the first two Round Table Conferences

भारतीय स्वतंत्रता के राष्ट्रीय आंदोलन में सविनय अवज्ञा आंदोलन स्वरणक्षरों में अंकित हैं. इसकी शुरुआत दांडी मार्च से हुई, जिसे नमक सत्याग्रह भी कहा जाता है. यह आंदोलन मोहनदास करमचंद गांधी के नेतृत्व में अहिंसक प्रतिरोध के रूप में प्रारंभ हुआ था. इसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर लगाए गए एकाधिकार का विरोध करना

सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34), दांडी मार्च व प्रथम 2 गोलमेज सम्मेलन | Civil Disobedience Movement, Dandi March and the first two Round Table Conferences Read More »

साम्प्रदायिक निर्णय, पूना समझौता और गांधी का हरिजन आंदोलन | Communal Award and Poona Pact, 1932 and Harijan Movement of Gandhi
History

साम्प्रदायिक निर्णय, पूना समझौता और गांधी का हरिजन आंदोलन | Communal Award and Poona Pact, 1932 and Harijan Movement of Gandhi

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रेम्जे मेकडोनाल्ड ने 16 अगस्त 1932 को ‘साम्प्रदायिक निर्णय’ की घोषणा की. यह विभिन्न संप्रदायों के प्रतिनिधित्व के विषय पर जारी किया गया था. इसे ही कम्यूनल पंचाट भी कहा जाता हैं. इसके तहत प्रत्येक अल्पसंख्यक समुदाय के लिये विधानमंडलों में कुछ सीटें सुरक्षित रखी गई, जिनके सदस्यों का चुनाव पृथक् निर्वाचक

साम्प्रदायिक निर्णय, पूना समझौता और गांधी का हरिजन आंदोलन | Communal Award and Poona Pact, 1932 and Harijan Movement of Gandhi Read More »

बौद्धकालीन भारत के राज्य, शासन-प्रणाली, अर्थव्यवस्था व समाज
History

बौद्धकालीन भारत के राज्य, शासन-प्रणाली, अर्थव्यवस्था व समाज

बौद्धकालीन भारत: भारतीय इतिहास में बुद्ध का आगमन एक क्रान्तिकारी घटना है. उनका जन्म छठी शताब्दी ई.पू. में हुआ था. भारतीय इतिहास में यह काल बुद्ध युग के नाम से विख्यात है. 600 ई.पू. से लेकर 400 ई.पू. तक का काल-खण्ड भारतीय इतिहास का महत्त्वपूर्ण काल-खण्ड है. इस काल-खण्ड में भारत के इतिहास-गगन पर युग

बौद्धकालीन भारत के राज्य, शासन-प्रणाली, अर्थव्यवस्था व समाज Read More »

ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव | Effects of the British Rule on the Indian Economy
History

ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव | Effects of the British Rule on the Indian Economy

भारत में प्रारंभिक आक्रमणकारियों और ब्रिटिश साम्राज्यवादियों में मुख्य अंतर यह था कि अंग्रेजों के अतिरिक्त किसी अन्य प्रारंभिक आक्रमणकारी ने न ही भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना में परिवर्तन किया और न ही धन की निरंतर निकासी का सिद्धांत अपनाया. भारत में ब्रिटिश शासन के फलस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था, उपनिवेशी अर्थव्यवस्था में रूपांतरित हो गयी. भारतीय

ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव | Effects of the British Rule on the Indian Economy Read More »

छत्रपति शिवाजी महाराज, मराठा साम्राज्य, उत्तराधिकारी व शासन-व्यवस्था
History

छत्रपति शिवाजी महाराज, मराठा साम्राज्य, उत्तराधिकारी व शासन-व्यवस्था

छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा मराठा साम्राज्य का निर्माण एक क्रान्तिकारी घटना है. विजयनगर के उत्थान से भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण तत्व आया था. वैसे ही सत्रहवीं सदी के उत्तराद्ध में मराठा शक्ति के उत्थान से हुआ. भारतीय इतिहास के पूर्व मध्य काल में मराठों की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक कार्यों में उज्जवल परम्पराएँ थीं. उस

छत्रपति शिवाजी महाराज, मराठा साम्राज्य, उत्तराधिकारी व शासन-व्यवस्था Read More »

आर्य समाज व दयानंद सरस्वती: उद्देश्य, सिद्धांत व शुद्धि आंदोलन
History

आर्य समाज व दयानंद सरस्वती: उद्देश्य, सिद्धांत व शुद्धि आंदोलन

आर्य समाज (Arya Samaj) हिन्दू धर्म का सुधारवादी आंदोलन था, जिसका मुख्य उद्देश्य प्राचीन वैदिक धर्म की शुद्ध रूप से पुनः स्थापना करना था. इसके संस्थापक दयानंद सरस्वती (1824-83) थे. इनके नेतृत्व में आर्य समाज द्वारा शैक्षिक सुधार, लैंगिक समानता और जातिविहीन समाज पर काम किया. इसने देश में चल रहे सामाजिक सुधार आंदोलनों को

आर्य समाज व दयानंद सरस्वती: उद्देश्य, सिद्धांत व शुद्धि आंदोलन Read More »

नेपोलियन बोनापार्ट का इतिहास, उदय, युद्ध, कार्य, पतन और उपलब्धियां
History

नेपोलियन बोनापार्ट का इतिहास, उदय, युद्ध, कार्य, पतन और उपलब्धियां

विश्व के महान सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 15 अगस्त सन् 1769 को कोर्सिल द्वीप में हुआ था. नेपोलियन के माता-पिता इटालियन मूल के थे. उसके पिता का नाम कार्लों बोनापार्ट था. कुलीन श्रेणी का परिवार होते हुए भी उसके पास जमीन-जायदाद का अभाव था. नेपोलियन के पिता वकील थे. परिवार मे आठ सन्ताने थी

नेपोलियन बोनापार्ट का इतिहास, उदय, युद्ध, कार्य, पतन और उपलब्धियां Read More »

राजा राममोहन राय के ब्रह्म समाज का इतिहास, उद्देश्य, सुधार, योगदान व पतन | History, objectives, reforms, contribution and downfall of Raja Ram Mohan Roy's Brahmo Samaj
History

राजा राममोहन राय के ब्रह्म समाज का इतिहास, उद्देश्य, सुधार, योगदान व पतन | History, objectives, reforms, contribution and downfall of Raja Ram Mohan Roy’s Brahmo Samaj

राजा राममोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का जनक माना जाता है. वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उनके द्वारा स्थापित ब्रह्म समाज आधुनिक पाश्चात्य विचारों पर आधारित था. यह हिन्दू धर्म का पहला सुधार आंदोलन था. एक सुधारवादी के रूप में राजा राममोहन राय, मानवीय प्रतिष्ठा के आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं सामाजिक समानता के सिद्धांत

राजा राममोहन राय के ब्रह्म समाज का इतिहास, उद्देश्य, सुधार, योगदान व पतन | History, objectives, reforms, contribution and downfall of Raja Ram Mohan Roy’s Brahmo Samaj Read More »

ब्रिटिश भारत में धार्मिक एवं सामाजिक सुधार आंदोलन | Religious And Social Reform Movement during British Era
History

ब्रिटिश भारत में धार्मिक एवं सामाजिक सुधार आंदोलन | Religious And Social Reform Movement during British Era

ब्रिटिश भारत में धार्मिक एवं सामाजिक सुधार आंदोलन: ब्रिटिश शासनकाल में स्थापित नई सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक व्यवस्थाओं ने भारतीय समाज के पारंपरिक ढाँचे को गहराई से प्रभावित किया. पुरानी और नई व्यवस्थाओं के बीच टकराव ने समाज के भीतर व्यापक अस्थिरता और परिवर्तन की प्रक्रिया को जन्म दिया. इसी काल में भारत में पाश्चात्य

ब्रिटिश भारत में धार्मिक एवं सामाजिक सुधार आंदोलन | Religious And Social Reform Movement during British Era Read More »

Scroll to Top