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बहलोल लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1451-1489)
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बहलोल लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1451-1489)

बहलोल लोदी या बहलोल खान, मुल्तान के गवर्नर के लिए काम करने वाले मुल्तान के एक पश्तून मूल निवासी मलिक बहराम के पोते थे. बहराम के छोटे बेटे मलिक काला उनके पिता थे. बहलोल बहराम के सबसे बड़े बेटे मलिक सुल्तान शाह लोदी के दामाद भी थे. सुल्तान शाह लोदी ने दिल्ली के सैय्यद वंश […]

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सैयद वंश का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1414-1451)
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सैयद वंश का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1414-1451)

सैयद वंश के दिल्ली सल्तनत पर अधिकार होने में तैमूर लंग का काफी अहम भूमिका था. कमजोर हो चुके दिल्ली सल्तनत के मुल्तान, तदन्तर सिंध तथा लाहौर पर तैमूर का कृपापात्र खिज्र खान अधिकार कर चुका था. 1414 तक स्थिति यह आ गयी कि खिज्र खान को दिल्ली पर भी अधिकार करने से रोकने के

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तुगलक वंश के अधीन दिल्ली सल्तनत का साम्राज्य
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तुगलक वंश के अधीन दिल्ली सल्तनत का साम्राज्य

साम्राज्य-विस्तार की दृष्टि से तुगलक साम्राज्य, दिल्ली सल्तनत के इतिहास में सबसे विशाल था, किंतु साम्राज्य के सिकुड़ने की दृष्टि से और राजनीतिक-सैनिक ह्रास की दृष्टि से भी यह दिल्ली सल्तनत की पराकाष्ठा थी. इसी काल में उत्तर-पश्चिम से दिल्ली सल्तनत पूर्णतः असुरक्षित हो गई थी. इसी राजवंश में तैमूर का भारत आक्रमण हुआ जिसमें

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तैमूर लंग का भारत आक्रमण (1398) और लुटपाट
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तैमूर लंग का भारत आक्रमण (1398) और लुटपाट

एशिया का अपने समय का सबसे बड़ा विजेता तैमूर लंग समरकंद तथा बुखारा का शासक था. वह मेसोपोटामिया, फ़ारस और अफ़गानिस्तान पर अधिकार करने के बाद भारत की राजनीतिक अराजकता का लाभ उठाकर वहां की अथाह संपत्ति को लूटने की महत्त्वाकांक्षा भी रखता था. उसका भारत पर अपना राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने का कोई इरादा

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फ़िरोज शाह तुगलक़ (1351-1388) के अधीन दिल्ली सल्तनत
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फ़िरोज शाह तुगलक़ (1351-1388) के अधीन दिल्ली सल्तनत

फ़िरोज शाह तुगलक़ को राजनीतिक दृष्टि से अस्थिर, अमीरों और प्रजा के मध्य एक समान अप्रिय, आर्थिक दृष्टि से खोखला और चारों ओर से दुश्मनों से घिरा हुआ साम्राज्य मिला था. किन्तु उसे इस बात का श्रेय दिया जा सकता है कि अपने 37 वर्ष के लम्बे शासन काल में अपने साम्राज्य की डूबती कश्ती

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मुहम्मद बिन तुगलक़ के समय दिल्ली सल्तनत और उसकी उसकी योग्यता
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मुहम्मद बिन तुगलक़ का दिल्ली सल्तनत और उसकी योग्यता

1325 में अपने पिता सुल्तान गियासुद्दीन तुगलक़ की संदेहास्पद स्थिति में मृत्यु के उपरांत उलुग खान उर्फ़ जूना खान अर्थात् मुहम्मद बिन तुगलक़ दिल्ली का सुल्तान बना. दिल्ली सल्तनत के इतिहास में मुहम्मद बिन तुगलक़ सबसे विद्वान सुल्तान था. किन्तु अपनी अव्यावहारिक योजनाओं, अपने अनियंत्रित क्रोध के कारण अनावश्यक रक्तपात करने की प्रवृत्ति, अपनी ज़िद्दी

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गयासुद्दीन तुगलक और तुगलक वंश का स्थापना
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गयासुद्दीन तुगलक और तुगलक वंश का स्थापना

गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलक वंश की स्थापना की थी. उन्होंने 1320 ई. में दिल्ली सल्तनत की गद्दी संभाली और 1325 ई. तक शासन किया. गयासुद्दीन तुगलक का मूल नाम गाजी मलिक था. उन्होंने तुगलकाबाद शहर की स्थापना की और मंगोलों के विरुद्ध कठोर नीति अपनाई.  इस लेख में हम गयासुद्दीन तुगलक का राज्यारोहण, तुगलक वंश का स्थापना,

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जलालुद्दीन खिलजी (1290-1296) का शासन और खिलजी राजवंश
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जलालुद्दीन खिलजी (1290-1296) का शासन और खिलजी वंश

भारत में खिलजी वंश का संस्थापक जलालुद्दीन खिलजी था. जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने अपना जीवन एक सैनिक के रूप में आरम्भ किया था. वह अपनी योग्यता के बल पर तरक्की करता हुआ वह क्रमशः सेनानायक एवं सुबेदार बन गया. कैकुबाद के समय से उसका राजनीतिक प्रभाव बढ़ने लगा. वह इस काल में आरिजे ममालिक बनाया

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ममलूक/ गुलाम वंश के 5 अलोकप्रिय शासक
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गुलाम वंश के 5 अलोकप्रिय शासक

शहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी के निधन के पश्चात उसके द्वारा विजित भारतीय क्षेत्र पर उसके गुलाम एवं प्रतिनिधि कुतुबुद्दीन ऐबक का अधिकार हो गया. गुलाम वंश के पहले शासक कुतुबुद्दीन ने भारत में प्रथम संप्रभुता सम्पन्न मुस्लिम राजवंश की स्थापना की दिल्ली इस राज्य की राजधानी थी. अतः इसे दिल्ली सल्तनत कहा गया. चूंकि ऐबक, मुहम्मद

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गयासुद्दीन बलबन (1266-1287) का शासन और उपलब्धियां | Reign and achievements of Ghiyasuddin Balban (1266-1287)
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गयासुद्दीन बलबन (1266-1287) का शासन और उपलब्धियां

दिल्ली के प्रारम्भिक सुलतानों में गयासुद्दीन बलबन सबसे महान और योग्य शासक था. उसने सुलतान की शक्ति एवं प्रतिष्ठा को नए रूप में धरातल पर स्थापित की तुर्की राज्य का विस्तार किया तथा सुदृढ प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना की. उसने सुलतान नासिरूद्दीन के नायब के रूप में राज्य की अद्भुत सेवा की और विघटन शक्तियों

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