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संसदीय कार्यवाही के साधन या उपकरण | Devices of Parliamentary Proceedings in Hindi
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संसदीय कार्यवाही के साधन या उपकरण

संसदीय सत्र के दौरान, भारतीय संसद के दोनों सदनों में संसदीय कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग किया जाता है. ये उपकरण संसद सदस्यों को सदन के नियमों के अनुरूप कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. इन्हें संसदीय कार्यवाही के साधन या उपकरण कहा जाता है. वास्तव में, […]

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गयासुद्दीन तुगलक और तुगलक वंश का स्थापना
History

गयासुद्दीन तुगलक और तुगलक वंश का स्थापना

गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलक वंश की स्थापना की थी. उन्होंने 1320 ई. में दिल्ली सल्तनत की गद्दी संभाली और 1325 ई. तक शासन किया. गयासुद्दीन तुगलक का मूल नाम गाजी मलिक था. उन्होंने तुगलकाबाद शहर की स्थापना की और मंगोलों के विरुद्ध कठोर नीति अपनाई.  इस लेख में हम गयासुद्दीन तुगलक का राज्यारोहण, तुगलक वंश का स्थापना,

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लोकसभा अध्यक्ष का चयन, कार्य और शक्तियां | Chairperson of Loksabha | Loksabha President | Sabhapati |Pithasin Ahikari
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लोकसभा अध्यक्ष का चयन, कार्य और शक्तियां 

लोकसभा अध्यक्ष; संसद के निचले सदन (लोकसभा) का सर्वोच्च प्राधिकारी और अध्यक्षीय अधिकारी होता है. लोकसभा के सदस्यों में से ही अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का निर्वाचन होता है, जिनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है. किंतु वे समय से पूर्व भी त्यागपत्र दे सकते हैं अथवा दो तिहाई मत से पारित प्रस्ताव द्वारा उन्हें हटाया

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जलालुद्दीन खिलजी (1290-1296) का शासन और खिलजी राजवंश
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जलालुद्दीन खिलजी (1290-1296) का शासन और खिलजी वंश

भारत में खिलजी वंश का संस्थापक जलालुद्दीन खिलजी था. जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने अपना जीवन एक सैनिक के रूप में आरम्भ किया था. वह अपनी योग्यता के बल पर तरक्की करता हुआ वह क्रमशः सेनानायक एवं सुबेदार बन गया. कैकुबाद के समय से उसका राजनीतिक प्रभाव बढ़ने लगा. वह इस काल में आरिजे ममालिक बनाया

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ममलूक/ गुलाम वंश के 5 अलोकप्रिय शासक
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गुलाम वंश के 5 अलोकप्रिय शासक

शहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी के निधन के पश्चात उसके द्वारा विजित भारतीय क्षेत्र पर उसके गुलाम एवं प्रतिनिधि कुतुबुद्दीन ऐबक का अधिकार हो गया. गुलाम वंश के पहले शासक कुतुबुद्दीन ने भारत में प्रथम संप्रभुता सम्पन्न मुस्लिम राजवंश की स्थापना की दिल्ली इस राज्य की राजधानी थी. अतः इसे दिल्ली सल्तनत कहा गया. चूंकि ऐबक, मुहम्मद

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गयासुद्दीन बलबन (1266-1287) का शासन और उपलब्धियां | Reign and achievements of Ghiyasuddin Balban (1266-1287)
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गयासुद्दीन बलबन (1266-1287) का शासन और उपलब्धियां

दिल्ली के प्रारम्भिक सुलतानों में गयासुद्दीन बलबन सबसे महान और योग्य शासक था. उसने सुलतान की शक्ति एवं प्रतिष्ठा को नए रूप में धरातल पर स्थापित की तुर्की राज्य का विस्तार किया तथा सुदृढ प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना की. उसने सुलतान नासिरूद्दीन के नायब के रूप में राज्य की अद्भुत सेवा की और विघटन शक्तियों

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रजिया सुलतान (1236-1240): भारत की पहली महिला शासिक
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रजिया सुलतान (1236-1240): भारत की पहली महिला शासिका

रजिया सुलतान दिल्ली की प्रथम और अंतिम महिला सुलतान थी. वह रुकनूद्दीन फिरोजशाह को पदच्युत कर दिल्ली का सुलतान बनी. उसने केवल चार वर्षों के लिए ही शासन किया. फिर भी उसके राज्यारोहण का सल्तनत के इतिहास में विशेष महत्व है. रजिया को राजगद्दी दिल्ली की जनता के समर्थन से प्राप्त हुई. जनता सदैव उसके

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इल्तुतमिश (1210-1236) का शासन और योगदान
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इल्तुतमिश (1210-1236) का शासन और योगदान

कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद तुर्क सरदारों ने आरामशाह को सुलतान बनाया. आरामशाह अक्षम और आलसी था. इसलिए कई तुर्क सरदारों ने उसका विरोध किया. साम्राज्य में अराजकता फैल गई. वह स्थिति को नियंत्रित करने में असफल रहा. परिणामस्वरूप, दिल्ली के तुर्क सरदारों ने बदायूँ के गवर्नर इल्तुतमिश को दिल्ली बुलाया. इल्तुतमिश, कुतुबउद्दीन ऐबक

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कुतुबुद्दीन ऐबक का शासन और गुलाम वंश का स्थापना | Qutubuddin Aibak the Founder of Ghulam or Slave Dynasty under Delhi Sultanate
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कुतुबुद्दीन ऐबक का शासन और गुलाम वंश का स्थापना

कुतुबुद्दीन ऐबक का जन्म तुर्किस्तान में एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था. बचपन में ही उसे गुलाम बनाकर निशापुर के काजी फखरूद्दीन को बेच दिया गया. काजी ने उसकी अच्छी देखभाल की और उसे धनुर्विद्या तथा घुड़सवारी सिखाई. ऐबक ने कुरान पढ़ना भी सीखा, जिसके कारण उसे ‘कुरानख्वां’ (कुरान पाठक) के नाम से भी जाना

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दिल्ली सल्तनत का प्रशासनिक, सैन्य व कर प्रणाली
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दिल्ली सल्तनत का प्रशासनिक, सैन्य व कर व्यवस्था

दिल्ली सल्तनत का प्रशासन अरबी-फारसी पद्धति पर आधारित थी. इस प्रशासन का केन्द्र बिन्दु राजा या सुल्तान था. यह सुल्तान खुदा के नाम पर शासन करता था. जबकि वास्तविक सत्ता सुन्नी भातृत्व भासना अथवा मिल्लत में निहित थी. चूँकि मुस्लिम शासन पद्धति धार्मिक पुस्तक कुरान पर आधारित थी और मुस्लिम जगत में पैगम्रुबर के बाद

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