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जैव भू-रसायन चक्र: महत्व, प्रकार, प्रभाव व परिणाम
Geography Ecology

जैव भू-रसायन चक्र: महत्व, प्रकार, प्रभाव व परिणाम

विभिन्न तत्वों का जीवमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल, और वायुमंडल के बीच निरंतर प्रवाह और परिवर्तन होता रहता है, जिसे जैव भू-रसायन चक्र (Biogeochemical Cycles) कहा जाता है. ये चक्र पृथ्वी की जलवायु को विनियमित करने और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पृथ्वी पर जीवन की निरंतरता और पारिस्थितिकी तंत्रों की कार्यशीलता […]

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सिकंदर लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1489–1517)
History

सिकंदर लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1489–1517)

सिकंदर लोदी (निज़ाम खान) लोदी वंश का दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण शासक था. सिकंदर लोदी 17 जुलाई 1489 को ‘सुल्तान सिकंदर शाह’ की उपाधि के साथ दिल्ली के सिंहासन पर बैठा. उसने 1489 से 1517 ई. तक शासन किया. वह बहलोल लोदी का पुत्र था. सिकंदर लोदी को लोदी वंश का सबसे सफल सुल्तान माना

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बहलोल लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1451-1489)
History

बहलोल लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1451-1489)

बहलोल लोदी या बहलोल खान, मुल्तान के गवर्नर के लिए काम करने वाले मुल्तान के एक पश्तून मूल निवासी मलिक बहराम के पोते थे. बहराम के छोटे बेटे मलिक काला उनके पिता थे. बहलोल बहराम के सबसे बड़े बेटे मलिक सुल्तान शाह लोदी के दामाद भी थे. सुल्तान शाह लोदी ने दिल्ली के सैय्यद वंश

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सैयद वंश का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1414-1451)
History

सैयद वंश का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1414-1451)

सैयद वंश के दिल्ली सल्तनत पर अधिकार होने में तैमूर लंग का काफी अहम भूमिका था. कमजोर हो चुके दिल्ली सल्तनत के मुल्तान, तदन्तर सिंध तथा लाहौर पर तैमूर का कृपापात्र खिज्र खान अधिकार कर चुका था. 1414 तक स्थिति यह आ गयी कि खिज्र खान को दिल्ली पर भी अधिकार करने से रोकने के

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सरकारी बजट: अर्थ, घटक, उद्देश्य और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव | Government Budget: Meaning, Components, Objectives and Impact on the Economy
Economics

सरकारी बजट: अर्थ, घटक, उद्देश्य और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

सरकारी बजट किसी भी अर्थव्यवस्था के संचालन और दिशा निर्धारण में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है. यह केवल एक वित्तीय दस्तावेज नहीं है, बल्कि सरकार का एक महत्वपूर्ण नीतिगत घोषणापत्र है जो देश की आर्थिक प्राथमिकताओं और सामाजिक उद्देश्यों को दर्शाता है. यह एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च तक) के लिए सरकार

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तुगलक वंश के अधीन दिल्ली सल्तनत का साम्राज्य
History

तुगलक वंश के अधीन दिल्ली सल्तनत का साम्राज्य

साम्राज्य-विस्तार की दृष्टि से तुगलक साम्राज्य, दिल्ली सल्तनत के इतिहास में सबसे विशाल था, किंतु साम्राज्य के सिकुड़ने की दृष्टि से और राजनीतिक-सैनिक ह्रास की दृष्टि से भी यह दिल्ली सल्तनत की पराकाष्ठा थी. इसी काल में उत्तर-पश्चिम से दिल्ली सल्तनत पूर्णतः असुरक्षित हो गई थी. इसी राजवंश में तैमूर का भारत आक्रमण हुआ जिसमें

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भारत में भूमि सुधार: औपनिवेशिक व्यवस्था, आजादी के बाद और अब
Economics

भारत में भूमि सुधार: औपनिवेशिक व्यवस्था, आजादी के बाद और अब

भारत में भूमि सुधार देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसका ग्रामीण जीवन, कृषि और समग्र सामाजिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ता है. भारत में भूमि सुधार का प्राथमिक लक्ष्य भूमि वितरण को अधिक न्यायसंगत बनाना है. स्वतंत्रता के बाद, सरकार ने भूमि सुधारों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल किया. इसका

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तैमूर लंग का भारत आक्रमण (1398) और लुटपाट
History

तैमूर लंग का भारत आक्रमण (1398) और लुटपाट

एशिया का अपने समय का सबसे बड़ा विजेता तैमूर लंग समरकंद तथा बुखारा का शासक था. वह मेसोपोटामिया, फ़ारस और अफ़गानिस्तान पर अधिकार करने के बाद भारत की राजनीतिक अराजकता का लाभ उठाकर वहां की अथाह संपत्ति को लूटने की महत्त्वाकांक्षा भी रखता था. उसका भारत पर अपना राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने का कोई इरादा

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फ़िरोज शाह तुगलक़ (1351-1388) के अधीन दिल्ली सल्तनत
History

फ़िरोज शाह तुगलक़ (1351-1388) के अधीन दिल्ली सल्तनत

फ़िरोज शाह तुगलक़ को राजनीतिक दृष्टि से अस्थिर, अमीरों और प्रजा के मध्य एक समान अप्रिय, आर्थिक दृष्टि से खोखला और चारों ओर से दुश्मनों से घिरा हुआ साम्राज्य मिला था. किन्तु उसे इस बात का श्रेय दिया जा सकता है कि अपने 37 वर्ष के लम्बे शासन काल में अपने साम्राज्य की डूबती कश्ती

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मुहम्मद बिन तुगलक़ के समय दिल्ली सल्तनत और उसकी उसकी योग्यता
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मुहम्मद बिन तुगलक़ का दिल्ली सल्तनत और उसकी योग्यता

1325 में अपने पिता सुल्तान गियासुद्दीन तुगलक़ की संदेहास्पद स्थिति में मृत्यु के उपरांत उलुग खान उर्फ़ जूना खान अर्थात् मुहम्मद बिन तुगलक़ दिल्ली का सुल्तान बना. दिल्ली सल्तनत के इतिहास में मुहम्मद बिन तुगलक़ सबसे विद्वान सुल्तान था. किन्तु अपनी अव्यावहारिक योजनाओं, अपने अनियंत्रित क्रोध के कारण अनावश्यक रक्तपात करने की प्रवृत्ति, अपनी ज़िद्दी

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