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मानव अधिकार का परिभाषा, इतिहास, स्त्रोत, पीढ़ी, वर्गीकरण और महत्त्व

मानव प्रजाति का वर्गीकरण एक सामाजिक प्राणी के रूप में किया जाता है. इसलिए एक इंसान का दूसरे इंसान के प्रति कुछ नैतिक मर्यादाओं की अपेक्षा की जाती है. इसी मर्यादा को मानव अधिकार कहा जा सकता है. ये अधिकार किसी इंसान के उम्र, जाति, पंथ, लिंग, धर्म, नस्ल, निवास स्थान के आधार पर इंकार नहीं किया जा सकता है. इसे मानवता का स्वतः लागु नैतिक कानून भी कहा जा सकता है.

इस लेख में हम जानेंगे

क्या है मानव अधिकार (What is Human Rights in Hindi)?

प्रत्येक व्यक्ति का गरिमा और महत्व होता है. किसी व्यक्ति के मानव अधिकारों को स्वीकारना और इसका सम्मान करने का तरीका ही उसके गरिमा और महत्व को मान्यता देना है. वास्तव में, मानव अधिकार समस्त मानव प्रजाति को उपलब्ध समानता और निष्पक्षता के सिद्धांतों का समूह है. यह भय, उत्पीड़न और भेदभाव से मुक्ति प्रदान करता है.

साथ ही, सरकार से भी मानव अधिकार के अनुरूप नागरिकों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने की अपेक्षा की जाती है. लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने में मददगार है.

ये मानवाधिकार हर जगह के सभी लोगों के लिए समान रूप से प्राप्त होते है. पुरुषों और महिलाओं, युवा और बूढ़े, अमीर और गरीब, सवर्ण और शूद्र, गोरा या काला इत्यादि सभी को समान रूप से उपलब्ध होते है.

इसका उलंघन होने पर कोई भी व्यक्ति इसे लागू करने को तत्पर हो जाता है. कई बार इनका वर्णन संविधान में नहीं होता है, फिर भी सभ्य समाज के लोग इसे मानते है. आधुनिक युग में अत्याचार के खिलाफ अधिकार, धन कमाने और संपत्ति रखने का अधिकार, स्वच्छ वातावरण, बुनियादी सुविधा, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वतंत्र भाषण और आंदोलन का अधिकार इत्यादि इसके कुछ उदाहरण है.

वास्तव में, मानव अधिकार किसी भी इंसान के जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण होते है. साथ ही, लगभग पुरे दुनिया के लोगों में इन अधिकारों के प्रति समझ होती है और इसके उलंघन के खिलाफ एकजुट होते है. वस्तुतः, राजतंत्र के तानाशाही से लेकर लोकतंत्र के परोपकारी शासन तक संघर्ष का इतिहास को, मानव अधिकार को स्वीकार्यता दिलाने का इतिहास है.

इसके सार्वभौमिक स्वीकार्यता के कारण ही संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा भी इसे स्वीकार किया गया है. इसे मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (यूडीएचआर) में निहित किया गया है, जो 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया था.

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1 thought on “मानव अधिकार का परिभाषा, इतिहास, स्त्रोत, पीढ़ी, वर्गीकरण और महत्त्व”

  1. मानव अधिकार आधुनिक युग में एक व्यापक अवधारणा है. आज के समय में इंटरनेट और डिजिटल पहुँच का अधिकार, मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य का अधिकार जैसे मामलों को सरकार द्वारा हल किए जाने की उम्मीद की जाती है. वस्तुतः राज्य का स्वरुप लोक-कल्याणकारी होना जरुरी है.

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मुख्य बिंदु