14 अक्टूबर को मुंबई में ओलम्पिक आयोजन समिति का 141वां उदघाटन समारोह संपन्न हुआ है. इसी दौरान भारत ने साल 2036 के ओलंपिक की मेजबानी का प्रस्ताव रखा है. साथ ही, 2029 में युवा ओलम्पिक आयोजन का इच्छा भी भारत द्वारा जाहिर किया गया है. अभी तक एशिया के सिर्फ तीन देशों, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान ने ओलम्पिक आयोजन किया है. इनमें जापान को 1964 और 2020 में दो बार ओलम्पिक आयोजन का मौका मिला है. इस तरह विशाल आबादी वाला भारत अभी तक ओलम्पिक आयोजन का श्रेय नहीं ले पाया है.
ओलम्पिक आयोजन और भारत (Olympic Event and India)
2036 के ओलम्पिक आयोजन के लिए 5 देशों ने दावे फिलहाल किए है. वहीं, करीब 9 देशों आयोजन से जुड़े मुद्दे पर ओलंपिक समिति और आंतरिक तत्वों से वार्ता में है. अगर भारत को ओलम्पिक आयोजन का मौका मिलता है तो, यह भारतीय खेल के इतिहास में सबसे बड़ा आयोजन होगा. इससे पहले भारत में 2010 का कामनवेल्थ खेलों का आयोजन सबसे बड़ा खेलकूद प्रतिसपर्धा रहा है.
भारत में ओलम्पिक आयोजन का संभावना
साल 2010 में भारत ने सफलतापूर्वक कामनवेल्थ खेलों का आयोजन किया था. इससे जुड़े आधारभूत संरचना आज भी कायम है और कई सालों तक टिके रहेंगे. इन आधारभूत संरचनाओं के उपयोग से भारत 2036 के ओलम्पिक का पर्यावरण अनुकूल और वहनीय आयोजन कर सकता है. लेकिन, भारत के अलावा कई अन्य देशों ने भी 2036 के ओलम्पिक का दावा पेश किया है.
भारत के अलावा मेक्सिको (मेक्सिको सिटी, ग्वाडलाजारा, मॉन्टेरी और तिजुआना शहर), इंडोनेशिया (नुसंतरा, नई राजधानी जो अभी भी निर्माणाधीन है), तुर्की (इस्तांबुल) और पोलैंड (वारसॉ) 2036 ओलम्पिक आयोजन के लिए गंभीर है. भारत ने अपने आयोजक शहर का नाम फिलहाल तय नहीं किया है.
दावेदारों में मेक्सिको 1968 में भी ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों का मेजबानी कर चुका है. वहीं, क़तर ने 2022 का फीफा वर्ल्ड कप सफलतापूर्वक आयोजित किया है. साथ ही, 2030 के एशियाई खेलों का आयोजन भी क़तर द्वारा ही किया जा रहा है.
ओलम्पिक शहर चयन का पुराना तरीका
ओलम्पिक आयोजन स्थल के चयन के पुराने तरीकों में इच्छुक राष्ट्रों की ओलम्पिक समिति निवेदन पत्र के माध्यम से अपना दावा अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) के सामने रखती थी. इसके साथ एक प्रश्नावली का जवाब भी भरकर जमा करना होता था. इस जवाब का आकलन आईओसी (IOC) द्वारा किया जाता था. फिर, इसके आधार पर चुने गए शहरों का भौतिक निरिक्षण किया जाता था.
संतुष्ट पाए गए शहरों की सूचि तैयार की जाती थी. आखिर में, शहरों के चयन के लिए आईओसी के सदस्यों द्वारा मतदान किया जाता था. यह प्रक्रिया ओलम्पिक आयोजन से 7 वर्ष पहले पूरा कर लिया जाता था. लेकिन, यह प्रक्रिया काफी जटिल और लंबा होता था. सदस्य देशों को कई साल पहले दावा प्रस्तुत करना होता था. साथ ही, चयन के विभिन्न चरण होने से भ्रष्टाचार और लॉबिंग के आरोप भी लगते थे.
नया चयन प्रक्रिया
चयन प्रक्रिया के विवादित होने के कारण आईओसी अध्यक्ष थॉमस बाख (Thomas Bach) ने ओलंपिक एजेंडा 2020 प्रस्तुत किया. इसका उद्देश्य ओलम्पिक आयोजन स्थल के चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना था. इस अजेंडा को साल 2014 के आईओसी सत्र के दौरान अनुमोदित कर दिया गया. इस तरह मेजबान शहर के चयन के लिए एक नई प्रक्रिया अपनाई गई, जिसे ‘नया मानदंड (New Norms)‘ कहा जाता है. आगे चलकर 25 जून 2019 को आयोजित लुसाने, स्विट्ज़रलैंड आईओसी सत्र (Lausanne, Switzerland IOC Session) के दौरान इसे आधिकारिक तौर पर अपना लिया गया.
स्थल चयन के नए मानदंड के निम्नलिखित खासियतें हैं-
- एजेंडा 2020 पुराने नियम के तुलना में अधिक लचीला और पारदर्शी है. इसमें सात वर्ष पूर्व ओलम्पिक आयोजन स्थल तय करने के निति को त्याग दिया गया.
- अब ओलम्पिक आयोजन स्थल का चयन इसके आयोजन के चार या पांच साल पहले भी हो सकता है. इससे बेहतर खेल आधारभूत संरचना वाले देश ही इसके आयोजन के लिए आगे आएँगे और आयोजन के लिए अतिरिक्त धन व्यय की परम्परा पर लगाम लगेगा.
- ओलंपिक और युवा ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए शहरों/ क्षेत्रों/ देशों और राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों (एनओसी) के बीच रूचि का पता लगाने के लिए एक स्थायी वार्ताकार समिति स्थापित की गई.
- शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक आयोजन स्थल के चयन के लिए मूल्यांकन समिति के बदले दो अलग-अलग आयोग का प्रस्ताव दिया गया. इसे कार्यकारी समिति को रिपोर्ट करना होगा. इस समिति को भविष्य मेजबान आयोग (Future Host Commission – FHC) कहा जाता है.
- दोनों आयोगों में आईओसी, एनओसी, एथलीट, अंतर्राष्ट्रीय महासंघ, अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति और महाद्वीपीय प्रतिनिधित्व शामिल होंगे. ग्रीष्मकालीन आयोग में अधिकतम 10 प्रतिनिधि और शीतकालीन आयोग में अधिकतम 8 प्रतिनिधि शामिल होंगे.
- प्रत्येक ‘पसंदीदा मेजबान’ एफएचसी के सवालों का जवाब देता है. साथ ही, संभावित मेजबान बुनियादी ढांचे, आवास, सुरक्षा और सार्वजनिक सेवाओं पर गारंटी प्रदान करते है. एफएचसी इसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करता है, जिसमें कार्यकारी बोर्ड को सलाह दिया जाता है. फिर, आईओसी सदस्य मेजबान का चुनाव करते है या एक से अधिक मेजबान को शॉर्टलिस्ट करते है.
- नए नियम के मुताबिक़, मेजबानी एक देश या शहर के बदले दो देशों, दो शहरों या समीप के अलग-अलग क्षेत्रों को सौंपा जा सकता है.
- मेजबान के चुनाव का समय लचीला और जरूरत के अनुसार परिवर्तनीय बनाया गया है.
ओलम्पिक आयोजन का लागत (Cost of Organising Olympic in Hindi)
हाल के दिनों में ओलंपिक खेलों की मेजबानी की लागत बहुत बढ़ गई है. यहां तक कि बोली लगाना और पैरवी करना भी काफी महंगा है. इसके कारण 1972 में में पहली बार चुनाव जीतने के बाद डेनवर (कोलोराडो राज्य का एक शहर) ने ओलम्पिक आयोजन को अस्वीकार कर दिया. इस तरह डेनवर ओलंपिक को अस्वीकार करने वाला पहला और एकमात्र चुना गया मेजबान शहर बन गया.
बढ़ती लागत ने कई अन्य देशों को भी हतोत्साहित किया है. इसी कारण ओस्लो, स्टॉकहोम, लविव और क्राको जैसे शहर 2022 शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी की दौड़ से बाहर हो गए. बोस्टन, बुडापेस्ट, हैम्बर्ग और रोम द्वारा 2024 ग्रीष्मकालीन खेलों के लिए अपने प्रयास से पीछे हटने का भी यही कारण था.
1984 में लॉस एंजिल्स और 1992 में बार्सिलोना संपन्न हाल के इतिहास में आर्थिक रूप से सफल ओलंपिक के दो सफल आयोजन हैं. वास्तव में, 1984 के ओलम्पिक खेलों में कॉर्पोरेट प्रायोजन का दौर शुरू हुआ. इस साल टेलीविजन अधिकार भी पिछले ओलम्पिक के तुलना में लगभग तीन गुना अधिक कीमत पर बेचे गए. 1992 के ओलम्पिक आयोजन से बार्सिलोना को एक करोड़ डॉलर का फायदा हुआ. यह ओलम्पिक मेजबानी में सफलता का एक मिशाल के तौर पर उभरा.
इसके बाद 1996 के अटलांटा और 2008 के बीजिंग ओलम्पिक से मेजबानों को काफी लाभ हुआ. लेकिन 2012 का लंदन ओलम्पिक में न तो लाभ और न ही हानि दर्ज किया गया. वहीं, 2000 में सिडनी, 2004 में एथेंस और 2016 में रियो डी जनेरियो के ओलम्पिक आयोजन से मेजबानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है.
2020 के टोक्यो ओलम्पिक का लागत भी काफी अधिक दर्ज किया गया. ऐसा कोविड महामारी से बचाव के लिए किए गए उपाय और टिकट बिक्री में कमी से हुए नुकसान के कारण हुआ. इस आयोजन में कुल मिलाकर 15.40 अरब अमेरिकी डॉलर का खर्च हुआ था. इसका तुलनात्मक अध्ययन भी इन्फोग्राफिक्स के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है.
लागत पर आईओसी के प्रयास (Attempts by IOC on Costs)
ओलम्पिक खेलों के लगभग हरेक संस्करण में लागत और आमदनी बढ़ते गया है. इसलिए आईओसी ओलम्पिक आयोजन मेजबानों से कई प्रकार के दिशानिर्देश दे रहा है-
- कम से कम नए संरचना के निर्माण
- नया निर्माण पुराने निर्माण से समायोजित और समावेशी हो
- अधिकतर अस्थायी और पुराने संरचना का उपयोग किया जाए
- खेल आयोजन के इतर नए निर्माण का उद्देश्य लम्बी अवधि का उपयोग हो.
- साथ ही, 2030 से तीनों ओलम्पिक (ग्रीष्म, शीत और युवा) के आयोजकों को इसे पर्यावरण अनुकूल बनाए रखने का बाध्यता होगा.
पुराने संरचना के उपयोग से मेजबान राष्ट्रों को आयोजन का लागत कम रखने में मदद मिल रहा है.
- आईओसी के अनुसार, पुराने और अस्थायी संरचना के उपयोग से 2026 के शीतकालीन ओलम्पिक का लागत 2018 और 2022 के तुलना में 80% कम हो गया है.
- लॉस एंजिल्स ने 2028 के खेलों के लिए कोई नया बुनियादी ढांचा नहीं बनाने का घोषणा किया है. वहीं पेरिस ने 2024 के लिए 95% मौजूदा या अस्थायी स्थानों का उपयोग करने की घोषणा की है.
- आईओसी चुने गए मेजबानों को विपणन, स्थल विकास, तकनीकी सहायता और विशेषज्ञता भी प्रदान करता है. आईओसी का अनुभव और सहयोग आयोजन के लागत को काफी कम कर देता है.
ओलम्पिक आयोजन के फायदे (Benefits of organizing Olympics)
भारत ने 1951 में नई दिल्ली में पहले एशियाई खेलों का सफलतापूर्वक आयोजन किया था. नव स्वतंतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत के लिए यह उपलब्धि काफी गौरवपूर्ण था. ये देखा गया है कि किसी देश द्वारा बड़े आयोजनों को सफलतापूर्वक संपन्न कर लिए जाने पर काफी सकारात्मक असर होता है. ओलंपिक जैसे विशाल आयोजन मेजबान देश की क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन का मौका उपलब्ध करवाता है.
जापान ने 1964 के टोक्यो खेलों का सफल आयोजन कर युद्ध से उबरने की कहानी को चमत्कारिक ढंग से दुनिया में स्थापित कर दिया. चीन द्वारा 2008 के ओलम्पिक आयोजन का उपयोग खुद को एक वैश्विक शक्ति के रूप में प्रदर्शित करने के लिए किया गया.
ऐसे आयोजनों के पीछे ये अवधारणा भी है कि इनसे खेल सुविधाओं और आधारभूत संरचनाओं का तीव्र गति से विकास होता है. साथ ही पर्यटन में उछाल का भी तर्क दिया जाता है. लेकिन ऐतिहासिक रूप से पर्यटन पर ओलंपिक का प्रभाव मिश्रित है.ओलंपिक के कारण होने वाले भीड़, ऊंची कीमतें और सुरक्षा सम्बन्धी चिंताएं कई आगंतुकों को हतोत्साहित करती हैं.
1992 के ओलम्पिक आयोजन से बार्सिलोना के पर्यटन में उछाल आया था. यह यूरोप के ग्यारवें से छठे पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में उभरा था. 2000 में सिडनी और 2010 में वैंकूवर ओलम्पिक के बाद दोनों शहरों के पर्यटन में मामूली वृद्धि देखी गई. जबकि 2012 में लंदन, 2008 में बीजिंग और 2002 में साल्ट लेक सिटी में पर्यटन पर ओलंपिक का नकारात्मक प्रभाव देखा गया.
1896 से 2032 तक के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक आयोजन
शहर | देश | वर्ष | उद्घाटन समारोह | समापन समारोह |
एथेंस | यूनान | 1896 | 6 अप्रैल 1896 | 15 अप्रैल 1896 |
पेरिस | फ्रांस | 1900 | 14 मई 1900 | 28 अक्टूबर 1900 |
सेंट लुइस | संयुक्त राज्य अमेरिका | 1904 | 1 जुलाई 1904 | 23 नवंबर 1904 |
लंदन | यूनाइटेड किंगडम | 1908 | 27 अप्रैल 1908 | 31 अक्टूबर 1908 |
स्टॉकहोम | स्वीडन | 1912 | 6 जुलाई 1912 | 22 जुलाई 1912 |
बर्लिन | जर्मनी | 1916 | प्रथम विश्व युद्ध के कारण रद्द कर दिया गया | |
एंटवर्प | बेल्जियम | 1920 | 14 अगस्त 1920 | 12 सितम्बर 1920 |
पेरिस | फ्रांस | 1924 | 5 जुलाई 1924 | 27 जुलाई 1924 |
एम्स्टर्डम | नीदरलैंड | 1928 | 28 जुलाई 1928 | 12 अगस्त 1928 |
सेंट मोरिट्ज़ | स्विट्ज़रलैंड | 1928 | 11 फरवरी 1928 | 19 फरवरी 1928 |
लेक प्लेसिड | संयुक्त राज्य अमेरिका | 1932 | 4 फरवरी 1932 | 13 फरवरी 1932 |
लॉस एंजिल्स | संयुक्त राज्य अमेरिका | 1932 | 30 जुलाई 1932 | 14 अगस्त 1932 |
गार्मिश-पार्टेनकिर्चेन | जर्मनी | 1936 | 6 फ़रवरी 1936 | 16 फ़रवरी 1936 |
बर्लिन | जर्मनी | 1936 | 1 अगस्त 1936 | 16 अगस्त 1936 |
टोक्यो हेलसिंकी [ई] | जापान फिनलैंड | 1940 | द्वितीय विश्व युद्ध का कारण रद्द कर दिया गया | |
लंडन | यूनाइटेड किंगडम | 1944 | द्वितीय विश्व युद्ध का कारण रद्द कर दिया गया | |
लंडन | यूनाइटेड किंगडम | 1948 | 29 जुलाई 1948 | 14 अगस्त 1948 |
हेलसिंकी | फिनलैंड | 1952 | 19 जुलाई 1952 | 3 अगस्त 1952 |
मेलबर्न स्टॉकहोम [एफ] | ऑस्ट्रेलिया स्वीडन | 1956 | 22 नवंबर 1956 से 10 जून 1956 | 8 दिसंबर 1956 से 17 जून 1956 |
रोम | इटली | 1960 | 25 अगस्त 1960 | 11 सितंबर 1960 |
टोक्यो | जापान | 1964 | 10 अक्टूबर 1964 | 24 अक्टूबर 1964 |
मेक्सिको सिटी | मेक्सिको | 1968 | 12 अक्टूबर 1968 | 27 अक्टूबर 1968 |
म्यूनिख | पश्चिम जर्मनी | 1972 | 26 अगस्त 1972 | 11 सितंबर 1972 |
मॉन्ट्रियल | कनाडा | 1976 | 17 जुलाई 1976 | 1 अगस्त 1976 |
मास्को | सोवियत संघ [एच] | 1980 | 19 जुलाई 1980 | 3 अगस्त 1980 |
लॉस एंजिल्स | संयुक्त राज्य अमेरिका | 1984 | 28 जुलाई 1984 | 12 अगस्त 1984 |
सोल | दक्षिण कोरिया | 1988 | 17 सितंबर 1988 | 2 अक्टूबर 1988 |
बार्सिलोना | स्पेन | 1992 | 25 जुलाई 1992 | 9 अगस्त 1992 |
अटलांटा | संयुक्त राज्य अमेरिका | 1996 | 19 जुलाई 1996 | 4 अगस्त 1996 |
सिडनी | ऑस्ट्रेलिया | 2000 | 15 सितंबर 2000 | 1 अक्टूबर 2000 |
एथेंस | यूनान | 2004 | 13 अगस्त 2004 | 29 अगस्त 2004 |
बीजिंग [मैं] | चीन | 2008 | 8 अगस्त 2008 | 24 अगस्त 2008 |
लंडन | यूनाइटेड किंगडम | 2012 | 27 जुलाई 2012 | 12 अगस्त 2012 |
रियो डी जनेरियो | ब्राज़िल | 2016 | 5 अगस्त 2016 | 21 अगस्त 2016 |
टोक्यो | जापान | 2020 | 23 जुलाई 2021 [जे] | 8 अगस्त 2021 [जे] |
पेरिस [के] | फ्रांस | 2024 | 26 जुलाई 2024 | 11 अगस्त 2024 |
लॉस एंजिल्स | संयुक्त राज्य अमेरिका | 2028 | 14 जुलाई 2028 | 30 जुलाई 2028 |
ब्रिस्बेन | ऑस्ट्रेलिया | 2032 | 23 जुलाई 2032 | 8 अगस्त 2032 |
जानिए ओलम्पिक से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य (Know important facts related to Hockey in Hindi)
- ओलम्पिक खेलों का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (IOC) के देखरेख में संपन्न किया जाता है. सदस्य राष्ट्रों को राष्ट्रिय ओलम्पिक समिति (NOC) का गठन करना होता है.
- ओलम्पिक एथेंस के प्राचीन खेलों से प्रेरित है. प्राचीन ओलम्पिक खेलों का शुरुआत 776 ई.पू. को माना जाता है.
- आधुनिक ओलम्पिक का प्रथम आयोजन 6 अप्रैल से 15 अप्रैल 1896 के बीच ग्रीस की राजधानी एथेंस में आयोजित किया गया. इसमें 43 प्रतिस्पर्धा हुए और 14 देशों के लगभग 300 एथलीटों ने इसमें भाग लिया था.
- सबसे अधिक 9 बार ओलम्पिक आयोजन का रिकॉर्ड संयुक्त राज्य अमेरिका के नाम दर्ज है. इसके बाद फ़्रांस ने 6 बार आयोजन किया है.
- फ़्रांस एक बार फिर से 2024 का ओलम्पिक पेरिस में और अमेरिका 2028 का आयोजन लॉस एंजेल्स में आयोजित करने जा रहा है. वहीं 2032 का ओलम्पिक ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन शहर में संपन्न होगा.
- 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक दिवस के रूप में मनाया जाता है. 23 जून 1894 को पेरिस के सोरबोन में आईओसी की स्थापना की गई थी.
- ओलम्पिक में प्रथम विजेता को स्वर्ण, दूसरे को रजत और तीसरे को कांस्य पदक दिया जाता है.
- ओलंपिक खेल के झंडे में 5 रिंग होते हैं, जो कि नीले, गहरे पीले, काले, हरे और लाल रंग में होते हैं. ये पांच रिंग पांच महाद्वीप अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, यूरोप और ओशिनिया के आपस में जुड़े रहने का प्रतिनिधित्व करते हैं.
- इन रंगों का परस्पर जुड़े रहना ओलंपिक खेलों की समपूर्णता को दर्शाता है कि कैसे दुनिया भर के एथलीट ओलंपिक खेलों के लिए एक साथ आते हैं.
- ओलम्पिक ध्वज को 1913 में पियरे डि कोबर्टिन द्वारा डिजाइन किया गया था.
- भारत ने पहली बार 1900 के पेरिस ओलंपिक में भाग लिया. भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे एकल धावक नॉर्मन प्रिचर्ड ने 200 मीटर स्प्रिंट और 200 मीटर बाधा दौड़ में दो रजत पदक जीते थे. ये एंग्लो-इंडियन थे.
- 1928 के एम्स्टर्डम ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम ने 29 गोल किए और बिना एक भी गोल खाए स्वर्ण पदक जीत लिया. इसके अगले दो ओलम्पिक, लॉस एंजेल्स और बर्लिन में भारतीय टीम ने अपना जीत का सिलसिला बरकरार रखा और हैट्रिक कायम की.
- भारतीय टीम के इन जीतों में मेजर ध्यानचंद का अहम् योगदान था. इसलिए उन्हें हॉकी का जादूगर भी कहा जाता है. बर्लिन ओलम्पिक में अडोल्फ हिटलर भी मेजर ध्यानचंद के खेल से प्रभावित हुआ था.
- 1940 और 1944 का ओलम्पिक विश्वयुद्ध के कारण टाल दिया गया.
- 2008 के बीजिंग ओलम्पिक में बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में भारत का पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतकर रिकॉर्ड कायम किया.
- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारतीय हॉकी टीम ने 1948, 1952 और 1956 का ओलम्पिक स्वर्ण पदक जीता. 1960 में रजत, 1964 में स्वर्ण, 1968 और 1972 में कांस्य पदक जीतकर भारतीय हॉकी टीम ने अपना दबदबा कायम रखा.
- 1976 में भारतीय हॉकी टीम सातवें स्थान पर रही. लेकिन 1980 में स्वर्ण पदक जीतकर इस टीम फिर से अपना गौरव प्राप्त कर लिया.
- 1956 के मेलबोर्न ओलम्पिक में भारतीय फुटबॉल टीम ने पहली बार भाग लिया और चौथे स्थान पर रहा.
- टोक्यो ओलम्पिक आयोजन 2020 अबतक भारत का सबसे सफल ओलंपिक रहा है, जिसमें भारत ने कुल 7 पदक अपने नाम किए है. इस साल नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में भारत का पहला ट्रैक-एंड-फील्ड स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया.
- 2020 के ओलम्पिक आयोजन में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल बाद कांस्य के रूप में एक बार फिर से ओलंपिक पदक जीता है. इस ओलम्पिक आयोजन में भारतीय महिला हॉकी टीम ने भी अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में चौथा स्थान हासिल किया.