बिग डेटा क्या हैं: कार्य-पद्धति, तकनीक, अनुप्रयोग, चुनौतियाँ और अन्य तथ्य

आज के डिजिटल युग में, “बिग डेटा” शब्द सर्वव्यापी हो गया है. यह हमारे जीवन और व्यापार के हर क्षेत्र को गहराई से प्रभावित कर रहा है. बिग डेटा से तात्पर्य अत्यधिक विशाल और जटिल डेटासेट से है. इन्हे पारंपरिक डेटा प्रोसेसिंग टूल्स जैसे रिलेशनल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (RDBMS) द्वारा कुशलतापूर्वक संग्रहीत, संसाधित या विश्लेषण करना मुश्किल होता है. यह डेटा इतनी बड़ी मात्रा में उत्पन्न होता है कि इसे सामान्य तरीकों से प्रबंधित करना या उससे उपयोगी जानकारी निकालना असंभव हो जाता है. 

बिग डेटा की मुख्य विशेषताओं को “5 V’s” के रूप में जाना जाता है. बिग डेटा का क्षेत्र एक सैद्धांतिक अवधारणा से कहीं अधिक है. यह वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने और बड़े पैमाने पर डेटा को संभालने के लिए औद्योगिक आवश्यकताओं से प्रेरित है. साथ ही यह अकादमिक अनुसंधान द्वारा समर्थित है.

बिग डेटा का उद्भव और विकास

बिग डेटा की अवधारणा कोई नई नहीं है. लेकिन इसका महत्व और अनुप्रयोग हाल के दशकों में तेजी से बढ़े हैं. “बिग डेटा” शब्द का उपयोग 1990 के दशक की शुरुआत से हो रहा है. जॉन आर. मैशे को इसे लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है. प्रारंभ में, इस शब्द का उपयोग पारंपरिक डेटा-प्रोसेसिंग सॉफ़्टवेयर द्वारा संभालने के लिए बहुत बड़े या जटिल  डेटा सेटों के लिए किया जाता था.

इसकी औपचारिक परिभाषा और विशेषताओं को 2001 में गार्टनर (तब META Group) के विश्लेषक डौग लेनी ने प्रस्तुत किया. उन्होंने डेटा वृद्धि की चुनौतियों और अवसरों को तीन-आयामी (वॉल्यूम, वेलोसिटी, वैरायटी) के रूप में परिभाषित किया. इसे ‘3Vs’ मॉडल के रूप में जाना जाता है. आगे दो अतिरिक्त अतिरिक्त V’s , ‘वेरासिटी’ (डेटा की गुणवत्ता) और ‘वैल्यू’ (प्रसंस्करण से प्राप्त जानकारी का मूल्य) इसमें जोड़ा गया. 

2012 में, गार्टनर ने अपनी परिभाषा को अद्यतन करते हुए कहा कि “बिग डेटा उच्च-वॉल्यूम, उच्च-वेलोसिटी, और/या उच्च-वैरायटी सूचना संपत्ति है जिसे बेहतर निर्णय लेने, अंतर्दृष्टि की खोज और प्रक्रिया अनुकूलन को सक्षम करने के लिए प्रसंस्करण के नए रूपों की आवश्यकता होती है”.

बिग डेटा के विकास को तकनीकी प्रगति ने भी गति दी है. 2000 में, सेइसिंट इंक. (अब लेक्सिसनेक्सिस रिस्क सॉल्यूशंस) ने C++-आधारित वितरित प्लेटफ़ॉर्म HPCC सिस्टम्स विकसित किया. यह संरचित, अर्ध-संरचित और असंरचित डेटा को संभाल सकने में सक्षम था. 

2004 में गूगल ने मैप रिड्यूस नामक एक समानांतर प्रसंस्करण मॉडल पर एक पेपर प्रकाशित किया. इससे भी बड़ी मात्रा में डेटा को कुशलता से संसाधित करने में मदद मिली. अपाचे ने इस पर आधारित हाडूप नामक मैप रिड्यूस फ्रेमवर्क का ओपन-सोर्स जारी किया. 2012 में विकसित अपाचे स्पार्क ने मैप रिड्यूस की सीमाओं को दूर कर दिया. इससे मेमोरी प्रोसेसिंग और गति काफी बढ़ गई.

बिग डाटा से जुड़े व्यक्तित्व

बिग डेटा के क्षेत्र का विकास कई प्रमुख व्यक्तियों और संगठनों के योगदान का परिणाम है. 1990 के दशक की शुरुआत में “बिग डेटा” शब्द को लोकप्रिय बनाने का श्रेय जॉन आर. मैशे (John R. Mashey) को दिया जाता है. डौग लेनी (Doug Laney) द्वारा प्रस्तुत 3 V’s मॉडल आज भी व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है.

बिग डेटा के क्षेत्र का विकास केवल अकादमिक या शोध संस्थानों द्वारा नहीं, बल्कि प्रमुख तकनीकी कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा भी हुआ है. डौग लेनी जैसे विश्लेषकों ने अवधारणात्मक ढांचा प्रदान किया, जबकि महालनोबिस और राव जैसे शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों ने सांख्यिकीय और गणितीय नींव रखी. गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों ने डेटा की विशाल मात्रा उत्पन्न की और उसे संसाधित करने के लिए तकनीकों को विकसित किया. 

बिग डाटा के 5 V’s  

बिग डेटा की अवधारणा को मुख्य रूप से पाँच विशेषताओं – वॉल्यूम (Volume), वेलोसिटी (Velocity), वैरायटी (Variety), वेरासिटी (Veracity), और वैल्यू (Value) – द्वारा परिभाषित किया जाता है. कुछ संदर्भों में, परिवर्तनशीलता (Variability) को भी शामिल किया जाता है. ये इस प्रकार है:

वॉल्यूम (Volume)

यह बिग डेटा की सबसे मूलभूत और महत्वपूर्ण विशेषता है. इसी के नाम पर इसका नाम ‘बिग डेटा’ पड़ा है. वॉल्यूम डेटा की मात्रा को संदर्भित करता है. यह सामान्यतः टेराबाइट्स, पेटाबाइट्स, या उससे भी अधिक (जैसे ज़ेटाबाइट्स) के स्तर की होती है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, सेंसर, और ऑनलाइन लेनदेन जैसे स्रोतों से प्रतिदिन अरबों रिकॉर्ड और डेटा पॉइंट उत्पन्न होते हैं, जिससे डेटा की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है.

वेलोसिटी (Velocity)

यह डेटा के निर्माण और प्रसंस्करण की गति को दर्शाती है. आज के समय में, डेटा रियल-टाइम में उत्पन्न होता है. साथ ही इसे तुरंत संसाधित करने की आवश्यकता होती है, जैसे कि ऑनलाइन वित्तीय लेनदेन या लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग. व्यावसायिक निर्णय अक्सर डेटा की गति के आधार पर, उसके विश्लेषण के तुरंत बाद लिए जाते हैं. इसलीए त्वरित प्रसंस्करण क्षमता अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है.

वैरायटी (Variety)

वैरायटी डेटा के विभिन्न प्रकारों को संदर्भित करती है. यह बिग डेटा को पारंपरिक डेटासेट से अलग करती है. इसमें तीन मुख्य प्रकार के डेटा शामिल होते हैं:

  1. संरचित डेटा (Structured Data): यह डेटा एक निश्चित प्रारूप में संग्रहित, संसाधित और एक्सेस किया जाता है. इसमें  रिलेशनल डेटाबेस की तरह पंक्तियाँ और कॉलम होते हैं. इसका उपयोग व्यावसायिक क्षेत्रों में अधिक होता है.
  2. असंरचित डेटा (Unstructured Data): इस प्रकार के डेटा का कोई निश्चित प्रारूप नहीं होता है. इसमें वीडियो, ऑडियो, इमेज, लॉग फाइलें, और टेक्स्ट दस्तावेज़ शामिल होते हैं. दुनिया में उत्पन्न होने वाले अधिकांश डेटा (लगभग 80%) असंरचित होता है. इसका प्रबंधन चुनौतीपूर्ण होता है. 
  3. अर्ध-संरचित डेटा (Semi-structured Data): यह संरचित और असंरचित डेटा का मिश्रण होता है. मतलब इसमें दोनों प्रकार के डेटासेट की विशेषताएँ होती हैं. JSON और XML फाइलें इसके अच्छे उदाहरण हैं. इसका इस्तेमाल वेब अनुप्रयोगों में व्यापक रूप से होता है.
5 Vs of Big Data | बिग डेटा के 5 Vs by Piyadassi

वेरासिटी (Veracity)

वेरासिटी डेटा की विश्वसनीयता और गुणवत्ता को दर्शाती है. बिग डेटा में अक्सर बहुत सारा डेटा असत्य, गलत या अधूरा हो सकता है. यह सही निर्णय लेने में बाधक होता है. खराब गुणवत्ता वाला डेटा गलत विश्लेषण और खराब निर्णयों को जन्म दे सकता है. परिणामतः बिग डेटा में किए गए निवेश का मूल्य कम हो जाता है. इसलिए डेटा की सत्यता पर विशेष ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है.

वैल्यू (Value)

डेटा से उपयोगी जानकारी निकालना और उसका उपयोग करके बेहतर व्यावसायिक या नीतिगत निर्णय लेना ही उसका असली महत्व है. यदि कच्चे डेटा को संसाधित करके उसमें से कुछ मूल्यवान नहीं निकाला जाता है, तो उस डेटा का कोई महत्व नहीं होता है.

वॉल्यूम और वेलोसिटी पारंपरिक प्रणालियों के लिए भंडारण और प्रसंस्करण की चुनौतियाँ पैदा करते हैं. दूसरी तरफ, वैरायटी और वेरासिटी डेटा को समझने और उस पर भरोसा करने की जटिलता को बढ़ाते हैं. इन सभी विशेषताओं का सफल प्रबंधन अंततः ‘वैल्यू’ निकालने की क्षमता में परिणत होता है. 

बिग डेटा कैसे कार्य करता है?

बिग डेटा प्रोसेसिंग कई चरणों से गुजरता है. यदि कोई भी चरण अक्षम या अविश्वसनीय है (जैसे खराब डेटा गुणवत्ता या धीमी प्रोसेसिंग), तो अंतिम विश्लेषण और निर्णय लेने की प्रक्रिया प्रभावित होती है. 

डेटा को साफ करने, बदलने और संरचित करने की प्रक्रिया को ETL (Extract, Transform, Load) भी कहा जाता है. बड़ी मात्रा में उत्पन्न हो रहे डाटा को संभालने में कुशलता के लिए प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी AI तकनीकों को ETL में शामिल किया जा रहा है . 

इस प्रक्रिया का उद्देश्य कच्चे डेटा को उपयोगी और कार्रवाई योग्य जानकारी में बदलना है. इसके प्रमुख चरण है:

  • डेटा संग्रहण (Data Collection/Ingestion): इसमें विभिन्न स्रोतों से बड़ी मात्रा में डेटा को कैप्चर करना शामिल है. जैसे, सोशल मीडिया, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), अनलाइन वित्तीय सेवाएं, सार्वजनिक सेवा, स्वास्थ्य, वेब और इंटरनेट तथा परिवहन सेवाओं स्त्रोतों से जानकारी/डाटा प्राप्त करना.
  • डेटा भंडारण (Data Storage): प्राप्त जानकारी को डेटाबेस या अन्य भंडारण प्रणालियों में संग्रहीत किया जाता है. बिग डेटा के लिए वितरित भंडारण प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता है. यह तेज, सुरक्षित और आसान पहुँच सुनिश्चित करता है. हाडूप जैसे उपकरण सभी प्रकार के डेटा के लिए बड़ा स्टोरेज प्रदान करते हैं. डेटा झीलें (Data Lakes) भी एक उपयोगी साझा मॉडल है.
  • डेटा प्रसंस्करण (Data Processing/Transformation): इस चरण में एकत्र किए गए कच्चे डेटा को उच्च-गुणवत्ता, स्वच्छ और मजबूत डेटासेट में बदला जाता है. इसमें डेटा को साफ करना, बदलना और संरचित करना शामिल है. इस चरण में रचनात्मक (डेटा जोड़ना), विनाशकारी (शून्य मान, आउटलेर्स, डुप्लिकेट हटाना) या संरचनात्मक (क्षेत्रों का नाम बदलना, कॉलम जोड़ना) परिवर्तन शामिल होते हैं. इसका उद्देश्य डेटा को विश्लेषण के लिए तैयार करना होता है.
  • डेटा विश्लेषण (Data Analysis): यह बिग डाटा का सबसे महत्वपूर्ण चरण है. इसमें संसाधित जानकारी का विश्लेषण उन्नत डेटा विश्लेषण तकनीकों का उपयोग करके किया जाता है. इसका उद्देश्य मूल्यवान जानकारी जैसे पैटर्न और रुझान निकालना है.
    • इस दौरान विभिन्न अल्गोरिद्म के द्वारा एक सूचना से दूसरी सूचना की तुलना किया जाता है. ये अल्गोरिद्म इनके बीच सहसंबंध तलाशने का प्रयास करते है. फिर इसके आधार पर कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष निष्कर्ष निकालता है.
    • इस प्रक्रिया में करोड़ों सूचनाओं पर एक साथ अध्ययन किया जाता है. सभी संभावित सूचना समुच्चयों को तब तक ट्रायल किया जाता है, जब तक एक निश्चित पैटर्न या निष्कर्ष न मिल जाए. इस तरीके से बिग डेटा के आधार पर कुछ नए निरीक्षण तथा कुछ आगामी अनुमान निकाले जाते हैं. ये सारे कार्य सामान्यतः स्वचालित रूप से तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/ मशीन लर्निंग के द्वारा निष्पादित होते हैं. इसमें अक्सर डेटा माइनिंग जैसे तकनीकों का भी इस्तेमाल होता है.
  • डेटा विजुअलाइजेशन (Data Visualization): विश्लेषण के परिणामों को समझने योग्य, सुलभ और पठनीय प्रारूपों जैसे ग्राफ़, चार्ट या मॉडल में संप्रेषित किया जाता है. यह जटिल डेटा को निर्णय निर्माताओं के लिए आसानी से समझने योग्य बनाता है.

प्रमुख बिग डेटा तकनीकें (Major Big Data Technologies in Hindi)

बिग डेटा को संभालना और प्रोसेस करना मुश्किल होता है. इसलिए कुछ खास तकनीकें इस्तेमाल की जाती हैं, जिनमें मुख्य हैं:

हाडूप (Hadoop)

हाडूप एक ऐसा ढाँचा है जो बहुत बड़ी फ़ाइलों को कई कंप्यूटरों में बाँटकर स्टोर और प्रोसेस करता है. यह एक ओपन-सोर्स टूल है.

  • स्टोरेज (HDFS): यह डेटा को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर अलग-अलग कंप्यूटरों में रखता है. इससे डेटा सुरक्षित रहता है. ज़रूरत पड़ने पर डाटा आसानी से मिल जाता है.
  • प्रोसेसिंग (MapReduce): यह डेटा को एक साथ कई कंप्यूटरों में प्रोसेस करता है. यह गति को बढ़ा देता है. 
  • रिसोर्स मैनेजमेंट (YARN): यह तय करता है कि कौन सा काम किस कंप्यूटर पर होगा. इससे संसाधन का कुशल उपयोग होता है.

अपाचे स्पार्क (Apache Spark)

यह डेटा को कंप्यूटर की मेमोरी में प्रोसेस करता है. इसलीए यह हाडूप से भी तेज़ है. इसके मदद से डेटा को प्रोसेस करने के साथ-साथ मशीन लर्निंग और स्ट्रीमिंग डेटा पर भी काम किया जा सकता है. यह कई प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे जावा, पायथन आदि को सपोर्ट करता है.

NoSQL डेटाबेस

पारंपरिक डेटाबेस (जैसे एक्सेल शीट) के मुकाबले NoSQL डेटाबेस डेटा को ज़्यादा लचीले तरीक़े से स्टोर करते हैं. यह खास तौर पर उस डेटा के लिए बहुत उपयोगी है जिसकी संरचना तय नहीं होती है. सोशल मीडिया का डेटाम वीडियो और MongoDB जैसे डेटाबेस इसी श्रेणी में आते हैं.

वस्तुतः, ये तीनों तकनीकें मिलकर बड़ी मात्रा में डेटा को आसानी से स्टोर करने, प्रोसेस करने और उसका विश्लेषण करने में मदद करती हैं. इस तरह, कंपनियां डेटा से महत्वपूर्ण जानकारी निकालकर बेहतर निर्णय ले पाती हैं.

बिग डेटा के अनुप्रयोग (Applications of Big Data in Hindi)

बिग डेटा ने विभिन्न उद्योगों और क्षेत्रों में क्रांति ला दी है, जिससे बेहतर निर्णय लेने, दक्षता में सुधार और नवाचार को बढ़ावा मिला है. इसकी क्षमता केवल तकनीकी दायरे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)

बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक साथ मिलकर काम करते हैं. दोनों में सहजीवी संबंध हैं.  इसे आप ऐसे समझ सकते हैं: 

  • डेटा संग्रह और संगठन: AI टूल्स बिग डेटा को इकट्ठा करने और उसे व्यवस्थित करने में मदद करते हैं. बदले में, AI खुद इसी डेटा का इस्तेमाल करके सीखता है. 
  • डेटा स्टोरेज और प्रोसेसिंग: AI को काम करने के लिए बहुत सारे डेटा की ज़रूरत होती है. क्लाउड स्टोरेज जैसी तकनीकें AI को इस बड़े डेटा को स्टोर करने और प्रोसेस करने में मदद करती हैं.
  • डेटा सफाई और तैयारी: AI किसी भी डेटा का विश्लेषण करने से पहले उसे साफ़ और सही तरीक़े से तैयार करता है. इस काम में भी AI की नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी तकनीकें मदद करती हैं. इससे काम तेज़ी से होता है.
  • AI मॉडल: एक बार जब डेटा तैयार हो जाता है, तो AI मॉडल उस पर ट्रेनिंग लेते हैं. ये मॉडल डेटा में छिपे पैटर्न को पहचानकर खुद ही निर्णय लेना सीखते हैं. जितना ज़्यादा डेटा होगा, ये मॉडल उतने ही बेहतर काम करेंगे.
  • तुरंत जानकारी देना: AI टूल्स बिग डेटा का विश्लेषण करके ऐसी जानकारी निकाल सकते हैं जो शायद इंसानों की नज़र से छूट जाए. कंपनियाँ इस जानकारी का इस्तेमाल अपने काम को बेहतर बनाने और सही निर्णय लेने के लिए करती हैं.
  • अनुसंधान और नई तकनीकें: AI और बिग डेटा के क्षेत्र में हो रहे नए-नए अविष्कार एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं. AI को काम करने के लिए बिग डेटा चाहिए, और बिग डेटा को संभालने के लिए AI की ज़रूरत होती है. इस तरह, ये दोनों तकनीकें मिलकर आगे बढ़ती हैं.

बिग डेटा और मशीन लर्निंग (ML)

मशीन लर्निंग (ML) एक ऐसी तकनीक है जिसमें कंप्यूटर खुद अनुभव और डेटा से सीखते हैं. यह सीखने की प्रक्रिया बिग डेटा पर बहुत ज़्यादा निर्भर करती है.

  • सीखना: ML एल्गोरिदम डेटा का विश्लेषण करते हैं, उसमें छिपे पैटर्न को पहचानते हैं. फिर इसके आधार पर भविष्यवाणी करते हैं. उन्हें सही से सिखाने के लिए बहुत सारा और अच्छा डेटा चाहिए होता है.
  • बिग डेटा की भूमिका: ML मॉडल को ट्रेनिंग देने के लिए भारी मात्रा में डेटा की ज़रूरत होती है. जितना ज़्यादा डेटा मिलता है, ML मॉडल उतना ही बेहतर काम करता है. बिग डेटा, अपनी विशाल मात्रा के साथ, ML मॉडल को यही डेटा उपलब्ध कराता है.
  • डेटा की तैयारी: ML सिस्टम डेटा को साफ-सुथरा बनाने और उसे व्यवस्थित करने में मदद करते हैं ताकि इसका सही विश्लेषण हो सके. इसमें डुप्लिकेट डेटा हटाने और ग़लत जानकारी को ठीक करने जैसे काम शामिल हैं.
  • पैटर्न पहचान और परिणाम: ML का उपयोग डेटा में छिपे पैटर्न को पहचानने और भविष्य की घटनाओं के बारे में भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है. इससे मानवीय हस्तक्षेप के बिना ही निर्णय लिए जा सकते हैं.

अनुप्रयोग (कुछ उदाहरण):

  • आपदा प्रबंधन: बाढ़ जैसी स्थितियों का अनुमान लगाने के लिए.
  • दवा विकास: नई दवाओं की खोज में तेज़ी लाने के लिए.
  • स्वास्थ्य सेवा: मरीज़ों के रिकॉर्ड का विश्लेषण कर बीमारियों की भविष्यवाणी करने के लिए.
  • ई-कॉमर्स: ग्राहकों को उनकी पसंद के अनुसार उत्पाद सुझाने के लिए (जैसे Amazon पर).
  • मार्केट विश्लेषण: बिक्री का अनुमान लगाने और बाज़ार के रुझानों को समझने के लिए.

सुशासन में बिग डेटा

बिग डेटा सरकारों के काम करने के तरीके को बदल रहा है. यह उन्हें बेहतर, पारदर्शी और कुशलता से काम करने में मदद करता है. यह  डेटा-आधारित जानकारी पर नीतियाँ बनाने में मदद करता है.

बिग डेटा के फ़ायदे

  • बेहतर सेवाएँ: बिग डेटा की मदद से सरकारें अपनी सेवाओं को और बेहतर बना सकती हैं. यह टैक्स चोरी को पहचानने और सरकारी विभागों की कार्यक्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है.
  • पारदर्शिता: सरकारें कई डेटासेट को सार्वजनिक करती हैं, जैसे कि वायु गुणवत्ता या बारिश का डेटा. इससे पारदर्शिता बढ़ती है. सरकार और जनता प्रदूषण जैसी चीज़ों पर आसानी से नज़र रख सकते हैं.
  • आर्थिक नीतियाँ बनाना: GST जैसे डेटा के विश्लेषण से अर्थव्यवस्था के विभिन्न हिस्सों का निगरानी हो सकता है. इस जानकारी से वे सही नीतियाँ बना सकते हैं.
  • नागरिक सेवा: डिजिटल माध्यम से जनता तक कई सेवाएं आसानी से पहुँचती है. यह अलग-अलग विभागों के बीच तालमेल बढ़ाने और जवाबदेही को बढ़ावा देने में मदद करता है. ई-ऑफिस, बिहार का RTPS इत्यादि इसके उदाहरण है.

उदाहरण

  • आधार: भारत की आधार डिजिटल पहचान प्रणाली दुनिया की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक ID प्रणाली है. यह डिजिटल भुगतान और सरकारी फ़ायदे सीधे लोगों तक पहुँचाने में मदद करती है.
  • ओपन गवर्नमेंट डेटा: भारत में एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ 5 लाख से ज़्यादा डेटासेट उपलब्ध हैं.
  • चुनाव अभियान: बराक ओबामा (2012) और भाजपा (2014) ने बिग डेटा विश्लेषण का इस्तेमाल करके अपने चुनाव अभियानों को ज़्यादा प्रभावी बनाया था.

आपदा प्रबंधन में बिग डेटा

बिग डेटा, आपदाओं का पहले से अनुमान लगाकर इसके असर को कम करने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह डेटा को कई अलग-अलग स्रोतों (जैसे सेटेलाइट, ड्रोन, और IoT सेंसर) से इकट्ठा करता है. इस प्रकार हमें एक पूरी तस्वीर मिलती है कि क्या हो रहा है. इस तरह, बिग डेटा आपदा प्रबंधन को ज़्यादा प्रभावी, सक्रिय और ज़िम्मेदार बनाता है. इसके कुछ उपयोग हैं:

  • चेतावनी: कंप्यूटर और मशीन लर्निंग की मदद से बिग डेटा बाढ़, चक्रवात या भूकंप जैसी आपदाओं का पहले ही अनुमान लगा सकता है. इससे लोगों को समय पर चेतावनी मिल जाती है और वे सुरक्षित जगहों पर जा सकते हैं.
  • मदद: आपदा के बाद बिग डेटा की मदद से सेटेलाइट और ड्रोन जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करके नुक़सान का तेज़ी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है. इससे यह पता चलता है कि कहाँ और किस तरह की मदद की ज़्यादा ज़रूरत है. इससे राहत कार्य प्रबंधन आसान हो जाता है. ‘आधार’ जैसी डेटा द्वारा बाढ़ या सूखे से प्रभावित किसानों तक सीधी और सही सहायता पहुँचाया जा सकता है.
  • पहचान: यह तकनीक उन लोगों का पता लगाने में मदद करती है जो आपदा में फँस गए हैं. यह बचाव दल को त्वरित और उचित कार्यवाही में सक्षम बनाता है.
  • इसरो (ISRO): भारत का ISRO सेटेलाइट की मदद से बाढ़, चक्रवात और भूकंप जैसी आपदाओं के बारे में तुरंत डेटा देता है. इससे सरकार को सही समय पर सही फ़ैसला लेने में मदद मिलती है.

स्वास्थ्य सेवा में बिग डेटा

बिग डेटा का चिकित्सा क्षेत्र में व्यापक उपयोग हो रहे है, जो इस प्रकार हैं:

  • बेहतर निदान और इलाज: बिग डेटा मरीज़ों के मेडिकल रिकॉर्ड्स का विश्लेषण करके यह अनुमान लगा सकता है कि किसी व्यक्ति को कौन सी बीमारी हो सकती है. इससे डॉक्टरों को सही इलाज चुनने में मदद मिलती है. बिग डाटा समुदायों में बीमारियों का अध्ययन भी कर सकता है. AI और मशीन लर्निंग की मदद से मेडिकल इमेज (जैसे एक्स-रे या MRI) में छिपी छोटी-छोटी समस्याओं को भी पहचाना जा सकता है. यह व्यक्तिगत इलाज योजनाएँ बनाने में भी मदद करता है. यानी हर मरीज़ के लिए अलग और सबसे सही इलाज तय किया जा सकता है.
  • दवाओं का विकास: नई दवा बनाने में बहुत समय, धन और संसाधन लगता है. बिग डेटा और AI इस प्रक्रिया को बहुत तेज़ कर सकते हैं. AI मॉडल उन दवाओं की पहचान कर सकते हैं जो सफल हो सकती हैं. इस प्रकार रिसर्च का समय काफी कम हो जाता है.
  • महामारी प्रबंधन: बिग डेटा की मदद से बीमारियों के फैलने का अनुमान लगाया जा सकता है, जैसा कि COVID-19 महामारी के दौरान हुआ था.
  • अस्पताल के कामकाज: बिग डेटा का उपयोग करके अस्पताल अपने कामकाज को बेहतर बना सकते हैं. इससे उन्हें यह पता चलता है कि किस समय या मौसम में ज़्यादा मरीज़ आ सकते हैं. इस पैटर्न के आधार पर जांच, दवा, बिस्तर, डॉक्टर और सहयोगी स्टाफ तैयार किए जा सकते है. 
  • भारत की पहल: भारत में कई डिजिटल योजनाएँ, जैसे आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन और ई-संजीवनी, बिग डेटा का उपयोग कर रही हैं. आरोग्य सेतु और Co-WIN पोर्टल भी इसी के उदाहरण हैं.

बाजार विश्लेषण में बिग डेटा

बिग डेटा और मार्केटिंग (विपणन) का गहरा संबंध है. यह व्यवसायों को ग्राहकों की ज़रूरतों, बाज़ार के रुझानों और प्रतिस्पर्धियों के व्यवहार को समझने में मदद करता है. इससे उपयोगी जानकारी, पैटर्न और भविष्यवाणियाँ किया जा सकता है. बाजार विश्लेषण में बिग डाटा के उपयोग हैं:

  • उपभोक्ता व्यवहार: इससे यह जाना जा सकता है कि ग्राहक पसंद, नापसंद और ज़रूरतें क्या हैं? यह ग्राहकों की ख़रीददारी के तरीक़ों का विश्लेषण करके व्यक्तिगत मार्केटिंग में मदद करता है. उदाहरण के लिए, Amazon पर ग्राहक की पसंद के हिसाब से प्रोडक्ट दिखाना. 
  • रुझान: इससे बाज़ार में आ रहे नए-नए रुझानों का पता लगाया जा सकता है. इसी अनुरूप नए उत्पाद और विपणन रणनीतियाँ बन सकती है. यह बिक्री का अनुमान लगाने में भी मददगार है. साथ ही यह शेयर बाज़ार के उतार-चढ़ाव की सही भविष्यवाणी करने में भी मदद करता है.
  • प्रतिस्पर्धा: बिग डाटा और अपने प्रतिस्पर्धी के डाटा का उचित इस्तेमाल से कंपनियाँ आगे निकल सकती हैं.
  • उत्पादों में सुधार: बिग डेटा से किसी उत्पाद के व्यापक या छोटी से छोटी खामी का पता चल जाता है. साथ ही प्रतिस्पर्धी उत्पाद की जानकारी भी प्राप्त होती है. इस तरह बाजार और उपभोक्ता के जरूरत के हिसाब से नए प्रोडक्ट और सेवाएँ डिज़ाइन किए जा सकते हैं.
  • धोखाधड़ी: बैंक और वित्तीय संस्थान बिग डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी वाली गतिविधियों का पता लगाते हैं. मतलब बिग डाटा साइबर अपराध रोकने में भी सहायक है. 

बिग डाटा के अन्य अनुप्रयोग

यहाँ बिग डेटा के विभिन्न क्षेत्रों में अतिरिक्त अनुप्रयोगों को सरल भाषा में समझाया गया है:

  • परिवहन (Transportation): GPS और मैप जैसे ऐप्लिकेशन बिग डेटा का इस्तेमाल करके ट्रैफ़िक और मौसम की जानकारी देते हैं. Uber जैसी कंपनियाँ यह अनुमान लगाती हैं कि किस समय कहाँ ज़्यादा गाड़ियों की ज़रूरत होगी. हवाई जहाज़ों में ईंधन की खपत को कम करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए भी बिग डेटा का उपयोग होता है.
  • साइबर सुरक्षा (Cybersecurity): यह सिस्टम की कमज़ोरियों और साइबर हमलों का पता लगाता है. यह संदिग्ध गतिविधियों को पहचानकर किसी भी हमले को शुरू होने से पहले ही रोक सकता है.
  • कृषि (Agriculture): बिग डेटा का इस्तेमाल खेती में कई तरह से होता है, जैसे बीजों की गुणवत्ता सुधारना, मिट्टी की सेहत का ध्यान रखना, कीटों से बचाव करना और सिंचाई को बेहतर बनाना. यह दुनिया भर में भुखमरी और कुपोषण जैसी समस्याओं से लड़ने में भी मदद करता है.
  • मनोरंजन (Entertainment): Netflix जैसे प्लेटफ़ॉर्म बिग डेटा की मदद से ग्राहकों की पसंद के अनुसार फ़िल्में और शो सुझाते हैं, जिससे हर किसी को एक मनपसंद अनुभव मिलता है.
  • खेल (Sports): यह खिलाड़ियों के पुराने प्रदर्शन का विश्लेषण करके उनके भविष्य के प्रदर्शन और बाज़ार में उनकी क़ीमत का अनुमान लगाने में मदद करता है.
  • मानवीय संकट (Humanitarian Crisis): संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन बिग डेटा का इस्तेमाल करके मानवीय संकट के समय जल्दी और सही जानकारी दे पाते हैं.
  • रिकॉर्ड प्रबंधन: बिग डेटा की स्वचालित दक्षता के कारण रिकॉर्ड प्रबंधन करना आसान हो जाता है.
  • क्लाउड-आधारित तकनीक: बिग डेटा की क्लाउड-आधारित तकनीक के कारण डेटा का बैकअप रखना आसान होता है. यह निरंतर बदलते डेटा के लिए रियल टाइम पहुंच सुनिश्चित करता है 51.

बिग डेटा से जुड़ी चुनौतियाँ

बिग डेटा बहुत फ़ायदेमंद है. लेकिन इसे लागू करने और संभालने में कई तरह की मुश्किलें आती हैं. इन चुनौतियों को दूर किए बिना इसका पूरा लाभ उठाना मुश्किल है. ये चुनौतियाँ इस प्रकार है:

  1. डेटा स्टोरेज और प्रोसेसिंग: बिग डेटा की विशाल मात्रा को स्टोर करने के लिए पुराने सिस्टम पर्याप्त नहीं होते है. इस डेटा को तेज़ी से प्रोसेस करना भी एक बड़ी चुनौती है, खासकर जब हमें तुरंत विश्लेषण की ज़रूरत हो. स्टोरेज, डेवलपमेंट और सेटअप में बहुत ज़्यादा धन व्यव होता है, जिससे लागत बढ़ जाती है.
  2. डेटा की गुणवत्ता और सत्यता: बिग डेटा में बहुत सारी जानकारी ग़लत, अधूरी या फ़र्ज़ी हो सकती है. डेटा की गुणवत्ता को सही रखना ज़रूरी है. ऐसा न होने पर विश्लेषण के नतीजे भी ग़लत हो सकते हैं.
  3. सुरक्षा और गोपनीयता: इतनी बड़ी मात्रा में संवेदनशील जानकारी को इकट्ठा करने और उसका विश्लेषण करने में सुरक्षा और गोपनीयता बनाए रखना एक बहुत बड़ी चुनौती है. डेटा का विदेश में स्टोर होना गोपनीयता के उल्लंघन का कारण बन सकता है. इसका इस्तेमाल किसी देश की नीतियों को प्रभावित करने के लिए भी किया जा सकता है.
  4. विशेषज्ञों की कमी: बिग डेटा तकनीकों को चलाने के लिए ख़ास कौशल वाले पेशेवरों की ज़रूरत होती है. आज भी इस क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की कमी है.
  5. डेटा एकीकरण: अलग-अलग स्रोतों से आने वाले डेटा को एक साथ जोड़ना और सही तरीक़े से व्यवस्थित करना मुश्किल होता है. जब डेटा अलग-अलग फ़ॉर्मेट में हो तो अक्सर ऐसी स्थिति बनती है.
  6. आर्थिक मुद्दे: डेटा स्टोरेज कंपनियाँ ज़्यादातर विकसित देशों में हैं. इससे विकासशील देशों का धन बाहर जाता है.
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मुख्य बिंदु
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