दक्षिण एशिया में अपनी अनूठी भौगोलिक स्थिति के कारण भारत जैव विविधता का एक प्रमुख हॉटस्पॉट है. विश्व के हॉटस्पॉट क्षेत्रों की दृष्टि से भारत अत्यधिक हॉटस्पॉट (Hottest Hotspot) क्षेत्रों में से एक है. यह उत्तर में हिमालय की विशाल पर्वत श्रृंखलाओं, दक्षिण में हिंद महासागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब सागर से घिरा हुआ है. भारत की यह विविध स्थलाकृति और जलवायु विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्रों को जन्म देती है, जिससे यह क्षेत्र पृथ्वी के सबसे समृद्ध जैव विविधता वाले स्थानों में से एक बन गया है.
भारतीय जैव विविधता के मुख्य विशेषताएं
भारत का जैव विविधता अपनी भौगोलिक व जलवावयीय कारणों से काफी समृद्ध हैं. इसकी कुछ खासियत इस प्रकार हैं:
एक वैश्विक हॉटस्पॉट
विश्व के कुल 17 मेगा डाइवर्सिटी देशों में भारत का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह विश्व के उन चुनिंदा देशों में से एक है जहाँ जैव विविधता का भंडार सबसे अधिक है. इसके अलावा, भारत को विश्व के हॉटस्पॉट (Hottest Hotspot) क्षेत्रों में भी गिना जाता है, जो उन क्षेत्रों को दर्शाते हैं जहाँ प्रजातियों की संख्या बहुत अधिक होती है और साथ ही वे गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं. जैव विविधता की दृष्टि से भारत विश्व के शीर्ष 10 देशों में शामिल है. साथ ही, एशिया के शीर्ष 4 देशों में भी इसका नाम आता है.
वनस्पति और जीव-जंतुओं की संपदा
भारत में जीवों और वनस्पतियों की प्रजातियों की एक विशाल श्रृंखला पाई जाती है. भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के अनुसार, भारत में अब तक जीवों की 96,000 से अधिक प्रजातियों और वनस्पतियों की 49,000 से अधिक प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है. यह विविधता स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसृपों और उभयचरों की प्रजातियों की संख्या के मामले में भारत को एक अग्रणी देश बनाती है. इसके साथ ही, भारत कीटों, समुद्री कीड़ों और ताजे पानी के स्पंज जैसी स्थानीय प्रजातियों का एक महत्वपूर्ण भंडार भी है. यह विशेषता विशेष रूप से बड़े रीढ़धारी जानवरों की प्रचुरता के कारण और भी उल्लेखनीय हो जाती है.
विविध पारिस्थितिक तंत्र और वन आच्छादन
भारत में वनस्पति की विविधता उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों से लेकर शुष्क क्षेत्रों में पाई जाने वाली कंटीली झाड़ियों तक फैली हुई है. देश के विभिन्न हिस्सों में शीतोष्ण कटिबंधीय और शंकुधारी वन भी पाए जाते हैं, जो यहाँ की जलवायु और स्थलाकृति की विविधता को दर्शाते हैं. वर्तमान में, भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) की ISFR-2021 रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कुल वन और वृक्ष आच्छादन 24.62% है, जिसमें से वन आच्छादन 21.71% है. यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि भारत में प्राकृतिक वन अभी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
जैव विविधता पर संकट और संरक्षण के प्रयास
हालांकि भारत में जैव विविधता समृद्ध है, लेकिन यह कई चुनौतियों का सामना कर रही है. उद्योगों और शहरीकरण का विस्तार, विकास परियोजनाओं और कृषि के लिए भूमि की बढ़ती मांग, तथा पशुओं के लिए चारे की आवश्यकता के कारण वन क्षेत्र लगातार कम हो रहे हैं. इन चुनौतियों के बावजूद, वन नवीकरणीय संसाधन हैं जो न केवल जलवायु को नियंत्रित करते हैं और मृदा अपरदन को रोकते हैं, बल्कि कई समुदायों को आजीविका भी प्रदान करते हैं. इसलिए, भारत में जैव विविधता का संरक्षण एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्राथमिकता है. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि विकास के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों का भी संरक्षण हो, ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ इस अनमोल धरोहर का लाभ उठा सकें.
भारत के 6 जैव विविधता हॉटस्पॉट
जैव विविधता हॉटस्पॉट वे स्थल है जिसके जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण का वैश्विक प्रयास किया जा रहा है. आज के दौर तक धरती पर निवास करने वाले 99.9% प्रजातियां विलुप्त हो चुके है. आज के दौर में औद्योगिक प्रदुषण के कारण विलुप्ति का दर काफी बढ़ गया है. इस मानवीय हस्तक्षेप के कारण अन्य जीवों और पौधों के प्राकृतिक आवास तेजी से हो रहा है. इसी संकट से निपटने के लिए जैव विविधता के संरक्षण के वैश्विक प्रयास यूनेस्को द्वारा किया जा रहा है. इसके लिए ही जैव विविधता हॉटस्पॉट का प्रावधान किया गया है. इस स्थल में स्थलों को शामिल करने के दो अर्हताएं है-
- इसमें कम से कम 1,500 संवहनी पौधे होना चाहिए जो उस क्षेत्र के इलावा कही नहीं पाए जाते हो. दूसरे शब्दों में, हॉटस्पॉट (आकर्षण के केन्द्र) अपरिवर्तनीय है.
- ऐसा क्षेत्र जिनका 70% से अधिक मूल पर्यावास नष्ट हो चुका हो और 30% मूल प्राकृतिक वनस्पति विलुप्ति के कगार पर हो.
जैव विविधता हॉटस्पॉट का अवधारणा 1988 में नॉर्मन मायर्स द्वारा प्रतिपादित किया गया है. उन्होंने उष्णकटिबंधीय जंगल पर शोध करते हुए ये पाया की पौधों की प्रजातियों के साथ-साथ उनके आवास भी विलुप्त होने को है. इसके बाद यूनेस्को द्वारा ऐसे हॉटस्पॉट को पहचाने और उसे संरक्षित करने का प्रयास किया गया. इसके तहत दुनियाभर में 36 जैव विविधता तप्तस्थल (Biodiversity Hotspot) का पहचान किया गया है.
भारत में भी 6 जैव विविधता तप्तस्थल (hotspot) का इलाका शामिल है. यह इस प्रकार है-
1. हिमालय (The Himalayas in Hindi)
- यह उत्तरी पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और भारत के उत्तर-पश्चिम और उत्तरपूर्वी राज्यों में 3,000 किलोमीटर से अधिक लम्बा पर्वत श्रृंखला है, जो 7,50,000 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है.
- हिमालय में माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) सहित दुनिया की सभी 8,000 मीटर से ऊंची पर्वत चोटियाँ स्थित है. इससे दुनिया में सबसे अधिक नदियां भी निकलती है.
- जंगली एशियाई जल भैंस, गिद्धों, बाघों, हाथियों और एक सींग वाले गैंडे जैसी 163 लुप्तप्राय प्राजातियां प्रभावशाली संख्या में हिमालय में रहती है.
- यहाँ पौधों की लगभग 10,000 प्रजातियां भी मिलती है, जिनमें से 3,160 इस क्षेत्र के लिए अद्वितीय हैं. यहां तक कि 6,000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर भी संवहनी पौधे पाई गई है.
2. इंडो-बर्मा (Indo-Burma)
- मुख्यतः पूर्वोत्तर भारत में स्थित इंडो-बर्मा हॉटस्पॉट 23,73,000 वर्ग किमी के विशाल क्षेत्र में फैला है. यह दुनिया के 36 मान्यताप्राप्त जैव विविधता हॉटस्पॉट में सबसे बड़ा है.
- हॉटस्पॉट में भौगोलिक विविधता अविश्वश्नीय है. इसमें दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे ऊंची चोटी से लेकर बंगाल की खाड़ी, अंडमान सागर, थाईलैंड की खाड़ी और दक्षिण चीन सागर के तट तक शामिल हैं.
- इस क्षेत्र में पिछले 12 वर्षों के दौरान छह बड़ी स्तनपायी पाए गए है – बड़े सींग वाले मंटजैक, एनामाइट मंटजैक, ग्रे-शैंक्ड डौक, एनामाइट स्ट्राइप्ड रैबिट, लीफ डियर और साओला.
- यह क्षेत्र लगभग 1,300 पक्षी प्रजातियों का घर है, जिनमें लुप्तप्राय व्हाइट-ईयर नाइट-हेरॉन, ग्रे-क्राउन्ड क्रोशियास और ऑरेंज-नेक्ड पार्ट्रिज शामिल हैं.
- यहां मीठे पानी की कछुओं की अद्वितीय प्रजाति पाई जाती है, जो अत्यधिक कटाई और व्यापक आवास क्षरण के कारण विलुप्ति के खतरे में है.
3. पश्चिमी घाट (The Western Ghats in Hindi)
पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय भारत की पश्चिमी सीमा पर स्थित है. यहाँ पर्णपाती जंगल और वर्षावन स्थित है. इस इलाके का वन आवरण मूल रूप से 190,000 वर्गकिमी से घटकर 43,000 वर्गकिमी रह गया है.
पश्चिमी घाट 229 संकटग्रस्त पौधों, 31 स्तनधारियों, 15 पक्षियों, 43 उभयचरों, 5 सरीसृपों और 1 मछली प्रजाति का घर है.
यूनेस्को ने यहां के 325 सनकतापन्न प्रजातियों में से 129 को कमजोर, 145 को लुप्तप्राय और 51 को गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया है.
4. सुंदरलैंड (The Sundaland in Hindi)
- सुंदरलैंड हॉटस्पॉट इंडो-मलायन द्वीपसमूह के पश्चिमी खंड में स्थित है. यह लगभग 17,000 भूमध्यरेखीय द्वीपों का एक समूह है, जो हिन्द महासागर के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों तक स्थित है.
- यह वैश्विक स्तर पर दो सबसे विशाल भूभागों पर फैला है: बोर्नियो (7,25,000 वर्गकिमी) और सुमात्रा (4,27,300 वर्गकिमी).
- इस क्षेत्र में दक्षिणी थाईलैंड का एक छोटा सा हिस्सा – पट्टानी, याला और नाराथिवाट प्रांत शामिल है. भारत निकोबार द्वीप समूह भी इसी हॉटस्पॉट का हिस्सा है.
- फिलीपींस हॉटस्पॉट के 7,100 द्वीप सीधे वालेसिया के उत्तर-पूर्व में हैं, जो प्रसिद्ध वालेस लाइन द्वारा सुंदरलैंड हॉटस्पॉट से विभाजित है.
- इसमें संपूर्ण मलेशिया, जो प्रायद्वीपीय मलेशिया और बोर्नियो के उत्तरी इलाकों में सारावाक और सबा के पूर्वी मलेशियाई क्षेत्रों तक फैला हुआ है, शामिल है.
- हॉटस्पॉट में ब्रुनेई दारुस्सलाम के साथ मलय प्रायद्वीप के सिरे पर स्थित सिंगापुर भी शामिल है. इंडोनेशिया का पश्चिमी खंड, जिसमें कालीमंतन (बोर्नियो का इंडोनेशियाई क्षेत्र), सुमात्रा, जावा और बाली शामिल हैं, इसी क्षेत्र में आते हैं.
- औद्योगिक वानिकी से यहां के विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. यहाँ के बाघ, बंदर और विभिन्न कछुओं की प्रजातियों की वैश्विक मांग, अन्य देशों में जीविका और पारंपरिक चिकित्सा के लिए उपयोग खतरनाक है.
- यह ऑरंगुटान का विशेष निवास क्षेत्र है. जावा और सुमात्रा, इंडोनेशिया के महत्वपूर्ण द्वीप, दो अलग-अलग दक्षिण पूर्व एशियाई गैंडों की प्रजातियों का अभयारण्य हैं.
5. सुंदरबन (The Sunderbans)
- सुंदरबन मैंग्रोव वन बंगाल की खाड़ी पर गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के डेल्टा पर स्थित 104 द्वीपों का एक समूह है, जो 1,40,000 हेक्टेयर इलाके में फैला है.
- यह रॉयल बंगाल टाइगर, गंगा की डॉल्फ़िन और मुहाने पर रहने वाले मगरमच्छ के लिए प्रसिद्ध है. यह पक्षियों, स्तनधारियों और मछलियों की असंख्य प्रजातियों का आवास भी है.
- यह इलाका भारत और बांग्लादेश में स्थित है. इसका करीब 60 फीसदी हिस्सा बंगलादेश में तो शेष भारत में है. मीठे और खारे पानी के संगम पर स्थित यह इलाका काफी दुर्गम है.
6. तराई द्वार सवाना (The Terrai-duar Savannah)
- यह स्थल हिमालय के तलहटी में स्थिति है. इसका विकास गंगा के मैदान और हिमालय के चोटियों के संगम स्थल पर हुआ है, जो आदर्श घास-स्थल है.
- तराई द्वार सवाना उत्तराखंड के तराई बेल्ट के मध्य में नेपाल के दक्षिणी हिस्से से होते हुए पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से तक फैला हुआ है.
- इस इलाके में ही शानदार फूलों की घाटी, रूपकुंड झील और नंदादेवी राष्ट्रिय उद्यान स्थित है. यहाँ दुनिया के सबसे दुर्लभ घास के मैदान स्थित है.
- इलाके को हर साल आने वाले मॉनसूनी बाढ़ के गाद से उर्वरता मिलता है. यहाँ पाए जाने वाले एकसिंगी गैंडे घास के मैदान में चट्टान की भाँती दिखते है.
- इलाके में एशियाई हाथी, स्लोथ भालू और कई अन्य जीवों व वनस्पतियों की प्रजातियां पाए जाते है.
भारत के जैव-भौगोलिक क्षेत्र (Biogeographical Regions of India)
जैव-भौगोलिक क्षेत्र वे विशिष्ट भू-भाग हैं जहाँ पौधों और जानवरों की प्रजातियाँ एक समान जलवायु और भौगोलिक विशेषताओं को साझा करती हैं. इनका वितरण विश्व के अन्य क्षेत्रों से अलग होता है. भारत में भौगोलिक विविधता, अक्षांशों में परिवर्तन, और विभिन्न पर्यावरणीय दशाओं के कारण प्रजातियों और उनके आवासों में अत्यधिक अंतर पाया जाता है.
यह भिन्नता भारत को जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध बनाती है. यह भिन्नता इसे 10 प्रमुख जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित करती है, जहाँ की जलवायु, स्थलाकृति और मृदा में उल्लेखनीय भिन्नताएँ हैं. इस प्रकार जैव विविधता की दृष्टि से भारत के 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्र हैं:
- उत्तरी हिमालय: काराकोरम एवं लद्दाख पर्वत, तिब्बत का पठार
- हिमालय: उत्तर-पश्चिम, केंद्रीय एवं पूर्व हिमालय
- मरुस्थल: थार का मरुस्थल, कच्छ का रण
- पश्चिमी घाट: मालाबार का मैदान, पश्चिमी घाट
- दक्कन प्रायद्वीपीय पठार: केंद्रीय उच्चभूमि (Central High Land), छोटा नागपुर पठार, पूर्वी उच्चभूमि, केंद्रीय पठारी क्षेत्र, दक्षिण दक्कन का पठार
- अर्धशुष्क क्षेत्र: पंजाब का मैदान, गुजरात का मैदानी क्षेत्र
- गंगा का मैदानी क्षेत्र: गंगा का उच्च एवं निम्न मैदानी क्षेत्र
- तटीय क्षेत्र: पूर्वी एवं पश्चिमी तट, लक्षद्वीप
- उत्तर-पूर्वी क्षेत्र: ब्रह्मपुत्र की घाटी, उत्तर-पूर्व की चोटियाँ
- द्वीपसमूह: अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह.
1. ट्रांस हिमालय क्षेत्र (The Trans Himalayan Region)
यह क्षेत्र अत्यधिक ठंडा और शुष्क है. यह क्षेत्र में यहाँ केवल अल्पाइन घास एवं झाड़ियाँ पाई जाती हैं. इस क्षेत्र के अधिकांश भाग पर पत्थर एवं हिमखंड पाए जाते हैं. जंतुओं में जंगली भेड़ और बकरियाँ, आइबेक्स (Ibex), हिम तेंदुए (Snow Leopard), सामान्य में रांगे वाली बिल्ली (Marbled cat), ermine (एरमाइन) एवं काली गर्दन वाला सारस (Black Necked Crane) पाए जाते हैं.
2. हिमालय क्षेत्र (The Himalayan Region)
पूर्वी हिमालय में अधिक तथा विषुवत रेखा से निकटता के कारण वनस्पति की सघनता अधिक है, जबकि पश्चिमी हिमालय में वनस्पति की सघनता कम है. हिमालय में ऊँचाई में वृद्धि के साथ तापमान में कमी के कारण वनस्पति की अनेक पंक्तियाँ का विकास हुआ है. ऊँचाई में वृद्धि के साथ हिमालय पर्वत श्रृंखला में उष्णकटिबंधीय वनों से लेकर टुंड्रा वनस्पति तक पाई जाती है. जैव विविधता की दृष्टि से इन सभी वनस्पतियों को पट्टी में भिन्नता दिखाई देती है.
हिमालय के पश्लेदयी क्षेत्रों में जम्मुखीय परिसितुते अनुकूल होने के कारण जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों की प्रजातियों में वृद्धि होती है. यहाँ बड़े-बड़े वृक्ष एवं स्तनपायी जीव-जंतु पाए जाते हैं.
प्रमुख जंतुओं में यहाँ हिम तेंदुए (Snow Leopard) और भूरे भालू (Brown Bear) पाए जाते हैं. हिम एवं भू-स्खलन तथा पर्यावरण प्रदूषण के कारण यहाँ को प्रमुख प्रजातियों संकटग्रस्त एवं विलुप्त हो रही हैं.
3. भारतीय मरुस्थल (The Indian Desert)
इस क्षेत्र में सबसे अधिक कीड़ों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं. इसके अलावा सरीसृपों एवं पक्षियों को कई स्थानिक (Endemic) प्रजातियों भी इस क्षेत्र में पाई जाती हैं. भारतीय मरुस्थल की प्रमुख प्रजातियों में ब्लैक बक (Black Buck) जो स्तनधारियों की प्रजाति का प्रभावशाली जीव है, अब संकटग्रस्त हो गया है. नीलगाय, जंगली गधे (Wild Ass) यहाँ के विशेष जंतु हैं. कच्छ मरुस्थल में चिकारा, मरूस्थलीय लोमड़ी (Desert Fox), मरूस्थलीय बिल्ली, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) और पतंगभोगी आदि स्थानिक जीव पाए जाते हैं.
अर्ध-शुष्क क्षेत्र (Semi Arid Region)
यह क्षेत्र स्थलाकृतिक क्षेत्रों के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र रहा है. इस क्षेत्र की स्थानिक प्रजाति ग्रेटर क्षेत्र के शेर हैं. यहाँ झरनों के आवास क्षेत्रों की बहुलता पाई जाती है. यह घास और यूफोर्बिया (Euphorbia) झाड़ी से घिरी प्रजाति है. प्राकृतिक वनस्पतियों में उष्णकटिबंधीय कंटीले वन पाए जाते हैं. आर्द्र वन एवं मैंग्रोव वन भी इस क्षेत्र में पाए जाते हैं, जहाँ कई वनस्पति स्थानिक रूप में पाई जाती हैं.
पश्चिमी घाट (Western Ghat)
यह भारत का अत्यधिक जैव विविधता वाला क्षेत्र है तथा हॉटस्पाॅट के रूप में सूचीबद्ध है. इस क्षेत्र में सदाबहार वन से लेकर शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं. तथा पर्वतीय क्षेत्रों में शीतोष्ण वन प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं. इस क्षेत्र के प्रमुख जीव-जंतु, टापिर, नीलगीर लंगूर, भूरे पाए जाने वाले ऊदबिलावों की प्रजातियाँ में कई स्थानिक (Endemic) प्रजातियाँ को अधिकता है. उदहरी वाली गिलहरी और लॉयन टेल्ड मैकाक (Lion Tailed Macaque) यहाँ की विशिष्ट एवं स्थानिक प्रजातियाँ हैं.
दक्कन प्रायद्वीपीय क्षेत्र (Deccan Peninsular Region)
दक्कन प्रायद्वीपीय क्षेत्र में सतपुड़ा, पश्चिमी घाट एवं पूर्वी घाट में फैला है. यह क्षेत्र नदियों से घिरा हुआ है. यहाँ की प्रमुख नदियाँ तापी, नर्मदा, महानदी और गोदावरी हैं. महानदी की उत्तरी पश्चिमी की तरफ प्रवाहित होकर अरब सागर में गिरती है. महानदी और गोदावरी पूर्व में प्रवाहित होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है. यहाँ काली एवं लाल मिट्टी की अधिकता पाई जाती है. उत्तर मध्य से दक्षिण पठारी क्षेत्रों तक फैले भू-भाग में उष्णकटिबंधीय वन तथा उष्णकटिबंधीय शुष्क वन पाए जाते हैं. यहाँ पाए जाने वाले जीव-जंतु, भालू, जंगली सुअर, गौर, सैंदर, चीतल और जंगली भैंस, हाथी एवं बारहसिंगा आदि हैं.
गंगा का मैदानी क्षेत्र (Region of Gangetic Plain)
गंगा का मैदानी क्षेत्र भारत के सबसे ज्यादा उर्वर क्षेत्रों में से है. मृदा की उर्वरता के आधार पर इसे भांग (भाबर, तराई, खादर एवं खादर) में वर्गीकृत किया गया है जहाँ जीव-जंतुओं, वनस्पतियों एवं फसल की प्रजातियों की प्रचुरता है. ये क्षेत्र उर्वरा एवं कृषि उत्पादन की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं.
गंगा के मैदानी क्षेत्र का विस्तार राजस्थान से लेकर कृषि भूम उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है. इसके दक्षिण-पूर्वी क्षेत्रों में मैंग्रोव वन पाए जाते हैं. यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख जंतु-हाथी, ब्लैक बक, भारतीय गेंडा (Indian Rhinoceros), घड़ियाल एवं ताजे पानी में पाए जाने वाले कछुए व अनेक प्रकार की मछलियाँ हैं.
तटीय क्षेत्र (The Coastal Region)
भारत के विस्तृत क्षेत्र में फैले तटीय क्षेत्र में अत्यधिक विविधता पाई जाती है. यहाँ के मैंग्रोव वन क्षेत्रों में प्राकृतिक वनस्पतियों की अधिकता है. जंतु प्रजातियों में डॉल्फिन और घड़ियाल (Gharial), डुगोंग (Dugong), एवोइफना (Avifauna) आदि पाए जाते हैं.
स्वस्थ जल में रहने वाले कछुओं एवं समुद्री जल में रहने वाली मछलियों की अनेक प्रजातियाँ यहाँ पाई जाती हैं. पूर्वी तट के साथ बंगाल की खाड़ी से सटे सुंदरवन में बंगाल रॉयल टाइगर की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है.
उत्तर-पूर्व क्षेत्र (North-East Region)
भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में जैव विविधता अत्यधिक प्रचुरता में पाई जाती है. वनस्पतियों एवं जीव-जंतुओं की दृष्टि से यह क्षेत्र अत्यधिक समृद्ध है. यहाँ सदाबहार (Evergreen) एवं अर्द्ध-सदाबहार (Semi-Evergreen) वन, नम पर्णपाती मानसूनी वन, भारत के चेस्टनट (Tuna Chestnut) पाए जाते हैं. यहाँ पर बाँस, जैकफ्रूट और टुना चेस्टनट (Tuna Chestnut) प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.
भारतीय द्वीपीय क्षेत्र (Indian Island Region)
भारतीय उपमहाद्वीप का यह क्षेत्र 572 द्वीपों का समूह है. यह क्षेत्र अंडमान द्वीप के उत्तर एवं निकोबार द्वीप के दक्षिण तक विस्तृत है. यह क्षेत्र 10° चैनल द्वारा विभाजित है. इन 572 द्वीपों में से 36 द्वीप ही आवास योग्य हैं. यह क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से अत्यधिक महत्व रखता है. यहाँ विश्व की कुछ खास प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जैसे- डॉल्फिन, जैकफ्रूट, कोकोनट और मोलस्क (Molluscs) आदि.
अंडमान द्वीप में प्रवाल भित्ति 11,000 वर्ग किमी. में तथा निकोबार द्वीप में 2,700 वर्ग किमी. तक फैले हुए हैं. यहाँ लंबे एवं अधिक चौड़ाई के वृक्षों की अधिकता पाई जाती है तथा कई ऐसे वृक्ष पाए जाते हैं जिनका उपयोग औषधीय रूप में होता है. उदाहरण- बहेड़ा वृक्ष जिसका उपयोग प्रायः औषधियों में किया जाता है, इसी क्षेत्र में पाया जाता है. इसकी छाल से दवाइयाँ बनाई जाती हैं.