लोकसभा अध्यक्ष; संसद के निचले सदन (लोकसभा) का सर्वोच्च प्राधिकारी और अध्यक्षीय अधिकारी होता है. लोकसभा के सदस्यों में से ही अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का निर्वाचन होता है, जिनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है. किंतु वे समय से पूर्व भी त्यागपत्र दे सकते हैं अथवा दो तिहाई मत से पारित प्रस्ताव द्वारा उन्हें हटाया भी जा सकता है. इनका वर्णन संविधान के अनुच्छेद 93 से 97 में है.
लोकसभा अध्यक्ष से संबंधित अनुच्छेद (Articles related to Lok Sabha Speaker in Hindi)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 से 97 में लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष से संबंधित प्रावधानों का वर्णन है. लोकसभा अध्यक्ष को सभापति या चेयरपर्सन (Chairperson) नाम से भी संबोधित किया जाता हैं. इनका विवरण निम्नलिखित है:
अनुच्छेद 93: लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन
लोकसभा यथासंभव शीघ्र अपने दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनेगी. यदि अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है, तो लोकसभा किसी अन्य सदस्य को इन पदों के लिए नियुक्त करेगी.
अनुच्छेद 94: लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद की रिक्ति, त्यागपत्र और हटाने की प्रक्रिया
इस अनुच्छेद के मुख्य बिंदु हैं:
- यदि अध्यक्ष या उपाध्यक्ष लोकसभा के सदस्य नहीं रहते, तो वे अपना पद छोड़ देंगे.
- अध्यक्ष अपना त्यागपत्र उपाध्यक्ष को सौंपता है, जबकि उपाध्यक्ष अपना त्यागपत्र अध्यक्ष को देता है.
- लोकसभा के बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव के माध्यम से अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाया जा सकता है, बशर्ते ऐसे प्रस्ताव को पेश करने की कम से कम 14 दिन की पूर्व सूचना दी गई हो.
अनुच्छेद 95: उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति अध्यक्ष के रूप में
जब अध्यक्ष का पद रिक्त हो या वे अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हों तो ऐसी स्थिति में:
- उपाध्यक्ष अध्यक्ष के कर्तव्यों का निर्वहन करेगा.
- यदि उपाध्यक्ष का पद भी रिक्त है, तो राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा के किसी सदस्य को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाएगा.
- सदन के नियमों के अनुसार, उपाध्यक्ष या कोई अन्य व्यक्ति अध्यक्ष के रूप में कार्य कर सकता है.
अनुच्छेद 96: पदमुक्ति प्रस्ताव में पीठासीन न होना
जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के पद से हटाने का प्रस्ताव संसद में विचाराधीन हो, तो वे उस समय सदन की अध्यक्षता नहीं करेंगे. लेकिन, उन्हें सदन में बोलने और कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार होगा. वे ऐसी कार्यवाही में मतदान नहीं कर सकते. लेकिन वे सामान्य सदस्य के रूप में मत दे सकते हैं.
अनुच्छेद 97: अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते
इस अनुच्छेद के अनुसार, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष (तथा राज्यसभा के सभापति और उपसभापति) को संसद द्वारा समय-समय पर बनाए गए कानून के अनुसार वेतन और भत्ते प्राप्त होंगे. जब तक ऐसा कोई कानून नहीं बनता, तब तक संविधान की दूसरी अनुसूची में उल्लिखित वेतन और भत्ते लागू होंगे.
अन्य संबंधित अनुच्छेद
- अनुच्छेद 100: निर्णायक मत (Casting Vote): लोकसभा अध्यक्ष को कार्रवाही के किसी मसले पर मत देने का अधिकार नहीं होता हैं. लेकिन मतों की समानता की स्थिति में वह निर्णायक मत का प्रयोग करता है.
- अनुच्छेद 108: संयुक्त बैठक (Joint Sitting): लोकसभा अध्यक्ष दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है.
- दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule): लोकसभा अध्यक्ष को दलबदल के आधार पर सदस्यों को अयोग्य ठहराने की शक्ति प्रदान की गई है.
- अनुच्छेद 266(1): भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India): लोकसभा अध्यक्ष के वेतन और भत्ते इसी निधि पर भारित होते हैं. (नोट: पद पर रहते हुए लोकसभा अध्यक्ष के वेतन में किसी प्रकार की कमी नहीं की जा सकती हैं.)
योग्यता और शपथ
लोकसभा अध्यक्ष बनने के लिए संविधान में कोई विशिष्ट योग्यता निर्धारित नहीं है. किसी भी व्यक्ति को लोकसभा का अध्यक्ष बनने के लिए उसका लोकसभा का सदस्य होना जरूरी हैं.
इस प्रकार, अध्यक्ष पद के लिए योग्यता मानदंड में भारत का नागरिक होना, 25 वर्ष से कम आयु का न होना, भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण न करना, और आपराधिक अपराधी न होना शामिल है. अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के सदस्यों में से उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत द्वारा किया जाता है.
लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अलग से शपथ लेने की आवश्यकता नहीं होती हैं. उसे केवल तीसरी अनुसूची के तहत लोकसभा सांसद का शपथ ही पर्याप्त है.
कार्यकाल और पद से मुक्ति
अध्यक्ष का कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल (अधिकतम 5 वर्ष) के साथ सह-टर्मिनस होता है. लोकसभा भंग होने पर भी अध्यक्ष अपना पद रिक्त नहीं करता है और नई लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पहले तक पद पर बना रहता है. वह पुनः चुनाव के लिए भी पात्र होता है. साथ ही, अध्यक्ष किसी भी समय उपाध्यक्ष को संबोधित करते हुए लिखित रूप में अपना त्यागपत्र दे सकता है[अनु० 94(ख)].
लोकसभा अध्यक्ष को लोकसभा के प्रभावी बहुमत [अनु० 94 (ग)] से पारित प्रस्ताव द्वारा भी पद से हटाया जा सकता है. प्रभावी बहुमत का तात्पर्य लोकसभा में तत्कालीन कुल सदस्यों के बहुमत से हैं. इसके लिए अध्यक्ष को कम से कम 14 दिनों का नोटिस दिया जाना आवश्यक हैं. जब अध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन हो, तो वह सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकता हैं. लेकिन उसे सदन की कार्यवाही में बोलने और मत देने का अधिकार होता है.
लोकसभा सदस्य से अयोग्य घोषित होने पर भी अध्यक्ष को हटाया जा सकता है. इसका प्रावधान लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 7 और 8 में हैं.
नोट: उपाध्यक्ष सदन के अध्यक्ष को संबोधित कर अपना इस्तीफ़ा दे सकता हैं. उपाध्यक्ष के पीठासीन होने पर उसे सदन के संचालन संबंधी वे सभी अधिकार, शक्तियां और दायित्व प्राप्त हो जाते है, जो जो अध्यक्ष को प्राप्त हैं.
लोकसभा अध्यक्ष के कार्य और शक्तियां (Function and Powers of Loksabha Speaker)
लोकसभा अध्यक्ष के दायित्व व्यापक हैं. सदन के सुचारु कामकाज तथा उसकी लोकतांत्रिक प्रकृति को बनाए रखने के लिए अध्यक्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उसके निम्नलिखित कार्य और शक्तियां होती हैं:
सदन का संवैधानिक और औपचारिक प्रमुख
अध्यक्ष लोकसभा का संवैधानिक और औपचारिक प्रमुख होता है. वह सदस्यों, इसकी समितियों और पूरे सदन की शक्तियों और विशेषाधिकारों का संरक्षक होता है. वह सदन का मुख्य प्रवक्ता होता है और सभी संसदीय मामलों में अंतिम निर्णायक प्राधिकारी होता है.
सदन के कार्यवाही का संचालन
लोकसभा के कामकाज का संचालन और सदन संचालन से जुड़े नियमों को लागू करने का अधिकार अध्यक्ष का होता हैं. कोरम के अभाव में वह बैठक को स्थगित या निलंबित कर सकता है. उसे असंसदीय टिप्पणियों को पूर्ण या आंशिक रूप से हटाने (expunge) की शक्ति प्राप्त हैं. असंसदीय व्यवहार के लिए निलंबित और दंडित करने की शक्ति भी अध्यक्ष के पास हैं. संचालन के संबंध में अध्यक्ष के अन्य अधिकार निम्नलिखित प्रकार से हैं:
- सदन के सदस्यों के प्रश्नों को स्वीकार करना उन्हें नियमित व नियम के विरुद्ध घोषित करना.
- किसी विषय को लेकर प्रस्तुत किए जाने वाला कार्य स्थगन प्रस्ताव अध्यक्ष की अनुमति से पेश किया जा सकता है.
- लोकसभा अध्यक्ष को विचारधिन विधेयक पर बहस रुकवाने का अधिकार प्राप्त है.
- संसद सदस्यों को भाषण देने की अनुमति देना और भाषणों का क्रम व समय निर्धारित करना.
- विभिन्न विधेयक वह प्रस्ताव पर मतदान करवाना एवं परिणाम घोषित करना तथा मतों की समानता की स्थिति में निर्णायक मत देने का भी अधिकार है.
- सदन और राष्ट्रपति के मध्य होने वाला पत्र व्यवहार करना भी लोकसभा अध्यक्ष का कार्य है.
अंतिम व्याख्याता
लोकसभा अध्यक्ष सदन के भीतर भारत के संविधान, लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों और संसदीय परंपरा के प्रावधानों का अंतिम व्याख्याता होता है.
धन विधेयक का निर्धारण
लोकसभा अध्यक्ष यह तय करता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं. इस मसले पर उसका निर्णय अंतिम होता है. यह प्रावधान लोकसभा की वित्तीय मामलों में सर्वोच्चता को सुनिश्चित करती है.
निर्णायक मत
लोकसभा अध्यक्ष, या पीठासीन अध्यक्ष, “पहली बार में मतदान नहीं कर सकता हैं. लेकिन मतों की समानता की स्थिति में वह निर्णायक मत का प्रयोग कर सकता हैं.”
दलबदल के आधार पर अयोग्यता
दसवीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत दलबदल के आधार पर लोकसभा सदस्य की अयोग्यता के प्रश्नों पर अध्यक्ष निर्णय लेता है.

समितियों का गठन और पर्यवेक्षण
लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा के सभी संसदीय समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है. वह उनके कामकाज का पर्यवेक्षण भी करता है.
संयुक्त बैठक की अध्यक्षता
वह संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक (अनुच्छेद 108) की अध्यक्षता करता है.
न्यायिक समीक्षा
लोकसभा अध्यक्ष के कार्य न्यायिक समीक्षा से मुक्त हैं. यदि अध्यक्ष का आचरण संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो इसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है. अध्यक्ष का दलबदल संबंधी फैसले को भी चुनौती दी जा सकती हैं.
अन्य शक्तियां
- अध्यक्ष सदन के नेता के अनुरोध पर गुप्त बैठक बुला सकता है .
- वह भारतीय संसदीय समूह का पदेन अध्यक्ष होता है, जो भारत की संसद और दुनिया की विभिन्न संसदों के बीच एक कड़ी है .
- वह देश में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का पदेन अध्यक्ष भी होता है .
- अध्यक्ष की स्वीकृति के बिना संसद भवन में कोई परिवर्तन या परिवर्धन नहीं किया जा सकता है, न ही संसद भवन के भीतर कोई नई संरचना बनाई जा सकती है .
लोकसभा अध्यक्षों की सूची (List of Loksabha Speakers)
क्रम संख्या | अध्यक्ष का नाम | निर्वाचन क्षेत्र | कार्यकाल (से – तक) | अवधि | दल | लोकसभा | खास उपलब्धियां/टिप्पणियां |
1 | गणेश वासुदेव मावलंकर | अहमदाबाद | 15 मई 1952 – 27 फरवरी 1956 | 3 वर्ष, 288 दिन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | 1वीं | “लोकसभा का जनक”; नियमों, प्रक्रियाओं और संसदीय परंपराओं की स्थापना; विभिन्न समितियों का गठन; ‘प्रश्नकाल’ को नियमित बनाना |
2 | एम. ए. अय्यंगर | चित्तूर | 8 मार्च 1956 – 31 मार्च 1962 | 6 वर्ष, 22 दिन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | 1वीं, 2वीं | |
3 | सरदार हुकम सिंह | पटियाला | 17 अप्रैल 1962 – 16 मार्च 1967 | 4 वर्ष, 333 दिन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | 3वीं | |
4 | नीलम संजीव रेड्डी | हिंदूपुर / नंद्याल | 17 मार्च 1967 – 19 जुलाई 1969; 26 मार्च 1977 – 13 जुलाई 1977 | 2 वर्ष, 124 दिन; 109 दिन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस; जनता पार्टी | 4वीं, 6वीं | राष्ट्रपति बनने के लिए इस्तीफा दिया; दो बार अध्यक्ष बनने वाले एकमात्र व्यक्ति |
5 | गुरदयाल सिंह ढिल्लों | तरनतारन | 8 अगस्त 1969 – 1 दिसंबर 1975 | 6 वर्ष, 110 दिन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आर) | 4वीं, 5वीं | |
6 | बली राम भगत | आरा | 15 जनवरी 1976 – 25 मार्च 1977 | 1 वर्ष, 69 दिन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आर) | 5वीं | |
7 | के. एस. हेगड़े | बैंगलोर दक्षिण | 21 जुलाई 1977 – 21 जनवरी 1980 | 2 वर्ष, 184 दिन | जनता पार्टी | 6वीं | |
8 | बलराम जाखड़ | फिरोजपुर / सीकर | 22 जनवरी 1980 – 18 दिसंबर 1989 | 9 वर्ष, 329 दिन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) | 7वीं, 8वीं | सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले अध्यक्ष; दो लगातार लोकसभाओं की अध्यक्षता; दलबदल विरोधी कानून का अधिनियमन; संसदीय संग्रहालय और अभिलेखागार की स्थापना |
9 | रबी रे | केंद्रपाड़ा | 19 दिसंबर 1989 – 9 जुलाई 1991 | 1 वर्ष, 202 दिन | जनता दल | 9वीं | “मिट्टी का बेटा” के रूप में जाने जाते थे |
10 | शिवराज पाटिल | लातूर | 10 जुलाई 1991 – 22 मई 1996 | 4 वर्ष, 317 दिन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) | 10वीं | |
11 | पी. ए. संगमा | तुरा | 23 मई 1996 – 23 मार्च 1998 | 1 वर्ष, 304 दिन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | 11वीं | सबसे वाक्पटु अध्यक्षों में से एक |
12 | जी. एम. सी. बालयोगी | अमलापुरम | 24 मार्च 1998 – 3 मार्च 2002 | 3 वर्ष, 342 दिन | तेलुगु देशम पार्टी | 12वीं, 13वीं | |
13 | मनोहर जोशी | मुंबई उत्तर मध्य | 10 मई 2002 – 2 जून 2004 | 2 वर्ष, 23 दिन | शिवसेना | 13वीं | |
14 | सोमनाथ चटर्जी | बोलपुर | 4 अगस्त 2004 – 4 जून 2009 | 4 वर्ष, 304 दिन | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) | 14वीं | |
15 | मीरा कुमार | सासाराम | 4 जून 2009 – 11 जून 2014 | 5 वर्ष, 7 दिन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | 15वीं | पहली महिला अध्यक्ष; सदन के संचालन के लिए लिंग-तटस्थ नियमों की शुरुआत; भारत-भूटान संसदीय मैत्री समूह का निर्माण |
16 | सुमित्रा महाजन | इंदौर | 15 जून 2014 – 17 जून 2019 | 5 वर्ष, 2 दिन | भारतीय जनता पार्टी | 16वीं | दूसरी महिला अध्यक्ष |
17 | ओम बिड़ला | कोटा | 19 जून 2019 – वर्तमान | 5 वर्ष, 359 दिन (24 जून 2024 तक) | भारतीय जनता पार्टी | 17वीं, 18वीं | दूसरी बार अध्यक्ष चुने गए |
लोकसभा उपाध्यक्षों की सूची
क्रम | नाम | निर्वाचन क्षेत्र | कार्यकाल (से – तक) | अवधि | दल | लोकसभा | खास उपलब्धियां/टिप्पणियां |
1 | एम. अनंतशयनम अयंगार | तिरुपति (मद्रास, अब आंध्र प्रदेश) | 1952 – 1956 | ~4 वर्ष | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | पहली लोकसभा | 1956 में जी. वी. मावलंकर के निधन के बाद लोकसभा अध्यक्ष बने. |
2 | सरदार हुकम सिंह | कपूरथला-भटिंडा (पंजाब) | 1956 – 1962 | ~6 वर्ष | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | पहली और दूसरी लोकसभा | 1962 में तीसरी लोकसभा के अध्यक्ष बने. |
3 | एस. वी. कृष्णमूर्ति राव | शिमोगा (मैसूर, अब कर्नाटक) | 1962 – 1967 | ~5 वर्ष | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | तीसरी लोकसभा | – |
4 | आर. के. खडिलकर | खेड़ (महाराष्ट्र) | 1967 – 1969 | ~2 वर्ष | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | चौथी लोकसभा | – |
5 | जी. जी. स्वेल | फूलपुर (उत्तर प्रदेश) | 1969 – 1971 | ~2 वर्ष | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | चौथी लोकसभा | – |
6 | जी. एस. ढिल्लों | तरन तारन (पंजाब) | 1971 – 1975 | ~4 वर्ष | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | पांचवीं लोकसभा | 1975 में लोकसभा अध्यक्ष बने. |
7 | जी. लक्ष्मण | मद्रास उत्तर (तमिलनाडु) | 1976 – 1977 | ~1 वर्ष | द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) | पांचवीं लोकसभा | – |
8 | डी. एन. तिवारी | गोपालगंज (बिहार) | 1980 – 1984 | ~4 वर्ष | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | सातवीं लोकसभा | – |
9 | एम. थंबी दुरई | धर्मपुरी (तमिलनाडु) | 1985 – 1989 | ~4 वर्ष | अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) | आठवीं लोकसभा | – |
10 | शिवराज पाटिल | लातूर (महाराष्ट्र) | 1990 – 1991 | ~1 वर्ष | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | नौवीं लोकसभा | बाद में केंद्रीय गृह मंत्री बने. |
11 | एस. मल्लिकार्जुनैया | तुमकुर (कर्नाटक) | 1991 – 1996 | ~5 वर्ष | भारतीय जनता पार्टी (BJP) | दसवीं लोकसभा | – |
12 | सुरज भान | अंबाला (हरियाणा) | 1996 – 1997 | ~1 वर्ष | भारतीय जनता पार्टी (BJP) | ग्यारहवीं लोकसभा | – |
13 | पी. एम. सईद | लक्षद्वीप | 1998 – 1999 | ~1 वर्ष | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | बारहवीं लोकसभा | – |
14 | चरणजीत सिंह अटवाल | फिल्लौर (पंजाब) | 2004 – 2009 | ~5 वर्ष | शिरोमणि अकाली दल (SAD) | चौदहवीं लोकसभा | – |
15 | करिया मुंडा | खूंटी (झारखंड) | 2014 – 2019 | ~5 वर्ष | भारतीय जनता पार्टी (BJP) | सोलहवीं लोकसभा | अनुसूचित जनजाति समुदाय से उप-अध्यक्ष. |
16 | एम. थंबी दुरई | करूर (तमिलनाडु) | 2019 – 2024 | ~5 वर्ष | अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) | सत्रहवीं लोकसभा | |
17 | पद रिक्त | – | 2024 – वर्तमान | – | – | अठारहवीं लोकसभा | उप-अध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ. |
- कार्यकाल की अवधि अनुमानित है, क्योंकि कुछ उपाध्यक्षों ने बीच में इस्तीफा दिया या अन्य पदों पर नियुक्त हुए. सटीक तारीखें जहां उपलब्ध थीं, वहां उपयोग की गई हैं.
- यह जानकारी उस समय के दल और निर्वाचन क्षेत्र पर आधारित है जब सांसद उपाध्यक्ष चुने गए. कुछ सांसदों ने बाद में दल बदले.
- 2024 तक, अठारहवीं लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद रिक्त है, जैसा कि 17वीं लोकसभा में भी कुछ समय तक रिक्त रहा था.
- 11वीं लोकसभा के बाद से, यह परंपरा रही है कि उपाध्यक्ष का पद आमतौर पर विपक्षी दल को दिया जाता है, हालांकि हमेशा ऐसा नहीं हुआ.