कार्बन चक्र (Carbon Cycle) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें पृथ्वी के जीवमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल के बीच कार्बन का प्रवाह और परिवर्तन शामिल है. इसलिए, इसे एक जैव भू-रसायन चक्र हैं. अन्य भू-जैव रसायन चक्रों की तरह यह भी पृथ्वी पर जलवायु, जीवन और पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है.
कार्बन चक्र की प्रक्रियाएँ और घटक
कार्बन विभिन्न रूपों में और विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से चक्रित होता है:
- वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (CO2): वायुमंडल में कार्बन का प्राथमिक रूप कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) है. यह एक महत्वपूर्ण हरितगृह गैस है.
- प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis): पौधे, शैवाल और साइनोबैक्टीरिया वायुमंडल से CO2 को अवशोषित करते हैं. फिर, सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके इसे कार्बनिक यौगिकों में बदलते हैं. इस प्रक्रिया में एक उपोत्पाद के रूप में ऑक्सीजन उत्पन्न होता है. उत्पादित कार्बनिक यौगिक पौधों और अन्य जीवों के लिए भोजन के काम आता हैं. प्रकाश संश्लेषण का समीकरण है: 6CO2 + 6H2O + सूर्य का प्रकाश → C6H12O6 + 6O2
- श्वसन (Respiration): पौधे और पशु दोनों कार्बनिक यौगिकों का उपभोग करते हैं. ये श्वसन के माध्यम से CO2 को वापस वायुमंडल में छोड़ते हैं. श्वसन के लिए समीकरण है: C6H12O6 + 6O2 = 6CO2 + 6H2O + ऊर्जा
- अपघटन (Decomposition): जब जीव मर जाते हैं, तो बैक्टीरिया और कवक जैसे अपघटक उनके कार्बनिक पदार्थों को तोड़ते हैं. इस रासायनिक प्रक्रिया में CO2 और मीथेन (CH4) वायुमंडल में मुक्त होता हैं. साथ ही, मिट्टी को पोषक तत्व प्राप्त होता हैं.
- दहन (Combustion): जीवाश्म ईंधन और बायोमास के जलने से वायुमंडल में CO2 के रूप में संग्रहीत कार्बन निकलता है. इससे भी वायुमंडलीय CO2 का स्तर बढ़ता हैं.
- महासागरीय अवशोषण (Oceanic Absorption): महासागर भी वायुमंडल के CO2 की बड़ी मात्रा में अवशोषित करते हैं. इस CO2 का उपयोग समुद्री जीवों द्वारा प्रकाश संश्लेषण के लिए किया जाता है. अतिरितक CO2 पानी में घुलकर कार्बोनिक एसिड (H2CO3), बाइकार्बोनेट (HCO3), और कार्बोनेट (CO3) आयन बनाता है. मूंगा और शंख जैसे समुद्री जीव अपने कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) के खोल और कंकाल बनाने के लिए कार्बोनेट आयनों का उपयोग करते हैं.
- अवसादन (Sedimentation): लंबी अवधि में, समुद्री जीवों के अवशेष समुद्र तल पर जमा होकर तलछटी चट्टानें बनाते हैं. चूना पत्थर इसका एक उदाहरण है, जो लाखों वर्षों तक कार्बन संग्रहीत करता है.
- ज्वालामुखी गतिविधि और अपक्षय (Volcanic Activity and Weathering): यह प्रक्रिया भी संग्रहीत कार्बन को वायुमंडल में वापस भेजता है.
- कार्बन पृथक्करण (Carbon Sequestration): यह वायुमंडलीय CO2 को पौधों, मिट्टी, महासागरों या भूवैज्ञानिक संरचनाओं में संचय की प्रक्रिया है. यह प्राकृतिक रूप से वनीकरण और मृदा प्रबंधन प्रथाओं के माध्यम से संचालित होता है. कृत्रिम रूप से कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) जैसी तकनीकों के माध्यम से यह सम्पन्न किया जा सकता है.

कार्बन चक्र का पारिस्थितिकीय महत्व
कार्बन चक्र का पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्रों और जलवायु पर गहरा प्रभाव पड़ता है. कार्बन का प्राथमिक ग्रीनहाउस गैस (CO2) के रूप में कार्य सीधे तौर पर वैश्विक जलवायु से जुड़ा हुआ है. इस प्रकार, कार्बन चक्र जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण चक्र है.
इस चक्र में दो अलग-अलग समय-पैमाने पर कार्बन का भंडारण और विनिमय होता है: एक तीव्र जैविक विनिमय (प्रकाश संश्लेषण और श्वसन के माध्यम से) और दूसरा दीर्घकालिक भूवैज्ञानिक भंडारण (जीवाश्म ईंधन और तलछटी चट्टानों में).
मानवीय प्रभाव और जलवायु परिवर्तन
मानव गतिविधियाँ कार्बन चक्र को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं. औद्योगिक क्रांति के बाद इसमें अभूतपूर्व वृद्धि हुई हैं. जीवाश्म ईंधन का जलना, मानव उपयोग और बसाहट के लिए वनों की कटाई और कृषि ने वायुमंडल में CO₂ की मात्रा को बढ़ा दिया है. यह 2024 में 422.7 भाग प्रति मिलियन (ppm) तक पहुंच गया है. यह वृद्धि वैश्विक तापमान में वृद्धि और समुद्र के pH में कमी (समुद्री अम्लीकरण) का कारण बन रहा है.
जिस गति से वायुमंडल में CO2 का उतसर्जन हो रहा है, उस गति से प्रकृति इसका अवशोषण नहीं कर पाती हैं. इसके कारण प्रकृति में अतिरिक्त CO2 संचयित हो रहा हैं. यह मूल ग्रीनहाउस गैस हैं, इसलिए ग्लोबल वार्मिंग एक जटिल समस्या बन चुका हैं. इस असंतुलन को पाटने के लिए उपभोक्ता संस्कृति में बदलाव की आवश्यकता हैं. लेकिन इससे आधुनिक प्रणाली के आर्थिक गतिविधियों को गंभीर नुकसान हो सकता हैं.
हाल के अनुसंधानों से पता चलता है कि पौधे कार्बन-14 को अपेक्षाकृत तेजी से चक्रित करते हैं. परमाणु परीक्षण के वजह से इस प्रक्रिया में तेजी आई है. 2024 के वैश्विक कार्बन बजट के अनुसार कार्बन उत्सर्जन में 0.8% की वृद्धि हुई है. ये चिंतनीय तथ्य हैं.
हालिया विकास और अनुसंधान
2025 में कार्बन चक्र पर अनुसंधान में काफी प्रगति हुई है. उपग्रह के डेटा से वनों और महासागरों में कार्बन भंडारण का अध्ययन आसान हुआ हैं. नासा और कुछ अन्य संगठन कार्बन मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित कर रहे हैं. यह निगरानी भविष्य में जलवायु नीतियों को नया आकार दे सकता हैं.
निष्कर्ष (Conclusion)
जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण कार्बन के आक्साइड हैं. इसलिए इसके उत्सर्जन को संतुलित रखकर ही ग्लोबल वार्मिंग जैसे खतरों से निपटा जा सकता हैं. इसलिए कार्बन चक्र को संतुलित करना प्रकृति को संतुलित रखने जैसा हैं.