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भारत में पुतली कला: पटकथा, विशेषता, क्षेत्र और संचालन | Piyadassi
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भारत में पुतली कला: पटकथा, विशेषता, क्षेत्र और संचालन

विश्व स्तर पर पुतली कला में हुए आधुनिक प्रयोगों ने इसे एक पेशेवर कला के रूप में स्थापित किया है, जिसके परिणामस्वरूप कई अंतरराष्ट्रीय पुतली नाटक दल मौजूद हैं. पारंपरिक रूप से पुतलियों को उनके संचालन के आधार पर धागा पुतली, छाया पुतली, छड़ पुतली, और दस्ताना पुतली जैसी श्रेणियों में बांटा गया है. इनके […]

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GI टैग और 2025 तक बिहार के13 प्रमाणित उत्पाद, विशेषता और क्षेत्र
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GI टैग और 2025 तक बिहार के 13 प्रमाणित उत्पाद, विशेषता और क्षेत्र

“GI टैग” का मतलब भौगोलिक संकेत (Geographical Indication) टैग है. यह एक ऐसा चिह्न है जो उन उत्पादों पर इस्तेमाल किया जाता है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और जिनके गुण या प्रतिष्ठा उस मूल स्थान के कारण ही होती है. GI टैग क्या है? (What is GI Tag in Hindi) GI टैग

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बाबर के आक्रमण के समय भारत की स्थिति
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बाबर के आक्रमण के समय भारत की स्थिति

16वीं शताब्दी में बाबर के आक्रमण के समय भारत की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी. दिल्ली सल्तनत काफी कमजोर हो चुका था. पूरे भारत में अनेक छोटे-छोटे राज्यों का उदय हो चुका था. इनमें आपसी प्रतिस्पर्द्धा एवं वैमनस्य की भावना थी. ये सदैव एक दूसरे को पराजित एवं अपमानित करने का सपना देखा करते थे. इनमें

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सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल, जीवन शैली, अर्थव्यवस्था व अन्य तथ्य
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सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल, जीवन शैली, अर्थव्यवस्था व अन्य तथ्य

सिंधु घाटी सभ्यता को सैंधव या हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है. यह दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में विकसित एक कांस्य युगीन सभ्यता थी.  यह प्राचीन विश्व में मिस्र और मेसोपोटामिया के साथ सबसे व्यापक और प्रारंभिक सभ्यता थी. नए शोधों के अनुसार, यह सभ्यता आज से करीब 8 हजार साल

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भारत में वामपंथी उग्रवाद का इतिहास, पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
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भारत में वामपंथी उग्रवाद का इतिहास, पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति

यह लेख भारत में वामपंथी उग्रवाद के उद्भव, कारणों, विभिन्न चरणों, लक्ष्यों व उद्देश्यों, प्रभावित क्षेत्रों, सांगठनिक ढांचे, आंतरिक सुरक्षा से संबंध, सरकारी प्रयासों व योजनाओं, तथा वर्तमान स्थिति का तथ्यात्मक रूप से वर्णन करती है. लेख में केवल प्रामाणिक या सरकारी स्त्रोतों से प्राप्त अनंतिम तथ्यों व आंकड़ों को समाहित किया गया है. वामपंथी

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दिल्ली सल्तनत के पतन के कारण
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दिल्ली सल्तनत के पतन के कारण और अंत

इतिहास में कई राजवंशों और साम्राज्य के उत्थान और पतन का दास्तां दर्ज़ है. दिल्ली सल्तनत का पतन भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है. तुर्क आक्रमणकारी  मुहम्मद गोरी ने प्रसिद्ध शासक पृथ्वीराज चौहान को हराकर दिल्ली में अपना राज्य स्थापित किया था. मध्यकालीन इतिहास में इसे ही दिल्ली सल्तनत कहा गया है. इनका शासन

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इब्राहिम लोदी (1517-1526) का शासन, राजत्व सिद्धांत और मृत्यु
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इब्राहिम लोदी (1517-1526) का शासन, राजत्व सिद्धांत और मृत्यु

इब्राहिम लोदी (1480 – 21 अप्रैल 1526) दिल्ली सल्तनत के अंतिम सुल्तान थे. वह अपने पिता सिकंदर खान लोदी की मृत्यु के बाद 1517 में सुल्तान बने. उन्होंने 1526 तक नौ वर्षों तक शासन किया. 1526 में बाबर की हमलावर सेना द्वारा पानीपत की लड़ाई में पराजित हुए और मारे गए, जिससे भारत में मुगल

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सिकंदर लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1489–1517)
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सिकंदर लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1489–1517)

सिकंदर लोदी (निज़ाम खान) लोदी वंश का दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण शासक था. सिकंदर लोदी 17 जुलाई 1489 को ‘सुल्तान सिकंदर शाह’ की उपाधि के साथ दिल्ली के सिंहासन पर बैठा. उसने 1489 से 1517 ई. तक शासन किया. वह बहलोल लोदी का पुत्र था. सिकंदर लोदी को लोदी वंश का सबसे सफल सुल्तान माना

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बहलोल लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1451-1489)
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बहलोल लोदी का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1451-1489)

बहलोल लोदी या बहलोल खान, मुल्तान के गवर्नर के लिए काम करने वाले मुल्तान के एक पश्तून मूल निवासी मलिक बहराम के पोते थे. बहराम के छोटे बेटे मलिक काला उनके पिता थे. बहलोल बहराम के सबसे बड़े बेटे मलिक सुल्तान शाह लोदी के दामाद भी थे. सुल्तान शाह लोदी ने दिल्ली के सैय्यद वंश

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सैयद वंश का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1414-1451)
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सैयद वंश का दिल्ली सल्तनत पर शासन (1414-1451)

सैयद वंश के दिल्ली सल्तनत पर अधिकार होने में तैमूर लंग का काफी अहम भूमिका था. कमजोर हो चुके दिल्ली सल्तनत के मुल्तान, तदन्तर सिंध तथा लाहौर पर तैमूर का कृपापात्र खिज्र खान अधिकार कर चुका था. 1414 तक स्थिति यह आ गयी कि खिज्र खान को दिल्ली पर भी अधिकार करने से रोकने के

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