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टॉक्सिक पॉजिटिविटी को कैसे पहचानें?

टॉक्सिक पॉजिटिविटी, मानव के कई मनोवैज्ञानिक लक्षणों में से एक है. लेकिन, इसका विकास अक्सर स्वतः नहीं, बल्कि मजबूरी में करना पड़ता है. इस तरह यह मानव का स्वाभाविक लक्षण से दूर होता है, जो मानसिक स्वास्थ्य के नजरिए से सही नहीं है.

वेरीवेल माइंडके मुताबिक, ‘आशावादी होने और सकारात्‍मक होने के कई लाभ हैं. लेकिन जब आप अंदर से दर्द झेल रहे हों और चेहरे पर बनावटी ख़ुशी या सकारात्‍मक दिखने की झूठी कोशिश कर रहे हों; तो यह आपके अंदर टॉक्सिक पॉजिटिविटी को जन्‍म देती है; जो हर तरह से आपकी सेहत के लिए हानिकारक है.’

क्या है टॉक्सिक पॉजिटिविटी (What is Toxic Positivity in Hindi)

टॉक्सिक पॉजिटिविटी खुश रहने या दिखने का असामान्य प्रक्रिया है. हमारे परेशानी या तकलीफ में होने के बावजूद, कई लोग हमपर खुश रहने का दवाब डालते है. वे हमे पॉजिटिव रहने व खुश कहने की बिन मांगी सलाह देते है. इससे हम अपना दर्द मन में छिपकर कृत्रिम ढंग से खुश रहने या दिखने का कोशिश करने लगते है. ख़ुशी का यही रूप, टॉक्सिक पॉजिटिविटी कहलाता है.

इस तरह के मानसिक स्तिथि में, हमारा वास्तविक मनोभाव खुलकर बाहर नहीं आ पाता. भावनाओं का नैसर्गिक बहाव रुक जाता है. हम माहौल को खुशनुमा रखने के एवज में, अपनी परेशानी, अपने खास, जैसे माता-पिता या भाई को भी नहीं बताते है. इससे समस्या का हल मिलना मुश्किल हो जाता है. यह जितना गंभीर होते जाता है, हम उतना ही अधिक मानसिक कुंठा का शिकार होते चले जाते है. कई बार यह, आपको मानसिक रोग की तरफ ले जाता है.

टॉक्सिक पॉजिटिविटी का पहचान (Idendity of Toxic Positivity in Hindi)

  • इसका सबसे आसान पहचान है समस्या से मुंह मोड़कर अन्य काम में खुद को व्यस्त कर लेना.
  • एक भावना को छिपाने के लिए दूसरे का दिखावा करना; जैसे व्यापारिक नुकसान में भी खुश दिखने की कोशिश.
  • खुद के दुःखी होने पर गुस्से से इसे ढकना.
  • लोगों को अनावश्यक रूप से पॉजिटिव रहने को प्रेरित करना व खुद भी ऐसा करना.
  • दूसरे के पॉजिटिव न रहने पर कोसना
  • उदास, क्रोधित या निराश होने के लिए दोषी महसूस करना
  • व्यव्गार में कठोर होने की कोशिश करना या दर्दनाक भावनाओं को खत्म करने की कोशिश.

टॉक्सिक पॉजिटिविटी में दुविधा (Bipolar Mind of Toxic Positivity in Hindi)

दरअसल, हम किसी वास्तविक समस्या के समाधान से बचने के लिए खुद को दूसरी तरफ मोड़ लेते है. लेकिन, हमारा ध्यान फिर भी समस्या की तरफ लगा रहता है. इसलिए हम उसके बारे में अधिक सोचने लगते है. लेकिन, वास्तव में इससे जुड़े दुःखी या उदास भावना को सामने नहीं लाते है. ऐसे स्तिथि में, हम दुविधापूर्ण जीवन जीते है.

इस तरह के विषाक्त या टॉक्सिक पॉजिटिविटी का विकास हमारे आसपास के लोग ही करते है. वे आपको अपनी समस्या के समाधान में लगने के बजाय, आपको किसी अन्य तरफ मोड़ देना चाहते है. ऐसे लोग दिखते तो आपका शुभचिंतक है, लेकिन होते है आपका अहितकर.

इसलिए ऐसे लोग आपको बार-बार आपको पॉजिटिव रहने की सलाह देते है, चाहे स्तिथि कितनी ही विषम क्यों न हो. वे कभी भी समस्या के समाधान में आपका न मदद करेंगे और न आपको खुद समाधान करते देखना चाहेंगे. ऐसे लोगों से पर्याप्त दुरी बनाकर ही चले तो ठीक रहता है. समाज में इन्हें मीठा जहर (Sweet Poison) भी कहा जाता है.

टॉक्सिक पॉजिटिविटी से नुकसान (Damage by Toxic Positivity in Hindi)

  • अपनी समस्या से ऐसे लोगों को शर्मिंदगी महसूस होने लगती है.
  • टॉक्सिक पॉजिटिविटी के शिकार खुद को दोषी मानने लगते है. ये सोचते है यदि ऐसा न किया होता तो ऐसा न होता. जैसे, ऑफिस रोजाना समय से आता और कभी छुट्टी न लेता तो नौकरी से नहीं निकाला जाता.
  • आपसे कोई अपनी समस्या बता रहा हो तो अपने टॉक्सिक पॉजिटिविटी के प्रभाव में उसे चुप न कराएं. अगले की बात सुने व हो सके तो समाधान भी बताएं. इससे आपका आत्मविश्वास भी बढ़ जाएगा.
  • ऐसे लोग अव्यवहारिक होने लगते है. दुःख में भी ख़ुशी व्यक्त करना, आखिर एक मानसिक रोगी का पहचान होता है. इसलिए ऐसे लोग हंसी का पात्र भी बन जाते है.
  • अपनी वास्तविकता को पहचाने. समस्या है तो इसका समाधान ढूंढे. परिजनों या नजदीकी दोस्तों से हल में मदद लें. समस्या का सामना व हल करने से ही आप मानसिक रूप से मजबूत व खुशहाल हो पाएंगे.

टॉक्सिक पॉजिटिविटी से प्रभावित बातचीत (Toxic Positivity influenced Conversation in Hindi)

  • ‘कुछ भी हो जाए सकारात्‍मक रहो’.
  • ‘गुड वाइब्‍स ओनली’.
  • ‘किसी कारण से ही हुआ होगा’.
  • ‘किसी भी कीमत पर हारना नहीं है’.
  • ‘खुश रहना तुम्‍हारी च्‍वाइस है’.

नॉन-टॉक्सिक बातें (Non-Toxic Conversations in Hindi)

  • ‘हाँ, मैं सुन रहा हूं’.
  • ‘कुछ भी हो जाए, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ’.
  • ‘कुछ भी बुरा हो मुझे बताना, मैं तुम्हारी मदद करूंगा’.
  • ‘हारजीत तो जीवन का छोटा सा हिस्‍सा भर है’.

टॉक्सिक पॉजिटिविटी से कैसे बचें (How to Avoid Toxic Positivity in Hindi)

  • अपनी वास्तविकता को स्वीकारें व उसी के अनुसार सामान्य व्यवहार करें. भले ही कोई थोड़ा नाराज क्यों न हो. दुःख में चेहरे पर उदासी आए तो आने दे, सुख में ख़ुशी आए तो आने दे.
  • अपना ख्याल रखे व स्तिथि को सँभालने की कोशिश करें.
  • अत्यधिक नकारात्मकता आपको तनाव में ला देता है. इसलिए जीवन से निराश न हो. कई बार नकारात्मक समस्या का समाधान के दौरान आप नए बुलंदियों को भी छू लेते है.
  • टॉक्सिक पाजिटिविटी को बढ़ावा देने वाले लोगों से झगडे नहीं, उन्हें शांतिपूर्वक झेलकर निकल लें. उनकी बातों को नजरअंदाज करना ही बेहतर होता है.
  • सोशल मीडिया पर अच्छे पोस्ट लिखे. ब्लॉग या जर्नल में भी लिख सकते है. अपने लेखन की औरों के लेखन से तुलना करें. क्या आप खुद के भावना को व्यक्त कर पा रहे है. अब बताएं, आपका लेख बेहतर है या अन्य का? जो भी हो, सच स्वीकार करें.
  • कठिन परिस्तिथियों से घबराएं नहीं, जहाँ तक हो सकें इससे निपटने का जरुरी उपाय अपनाएं. आप उतना ही कर सकते है, जितना समाधान उपलब्ध है. इसलिए अधिक घबराने की कोई जरुरत नहीं.
  • भावनाओं को व्यक्त करें, इसे न रोके. जैसे किसी कॉमेडी शो में हंसी आने लायक प्ले के दौरान वास्तविक रूप में हंसना. गम के माहौल में उदासी आ रही है तो उदासी आने देना इत्यादि.
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