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बिहार के प्रमुख फसल एवं उत्पादक क्षेत्र | Major Crops of Bihar

हेलो दोस्तों piyadassi.in में आपका स्वागत है. आज हम इस लेख में बिहार के प्रमुख फसल एवं उनके उत्पादक क्षेत्र Major crops and their producing areas of Bihar के बारे जानने वाले है. बिहार का ज्यादातर हिस्सा बाढ़ से प्रभावित रहता है. इससे बिहार किसानों का के कृषि से भरोसा टूटता रहा है. लेकिन तब भी किसान अपनी फसल पैदावार को लेकर काफी सजग रहते हैं. 

कृषि बिहार की अर्थव्यवस्था में अपना एक प्रमुख भागीदारी रखती है. बिहार की जीडीपी में 18.7% का भागीदारी कृषि का है.

बिहार की प्रमुख फसलें

बिहार की प्रमुख फसल मुख्यत: चावल, गेंहू, जौ, मक्का, जूट, बाजरा, आलू, सरसो, चना, खेसारी, अरहर इत्यादि है.

चावल या धान (Rice or Paddy):-

बिहार राज्य में सर्वाधिक क्षेत्र पर धान की फसल की उत्पादन जाती है. धान की कृषि हेतु बिहार का मैदानी भाग सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है. 

राज्य के कुल सकल बुवाई क्षेत्र के 43.20% भाग पर धान की फसल की खेती किया जाता है. बिहार में धान की फसलों को अगहनी, गरमा तथा भदई फसल के नाम से जाना जाता है.

बिहार में धान का उत्पादन पिछले 5 वर्षों में देखा जाए तो औसत रूप से उत्पादन में वृद्धि हुई है. राज्य सरकार द्वारा श्रीविधि (चावल सघनीकरण प्रणाली) और शून्य जुताई विधि के जरिए चावल उत्पादन के लिए प्रयास किए गए हैं. 

बिहार में चावल उत्पादन में सबसे अग्रणी जिला रोहतास, औरंगाबाद तथा कैमूर है. सर्वोच्च उत्पादकता (2018-2019) रोहतास जिले में 4105 किग्रा प्रति हेक्टेयर तथा न्यूनतम उत्पादकता सिवान जिला में 709 किग्रा प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है.

गेहूं (Wheat) :-

चावल के पश्चात गेहूं बिहार की दूसरी प्रमुख फसल है. बिहार में शक्ल बुवाई क्षेत्र के 27.45% भाग पर गेहूं की फसल की खेती की जाती है.

बिहार के उत्तरी भाग में बागमती नदी के तराई भाग में गेहूं उत्पादन के लिए सर्वाधिक अनुकूल क्षेत्र माना जाता है. गेहूं का उत्पादन के लिए हल्की दोमट मिट्टी, सामान्य वर्षा तथा अच्छी सिंचाई की आवश्यकता होती है.

बिहार में गेहूं के उत्पादकता (2018-2019) मधेपुरा जिले में सर्वाधिक 3805 किग्रा प्रति हेक्टेयर तथा न्यूनतम गेहूं उत्पादकता मधुबनी जिले में 1993 किग्रा प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है.

मक्का (Maize) :

मक्का बिहार की प्रमुख फसलों में से एक है. या खाद एवं चारा की सबसे उपयुक्त फसल है. जो राज की शकल बुवाई क्षेत्र का 8.85% भाग पर बोया जाता है. 

मक्के की खेती के लिए आदर जलवायु तथा बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त माना जाता है.

बिहार में सर्वाधिक मक्का का उत्पादन पूर्णिया जिला में 9188 किग्रा प्रति हेक्टेयर तथा न्यूनतम उत्पादन भोजपुर जिला में 1378 किग्रा प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है. इसके अलावा मक्का उत्पादन की दृष्टि से कटिहार, पूर्णिया और अररिया अग्रणी जिले में शामिल है.

गन्ना अथवा ईख (Sugarcane) :-

गन्ना बिहार की एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है जो किसानों को फसल जाने पर नगर ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार संबंधी प्रचुर अवसर उपलब्ध होते हैं.

गन्ने की फसल अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है, जहां दोमट मिट्टी की प्रचुर मात्रा उपलब्ध हो तथा तापमान 26°C के आसपास हो.

बिहार में गन्ना उत्पादन क्षेत्र के मात्र 30% क्षेत्रफल में ही सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध है तथा वर्षा ऋतु में अधिक जलजमाव के कारण बिहार में गन्ने की उत्पादकता होती है.

बिहार में गन्ने उत्पादकता की दृष्टि से सिर्फ जिला पटना (65.48 टन प्रति हेक्टेयर) है, जबकि भागलपुर (46.14 टन प्रति हेक्टेयर) न्यूनतम गन्ने का उत्पादन वाला जिला है.

जूट (Jute) :-

गन्ना के बाद जूट बिहार की दूसरी प्रमुख नकदी फसल है. इसके उत्पादन हेतु जलोढ़ मिट्टी तथा अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है.

दूध उत्पादन में बंगाल के बाद बिहार भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. जूट उत्पादन में बिहार के अग्रणी जिले सुपौल, पूर्णिया, मधेपुरा तथा अररिया आती है.

मंडुआ अथवा रागी :-

रागी की बुवाई मुख्यता खरीफ फसलों के साथ होती है. बिहार में रागी उत्पादन में अग्रणी जिला दरभंगा, सुपौल तथा सिवान इत्यादि है.

2017-18 में बिहार में रागी का उत्पादन 4.18 टन था.

दलहन फसल (Pulse) :-

दलहन फसलों का उत्पादन रवि तथा खरीफ फसलों के समय होता है. दलहन फसल के अंतर्गत चना, अरहर, खेसारी, मूंग, मसूर तथा उड़द आदि आते है.

बिहार में दलहन उत्पादक वाले शीर्ष 3 जिले पटना, औरंगाबाद तथा नालंदा है जबकि न्यूनतम उत्पादन वाले जिले शिवहर, गोपालगंज तथा पूर्णिया हैं.

बागवानी फसल (Horticulture):-

बिहार में जल वायु मृदा विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों के उत्पादन की दृष्टि से अनुकूल है. नई नई तकनीक के के उपयोग के कारण पिछले कुछ सालों में बिहार में बागवानी फसलों के उत्पादन में अत्याधिक वृद्धि हुई है.

बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर भागलपुर ने टिशू कल्चर प्रयोगशाला का स्थापना कर केले की अधिक उत्पादन को बढ़ावा दिया है.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और सबौर कृषि विश्वविद्यालय ने औषधीय मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार में 7 इकाइयों का गठन किया है.

बिहार देश का प्रमुख मखाना उत्पादक राज्य है मखाने के पोषण संबंधी गुणों को देखते हुए इसकी नई प्रजातियां का विकास का प्रयास किया जा रहा है.

फलों का उत्पादन :-

बिहार कृषि की जलवायु तथा मृदा स्थलाकृति में अंतर के कारण बिहार में व्यापक पैमाने पर फलों का उत्पादन किया जाता है.

बिहार में मुख्यत: आम लीची, अमरूद, केला, अनानास, पपीता एवं नींबू आदि फलों को कृषि की जाती है. मुजफ्फरपुर की शाही लीची और मालदा अपने विशिष्ट स्वाद के लिए प्रसिद्ध है.

बिहार में मुजफ्फरपुर जिला लीची का मुख्य उत्पादक है जबकि अमरूद के मकानों का सर्वाधिक क्षेत्रफल रोहतास जिले में है. (2018-19 के अनुसार)

बिहार की प्रमुख फसल एवं उत्पादक क्षेत्र

  • धान :- पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, रोहतास, बक्सर एवं अरवल.
  • मक्का :- मुजफ्फरपुर, खगड़िया, सारण, बेगूसराय एवं मुंगेर.
  • गेहूं :- गया, रोहतास एवं दरभंगा.
  • जूट :- चंपारण, मुजफ्फरपुर एवं सारण.
  • जौ :- सहरसा, पश्चिमी चंपारण एवं पूर्णिया.
  • रागी :- मुजफ्फरपुर, सारण एवं सहरसा.
  • बाजरा :- मुंगेर, पटना एवं गया.
  • चना :- बक्सर, भोजपुर.
  • आलू :- नालंदा, पटना, समस्तीपुर एवं सारण.
  • सरसों :- मुजफ्फरपुर, सहरसा एवं सारण.
  • अरहर :- मुजफ्फरपुर, दरभंगा एवं मुंगेर.
  • खेसारी :- भोजपुर पटना एवं गया.
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