अफगानिस्तान दक्षिण-केंद्रीय एशिया में स्थित एक लैंडलॉक्ड देश है. यह पाकिस्तान (पूर्व और दक्षिण), ईरान (पश्चिम), तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, और ताजिकिस्तान (उत्तर), और चीन (उत्तर-पूर्व) से घिरा है. इसका क्षेत्रफल लगभग 652,230 वर्ग किमी (251,830 वर्ग मील) है. इसकी कुल सीमा लंबाई 3,436 मील है. इसका पाकिस्तान के साथ सबसे लंबी सीमा (1,510 मील) है.
भौगोलिक रूप से, अफगानिस्तान मुख्य रूप से पहाड़ी है. हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला इसे उत्तर और दक्षिण में विभाजित करती है. इसके अलावा, यहाँ रेगिस्तान, उपजाऊ घाटियां, और नदियां जैसे अमु दरिया, हेलमंद, और काबुल नदी हैं .
इसकी जलवायु महाद्वीपीय है, जिसमें गर्मियां गर्म और सर्दियां ठंडी होती हैं. ऊंचाई के साथ जलवायु में काफी अंतर आता है. निचले इलाकों में शुष्क और ऊंचे पहाड़ों में एल्पाइन जलवायु पाई जाती है.
अफगानिस्तान का इतिहास
अफगानिस्तान का इतिहास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक विविध और संघर्षपूर्ण रहा है. यहां सत्ता स्थापित करने के लिए कई साम्राज्यों के मध्य संघर्ष होते रहा है. इसलिए इसे साम्राज्यों का कब्रगाह भी कहा जाता है. यहाँ मध्य पैलियोलिथिक युग से मानव बस्तियाँ पाई गई है. यह सिल्क रोड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था. इसलिए इसे “प्राचीन दुनिया का चौराहा” भी कहा गया है.
विभिन्न साम्राज्यों, जैसे फारसी साम्राज्य, अलेक्जेंडर द ग्रेट का साम्राज्य, मौर्य साम्राज्य, और बाद में अरब मुस्लिमों, मंगोलों, और मुगल साम्राज्य ने इस क्षेत्र पर शासन किया. 11वीं सदी में महमूद ऑफ गजनी ने एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया. 13वीं सदी में चंगेज खान ने इसे जीत लिया.
18वीं सदी में अहमद शाह दुर्रानी ने दुर्रानी साम्राज्य की स्थापना की, जिसे आधुनिक अफगानिस्तान की नींव माना जाता है. 19वीं सदी में ब्रिटिश और रूसी साम्राज्यों के बीच “ग्रेट गेम” के दौरान अफगानिस्तान एक बफर स्टेट बन गया, जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश-अफगान युद्ध (1838-42, 1878-80, 1919-21) हुए. 20वीं सदी में, 1919 में तीसरे अंग्रेज-अफगान युद्ध के बाद अफगानिस्तान पूरी तरह स्वतंत्र हुआ और 1926 में स्वतंत्र राजतंत्र की स्थापना हुई, जो 1973 तक चला.
1978 में सौर क्रांति के बाद कम्युनिस्ट सरकार की स्थापना हुई. लेकिन यहाँ कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ मुजाहिदीन नामक विद्रोही गुट पनप गया. इन विद्रोहियों को अमेरिका और पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त था. इससे निपटने के लिए सोवियत संघ ने अपनी सेना भेज दी. इस घटना ने सोवियत-अफगान युद्ध (1979-1989) को जन्म दिया. यह युद्ध शीत युद्ध का एक प्रमुख हिस्सा था. युद्ध के कारण सोवियत संघ को भारी क्षति हुई और अंततः उसे अपनी सेनाएँ वापस बुलानी पड़ीं.
1989 में सोवियत सेना की वापसी के बाद अफगानिस्तान गृह युद्ध में फंस गया. 1990 के दशक में तालिबान ने उभरकर अधिकांश देश पर कब्जा कर लिया. तालिबान ने 1996 में इस्लामी एमिरेट ऑफ अफगानिस्तान की घोषणा की. यह सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं था.
अमेरिकी हमला: 2001 से 2021 तक का युद्ध
11 सितंबर, 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले ने अफगानिस्तान में ऐतिहासिक मोड़ लाया. इस हमले के लिए अमेरिका ने अल-कायदा को जिम्मेदार ठहराया गया. अमेरिका ने तालिबान को उखाड़ फेंकने और अल-कायदा को नष्ट करने के लिए 7 अक्टूबर, 2001 को अफगानिस्तान पर आक्रमण शुरू किया.
तालिबान ने ओसामा बिन लादेन को शरण दी थी. तालिबान ने अमेरिका की मांग को मानने से इनकार कर दिया. फलस्वरूप अमेरिका ने सैन्य कार्रवाई किया. आक्रमण की शुरुआत में, अमेरिका और ब्रिटेन ने हवाई हमले किए. फिर, नॉर्दर्न अलायंस के साथ मिलकर जमीनी ऑपरेशन चलाए. इन हमलों के कारण तालिबान शासन जल्दी ढह गया.
2001 के अंत तक नया सरकार गठित हुआ. 2003 में नाटो ने अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल (ISAF) का नेतृत्व संभाला. यह बल तालिबान के खिलाफ काउंटरइंसर्जेंसी ऑपरेशन में शामिल हुआ.
अमेरिका-अफगान युद्ध 20 साल तक चला. 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ. इसके अनुसार 2021 तक अमेरिकी सैनिकों का वापसी तय हुआ. फिर, 2021 में वापसी शुरू हुई. इसके बाद अगस्त 2021 में तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. इस तरह अमेरिकी समर्थन वाली अफगान सरकार ढह गई.
30 अगस्त, 2021 को अंतिम अमेरिकी सैन्य विमान ने अफगानिस्तान छोड़ा, जिससे युद्ध का वास्तविक समापन हुआ.
वर्तमान स्थिति (2025): मानवीय और राजनीतिक चुनौतियां

2025 में, अफगानिस्तान की स्थिति गंभीर बनी हुई है. मानवाधिकारों और आर्थिक संकट के संदर्भ में यह देश गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है. तालिबान शासन ने महिलाओं और लड़कियों पर कठोर प्रतिबंध लगाए हैं. इनमें माध्यमिक और विश्वविद्यालय की शिक्षा से प्रतिबंध, रोजगार पर पाबंदी, और आवाजाही की स्वतंत्रता पर अंकुश शामिल है.
अमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, लिंग-आधारित हिंसा और बाल विवाह की घटनाएं बढ़ी हैं. तालिबान द्वारा महिलाओं को हिरासत में लेने और यौन हिंसा की शिकायतें आई हैं. आर्थिक संकट गहरा है, जिसमें 23 मिलियन से अधिक लोग मानवीय सहायता की जरूरत में हैं.
विश्व बैंक और UNHCR जैसे संगठन सहायता प्रदान कर रहे हैं. लेकिन 2024 की मानवीय आवश्यकता का केवल 51.8% धनराशि प्राप्त कर सकी. तालिबान की नीतियां, जैसे “फजीलत को बढ़ावा देने और बुराई को रोकने” का कानून, मानवीय संगठनों के लिए चुनौतियां पैदा कर रही हैं.
देश में सुरक्षा की स्थिति अस्थिर बनी हुई है. इस्लामिक स्टेट और अन्य समूहों द्वारा तालिबान पर हमले होते हैं. कुछ क्षेत्रों में तालिबान-विरोधी विद्रोह चल रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय तालिबान सरकार से संलग्न होने का प्रयास कर रहा है. लेकिन तालिबानी सरकार को मान्यता नहीं दी गई है. इसका मुख्य कारण महिलाओं के अधिकार और मानवाधिकार का मुद्दा है.
तालिका: अफगानिस्तान की प्रमुख विशेषताएं
वर्ग | विवरण |
क्षेत्रफल | 652,230 वर्ग किमी (251,830 वर्ग मील) |
सीमाएं | पाकिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, चीन |
प्रमुख पर्वत | हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला |
प्रमुख नदियां | अमु दरिया, हेलमंद, काबुल नदी |
जलवायु | महाद्वीपीय, गर्मियां गर्म, सर्दियां ठंडी |
आबादी (अनुमानित) | 40 मिलियन (2025, अनुमानित) |
वर्तमान शासन | तालिबान (इस्लामी एमिरेट ऑफ अफगानिस्तान, 2021 से) |
मानवीय सहायता की जरूरत | 23 मिलियन से अधिक (2025) |
अर्थव्यवस्था
अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था 2025 में धीमी और अनिश्चित रिकवरी के दौर से गुजर रही है. कृषि, खनन, निर्माण और वाणिज्य जैसे क्षेत्रों से मामूली वृद्धि दिख रही है. हालांकि, व्यापार में बाधाएं, विदेशी सहायता में कमी और एक अस्थिर व्यावसायिक माहौल के कारण निर्माण और सेवा क्षेत्र संघर्ष कर रहे हैं. आयात में वृद्धि के कारण व्यापार घाटा बढ़ गया है. इससे देश की आर्थिक कमजोरियों का पता chalta यही.
मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ है. फिर भी आर्थिक स्थिरता, वेतन और निवेश पर जोखिम बने हुए हैं. बैंकिंग क्षेत्र भी कमजोर है. मानवीय संकट गहरा है. 23.7 मिलियन से अधिक लोगों को तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है और 12.4 मिलियन खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता योजनाओं को पर्याप्त धन नहीं मिल पा रहा है, जिससे कई कार्यक्रम रुक गए हैं.
सामजिक और सुरक्षा की स्थिति
तालिबान शासन के तहत महिलाओं और लड़कियों पर लगाए गए कठोर प्रतिबंधों का अर्थव्यवस्था पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. इन्हें शिक्षा और रोजगार से पूरी तरह वंचित कर दिया गया है. मानवाधिकारों का हनन जारी है. मनमानी गिरफ्तारियां, यातनाएं और न्यायिक हत्याएं आम हैं. महिलाओं को पुरुष अभिभावक के बिना यात्रा करने या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने से प्रतिबंधित किया गया है. उन्हें चेहरा ढकना अनिवार्य है.
बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति आय स्थिर है. गरीबी तथा खाद्य असुरक्षा गंभीर बनी हुई है. बेरोजगारी का स्तर बहुत अधिक है. महिलाओं की आर्थिक भागीदारी पर प्रतिबंध इस स्थिति को और खराब कर रहे हैं.
सुरक्षा की स्थिति भी अस्थिर है. इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) द्वारा जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों तथा तालिबान पर हमले जारी हैं. शरणार्थी और विस्थापित लोगों की स्थिति भी चिंताजनक है, खासकर पाकिस्तान से जबरन वापस भेजे गए 665,000 से अधिक अफगानों के लिए, जो आवास और स्कूलों तक पहुंच जैसी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं.
इस तरह, अफगानिस्तान का इतिहास और वर्तमान स्थिति इसकी भू-राजनीतिक स्थिति और आंतरिक चुनौतियों को दर्शाती है. तालिबान के शासन में मानवाधिकारों, विशेषकर महिलाओं के अधिकारों, पर गंभीर प्रतिबंध हैं, और आर्थिक संकट गहरा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह चुनौतीपूर्ण है कि कैसे मानवीय सहायता प्रदान की जाए और स्थिरता लाई जाए और मानवाधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित की जाए.