Education

मुद्रास्फीति का प्रकार, गणना, कारण और प्रभाव - Inflation, its types, calculation, causes and effects
Economics

मुद्रास्फीति का प्रकार, गणना, कारण और प्रभाव

वर्तमान दौर में वैश्विक अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति के दौर से गुजर रहा है. अमेरिका जैसे अर्थव्यवस्था पर भी इसका खासा असर देखा जा रहा है. इस वजह से मुद्रास्फीति पर चर्चा करते हुए समाचार पत्र और मैगजीन में कई लेख छप रहे है. वैसे भारत जैसे विकासशील अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति एक सामान्य परिघटना है, और इसमें […]

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अंतरिक्ष मिशन से जुड़े समझौते और क़ानूनी ढाँचे - अनंत ब्रह्मांड में शान्ति का प्रयास
Misc GK

अंतरिक्ष मिशन के अंतर्राष्ट्रीय कानून

अंतरिक्ष मिशन पर समझौते और क़ानूनी ढांचों का विकास शीतयुद्ध के दौरान हुआ है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रूस और अमेरिका के बीच शीतयुद्ध का आगाज़ हो चुका था. यह रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध; जहां धरती पर एक-दूसरे से आगे बढ़ने के रूप में जारी था. वहीं अंतरिक्ष मिशन के जरिए धरती के बाहर

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महात्मा ज्योतिबा फुले और माता सावित्रीबाई: आधुनिक राष्ट्र निर्माता
Misc GK

महात्मा ज्योतिबा फुले और माता सावित्रीबाई: आधुनिक राष्ट्र निर्माता

महात्मा ज्योतिबा फुले आधुनिक भारत के पहले समाज सुधारक थे, जिन्होंने जातिवादी भेदभाव से पनपे, छुआछूत अशिक्षा और हिन्दू धर्म में फैले अन्य सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए उल्लेखनीय काम किया था. इन्होंने किसानों की स्थिति सुधारने, शूद्र व अछूत कहे जाने वाले जातियों और महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने का उल्लेखनीय काम

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एक राष्ट्र, एक चुनाव की संवैधानिक चुनौतियाँ, फायदे और नुकसान
Civics Polity

एक राष्ट्र, एक चुनाव की चुनौतियाँ

केंद्र सरकार में 2 सितम्बर 2023 को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव‘ सिद्धांत को अमलीजामा पहनाने के शुरूआती कदम के रूप में, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद के अध्यक्षता में एक आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है. इसके अन्य सात सदस्यों में केंद्र सरकार में गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, पूर्व

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स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट, एमएसपी और किसान समस्याएं
Economics

स्वामीनाथन आयोग और एमएसपी

समय-समय पर स्वामीनाथन आयोग के रिपोर्ट के आधार पर कृषि उत्पादों का मूल्य तय करने का मांग उठते रहते है. कई किसान संगठन स्वामीनाथन आयोग के रिपोर्ट के अनुसार कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय न करने का आरोप लगाते रहते है. एक बार फिर से किसानों ने सरकार द्वारा एमएसपी का एमएस

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अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धांत, अर्थ, प्रभाव और उद्देश्य, International Trade and Theories in Hindi, Foreign Global Business, World Trade Organisation, Import and Export Business in Hindi, Foreign Exchange.
Economics

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धांत, अर्थ, उद्देश्य, समझौते और इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं या क्षेत्रों के आर-पार वस्तुओं, सेवाओं, प्रौद्योगिकी, पूंजी और अन्य भौतिक संसाधनों का आदान-प्रदान ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार है. दो या दो से अधिक देशों के बीच होने वाले इस वैश्विक कारोबार में दो या दो से अधिक व्यापारी जुड़े होते है. यह विनिमय प्रणाली सदियों से अस्तित्व में है. आदिकाल में लोग अपने

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1991 में उदारीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
Economics

आर्थिक उदारीकरण और इसके प्रभाव

भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) का शुरुआत वर्ष 1991 से माना जाता है. इसका श्रेय मुख्य तौर पर भारत के नौवें प्रधानमन्त्री पी. वी. नरसिम्हा राव को दिया जाता है. इनके कार्यकाल के दौरान पांच उद्योगों को छोड़कर अन्य सभी उद्योगों को लाइसेंसिंग के प्रभाव से मुक्त कर दिया गया. सरकार के

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G20 का इतिहास और महत्व: स्थापना से अबतक, G20 Summit 2023 New Delhi and its origin with History in Hindi
Misc GK

G20 का इतिहास और महत्व: स्थापना से अबतक

जी20 (G20) 20 राष्ट्रों का एक समूह है. विश्व के 20 सबसे शक्तिशाली देश इसके सदस्य है. इन 20 देशों में, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यू.के., यू.एस. और यूरोपीय संघ शामिल है. 1 दिसंबर 2022 को भारत ने इंडोनेशिया

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पत्रकारिता का लोकतंत्र में योगदान और भारतीय मीडिया
Civics Polity

पत्रकारिता, लोकतंत्र और भारतीय मीडिया

‘मीडिया‘ या ‘पत्रकारिता‘ को लोकतंत्र का चौथा खम्भा कहा जाता है. इसलिए इसका निष्पक्ष और स्वतंत्र होने निहायत जरुरी है. लोकतंत्र में कई समूह होते है. एक अत्यधिक अमीरों का समूह, जिनमें सत्ता को अपने अनुकूल मोड़ने का क्षमता होता है; दुसरा आम जनता, जो सत्ता तक अपनी बात पहुंचाकर सरकार के नीतियों को अपने

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बिहार में जातिगत सर्वेक्षण की जटिलताएँ और प्रभाव
Civics

बिहार की जातिगत सर्वेक्षण

बिहार में जातिगत सर्वेक्षण या जातीय जनगणना अपने आखिरी पड़ाव पर है. यह एक ऐसा मुद्दा है जिसने राज्य को कई प्रकार से प्रभावित किया है. राज्य विधानमंडल में जातिगत सर्वेक्षण करवाने का फैसला पहली बार फ़रवरी 2019 में सर्वसम्मति से लिया गया था. उस वक्त राज्य विधानमंडल में इस आशय का प्रस्ताव पारित किया

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