हैलो दोस्तों आपका piyadassi.in पर बहुत-बहुत स्वागत है. दोस्तों इस लेख में आप संघ आर्थोपोडा (Phylum Arthropoda)से संबंधित सभी जानकारियों को जानेंगे. जैसे, इसके मुख्य लक्षण क्या हैं, संघ आर्थोपोडा किसे कहते हैं, संघ आर्थोपोडा का वर्गीकरण और महत्व क्या है? यहाँ संघ आर्थोपोडा के उदाहरण भी दिए गए हैं.
संघ आर्थ्रोपोडा किसे कहते हैं (what is Phylum Arthropoda)
संघ आर्थोपोडा (Phylum Arthropoda) में उन विकसित जंतुओं को रखा गया है, जिनका शरीर सम खंडित तथा द्विपाशर्वीय होता है. इस संघ के सभी जंतुओं में संयुक्त उपांग (Joint appendage) पाए जाते हैं.
आर्थ्रोपोडा शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है Arthros = Joints (संयुक्त) तथा Pods = foot (पैर या उपांग ) इस प्रकार से संघ आर्थोपोडा का तात्पर्य उन जंतुओं के संघ (Phylum) से है, जिनमें उपांग संयुक्त अवस्था में पाए जाते हैं और वह अर्थ्रोपोडिअल झिल्ली (Arthropodial Membrane) से जुड़े हुए रहते हैं.
संघ आर्थोपोडा का नामकरण (Nomenclature of Phylum Arthropoda)
संघ आर्थोपोडा Phylum Arthropoda के जंतुओं का सामान्य नाम (General Name) आर्थ्रोपोडियल झिल्ली से जुड़े पादीय जंतु होता है. इन जंतुओं को एक संघ के रूप में आर्थ्रोपोडा (Arthropoda) नाम वैज्ञानिक जंतुशास्त्री वॉन सीबोल्ड ने 1845 मैं दिया था.
संघ आर्थोपोडा जीव धारियों का सबसे बड़ा संघ है, जिसमें वर्तमान में लगभग 900000 प्रजातियों को शामिल किया गया है, जिसमें कुछ जीवित तथा कुछ विलुप्त प्रजातियाँ है.
संघ आर्थ्रोपोडा के मुख्य लक्षण (Main Characteristics of Phylum Arthropoda)
संघ आर्थ्रोपोडा के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार से है:-
- आवास एवं प्रकृति (Habitat and Nature) – संघ आर्थोपोडा के जंतु वे जंतु है, जो संपूर्ण विश्व में कई प्रकार के आवासों में पाए जाते हैं. कुछ जंतु ऐसे भी होते हैं, जो पौधों में और अन्य जीवो में परजीवी के रूप में भी पाए जाते हैं. तथा कुछ जंतु आर्थिक महत्त्व भी प्रदर्शित करते हैं.
- शारीरिक संगठन (Body Sangthan) – संघ आर्थोपोडा के जंतुओं का शारीरिक संगठन अंग organorgan तथा अंग-तंत्र organ system से मिलकर बना होता है.
- शारीरिक विभाजन (Physical division) – संघ आर्थोपोडा के जंतुओं का शारीरिक विभाजन सिर, वक्ष और उदर में आसानी से किया जा सकता है, जबकि कुछ जंतु ऐसे होते हैं, जो सिर और वक्ष दोनों को मिलाकर सिरोवक्ष का निर्माण कर लेते हैं.
- सममिति (Symmetry) – संघ आर्थोपोडा के जंतुओं की सममिति द्विपाशर्व सममिति होती है, अर्थात इनको केंद्र से काटे जाने पर ये दो बराबर-बराबर भागों में विभक्त हो जाते हैं.
- शारीरिक आवरण (Body Aavran) – इन जंतुओं के शरीर का वाह आवरण कठोर और मजबूत होता है, जो काइटिन की क्यूटिकल से बना होता है, किन्तु इस आवरण को शारीरिक वृद्धि के लिए इस संघ के जंतु उतार भी सकते है. यह क्रिया निर्मोचन moulting कहलाती है. और यह लक्षण संघ आर्थ्रोपोडा के जंतुओं का मुख्य लक्षणों में से एक है.
- देहभित्ति (Body wall) – इन जीवों की देहभित्ति मोटी एपिडर्मिस तथा इसके नीचे डर्मिस से मिलकर बनी होती है.
- प्रचलन (Motion) – इस संघ के प्राणियों में प्रचलन के लिए संयुक्त उपांग पाए जाते हैं, जो संघ आर्थ्रोपोडा का मुख्य लक्षण है. जबकि इस संघ के कुछ जंतुओं में उड़ने के लिए झिल्लीमय पंख भी उपस्थित होते हैं.
- देहगुहा (Body cavity) – संघ आर्थोपोडा के जंतुओं में वास्तविक देहगुहा पाई जाती है, जिसे शीजोसीलिक देहगुहा कहते है. इस देहगुहा में रक्त एवं देहगुहीय द्रव भरा रहता है, इसलिए इसे हेमोसीलिक देहगुहा के नाम से भी जाना जाता है.
- पोषण (Nutrition) – इस संघ के जंतु सभी प्रकार का पोषण करते है इनमें उपस्थित उपांग जीवों को पकड़ने तथा पोषण में मदद करते है.
- उत्सर्जन (Excretion) – संघ आर्थ्रोपोडा के जंतुओं में ग्रीन ग्रंथियाँ green glands तथा मैलपीजियन नलिकाएँ उत्सर्जन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
- स्वशन (Respiration) – स्वशन के लिए इनमें अंग गिल्स (gills) , ट्रेकिया (trachea), बुक लंग्स (book lungs), जबकि कुछ जंतु शारीरिक स्वशन भी करते है.
- परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) – इन्हें जंतुओं में परिसंचरण तंत्र खुले प्रकार का होता है. परिसंचरण तंत्र में ह्रदय, पृष्ठ महाधमनी तथा कुछ शिराएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह परिसंचरण तंत्र हीमोसीलिक प्रकार का होता है.
- तंत्रिका तंत्र (Nervous System) – इन जीवों का मस्तिष्क एक जोड़ी गैन्ग्लिया से बना हुआ होता है. जो नेत्रों के मध्य स्थित होता है जबकि दोहरी तंत्रिका रज्जु के प्रत्येक खंड में 1 जोड़ी गैन्ग्लिया तथा अनेक जोड़ी तंत्रिकाये होती हैं.
संघ आर्थोपोडा का वर्गीकरण (Classification of Phylum Arthropoda)
संघ आर्थोपोडा का वर्गीकरण संघ आर्थोपोडा के जंतुओं के शारीरिक विभाजन मुख्य अंगो के प्रकार आदि के आधार पर विभिन्न उप-संघों में किया गया है:-
1. उप-संघ ओनीकोफोरा (Sub-phylum Onychophora)
इसके सामान्य लक्षण (Common Symptoms) इस प्रकार हैं:
- इस उप- संघ के जंतु कोमल शरीर (Softer Body) वाले पतले कैटरपिलर के जैसे भूमि पर रहने वाले जीव होते हैं.
- इन जंतुओं का शरीर लंबा बेलनाकार और विखंडित होता है, जबकि शरीर पर स्पष्ट अंकुरक होते हैं.
- इन जीवों के शरीर के आगे वाले सिरे पर अस्पष्ट किंतु एक जोड़ी छोटे एण्टीनी तथा संयुक्त नेत्र पाए जाते हैं.
- इस उप- संघ के जंतुओं छोटा तथा लगभग 14 छोटे-छोटे पूछ पाद होते हैं.
- श्वशन आशाखित वायु नालों के द्वारा होता है.और शरीर क्यूटिकल की महीन पतले आवरण से ढका का रहता है.
- नर तथा मादा प्रथक प्रथक होते हैं, और शिशुओं को जन्म देते हैं.
उदाहरण – परिपेटस (Peripatus)
2. उप-संघ टार्डीग्रेडा (Sub-phylum Tardigrada)
इसके सामान्य लक्षण (Common Symptoms) इस प्रकार हैं:
- इस संघ के प्राणी जलीय और छोटे कृमि के समान होते हैं.
- इन प्राणियों का शरीर कोमल, खंडहीन, तथा बेलनाकार होता है. जबकि दोनों सिरे नुकीले जैसे होते हैं.
- इनके सिर पर नेत्र पाए जाते हैं.
- इन जंतुओं की देहगुहा हीमोसील (Haemocoel) प्रकार की होती है.
- इन प्राणियों के शरीर पर 4 जोड़ी ठूठ समान संधि विहीन पाद उपस्थित होते हैं.
- इनमें श्वशन और संवहन तंत्र अनुपस्थित होता है.
- आहार नाल नाला आकार मुख चूषक शुण्ड सहित होता है.
- इस उप – संघ के जंतु नर और मादा प्रथक- प्रथक होते हैं, जिनमें निषेचन आंतरिक और परिवर्तन में लारवा अवस्था में पाई जाती हैं.
उदाहरण – मैक्रोबायोटस (Macrobiotus)
3. उप-संघ पेंटास्टोमिडा (Sub-phylum Pentastomida)
इसके सामान्य लक्षण (Common Symptoms) इस प्रकार हैं:
- इस उप संघ के प्राणी का नाम जिव्हा कृमि भी है, क्योंकि इनका शरीर कर्मी के समान होता है और ये अंत:परजीवी के रूप में होते हैं, जो रक्त चूसते हैं.
- इन प्राणियों का शरीर चपटा खंडविहीन होता है, तथा शरीर की लंबाई 2 से 14 सेंटीमीटर तक होती है.
- प्राणियों का शरीर क्यूटिकल से ढका हुआ रहता है.
- इन प्राणियों में आहार नाल नालाकार आकृति की होती है.
- संवहन तंत्र श्वसन तंत्र और उत्सर्जन तंत्र अनुपस्थित होते हैं.
- इन जंतुओं में जनन छिद्र एवं गुदाद्वार शरीर के अधरीय सतह पर पाए जाते हैं.
- इनमें निषेचन आंतरिक और जीवन चक्र दो पोषकों में पूर्ण होता है.
उदाहरण – लिंगुएटेला (linguetela)
4. उप-संघ ट्राइलोबाइटोमोर्फा (Sub-phylum Trilobitomorpha)
इसके सामान्य लक्षण (Common Symptoms) इस प्रकार हैं:
- इस उपवर्ग में बिलुप्त समुद्री प्राणी हैं, जो कैम्ब्रियन कल्प से पर्मियन कल्प के बीच में पाये जाते थे.
- इन प्राणियों के शरीर 2 अनुदैर्ध्य खाँचों के द्वारा तीन पालियों में विभाजित रहते है.
- इनका सिर स्पष्ट उधर भाग में 2 से 29 खंड तथा पश्च सिरे पर एक पुच्छ प्लेट होती है.
- अंतिम खंड को छोड़कर शेष सभी खंडों पर एक जोड़ी द्विशाखित संधियुक्त उपांग पाए जाते हैं.
उदाहरण – ट्रिइलोबाइट (Trilobyte)
5. उप-संघ केलिसेरेटा (Sub-phylum Chelicerata)
इसके सामान्य लक्षण (Common Symptoms) इस प्रकार हैं:
- यह प्राणी पृथ्वी पर पाए जाते हैं, जिन्हें स्थली प्राणी भी कहा जाता है.
- इनका शरीर सिर वक्ष तथा उदर में बँटा हुआ रहता है.
- इनके सिर और वक्ष पर मेंडीबल, ऐंटिनी के अतिरिक्त 6 जोड़ी उपांग भी होते हैं.
- उदर भाग पर कोई उपांग नहीं पाए जाते है.
- इन प्राणियों में श्वशन वायु नाल क्लोम और बुकलंगस द्वारा होता है.
- नर और मादा अलग-अलग होते हैं और मादाएं अंडे देती हैं.
- प्राणियों में उत्सर्जन में मैलपीजी नालिकाओं के द्वारा और श्रोणी ग्रंथियों के द्वारा होता है.
इस उपसंघ को दो भागों में बांटा गया है. ये दोनों वर्ग संघ आर्थोपोडा के उपसंघ कैलीसेरेटा (Subphylum Chelicerata) के अंतर्गत आते हैं:
A. वर्ग मेरोस्टोमेटा (Class Merostomata)
मेरोस्टोमेटा वर्ग में मुख्य रूप से विलुप्त जीव (जैसे समुद्री बिच्छू या यूरिप्टेरिड्स) शामिल हैं, लेकिन इसका सबसे प्रसिद्ध जीवित सदस्य हॉर्सशू क्रैब (Horseshoe Crab) है. ये मुख्य रूप से समुद्री जल (Marine) में पाए जाते हैं.
इनमें श्वसन बुक गिल्स (Book Gills) द्वारा होता है, जो उदर के नीचे स्थित होते हैं. उदर के अंतिम सिरे पर एक लंबी, पतली पूंछ जैसी संरचना होती है जिसे टेल्सन (Telson) कहा जाता है. प्रोसोमा पर छह जोड़ी उपांग होती हैं, जिनमें पहली जोड़ी कैलीसेरी (Chelicerae) होती है (इनका उपयोग भोजन पकड़ने में होता है). इनमें एंटीना का अभाव होता है.
इनकाशरीर दो मुख्य भागों में विभाजित होता है:
- प्रोसोमा (Prosoma) या शिरोवक्ष (Cephalothorax): यह एक बड़े, घोड़े की नाल के आकार के कठोर खोल (कैरपेस) से ढका होता है.
- ऑपिस्थोसोमा (Opisthosoma) या उदर (Abdomen): यह खंडित होता है.
B. वर्ग ऐरेकिनडा (Class Arachnida)
ऐरेकिनडा वर्ग में मकड़ियाँ, बिच्छू, माइट्स (Mites) और टिक्स (Ticks) जैसे जीव शामिल हैं. ये मुख्य रूप से स्थलीय (Terrestrial) होते है. इनकाशरीर आमतौर पर दो भागों में विभाजित होता है. ये हैं (1) शिरोवक्ष (Cephalothorax) या प्रोसोमा (Prosoma) और (2) उदर (Abdomen) या ऑपिस्थोसोमा (Opisthosoma).
इनमें भी एंटीना का अभाव होता है. श्वसन बुक लंग्स (Book Lungs) या ट्रेकिया (Tracheae), या दोनों द्वारा हो सकता है. आमतौर पर साधारण नेत्र (Simple eyes) पाए जाते हैं, लेकिन संयुक्त नेत्र (Compound eyes) नहीं.
इनकेशिरोवक्ष पर छह जोड़ी उपांग होती हैं:
- कैलीसेरी (Chelicerae): पहली जोड़ी, अक्सर नुकीली या विषैली होती है (मकड़ियों में विष ग्रंथियों से जुड़ी).
- पेडीपैल्प्स (Pedipalps): दूसरी जोड़ी, जिनका उपयोग स्पर्श, भोजन पकड़ने या प्रजनन में होता है.
- चार जोड़ी चलने वाले पाद (Four pairs of walking legs): कुल आठ पैर होते हैं, जो ऐरेकिनड्स की पहचान हैं.
इसके उदाहरण (Examples) हैं: मकड़ी (Spider), बिच्छू (Scorpion), टिक्स (Ticks), माइट्स (Mites).
6. उप-संघ पिक्नोगोनिडा (Sub-phylum Phycnogonida)
इसके सामान्य लक्षण (Common Symptoms) इस प्रकार हैं:
- इस उप संघ के प्राणी छोटे आकार के होते हैं और समुद्र में रहते हैं.
- इन प्राणियों का शरीर सिर वक्ष तथा उदर में विभाजित होता है. सिर एक खंडीय तथा धड तीन या चार खंड का होता है, जबकि उदर कम विकसित होता है.
- इन प्राणियों में श्वशन तथा उत्सर्जन अंगो का अभाव होता है.
- इस उपसंघ के प्राणियों का मुख एक लंबी शुण्ड पर स्थित होता है.
- सिर में 4 नेत्र पाए जाते हैं.
- उपांग संधि युक्त एक जोड़ी कैसिलरी एक जोड़ी स्पर्शक 4-6 जोड़ी चल उपांग तथा एक जोड़ी ओविजेरस उपांग होते हैं.
उदाहरण – निम्फोन (Nymphon)
7. उप-संघ मेंडीबुलेटा (Sub-phylum Mandibulata)
इसके सामान्य लक्षण (Common Symptoms) इस प्रकार हैं:
- इनका शरीर सिर या धड या सिर धड और उदर में बँटा हुआ रहता है.
- इनके सिर पर एनटिनी एवं मेंडीबल्स पाए जाते हैं.
- सिर पर एक जोड़ी नेत्र पाए जाते हैं, जो संयुक्त होते हैं.
- इनमें श्वशन क्लोम अथवा वायुनालों के द्वारा होता है.
- इन प्राणियों में उत्सर्जन मैलपीजी नलिकाओं या एन्टिनल ग्रंथियों के द्वारा होता है.
- यह एक लिंगी तथा नर मादा प्रथक – प्रथक होते हैं.
- इनमें शिशु अवस्था में पाई जाती हैं.
इस उपसंघ को 6 वर्गों में बांटा गया है:-
(i) वर्ग क्रस्टेशिया (Class Crustacea)
- क्रस्टेशिया के सदस्य मुख्य रूप से जलीय होते हैं (अधिकांशतः समुद्री).
- मुख्य रूप से जलीय (समुद्री और मीठे पानी) और कुछ स्थल में भी पाए जाते हैं.
- शरीर पर एक कठोर, काइटिनस (Chitinous) खोल (कवच) होता है, जो अक्सर कैल्शियम कार्बोनेट द्वारा मजबूत होता है.
- शरीर सामान्यतः सिर (Head), वक्ष (Thorax), और उदर (Abdomen) में विभाजित होता है. सिर और वक्ष अक्सर मिलकर शिरोवक्ष (Cephalothorax) बनाते हैं.
- इनमें संधि युक्त (Jointed) उपांग पाए जाते हैं. इनमें दो जोड़ी एंटीना (Antennae) (स्पर्शक) का होना एक विशिष्ट लक्षण है.
- श्वसन आमतौर पर गिल (Gills) द्वारा होता है.
- खुला परिसंचरण तंत्र (Open circulatory system).
- झींगा (Prawn), केकड़ा (Crab), लॉबस्टर (Lobster), डैफ्निया (Daphnia).
(ii) वर्ग पोरोपोड़ा (Class Pauropoda)
- पोरोपोड़ा छोटे, मिट्टी में रहने वाले आर्थ्रोपोड्स हैं.
- आकार में बहुत छोटे, लगभग से मिमी लंबे होते हैं.
- ये नम मिट्टी, पत्तों के कचरे और सड़ी हुई लकड़ी में पाए जाते हैं.
- इनका शरीर सिर (Head) और खंडित धड़ (Trunk) में विभाजित होता है.
- इनके धड़ पर 9 से 11 जोड़ी पाद होते हैं.
- विशिष्ट रूप से शाखित (Branched) एंटीना पाए जाते हैं.
- नेत्रों (Eyes) का अभाव होता है. कुछ प्रजातियों में प्रकाश-संवेदनशील अंग हो सकते हैं.
(iii) वर्ग डिप्लोपोडा (Class Diplopoda)
- डिप्लोपोडा को आमतौर पर मिलीपीड (Millipedes) के नाम से जाना जाता है.
- इनके शरीर का आकार (Body Shape) कृमि-रूपी (Worm-like), बेलनाकार और लंबा होता है.
- शरीर सिर (Head) और एक लंबा धड़ (Trunk) में विभाजित होता है.
- सबसे विशिष्ट लक्षण यह है कि वक्ष के पहले चार खंडों को छोड़कर, धड़ के अधिकांश खंडों में दो जोड़ी पाद प्रति खंड (Two pairs of legs per segment) होते हैं.
- ये धीमे गति वाले होते हैं.
- मुख्य रूप से शाकाहारी या अपघटक (Detritivores), सड़ी-गली वनस्पति खाते हैं.
(iv) वर्ग चिलोपोडा (Class Chilopoda)
- चिलोपोडा को आमतौर पर सेंटिपीड (Centipedes) के नाम से जाना जाता है.
- इनका शरीर चपटा (Flattened), लंबा और खंडित होता है.
- धड़ के प्रत्येक खंड पर एक जोड़ी पाद (One pair of legs per segment) होती है.
- ये मांसाहारी होते हैं और सक्रिय रूप से शिकार करते हैं.
- सिर के पीछे वाले खंड में एक जोड़ी विषाक्त पंजे (Poison Claws) या फॉर्सिपल्स (Forcipules) पाए जाते हैं, जिनका उपयोग शिकार को पकड़ने और मारने के लिए किया जाता है.
(v) वर्ग सिम्फाईला (Class Symphyla)
- सिम्फाईला को कभी-कभी गार्डन सेंटिपीड भी कहा जाता है, हालांकि ये सेंटिपीड नहीं होते.
- ये बहुत छोटे, लगभग से मिमी लंबे होते है.
- ये नम मिट्टी, सड़ी हुई लकड़ी, पत्तों के कचरे में पाए जाते हैं.
- इनमें 12 जोड़ी पाद होती हैं.
- ईसंके पास लंबी, पतली और बहु-खंडीय एंटीना होती है.
- इनमें नेत्रों (Eyes) का अभाव होता है.
- इनमें उदर के सिरे पर एक जोड़ी विशिष्ट स्पिनरेट (Spinnerets) होते हैं.
(vi) वर्ग इन्सेक्टा (Class Insecta)
- इन्सेक्टा (कीट) संघ आर्थोपोडा का सबसे बड़ा और सबसे विविध वर्ग है.
- सर्वव्यापी (Ubiquitous), हर जगह पाए जाते हैं.
- शरीर स्पष्ट रूप से तीन भागों में विभाजित होता है: सिर (Head), वक्ष (Thorax), और उदर (Abdomen).
- तीन जोड़ी पाद (Six legs) होते हैं, जो वक्ष से जुड़े होते हैं.
- अधिकांश वयस्कों में एक या दो जोड़ी पंख होते हैं, जो वक्ष से जुड़े होते हैं. यह विशेषता अधिकांश अन्य आर्थोपोड्स में नहीं पाई जाती है.
- सिर पर एक जोड़ी एंटीना होती है.
- श्वसन मुख्य रूप से श्वासनली तंत्र (Tracheal system) द्वारा होता है.
- उदाहरण (Examples): चींटी (Ant), तितली (Butterfly), मधुमक्खी (Bee), टिड्डा (Grasshopper), बीटल (Beetle).
संघ आर्थोपोडा के दो उदाहरण (Two examples of phylum Arthropoda)
1. तितली Butterfly

वर्गीकरण (Classification)
- संघ (Phylum) – आर्थ्रोपोडा (Arthropoda)
- वर्ग (Class) – इंसेक्टा (Insecta)
- गण (Order) – लेपिडोप्टेरा (Lepidoptera)
- वंश (Genus) – डेनस (Danus)
सामान्य लक्षण Common Symptoms
- इस जंतु का शरीर कोमल पूरे शरीर पर रोम और शल्क पाए जाते हैं
- इसका सिर छोटा एक जोड़ी संयुक्त नेत्र तथा एक जोड़ी एनटिनी उपस्थित होते हैं.
- मुख उपांग चूषक प्रकार Sucking type का इसमें लंबी कुंडलित प्रोबोसिस होती है.
- इस जीव में 2 जोड़ी विकसित पंख पाए जाते हैं जिन पर शल्क होते हैं.
- इनके लार्वा को इल्ली कैटरपिलर Cterpiler कहते हैं.
- तितलियां दिनचर होती हैं, और फूलों से मधु चूसती रहती हैं.
2. स्पाइडर (मकड़ी) (Spider)

वर्गीकरण (Classification)
- संघ (Phylum) – आर्थ्रोपोडा (Arthropoda)
- उप – संघ (Sub – Phylum) – केलिसेरेटा (Chelicerata)
- वर्ग (Class) – एरेक्निडा (Arachnida)
- गण (Order) – एरेनी (Araneae)
- वंश (Genus) – आर्जियोप (मकड़ी) Argiope (Spider)
सामान्य लक्षण Common symptoms
- इस जीव का सामान्य नाम मकड़ी है, जो घास फूस और छायादार स्थानों पर देखने को मिलता है.
- इनका शरीर प्रोमोसा Prosoma और ऑस्पिथोंसोमा Opisthosoma में विभाजित होता है, यह दोनों परस्पर एक संकीर्ण वृंत द्वारा जुड़े रहते हैं.
- प्रोमोसा पर सरल नेत्र होते और 6 जोड़ी उपांग होते हैं. जिनमें 1 जोड़ी चेलीशेरी Chelicarae एक जोड़ी पैंडीपल्स तथा 4 जोड़ी पाद होते हैं.
- प्रोसोमा केरापेस द्वारा ढका रहता है, और ऑस्पिथोंसोमा अंडाकार खंड रहित होता है.
- विष ग्रंथियाँ केलिसेरी के विष दांतो में खुलती है.
- नर तथा मादा प्रथक – प्रथक होते हैं.
- मैथुन करने के पश्चात मादा नर को खा जाती है.
संघ आर्थ्रोपोडा (Phylum Arthropoda) का महत्व
आर्थ्रोपोडा पृथ्वीके पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) तथा मानव जीवन दोनों में बहुत अधिक महत्व है. लेकिन इनके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं. ये तथ्य आगे वर्णित है:
पारिस्थितिकीय महत्व (Ecological Importance)
- परागकण (Pollination): कीट (जैसे मधुमक्खियाँ, तितलियाँ) फूलों वाले पौधों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण परागणकर्ता हैं. ये फसलों और जंगली पौधों के प्रजनन को संभव बनाते हैं, जो खाद्य उत्पादन और जैव विविधता के लिए आवश्यक है.
- अपघटनकर्ता (Decomposers): कई आर्थ्रोपोड (जैसे टिड्डे, कनखजूरे) मृत पौधों और जानवरों को तोड़कर उन्हें मिट्टी के पोषक तत्वों में परिवर्तित कर देते हैं. यह प्रक्रिया पोषक तत्वों के चक्रण और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है.
- खाद्य श्रृंखला का आधार (Base of the Food Chain): विभिन्न आर्थ्रोपोड, जैसे कि क्रिल (krill) और कीटों के लार्वा, मछली, पक्षियों, उभयचरों और कई अन्य जानवरों के लिए भोजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं. ये खाद्य श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कड़ी बनाते हैं.
- प्राकृतिक कीट नियंत्रण (Natural Pest Control): कई आर्थ्रोपोड शिकारी होते हैं (जैसे मकड़ियाँ, कुछ भृंग), जो फसलों और मनुष्यों को नुकसान पहुँचाने वाले कीटों की आबादी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं.
आर्थिक महत्व (Economic Importance)
- खाद्य स्रोत (Food Source): क्रस्टेशियन वर्ग के कई जीव (जैसे झींगा, केकड़ा, लॉबस्टर) दुनिया भर में मानव उपभोग के लिए एक मूल्यवान और प्रोटीन युक्त खाद्य स्रोत हैं. इनका बड़े पैमाने पर व्यापारिक उत्पादन किया जाता है.
- उत्पाद निर्माण (Production of Products):
- शहद और मोम (Honey and Wax): मधुमक्खियाँ शहद और मोम देती हैं, जिनका उपयोग भोजन, मोमबत्तियाँ और अन्य उत्पादों के लिए किया जाता है.
- रेशम (Silk): रेशम कीट द्वारा उत्पादित रेशम वस्त्र उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चा माल है.
- जैविक नियंत्रण (Biological Control): कुछ आर्थ्रोपोड का उपयोग हानिकारक फसलों के कीटों और खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है, जिससे कीटनाशकों पर निर्भरता कम होती है.
- चिकित्सा और अनुसंधान (Medical and Research): फ्रूट फ्लाई (ड्रोसोफिला) जैसे कीट आनुवंशिक अनुसंधान (genetic research) में महत्वपूर्ण मॉडल जीव हैं, जिन्होंने जीव विज्ञान और चिकित्सा में कई खोजों में योगदान दिया है.
नकारात्मक महत्व (Negative Importance)
इन लाभों के बावजूद, कुछ आर्थ्रोपोड का नकारात्मक प्रभाव भी होता है:
- रोग वाहक (Disease Vectors): मच्छर (मलेरिया, डेंगू), मक्खियाँ (हैजा), और टिक्स (लाइम रोग) जैसे कुछ आर्थ्रोपोड मनुष्यों और पशुओं में रोग फैलाने वाले जीवों (रोगजनक) को स्थानांतरित करते हैं.
- फसलों के कीट (Crop Pests): टिड्डी, इल्लियाँ (caterpillars) और कई भृंग (beetles) जैसी प्रजातियाँ फसलों और भंडारित अनाज को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे बड़ा आर्थिक नुकसान होता है.
संघ आर्थ्रोपोडा (Phylum Arthropoda) पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q.1. दुनिया का सबसे बड़ा संघ कौन सा है?
Ans. संघ आर्थ्रोपोडा (Arthropoda) प्राणी जगत (Animal Kingdom) का सबसे बड़ा संघ है. इस संघ में ज्ञात जीवों की संख्या लगभग दो-तिहाई है.
Q.2. फाइलम आर्थ्रोपोडा में कितने वर्ग होते हैं?
Ans. फाइलम आर्थ्रोपोडा को अध्ययन की सुविधा से सात उपसंघों में बाँटा गया है, जिनके अंतर्गत कई वर्ग है. प्रमुख उपसंघ और उनके मुख्य वर्ग निम्नलिखित हैं:
1. कैलीसेरेटा (Chelicerata): जैसे वर्ग ऐरेकिनडा (Arachnida) (मकड़ी, बिच्छू).
2. मायिरोपोडा (Myriapoda): जैसे वर्ग चिलोपोडा (Chilopoda) (सेंटिपीड) और डिप्लोपोडा (Diplopoda) (मिलीपीड).
3. क्रस्टेशिया (Crustacea): जैसे वर्ग क्रस्टेशिया (Crustacea) (झींगा, केकड़ा).
4. हेक्सापोडा (Hexapoda): जैसे वर्ग इन्सेक्टा (Insecta) (कीट).
Q.3. फाइलम आर्थ्रोपोडा के दो उदाहरण क्या हैं?
Ans. फाइलम आर्थ्रोपोडा के दो प्रमुख उदाहरण हैं:
(i) तितली (Butterfly): जो वर्ग इन्सेक्टा (Insecta) (कीट) से संबंधित है.
(ii) मकड़ी (Spider): जो वर्ग ऐरेकिनडा (Arachnida) से संबंधित है.
Q.4. आर्थ्रोपोडा के जीवों का सबसे विशिष्ट लक्षण क्या है?
Ans. आर्थ्रोपोडा के जीवों का सबसे विशिष्ट और परिभाषित लक्षण उनका सन्धियुक्त उपांग (Jointed Appendages) और खण्डित शरीर (Segmented Body) होता है. “आर्थ्रोपोडा” नाम का अर्थ भी “सन्धियुक्त पाद (Jointed Legs)” होता है. इसके अलावा, उनके शरीर पर काइटिन (Chitin) का बना एक कठोर बाह्य कंकाल (Exoskeleton) पाया जाता है.
Q.5. श्वसन के लिए आर्थ्रोपोडा में कौन-कौन से अंग पाए जाते हैं?
Ans. आर्थ्रोपोडा में उनके आवास और वर्ग के अनुसार विभिन्न श्वसन अंग पाए जाते हैं:
✤ जलीय जीवों (जैसे क्रस्टेशिया) में: गिल (Gills).
✤ स्थलीय कीटों (जैसे इन्सेक्टा) में: श्वासनली तंत्र (Tracheal System).
✤ ऐरेकिनड्स (जैसे मकड़ियों) में: बुक लंग्स (Book Lungs) या ट्रेकियल सिस्टम.