मानव विकास सूचकांक (HDI) एक संयुक्त सूचकांक है, जो किसी देश के मानव विकास की औसत उपलब्धियों को तीन आधारभूत आयामों के आधार पर मापता है. ये आयाम हैं:
(i) दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन,
(ii) ज्ञान प्राप्त करना, और
(iii) शिष्ट व शालीन जीवन जीना.
इनका मापन निम्नलिखित तरीकों से होता है:
- स्वस्थ और दीर्घ जीवन को जन्म के समय जीवन प्रत्याशा से मापा जाता है.
- ज्ञान का मापन दो तिहाई वेटेज के साथ प्रौढ़ साक्षरता दर और एक तिहाई वेटेज के साथ प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक स्तर पर संयुक्त सकल नामांकन दर से किया जाता है.
- शिष्ट जीवन स्तर को देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और प्रति व्यक्ति क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर मापा जाता है, जो अमेरिकी डॉलर में व्यक्त की जाती है. इस प्रकार, HDI मानव विकास के इन तीन पहलुओं को समग्र रूप से मूल्यांकन करता है.
मानव विकास सूचकांक: एक नजर में |
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मानव विकास सूचकांक (एचडीआई), मानव विकास का एक समग्र उपाय है, जिसे पहली बार 1990 में पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल-हक और भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन द्वारा विकसित किया गया था. इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा विशुद्ध रूप से आर्थिक उपायों से परे विकास के आकलन को व्यापक बनाने के लिए पेश किया गया था. एचडीआई केवल आर्थिक विकास ही नहीं, बल्कि प्रगति को मापने में लोगों और उनकी क्षमताओं के महत्व पर जोर देता है. |
एचडीआई का संक्षिप्त कालक्रम: 1990: एचडीआई को पहली बार यूएनडीपी द्वारा शुरू की गई मानव विकास रिपोर्ट (एचडीआर) में पेश किया गया था. 1990-2000: यूएनडीपी द्वारा अपने एचडीआर में एचडीआई का उपयोग हर साल देशों में मानव विकास को ट्रैक करने और तुलना करने के लिए किया जाता है. 2000-वर्तमान: मानव विकास को मापने के लिए उपयोग किए जाने वाले संकेतकों में बदलाव के साथ एचडीआई का विकास जारी रहा है, जैसे कि स्कूली शिक्षा के औसत और अपेक्षित वर्षों के उपायों को शामिल करना. |
मुख्य सिद्धांत और विकास: क्षमता दृष्टिकोण: एचडीआई अमर्त्य सेन की “क्षमताओं (Capabilities)” की अवधारणा पर आधारित है, जो इस बात पर केंद्रित है कि लोग क्या करने और बनने में सक्षम हैं, न कि केवल उनके पास क्या है. आर्थिक उपायों से परे: एचडीआई के विकास ने केवल राष्ट्रीय आय लेखांकन पर निर्भर रहने से मानव कल्याण के अधिक समग्र दृष्टिकोण की ओर बदलाव को चिह्नित किया. मानव विकास पर केंद्रित: एचडीआई का उद्देश्य स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के पहलुओं को शामिल करते हुए मानव विकास को मापना और बढ़ावा देना है. |
मानव विकास की अवधारणा
मानव विकास सूचकांक (HDI) तीन आयामों—दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन, ज्ञान, और शालीन जीवन स्तर—का संयुक्त योग है. लेकिन यह मानव विकास का संपूर्ण चित्रण नहीं करता. यह पारंपरिक आय-आधारित विकास मापक से अलग, मानव विकास के प्रमुख क्षेत्रों में हुई प्रगति को दर्शाने का प्रयास है.
HDI एक बैरोमीटर की तरह कार्य करता है, जो मानव कल्याण में परिवर्तनों को मापता है और देश के विभिन्न राज्यों में प्रगति की तुलनात्मक स्थिति को प्रदर्शित करता है. मानव विकास की अवधारणा स्वतंत्रता और मुक्त विकास पर आधारित है, जहाँ विकास को स्वतंत्रता का पर्याय माना जाता है. हालांकि, कई लोग गरीबी, अशिक्षा, सामाजिक भेदभाव, बीमारी, संघर्ष, या राजनीतिक पहचान के अभाव के कारण अपने आधारभूत विकल्प चुनने की स्वतंत्रता से वंचित रहते हैं.
मानव विकास का उद्देश्य लोगों की क्षमताओं, सामर्थ्य, और मानवीय योग्यताओं को बढ़ाना है, ताकि वे सार्थक जीवन जी सकें, समाज में भागीदारी कर सकें, और अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने की स्वतंत्रता का आनंद ले सकें. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की 1990 की प्रारंभिक मानव विकास रिपोर्ट में इन विकल्पों को आवश्यक माना गया, क्योंकि इनकी अनुपस्थिति अवसरों को सीमित कर सकती है.
अतः मानव विकास का लक्ष्य लोगों के विकल्पों को बढ़ाना, उनके जीवन में सुधार करना, और क्षमताओं का निर्माण करना है. इसके लिए विकास की प्रक्रिया को इस तरह से पुनर्गठित करना होगा कि यह लोगों के इर्द-गिर्द केंद्रित हो, न कि लोग विकास के इर्द-गिर्द.
आर्थिक विकास और मानव विकास में अंतर
आर्थिक विकास और मानव विकास में मुख्य अंतर यह है कि आर्थिक विकास का ध्यान आय बढ़ाने पर केंद्रित होता है, जबकि मानव विकास का लक्ष्य जीवन के सभी पहलुओं—आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक—में समग्र प्रगति करना है. आर्थिक विकास में मानव विकास एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि आय का उपयोग न केवल आय वृद्धि के लिए, बल्कि मानव विकास के विकल्पों को बढ़ाने के लिए होना चाहिए.
किसी देश की वास्तविक संपत्ति उसके मानव संसाधन हैं, इसलिए विकास का उद्देश्य मानव जीवन को साधनों और सुविधाओं से समृद्ध करना है. मानव विकास रिपोर्ट में HDI के अलावा चार अन्य सूचकांक शामिल हैं: विकासशील देशों के लिए मानव-गरीबी सूचकांक (HPI-1), कुछ OECD देशों के लिए मानव-गरीबी सूचकांक (HPI-2), लिंग-आधारित विकास सूचकांक (GDI), और लिंग-सशक्तिकरण उपाय (GEM).
इनमें से HDI, HPI-1, और GDI तीन प्रमुख आयामों—दीर्घायु और स्वस्थ जीवन, ज्ञान/साक्षरता, और शालीन जीवन स्तर—पर आधारित हैं, लेकिन कुछ संकेतक इन आयामों के भीतर अलग-अलग पहलुओं को भी दर्शाते हैं.
मानव विकास का महत्व
विकास अर्थशास्त्री पॉल स्ट्रीटेन ने मानव विकास के महत्व को रेखांकित करते हुए इसके छह प्रमुख कारणों की पहचान की है:
- सबसे पहले, मानव विकास का अंतिम लक्ष्य मानवीय जीवन की दशाओं को बेहतर बनाना और लोगों को अपने विकास के लिए अधिक से अधिक विकल्प प्रदान करना है.
- दूसरा, मानव विकास उच्च उत्पादकता का एक प्रभावी साधन है, क्योंकि एक स्वस्थ, सुपोषित, शिक्षित, कुशल और जागरूक श्रम शक्ति किसी भी देश की सबसे मूल्यवान संपत्ति होती है, जिसके चलते इस क्षेत्र में निवेश उत्पादकता के दृष्टिकोण से उचित ठहराया जा सकता है.
- तीसरा, यह जनसंख्या वृद्धि दर को नियंत्रित करने में मदद करता है.
- चौथा, मानव विकास का भौतिक पर्यावरण के साथ सकारात्मक संबंध है, क्योंकि गरीबी में कमी से जंगलों की कटाई, मरुस्थलीकरण, और मृदा अपक्षरण जैसी समस्याओं में कमी आती है.
- पांचवां, मानव गरीबी और जीवन स्तर में सुधार से एक स्वस्थ नागरिक समाज का निर्माण होता है और सामाजिक स्थिरता बढ़ती है.
- अंत में, मानव विकास सामाजिक अशांति को कम करने और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देने में योगदान देता है. इस प्रकार, मानव विकास समग्र प्रगति और स्थिरता का आधार है.
मानव विकास सूचकांक और भारत
भारत ने मानव विकास सूचकांक (HDI) में प्रगति की है. भारत 2022 में 133वें स्थान से सुधार करते हुए 2023 में 130वें स्थान पर पहुँच गया है. इस दौरान देश का HDI मान 0.676 से बढ़कर 0.685 हो गया. देश अभी भी “मध्यम मानव विकास” श्रेणी में है, लेकिन “उच्च मानव विकास” (HDI ≥ 0.700) के करीब पहुँच रहा है.
क्षेत्रीय तुलना में, चीन (78वाँ), श्रीलंका (89वाँ), और भूटान (125वाँ) भारत से आगे हैं, बांग्लादेश (130वाँ) बराबर है, जबकि नेपाल (145वाँ), म्यांमार (150वाँ), और पाकिस्तान (168वाँ) पीछे हैं.
मुख्य प्रगति में जीवन प्रत्याशा 1990 के 58.6 वर्ष से बढ़कर 2023 में 72 वर्ष हो गई, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का परिणाम है. शिक्षा में औसत स्कूली वर्ष 1990 के 8.2 से बढ़कर 13 वर्ष हो गए, जिसे शिक्षा का अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने समर्थन दिया. हालाँकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है. प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (PPP) 1990 के 2,167 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023 में 9,046 अमेरिकी डॉलर हो गई.
साथ ही, 2015-16 से 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले. भारत AI कौशल में भी आगे बढ़ रहा है, जहाँ 20% AI शोधकर्ता अब देश में हैं, जो 2019 में लगभग शून्य था.
फिर भी भारत के समक्ष कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं. असमानता के कारण HDI में 30.7% की कमी आई है, जो क्षेत्र में सबसे अधिक है. लैंगिक असमानता भी एक मुद्दा है, क्योंकि महिला श्रम बल भागीदारी 41.7% है और राजनीतिक प्रतिनिधित्व कम है. 106वें संविधान संशोधन जैसे कदम से सकारात्मक बदलाव के उम्मीद है. यह संसोधन विधायिका में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करता है.
भारत के HDI मान और संकेतकों में वार्षिक परिवर्तन
प्रमुख आँकड़े (मानव विकास सूचकांक) | 2022 | 2023 |
रैंक | 133 | 130 |
HDI मूल्य | 0.676 | 0.685 |
जीवन प्रत्याशा (वर्षों में) | 71.70 | 72.00 |
अपेक्षित स्कूली शिक्षा के वर्ष | 12.96 | 12.95 |
औसत स्कूली शिक्षा के वर्ष | 6.57 | 6.88 |
प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय ($2021 PPP में) | 8475.68 | 9046.76 |