भारत के राजव्यवस्था में उपराष्ट्रपति एक संवैधानिक पद हैं, जो अमेरिका के संविधान से प्रेरित हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 में उपराष्ट्रपति का प्रावधान हैं. अनुच्छेद 63 से 73 तक उपराष्ट्रपति के प्रावधान, अर्हताएं, निर्वाचन, कार्य, दायित्व, पदावधि और पदच्युति का उल्लेख हैं. वरीयता में उपराष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति के बाद दूसरा सर्वोच्च पद हैं.
उपराष्ट्रपति के लिए अर्हताएं
भारत में उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार के लिए निम्नलिखित योग्यताएं होना आवश्यक हैं:
- भारत का नागरिक हो,
- आयु कम-से-कम 35 वर्ष हो,
- राज्यसभा का सदस्य चुने जाने योग्य हो,
- भारतीय राजव्यवस्था में या इनसे किसी प्रकार से सम्बद्ध संस्थाओं में लाभ के पद पर न हो.
उपराष्ट्रपति के निर्वाचन का प्रावधान
राष्ट्रपति के भाँति उपराष्ट्रपति को भी अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के माध्यम से निर्वाचित किया जाता है. यह आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत द्वारा संपन्न होता हैं. इनके निर्वाचक मंडल में राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य ही शामिल होते हैं.
पदावधि और पदत्याग
उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तिथि से पांच वर्षों के लिए अपने पद पर बने रहते हैं. हालाँकि,उपराष्ट्रपति पदावधि समाप्त होने पर तबतक अपना पद धारण करता रहेगा, जबतक उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता हैं.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार,
(1) उपराष्ट्रपति के पदावधि समाप्त होने से पूर्व ही नए उपराष्ट्रपति का निर्वाचन हो जाना चाहिए.
(2) उपराष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से उत्पन्न रिक्ति को यथाशीघ्र पूर्ण कर लिया जाना चाहिए.
(3) रिक्त पद पर नए निर्वाचन के बावजूद निवर्तमान उपराष्ट्रपति को अनुच्छेद 67 के उपबंधों के अधीन पदग्रहण की तिथि से पांच वर्ष तक कार्य करने का अधिकार होगा.
(4) निर्वाचन की अवैधता या किसी अन्य कारण से उत्पन्न हुए रिक्तता को भी जल्द ही भर लिया जाना चाहिए.
यदि उपराष्ट्रपति चाहे तो राष्ट्रपति को सम्बोधित कर अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा. इस स्थिति में नए उपराष्ट्रपति का निर्वाचन विधिसम्मत प्रक्रिया द्वारा जल्द संपन्न किया जाता है.
उपराष्ट्रपति पर महाभियोग राज्यसभा के अध्यक्ष के तौर पर लगाया जा सकता है. इस संकल्प को राज्यसभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित करना जरुरी है. साथ ही, लोकसभा का सहमति भी आवश्यक है. इस आशय का सुचना कार्रवाही से 14 दिन पूर्व प्राप्त करना आवश्यक होता है. उपराष्ट्रपति के निर्वाचान को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती की निर्वाचन मंडल अपूर्ण हैं.
उपराष्ट्रपति का शपथ
प्रत्येक उपराष्ट्रपति को अपने पद ग्रहण से पूर्व राष्ट्रपति या उसके द्वारा निमित्त नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ लेना होता हैं या प्रतिज्ञापन करेगा और उस पर अपना हस्ताक्षर करना होता है. इस शपथ का प्रारूप इस प्रकार हैं-
“मैं, अमुक ईश्वर की शपथ लेता हूँ/ सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञापन करता हूँ कि मई विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूँ उसके कर्तव्यों को श्रद्धापूर्वक निर्वाहन करूँगा.”
वेतन और भत्ते
वर्तमान में उपराष्ट्रपति का वेतन 4 लाख रूपये प्रति माह है. इसके साथ ही उन्हें मासिक भत्ता और केंद्रीय मंत्रियों को मिलने वाले अन्य सुविधाएं प्राप्त होती है. उपराष्ट्रपति को ये सभी सुविधाएं राज्य सभा के सभापति के रूप में प्राप्त होते है.
उपराष्ट्रपति के लिए पेंशन की व्यवस्था 1997 में संसद ने अधिनियम पारित कर की थी. दिसंबर 1999 में पुनः एक अधिनियम द्वारा पेंशन में वृद्धि की व्यवस्था की गई.
उपराष्ट्रपति के शक्तियां और कार्य
संविधान में राष्ट्रपति को देश के संचालन के सम्बन्ध में कोई विशेष कार्य नहीं सौंपा गया है. उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करने का वर्णन है. साथ ही, राष्ट्रपति का पद उसके द्वारा पदत्याग, हटाए जाने या मृत्यु से उत्पन्न रिक्ति को अस्थायी रूप से उपराष्ट्रपति द्वारा भरा जाता है.
राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति का कार्य और शक्तियां लोकसभा अध्यक्ष की तरह ही होते है. लेकिन किसी विधेयक के धन विधेयक या वित्त विधेयक होने का अनंतिम फैसला लोकसभा अध्यक्ष का ही होता है.
उपराष्ट्रपति को जब राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है तो वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है. इस दौरान वह राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं करता है.
कार्यवाहक के रूप में उपराष्ट्रपति अधिकतम छह माह तक कार्य करता है, जब तक की नए राष्ट्रपति का निर्वाचन संपन्न न हो जाएं. इस दौरान नए राष्ट्रपति का चुनाव कर लिया जाता हैं. (इसके उलट अमेरिका में शेष कार्यकाल के लिए उपराष्ट्रपति ही राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है.) कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने पर उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति को मिलने वाले वेतन, भत्ते और अन्य सभी सुविधाएं प्राप्त होती है.
संविधान के अनुच्छेद 91 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के अनुपस्तिथि में राज्यसभा का उपसभापति ही सभापति के रूप में कार्य करेगा.
अनेक सामाजिक समारोह में उपराष्ट्रपति राष्ट्र का प्रतिनिधित्व भी करते है. वे समय-समय पर शैक्षणिक और सामाजिक समाहरोह में उपस्थित होकर देश को सकारात्मक सन्देश देते है.
उपराष्ट्रपति से सम्बंधित अनुच्छेदों का विवरण
अनुच्छेद | विवरण |
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अनुच्छेद 63 | भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा. |
अनुच्छेद 64 | उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन (एक्स-ऑफिसियो) सभापति होंगे. |
अनुच्छेद 65 | यदि राष्ट्रपति पद रिक्त हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति के कर्तव्यों का पालन करना होगा. यह तब तक होगा जब तक कि नया राष्ट्रपति नियुक्त नहीं किया जाता. यह उपराष्ट्रपति के दायित्वों को परिभाषित करता है और सुनिश्चित करता है कि निर्वाचित राष्ट्रपति के अनुपस्तिथि में सरकार का संचालन अनवरत चलता रहे. |
अनुच्छेद 66 | अनुच्छेद 66 भारत के संविधान में उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित है. |
अनुच्छेद 67 | उपराष्ट्रपति का कार्यकाल. |
अनुच्छेद 68 | उपराष्ट्रपति पद के रिक्त होने पर उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित प्रावधानों को निर्दिष्ट करता है. |
अनुच्छेद 69 | उपराष्ट्रपति को पदभार ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति या राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञा लेनी होती है. |
अनुच्छेद 70 | अनुच्छेद 70 भारत के संविधान में राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद रिक्त होने पर और उनके कार्यकाल के दौरान आकस्मिकताओं से निपटने के लिए प्रावधान करता है. इसके तहत, यह सुनिश्चित किया जाता है कि उपराष्ट्रपति के चुनाव, उपराष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन, और कार्यकाल के दौरान किसी भी आकस्मिकता को संविधान और संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार निपटाया जाएगा. |
अनुच्छेद 71 | यदि राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में कोई विवाद या संदेह उत्पन्न होता है, तो इसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया जाएगा. |
अनुच्छेद 72 | यह अनुच्छेद राष्ट्रपति के अधिकारों से संबंधित है, लेकिन उपराष्ट्रपति के पद की स्थिति में राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में ये अधिकार अस्थायी रूप से उपराष्ट्रपति को सौंपे जा सकते हैं. |
अनुच्छेद 73 | यह अनुच्छेद संघ और राज्यों के बीच कार्यक्षेत्र को विभाजित करता है, जो उपराष्ट्रपति की भूमिका को सीधे प्रभावित नहीं करता. लेकिन केंद्र के कार्यों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. इस अनुच्छेद का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केंद्र सरकार के कार्यपालक अधिकार स्पष्ट रूप से परिभाषित हों और वे संसद द्वारा निर्धारित कानूनों के अनुसार ही हों. |
भारत के उपराष्ट्रपति
क्रम | नाम | कार्यकाल | कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति |
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1. | डॉ. एस राधाकृष्णन | 13, मई 1952 से 12, मई 1962 | डॉ. राजेंद्र प्रसाद |
2. | डॉ. जाकिर हुसैन | 13, मई 1962 से 12, मई 1967 | सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
3. | वराहगिरी वेंकटगिरि | 13, मई 1967 से 3, मई 1969 | जाकिर हुसैन |
4. | गोपालस्वरूप पाठक | 31 अगस्त, 1969 से 30 अगस्त, 1974 | वी. वी. गिरी |
5. | बसप्पा धनप्पा जत्ती | 31 अगस्त, 1974 से 30 अगस्त, 1979 | फखरुद्दीन अली अहमद |
6. | मो. हिदायतुल्लाह | 31 अगस्त, 1979 से 30 अगस्त, 1984 | नीलम संजीव रेड्डी |
7. | रामास्वामी वेंकटरमन | 31 अगस्त, 1984 से 30 जुलाई 1987 | ज्ञानीजैल सिंह |
8. | डॉ. शंकरदयाल शर्मा | 3 सितम्बर, 1987 से 24 जुलाई, 1992 | आर. वेंकटरमन |
9. | के. आर. नारायण | 21 अगस्त, 1992 से 24 जुलाई, 1997 | शंकरदयाल शर्मा |
10. | कृष्ण कान्त | 21 अगस्त, 1997 से 27 जुलाई, 2002 | के. आर. नारायण |
11. | भैरो सिंह शेखावत | 19 अगस्त, 2002 से 21 जुलाई, 2007 | डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम |
12. | मो. हामिद अंसारी | 11 अगस्त, 2007 से 11 अगस्त, 2012 | प्रतिभा पाटिल |
13. | मो. हामिद अंसारी | 11 अगस्त, 2012 से 11 अगस्त, 2017 | प्रणब मुख़र्जी |
14. | एम. वैंकया नायडू | 11 अगस्त, 2017 से 11 अगस्त, 2022 | रामनाथ कोविंद |
15. | जगदीप धनखड़ | 11 अगस्त, 2022 से वर्तमान तक | द्रौपदी मुर्मू |
भारत के उपराष्ट्रपति से जुड़े ख़ास तथ्य
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. मो. हमीद अंसारी ने लगातार दो कार्यकाल के लिए उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया है.
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का कार्यकाल 13 मई 1952 से 12 मई 1962 तक था. ये देश के पहले उपराष्ट्रपति भी है. इनके जन्मदिन 5 सितम्बर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. डॉ. राधाकृष्णन ने 1962 ईस्वी में भारत के राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया था.
- डॉ. हमीद अंसारी का दो कार्यकाल 11 अगस्त 2007 से 10 अगस्त 2017 तक था.
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद जून 1960 में सोवियत संघ की यात्रा पर गए थे. इस दौरान उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 15 दिनों के लिए राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था.
- मई 1961 में दूसरी बार भी उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ था, जब राष्ट्रपति गंभीर रूप से बीमार हो गए थे.
- 1969 में राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन का पदावधि के दौरान मृत्यु हो गया. इसी समय उपराष्ट्रपति डॉ. वी. वी. गिरी ने भी पद त्याग दिया. इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश हिदायतुल्लाह ने राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वाहन किया था.
- कृष्णकांत ऐसे पहले उपराष्ट्रपति थे जिनकी मृत्यु पद पर रहते हुए हो गई थी.