भारतीय संसद से संबंधित अनुच्छेदों (77 से 122) का संक्षिप्त विवरण

भारत के संविधान के भाग V में संघ सरकार के कामकाज के लिए प्रावधान हैं. एक तरह से यह भारतीय संसद का महत्वपूर्ण स्तम्भ है. यह भाग संघ स्तर पर सरकार की संसदीय प्रणाली, स्वतंत्र न्यायपालिका और शक्तियों का प्रभावी पृथक्करण स्थापित करता है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 77 से 122 तक, केंद्र सरकार के कार्य संचालन, संसद के गठन, उसकी कार्यप्रणाली, और वित्तीय मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधानों का वर्णन करते हैं. ये अनुच्छेद भारतीय संसदीय प्रणाली और सरकार के वित्तीय कामकाज की रीढ़ हैं, जो केंद्र सरकार के कार्यपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों और प्रक्रियाओं का निर्धारण करते हैं.

भारतीय संविधान के भाग V में 4 अध्याय हैं: 

अध्याय 1. अनुच्छेद 52 से 75 में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और उनके कार्य शामिल हैं.

अध्याय 2. अनुच्छेद 76 से 81 में भारत का महाधिवक्ता (Attorney General of India) और संसद की संरचना शामिल है.

अध्याय 3. अनुच्छेद 82 से 151 में संसद के सदस्य, चुनाव, और संसद की प्रक्रियाएं शामिल हैं.

अध्याय 4. अनुच्छेद 152 से 237 में राज्य विधानमंडल और कार्यपालिका शामिल हैं.

यहाँ भारतीय संसद से जुड़े इन अनुच्छेदों (77-117) का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

अध्याय 1: कार्यपालिका (The Executive)

  • अनुच्छेद 77: भारत सरकार के कार्य का संचालन
    • यह अनुच्छेद बताता है कि भारत सरकार की समस्त कार्यपालिका कार्यवाही राष्ट्रपति के नाम से की हुई कही जाएगी.
    • राष्ट्रपति भारत सरकार का कार्य अधिक सुविधापूर्वक किए जाने के लिए और मंत्रियों में उक्त कार्य के आवंटन के लिए नियम बनाएगा.
  • अनुच्छेद 78: राष्ट्रपति को जानकारी देने आदि के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्य
    • प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य है कि वह संघ के कार्यकलाप के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्तावों संबंधी मंत्रिपरिषद के सभी फैसले राष्ट्रपति को संसूचित करे.
    • राष्ट्रपति द्वारा मांगी गई जानकारी प्रदान करना.
    • यदि राष्ट्रपति चाहे तो मंत्रिपरिषद के विचार के लिए किसी ऐसे विषय को प्रस्तुत करना जिस पर किसी मंत्री ने निर्णय कर दिया है; किंतु मंत्रिपरिषद ने विचार नहीं किया है.

अध्याय 2: संसद (Parliament)

  • अनुच्छेद 79: संसद का गठन
    • यह अनुच्छेद बताता है कि संघ के लिए एक संसद होगी जो राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनेगी, सदनों के नाम राज्यसभा और लोकसभा होंगे.
  • अनुच्छेद 80: राज्यसभा की संरचना
    • राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या, राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के निर्वाचन और नाम-निर्देशन का प्रावधान.
  • अनुच्छेद 81: लोकसभा की संरचना
    • लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या, राज्यों के निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के निर्वाचन का प्रावधान.
  • अनुच्छेद 82: प्रत्येक जनगणना के पश्चात् पुनः समायोजन
    • जनगणना के पश्चात् सीटों के आवंटन और प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों के पुनः समायोजन का प्रावधान.
  • अनुच्छेद 83: संसद के सदनों की अवधि
    • राज्यसभा के स्थायी सदन होने और उसके एक-तिहाई सदस्यों के हर दूसरे वर्ष सेवानिवृत्त होने का प्रावधान.
    • लोकसभा की सामान्य अवधि पाँच वर्ष निर्धारित करना.
  • अनुच्छेद 84: संसद की सदस्यता के लिए अर्हता
    • संसद सदस्य बनने के लिए आवश्यक योग्यताएं, जैसे भारत का नागरिक होना, आयु सीमा आदि.
  • अनुच्छेद 85: संसद के सत्र, सत्रावसान और विघटन
    • राष्ट्रपति द्वारा समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को समन करने, सत्रावसान करने और लोकसभा का विघटन करने की शक्ति.
  • अनुच्छेद 86: सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राष्ट्रपति का अधिकार
    • राष्ट्रपति का संसद के किसी भी सदन या दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अभिभाषण करने और संदेश भेजने का अधिकार.
  • अनुच्छेद 87: राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण
    • प्रत्येक आम चुनाव के पहले सत्र के आरंभ में और प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र के आरंभ में राष्ट्रपति का संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अभिभाषण.
  • अनुच्छेद 88: सदनों के बारे में मंत्रियों और महान्यायवादी के अधिकार
    • प्रत्येक मंत्री और भारत के महान्यायवादी को किसी भी सदन में बोलने, उसकी कार्यवाही में भाग लेने और संसद की किसी समिति का सदस्य होने का अधिकार, लेकिन मत देने का अधिकार नहीं.

संसद के अधिकारी (Officers of Parliament)

  • अनुच्छेद 89: राज्यसभा का सभापति और उपसभापति
    • उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होगा.
    • राज्यसभा अपने सदस्यों में से एक उपसभापति का चुनाव करेगी.
  • अनुच्छेद 90: उपसभापति का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना
    • उपसभापति के पद रिक्त होने, त्यागपत्र देने या पद से हटाए जाने संबंधी प्रावधान.
  • अनुच्छेद 91: सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति
    • सभापति की अनुपस्थिति में उपसभापति या अन्य व्यक्ति द्वारा सभापति के कर्तव्यों का पालन.
  • अनुच्छेद 92: जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
    • सभापति या उपसभापति को हटाने के संकल्प पर विचार करते समय पीठासीन न होने का प्रावधान.
  • अनुच्छेद 93: लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
    • लोकसभा अपने सदस्यों में से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष का चुनाव करेगी.
  • अनुच्छेद 94: अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना
    • अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद रिक्त होने, त्यागपत्र देने या पद से हटाए जाने संबंधी प्रावधान.
  • अनुच्छेद 95: अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करने या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति
    • अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति द्वारा अध्यक्ष के कर्तव्यों का पालन.
  • अनुच्छेद 96: जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
    • अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को हटाने के संकल्प पर विचार करते समय पीठासीन न होने का प्रावधान.
  • अनुच्छेद 97: सभापति और उपसभापति तथा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते
    • इन पदाधिकारियों के वेतन और भत्ते संसद द्वारा विधि द्वारा अवधारित किए जाएंगे.
  • अनुच्छेद 98: संसद का सचिवालय
    • संसद के प्रत्येक सदन का पृथक् सचिवालय होगा.

कार्य संचालन (Conduct of Business)

  • अनुच्छेद 99: सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
    • प्रत्येक सदस्य को अपना स्थान ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति या उसके द्वारा नियुक्त व्यक्ति के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान लेना होगा.
  • अनुच्छेद 100: सदनों में मतदान, रिक्तियों के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
    • दोनों सदनों में सभी प्रश्नों का अवधारण उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के बहुमत से होगा.
    • किसी सदस्य के स्थान रिक्त होने के कारण किसी सदन को कार्य करने की शक्ति नहीं होगी.
    • गणपूर्ति (कोरम) का प्रावधान.

सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members)

  • अनुच्छेद 101: स्थानों का रिक्त होना
    • दोहरी सदस्यता, त्यागपत्र, बिना अनुमति के अनुपस्थिति आदि के कारण स्थान रिक्त होने का प्रावधान.
  • अनुच्छेद 102: सदस्यता के लिए निरर्हताएं
    • लाभ का पद, विकृतचित्तता, दिवालियापन, भारत का नागरिक न होना आदि के आधार पर अयोग्यता.
  • अनुच्छेद 103: सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय
    • राष्ट्रपति का निर्वाचन आयोग की राय से निरर्हता संबंधी प्रश्नों पर अंतिम विनिश्चय.
  • अनुच्छेद 104: अनुच्छेद 99 के अधीन शपथ या प्रतिज्ञान करने से पहले या अर्हित न होते हुए या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शास्ति
    • बिना शपथ लिए या अयोग्य होने पर सदन की बैठकों में भाग लेने और मतदान करने पर दंड का प्रावधान.

संसद और उसके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, Privileges and Immunities of Parliament and its Members)

  • अनुच्छेद 105: संसद के सदनों की तथा सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकार आदि
    • संसद में वाक्-स्वतंत्रता, संसद में कही गई किसी बात या दिए गए किसी मत के लिए किसी सदस्य को किसी न्यायालय में किसी कार्यवाही का भागी न होना.
    • संसद के किसी सदन की समिति में कोई कार्यवाही पर भी यह अनुच्छेद लागू होता है. 
    •  यह अनुच्छेद संसद को यह शक्ति देता है कि वह कानून बनाकर अपने और अपने सदस्यों के विशेषाधिकारों को परिभाषित करे. जब तक ऐसे कानून नहीं बनाए जाते, तब तक वे विशेषाधिकार प्रभावी रहेंगे जो 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 से पहले थे. 
  • अनुच्छेद 106: सदस्यों के वेतन और भत्ते
    • संसद के सदस्यों के वेतन और भत्ते संसद द्वारा समय-समय पर विधि द्वारा अवधारित किए जाएंगे.

विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure)

  • अनुच्छेद 107: विधेयकों के पुरःस्थापन और पारित किए जाने के संबंध में उपबंध
    • साधारण विधेयकों के दोनों सदनों में प्रस्तुत और पारित किए जाने की प्रक्रिया.
  • अनुच्छेद 108: कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
    • दोनों सदनों के बीच किसी विधेयक पर गतिरोध होने पर राष्ट्रपति द्वारा संयुक्त बैठक बुलाने का प्रावधान.
  • अनुच्छेद 109: धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया
    • धन विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है.
    • राज्यसभा की शक्तियां धन विधेयकों के संबंध में सीमित होती हैं. 
  • अनुच्छेद 110: धन विधेयक की परिभाषा
    • यह अनुच्छेद स्पष्ट करता है कि कौन से विधेयक धन विधेयक कहलाएंगे. इसमें करारोपण, सरकार द्वारा धन उधार लेना, संचित निधि या आकस्मिकता निधि से धन का विनियोग आदि शामिल हैं.
  • अनुच्छेद 111: विधेयकों पर अनुमति
    • दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक को राष्ट्रपति की अनुमति के लिए प्रस्तुत किया जाना.
    • राष्ट्रपति की विधेयक पर सहमति, सहमति रोकना या पुनर्विचार के लिए वापस लौटाने की शक्ति.

वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in Financial Matters)

  • अनुच्छेद 112: वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट)
    • राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण प्रस्तुत करना.
  • अनुच्छेद 113: संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया
    • प्राक्कलनों (अनुमानों) पर संसद में चर्चा और मतदान की प्रक्रिया.
  • अनुच्छेद 114: विनियोग विधेयक
    • भारत की संचित निधि में से धन के विनियोग के लिए विधेयक का प्रावधान.
  • अनुच्छेद 115: अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान
    • किसी वित्तीय वर्ष के लिए विनियोजित राशि अपर्याप्त होने पर या किसी नई सेवा के लिए अतिरिक्त व्यय की आवश्यकता होने पर अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान की मांग का प्रावधान.
  • अनुच्छेद 116: लेखानुदान, प्रत्यानुदान और अपवादानुदान
    • लोकसभा को अग्रिम रूप से कुछ अनुदान प्रदान करने की शक्ति जब विस्तृत विचार-विमर्श के लिए समय न हो.
  • अनुच्छेद 117: वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबंध
    • यह अनुच्छेद उन विधेयकों से संबंधित विशेष प्रावधान करता है जिनमें अनुच्छेद 110 में उल्लिखित विषयों के अलावा अन्य वित्तीय मामले शामिल होते हैं.
    • कुछ वित्त विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना प्रस्तुत नहीं किए जा सकते.

सामान्य कार्यप्रणाली से संबंधित प्रावधान:

  • अनुच्छेद 118: प्रक्रिया के नियम 
    • यह अनुच्छेद संसद के प्रत्येक सदन को अपनी प्रक्रिया और कार्य-संचालन के विनियमन के लिए नियम बनाने का अधिकार देता है.
  • अनुच्छेद 119: संसद में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन
    • यह अनुच्छेद संसद को वित्तीय कार्य को समयबद्ध और सुचारू रूप से निपटाने के लिए कानून द्वारा प्रक्रिया को विनियमित करने का अधिकार देता है.
  • अनुच्छेद 120: संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा 
    • यह अनुच्छेद संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषाओं (हिंदी और अंग्रेजी) का प्रावधान करता है, साथ ही यह भी कि पीठासीन अधिकारी सदस्यों को अपनी मातृभाषा में बोलने की अनुमति दे सकते हैं.
  • अनुच्छेद 121: उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के आचरण पर चर्चा पर निर्बंधन 
    • यह अनुच्छेद संसद में उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए आचरण पर चर्चा पर प्रतिबंध लगाता है, सिवाय उस स्थिति के जब उसे हटाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा हो.
  • अनुच्छेद 122: न्यायालयों द्वारा संसद की कार्यवाहियों की जांच न किया जाना 
    • यह अनुच्छेद न्यायालयों को संसद की कार्यवाहियों की वैधता पर प्रश्न उठाने से रोकता है. यह संसद की आंतरिक स्वायत्तता और संप्रभुता को सुनिश्चित करता है.
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