भारतीय संसद के तीन अंग राष्ट्रपति, राज्यसभा एवं लोकसभा टॉपिक के अंतर्गत आज हम लोकसभा के कार्य एवं शक्तियां, इसके सदस्य एवं सदस्यों के निर्वाचन, कार्य और शक्तियां जैसे विषयों को जानेंगे. हम लोकसभा से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न इत्यादि विषयों पर यह लेख प्रस्तुत कर रहे हैं; जो निम्नलिखित इस प्रकार से है :-
लोकसभा का गठन
लोकसभा, केन्द्रीय व्यवस्थापिका (संसद) का सबसे लोकप्रिय सदन है. यह जनता का सदन, निम्न सदन, अस्थायी सदन और लोकप्रिय सदन भी है. संसद के अभिन्न अंग के रूप मे इसे कई विशेषाधिकार प्राप्त है, जो राज्यसभा को प्राप्त नहीं है. वास्तव में किसी भी सरकार का निर्माण लोकसभा पर ही निर्भर करता है. इसके सदस्यों को सांसद (Member of Parliament या MP) कहा जाता है.
भारत के संविधान में लोकसभा की संरचना का वर्णन अनुच्छेद 81 में किया गया है. लोकसभा भारतीय संसद का निम्न सदन है, जिसमें जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने गए प्रतिनिधि भाग लेते हैं. लोकसभा का संचालन के लिए एक अध्यक्ष होता है. लोकसभा अपनी पहली बैठक के पश्चात अपने दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनती है.
लोकसभा के सदस्यों की संख्या
मूल संविधान में लोकसभा सदस्यों की संख्या 500 निश्चित की गई थी. 7वें संविधान साँसोधन 1956 द्वारा इसे बढ़ाकर 525 और 31वें संसोधन 1972 द्वारा इसे बढ़ाकर 545 किया. गोवा, दमन और दीव पुनर्गठन अधिनियम 1987 के बाद इसे बढ़ाकर 552 कर दिया गया.
अभी लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 हो सकती है. 552 की संख्या 1971 की जनगणना के आधार पर तय की गई है, जो 2026 तक यथावत रहेगे. इनमें से अधिकतम 530 सदस्य राज्यों के निर्वाचन क्षेत्र से व अधिकतम 20 सदस्य संघीय क्षेत्रों से निर्वाचित किए जा सकते हैं.
वर्तमान में लोकसभा की सदस्य की संख्या 545 है. इन सदस्यों में 524 सदस्य 28 राज्यों से, 19 सदस्य 8 केंद्रशासित प्रदेशों से निर्वाचित होते है. अनुच्छेद 331 के तहत दो आंग्ल भारतीय वर्ग के प्रतिनिधित्व के रूप में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होने वाले सदस्यों का प्रावधान 104वां संविधान साँसोधन अधिनियम, 2020 द्वारा समाप्त कर दिया गया.
अनुच्छेद 81(1) (क) के अनुसार, राज्यों से चुने जाने वाले प्रतिनिधियों की संख्या 530 से अधिक नहीं हो सकती है. वहीं, अनुच्छेद 81(1) (ख) के अनुसार, केंद्रशासित प्रदेशों से चुने जाने वाले प्रतिनिधियों की संख्या 20 से अधिक नहीं होगी.
संसद को यह अधिकार है कि वह लोकसभा के सीटों के आवंटन का तरीका तय करें. इसी आधार पर 1952, 1962, 1972 और 2002 मे परिसीमन आयोग का गठन कर लोकसभा के क्षेत्रों को तय किया गया. 2020 में न्यायमूर्ति राजन प्रकाश देसाई के अध्यक्षता मे जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के लिए परिसीमन आयोग का गठन किया गया. यह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के बाद उपजे हालात मे सीटों के नए सिरे से निर्धारण के लिए किया गया था.
आरक्षण
नए परिसीमन के बाद लोकसभा में अनुच्छेद 330 के अनुसार अनुसूचित जाति (84 सीट) और अनुसूचित जनजाति (47 सीट) सदस्यों के लिए स्थान आरक्षित होते हैं. लोकसभा मे अनुसूचित और जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण उनके जनसंख्या के अनुपात में किया जाता है. वर्तमान मे यह जनगणना 1971 पर आधार है और 2026 तक के लिए स्थिर है.
इस चुनाव क्षेत्रों में उम्मीदवार अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजातियों का ही होना चाहिए, जिस भी वर्ग के लिए सीट आरक्षित है. लेकिन मतदाताओं का संयुक्त निर्वाचन क्षेत्र होता है अर्थात सभी पात्र मतदाता जाति, वंश तथा समुदाय के भेदभाव के बिना चुनाव में भाग लेते हैं.
लोकसभा सदस्य के लिए योग्यताएं
किसी भी व्यक्ति को लोकसभा सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित अर्हताओं को पूरा करना चाहिए:
- वह भारत का नागरिक हो (अनुच्छेद 84)
- 25 वर्ष का आयु पूर्ण कर चुका हो (अनुच्छेद 84)
- वह किसी भी लाभ के पद पर न हो, मानसिक रूप से विकृत न हो या उस अपराध में संलग्न न हो जो उसे लोकसभा सदस्य बनने से रोकता है (अनुच्छेद 102)
- जनप्रतिनिधित अधिनियम, 1951 के अनुसार जिस व्यक्ति का भारत के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचक नियमावली में नाम हो, वह चुनाव मे नामांकन कर सकता है.
- कोई भी सदस्य संसद के दोनों सदनों का सदस्य नहीं हो सकता है (अनुच्छेद 101)
सदस्यों का चुनाव (Election of Members)
लोकसभा के सदस्यों का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से होता है. भारत को 543 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की सीमाएं निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर पुनर्निर्धारित की जाती हैं. प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की जनसंख्या लगभग समान होती है. प्रत्येक क्षेत्र से एक सांसद चुना जाता है. इसे प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली कहा जाता है.
भारत में प्रथम-पास्ट-द-पोस्ट (First-Past-The-Post) प्रणाली का उपयोग किया जाता है. इसमें प्रत्येक मतदाता अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक उम्मीदवार को वोट देता है. सभी मतदाताओं के मतों का मूल्य समान होता है. यह सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रणाली से सम्पन्न होता है. मतलब 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिक मतदान में भाग ले सकते है.
सबसे अधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार विजयी घोषित होता है. इसे फर्स्ट पास्ट द पोस्ट प्रणाली (First Past the Post System) कहा जाता है.
1989 से पहले मतदान के लिए नागरिकों का आयु 21 वर्ष से अधिक होना जरूरी था. लेकिन 61वें संविधान संसोधन (राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल) द्वारा इसे घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया.
लोकसभा का गणपूर्ति (Quorum of Loksabha)
गणपूर्ति या कोरम से तात्पर्य किसी सभा के न्यूनतम सदस्य संख्या से है. संविधान के अनुच्छेद 100 (3) के अनुसार, सदस्यों के 1/10वां हिस्सा सदन में मौजूद होने पर ही सदन की कार्रवाही संचालित की जा सकती है. अनुच्छेद 100(4) लोकसभा अध्यक्ष को निर्देशित करता है कि जब्तक गणपूर्ति पूरा न हो जाए, तबटक वह सदन को निलंबित या स्थगित कर सकता है.
लोकसभा के मुख्य कार्य और शक्तियाँ:
लोकसभा के ये कार्य और शक्तियां इसे लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में स्थापित करती हैं. यह संसद को एक प्रभावी और जवाबदेह संस्था बनाती है जो भारत के लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है. इसके मुख्य कार्य और शक्तियां इस प्रकार हैं:
- 1. कानून बनाना: लोकसभा संविधान के अनुसार कानून बनाने के लिए जिम्मेदार है. यह संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयकों को राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद कानून का रूप देता है.
- 2. सरकार की जवाबदेही: लोकसभा सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए जिम्मेदार है. यह सरकार के कामकाज की जांच करती है, प्रश्नों और प्रस्तावों के माध्यम से नीतियों पर बहस करती है, और सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है.
- 3. धन संबंधी मामले: लोकसभा धन संबंधी मामलों पर अधिक शक्तिशाली है. यह धन विधेयक (Money Bill) को पेश करने, पारित करने और संशोधित करने का अधिकार रखती है, और यह निर्धारित करती है कि कौन सा विधेयक धन विधेयक है.
- 4. राष्ट्रपति को नियंत्रित करना: लोकसभा राष्ट्रपति को नियंत्रित करती है. विशेष रूप से कार्यपालिका की नियुक्ति और हटाना जैसे मामलों पर इसका नियंत्रण है.
- 5. अविश्वास प्रस्ताव: लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकती है, जिससे सरकार को पद से हटाया जा सकता है.
- 6. विशेषाधिकार: लोकसभा के सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, जो उन्हें सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए आवश्यक स्वतंत्रता प्रदान करते हैं.
- 7. दल बदल: लोकसभा सदस्य दल बदल के आधार पर अयोग्य ठहराए जा सकते हैं. लोकसभा अध्यक्ष इस मामले में निर्णय लेते हैं.
- मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होता है. लोकसभा के सदस्यों के माध्यम से मंत्रियों पर नियंत्रण स्थापित कर उसे उनके दायित्वों के प्रति सतर्क बनाएं रखने का कार्य लोकसभा का है.
- लोकसभा, राज्य विधानसभा के साथ मिलकर राष्ट्रपति के निर्वाचन एवं राज्यसभा के साथ मिलकर उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग लेने की शक्तियां प्राप्त है.
- लोकसभा, राज्यसभा के साथ मिलकर राष्ट्रपति तथा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव पारित करने की शक्तियां भी प्राप्त है.
- उपराष्ट्रपति की पद मुक्ति के प्रस्ताव (राज्यसभा द्वारा पारित) की जांच करती है. लोकसभा में विपक्ष के नेता को कैबिनेट स्तर का सम्मान प्राप्त होता है.
राज्यवार लोकसभा सदस्यों की संख्या

राज्य | संख्या | राज्य | संख्या |
उत्तर प्रदेश | 80 | झारखंड | 14 |
महाराष्ट्र | 48 | पंजाब | 13 |
पश्चिम बंगाल | 42 | छत्तीसगढ़ | 11 |
बिहार | 40 | हरियाणा | 10 |
तमिलनाडु | 39 | उत्तराखंड | 5 |
मध्य प्रदेश | 29 | हिमाचल प्रदेश | 4 |
कर्नाटक | 28 | अरुणाचल प्रदेश | 2 |
गुजरात | 26 | गोवा | 2 |
आंध्र प्रदेश | 25 | मणिपुर | 2 |
राजस्थान | 25 | मेघालय | 2 |
ओडिशा | 21 | त्रिपुरा | 2 |
केरल | 20 | मिजोरम | 1 |
तेलंगाना | 17 | नागालैंड | 1 |
असम | 14 | सिक्किम | 1 |
केंद्रशासित प्रदेशों मे लोकसभा सदस्यों की संख्या
केंद्रशासित प्रदेश | संख्या | केंद्रशासित प्रदेश | संख्या |
दिल्ली | 7 | चंडीगढ़ | 1 |
जम्मू और कश्मीर | 5 | लक्षयद्वीप | 1 |
दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव | 2 | पुडुचेरी | 1 |
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह | 1 | लद्दाख | 1 |
लोकसभा से जुड़े प्रमुख तथ्य
- क्षेत्रफल के अनुसार देश का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र ‘लद्दाख’ है. इसके बाद बाड़मेर, कच्छ, अरुणाचल पूर्व व पश्चिम क्रमशः सबसे बड़े क्षेत्रों मे आते है.
- क्षेत्रफल मे सबसे छोटा लोकसभा सीट, चाँदनी चौक है.
- जम्मू-कश्मीर मे 5 और लद्दाख मे एक लोकसभा क्षेत्र है. इस प्रकार इन दोनों क्षेत्रों मे कुल मिलाकर 6 लोकसभा क्षेत्र हैं.
- 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी ने मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से 11.72 लाख से अधिक मतों के भारी अंतर से जीत हासिल की.
- 1989 में अनकापल्ली सीट से सबसे कम 9 मतों के अंतर से कॉंग्रेस के उम्मीदवार कोणथाला रामकृष्ण ने रिकार्ड कायम किया. 1998 में बिहार (अब झारखंड) के राजमहल सीट से सोम मरांडी ने इस रिकार्ड को दोहराया था.