यूनान एक पहाड़ी प्रायद्वीप है, जो पूर्वी भूमध्यसागर पर स्थित है. पहाडी क्षेत्र होने के कारण यहां का एक चौथाई भाग ही कृषि योग्य है. इसका तट चारों तरफ से पहाडियों द्वारा कटा-फटा होने के कारण यहां पर कई अच्छी बन्दरगाहें स्थित होने तथा एशिया और अफ्रीका के समीप होने के कारण यहां के नागरिक बैबीलोन, एशिया माइनर और मिस्र की सभ्यताओं के सम्पर्क में आ सके.
प्रारंभिक यूनानी पशुपालक एवम् कृषक थे तथा यहां की जलवायु में अंजीर तथा अंगूर की ही कृषि संभव थी. कृषि योग्य भूमि की कमी के कारण जब जनसंख्या में वृद्धि हुई तो बहुत से लोग मछली पालन व्यवसाय तथा व्यापार से अपनी आजीविका अर्जित करने लगे और शराब का भी निर्यात किया जाने लगा.
यूनान की भौगोलिक स्थिति के कारण यहां यातायात एवम् संचार साधनों की कमी थी. इसलिए पूरा देश प्रारंभिक काल में एकजूट ना होकर छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्यों में विभक्त था और इन छोटे-छोटे प्रवेशों में ही आपसी संघर्ष होता रहा. तटीय क्षेत्रों पर स्थित होने के कारण विभिन्न प्रदेश दूसरी सभ्यताओं के सम्पर्क में आए और विचारों के आदान-प्रदान से नए विचारों का प्रतिपादन यूनान में हुआ. जैसे कि उन्होंने फ्यूनिशिया अंकमाला के अपनाया.
2000-1400 ई0पू0 तक यूनान पर मायोनियन सभ्यता का प्रभाव रहा तथा क्रीट पर इसका बहुत प्रभाव रहा. पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में इन लोगों का काफी प्रभाव था तथा अच्छे नाविक होने के कारण इनका व्यापार काला सागर से नील नदी तक तथा फ्यूनिशिया में भी होने लगा. माया सभ्यता के लोग जैतून का तेल, शहद, और शराब का निर्यात करते थे इसके बदले सोना, कीमती पत्थर, अनाज और कपड़ा अपने देश में मंगवाते थे. नौसस नामक नगर इनकी राजधानी था, जहां इनके शासक ने एक भव्य मंदिर बनवाया था.
ऐकियन सभ्यता
लगभग 2000 ई0पू0 में उतर से एकियाई जाति के लोगों ने यूनानी प्रायद्वीप पर आक्रमण कर दिया और यहां बस गए बाद में दक्षिणी यूनान को भी इन्होंने निंयत्राण में कर लिया. यहां व्यापार और विजयों से इन्होंने अपना साम्राज्य विस्तार किया. 1400 ई0पू0 में इन्होंने ऐजियन तथा नौसोस पर भी अपना अधिकार कर लिया. इनके प्रत्येक शहर में एक योद्धा शासक प्रशासन संभालता था. व्यापार तथा लूटी गई संपति से इन शासकों नें काफी धन अर्जित कर लिया था.
इन्होंने प्रत्येक शहरों में किलों का निर्माण करवाया. किलों के बाहर व्यापारी, कारीगर, शिल्पी तथा किसान छोटे-2 गांव में रहते थे और राज्य को कर देते थे.
इस सभ्यता पर माया सभ्यता का काफी प्रभाव था जो इनकी प्रत्येक वस्तु पर देखने को मिलता है.
होमर युग
यूनान के इतिहास में 1250 ई0पू0 में एशियाई लोगों ने अपने माइसीनियाई राजा के नेतृत्व में ट्राय (Troy) पर धावा बोल दिया, जो उस समय एक प्रमुख व्यापारिक शक्ति था. यहां एक लंबे संघर्ष के बाद इन्हें विजय प्राप्त् हुई. सर्वप्रथम इन युद्धों का वर्णन होमर द्वारा लिखित दो महाकाव्यों इिल्याद तथा ओडेसी में मिलता है.
इसे होमर ने 9th cen. B.C. में लिखा था. जैसा कि यूनानी विद्वान हेरोडोटस मानते है कि इलियड में एचियन या एकियन राजाओं के शासनकाल में हुई घटनाओं तथा अन्य सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व्यवस्था के बारे में ज्ञान मिलता है.
राज्य व्यवस्था
होमर काल में एकियन युग के विशाल नगर विध्वंसत हो चुके थे. इस कारण प्रत्येक राज्य गांव के समृद्ध रूप में अत्यंत आदिम संगठन के रूप में थे. इन ग्रामीण राज्यों के निवासी प्राय: अपने को एक ही पूर्वज के वंशज मानते थे. इनका एक नेता था जो सामान्यत: सबसे शक्तिशाली व्यक्ति था तथा उसे ही वे अपना राजा मानते थे. वही युद्ध में उनका नेतृत्व करता था एवम् न्यायिक जिम्मेदारियां भी उसी की थी.
इस काल में स्थाई सेना नहीं थी, आपातकाल में नगर तथा गांवों के सरदार या सांमत सेना भेजते थे. राज्य की कर व्यवस्था भी व्यवस्थित नहीं थी तथा राज्य की आय लूट के माल या भेंट पर ही आधारित थी.
इस काल में प्रशासन में राजा की सहायता के लिए दो सभांए भी थी. जिनमें एक तो सांमतो की सभा थी जिसे ब्यूल कहा जाता था दूसरी स्वतंत्र नागरिकों की सभा थी जिसे एंगोरा नाम दिया गया था. इस काल में इन संस्थाओं का संगठन काफी शिथिल था क्योंकि इनका कार्यक्षेत्र, अधिकार और कर्तव्य निश्चित नहीं थे. एक उदाहरण से हमें राज्य का शासक ओडाइसियस अपने राज्य में 20 वर्ष तक अनुपस्थित रहा.
इस काल में ना तो कोई प्रतिशासक (regeant) नियुक्त हुआ और न ही किसी सभा की मीटिंग हुई.
यूनानी सभ्यता की सामाजिक व्यवस्था
होमर काल में यूनानी सभ्यता पितृसतात्मक समाज था. पिता परिवार का सर्वेसर्वा होता था. वह परिवार के किसी व्यक्ति को आज्ञा उल्ंघन पर कठोर दण्ड भी देता था तथा परिवार की खुशियों के लिए बलि देता था. हालाँकि इस काल के प्रसिद्ध महाकाव्यों एलियड तथा ओडिसी में मुख्यत: सोंमतों के जीवन का वर्णन है. लेकिन अन्य स्रोतों से भी सामाजिक जीवन की जानकारी मिलती है, जिनसे पता चलता है कि व्यवहार में पिता या परिवार का मुखिया परिवार की खुशियो का ख्याल रखता था.
सर्वसम्मति से ही परिवारिक निर्णय लिए जाते थे. समाज में स्त्रियां भी पुरुषों के समान सार्वजनिक कार्यो में भाग लेती थी. विवाह अवसर पर पत्नी के पिता को वर पक्ष पशु देते थे तथा कन्या का पिता उन्हें कुछ धन दहेज स्वरूप प्रदान करता था. इस धन पर लड़की का अधिकार होता था.
इस काल में सुंदर स्त्रियों के लिए संघर्ष के अनेक प्रमाण मिलते हैं. कई विद्वान तो ट्राय के युद्ध का कारण भी स्पार्टा नरेश की पत्नी का ट्राय के नरेश द्वारा अपहरण को मानते है. एलियड के अनुसार एक ट्रायन राजकुमार पेरिस ने स्र्पाटा के शासक और उसके भाई ने दूसरे राज्यों की सहायता ली तथा 10 वर्षो के युद्ध के पश्चात् ट्रायन को हरा कर मार दिया तथा ट्राय को नष्ट कर दिया.
इस काल में जो वीर युद्ध में असाधारण शौर्य दिखाता था वह सामंत बन जाता था. लोग इस काल में साधारण जीवन व्यतीत करते थे. धनी वर्ग की स्त्रियां, सांमत के पास कुछ ऐसे व्यक्ति होते थे जो उसके लिए सैनिक सेवाएं ही नहीं बल्कि उसके खेतों में भी कार्य करते थे.
लोग सूती और ऊनी वस्त्र पहनते थे तथा एक वस्त्र शरीर के निचले हिस्से पर लपेटते थे. एक अन्य शरीर के ऊपरी भाग पर ओढ़ते थे. लोग घरों में साधारणत: नंगे पांव रहते थे. परन्तु बाहर जाने पर जूते पहनते थे. पुरूष और स्त्रियां दोनों ही केश रखते थे तथा ढाढ़ी मूंछे रखने की परम्परा भी थी.
यूनानी सभ्यता की आर्थिक व्यवस्था
लोगों को मुख्य व्यवसाय खेती था. वे गेहूँ, कपास, तिलहन, जौतून, अंजीर और अंगूर इत्यादि की खेती करते थे. कृषि के अतिरिक्त पशुपालन भी उनकी आजीविका का एक अन्य साधन था. इसके अतिरिक्त गाडियों का निर्माण करने वाले बढई, स्वर्णकार, लुहार अपने कार्यों में दक्ष थे. मिट्टी के बर्तन बनाने में कुम्भकार दक्ष थे तथा इसके बर्तन दूर-दूर के प्रदेशों में निर्यात किए जाते थे. इसके अतिरिक्त अन्य विकसित उद्योग-धन्धों के कारीगर भी थे.
यद्यपि से इतने दक्ष नही थे, क्योंकि सामान्यत: प्रत्येक परिवार अपने वस्त्र और औजार स्वयं ही बनाता था. वस्तुओं को खरीदने और बेचने के लिए विनिमय प्रणाली अस्तित्व मे थी.
यूनानी सभ्यता में धर्म
इस काल में यूनानियों ने अंधिकांशत: प्राकृतिक शक्तियों का दैवीकरण कर लिया था. इन्हें मनुष्यों के ही समान अपने क्रिया कलाप करते दर्शाया गया है. लेकिन अन्तर केवल इतना था कि देवता अमृत पान करने के कारण अमर थे. इनके देवताओं का निवास स्थल ओलम्पस पर्वत था. जियस प्रमुख देवता था, जो आकाश देव भी था. सूर्य देव अपोलो इनके युद्ध का देव, एथेना विजय की देवी थी. इनके अलावा भी कई अन्य देवी-देवता थे, जिनमें हेडिज नाम परलोक का देवता थी था.
अन्धकार युग :- (1100.750 ई0पू0)
ट्राय युद्ध की समाप्ती के बाद एकीयन सभ्यता को उस समय आघात पहुंचा जब डोरियन आक्रमणकारियों ने यूनान पर आक्रमण कर दिया. ये लोग लोहे के अस्त्रा-शास्त्रों का प्रयोग करते थे. इन लोगों ने सभी नगरों को ध्वसंत कर दिया तथा व्यापार में बाधा डाली. जिसके कारण कलात्मक विशेषता और लेखन कला समाप्त हो गई.
परन्तु कुछ यूनानी इन डोरियन आक्रमणों के कारण एशिया माइनर के पश्चिमी किनारे पर जा बसे तथा वहां उन्होंने एकीयन सभ्यता और आंडिसी की रचना की, उस समय वह एशिया माइनर में ही रहता था. इस अंधकारमय युग में एशिया माइनर में ये व्यापार से काफी समृद्धशाली हो गए तथा उन्होंने फ्यूनिशियाई लेखन कला को अपना लिया.
कुछ यूनानी दार्शनिकों ने परम्परागत विचारों को तर्क पर रखना शुरू किया. इसी कारण यूनान में तर्क-विर्तक से दर्शन, इतिहास और विज्ञान में बाद के काल में काफी प्रगति हुई.
यूनानी नगर-राज्य
अन्धकार युग मेंं अनेक युद्धों के कारण यूनानी दूर स्थित छोटे-छोटे गांवों में रहने लगे थे. क्योंकि अनेक युद्धों के कारण उनके नगरों का अंत हो गया था. इस काल को इसलिए अंधकार युग कहते है क्योंकि इस काल के बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं है. 700 ई0पू0 के आसपास पुन: यहां बाहरी प्रभाव के कारण पुनरूत्थान की शुरूआत हुई.
750-500 ई0पू0 के बीच के काल को Archaic काल कहा जाता है. इस प्रारंभ युग में यूनान में कुछ समृद्ध गांव तथा शहर बसने शुरू हुए जिन्हें Polis (पोलिस) कहा जाता था. ये नगर राज्य एक स्वतंत्र इकाई हुआ करते थे तथा सामान्यत: नगर राज्य पहाड़ पर एक किलाबंद केन्द्र होते थे जिन्हें Acropolis कहा जाता था.
यूनान और उतर-पश्चिम में इन्हें पोलिस नही बल्कि Ethnos था जैसे कि Phocis तथा Actoia इत्यादि. इस काल में लोगों का जीवन इन्ही Acropolis के आसपास केन्द्रित था. युद्ध के समय, अपने शहर की सुरक्षा, शांति के समय, अपने कार्यो पर विचार-विमर्श करने तथा अपने देवताओं की पूजा अर्चना करने के लिए यहीं पर एकित्रात होते थे.
प्रांरभिक प्राग काल में नगर राज्य (Polis) में समाज कृषि प्रधान था और राजनैतिक व्यवस्था काफी शिथिल थी. प्रत्येक शहर के आसपास के कुछ गांव इस प्रकार नगर राज्यों में होते थे जहां कृषि की जाती थी. प्रत्येक नगर राज्य के गांव की संख्या निश्चित नही होती थी जहां कृषि की जाती थी. स्पार्टा में इनकी संख्या प्रारंभ में 5 थी. प्रत्येक नगर में बड़े अमीर जमींदार, छोटे किसान, भूमिहीन कृषक या मजदूर और शिल्पी इत्यादि थे. कुछ स्थानों पर सर्फ भी थे.
समाज की प्रांरभिक इकाई परिवार थी परिवार में खून के रिश्तों से जुड़े लोगों के अतिरिक्त उन पर आश्रित भी अनेक लोग होते थे. जिन्हें ये परिवार सुरक्षा प्रदान करते थे इसके बदले में ये आश्रित इनके खेतों में काम करते थे तथा सभाओं में इन्हें सहयोग देते थे. इस काल में समाज का विभाजन रेखीय था. आपसी संघर्ष वर्गो के बजाय समूहों में होते थे. प्रत्येक समूह का नेतृत्व एक या कुछ प्रभावशाली परिवार करते थे. बाद में इनके संबध वंशानुगत भी हो गए. जिन्हें genos (जीनोज) या Clan (क्लैन) भी कहा जाने लगा इन जीनोज तथा उनके सम्बद्ध आश्रितों से (Phratry) फ्रैट्री बनती थी.
प्रत्येक नगर राज्य के नागरिक वंशानुगत वर्गो में बंटे हुए थे जिन्हें Phylai (फाललाई) कहा जाता था. इसे रोमन एक कबीले या Tribe का नाम देते थे. डोरियन नगर राज्य में तीन कबीले थे जबकि अन्य आयोनियाई नगर राज्यों में यह इतने संगठित नही थे.
राजनैतिक संगठन
प्रांरभिक नगर राज्यों में हमें तीन राजनैतिक संस्थाओं के प्रमाण मिलते है जिनका उद्भव स्थानांतरण के कारण हुआ. इन तीन प्रमुख संस्थाओं में राजा, काउंसिल तथा सभी पुरुष नागरिकों की एक असैम्बली होती थी. जब यूनान में स्थानांतरण हुआ तब प्रत्येक कबीले को एक युद्ध का नायक चाहिए था जो कालान्तर में पैतृक या वंशानुगत हो कर राजा में परिवर्तित हो गया, जब इन लोगों ने स्थाई निवास किया.
जब राजा को कभी किसी कार्य, युद्ध इत्यादि के लिए किसी की आवश्यकता होती तो वह अपने विभिन्न समूहों के नेताओं की बैठक बुलाता तथा परामर्श करता, इससे काउंसल का प्रारंभ हुआ. अपने इस निर्णय को वह सभी वयस्क पुरुषों के समूह में घोषित करता तथा उन्हें कूच करने की आज्ञा देता. इससे असैम्बली का प्रांरभ हुआ.
राजा
इस प्रकार की राजनैतिक व्यवस्था में राजा का पद काउंसिल पर अधिक आश्रित था. क्योंकि यदि राजा Minor हुआ या उसका उतराधिकार का झगड़ा हुआ तो कान्सिल की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो जाती थी. कुछ नगर राज्यों में तो राजा के साथ सहयोग के लिए विभिन्न अधिकारियों की नियुक्ति भी की जाने लगी. सामान्यत: इनकी नियुक्ति प्रति वर्ष चुनाव द्वारा होती थी. ऐयन्स तथा कई अन्य नगर राज्यों में तो राजा का पद भी चुनाव द्वारा प्रतिवर्ष के लिए होता था.
काउंसिल
काउंसिल में विभिन्न कबीलों अथवा नगर राज्यों के मुखिया हुआ करते थे. प्रारम्भ में काऊंसिल एक परामर्श कारी ईकाई थी. राजा जिसमें युद्धों के दौरान विचार विर्मश करता था. कालान्तर में राजा की शक्तियाँ कम होने के कारण यह शक्तिशाली हो गए तथा विभिन्न समूहों के नेताओं की आपसी राजनैतिक रंजिश का एक मुख्य केन्द्र बन गई.
असैम्बली
नगर राज्य के सभी नागरिक इसके सदस्य होते थे. सामान्यत: इनका कार्य काऊंसिल तथा राजा के फैसलों को स्वीकृति देना होता था. इसके अलावा राजा युद्धों के दौरान अपने काऊंसिल के सदस्यों से विचार विमर्श कर असैम्बली में युद्ध की घोषणा करता था. राज्य के सभी नागरिकों को युद्ध में हिस्सा लेने के निर्देश दिए जाते थे. जिसे वे ध्वनि या शोर कर अनुमोदित करते थे.
इस काल में यूनानी नगर राज्यों के पूर्व की संस्कृतियों से सम्पर्क हाने के कारण अनेक सामाजिक बदलाव आए जैसे इन लोगों ने फ्यूनीशिया से उनकी अक्षर माला ग्रहण की. इस काल में प्राकृतिक डिजाइनों वाले नए प्रकार के मृदभांड मिलने शुरू हुए.
सैनिक साजों सामान में भी यह काल उन्नत साबित हुआ. इस सभ्यता ने योद्धाओं को ठाल, तलवार, भाले, हेलमेट, बाजु, धाती का सुरक्षा कवच इत्यादि से परिचित करवाया. इस प्रकार इनकी युद्ध प्रणाली में भी परिवर्तन आया. पहले सैनिक एक व्यक्तिगत योद्धा की भांति लडते थे. लेकिन अब वे एक संगठित सेना की भांति लड़ने लगे.
तानाशाह काल
सैनिक गतिविधियों में हुए परिवर्तनों का इस काल के समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ा. पहले नगर के प्रत्येक नागरिक (कृषक या अन्य) को सैनिक गतिविधियों में हिस्सा लेना पडता था. लेकिन अब यह कार्य केवल कुछ रांजतत्रात्मकों के हिस्से में आ गया. इस कारण समाज में सैनिकों की प्रतिष्ठा बढ़ गई.
नए प्रकार की सेना और युद्ध प्रणाली से सेना में अनुशासन आ गया. इससे राज्य की प्रभुता का विकास हुआ. इस कारण तानाशाही शासन व्यवस्था का प्रारंभ हुआ. क्योंकि नई युद्ध व्यवस्था में युद्ध के रथ जिन पर नोबेल सवार होकर विजयी हुई, निर्णायक सिद्ध हुआ.
इस काल में अनेक छोटे कृषक कर्ज के बोझ के कारण दास बन गए तथा जनसंख्या में हुई वृद्धि के कारण भूमि के लिए संघर्ष बढ़ गया. फ्यूनिशियन के सम्पर्क के कारण यूनान में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ी और समाज में मध्यम वर्ग अस्तित्व में आया. ये व्यापारी वर्ग, पस्तकार विभिन्न प्रदेशों में जाने लगे और इन्होंने बाहरी विचारों के सम्र्पक के कारण निम्नवर्ग के साथ मिलकर कुलीनतंत्रा का विरोध किया.
इस वर्ग संघर्ष के कारण अवसरवादी नेताओं ने शस्त्र बल के आधार पर राजसत्ता पर अधिकार कर लिया. इन्हें टायरेण्टस या तानाशाह कहा जाता था. सत्ता में बने रहने के लिए इन्होंने सार्वजनिक कार्यो जैसे मन्दिरों, सुरक्षा प्राचीरों, किले इत्यादि तथा निम्न वर्ग को नौकरियां दे दी.
कुछ तानाशाहों ने कला को भी प्रोत्साहन दिया जिस कारण कुछ नगर राज्यों में सांस्कृतिक तथा आर्थिक उन्नति भी हुई. लेकिन धीरे-2 ये तानाशाह अत्याचारी हो गए इसलिए अंग्रेजी शब्द टायरेनी इन्हीं टायरैन्टस के कारण बना. लेकिन आर्थिक उन्नति के कारण बाहरी सम्र्पकों के कारण यहां के नागरिकों में राजनैतिक चेतना बढ़ी और छठी शाताब्दी ई0पू0 में कुछ यूनानी नगर राज्यों में लोकतंत्र की स्थापना हुई.
यद्यपि कई नगर राज्यों में नागरिकों द्वारा सरकार चलाने की प्रथा प्रारंभ हो गई. सर्वप्रथम यह एथेन्जस में शुरू हुई.
समस्त यूनान में धीरे-धीरे दो प्रकार की शासन प्रणालियां प्रारंभ हो गई. जिस कारण पूरा यूनान विश्व के दो खभों में बंट गया. प्रथम प्रणाली के तहत लोगों द्वारा शासन चलाया जाता था जो एंथेस में विद्यमान थी.
दूसरी ओर स्पार्टा और उसके सहयोगी नगर राज्यों में जहाँ सरकार सेना की, सेना द्वारा और सेना के लिए ही थी, ऐंथेस मे जहाँ लोकतंत्र के कारण व्यापार, कला और साहित्य का विकास हुआ. वहीं दूसरी और स्पार्टा में यह विकास नहीं हो पाया सैनिक गतिविधियों के कारण.
हालाँकि इन्होंने बहुत बहादुर सेना और सेनानायक स्पार्टा को दिए तथा जब भी कोई बाहरी शक्ति यूनान पर आक्रमण करती तो उसे स्र्पाटा की सेना की मदद लेनी पड़ती थी.
एथेन्स नगर राज्य
एथेन्स एट्टिका प्रदेश का एक महत्वपूर्ण नगर था. यह उन कुछ प्रमुख यूनानी नगरों में से है जहां पर कोरस काल में ही विकास हुआ तथा उसके बाद प्राग जामितिय तथा जामितिय काल में भी एक समृद्ध नगर था. एट्टिका क्षेत्र में बहुत से मैदान पहाड़ों द्वारा अलग किए है. इनके मध्य मैदान में एथेन्स स्थित है तथा साथ ही समृद्धशाली क्षेत्र फलेरोन की खाड़ी भी इसी में शामिल थी. पश्चिम में थरीया (Thria) का मैदान तथा पूर्वी एटिका में Brauron और मैराथन इत्यादि नगर थे.
पूरे एट्टिका के एकीकरण के प्रथम चरण में समस्त क्षेत्र में तीन-चार शक्तिशाली नगर राज्य थे. दूसरे चरण में एथेन्स ने इन सभी 12 राज्यों को मिलाकर एक नगर राज्य का गठन किया. इस कारण वह यूनान का एक प्रमुख नगर बन गया.
इस संगठित राज्य की मुख्य राजनैतिक संस्था नौ अर्कन अथवा सरंक्षकों की एक सभा थी. ये सभी नौ अर्कन 487 तक असैम्बली द्वारा एक वर्ष के लिए चुने जाते थे. एथेंस में पहले राजतंत्रा तथा राजा होता था और यहां का अन्तिम ज्ञात राजा कोड्रस था. राजा की यह पदवी नौ में से किसी एक आर्कन को दी जाती थी.
इसके अतिरिक्त एक सार्वजनिक असैम्बली होती थी जो आर्कनों का चुनाव करती थी और उसकी के प्रति उतरदायी होते थे. कांऊसिल का नाम Council of the Arepagus कांऊसिल ऑफ दी एरियोपेगस था, क्योंकि इसकी बैठकें एक्रोपोलिस (गढ़ी) पर हुआ करती थी. जिन्होंने 9 आर्कनो की कांऊसिल की सदस्यता प्राप्त की थी वे सभी इसके सदस्य होते थे. प्रारंभ में कांऊसिल का कार्य राजाओं को परामर्श देना था.
एंथेन्स के लेखकों का मत है कि चौथी-पांचवी सदी ई0पू0 में यह काफी शक्तिशाली संस्था के रूप में स्थापित थी. लेकिन इसके कार्यक्षेत्र और शक्तियों के बारे में विस्तृत जानकारी नही देते. इस काल में आर्कर्नो की कम से कम आयु 30 वर्ष होती थी तथा वे एक वर्ष के लिए पदों पर नियुक्त किए जाते थे.
पद से मुक्त होने के बाद वे कांउसलर हो जाते थे. जहां वे अपने अनुभव के आधार पर कार्य करते थे. जहां वे अपन अनुभव के आधार पर कार्य करते थे. यह सभा आर्कनों पर अंकुश रखती थी. हत्या तथा विद्रोह जैसे गंभीर मामलों पर विचार-विर्मश यहीं किया जाता था. इसका कार्य अनुशासनहीन नागरिकों को दण्ड़ देना भी था.
इस काल में एंथेस के कानून लिखित नही थे, इसलिए न्याय व्यवस्था पर सांमतो का अधिकार होने के कारण निर्धन कृषकों पर अधिक अत्याचार किए जाने लगे. इस काल में यूनान में जैतून और अंगूर की खेती प्रारंभ हो गई थी, इनकी खेती करने वाले काफी समृद्ध हो गए थे और आम किसानों की स्थिति दयनीय हो गई थी ये ऋणों पर निर्भर रहने लगे थे. इसे अदा ना करने की स्थिति में ये अपनी जमीनें गिरवी रख कर कृषक दास (serf) बन गए.
परन्तु इस संगठित नगर-राज्य सर्वप्रथम 632 ई0पू0 में साइलोन (cylon) के विद्रोह का सामना करना पड़ा. इसने असंतोष की स्थिति का लाभ उठाते हुए एंथेस पर अपनी निरंकुशता स्थापित करने की चेष्टा की. इसने औलम्पिक समारोह के दौरान गद्दी पर अधिकार कर लिया. परन्तु नगर के नागरिकों ने उसे घेरकर नौ आर्कनों को साइलोन के विरूद्ध विद्रोह का नेतृत्व सौंपा. साइलोन यहां से भाग निकला लेकिन इसके साथियों ने आर्कनों से समझौता कर लिया लेकिन बाद में इन्हें मार दिया गया.
621 ई0पू0 में यहां Draco (ड्रेकों) ने कानूनों को लिखित रूप प्रदान किया. बाद में उसके इन कानूनों को (सिवास मानव हत्या कानूनों के) Solon (सोलोन) ने समाप्त करके नए तरीके से कानूनों का संग्रह किया. इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति अनजाने में कोई हत्या करता है तो उसके मुकदमें की सुनवाई Cout of fity one या Elphetai (एफेताई) द्वारा की जाए.
मृतक के रिश्तेतार दोषी को माफी भी दे सकते थे. अन्यथा राज्य से उसे बाहर निकाल दिया जाता था. इस प्रकार चर्तुथ-पांचवी शताब्दी तक न्यायालय तथा एक अन्र्तराष्ट्रीय न्यायालय Areopagite स्थापित किया गया. जहां अपराधी को हर्जाना देना पड़ता था. परन्तु अन्यायपूर्ण तथा निष्ठुर कानूनों को लिखित रूप देने मात्रा से राज्य का आर्थिक संकट दूर नहीं हुआ. इसलिए राज्य में विद्राहे होने लगे तो 594 ई0पू0 में सोलोन को (जो 9 आर्कनों में से एक था. कानूनों में सुधार करने का अधिकार दिय गया.
सोलन के सुधार
ऐटिका प्रदेश के कृषको और श्रमिकों की स्थिति अत्यंत शोचनीय थी. उनके पास भूमि नही थी. खेतों की उपज का 1/6 भाग उन्हें मजदूरी के तौर पर मिलता था. इससे उनका निर्वाह काफी कठिन था अत:, उन्हें ऋण लेना पड़ता था. संपति के अभाव में उन्हें अपना शरीर भी बेधक रखना पड़ता था.
ऋण अदा ना कर पाने पर इन्हे दास भी बनना पड़ता था. नगर में इनकी संख्या बढ़ती जा रही थी. परिणामस्वरूप धनी वर्ग ज्यादा अमीर तथा निम्न वर्ग ज्यादा गरीब हो रहा था. इसलिए नागरिक ने विद्रोह करने शुरू कर दिए. नगर की स्थिति सुधारने के लिए solon को नियुक्त किया गया और इसे कानूनों में सुधार के लिए असाधारण अधिकार दिए गए.
आर्थिक और सामाजिक सुधार
सोलन ने आर्कन का पद संभालते ही पहली घोषणा द्वारा ऋण लेने वालों को मुक्त कर दिया. वे गुलाम जो कर्ज अदा नही कर पाने के कारण इस दशा में थे, स्वतंत्र कर दिए गए. इसके अलावा सोलन ने कानूनों में सुधार किया कि कोई भी व्यक्ति ऋण अदा ना कर पाने के कारण गुलाम नहीं बनाया जा सकता था.
इसके पहले आर्कन पद पर आते ही घोषणा करते थे कि वह सभी संपति की रक्षा करेगें. परन्तु सोलन ने इस परम्परा के विरूद्ध एंथेस की जनता को एक संदेश दिश जिससे उनके दुख दूर हुए. उस द्वारा किए ऋण संबधी सुधारों ने तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था में क्रांतिकानरी परिवर्तन किए.
इसी कारण इसके इन सुधारों को यूनान की ही नही बल्कि विश्व की महान घटना मानते है. मनुष्स की मर्यादा को समझने की यह पहली कोशिश थी.
भूमि सबंधी सुधार
इसके पश्चात् सोलन ने भूमि-संबधी कानूनों में भी सुधार किया. इसने एक सीमा निश्चित कर दी, जिससे किसी के पास अधिक भूमि नही हो सकती थी. उसने यह संशोधन इसलिए किया कि एक व्यक्ति के पास ज्यादा भूमि ना हो. इसने एटिका में उत्पादित वस्तुओं का निर्यात कानून द्वारा बंद कर दिया. जिस कारण यहां वस्तुएं सस्ती हो गई और नागरिकों को इससे लाभ हुआ.
इसने ऋण अदा ना कर पाने वालों की आधी जमीन उन्हें वापिस लौटा दी और उन्हें स्वतंत्र कर दिया. इस तरह चिन्ह हटाकर बंध रखे भूखण्ड स्वतंत्र कर दिए गए. इसने 1/6 भाग उपज का कर के रूप में देने पर भी रोक लगा दी. इस प्रकार अमीरों पर रोक लगा दी .
सोलन के इन सुधारों को Seisachtheria या बोझ उतार फैंकना कहा जाता है. सोलन ने मध्यमवर्ग के व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए और देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए नाप-तौल प्रणाली, मुद्रा प्रणाली में भी सुधार किए. आयोनिया के सिक्कों के आदर्श पर नए सिक्कें प्रचलित किए जिससे व्यापार वाणिज्य में उन्नति हुई .
इसने शिक्षा प्रणाली में भी सुधार किए. इसने घोषणा की कि वे पिता, जिन्होंने अपने पुत्रों की शिक्षा का उचित प्रबंध नही किया, बुढापें में अपने पुत्रों से सहायता प्राप्त करने के अधिकारी नहीं है. लड़कों को शारिरिक व्यायाम, संगीत एवम् कविता की शिक्षा अवश्व मिलनी चाहिए. जिससे उनका मानसिक और शारिरिक विकास हो सके. उसने यह भी कानून बनाया कि जो नागरिक राजनैतिक कार्यो में सक्रिय भाग नही लेते उन्हें दण्ड दिया जाएगा.
इसने विदेशी मूल के दस्तकारों को तथा उनके परिवारों को एंथेस की नागरिकता प्रदान कर उन्हें यहां बसने के लिए प्रोत्साहित किया. लौरियम में चांदी की खानों से खनन प्रारंभ कर देश की आर्थिक स्थिति में सुधार किया.
सोलन ने समाज को चार वर्गो में विभाजित किया प्रथम वर्ग, जिसे Pentakosiomedimnoi (पेन्टाकोसिओयडिम्नोई) कहा गया इसमें वे लोग थे जिनकी आय 500 बुशल से अधिक थी. दूसरा वर्ग, Hippeis (हिप्पेइस) जिनकी आय 300 बुशल, तीसरा वर्ग Zeugitai जेऊगितेई जिनकी आय 200 बुशल, चौथा वर्ग Thites (थीतेस) जिसकी आय इससे कम हो.
वर्गो के आधार पर ही राजनैतिक पद दिए जाते थे. प्रथम दो वर्गो से ही आर्कन चुने जाते थे. जबकि चौथे वर्ग को केवल असैम्बली की सदस्यता मिलती थी.
प्रशासनिक सुधार
यह अपने सामाजिक सुधारों की अपेक्षा संवैधानिक सुधारों के लिए अधिक प्रसिद्ध है इसने प्रशासनिक सुधारों में शासन समितियों का पुनर्गठन किया इसने एरियोपैगस संस्था, जिसमें उच्चवर्ग के ही सदस्य होते थे. लेकिन अब इसमें कुलीन वर्ग ही नही बल्कि कोई भी नागरिक आर्कन हो सकता था तथा अवकाश प्राप्त आर्कन इसके सदस्य होते थे. उसने इसके अधिकारों में कमी कर दी. इसके अधिकारों को कम करने के बाद इसे नई संस्था का निर्माण करना पडा.
इसलिए नई कांउसिल का निर्माण किया गया जिसके 400 सदस्य होते थे. इन संस्था के सदस्य प्रत्येक वर्ग के लोग निर्वाचित थे. केवल थीट्स इसके सदस्य नही हो सकते थे. असैम्बली में आने वाले सार्वजनिक विषयों पर विचार इस सभा पहले ही हो जाया करता था. इसका नाम ‘बौल’ भी था.
सोलन ने सार्वजनिक कचहरियों और न्यायलयों का भी निर्माण किया. न्यायालयों का निर्माण उसका सर्वाधिक क्रांतिकारी सुधार था, जो एंथेंस, के गणतांत्रिक शासन की आधारशिला बन गया. कचहरियों को ‘हीलिया’ कहा जाता था. मजिस्ट्रटों का चुनाव जनता की सभा में होता था.
पिसिस्ट्रेटर्स का स्वेच्छाचारी शासन
सोलन के सुधारों के बावजूद भी समाज में विरोधाभास जारी रही. इसके सुधारो से किसी भी वर्ग को पूर्णत: संतोष नही हुआ था. विशेषतौर पर धनी, कुलीनवर्ग, उच्चकुलतंत्रा पुन: अधिकार चाहता था क्योंकि सोलन ने इनके अधिकारों में कमी कर दी थी. इस परिस्थिति से लाभ उठाकर पिसिस्ट्रेटस नामक व्यक्ति ने एथेंस में स्वेच्छाचारी शासन की स्थापना की. यह भी एक कुलीन था, पर यह उदार था. इसने अपने काल में राज्य का विकास करने की कोशिश की.
क्लैस्थनीज के सुधार
पिसिस्ट्रेटस के स्वेच्छाचारी शासन के बाद एथेंंस गणतंत्र का कार्य क्लैस्थनीज के हाथों में आ गया कई ऐसी घटनाएं हुई जिससे तानाशाही का अंत हो गया था और क्लैस्थनीज ने 500 ई0पू0 में सुधारों के नए दौर की शुरूआत की. सोलन द्वारा निर्मित संस्थांए इस काल में सुचारू रूप से कार्य नही कर रही थी इसका कारण था कि एटिका प्रदेश में बसने वाले कुलों (Tribe) की शक्ति बढ़ गई थी और इन विभिन्न कुलों के आपसी झगड़े ही समस्या थे.
राज्य को गरीब वर्ग से उतना खतरा नही था जितना इन कुलों से. क्लैस्थनीज ने इन कुलों को भंग करने का प्रयत्न किया और नए आधार पर जनता का विभाजन करना चाहा. इसने 10 नए कुलों का निर्माण किया, जिनका आधार भौगोलिक था.
अत: अब एक कुल (Tribe) के लोग कई नए कुलों में बंट गए जो एटिका के चारों तरफ फैले हुए थे.
ब्यूल का पुर्नगठन
इसके बाद बौल (ब्युल) या 400 की कांउसिल का पुर्नगठन किया गया, इसके अधिकारों में वृद्धि की गई. यह कांउसिल राज्य की सबसे शक्तिशाली शासन की संस्था बन गई. आर्कन और मजिस्ट्रेटों को इस संस्था के प्रति उतरदायी रहना पड़ता था. राज्य के सभी वितिय अधिकार इसी के हाथों में थे. वैदेशिक नीति का संचालन भी यहीं कांउसिल करती थी, इसमें नए कानून बनाने का भी कार्य होता था.
इसने सेना में भी सुधार किए. सेना की अध्यक्षता के लिए प्रत्येक कुल से, एक-एक सेना पति लिए जाने लगे. प्रधान सेनापति पोलमार्क होता था. इसी की अध्यक्षता में, ये दसों सेनापति काम करते थे. क्लैस्थनीज के बाद यह पद अत्यंत महत्वपूर्ण होता गया. ये दासों सेनापति एंथेस गणतंत्रा के उच्चतम पदाधिकारी माने जाने लगे.
क्लैस्थनीज के सुधार अधिक स्थायी सिद्ध हुए. इन सुधारों के कारण ही इसे एंथेस गणतंत्र का द्वितीय संस्थापक माना जाता है. सुधारो के कारण जनता में एकता की भावना आई उसने गणतांत्रिक संविधान को अधिक मजबूती प्रदान की.
यूनान तथा फारस (ईरान) संघर्ष
छठी शताब्दी ई0पू0 के यूनानी इतिहास की महत्वपूर्ण घटना फारस के साथ यूनानी संघर्ष हैं इसका मूल कारण फारसी साम्राज्य की विस्तारवादी नीति था. एशिया माइनर के पश्चिमी प्रदेशों पर प्रथम विजय प्राप्त करने का क्षेय फारस के हरवामनी वंश के सम्राट साइरस को हैं साइरस ने 558-29 ई0पू0) बैक्ट्रिया और काबूल से पश्चिम तक लीडिया तथा एशिया माइनर के यूनानी उपनिवेशों को जीत लिया और अपने साम्राज्य में मिला लिया.
यहां अपने (satrap) क्षत्रप को सार्डिस में स्थित कर इन जीते हुए प्रांतों का प्रशासन सौंप दिया. परन्तु फारसी शासन के अन्र्तगत ये राज्य स्वायत रहे तथा 50 वर्ष तक इसी प्रकार का शासन चलता रहा. परन्तु इन आयोनियन यूनानियों को अन्य यूनानी राज्यों से सहायता मिलती रहती थी.
इसी बीच 506 ई0पू0 में एंथेंस के पूर्व टायरेण्ट हिप्पियास ने एथेंस से निष्काशित होने पर सार्डिस में शरण ली थी.
499 ई0पू0 जब यूनानी नगर राज्य Miletus (मिलीटुस) ने विद्रोह कर दिया तब यूनान पर फारसी आक्रमण हो गया. मिलीटुस ने एशिया माइनर के यूनानी नगर राज्यों का नेतृत्व कर शक्तिशाली फारसी साम्राज्य का सामना किया. फिर उन्होंने यूनान से सहायता मांगी तो एथेंस ने 20 तथा एरिट्रिया ने 5 युद्ध पोत भेजे.
परन्तु युद्ध में पहले तो वे सार्डिस को हराने में सफल हो गए परन्तु 493 ई0पू0 में उन्हें पराजय का सामना करना पडा. फारसियों ने मिलीटुस को पूर्णत: विध्वंस्त कर दिया इसी बीच थ्रंस और मेसीडान स्वतंत्र हो गए इस पर डेरियस इतना क्रुद्ध हुआ कि उसने यूनानियों से बदला लेने की ठानी.
हेरोडोटस के अनुसार एथेंस की इस कार्यवाही से वह इतना क्षुब्ध हो गया कि उसने अपने एक नौकर को आदेश दिया कि वह रोज उसके सामने “मालिक, एथेंस वालों को स्मरण रखें” दोहराए.
मैराथन का युद्ध
डेरियस ने 490 ई0पू0 मेंं एचियन समुद्र पार कर यूनानियों को सबक सिखाने के लिए एक विशल जलबेडा और स्थल सेना भेजी. सर्वप्रथम उसने थ्रेस, थेसोस तथा मेसीडोस को दोबारा जीता तब उसने सभी यूनानी नगर राज्यो को उसकी अधीनता स्वीकारने का संदेश भेजा, जब फारसी सेना मैराथन पहुंची तो एंथेंस ने दूसरे नगर राज्यों से मदद मांगी.
थीब्ज, आर्गोज तथा ईजिना ने तटस्थ रहना उचित समझा. स्पार्टा की सेनांए भी समय पर नहीं पहुंच सकी परन्तु प्लेटाई ने 1000 सैनिक भेज दिए. एंथेंस के सैनिकों ने अपने से कई गुणा सेना का मुकाबला मिल्टियाडिज के नेतृत्व में किया तथा निर्णायक रूप से विजय प्राप्त की.
हेरोडोटस लिखता है कि फारस की सेना के 6400 सैनिक तथा एंथेस के कुल 192 सैनिक मरे. लेकिन यह सत्य प्रतीत नही होता. एक जनश्रुति के अनुसार एथेंस की सेना के एक धावक को इस विजय की सूचना देने को कहा गया तो उसने 42 किलोमीटर की यह दूरी दौड़ कर पूरी की और एथेंस में यह सूचना दी “खुशी मनाओं हम जीत गए” और थकान के कारण वही उसकी मृत्यु हो गई. आज भी एथलेटिकस में सबसे लंबी दौड़ का नाम मैराथन है.
एथेंस वासी मैराथन की विजय को अपने इतिहास की एक स्वर्णिम घड़ी मानते है. तथा उन्होंने अपने वीरगति प्राप्त योद्धाओं के नाम एथेंस के केन्द्रिय बाजार में एक पत्थर का स्मारक स्थापित किया. एथेंस के नेता थीमीस्टोक्लेज ने असैम्बली को एक बड़ा समुद्री बेड़ा बनाने के लिए राजी किया. जिससे फारस का मुकाबला किया जा सके साथ ही व्यापार में भी उसका प्रयोग किया जा सके.
डेरियस की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जरजीडा (xerxes) गद्दी पर बैठा और उसने एंथेस से बदला लेने के लिए एक बड़ी सेना और नौ सेना का गठन किया. ऐसा कहा जाता है कि इससे पूर्व इतनी विशाल सेना जिसमें 26 लाख, 31 हजार सैनिक, इतनी संख्या में इंजीनियर, व्यापारी, सेवक और वैश्याएं थी. भिन्न-2 प्रदेशों से इसमें सैनिक शामिल थे.
यूनान में अपनी सेना उतारकर जरजीज ने यूनानी नगर राज्यों को आत्मसम्पर्ण करने को कहा. काफी यूनानी राज्यों ने डर के कारण आत्मसम्र्पण कर दिया. परन्तु एथेंस ने 481 ई0पू0 में फारस का प्रतिरोध करने के लिए स्पार्टा में अपने सहयोगी राज्यों की सभा कौरींथ मेंं बुलाई. यूनानी राज्यों ने स्पार्टा के नेतृत्व में लडाई करने की योजना बनाई.
जब 480 ई0पू0 में इरानी/फारसी यूनान में पहुंचे तो स्पार्टा से एक छोटी टुकड़ी Leonides के नेतृत्व में थर्मोपाइली दर्रे पर विशाल इरानी सेना को रोकने पहुंची. इस सेना में 10,000 सैनिक थे, जिन्होंने लाखों की संख्या वाली फारसी सेना का मुकाबला किया. हेरोडोटस के अनुसार इस युद्ध में स्पार्टा के सैनिक इतनी वीरता से लड़े लेकिन लडाई में उनका जनरल मारा गया इसके बाद इन्होंने फारसी सेना को 4 बार पीछे धकेला.
10 हजार सैनिकों में से केवल 2 ही जीवित बचे, इनमे से एक ने बाद में आत्महत्या कर ली. थर्मोपाइली की सम्मानजनक पराजय से यूनानियों की प्रतिष्ठा बढ़ गई. स्थल युद्ध के समान यूनानी आर्तेमिजयम के समुद्री युद्ध में सफलता हासिल नही कर सके. फारसी सेना आगे बढ़ती रही और एथेंस वासियों को अपने शहर खाली करने पड़े तथा उन्होंने Salamis (सलामीज) के द्वीप में शरण ली.
फारसी सेना ने एंथेस शहर को नष्ट करके जला दिया, घरों को लूट लिया तथा गढ़ी पर बने मंदिरो को ध्वस्त कर दिया. इसी समय एक सोची समझी चाल के अनुसार Themistocles (थेमिस्टोक्लेज) ने फारसी समुद्री बेड़े को सलामीज के छिछले पानी मेंं युद्ध मे उलझा दिया. जरजीस को आसान विजय की उम्मीद थी लेकिन उसके बड़े युद्ध पोत पानी में उलझ गए तथ एथेंस सेना के छोटे युद्ध पोतों ने फारसी सेना को नष्ट कर दिया.
युद्ध में हारे, जरजीस को एशिया माइनर जाना पड़ा. अगले वर्ष यूनानियों ने उनके बचे हुए सैनिको को प्लाटिया (Plataea) के युद्ध में हरा दिया. इस निर्णायक युद्ध के बाद कभी भी फारसी सेना ने यूनानी क्षेत्रों पर आक्रमण नही किया यद्यपि वे लालच के जरिए यूनानी नगर राज्यों में फूट डालने का कार्य करते रहे.
प्लाटिया युद्ध के बाद माइसेन के युद्ध में जीत के बाद स्पार्टा ने यह सुझाव रखा कि आयोमियनों को यूनानी धरती पर बसाया जाए परन्तु आयोनियन अपनी उपजाऊ भूमि छोड़ने को तैयार नही थे परन्तु एथेंस के विरोध के बाद यह योजना छोड़नी पड़ी.
एथेंस चाहता था कि Sestor (सेस्टोज) पर आक्रमण किया जाए परन्तु स्पार्टा तथा उनके सहयोगी Peloponnerian League के सदस्य वापिस घर जाना चाहते थे. सेस्टोस की घेराबंदी कर उसे आत्मसम्र्पण पर मजबूर कर दिया गया तथा यह क्षेत्र एथेंस के अधिकार में आ गया. इसके बाद स्पार्टा के राजा पौसमियास (Pausanias) को सता संभाल फारसी बची हुई सेना को खत्म करने का कार्य सौंपा गया.
एथेंस साम्राज्य
फारसी यूनानी युद्धों के बाद एथेंस की सेनाओं के कंमाडर Aristides (एरिस्टाइडीस) को आयोनियाई (Ionian) नगर राज्यों ने इनकी संयुक्त सेना की कंमाड संभाली. क्योंकि ये नगर राज्य एंथेंस को अपनी मातृ राज्य मानते थे. दूसरे स्पार्टा समुद्र पार के अभियानों के लिए उपर्युक्त नही था.
478-77 ई0पू0 आरिस्ट्राइडस ने लेस्बोस (Lesbos) चीयोज (Chios) और समोस (Samos) से मिलकर नई लीग के गठन के बारे में विचार-विमर्श किया और सभी यूनानी नगर राज्यों को प्रारभिक बैठक में क्मसवे (डेलोस) के द्वीप पर 477 ई0पू0 आंमित्रात किया, वहां पर उपस्थित नगर राज्यों ने शपथ ली कि आगे से उनके दोस्त और दूश्मन एक समान होंगे.
इदस डेलियन लीग का नेता एंथेंस तथा इसमें अधिकतर आयोनियाई नगर राज्य, साइक्लाडस (Cyclades), आयोलियन (Aeolian) तट के नगर राज्य, रोडस (Rhodes) कोस (Cos) तथा स्नाइडस (Cnidus) इत्यादि, प्रारंभ में ही इसके सदस्य बन गए. बाद में Tharacian, Euboea, Andras प्रदेश भी शामिल हो गए. प्रारंभ मे इस लीग का गठन ईरानी सेनाओं का मुकाबला करने के लिए किया गया था. परन्तु 466 ई0पू0 में जब एंथेंस के साइमन ने एरीमिडोन नदी पर अंतिम जीत हासिल की तो एंथेस ने इस लीग को धीरे-धीरे एथेंस साम्राज्य में बदलना शुरू कर दिया.
सभी सदस्य नगरों को सामूहिक जल बेडे़ के लिए युद्धपोत तथा वार्षिक धन देना होता था. इसको निश्चित करने की जिम्मेवारी Aristides को सौंपी गई उसने यह कार्य बेखुबी निभाया.
दूसरी तरफ एंथेंस ने धीर-धीरे अपना प्रभुत्व बढ़ाना शुरू किया. 472 ई0पू0 में Carystus जो लिग का सदस्य नहीं था, को सैनिक कार्यवाही कर सदस्य बनने पर मजबूर किया. कांलातर में जब एक सदस्य Maxos न संघ छोड़ना चाहा तो इसकी घेराबन्दी कर दी गई. 465 ईसा पू0 में जब Thasos ने विद्रोह किया तो उसे आत्मस्मपर्ण करना पड़ा इसके अतिरिक्त यहां की खानों में खनन का अधिकार भी एथेंस ने प्राप्त कर लिया.
अत: थेमोस ने विद्रोह करते स्पार्टा से मदद की अपील की तो स्पार्टा को एरगोज तथा टेजीया के संघ का मुकाबला करना पड़ा तथा उनके क्षेत्र में हेलोट विद्रोह हो गया इस पर उन्हें अपने ईरान युद्ध के सहयोगियों से मदद लेनी पड़ी जिनमें एथेंस भी एक था.
एथेंस की असेम्बली में साइमन ने स्पार्टा की सहायता की वकालत की. परन्तु विरोध के बावजूद साइमन की बात मानी गई और एक शक्तिशाली सेना के साथ स्पार्टा की सहायता को पहुंच गया. परन्तु स्पार्टा को एथेंस पर शक हो गया. इसीलिए उन्होंने उसे वहां से वापिस भेज दिया.
हालांकि साइमन एथेंस और स्पार्टा की मित्रता का समर्थक था जबकि पेरिक्लिज इसका घोर विरोधी था अन्त में 461 ईसा पू0 में साइमन को देश निकाला दे दिया गया.
450-446 ईसा पूर्व के बची एथेंस में लागू हुई कई नीतियों के कारण कुछ बदलाव हुए जिनके कारण एथेंस इस लीग को साम्राज्य मेंं बदलने में कामयाब हो गया इसके अतिरिक्त एथेंस ने दो ऐसे आदेश जारी किए जो राजशाही तरीके के थे. पहले आदेश के अनुसार सभी सदस्य राज्यों को एथेंस के सिक्कों और माप तोल प्रणाली का प्रयोग करना होगा तथा चांदी के खनन् पर प्रतिबंध लगा दिया गया अब खजाने पर एथेंस का अधिकार हो जाने के कारण इसे यहीं पर खर्च किया जाने लगा प्रत्येक 4 वर्ष में एकबार सभी सदस्य राज्यों को एथेंस के एक समारोह मे आना जरूरी था इसके अतिरिक्त एथेना नामक देवी की पूजा पर अधिक बल दिया.
446 ईसा पूर्व में एथेंस के जनरल Talmides को बाइयोसिया में हराकर पीछे हटना पड़ा तो विद्रोह अधिक फैल गया दूसरी और स्पार्टा से की गई पांच साल की संधि का समय भी समाप्त हो रहा था. पेरीक्लिज जब सेना के साथ विद्रोह दबाने पहुँचा तो उसे सूचना मिली की मेगरा की सेना ने एथेंस के सैनिकों को मार दिया. और पेलोपोनेशियन लीग की सेनाएं एट्टीका की ओर बढ़ रही है. तो उसने अपनी सेनाऐं वापिस बुला कर स्पार्टा को वापिस जाने के लिए बात शुरू की.
इस प्रकार स्पार्टा से तीस वर्षो की सन्धि की गई. सन्धि के अनुसार नीसिया (Nisaea), ट्रोजन-(Troezen) तथा ऐचियन (Achean) को एंथेंस छोड़ना पड़ा. एजीना को एथेंस के प्रभाव से छुटकारा मिला परन्तु एंथेंस को स्पार्टा से एथेंस के साम्राज्य की मान्यता प्राप्त हुई.
पेरीक्लीज का काल
पेरीक्लीज एथेंस के एक धनी परिवार से संबधित था. इसकी माता प्रसिद्ध सुधारक क्लीस्थनीज की पौत्राी थी तथा पिता एथेंस के भूतपूर्व जल सेनापति था. अपने जीवन के प्रारंभिक वर्षो में उसने डेमोनिडिज तथा पाइथोक्लीडिज से शिक्षा प्राप्त की तथा अपने दार्शनिक मित्र एनेक्जेगोरस से विज्ञान चिन्तन करना सीखा. वह एक कुशल वक्ता था तथा भाषा पर उसका अधिकार था.
एक योग्य सेनानायक के रूप में 461 ई0पू0 में उसे एथेंस का सेनापति चुना गया. इसके अतिरिक्त वह एक महान शासक भी था. तथा 440 ई0पू0 तक वह एथेंस को सबसे महत्वपूर्ण राजनैतिज्ञ बन गया था. अपने प्रांरभिक राज्य काल में उसने राज्य की सेवा के लिए वेतन का प्रावधान किया. प्रथम जुररों को, बाद में नगर परिषद बाऊल; ठवन समद्ध के लिए भी तथा तत्पश्चात् सभी प्रशासनिक पदों के लिए भी वह ही डेलियन संघ को साम्राज्य में बदलने का जिम्मेदार था तथा उसी ने इरानी साम्राज्य के विरूद्ध युद्ध बन्द किए.
पेरीक्लीज का विचार था कि साम्राज्य के लिए एक कर देने वाले राज्यों की जरूरत थी तथा उसने अपने इन साम्राज्यवादी विचारों के साथ यूनान में लोकतंत्रा तथा यहां की संस्कृति को समृद्ध किया. सर्वप्रथम उसने डेलियन संघ के अतिरिक्त पैसे से एथेंस में सार्वजनिक भवनों का निर्माण शुरू किया तथा पहले के चूने के पत्थर के स्थान पर Mt. Pentelicus पैन्टीलिकस पर्वत से निकाले संगमरमर से मन्दिरों का निर्माण किया. जिनमें नई इमारत पारथेनोन थी जिसमें सोने तथा हाथी पांत की ऐथना Athena की प्रतिमा लगवाई थी. गढ़ी (Acropolis) पर पश्चिमी क्षेत्र में भी बडे़-बडे़ भवन तथा मन्दिर बनवाए. एक बड़स Concerty Hall जो कि टैन्टनुमा था बनवाया.
इसके अतिरिक्त सार्वजनिक जिमनेजियमों तथा स्नानागारों का निर्माण करवाया. वह एक योग्य शासक था तथा लोगों से अधिक मिलता जुलता नही था. परन्तु एक अच्छा वक्ता था. जिस कारण वह अपना पक्ष असैम्बली में बेखूबी प्रस्तुत कर मनवा लेता था. तथ इसी बल पर वह 15 वर्षो तक नेता चुना जाता रहा.
थूसीडाइडस ने 431 ई0पू0 मे स्पार्टा से युद्ध के पहले वर्ष में मृत सैनिकों को दी गर्इं श्रंृदाजलि के भाषाण को उसकी व्यक्तिगत सता का प्रतीक माना गया है उसने लोकतंत्रा की मुख्य विशेषताओं का भी जिक्र किया.
पेराक्लीज लोकतंत्र की विशेषताएं
स्पार्टा संविधान के विरूद्ध एथेंस दुनिया से काफी खुला और धुला मिला था. एथेंस की नागरिकता को पैरीक्लीज ने काफी कठिन बना दिया था, इसके लिए माता-पिता दोनों का ही एथेंस नागरिक होना अनिवार्य था. इसने एथेंस वासियों और विदेशियों के विवाह संबंधों पर रोक लगा दी.
इसके अलावा उसने विदेशियों को भी एथेंस यापीरइयूस (Priraeus) में बसने को प्रोत्साहित किया और उनसे अच्छे व्यवहार का आश्वासन दिया. इसने प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित दोनों वर्गो के कारीगरों को एथेंस के व्यापार सेवा कुछ गिने-चूने लोगों तक ही सीमित नही थी बल्कि इसे सभी नागरिकों का एक कर्तव्य बना दिया गया. उच्च और निम्न वर्ग से इसके सदस्य चुने जाते थे.
Boule बाऊल के 500 सदस्य प्रतिवर्ष इसी तरह चुने जाते थे. तथा इस तरह वह लोकतंत्र को उच्च स्तर तक ले गया. तथा सभी नागरिक कभी ना कभी इसके सदस्य बन जाते थे. यह संस्था थी. जिसमें सभी सदस्यों को समान वोट का अधिकार था. यहां पर नीति-निर्धारण किया जाता था. तथा debate द्वारा फैसलें किए जाते थे.
स्वतंत्र वोट, सभी के असैम्बली के संबोधन के अधिकर तथा वही लिए फैसलो के कारण सही मायनों में लोकतंत्र की स्थापना की गई थी.लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण था इसके लिए सभापति का लाटरी द्वारा चुना जाना. और बाऊल के किसी सदस्यों में से ही चुना जाता था. असैम्बली की मीटिंग एक खुले स्थान पर होती थी तथा इसका कोरम (Quorum) 6000 था.
थूसीडाडस का कहना है कि कहने को तो पेरीक्लीज का लोकतंत्रा का नाम का ही था, क्योंकि इसमें एक ही व्यक्ति का राज्य चलता ह. परनतु फिर भी अनुसार यह पैरीक्लीज का स्वर्णिम युग था. स्वयं पेरीक्लीज का भी उसी प्रकार से अपना चुनाव करवाना होता था जैसे अन्यों को असैम्बली में यद्यपि वह अपनापक्ष मनवा लेता था. परन्तु वहां वह नकारा भी जा सकता था.
विदेश नीति
पेरीक्लीज ने एथेंस के साम्राज्य का विस्तार कर उसके प्रभाव को बढ़ाया. इसके लिए उसे स्पार्टा के साथ संघर्ष से बच उसे प्रभावहीन करना था. इसने साइमन की स्पार्टा से मैंत्री नीति का विरोध किया. स्पार्टा के शत्राुओं से थेलसी एवम् अर्गोस से मित्रता थी. मेगारा को कोरिंथ के आक्रमण से बचा कर एथेंस की स्थिति मजबूत की.
बायोंसिया में थिब्स के अरिरिक्त बस नगर राज्यों मे जनतांत्रिक व्यवस्था लागू कर दी. फयोसिस को अपना मित्र बनाया तथा इरान से केलियस की संधि कर 449 ई0में युद्ध समाप्त कर दिया तथा इरानी सम्राट ने एथेंस पर आक्रमण न करने का वचन दिया. उसने डेलियस संघ के सदस्यों की प्रभुसता को धीरे-धीरे समाप्त कर सम्राज्य का अंग बना लिया. डेलियन वार्षिक चंदे का रूप वार्षिक कर में बदल गया.
इसके अतिरिक्त संघ के सदस्य राज्यों के गंभीर मामलों की सुनवाई एथेंस में करने के प्रावधान तथा अंत मे एथेंस के सिक्के, नाप-तौल सभी नगरों में लागू करने से संघ संघ ना रहकर साम्राज्य का अंग बना गया. इसी बीच 445 में उसने स्पार्टा से तीस वर्ष की संधि कर शांति युग की शुरूआत की. तथा अपना सारा ध्यान व्यापार और आर्थिक समृद्धि की ओर दिया.
एंथेंस लोकतंत्र में लोगों की समृद्धि साम्राज्य की शक्ति पर निर्भर थी. एथेंस के धन को यही पर खर्च किया जाने लगा. इसके अतिरिक्त सरकारी सेवा के लिए वेतन देने तथा बड़ा समुद्री बेडा रखने के लिए काफी धन खर्च होता था. इसके लिए सहयोगी नगर राज्यों का उनकी सुरक्षा के लिए दिए जाने वाले चन्दे को बढ़ाया गया. इस कारण अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ.
पैराक्यूज उस काल की एक प्रमुख बन्दरगाह बन गई जहां औक्सीन, फ्यूनिशिया, मिश्र कार्थेज तथा यूनान के सभी नगर राज्यों से सामान आता था. यह व्यापार इरानी युद्ध के खतरों की समाप्ती से और भी बढ़ गया. इससे न केवल ऐथेंस मे ही समृद्धि आई बल्कि उसके सहयोगी नगरों की भी अर्थव्यवस्था का विकास हुआ. लेकिन इसके बदले उन्हें अपनी स्वतंत्रता खोनी पड़ी क्योंकि वे अब एथेंस के सहयोगी नही बल्कि उनकी प्रजा बन गए थे.
प्रशासनिक सुधार
इस काल में हुई जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रशासन को सभालने के लिए अनेक कर्मचारी नियुक्त किए गए जिन्हतबीवदज आर्केन्टस कहा जाता था. कभी-कभी ये अकेले या फिर पांच भी नियुक्त किए जाते थे. इनके साथ सुरक्षा कर्मी तैनात होते थे तथा इन्हें नगरों की गढ़ी पर नियुक्त किया जाता था. ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके. नगर मे विद्रोह को संभालने के लिए सेना भेजी जाती थी.
इसके अतिरिक्त नगर मे एक कमिशनर एपिस्कोपाई (Epikskopai) भी भेजे जाते थे. नगरों में या वही पर अपनी उपस्थिति देते तथा एथेंस को सूचित करते थे. इसके अरिरिक्त एथेंस को कानूनी न्यायलयों को मृत्युदण्ड, देश निकाला, संपति हथियाना तथा नागरिकता समाप्ती हेतु सभी मामलों का अधिकार दिया गया. इस प्रकार पैरीकलीज काल में लोकतन्त्रा अपने शिखर पर था प्रशासन पूर्णत: जनतांत्रिक हो गया था.
देश में शांति और आर्थिक समृद्धि का काल था. सार्वजनिक भवन, मन्दिर तथा बडे़ -बडे़ हाल इत्यादि का निर्माण किया गया. एंथना की पूजा का विकास हुआ कला, स्थापत्य का विकास हुआ. विज्ञान में भी कई प्रसिद्ध वैज्ञानिक आविष्कार इस काल में हुए. साहित्य, नाटक, रंगमंच और काव्य में भी काफी समृद्धि हुई.
पेलोपानिशियन युद्ध अथवा एथैंस में लोकतन्त्र की समाप्ती
एथेंस और स्पार्टा नगर राज्यों में दो अलग-अलग विचारों और जातियों के लोग निवास करते थे. एथेंस में आयोनियन निवासी थे तथा स्पार्टा में डोरियन निवासी थे. इन नगरों पर जब बाहरी आक्रमण होता तो ये संयुक्त रूप से उनका मुकाबला करते अन्यथा ये आपसी संघर्ष मे उलझे रहते थे. एथेंस अधिक तथा नौसैनिक शक्ति के बल पर एक बड़ा साम्राज्य बना रहा था वहीं स्पार्टा से उसका संघर्ष निश्चित था.
Samos (समोस) के आम्मसम्पर्ण के पांच वर्ष पश्चात् उतर-पश्चिम में कई ऐसी घटनाएँ घटित हुई जिसके कारण स्पार्टा के नेतृत्व वाले पैलेपोनशियाई संघ तथा एथेंस के डेलिन संघ में युद्ध शुरू हो गया. एथेंस साम्राज्य विस्वार कर रहा था जिससे स्पार्टा को ईष्या और खतरा होना स्वाभाविक था. 436 ई0 पू0 में एथेंस Ennea Hodoi (एन्निया होडोइ) में अपनी बड़ी कालोनी स्थापित करने में सफल हो गया तथा उसने इसे Emphipolis एम्फिपोलिस का नाम दिया. इसके बाद पेराक्लीज ने स्वयं Euxime एइयूक्षीम के विरूद्ध अभियान का नेतृत्व कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया तथा Sinope -सीनोप के अत्याचारी शासक को हटा दिया.
435 में जब कौंरिथ तथा कोरसीयरा के मघ्य युद्ध शुरू हुआ तो युद्ध के बढ़ने का खतरा बना. समुद्री युद्ध में कोरिंथ को अपमानजनक हार के पश्चात् उसके एक बड़ा बेडा कोरसीयरा, जो किसी के भी पक्ष में नही था, इसने एथेंस से सहायता की अपील की एथेंस ने उसे यह विश्वास दिलाया कि यदि वह हार की स्थिति में हुआ तो एथेंस उसे मदद करेगा. जब साइबोटा (Sybota) के युद्ध में कोरसीरिया की हार का खतरा बना तो एथेंस के समुद्री बेडे़ मेंदखल किया. जिस कारण कोंरिथ को वापिस जाना पड़ा.
इसके बाद एथेंस में पोटीडियन (Postidaean) में विद्रोह प्रारम्भ किया तथा एथेंस ने मेगारा (Megara) पर यह आरोप लगया कि वह उसके भागे दासों को शरण दे रहा है ओर पेरीक्लीज ने एक आदेश जारी मेंगारा के निवासियों को अपने बन्दगाहों और बाजारों से निकल जाने को कहा.
432 ई0 मे जब एथेंस की सेनाएं पोरडीयां की फेराबंदी कर रही थी तब कौंरिथ तथा पैलोपोनिशियन संघ के दूसरे सदस्यों ने स्पार्टा पर युद्ध करने का दबाव डाला. स्पार्टा के राजा आर्कीडेमस ने कुछ स्थिति की समीक्षा की और सलाह दी परन्तु अधिकतर सदस्य युद्ध चाहते थे.
इसलिए 432 ई0 के अंत में युद्ध का निर्णय लिया गया, स्पार्टा और एंथेस के बीच हुए युद्ध को पैलोपोनिशियन युद्धो के नाम से जाना जाता है. यह युद्ध 431 ई0पू0 से 404 ई0पू0 तक चला. एथेंस का नेतृत्व पेरीक्लीज ने किया तथा 300 जहाजी बेड़ों और सैनिकों ने इस युद्ध में भाग लिया.
पेराक्लीज की नीति थी कि स्पार्टा से आमने सामने युद्ध न हो, एट्टीका को खाली करके वहां शरण ली जाए. एथेंस जहां समुद्री शक्ति से शक्तिशाली था वहीं दूसरी ओर स्पाटार््र की यही कमजोरी थी. परन्तु एथेंस के 13000 सैनिकों के मुकाबले पैलोपोनशियाई संघ के 30000 सैनिक थे.
प्रथम वर्ष में स्पार्टा के राजा आर्कीडेमस ने एट्टिका पर युद्ध कर उसे ध्वस्त कर दिया तथा एथेंस उसे देखता रहा. इसी बीच एथेंस के 100 जहाजों के समुद्री बेड़े ने पेलोपानेशिया केचारो ओर चक्कर लगागर कुछ ही स्थलों पर धावे बोले. इसी बीच एथेंस मे Plague प्लेग फैल गया जिस कारण इनकी 1ध्4 जनसंख्या की मौत हो गई. इस कारण एथेंस का मनोबल टूट गया और उन्होनें स्पार्टा से सन्धि करनी चाहिए. एथेंस ने पेरीक्लीज को नेतृत्व से हटा दिया परन्तु वह पुन: चुन लिया गया तथा 429 ई0पू0 में उसकी मृत्यु हो गई.
इसके बाद Cleon क्लेयीन का एथेंस मे उदय हुआ. एथेंस के एक बेडे़ ने सीसली तथा मेसीमिया में सैनिक तैनात किए ताकि वे स्पार्टा के हेलोटों को विद्रोह के लिए उकसाएं. तब स्पार्टा ने अपनी फौज से एट्टिका पर आक्रमण कर दिया. लेकिन एथेंस की फौज ने स्पाटार््र को आत्मसम्पर्ण करने पर मजबूर कर दिया. इसके बाद युद्ध काफी घमासान हो गया. 424 ई0पू0 मे कांरिथ पर आक्रमण करके एथेंस ने लकोनिया पर अधिकर कर लिया. इसके बाद डेलियम के युद्ध ने ऐथेंस की हार हुई.
स्पार्टा के जनरल Brasidas ने एम्फोयोंलिस Amphopolis पर अधिकार कर लिया. परन्तु 422 ई0पू0 में Cleon मे एथेंस की सेना का नेतृत्व किया. परन्तु युद्ध मे वह मारा गया इसके बाद एथेंस तथा स्पार्टा में सन्धि हुई जिसके अनुसार दोनों एक दूसरे के युद्ध बेदी छोड़ देगे. स्पार्टा को पारलोस तथा एथेंस को एम्फीपोलिस पुन: प्राप्त हुए. इस सन्धि को Nicias नीसियस की सन्धि कहा जाता है. जिसके स्पार्टा ने अपने सहयोगी कोंरिथ के सोलुयम तथा एनाक्टोरियम एथेंस से वापिस नही दिलवाएं.
इस बात से नाराज होकर कोंरिथ ने तीसरा संघ बनाने की सोची. तथा आर्गोस और पेलोपोनेशयन संघ के अन्य सदस्यों को अपने साथ मिलाने की सोची. 420 ई0पू0 Alcibides – अलसीबिडेज ने को स्पार्टा के दो सहयोगियों Mantinea तथा Elis को डेलियस संघ में सम्मिलित करने को कहा.
इस प्रकार दोनो रेवमों की सेनाएं एक दूसरे के सामने आइर््र 418 ई0पू0 में . परन्तु अपनी इस नीति में असफल होकर एथेस ने 416 ई0पू0 में जब मेलोज को एथेंस ने अपने संघ में आने को कहा तो उसने जबाब दे दिया. इस पर उसे सैनिक कार्यवाही कर आत्म सम्पर्ण करने पर मजबूर किया.
415 ई0पू0 में एथेंस ने सिसली पर पुन: अधिकार जमाने की कोशिश की इस बार एथेंस का बेडा पूरी तरह नष्ट हो गया तथा सेना हार गई. स्पार्टा अपनी सेना अब एट्टिका तक ले आया और एथेंस से 12 मिल दूर Decelea में डेरा डाल लिया.
एथेंस के 20,000 दासों मे एटिका छोडकर स्पार्टा की शरण ली. यहां चांदी की खानों का खनन कार्य बंद होने के कारण आर्थिक तंगी हुई. साथियों के विद्रोह के बावजूद भी एथेंस में लडाई चलती रही. 411 ई0पू0 में स्पार्टा को विजयें मिली. जब स्पार्टा का बेड़ा पंहुचा तो वहां एथैस की सेना कुछ ना कर सकी और Euboea ने विद्रोह कर दिया. इसके बाद एथेंस बेडे ने एक लडाई मे स्पार्टा के बेडे को ब्ल्रपबने मे हरा दिया तथा हैलिस्पोंट तथा प्रोपोन्टीज नगरों को दोबारा जीत लिया.
407 ई0पू0 एलसीबियाडीज पुन: एथेंस पहुंचा तथा उसने स्पार्टा की कमान संभाली लेकिन वह हार गया. तथा चेरसोनीस के किले में शरण ली जहां से वह एथेंस की बर्बादी देखता रहा. 406 ई0पू0 में स्पार्टा के सबसे बहादुर जनरल Lysandor ने नोट्रियम का युद्ध जीत लिया. इसके बाद 404 ई0पू0 में एथेंस की घेराबदी की गई तथा धीरे-धीरे एथेंस के सभी साथी केवल ैंउवे को छोड़कर आत्मसम्पर्ण कर गए.
जब घेराबंदी के कारण भूखा मरने की नौबत आ गई तो Theramenes को स्पार्टा से संघि के लिए भेजा गया. इस प्रकार युद्ध समाप्त हुआ. परन्तु संधि की शर्ते एथेंस के लिए अपमानजनक थी. एथेंस मे 30 सदस्यों का एक कमीशन गठित हुआ जिसमे दस लाइन्डर मनोनीत थे, जिससे नई सरकार का गठन हुआ और जनतंत्र समाप्त हो गया.
इस युद्ध की समाप्ती के बाद भी युनान के नगर राज्य आपस में संघर्षरत रहे. स्पार्टा की प्रतिष्ठा काफी बढ़ गई थी यद्यपि एथेंस यूनान के सांस्कृतिक केन्द्र के रूप मे काफी प्रतिष्ठीत था. लेकिन राजनैतिक तौर पर शक्तिशाली नही बन पाया. 359 ई0पू0तक आपसी युद्धों के कारण प्रमुख यूनानी नगर राज्यों का क्षय शुरू हो गया.
विजय के बाद स्पार्टा ने यूनानी नगर राज्यों को अपने अधीन कर लिया और अनकी लोकतान्त्रिक सरकारों की समाप्ती कर उन्हे भारी कर देने पर बाध्य किया. यूनानी नगर राज्यों को लगभग तीन दशका तक स्पार्टा का अधिपत्यं सहना पडा.
371 ई0पू0 मे थीएस ने ल्यूक्टा के युद्ध में स्पार्टा को हरा थीएस पर प्रभूत्व कर लिया जो काफी लोकप्रिय रहा. 362 में इनक राजा एपामिनोडास की मेन्टीमिया के युद्ध में मुत्यु के बाद कीतिज का प्रभूत्व समाप्त हो गया. इसी बीच मैंसे डोमिया के फिलिप II 359-36 की सेना न इलादिया तथा थे्रस को जी 338 ई0पू0 में ऐथेंस ओर थब्स की संयुक्त सेना को केरोनिया युद्ध में हरा दिया. केवल स्पार्टा ही बच सका.
336 ई0पू0 में फिलिप काफ्रा एलेैग्जैंडर राजा बना. इसी समय थीएल ने विद्रोह कर दिया जिसे एलेग्जैंडर ने हरा 335 ई0पू0 में पूर्णत: नष्ट कर दिया. उसके बाद उसने पश्चिमी एशिया तथ इरानी को विजित किया. 331 ई0पू0 मे उसने बेबीलोन, सूसा, पेसरगंडाई तथा पीसेपालिस को जीत लिया.
330 ई0पू0 में पूर्वी इरान, 328 ई0पू0 सीस्तान, एराकोसिया, बैक्ट्रिया को जीता. उसके बाद सोग्डियाना को जीता, 326 ई. में सिन्धु नदी को पार किया तथा उसके बाद वह व्यास नदी के तट पर पहुंचा.इसके बाद अपनी सेना के साथ वापिस यूनान चल दिया. लेकिन रास्ते में ही बेवीलोमिया मे उसकी मृत्यु हो गई.
उसके पश्चात् सैल्यूकस हो इरान, मैसोपोटामिया तथा सीरिया मिलाकर टालमी को मिश्र फिलीसतीन तथा फयूनीशिय मिला. टाल्मी ने एल्ेक्जेडिऋया -Alexzendria में एक क्यूज्यिम Meseum बनवाया. यहां एक वैद्य शाला तथा पुस्तकालय बनवाया और अपने साम्राज्य में आने वाली प्रत्येक पुस्तक की एक प्रति यहां भिजवानें का आदेश दिया.
इसी बीच यूनानी नगर राज्यों ने पुन: स्वतंत्र होना प्रारम्भ कर दिया. परन्तु द्वितीय शताब्दी ई.पू. में रोम के साम्राज्य विस्तार पूर्व की ओर होना शुरू हुआ तथा 30 ई0पू0 तक सारा यूनान रोम का हिस्सा बन गया.
यूनान की देन
यूनानियों ने इतिहास में एक नए दृष्टिकोण की शुरूआत की. यूनान में इतिहास लेखन से अभिप्राय: केवल राजाओं के कार्य, विजयें और तिथियां इत्यादि नही था बल्कि वे यह जानना चाहते थे कि वे ऐसा क्यों करते है. उनके अनुसार इतिहास मानव व्यवहार का अध्ययन है. यूनान में Herodotus हेरोडोटस को इतिहास का संस्थापक माना जाता है क्योंकि इसी ने सर्वप्रथम तथ्यों को इक्कठा कर उन ऐतिहासिक तथ्यों का विश्लेषण किया. इसने यूनान पर्शियन युद्धों का विस्तृत वर्णन लिखा है.
एक अन्य इतिहासकार Theory dides – थूसीडाइडेस ने हेरोडटस के इस इतिहास लेखन तरीके में सुधार करके अपनी कृति पेलोपोनिशियन युद्धों के इतिहास में उन्हीं तथ्यों को रखा जिन्हें वह प्रमाणित कर सकता था. उसने बिना पक्षपात के इन युद्धों का विस्तृत विवरण दिया है.
इस प्रकार उसने बाद के इतिहासकारों के सम्मुख पक्षपात रहित इतिहास लेखन का उदाहरण प्रस्तुत किया.
यूनानी दर्शन
यूनान में ज्यादातर नागरिक कृषक थे लेकिन कुछ नगर-राज्यों विशेषकार एंथेस में व्यापार काफी उन्नत था. यूनानी नगरों में एक तो गढ़ी का क्षेत्र था जो चारों ओर से सुरक्षित था बाकि शहर छोटी-2 गलियों के आसपास बसे होते थे लेकिन इनमें व्यवस्था की कमी थी. पेलोपोनिशियन युद्धों के दौरान यहां गदंगी फैली होने के कारण भंयकर प्लेग फैल गई थी. राज्य की 1/4 जनसंख्या की मौत हो गई थी. शहर का जीवन बाजार के आसपास केन्द्रित था.
यूनानी अच्छी जलवायु होने के कारण ज्यादातर समय बाहर ही व्यतीत करते थे. लोग बाजारों में प्रतिदिन मिलते थे और वहीं आसपास की दुनियां के बारे में विचार-विर्मश करते थे. ये वर्तमान जीवन में दिलचस्पी रखते थे ना कि मृत्युपरांत जीवन में. इन सार्वजनिक विचार-विमर्शो के कारण यूनान में राजनीति तथा दर्शन की एक प्रथा की शुरूआत हुई. यूनानी लोग दुनियां और उसके लोगों के बारे में जानने को उत्सुक रहते थे.
इनके अनुसार Reason – तर्क द्वारा महत्वपूर्ण सच की खोज की जा सकती है. एक युनानी विद्वान Protagoras- प्रोटोगोरस ने कहा था कि मनुष्य ही सभी चीजों का मापदण्ड है. उनका मानव की योग्यता में विश्वास था. इसी कारण वे दुनिया के स्वरूप के बारे में प्रश्न उठा सके. 7 वीं श0 ई0पू0 में कुछ यूनानी दार्शनिकों ने परम्परागत व्याख्याओं से हटकर सोचना शुरू किया. जैसे चीजें कैसे घटित होती है. उनके घटित होने के नए कारण देने शुरू किए.
ये लोग मानते थे कि प्रत्येक घटना के पिछे देवी-देवताओं का हाथ नही होता. घटनाएं प्राकृतिक तरीके से घटती है. यूनान में इस प्रकार के विचारकों को Seekers of Wisdom या दार्शनिक कहा जाता था.
परम्पराओं के अनुसार Thales. थेलीज पहला यूनानी दार्शनिक था जिसका समय 600 ई0पू0 के आस-पास था. उसने यह मत रखा था कि पानी ही जीवन का आधार है तथा धरती पानी से बनी है और पानी के ही अलग-2 रूप हवा, सूर्य, सितारें तथा ग्रह हैं हांलाकि उसका सिंद्धात तर्क संगत नही था लेकिन उसने लोगों का ध्यान इस विचार से हटा दिया कि दुनिया देवी-देवताओं से बनती है. इस प्रकार यूनान में एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रांरभ हुआ.
यूनानी दार्शनिक मानव ज्ञान के सभी पहलुओं जैसे: भौतिकी, ज्योतिष, संगीत और कला इत्यादि का अध्ययन करते थे.
पाइथागोरसय एक संगीतज्ञ, गणितज्ञ और ज्योतिष था. तब उसने ज्यामितिय के अध्ययन के साथ-2 सूर्य, चन्द्रमा और ग्रहों की गति पर भी विचार दिए. यहां के दार्शनिकों द्वारा किए गए तर्क और अध्ययन के कारण मैडिकल विज्ञान में भी उन्नति हुई. यूनानी चिकित्सकों ने बिमारियों के लक्षण तथा उसकी विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन करके यह बताया कि बिमारियों के प्राकृतिक कारण होते है, बुरी आत्माओं का प्रकोप नही.
Hippocrates हिप्पोक्रेटस ने चिकित्सकों को ऊंचे नैतिक स्तर बनाए रखने पर जोर दिया. आज भी चिकित्सक उसकी शपथ लेते है…. “मैं बिमार के लिए उपचार अपनी योग्यता और न्याय से करूंगा जो कि बीमार के लिए लाभप्रद हो. मैं कोई गलत दवाई नही दूंगा”….. इत्यादि.
पेलोपोनेशियन युद्धों के बाद सोफिस्ट नामक नया दार्शनिक स्कूल प्रारंभ हुआ. जिसका मुख्य ध्येय राजनैतिक तथा सामाजिक सफलता प्राप्त करना था. इन्होंने सार्वजनिक भाषणों की कला, वाद-विवाद और समझौता इत्यादि लोगों को सिखाया. सुकरात ने तर्क का प्रतिपादन किया था वह एक प्रश्नोतरी दार्शनिक के रूप में जाना जाता है. इसके अनुसार मुनष्य तर्क द्वारा ही ज्ञान और सच्चाई प्राप्त कर सकता है.
इसके पश्चात इसके शिष्य Plato- प्लेटों ने अपनी एकादमी शुरू की जो 900 वर्षों तक चलती रही तथा प्राचीन विश्व में ज्ञान का एक महत्वपूर्ण केन्द्र रही अपनी पुस्तक The Republic में उसने एक आदर्श राज्य का सिंद्धात प्रतिपादित करके दार्शनिक राजा को उचित ठहराया. प्लेटों की इस एकादमी का सबसे प्रसिद्ध दार्शनिक एरिस्टोटल-Ariestotal था जिसे मैसेडोनिया के फिलिप II ने सिकंदर को पढ़ाने के लिए बुलाया था. सिकंदर ने उसे काफी धन दिया जिससे उसने एथैंस में एक स्कूल Lyceuam- लीसीयम स्थापित किया. यह विश्व की प्रथम वैज्ञानिक संस्था बनी.
अरस्तु का विचार था कि तर्क सर्वोच्च सच है. उसने आत्म केन्द्रित गुणों की प्रंशसा की. वह न केवल एक तर्कशास्त्राी था अपितु राजनैतिज्ञ, दार्शनिक, बायोलाजिस्ट तथा कलाकार भी था.
साहित्य तथ ड्रामा
प्राचीन यूनान में धर्म, ड्रामा तथा कविता आपस में नजदीकी तौर पर संबधित थे. उदाहरण के तौर पर Dionysus डायनिसस की वेदिका के चारों और मन्त्रों के उच्चारण की प्रथा से ड्रामा, कविता का विकास हुआ. ऐसा माना जाता है कि एथेंस के कवि थेसपीस-Thespis ने दुनिया का पहला ड्रामा बनाया जब उसने समारोह में अलग-2 पात्रों को अलग-2 बोलने के हिस्से दिए. 5 वीं सदी ई0पू0 में एथेंस के ड्रामा लेखक प्रतिवर्ष डायोनिसस के समारोह में इनामी प्रतियोगिता में भाग लेने लगे. यूनान के ये ड्रामें बाहरी थियेटरों में पेश किए जाते थे.
दुखांत नाटक
प्रारंभिक यूनानी नाटक दुंखात थे. इनका अंत सुखी नही होता था. 5वीं सदी ई. पू. में तीन महान दुंखत नाटककार हुए इनमें .मेबीलसने प्रमुख था. वह साहित्यकार के अलावा कुशल योद्धा भी था जिसने मेराथन, सलामीज तथा प्लेटाई युद्धों में भाग लिया. इसके 80 नाटकों में से 7 उपलब्ध है. इनमें से ‘प्रोमेथियस बाउण्ड’ प्रमुख है, इसके नाटकों में लोगों तथा देवताअें के बीच संबध, हत्या बदला तथा दैवीय न्याय का मेल है.
सोफोक्लेज दूसरा प्रमुख नाटककार था. ओडीयस नाटक में इसने दिखाया कि किस प्रकार तकदीर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है. इसके नाटक निराशावादी थे.
यूरीपीडेस तीसरा प्रमुख नाटककार था. इसने देश की धार्मिक कुरूतियों, परम्पराओं तथा स्त्रियों की दयनीय अवस्था, दासों पर अत्याचार और युद्धों की घोर अलोचना की. इसकी कृतियों में स्त्रियों के प्रति सहानूभूति थी.
सुखान्त नाटक
दु:खान्त नाटकों की भांति इनका प्रचलन भी एथेंस द्वारा डायोनिसस के सम्मान में दिए जाने वाले समारोह में हुआ. आरिस्टोफेनस प्रमुख सुखान्त नाटककार था जिसने अपने नाटकों The Birds, The Clouds, The Frogs में यूनानी जीवन, राजनैतिज्ञों, दार्शनिकों, कवियों यहां तक की दर्शकों का भी मजाक बनाया.
कविता :-
पेरीक्लीज युग का प्रमुख कवि पिण्डार था. इसने odes लिखी तथा इनमें से कुछ में इसने ओलम्पिक के एंथेस की प्रंशसा की. Sappho. सेफोह नामक कवियित्राी ने गीत के रूप में कवितांए लिखी.
धार्मिक उत्सव एवम् विश्वास
यूनानियों ने अपने देवी-देवताओं के बारे में काफी मिथ्या कहानियां जोड़ी हुई थी. उनके 12 शक्तिशाली देव थे जिन्हें अेसम्पियन देवों के नाम से जानते है. इनमें प्रमुख देवर् मने जीयस विश्व पर राज्य करता था तथा पोसीडान समुद्र देव था, हडेज पाताल देव थे. ये दोनों जीयस के भाई माने जाते थे. इनकी बहन हेस्तिया-Hestia अग्नि की देवी थी. जीयस की पत्नी हेरा विवाह की देवी थी. एथेना, एथेंस की देवी थी जो उनकी रक्षा करती थी. Artemis, जंगलों और लकड़ी की देवी, Hermes हारमीज देवताओं का दूत था. इसके अलावा डायोनिशस (शराब का देव) की पूजा से ही यूनानी ड्रामा और साहित्य का विकास हुआ.
ओलम्पिक खेल
यूनानियों का एक महत्वपूर्ण देव अपोलो था, जो सूर्य देव था. इसे भविष्यवाणी का देव भी मानते थे. एथेंस के बहुत से धार्मिक समारोह में खेलों के भी कार्यक्रम होते थे. प्रत्येक चार वर्ष में वे एक बार ओल्मपिया में जीयस के सम्मान में इक्कठे होते थे; जहां खेलों की प्रतियोगयतांए होती थी. जिनमें सभी यूनानी नगर राज्यों के लोग भाग लेते थे तथा इनके कारण वे आपसी युद्ध भी रोक देते थे.
जीत का काफी महत्व था इससे उसके नगर का सम्मान बढ़ता था. होमर ने कहा है कि हमेशा प्रथम रहो तथा दूसरों से आगे बढ़ो इन ओल्मपिक खेलों में व्यक्तिगत खिलाडी स्पर्धा थी ना कि टीम स्पर्धा. स्त्रियां अलग खेलों में हिस्सा लेती थी, जिन्हें हेरेका कहा जाता था.
प्राचीन ओल्मिपक खेलों का प्रारंभ 776 ई0पू0 में हुआ था तथा 394 ई0 तक चलते रहे जबकि रोमन सम्राट ने इन्हें बंद करवा दिया. 1896 ई0 में इनका प्रारंभ एक फ्रांसीसी पेरी द कुर्बीटन ने करवाया. आज भी प्रति चतुर्थ वर्ष इन खेलों को आयोजन होता है.
वास्तुकला :-
यूनान के मंदिरों के स्तंभों को तीन प्रकार के अंलकृत नमूने से सजाया जाता था. एक था डोरिक, दूसरा आयोमिक तथा तीसरा कोरिम्थन. डोरिक नमूने में स्तम्भ साधारण तथा भारी थे. आयोनिक में स्तम्भों का आधार अलंकृत था तथा ऊपरी भाग सींग की भांति था. कोरिन्था के नमूने में ऊपरी भाग पर बेल-बूटियां बनी थी.
यूनानी काफी सुन्दर मूर्तिया बनाते थे, जो भावपूर्ण होती थी. प्राचीन काल के कौरोई में सामान्यत: यूनानी देव अपालों की मूर्तियां बनाई जाती थी. इन मूर्तियों में गतिशीलता थी मानों ये चल रही हो.
इन्होंने अपने बर्तनों पर बहुत सुंदर चित्रकारी की होती थी. एक अग्रेंज कवि इनकी चित्रकारी से इतना प्रभावित हआ कि उसने एक कविता ode on a gracian Orn लिखी. इसके अलावा Zeuyis तथा Parrhasius 5 वीं सदी ई0पू0 के दो प्रसिद्ध चित्रकार थे जिनके बारे में रोमन इतिहासकार टिलनी ने काफी लिखा है. यूनान की कलाकृतियों की बाद में रोमन चित्रकरों ने नकल की.
विज्ञान
इस क्षेत्र में भी इन्हांने काफी उन्नति की. इनके लिए विज्ञान और दर्शन एक समान थे. बहुत से दार्शनिक अच्छे वैज्ञानिक भी थे. गणित, और विशेषकर ज्यामितिय में इनका योगदान अभूतपूर्व था. आज भी Euclid इयूक्लिड तथा पाइथागोरस के कार्य विज्ञान के विषयों के पढ़ाए जाते है. इसके अतिरिक्त आर्किमिडीज का सिंद्धात भौतिकी में आज भीउतना ही ठीक है जितना उस काल में था.
इसके सिंद्धातों पर ही Law of Gravity गुरूत्वाकर्षण के सिद्धांत का विकास हुआ. उसने ही सापेक्षिक घनत्व-Specific gravity का सिद्धांत प्रतिपादित किया. सिकन्दरीया के Heron. हैरान ने कई मशीन, पानी निकालने का पम्प तथा कई प्रकार के वाद्य यंत्र बनाए और भाप इंजन भी इसी ने बनाया. ज्योतिष और खगोलशास्त्रा मे भी काफी उन्नति हुई.
थेलिस ने सर्वप्रथम सूर्यग्रहण के बारे में बताया. अरिस्टाकर्स ने बताया कि सूर्य स्थिर है और अन्य नक्षत्रा इसके चारों ओर घूमते है. उसने पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी का सही अन्दाजा लगाया. इसी ने बताया कि यूरोप से भारत कैसे पश्चिम की ओर समुद्र में से कैसे पंहुचा जा सकता है. कोलम्बस ने इसी के आधार पर मानचित्र बनाए.
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में आज भी हिप्पोक्रेटीज को ही Father of Medicine माना जाता है. इसी ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की नींव रखी. Herophilus. हैरोफिलस ने दिमाग का ज्ञान दिया तथा मानव शरीर में धमनियों द्वारा खून के प्रवाह का भी सर्वप्रथम उसी ने ज्ञान दिया. इसके अलावा चिकित्सा शास्त्राी गैलन की पुस्तकों का प्रयोग हाल तक होता रहा है. वनस्पति शास्त्रा में थियोफ्रेटस की देने उल्लेखनीय है. उसने 600 पेड़-पौधों का अध्ययन कर नए तथ्य प्रकाश में लाए थे.