भारत के नदी प्रणाली को मुख्य रूप से दो वर्गों में बांटा जा सकता है- पहला हिमालयी नदियाँ और दूसरा प्रायद्वीपीय नदियाँ. हिमालयी नदियाँ, जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र और इंदुस, हिमनदों और बर्फ के पिघलने से निरंतर बहती हैं. लेकिन प्रायद्वीपीय नदियाँ, जैसे नर्मदा, तापी, गोदावरी और कृष्णा, मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर हैं. इसलिए ये मुख्यतः वर्षा के दिनों में बहती है.
भारत के प्रमुख नदी प्रणाली पर विस्तृत तालिका
निम्नलिखित तालिका में भारत की प्रमुख नदियों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारियां प्रस्तुत की गई हैं:
नदी | उद्गम | निकास | लम्बाई | प्रमुख सहायक नदियाँ | राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश |
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गंगा | गंगोत्री ग्लेशियर, उत्तराखंड | बंगाल की खाड़ी | 2,525 | बाएँ किनारे: रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी, महानंदा; दाएँ किनारे: यमुना, सोन, तमसा | उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल |
यमुना | यमुनोत्री ग्लेशियर, बन्दरपूँछ रेंज | गंगा नदी | 1,376 | बाएँ किनारे: हिंडन, टोंस, हनुमान गंगा, सासुर खादेरी; दाएँ किनारे: चंबल, बेतवा, केन, गिरि, बघैन, साबी, सिंध | उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली |
ब्रह्मपुत्र | मानसरोवर झील के पास चेमायुंगदंग ग्लेशियर, कैलाश रेंज, तिब्बत | बंगाल की खाड़ी (मेघना के रूप में) | 2,900 | बाएँ किनारे: लोहित, दिबांग, बुरही दीहिंग, धनसरी; दाएँ किनारे: तीस्ता, मनास, सुबनसिरी, सांकोश, कामेंग | अरुणाचल प्रदेश, असम |
इंदुस | कैलाश रेंज, तिब्बत, मानसरोवर झील के पास | अरब सागर | बाएँ किनारे: जांस्कर, चेनाब, झेलम, रावी, ब्यास, सतलुज; दाएँ किनारे: श्योक, गिलगित, हंुजा | लद्दाख | |
सतलुज | राक्षस्तल झील के पास मानसरोवर, तिब्बत | इंदुस नदी | 1,450 | चेनाब, ब्यास | हिमाचल प्रदेश, पंजाब |
गोदावरी | ब्रह्मगिरी पर्वत, त्र्यंबकेश्वर, नासिक, महाराष्ट्र | बंगाल की खाड़ी | 1,465 | बाएँ किनारे: प्रणहिता (पेंगंगा, वर्धा, वैंगंगा), इंद्रावती, सबरी बंगंगा, पूर्णा, कदम; दाएँ किनारे: मंजीरा, प्रवरा, मनेर, शिवना | महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ |
कृष्णा | महाबलेश्वर के पास, पश्चिमी घाट, महाराष्ट्र | बंगाल की खाड़ी | 1,400 | बाएँ किनारे: भीमा, मुसी, मुन्नेरु; दाएँ किनारे: कोयना, तुंगभद्रा, पंचगंगा, दूधगंगा, घाटप्रभ, मालप्रभ | महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश |
नर्मदा | अमरकंटक पठार, मध्य प्रदेश | अरब सागर | 1,312 | बाएँ किनारे: शेर, तवा; दाएँ किनारे: कोलार, बरना | मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात |
घाघरा | मपचाचुंगो ग्लेशियर, तिब्बत | गंगा नदी | 1,080 | सेती, भेरी | उत्तर प्रदेश, बिहार |
चंबल | विंध्य रेंज, मध्य प्रदेश | यमुना नदी | 1,024 | बाएँ किनारे: बानास, मेज; दाएँ किनारे: पारबती, काली सिंध, शिप्रा | मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश |
महानदी | धमतरी जिले के सिहावा गांव के पास सतपुड़ा पर्वतमाला, छत्तीसगढ़ | बंगाल की खाड़ी | 900 | बाएँ किनारे: सेनाथ, हसदेव, मंड, इब; दाएँ किनारे: जोंक, ओंग, टेल | छत्तीसगढ़, ओडिशा |
चेनाब | बरालाचा ला के पास, हिमाचल प्रदेश | सतलुज नदी के संगम | 974 | रावी, झेलम, तावी | हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर |
कावेरी | ब्रह्मगिरी रेंज, कर्नाटक | बंगाल की खाड़ी | 800 | बाएँ किनारे: हरंगी, हेमावती, शिमशा; दाएँ किनारे: कबिनी, भवानी, नोय्यल, अमरावती | कर्नाटक, तमिलनाडु |
सोन | अमरकंटक पहाड़ी, पेंड्रा, छत्तीसगढ़ | गंगा नदी | 784 | दाएँ किनारे: गोपद, रिहंद, कन्हार | छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार |
कोसी | तिब्बती पठार | गंगा नदी | 729 | सुन कोसी, अरुण, तमुर | बिहार |
तापी | सतपुड़ा रेंज, मध्य प्रदेश | अरब सागर, सूरत के पास | 724 | बाएँ किनारे: पूर्णा, गिरणा; दाएँ किनारे: अरुणावती, गोमाई | मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात |
भारतीय नदी प्रणाली (Indian River Systems):

भारत में कई नदियाँ बहती है. इनमें से काफी नदियाँ एक-दूसरे से मिलकर बड़ी नदियों का निर्माण करती है. जैसे, यमुना और अलकनंदा, गंगा की सहायक नदियाँ हैं. लेकिन ये दोनों गंगा में मिलने से पहले कई अन्य नदियों को अपने में समाहित करती है. इस तरह के संगम से नदियों के आकार और जलप्रवाह में निरंतर विस्तार होता है. इससे एक वृहद्न नदी जाल का निर्माण होता है, जो ऊपर चित्र में दर्शाया गया है.
मुख्य नदियों के आधार पर भारत में निम्नलिखित नदी प्रणाली पाए जाते है:
गंगा नदी प्रणाली (The Ganges River System)
गंगा नदी प्रणाली / तंत्र भारत और बांग्लादेश की सबसे महत्वपूर्ण और विशाल नदी प्रणालियों में से एक है. हुगली के लम्बाई को जोड़ने पर इसकी कुल लम्बाई 2,704 किमी हो जाती है. इसका प्रवाह-दर बंगाल की खाड़ी में औसतन 38,129–43,900 म³/सेकंड है. फरक्का बैराज पर यह 13,389.3 म³/सेकंड है.
इसका उद्गम उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से होता है, जहाँ यह भागीरथी के नाम से जानी जाती है. गढ़वाल मंडल में स्थित देवप्रयाग तक पहुँचने से पहले, कई छोटी-बड़ी नदियाँ इसमें और इसकी सहायक नदी अलकनंदा में मिलती हैं. जब भागीरथी और अलकनंदा देवप्रयाग में मिलती हैं, तो इस धारा को ‘गंगा’ के नाम से जाना जाता है.
भेलिंग नाला भागीरथी में आकर मिलती है. अलकनंदा नदी, जो भी एक प्रमुख स्रोतधारा है, अपने मार्ग में कई सहायक नदियों को समाहित करती है. यह इस प्रकार है:
- मंदाकिनी नदी – संगम रुद्रप्रयाग में
- पिंडर नदी – संगम कर्णप्रयाग में; यह नदी पूर्वी त्रिशूल से निकलती है.
- धौलीगंगा और बिषणगंगा – संगम विष्णुप्रयाग में
- नंदाकिनी नदी – संगम नंदप्रयाग में
पंच प्रयाग: अलकनंदा के पांच प्रमुख संगम स्थल
- विष्णुप्रयाग – अलकनंदा + धौलीगंगा
- नंदप्रयाग – अलकनंदा + नंदाकिनी
- कर्णप्रयाग – अलकनंदा + पिंडर
- रुद्रप्रयाग – अलकनंदा + मंदाकिनी
- देवप्रयाग – अलकनंदा + भागीरथी
गंगा अपने अद्वितीय जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है. लगभग 350 मछलियों की प्रजातियां इसमें मिलती है. इसमें गंगा डॉल्फिन जैसी लुप्तप्राय प्रजातियां पाई जाती हैं. लेकिन भारी मात्रा में अनुपचारित सीवेज, औद्योगिक अपशिष्ट और कृषि रसायन के इसमें बहाने से यह प्रदूषित हो रहा है. इससे निपटने में गंगा एक्शन प्लान (1985) अपेक्षित सफलता नहीं दिला सका है.
यह कृषि, मत्स्य पालन, और जल परिवहन में योगदान देने वाली जीवनरेखा है. इससे लाखों हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है. इसके द्वारा बहाकर लाए गए जलोढ़ मिट्टी से ही गंगा के विशाल मैदानों का निर्माण हुआ है. ये दुनिया के सबसे उपजाऊ मैदानों में से एक है. हिंदू धर्म में पवित्र, तीर्थयात्रा और स्नान की परंपराएं इस नदी से जुड़े है.
यमुना नदी प्रणाली
यूपी के प्रयागराज में ऐतिहासिक गंगा संगम तक इसका प्रवाह मार्ग इस प्रकार है- उत्तराखंड → हिमाचल प्रदेश → हरियाणा → दिल्ली → उत्तर प्रदेश → प्रयागराज. यह गंगा की सबसे लंबी और दूसरी सबसे बड़ी सहायक नदी है.
ऋग्वेद में भी इस नदी का उल्लेख मिलता है. प्लायोसीन युग में इसका प्रवाह दिशा बदलकर पूर्व की ओर हो गया. पूर्व में यह घग्घर नदी की सहायक थी. साल 2017 में उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा इसे “जीवित इकाई” का दर्जा दिया गया है.
अन्य भारतीय नदियों के भांति यमुना भी जल प्रदुषण का शिकार है. इसके शुद्धिकरण के लिए साल 1993 से यमुना एक्शन प्लान (YAP) चलाया जा रहा है. यह जापान द्वारा वित्तपोषित है. 2025 के एक्शन प्लान के तहत इसे 2027 तक शुद्ध करना हैं.
इस नदी के जल का बंटवारे के लिए 12 मई, 1994 को ऊपरी यमुना बोर्ड (1994) का गठन किया गया है. यह पांच बेसिन राज्यों (हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद स्थापित किया गया है. इसका उद्देश्य यमुना नदी के ऊपरी हिस्से (यमुनोत्री से ओखला बैराज तक) के पानी के बंटवारे और प्रबंधन से संबंधित मुद्दों को हल करना है.
ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली
ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली एशिया की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण नदी प्रणालियों में से एक है, जो तिब्बत, भारत, और बांग्लादेश से होकर बहती है. यह नदी अपने विशाल जल निकास क्षेत्र, बाढ़ की प्रवृत्ति, और जलविद्युत क्षमता के लिए जानी जाती है.
इसे तिब्बत में यारलुंग त्संग्पो, भारत में सियांग/दिहांग और ब्रह्मपुत्र, तथा बांग्लादेश में जमुना कहा जाता है. इसका जल निकास क्षेत्रफल लगभग 580,000 वर्ग किलोमीटर है, जो गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना (GBM) बेसिन का हिस्सा है. यह अपने क्षेत्र के अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी में काफी महत्वपूर्ण है.
यह तिब्बत में पूर्व की ओर 1,700 किमी तक बहती है. फिर अरुणाचल प्रदेश के सादिया शहर के पश्चिम से भारत में प्रवेश करती है, जहां इसे सियांग या दिहांग कहा जाता है. असम में यह ब्रह्मपुत्र के रूप में मैदानों में बहती है. यह क्षेत्र नदी के ब्रेडेड चैनल्स और उच्च सिल्ट लोड के लिए प्रसिद्ध है, जो बाढ़ का कारण बनता है.
ब्रह्मपुत्र भारत की एकमात्र पुरुष नाम वाली नदी है, जिसका अर्थ संस्कृत में “ब्रह्मा का पुत्र” है. यह सबसे बड़ा नदी द्वीप, माजुली, बनाती है. कुछ स्थानों पर इसकी चौड़ाई 10 किमी तक है. चीन द्वारा तिब्बत में इस नदी पर बाँध बनाया जा रहा है. यह बांध जल के प्रवाह और बाढ़ पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. इससे भारत और बांग्लादेश के प्रभावित होने की संभावना है.
गोदावरी नदी प्रणाली
गोदावरी नदी प्रणाली भारत की सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली है. इसे ‘दक्षिण गंगा’ के रूप में जाना जाता है. यह गंगा के बाद भारत की दूसरी सबसे लम्बी नदी है. बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले यह राजमुंद्री (आंध्र प्रदेश) के पास यह एक विशाल डेल्टा बनाती है, जो 170 किमी चौड़ा है. डेल्टा क्षेत्र में नदी कई शाखाओं (जैसे गौतमी, वसिष्ठी, और वैनाटेया) में विभाजित हो जाती है.
प्रमुख परियोजनाएँ:
- जयकवाड़ी बांध: महाराष्ट्र में, 34,320 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई प्रदान करता है.
- श्रीराम सागर परियोजना: तेलंगाना में, 450,000 हेक्टेयर को सिंचाई और 960 मेगावाट बिजली उत्पादन.
- डॉवलेस्वरम बैराज: आंध्र प्रदेश में, डेल्टा क्षेत्र में 1,000,000 हेक्टेयर को सिंचाई प्रदान करता है.
- पोलावरम परियोजना: निर्माणाधीन, जो 960 मेगावाट बिजली और 289,000 हेक्टेयर की सिंचाई प्रदान करेगी.
महानदी नदी प्रणाली
महानदी नदी छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सिहावा गांव के पास सतपुड़ा पर्वतमाला से निकलती है. यह प्रारंभ में उत्तर की ओर बहती है, फिर रायपुर जिले में प्रवेश करने के बाद पूर्व की ओर मुड़ जाती है, जहां यह शिवनाथ नदी से जल प्राप्त करती है. ओडिशा में प्रवेश करने के बाद, यह संभलपुर में 35 किलोमीटर लंबे मानवनिर्मित झील (हिराकुंड बांध) का निर्माण करती है, फिर कटक में प्रवेश करती है और अंततः बंगाल की खाड़ी में मिलती है.
महानदी को ‘छत्तीसगढ़ की गंगा’ के रूप में जाना जाता है. यहाँ इसे गंगा के समान पवित्र माना जाता है. इसी नदी पर सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए हिराकुंड बांध परियोजनाओं स्थित है.